August 04, 2025
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शौर्यपथ / शोधकर्ताओं ने आंखों की खराब हो चुकी रोशनी को ठीक करने के लिए एक सरल व किफायती पद्धति विकसित की है और विशेषज्ञों का कहना है कि नया तरीका आंखों की ऐसी समस्याओं के इलाज में व्यापक बदलाव लाने वाला साबित हो सकता है।
एक भारतीय चिकित्सक और ब्रिटेन स्थित एक शोधकर्ता ने संयुक्त रूप से इस पद्धति को विकसित किया है। भारत में हैदराबाद स्थित एल.वी. प्रसाद नेत्र संस्थान के नेत्र रोग विशेषज्ञ वीरेंद्र सांगवान और शेफील्ड विश्वविद्यालय में ऊतक इंजीनियर प्रोफेसर शीला मैकनील द्वारा किए गए इस अध्ययन में कॉर्निया की रक्षा करने वाली क्षतिगस्त कोशिकाओं के इलाज के लिए स्टेम सेल थेरेपी का उपयोग किया गया है।
शेफील्ड विश्वविद्यालय की ओर से कहा गया कि भारत में मरीजों के लिए पहली बार 2012 में विकसित इस पद्धति का अब यहां खासा उपयोग किया जा रहा है तथा दुर्घटना या बीमारी से क्षतिग्रस्त आंखों के उपचार के क्षेत्र में इसका गहरा प्रभाव पड़ा है।
हालांकि इस पद्धति की सफलता के बावजूद अन्य देशों के सर्जनों द्वारा इसे व्यापक रूप से नहीं अपनाया गया है। ब्रिटिश जर्नल ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित एक नई रिपोर्ट से पता चलता है कि यह पद्धति अन्य देशों में नेत्र सर्जनों द्वारा उपयोग की जाने वाली तकनीक के समान ही प्रभावी है और उसकी तुलना में नयी पद्धति पर सिर्फ 10 प्रतिशत खर्च आता है।

ब्यूटी टिप्स / शौर्यपथ / ऑयली स्किन वाले लोग जानते हैं कि वो हर ब्यूटी प्रॉडक्ट आंख बंद करके इस्तेमाल नहीं कर सकते क्योंकि घरेलू हो या बाजार के ब्यूटी ट्रिक्स उन्हें लगभग सारी ही चीजें फायदे की जगह साइडइफेक्ट्स दे देती हैं। ऐसे में कुछ भी इस्तेमाल करने से पहले वो काफी सोच-विचार करते हैं। आपकी या आपके किसी दोस्त की भी ऑयली यानी तैलीय त्वचा है, तो आप इन घरेलू फैसपैक को उन्हें सजेस्ट कर सकते हैं, जिससे कि उनके चेहरे पर नेचुरल निखार आ सके और वो भी बिना साइड इफेक्ट्स के-
मुल्तानी मिट्टी फैसपैक
मुल्तानी मिट्टी ऐसी चीज है जिसे आप बस पानी या गुलाब जल के साथ भी घोलकर हर दिन चेहरे पर लगाएं, तो फेस पर तेल आने की समस्या दूर होने लग जाएगी। वैसे इस पैक के असर को और बढ़ाना चाहते हैं तो इसमें नींबू का रस और दही मिलाया जा सकता है। आप इस फैसपैक को गर्मियों में इस्तेमाल करेगी, तो इसका असर ज्यादा होगा।
खीरे का फैसपैक
खीरे को कद्दूकस कर लें और उसमें एक टी-स्पून नींबू का रस मिलाएं। इस मिक्स को फ्रिज में रख दें और ठंडा हो जाने पर स्किन पर लगाएं। चाहे तो आप इसे आइस ट्रे में डालकर जमा सकती हैं और फिर क्यूब्ज से चेहरे की मसाज कर सकती हैं। ये दोनों तरीके आपको ऑयली स्किन से छुटकारा दिलाने के साथ ही पोर्स के साइज को भी छोटा करने में मदद करेंगे।
नीम फैसपैक
आपको नीम की पत्तियां धोकर पीस लेनी है, इसके बाद इसमें नीबू का रस मिला लें। आप इसे रोजाना न लगाएं बल्कि हफ्ते में तीन से चार बार लगा सकते हैं। इससे आपके चेहरे पर जितने भी दाग-धब्बे हैं, वो दूर हो जाएंगे। साथ ही दिनों-दिन आपका चेहरा निखरता जाएगा।
ओट्स, नींबू और शहद
एक कटोरी में नींबू का रस लें और उसमें शहद मिलाएं। ऊपर से ओट्स को ठीक से मिलाएं। अपनी स्‍किन पर इस पेस्‍ट को ठीक से लगाएं और कुछ देर के लिए सूखने दें। फिर इसे ठंडे पानी से धो लें। नींबू और शहद का मिश्रण ऑयली स्‍किन को तुंरत ठीक करता है। इससे चहरे पर फ्रेशनेस आती है और पोर्स अंदर से साफ होते हैं।
मसूर दाल फैसपैक
दो चम्मच मसूर की दाल का पाउडर लें और उसमें एक चम्मच दही व गुलाब जल मिलाएं। इस पैक को अच्छे से मिक्स करने के बाद चेहरे पर लगाएं। यह न सिर्फ ऑयली स्किन की समस्या को दूर करेगा बल्कि स्किन भी ज्यादा सॉफ्ट बन जाएगी।

शौर्यपथ / कभी-कभी छोटी-छोटी बातें हमारा मूड खराब कर देती हैं लेकिन जिस तरह छोटी बातें मूड खराब कर सकती हैं, उसी तरह कुछ छोटी-बातें हमारा मूड ठीक करके हमारे अंदर खुश रहने वाले हार्मोन को भी बढ़ाती हैं।
मनपसंद खाना खाने से निकलता है यह हार्मोन
मनपसंद खाने, गाना सुनने या कोई पसंद का काम करने से डोपामाइन रिलीज होता है। वहीं सेरॉटोनिन मूड बूस्टर की तरह काम करता है। यह ऐंटीडिप्रेसेंट भी है यानी हमें डिप्रेशन में जाने से बचाता है। ये तीनों ही न्यूरोट्रांसमीटर्स हमारे मूड को सही रखने और हमें मेंटली हेल्दी रखने में मदद करते हैं।
डोपामाइन है प्लेजर हॉर्मोन
डोपामाइन को प्लेजर हॉर्मोन भी कहते हैं। सेक्सुअल एक्टिविटी से भी डोपामाइन रिलीज होता है। किसी भी एक्टिविटी को लेकर हमारी एक्साइटमेंट भी इसी कारण से होती है। डोपामाइन किसी भी मनपसंद काम को करने पर रिलीज होता है इसलिए कहा जाता है कि अपनी पसंद को महत्व दें और खुश रहें।
प्यार के लिए जिम्मेदार है यह हार्मोन
ऑक्सीटोसिन को लव हॉर्मोन के नाम से भी जाना जाता है। मेडिकल एक्सपर्ट्स के अनुसार ऑक्सिटोसिन एक ऐसा हॉर्मोन है, जो हमारे अंदर संतुष्टि का भाव पैदा करता है। ऐसे में कोशिश करनी चाहिए कि अपने आसपास ऐसे लोगों का साथ रखें जिन्हें आप पसंद करते हैं, उन लोगों के साथ वक्त बिताने पर ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन रिलीज होता है और हमारा मूड अच्छा रहता है।
प्रोजेस्टेरॉन की वजह से होता है मूड स्विंग
प्रोजेस्टेरॉन हॉर्मोन हमें चिंता, चिड़चिड़ापन और मूड स्विंग्स से बचाता है। महिलाओं में आमतौर पर 35 साल से 40 साल की उम्र के बीच यह हॉर्मोन प्राकृतिक रूप से कम होने लगता है क्योंकि यह उम्र महिलाओं में प्रीमेनॉपॉज ऐज (रजोनिवृत्ति) कहलाती है।

व्रत त्यौहार / शौर्यपथ / नवरात्रि में व्रत रखने के दौरान कई बार ऐसा होता है कि शरीर में कमजोरी हो जाती है जिसकी वजह से कभी-कभी चक्कर भी आने लगते हैं। ऐसे में बहुत जरूरी है कि अपने शरीर का भी ध्यान रखा जाए। आज हम आपको व्रत की ऐसी ही हेल्दी रेसिपी बता रहे हैं, जिसे व्रत के दौरान खाने से आपको कमजोरी और ज्यादा भूख भी नहीं लगेगी। रोजाना एक लड्डू के सेवन करने से आपकी इम्युनिटी भी बढ़ेगी।
सिंघाड़े के आटे के फायदे
सिंघाड़े में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन बी व सी, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस जैसे मिनरल्स, रायबोफ्लेबिन जैसे तत्व पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं। आयुर्वेद में कहा गया है कि सिंघाड़े में भैंस के दूध की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक खनिज लवण और क्षार तत्व पाए जाते हैं। वैज्ञानिकों ने तो अमृत तुल्य बताते हुए इसे ताकतवर और पौष्टिक तत्वों का खजाना बताया है। इस फल में कई औषधीय गुण हैं, जिनसे शुगर, अल्सर, हृदय रोग, गठिया जैसे रोगों से बचाव हो सकता है। बुजुर्गों व गर्भवती महिलाओं के लिए तो यह काफी गुणकारी है।
सामग्री :
सिंघाड़े का आटा
गुड़
सोंठ पाउडर
देसी घी
काजू-बादाम
विधि :
सबसे पहले सिंघाड़े के आटे को छान लीजिए। अगर सिंघाड़े का आटा थोड़ा मोटा रहेगा तो लड्डू सोंधे बनेंगे।
गुड़ को अच्छी तरह से फोड़ लीजिए। गुड़ में एक भी गांठ नहीं रहनी चाहिए।
कटे हुए मेवे को तवे पर हल्का सा भून लीजिए।
कड़ाही में करीब 150 ग्राम घी गर्म कर लीजिए। आपका करीब 100 ग्राम घी बचा रहेगा, इसका बाद में इस्तेमाल करेंगे।
गैस की आंच मीडियम करके सिंघाड़े के आटे को अच्छी तरह से भून लीजिए। जब आटे से सोंधी खुशबू आने लगे और ये गुलाबी हो जाए तो समझिए की ये भून गया है।अब पिटे हुए गुड़ के ऊपर गरम-गरम सिंघाड़े के आटे को इस तरह से डालिए कि गुड़ पूरी तरह से ढक जाए। आटे की गर्मी से गुड़ नरम हो जाएगा और सिंघाड़े का लड्डू बनाने में आसानी होगी।आटे के ऊपर अब सोंठ, घी और मेवे डालकर चम्मच की मदद से अच्छी तरह मिला लीजिए। ध्यान रहे कि मिश्रण ठंडा होने से पहले ही आप इसे मिला लें।
जब मिश्रण इतना गरम रह जाए कि आप इसे हाथ से छू सकें, तब इसे एक बार हाथ से भी अच्छी तरह मिक्स कर लीजिए।
अब आपको फटाफट लड्डू बनाना है क्योंकि अगर मिश्रण ठंडा हो गया तो लड्डू बनाना मुश्किल हो जाएगा।
दोनों हाथ से लड्डू बनाने की कोशिश करें इससे ये मिश्रण के गर्म रहते ही बन जाएंगे।

आस्था /शौर्यपथ / शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करने का विधान है। शास्त्रों में इन्हें संयम की देवी कहा जाता है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति को तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की प्राप्ति होती है। मां ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में अक्ष माला और बाएं हाथ में कमंडल है।
बह्मचारिणी पड़ने का कारण
शास्त्रों के अनुसार, मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में पर्वतराज के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया और नारद के कहने पर पार्वती ने शिव को पति मानकर उन्हें पाने के लिए निर्जल और निराहार कठोर तपस्या की। हजारों सालों तक तपस्या करने के बाद इनका नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी पड़ा। नवरात्र के दूसरे दिन को इसी तप को प्रतीक के रूप में पूजा जाता है।
इस देवी की कथा का सार यह है कि जीवन के कठिन संघर्षों में भी मन विचलित नहीं होना चाहिए। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करके आप अपने जीवन में धन-समृद्धि, खुशहाली ला सकते है।
ऐसे करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
मान्यताओं के अनुसार सबसे पहले जिन देवी-देवताओ एवं गणों व योगिनियों को आपने कलश में आमंत्रित किया है। उन्हें पंचामृत स्नान दूध, दही, घृत, मेवे और शहद से स्नान कराएं। इसके बाद इन पर फूल, अक्षत, रोली, चंदन का भोग लगाएं। इसके बाद पान, सुपारी और कुछ दक्षिणा रखकर पंडित को दान करें। इसके बाद अपने हाथों में एक फूल लेकर प्रार्थना करते हुए बार-बार मंत्र का उच्चारण करें। इसके बाद मां ब्रह्मचारिणी को सिर्फ लाल रंग का ही फूल चढ़ाए साथ ही कमल से बना हुआ ही माला पहनाएं। मां को चीनी का भोग लगाएं। ऐसा करने से मां जल्द ही प्रसन्न होती है। इसके बाद भगवान शिव जी की पूजा करें और फिर ब्रह्मा जी के नाम से जल, फूल, अक्षत आदि हाथ में लेकर “ऊं ब्रह्मणे नम:” कहते हुए इसे भूमि पर रखें।
करें इन मंत्रों का जाप
अगर आप भी किसी कार्य में अपनी जीत सुनिश्चित करना चाहते हैं, तो आज के दिन आपको देवी ब्रह्मचारिणी के इस मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए। देवी ब्रह्मचारिणी का मंत्र इस प्रकार है - 'ऊं ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:।' आज के दिन आपको इस मंत्र का कम से कम एक माला, यानी 108 बार जाप करना चाहिए। इससे विभिन्न कार्यों में आपकी जीत सुनिश्चित होगी।
ब्रह्मचारिणी देवी का मंत्र
देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय हाथों में एक लाल फूल लेकर देवी का ध्यान करें और हाथ जोड़ते हुए प्रार्थना करते हुए मंत्र का उच्चारण करें।
श्लोक
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलु| देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ||
ध्यान मंत्र
वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम।
धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्॥
परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन।
पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

शौर्यपथ / पिछले एक साल से दुनिया भर के वैज्ञानिक कोविड-19 को लेकर कई अध्ययन कर चुके हैं। बावजूद इसके कोरोनावायरस नाम की यह महामारी रोजाना हजारों लोगों को अपना शिकार बना रही है। कोविड महामारी ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है।
भारत में भी एक बार फिर कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इस महामारी से निजात पाने के लिए वैज्ञानिक भी आए दिन अध्ययन करते रहते हैं। हाल ही में कोरोना को लेकर एक और अध्ययन किया गया है। इस अध्ययन में दावा किया गया है कि सूरज की रोशनी में अधिक समय बिताने, खासकर अल्ट्रावायलेट किरण के संपर्क में आने से कोविड-19 से होने वाली मौतों को कम किया जा सकता है।
ब्रिटेन में एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की मानें तो सूरज की रोशनी के संपर्क में ज्यादा देर रहने से मृत्यु दर में कमी और सामान्य लोक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद मिल सकती है।
ब्रिटिश जर्नल ऑफ डर्माटोलोजी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार अमेरिकी महाद्वीप में जनवरी से अप्रैल 2020 के बीच होने वाली मौतों के साथ अल्ट्रावायलेट स्तर की तुलना की गई। इस अध्ययन के दौरान टीम ने पाया कि ऐसे इलाके जहां अल्ट्रावायलेट किरणों के संपर्क में लोग अधिक थे, वहां कोविड-19 से मरने वाले लोगों की संख्या कम थी। इंग्लैंड और इटली में हुए अध्ययन में भी शोधकर्ताओं को कुछ इस तरह के नतीजे ही देखने को मिले।

व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां शैलपुत्री को नव दुर्गा में प्रथम दुर्गा माना गया है। मां शैलपुत्री को प्रसाद में गाय का घी अथवा उससे बने पदार्थों का भोग लगाया जाता है। माना जाता है कि मां दुर्गा को गाय के घी से बनी चीजें अधिक प्रिय है। इसका भोग प्रसाद में लगाने से मां भक्तों पर खुश होकर उनकी सभी इच्छाएं पूरी करती हैं। तो देर किस बात की आइए जानते हैं मां शैलपुत्री को प्रसन्न करने के लिए कैसे बनाएं बादाम का हलवा।
बादाम का हलवा बनाने के लिए सामग्री-
-250 बादाम
-13 टेबल स्पून देसी घी
-10 टेबल स्पून चीनी
बादाम का हलवा बनाने की वि​धि-
बादाम का हलवा बनाने के लिए सबसे पहले गर्म पानी में बादाम हो हल्का से उबालकर उन्हें छील लें। इसके बाद बादाम का पेस्ट बनाने के लिए इन्हें ब्लेंडर में डालकर उनका दरदरा पेस्ट बना लें। अब एक पैन में देसी घी गर्म करके इसमें बादाम का पेस्ट डालें। इसमें चीनी डालें और धीमी आंच पर गोल्डन ब्राउन होने तक भूनें। आपका बादाम का हलवा बनकर तैयार है, इसे कटे हुए बादाम से गार्निश करें।

खाना खजाना /शौर्यपथ / नवरात्रि के दौरान फलाहार में सबसे ज्यादा आलू का सेवन किया जाता है। अगर आप हर नवरात्रि आलू की सब्जी खाकर बोर हो गए हैं तो इस बार ट्राई करें आलू का चीला। यह चीला खाने में जितना टेस्टी होता है, बनने में उतना ही आसान भी है। तो देर किस बात की आइए जान लेते हैं क्या है इस चटपटे चीले को बनाने की आसान रेसिपी।
आलू का चीला बनाने के लिए सामग्री-
-2-3 कच्चे आलू कद्दूकस किए हुए
-2 हरी मिर्च
-बारीक कटा हुआ हरा धनिया
-¼ छोटा चम्मच काली मिर्च पाउडर
-1 बड़ा चम्मच देसी घी
-सेंधा नमक स्वादानुसार

आलू का चीला बनाने का तरीका-
आलू का चीला बनाने के लिए सबसे पहले एक बाउल में कद्दूकस किया हुआ आलू, हरी मिर्च, धनिया पत्ती, काली मिर्च पाउडर और नमक डालकर अच्छी तरह मिला लें। अब तवे को गर्म करके उसमें 1 चम्मच देसी घी डालें। इसके बाद गर्म तवे में आलू का मिश्रण डालकर चम्मच की मदद से तवे पर ½ सेमी मोटाई के साथ मिश्रण को गोल आकार में फैलाएं। वरना चीला टूट सकता है। अब चीले को दोनों तरफ से गोल्डन ब्राउन होने तक पकाएं। आपका आलू का चीला बनकर तैयार है। इस फलाहारी चीले को व्रत की चटनी या दही के साथ सर्व कर सकते हैं।

टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ / आपका घर और दुकान कितना ही सुंदर क्यों नहीं बना हो लेकिन वास्तु दोष होने से सुख और समृद्धि नहीं होती है। इसलिए दुकान में वास्तु का जरूर ध्यान रखना चाहिए। ताकि काम में किसी तरह की रूकावट पैदा नहीं हो। साथ ही लक्ष्मी जी भी अप्रसन्न नहीं हो। दुकान जहां से आप अपना जीवन जीते हैं और अगर वहीं पर ही दोष हो तो वृद्धि रूक जाती है।
इसलिए आइए जानते हैं कुछ बातें जिससे दुकान की बरकत होती रहे-
1. अगर आपकी दुकान के सामने कोई पेड़ या खंबा लगा हो तो उसे हटवा दीजिए। हालांकि ऐसा संभव नहीं होता है। इस जगह पर अपने मुख्य द्वार पर हर दिन फूल लगाकर स्वास्तिक बनाएं।
2. दुकान में पूर्व-उत्तर ईशान कोण का अधिक महत्व होता है। इसलिए उस जगह पर विशेष साफ-सफाई का ध्यान रखें।
3. ऐसा कहा जाता है दुकान में सीढ़िया होना शुभ नहीं है। ऐसा होता है तो आप सीढ़ी के नीचे विंड चाइम लगा दीजिए।
4. दुकान में भगवान जी का मंदिर जरूर होना चाहिए। इससे दुकान की बरकत होती है। कोशिश रहे हर दिन सुबह-शाम दिया बत्ती की जाए।
5. कई बार सबकुछ अच्छा होने के बाद भी आमदानी नहीं होती है। ऐसे वक्त में अपने तिजौरी या गुल्लक में मां लक्ष्मी जी की मूर्ति जरूर रखें। मूर्ति नहीं है तो आप सोने या चांदी के सिक्के भी रख सकते हैं।

आस्था /शौर्यपथ / माता कालिका के अनेक रूप हैं जिनमें से प्रमुख है- 1.दक्षिणा काली, 2.शमशान काली, 3.मातृ काली और 4.महाकाली। इसके अलावा श्यामा काली, गुह्य काली, अष्ट काली और भद्रकाली आदि अनेक रूप भी है। सभी रूपों की अलग अलग पूजा और उपासना पद्धतियां हैं। आओ जानते हैं भद्रकाली काली क्या है और क्या है उनका मंत्र।
1. भद्रकाली का शाब्दिक अर्थ है अच्छी काली, जिनकी पूजा मुख्यतः दक्षिण भारत में होती है।
2. भद्रकाली मां काली का शांत स्वरूप है। इस रूप में मां काली शांत हैं और वर देती हैं।
3. महाभारत शान्ति पर्व के अनुसार यह पार्वती के कोप से उत्पन्न दक्ष के यज्ञ की विध्वंसक देवी हैं।
4. ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु‍ते।
भद्रं मंगलं सुखं वा कलयति स्वीकरोति भक्तेभ्योदातुम् इति भद्रकाली सुखप्रदा- जो अपने भक्तों को देने के लिए ही भद्र सुख या मंगल स्वीकार करती है, वह भद्रकाली है।
5. नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नम:।नम: प्रकृत्यै भद्रायै नियता: प्रणता: स्मताम्।।
ॐ काली महा काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते
देवी को नमस्कार है, महादेवी को नमस्कार है। महादेवी शिवा को सर्वदा नमस्कार है। प्रकृति एवं भद्रा को मेरा प्रणाम है। हम लोग नियमपूर्वक जगदम्बा को नमस्कार करते हैं।
6. सावित्री पीठ कुरुक्षेत्र शक्तिपीठ : हरियाणा के कुरुक्षेत्र में माता की एड़ी (गुल्फ) गिरी थी। इसकी शक्ति है सावित्री और भैरव है स्थाणु। देविकूप भद्रकाली मंदिर को सावित्री पीठ, देवी पीठ, कालिका पीठ या आदी पीठ भी कहा जाता है। कुरुक्षेत्र में महाभारत युद्ध के पहले श्रीकृष्ण के कहने पर अर्जुन ने यहां माता की आराधना की थी।
इस पीठ में भद्रकाली विराजमान है और गणों के रूप में दक्षिणमुखी हनुमान, गणेश तथा भैरव विद्यमान हैं। यहीं स्थाणु शिव का अद्भुत शिवलिंग भी है, जिसमें प्राकृतिक रूप से ललाट, तिलक एवं सर्प अंकित हैं। यह शक्तिपीठ हरियाणा के कुरुक्षेत्र जंक्शन तथा थानेश्वर रेलवे स्टेशन के दोनों ओर से 4 किलोमीटर दूर झांसी मार्ग पर, द्वैपायन सरोवर के पास स्थित है।
इसके अलााव तीन सागरों के संगम-स्थल पर स्थित 'कन्याकुमारी शक्तिपीठ' के मंदिर में ही भद्रकाली का मंदिर है।

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