August 03, 2025
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खाना खजाना /शौर्यपथ /गर्मियां शुरू होते ही एक चीज जो हर व्यक्ति की डाइट में जरूर शामिल हो जाती है वो है छाछ। गर्मियों के मौसम में छाछ और लस्सी जैसी देसी चीजों का सेवन शरीर में ठंडक बनाए रखने का काम करते हैं। आपने आज तक कई तरह की छाछ का स्वाद चखा होगा लेकिन आज आपको छाछ की एक स्पेशल रेसिपी के बारे में बताते हैं, नाम है अफगानी छाछ। यह स्वाद में तो मजेदार है ही, सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद होती है।

अफगानी छाछ बनाने के लिए सामग्री-
-1/2 कप दही
-1.1.5 कप पानी
-1/2 खीरा कद्दूकस किया हुआ
-8-10 ताजा पुदीने के पत्ते
-स्वादानुसार काला नमक
-1/2 टी स्पून कालीमिर्च पाउडर
-4 बर्फ के टुकड़े

अफगानी छाछ बनाने की वि​धि-
अफगानी छाछ बनाने के लिए सबसे पहले एक ब्लेंडर में बर्फ के टुकड़े छोड़कर, सभी चीजों को ब्लेंड कर लें। अब इस छाछ को एक लंबे गिलास में डालकर कुछ टुकड़े बर्फ के डालकर पुदीने की पत्तियों के साथ गार्निश करें। आपकी अफगानी छाछ बनकर तैयार है। इसे ठंडा सर्व करें।

खाना खजाना /शौर्यपथ / नॉनवेज के शौकीन लोगों को बिरयानी खाना बेहद पसंद होता है। अगर आप भी नॉनवेज खाना पसंद करते हैं और चिकन, फिश, मटन बिरयानी खाकर बोर हो चुके हैं हैं तो जरूर ट्राई करें ये कश्मीरी चिकन पुलाव रेसिपी। कश्मीरी चिकन पुलाव रेसिपी में डाले गए मसालों की सुगंध से इस पुलाव का स्वाद और भी बढ़ जाता है। घर में छोटी-मोटी पार्टी हो या कोई खास मेहमान आने वाला हो, कश्मीरी चिकन पुलाव के स्वाद और खुशबू से वो आपका मुरीद हो जाएगा।
कश्मीरी चिकन पुलाव बनाने के लिए सामग्री-
-500 ग्राम चावल
-6-7 चिकन थाई
-2 टी स्पून जीरा
-2 टी स्पून धनिया पाउडर
-3-4 हरी इलायची
-3-4 दालचीनी स्टिक
-2 टी स्पून दो चम्मच: जावित्री
-काली मिर्च के दाने
-5-6 कली लहसुन
-5-6 किशमिश
-1 कप दही
-2 टेबल स्पून देसी घी
-1 कप प्याज, टुकड़ों में कटा हुआ
-1 टी स्पून लाल मिर्च पाउडर
-1 टुकड़े अदरक, बारीक कटा हुआ
-तेल
-नमक
-पानी
कश्मीरी चिकन पुलाव बनाने की वि​धि-
कश्मीरी चिकन पुलाव बनाने के लिए सबसे पहले चावल को साफ करके 20 मिनट के लिए पानी में भिगोकर अलग रख दें। इसके बाद चिकन के टुकड़ों को एक बराबर पीस में काट लें। अब इन टुकड़ों को साफ करके इसका पानी निकाल लें। अब चिकन के टुकड़ों में एक कप दही, नमक, लाल मिर्च पाउडर, हल्दी पाउडर, धनिया पाउडर और काली मिर्च पाउडर मिलाकर उन्हें एक तरफ अलग रख दें।
अब एक पैन में घी गर्म करके उसमें लौंग, लहसुन और प्याज को डालकर भून लें। इसके बाद इसमें अदरक और हरी मिर्च डालकर बनाई गई दही डालें। दो मिनट पका लेने के बाद इसमें चिकन डालें। फिर इसके ऊपर नमक डालें।
एक मिनट तक पकाने के बाद इसमें दो कप पानी डालें, जिससे चावल बन जाएं। थोड़ी देर के लिए आंच को हल्का करके छोड़ दें। चिकन के बन जाने पर इसमें भीगे हुए चावल डालें। चावल के पकते ही आपका कश्मीरी चिकन पुलाव सर्व करने के लिए तैयार है।

सेहत /शौर्यपथ /कोरोना के संक्रमण के दौरान शरीर के जिस अंग का सबसे ज्‍यादा ध्‍यान रखा जाना है वो है आपके लंग्‍स। क्‍योंकि कोरोना वायरस सबसे ज्‍यादा लंग्‍स को ही खराब कर रहा है। हम अनजाने में ऐसी चीजें खाते हैं जो नुकसानदायक हो सकती हैं।
आइए जानते हैं फेफड़ों को मजबूत करने के लिए वो कौनसी पांच चीजें हैं जिन्‍हें नहीं खाना चाहिए।
शरीर को हमेशा हेल्दी रहने के लिए जरुरत है कि आपके फेफडे अच्छी ढंग काम करे, फेफड़ों से फिल्टर होने के बाद ही ऑक्सीजन आपके पूरे शरीर में पहुंचती हैं। ऐसे में लंग्स का खास ख्याल रखना बहुत ही ज्यादा जरूरी है। अगर आपके फेफड़े ठीक ढंग से काम नहीं करेंगे तो आपको अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, निमोनिया, टीबी, कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। वहीं दूसरी ओर कोरोना वायरस जैसी महामारी से बचने के लिए आपके फेफड़ों का मजबूत होना बहुत ही जरूरी हैं क्योंकि यह सीधे आपके लंग्स पर ही अटैक करता है। जिसके कारण आपको सांस लेने में अधिक समस्या होती है।
एल्कोहाल
अधिक मात्रा में एल्कोहाल का सेवन आपके लिवर और लंग्स को खराब कर सकता है। एल्कोहाल में सल्फाइट होता है तो अस्थमा का कारण भी बन सकता है इसके साथ ही लंग्स सेल्स को डैमेज कर देता है। अगर किसी फेफड़े संबंधी बीमारी से जूझ रहे हैं तो एल्कोहाल का सेवन कम ही करे तो बेहतर है। वहीं दूसरी ओर वाइन लंग्स के लिए अच्छी मानी जाती है।
सॉफ्ट ड्रिंक
अगर आप विभिन्न तरीके की सॉफ्ट ड्रिंक का सेवन करते हैं तो आज ही बंद कर दें क्योंकि इसमें अधिक मात्रा में शुगर होती है। अगर कोई व्यक्ति सप्ताह में 5 से अधिक ड्रिंक का सेवन करता है उसे जल्द ही ब्रोंकाइटिस की समस्या का सामना करना पड़ता है। वहीं बच्चे अस्थमा के शिकार हो सकते हैं।
अधिक नमक का सेवन
अगर आप अधिक मात्रा में नमक का सेवन करते हैं तो यह आपके लंग्स के लिए खतरनाक हो सकते हैं। हाई सोडियम डाइट के कारण आपको अस्थमा के लक्षण नजर आने लगेंगे। इसलिए जरूरी है कि कम से कम नमक का सेवन करें। डॉक्टरों के अनुसार एक दिन में नमक 1500 से 2300mg खाना चाहिए।
गोभी, ब्रोकली
एसिडिटी और ब्लोटिंग के कारण भी आपको सांस लेने में समस्या हो सकती है। जिसका असर फेफड़ों पर बुरा पड़ता है। इसलिए गोभी, पत्तागोभी, ब्रोकली आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। इसमें अधिक मात्रा में फाइबर और न्यूट्रियंस पाए जाते हैं लेकिन यह पेट में गैस बनने का कारण बन जाते हैं।
फ्राइड फूड्स
फ्राइड फूड्स सेहत के लिए बहुत ही ज्यादा खतरनाक है। इनका अधिक सेवन करने से आपको सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। इसके साथ ही यह मोटापा का कारण बनेगी। जिसके कारण आपका लंग्स पर बुरा प्रभाव पड़ता है। अनहेल्दी फैट के कारण बैड कोलेस्ट्राल बढ़ने के साथ हार्ट संबंधी समस्या हो सकती है।

शौर्यपथ / कपूर का इस्तेमाल खास तौर से हवन पूजन और कई ब्यूटी उत्पादों में खुशबू के साथ ही ठंडाई के लिए किया जाता है। इस सब के अलावा कपूर और इसके तेल के कुछ चमत्कारिक लाभ भी हैं, जो कमाल के हैं। जानने के लिए जरूर पढ़ें, कपूर के यह
* सांस लेने में तकलीफ होने पर कपूर का इस्तेमाल किया जाता है इससे सांस लेने में आ रही समस्या से राहत मिलती है।

* त्वचा की समस्याओं में कपूर का इस्तेमाल असरकारी होता है। चेहरे पर होने वाले पिंपल्स या फिर त्वचा संबंधी कोई अन्य समस्या होने पर जरा-सा कपूर, नारियल तेल में मिलाकर चेहरे पर मसाज करना असरदार है।
* शरीर के किसी भाग पर होने वाली खरोंच, घाव या फिर जल जाने पर कपूर लगाना जलन को कम करता है। कपूर को पानी में घोलकर लगाने से घाव की जलन कम होगी और ठंडक मिलेगी।

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अवसाद या तनाव होने पर सिर पर कपूर के तेल की मालिश करना लाभदायक होगा। इससे आपको मानसिक तौर पर राहत मिलेगी और तनाव धीरे-धीरे कम होने लगेगा। सिरदर्द में भी यह तरीका कारगर है।

* बालों के झड़ने पर कपूर के तेल को नारियल तेल में मिलाकर लगाने से बालों का झड़ना धी-धीरे कम हो जाता है। सिर में रूसी होने पर भी कपूर का तेल लगाने से फायदा होता है।

* फटी एड़ि‍यों के उपचार के लिए कपूर बेहतरीन दवा है। गरम पानी में कपूर मिलाकर, इस पानी में पैर डालकर बैठने से फटी एड़ि‍यों में आराम मिलेगा।
कुछ ही दिनों में एड़ि‍यों का फटना कम हो जाएगा।

* जोड़ों में दर्द या शारीरिक समस्या होने पर कपूर के तेल की मालिश करने से आराम मिलता है। यह गठि‍या के रोगियों के लिए भी फायदेमंद होता है। मांसपेशि‍यों के दर्द से राहत देने में यह बेहतरीन है।
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सर्दी जुकाम और फेफड़े संबंधी रोगों में कपूर सूंघने से फायदा होता है। विक्स, बाम जैसे कई उत्पादों को बनाने में कपूर का प्रयोग किया जाता है।

सेहत /शौर्यपथ / गर्मी के दिनों में खास तौर से सत्तू खाना सेहत के लिए फायदेमंद है। यूपी व बिहार में सत्तू काफी प्रसिद्ध है जहां इसके स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाए जाते हैं। सत्तू को इतना पसंद किए जाने का कारण सिर्फ इसका स्वाद ही नहीं बल्कि सेहत से जुड़े यह अनमोल फायदे भी हैं। जानिए सत्तू के यह बेमिसाल फायदे -
1 गर्मी के दिनों में सत्तू का सेवन करना आपको गर्मी के दुष्प्रभाव एवं लू की चपेट से बचाता है। सत्तू का प्रयोग करने से लू लगने का खतरा कम होता है क्योंकि यह शरीर में ठंडक पैदा करता है।
2 अगर आपको बार-बार भूख लगती है या फिर आप लंबे समय तक भूखे नहीं रह सकते, तो सत्तू आपके लिए लाभदायक है। इसे खाने या फिर इसका शर्बत पीने के बाद लंबे समय तक आपको भूख का एहसास नहीं होगा।
3 सत्तू प्रोटीन का बढ़िया स्त्रोत है और य‍ह पेट की गड़बड़ियों को भी ठीक करता है। इसे खाने से लिवर मजबूत होता है और एसिडिटी की समस्या दूर होती है और आसानी से पचने के कारण कब्जियत भी नहीं होती।
4 जौ और चने से बनाया गया सत्तू डाइबिटीज में फायदेमंद है। अगर आप डाइबिटीज के मरीज हैं तो रोजाना इस सत्तू का प्रयोग आपके लिए फायदेमंद है। इसे पानी में घोलकर शर्बत के रूप में या फिर नमकीन बनाकर भी लिया जा सकता है।
5 शरीर में ऊर्जा की कमी होने पर सत्तू तुरंत ऊर्जा देने का कार्य करता है। यह कमजोरी को दूर कर आपको ऊर्जावान बनाए रखने में कारगर है। इसमें कई तरी के पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं जो पोषण देते हैं।
6.यह शरीर के जलन को शांत करता है। इसे पानी में घोलकर पीने से शरीर में पानी की कमी दूर होती है। साथ ही बहुत ज्यादा प्यास नहीं लगती।
7,सत्तू का सेवन गले के रोग, उल्टी, आंखों के रोग कई अन्य रोगों में फायदेमंद होता है।
8.इसमें मौजूद प्रोटीन मांशपेसियों को मजबूती प्रदान करता है।
9. मोटापे से परेशान लोगों के लिए सत्तू एक रामबाण उपाय है। जौ से बना सत्तू प्रतिदिन खाने से पाचन तंत्र भी सुचारु रूप से कार्य करता है और मोटापा कम होकर आप छरहरी काया पा सकते हैं।
10. ब्लडप्रेशर के मरीजों के लिए सत्तू का सेवन काफी लाभदायक होता है। इसके लिए सत्तू में नींबू, नमक, जीरा और पानी मिलाकर सेवन करना चाहिए।

शौर्यपथ /आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।।
अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।
दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।
लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे।
पैठी पताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े।
बाएं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे।
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।
लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।
जो हनुमानजी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।

धर्म संसार /शौर्यपथ / हनुमानजी को जब लंका जाना था तब जामवंतजी ने उन्हें उनकी शक्तियों से परिचित कराया और वे फिर वायु मार्ग से लंका के लिए निकले। लंका के मार्ग और लंका में उन्होंने कई पराक्रम भरे कार्य किए। आओ जानते हैं उन्हीं में से 9 प्रमुख कार्य।
1. समुद्र लांघना और सुरसा से सामना - हनुमानजी ही जानते थे कि समुद्र को पार करते वक्त बाधाएं आएगी। सबसे पहले समुद्र पार करते समय रास्ते में उनका सामना सुरसा नाम की नागमाता से हुआ जिसने राक्षसी का रूप धारण कर रखा था। सुरसा ने हनुमानजी को रोका और उन्हें खा जाने को कहा। समझाने पर जब वह नहीं मानी, तब हनुमान ने कहा कि अच्छा ठीक है मुझे खा लो। जैसे ही सुरसा उन्हें निगलने के लिए मुंह फैलाने लगी हनुमानजी भी अपने शरीर को बढ़ाने लगे। जैसे-जैसे सुरसा अपना मुंह बढ़ाती जाती, वैसे-वैसे हनुमानजी भी शरीर बढ़ाते जाते। बाद में हनुमान ने अचानक ही अपना शरीर बहुत छोटा कर लिया और सुरसा के मुंह में प्रवेश करके तुरंत ही बाहर निकल आए। हनुमानजी की बुद्धिमानी से सुरसा ने प्रसन्न होकर उनको आशीर्वाद दिया तथा उनकी सफलता की कामना की।
2. राक्षसी माया का वध - समुद्र में एक राक्षसी रहती थी। वह माया करके आकाश में उड़ते हुए पक्षियों को पकड़ लेती थी। आकाश में जो जीव-जंतु उड़ा करते थे, वह जल में उनकी परछाईं देखकर अपनी माया से उनको निगल जाती थी। हनुमानजी ने उसका छल जानकर उसका वध कर दिया।
3. विभीषण से मुलाकात - जब हनुमानजी सीता माता को ढूंढते-ढूंढते विभीषण के महल में चले जाते हैं। विभीषण के महल पर वे राम का चिह्न अंकित देखकर प्रसन्न हो जाते हैं। वहां उनकी मुलाकात विभीषण से होती है। विभीषण उनसे उनका परिचय पूछते हैं और वे खुद को रघुनाथ का भक्त बताते हैं। हनुमानजी जान जाते हैं कि यह काम का व्यक्ति है। वे विभीषण को श्रीराम से मिलाने का वचन दे देते हैं।
4. सीता माता का शोक निवारण - लंका में घुसते ही उनका सामना लंकिनी और अन्य राक्षसों से हुआ जिनका वध करके वे आगे बढ़े। खोज करते हुए वे अशोक वाटिका पहुंच गए। हनुमानजी ने अशोक वाटिका में सीता माता से मुलाकात की और उन्हें राम की अंगूठी देकर उनके शोक का निवारण किया।
5. अशोक वाटिका को उजाड़ना - सीता माता से आज्ञा पाकर हनुमानजी बाग में घुस गए और फल खाने लगे। उन्होंने अशोक वाटिका के बहुत से फल खाए और वृक्षों को तोड़ने लगे। वहां बहुत से राक्षस रखवाले थे। उनमें से कुछ को मार डाला और कुछ ने अपनी जान बचाकर रावण के समक्ष उपस्थित होकर उत्पाती वानर की खबर दी।
6. अक्षय कुमार का वध - फिर रावण ने अपने पुत्र अक्षय कुमार को भेजा। वह असंख्य श्रेष्ठ योद्धाओं को साथ लेकर हनुमानजी को मारने चला। उसे आते देखकर हनुमानजी ने एक वृक्ष हाथ में लेकर ललकारा और उन्होंने अक्षय कुमार सहित सभी को मारकर बड़े जोर से गर्जना की।
7. मेघनाद से युद्ध - पुत्र अक्षय का वध हो गया, यह सुनकर रावण क्रोधित हो उठा और उसने अपने बलवान पुत्र मेघनाद को भेजा। उससे कहा कि उस दुष्ट को मारना नहीं, उसे बांध लाना। उस बंदर को देखा जाए कि कहां का है। हनुमानजी ने देखा कि अबकी बार भयानक योद्धा आया है। मेघनाद तुरंत ही समझ गया कि यह कोई मामूली वानर नहीं है। युद्ध में हनुमानजी मूर्छित हो गए हैं, मेघनाद उनको नागपाश से बांधकर ले गया। रावण क्रोधित होकर कहता है- तूने किस अपराध से राक्षसों को मारा? क्या तुझे मेरी शक्ति और महिमा के बारे में पता नहीं है? तब हनुमानजी राम की महिमा का वर्णन करते हैं और उसे अपनी गलती मानकर राम की शरण में जाने की शिक्षा देते हैं।
8. लंकादहन - राम की महिमा सुनकर रावण क्रोधित होकर कहता है कि जिस पूंछ के बल पर यह बैठा है, उसकी इस पूंछ में आग लगा दी जाए। जब बिना पूंछ का यह बंदर अपने प्रभु के पास जाएगा तो प्रभु भी यहां आने की हिम्मत नहीं करेगा। उन्होंने अपना विशालकाय रूप धारण किया और जोर से हंसते हुए रावण के महल को जलाने लगे। देखते ही देखते लंका जलने लगी और लंकावासी भयभीत हो गए।एक विभीषण का घर नहीं जलाया। सारी लंका जलाने के बाद वे समुद्र में कूद पड़े और लौट आए।
9. राम को सीता की खबर देना - पूंछ बुझाकर फिर छोटा-सा रूप धारण कर हनुमानजी माता सीता के सामने हाथ जोड़कर जा खड़े हुए और उन्होंने उनकी चूड़ामणि निशानी ली और समुद्र लांघकर वे इस पार आए। हनुमानजी ने राम के समक्ष उपस्थित होकर कहा- नाथ! चलते समय उन्होंने मुझे चूड़ामणि उतारकर दी। श्रीरघुनाथजी ने उसे लेकर हनुमानजी को हृदय से लगा लिया

आस्था /शौर्यपथ / भगवान हनुमान को महादेव का 11वां अवतार भी माना जाता है। हनुमान जी की पूजा करने और व्रत रखने से हनुमान जी का आशीष प्राप्त होता है और जीवन में किसी प्रकार का संकट नहीं आता है, इसलिए हनुमान जी को संकटमोचक भी कहा गया है।
संपूर्ण भारत में हनुमान जयंती बहुत ही भक्तिभाव के साथ मनाई जाती है।
27 अप्रैल को मनाई जाएगी हनुमान जयंती
साल 2021 में वर्ष हनुमान जयंती 27 अप्रैल 2021 को मनाई जाएगी। हनुमान जयंती हर वर्ष चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है और देश में कुछ स्थानों पर हनुमान जयंती कार्तिक मास में भी मनाई जाती है।
ज्योतिष विज्ञान के मुताबिक जिन लोगों की कुंडली में शनि अशुभ स्थिति में हैं या फिर शनि की साढ़ेसाती चल रही है, उन लोगों को हनुमान जी की पूजा विधि पूर्वक करना चाहिए। हनुमान जी को मंगलकारी कहा गया है, इसलिए इनकी पूजा जीवन में मंगल लेकर आती हैं।
इस बार हनुमान जयंती का त्योहार 27 अप्रैल मंगलवार को मनाया जा रहा है। मंगलवार का दिन हनुमान जी का ही दिन होता है और ऊपर से हनुमान जयंती का त्योहार यानी भक्तों के पास बजरंगबली को खुश करने का दोहरा मौका है। इसके अलावा इस दिन रात में 8 बजे तक सिद्धि योग रहने वाला है और बेहद शुभ स्वाति नक्षत्र भी। किसी भी तरह की सिद्धि प्राप्त करने और ईश्वर का नाम जपने के लिए सिद्धि योग बेहद उत्तम माना जाता है।
जानिए पूजा के शुभ मुहूर्त
26 अप्रैल 2021: दोपहर 12।44 मिनट पर पूर्णिमा तिथि आरंभ
27 अप्रैल 2021: रात्रि 9।01 मिनट पर पूर्णिमा तिथि का समापन
हनुमान जयंती पूजा शुभ मुहूर्त-
ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: 04:06 से 04:50 तक।
अभिजीत मुहूर्त- 11:40 से 12:33 तक।
अमृत काल- 12:26 से 01:50 तक।
विजय मुहूर्त- 02:17 से 03:09 तक।
गोधूलि मुहूर्त- 06:26 से 06:49 तक।
त्रिपुष्कर योग- 05:14
से 05:33 तक।
निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:44 से 12:28 तक।
हनुमान जी का जन्म सूर्योदय के समय हुआ था, इसलिए हनुमान जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त में पूजा करना अच्छा माना गया है
- हनुमान जी की प्रिय चीजों का भोग लगाना चाहिए
- हनुमान जयंती पर हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और हनुमान आरती का पाठ करना शुभ माना जाता है।

सेहत /शौर्यपथ / हेल्दी डाइट, वर्कआउट और समय पर सोना कुछ ऐसी चीजें हैं जो आपकी इम्युनिटी को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। दिनचर्या के अलावा कुछ ऐसी चीजें भी हैं, जो आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाकर आपको बीमारियों से बचाती है. आज हम आपको ऐसा कारगर उपाय बता रहे हैं, जिससे आप फ्लू को 4-5 दिनों में आसानी से ठीक कर सकते हैं, वहीं इससे आपकी इम्युनिटी भी मजबूत होगी।
गुणों से भरी अजवाइन
अजवाइन में बहुत से पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो शरीर को हेल्दी और फिट रखने में मदद करता है। अजवाइन में एंटी-इंफ्लेमेट्री, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण होता है, जो सर्दी-जुकाम के लिए फायदेमंद है।
सामग्री-
1/2 चम्मच अजवाइन के बीज
5 तुलसी के पत्ते
1/2 चम्मच काली मिर्च पाउडर
1 बड़ा चम्मच शहद
ऐसे बनाएं-
एक गहरा पैन लें और उसमें 1 गिलास पानी, अजवाइन, काली मिर्च और तुलसी के पत्ते डालें। पानी को 5 मिनट तक उबलने दें। गैस को बंद करें। इसमें शहद मिलाने से पहले मिश्रण को थोड़ी देर के लिए ठंडा होने दें। काढ़ा को अच्छी तरह से मिलाएं और इसे पी लें।
इसके फायदे-
अजवाइन गुणों से भरी हुई है। इसमें जब काली मिर्च, तुलसी, शहद डालकर काढ़ा बनाया जाता है, तो इसके गुण और भी बढ़ जाते हैं। फ्लू से छुटकारा दिलाने के साथ अजवाइन का काढ़ा इन परेशानियों से भी मुक्ति दिलाता है।
-पेट की बीमारियों से छुटकारा।
-सर्दी-जुकाम और खांसी में राहत।
-मसूड़ों की सूजन।
-पीरियड्स के दर्द से छुटकारा।
-मुंहासों से छुटकारा।


इन बातों का रखें ध्यान-
एक दिन में बहुत ज्यादा अजवाइन सेहत के लिए हानिकारक हो सकती है, इसलिए इस काढ़े को दिन में सिर्फ एक ही बार पिएं. वहीं, स्तनपान कराने वाली मां और गर्भवती को इस काढ़े का सेवन नहीं करना चाहिए।

सेहत /शौर्यपथ / कोरोना वायरस महामारी ने सभी का रूटीन बदल दिया है। आज हर व्यक्ति बीमारी से बचाव के लिए पहले से ज्यादा सावधानी बरत रहा है। सुरक्षा की बात करें, तो खान-पान के साथ खाना बनाते समय भी कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। आइए, जानते हैं खाना बनाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए-
.-ऐसे में सिर्फ घर में रहना ही काफी नहीं है बल्कि घर की साफ-साफाई भी जरूरी है जिससे आप कोरोना के खतरे से बचे रहें।
-किचन में खाना बनाने से पहले इसकी सतह को साफ कर लें।
-खाना बनाने से पहले इस्तेमाल करने वाले हर बर्तन को एक बार धो लें।
-खाना बनाते समय बीच-बीच में हाथ धोते रहें।
-कच्ची सब्जियों का सेवन करने से बचें।
-चॉपिंग बोर्ड भी अच्छे से साफ करें।
-नॉन वेज बना रहे हैं, तो इसे अच्छी तरह से धोकर उबालकर फिर पकाएं।
-फ्रिज का रखा हुआ खाना न खाएं।
-पूरी तरह से पका हुआ खाना ही खाएं।
-सब्जियों को अच्छी तरह से गर्म पानी में धोकर तब इस्तेमाल करें।
-बर्तनों को अच्छी तरह से धोएं।
-किचन का कूड़ा डस्टबिन में ही डालें।
-खाना बनाने के बाद किचन की सतह को अच्छी तरह से साफ कर दें।

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