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खाना खजाना /शौर्यपथ /तेज धूप और गर्मी के असर को तुरंत कम करने के लिए लोग अक्सर कोल्डड्रिंक का सहारा लेते हैं। लेकिन कोल्डड्रिंक का अधिक सेवन सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में आइए जानते हैं गर्मियों में सेहत के लिए वरदान माने जाने वाले तरबूज का शेक कैसे बनाया जाता है।
तरबूज शेक बनाने के लिए सामग्री-
-1 कप तरबूज़ के पीस (बिना बीज वाले)
-1/4 कप कंडेंस मिल्क या 2 कप दूध
-1.5 कप पानी (सिर्फ कंडेंस मिल्क यूज करने पर)
-1/2 वनीला एक्सट्रैक्ट (ऑप्शनल)
-आइसक्रीम
- कुछ आइसक्यूब्स के टुकड़े
-स्वादानुसार शक्कर (अगर दूध यूज कर रहे हैं तो)
तरबूज शेक बनाने का तरीका-
तरबूज शेक बनाने के लिए सबसे पहले आप तरबूज के बीज निकालकर उन्हें एक ब्लेंडर में आइसक्रीम छोड़कर सारी सामग्री के साथ मिलाएं। इसे अपनी पसंद की कंसिस्टेंसी आने तक ब्लेंड करें। अब इसे ग्लास में सर्व करें और ऊपर से आइसक्रीम के क्यूब्स डालें। आपका वॉटरमेलन शेक सर्व करने के लिए तैयार है।
आस्था /शौर्यपथ / शास्त्रों के अनुसार सप्ताह का हर दिन विशेष होता है। हर दिन के देवता भी निश्चित है। लेकिन इनमें भी गुरुवार का विशेष महत्व है। घर के बड़े बुजुर्ग कुछ काम गुरुवार के दिन नहीं करने की सलाह देते हैं। जानिए 5 ऐसे कौन से काम है जो गुरुवार को कतई नहीं करने चाहिए :-
शेविंग करना : किसी भी जन्मकुंडली में दूसरा और ग्यारहवां भाव धन के स्थान होते हैं। गुरु ग्रह इन दोनों ही स्थानों का कारक ग्रह होता है। गुरुवार को गुरु ग्रह को कमजोर किए जाने वाले काम करने से धन की वृद्धि रुक जाती है। धन लाभ की जो भी स्थितियां बन रही हों। उन सभी में रुकावट आने लगती है। गुरुवार के दिन शेविंग करना भी इसीलिए निषेध है। शरीर के बालों को साफ करना गुरुवार के दिन उचित नहीं माना जाता है।
पोंछा लगाना : बृहस्पति का प्रभाव शरीर पर रहता है। उसी प्रकार से घर पर भी बृहस्पति का प्रभाव उतना ही गहरा होता है। वास्तु अनुसार घर में ईशान कोण का स्वामी गुरु होता है। ईशान कोण धर्म और शिक्षा की दिशा है। पोछा लगाने से घर का ईशान कोण कमजोर होता है। ईशान कोण का संबंध परिवार के नन्हे सदस्यों यानी बच्चों से होता है। साथ ही घर के पुत्र संतान का संबंध भी इसी कोण से होता है। घर के बच्चों, पुत्रों, घर के सदस्यों की शिक्षा, धर्म आदि पर शुभ प्रभाव में कमी आती है। अत: गुरुवार के दिन उपरोक्त कार्य करने से बचना चाहिए।
3. बाल धोना : गुरुवार को महिलाओं को बाल धोने से इसलिए मनाही की गई है। महिलाओं की जन्म कुंडली में बृहस्पति पति का कारक होता है। साथ ही बृहस्पति ही संतान का कारक होता है। इस प्रकार अकेला बृहस्पति ग्रह संतान और पति दोनों के जीवन को प्रभावित करता है। बृहस्पतिवार को सिर धोने से बृहस्पति कमजोर होता है जिससे बृहस्पति के शुभ प्रभाव में कमी होती है।
4. बाल कटाना : बाल ना धोने वाला तर्क ही यहां भी लागू होता है। इस दिन बाल भी नहीं कटवाना चाहिए। बाल कटवाने का गलत असर संतान और पति के जीवन पर पड़ता है। उनकी उन्नति बाधित होती है।
5. नाखून काटना : नाखून गुरुवार को काटना धन हानि का संकेत हैं। इससे घर के मुखिया की तरक्की कम होती है या बाधित होती है। घर में पीड़ा आती है।
यह मतांतर से अंधविश्वास भी हो सकता है लेकिन पीढ़ी दर पीढ़ी यह बातें हस्तांतरित हो रही है। यहां सिर्फ मान्यता दी गई है उसे मानना न मानना आपके विवेक पर निर्भर करता है।
आस्था /शौर्यपथ / सतीश कई दिनों से परेशान था। उस पर लाखों का कर्ज हो रहा था। बेटी बड़ी हो रही थी, लड़के का करियर सेट नहीं हो पा रहा था। आए दिन घर में क्लेश और तनाव था। उसने कई ज्योतिष विद्वानों की शरण ली लेकिन कोई उसे सही राह नहीं दिखा पाया। तब उसे एक विद्वान मिले जिन्होंने समझाया कि तुम अगर विज्ञान की कक्षा में जाकर इतिहास समझने की कोशिश करोगे तो असफल हो जाओगे। हर संकट के लिए सबसे पहले अपने राशि मंत्र से पूजन आरंभ करना चाहिए।
हर भगवान के राशि मंत्र पुराणों में वर्णित हैं। 12 राशियों के जातक के लिए अलग-अलग मंत्र बताए गए हैं। नवग्रहों की प्रतिकूलता दूर करने और अनुकूलता लाने के लिए भी मंत्र बताए गए हैं। सतीश ने अपनी राशि अनुसार घर के हर सदस्यों के साथ पूजन का निश्चय किया। आज वह कर्ज मुक्त है। बेटी का विवाह हो गया है और बेटा पुणे में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। सतीश के अनुसार, अब मुझे मिला है मेरा राशि मंत्र...अब मैं हर देवताओं के पहले राशि मंत्र पढ़ता हूं। यह एक उदाहरण है कि अगर सही दिशा में प्रयास किए जाए तो सफलता अवश्य मिलती है।
आइए जानते हैं अपनी राशि के उस विष्णु मंत्र को, जिसे पढ़कर लक्ष्मी पति नारायण प्रसन्न होते हैं।
मेष- ॐ ह्रीं श्रीं श्रीलक्ष्मीनारायणाय नम:।
वृष- ॐ गोपालाय उत्तरध्वजाय नम:।
मिथुन- ॐ क्लीं कृष्णान नम:।
कर्क- ॐ ह्रीं हिरण्यगर्भाय अव्यक्तरूपिणे नम:।
सिंह- ॐ क्लीं ब्राह्मणे जगदाधाराय नम:।
कन्या- ॐ पीं पिताम्बराय नम:।
तुला- ॐ तत्वनिरंजनाय तारक रामाय नम:।
वृश्चिक- ॐ नारायणाय सूरसिंहाय नम:।
धनु- ॐ श्रीं देवकृष्णाय उर्ध्वजाय नम:।
मकर- ॐ श्रीं वत्सलाय नम:।
कुंभ- ॐ श्रीं उपेन्द्राय अच्युताय नम:।
मीन- ॐ क्लीं उद्धृताय उद्धारिणे नम:।
सेहत /शौर्यपथ / कोरोना वायरस से बचाव के लिए कुछ लोग रोजाना गर्म पानी भी पी रहे हैं। गर्मियों में गर्म पानी पीना काफी देर तक आपकी प्यास नहीं बुझा सकता लेकिन फिर भी माना जा रहा है कि आपके गले को साफ रखने के लिए यह कारगर है। सुबह एक गिलास गुनगुना पानी आपकी सेहत के लिए अच्छा है लेकिन बार-बार गर्म पानी पीने के कई नुकसान भी हैं।
किडनी पर पड़ता है असर
हमारी किडनियों में खास कैपिलरी सिस्टम होता है, जो अतिरिक्त पानी और टॉक्सिन्स को शरीर के बाहर निकलने में मदद करता है। रिसर्च बताती है कि गर्म पानी से आपकी किडनियों पर सामान्य की अपेक्षा ज्यादा जोर पड़ता है, इसके कारण किडनी को सामान्य से फंक्शन करने में समस्या आती है।
अनिद्रा की समस्या
रात में सोते समय गर्म पानी पीने से आपको नींद की समस्या हो सकती है। रात में गर्म पानी पीने से आपको पेशाब भी अधिक आता है और आपकी रक्त वाहिनी कोशिकाओं पर भी दबाव बढ़ जाता है। सोते समय गर्म पानी का सेवन न करें।
शरीर के आंतरिक अंगों को नुकसान
गर्म पानी का तापमान शरीर के अंदरूनी अंगों को प्रभावित करता है। वहीं लगातार गर्म पानी पीने से शरीर के अंदर के अंगों का जलने का खतरा होता है। शरीर के अंदरूनी अंगों के टिशूज बेहद संवेदनशील होते हैं। ऐसे में अगर आप बहुत जल्दी-जल्दी गर्म पानी पीते हैं, तो इससे आपके अंदरूनी अंगों में छाले पड़ सकते हैं।
ब्लड की मात्रा पर प्रभाव
ज्यादा गर्म पानी पीना ब्लड की मात्रा के लिए भी खतरनाक हो सकता है। आवश्यक मात्रा से अधिक गर्म पानी का सेवन करने से आपके रक्त की कुल मात्रा बढ़ जाती है। ब्लड का संचलन एक बंद प्रणाली है और यदि यह अनावश्यक दबाव प्राप्त करता है, तो हाई ब्लड प्रेशर और कई अन्य कार्डियो समस्याएं हो सकती है।
नसों में सूजन
कई लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें बिना प्यास के गर्म पानी पीने से दिमाग की नसों में सूजन आ सकती है। इसलिए जब प्यास लगे तब ही गर्म पानी पिएं। बार-बार गर्म पानी पीने से सिर दर्द भी बढ़ता है।
सेहत /शौर्यपथ / लॉकडाउन में रूटीन ठीक न होने की वजह से कई छोटी-छोटी परेशानियां होने लगती हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह है अनहेल्दी फूड्स का ज्यादा सेवन करना। ऐसे में ज्यादा तली-भुनी चीजें खाने के बाद बॉडी को डिटॉक्स करना बहुत जरूरी है, जिससे कि शरीर के अपशिष्ट पदार्थ को बाहर निकाला जा सके। हम आपको ऐसे नेचुरल डिटॉक्सर बता रहे हैं, जिन्हें आपको अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए-
क्या है डिटॉक्सीफिकेशन
अपने शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने की प्रक्रिया को डिटॉक्सीफिकेशन कहते हैं। यह आपको बीमारियों से बचाने के साथ शरीर के हीलिंग सिस्टम को यह प्रक्रिया मजबूत बनाती है।
खीरे-टमाटर का शर्बत
गर्मियों के मौसम में खीरा और टमाटर तो लगभग हर घर में होता है। आप खीरे और टमाटर को बारीक काटकर दही में मिलाकर नमक और बर्फ के साथ पी सकते हैं। खीरे में विटामिन ए, सी, और के होने के अलावा पोटेशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है। वहीं, टमाटर में विटामिन ए, सी और एंटीऑक्सीडेंट होता है।
छाछ
भारतीय घरों में गर्मी के दौरान छाछ पी जाती है। छाछ दूध से बनी होती है और इसमें कैल्शियम, राइबोफ्लेविन, प्रोटीन जैसे स्वास्थ्यवर्धक पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में होते हैं। छाछ पीने से डिहाइड्रेशन और कब्ज की समस्या नहीं होती इसलिए गर्मियों में शरीर को स्वस्थ रखने के लिए छाछ पीना फायदेमंद होता है।
नारियल पानी
शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए साधारण पानी की जगह नारियल पानी एक बेहतर विकल्प होता है। यह विटामिन ई से भरपूर है। खुद को हाइड्रेट और स्वस्थ रखने के लिए आप रोजाना नारियल पानी पिएं।
नींबू पानी
नींबू पानी में विटामिन सी होता है जो कि बीमारियों से बचाने के लिए एंटीऑक्सीडेंट होता है साथ ही यह शरीर को हाइड्रेट भी रखता है। इसलिए गर्मियों में नींबू पानी पीना सेहत के लिए फायदेमंद होता है।
मिंट ड्रिक
आप पुदीने की पत्तियों को पीसकर उसे मिर्च और नमक के साथ ठंडे पानी में पी सकते हैं। पुदीने में एंटीऑक्सीडेंट है, इसके अलावा इसमें विटामिन सी, आयरन और विटामिन 'ए' भरपूर मात्रा में होता है।
खाना खजाना /शौर्यपथ / मिस्सी रोटी खाने में काफी स्वाष्टिक होती है। मिस्सी रोटी लन्च या डिनर में कभी भी बनाई जा सकती है। इसे बनाना काफी आसान है। तो आइए, जानते है कैसे बनाते है मिस्सी रोटी-
सामग्री-
गेहूं का आटा - 1 कप
बेसन - 1 कप
अजवायन - 1/4 छोटी चम्मच
हींग - 1-2 पिंच
हल्दी - 1/4 छोटी चम्मच
कसूरी मेथी - 1 टेबल स्पून
तेल - 2 छोटी चम्मच
नमक - स्वादानुसार
विधि- आटे और बेसन को किसी बर्तन में निकाल लीजिए। अब इसमें नमक, अजवायन, हींग, हल्दी, कसूरी मेथी और तेल डालकर मिला लीजिए। पानी की सहायता से नरम आटा गूंथे। इसे ढककर 15-20 मिनट के लिए रख दीजिए। अब हाथ पर थोड़ा तेल लगाकर आटे को मल कर चिकना कीजिए।
आटे की लोई बना लें। अब इसे बेलकर रोटी बना लें। बेली गई रोटी को सेंक लीजिए। सारी रोटी को इसी तरह बनाकर तैयार कर लीजिए। मिस्सी रोटी तैयार हैं, गरमा गरम मिस्सी रोटी अपनी मन पसन्द सब्जी के साथ खाएं।
ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ / अपर लिप और चीन पर अनचाहे बाल खूबसूरती में दाग की तरह नजर आते हैं। खूबसूरती को बरकरार रखने के लिए हर थोड़े-थोड़े दिन में पार्लर का रूख करना पड़ता है। लेकिन कई बार पार्लर जाकर भी परेशान हो जाते हैं। अब आप घर पर रहकर भी इन अनचाहे बालों से छुटकारा पा सकते हैं। तो आइए जानते हैं 3 बेहतरीन आसान पैक -
1. मसूर दाल और आलू रस- सबसे पहले मसूर दाल का पेस्ट तैयार कर लें। एक बड़ा चम्मच शहद, दो चम्मच नींबू रस और 1 चम्मच आलू रस को डालकर अच्छे से मिला लें। आपका पेस्ट तैयार है। अब इसे अपर लिप और चीन पर लगाकर छोड़ दीजिए। जब हल्का-हल्का सा गिला रहें। तब इसे हल्के हाथों से मसल लें। ऐसा सप्ताह में कम से कम 2 दिन करें और 2 महीने तक करते रहें। धीरे-धीरे बाल कम होने लगेंगे।
2. दूध और जिलेटिन- जिलेटिन में चीनी मिक्स होती है। जिससे अनचाहे बाल हटाने में आसानी होती है। सबसे पहले 3 चम्मच दूध, एक चम्मच जिलेटिन और एक चम्मच नींबू का रस। सभी को अच्छे से मिक्स कर लें। गैस पर 10 मिनट गरम करे लें। हल्का ठंडा कर अपर लिप और चीन पर लगा लें। सूखने के बाद हल्के हाथों से रगड़ लें। ऐसा सप्ताह में 2 बार करें।
3. दही बेसन- यह सुनकर लग रहा होगा कि इससे कैसे बाल हटेंगे। लेकिन नियमित रूप से लगाने से आपको छुटकारा मिल सकता है। जी हां, 2 चम्मच दही और डेढ़ चम्मच बेसन। इन दोनों को अच्छे से मिक्स कर लें। इसके बाद लगा लें। हल्का सा गीला रहने पर हल्के हाथों से रगड़ लें। ऐसा सप्ताह में 2-3 बार करें। धीरे-धीरे यह कम पड़ने लगेंगे।
वास्तु /शौर्यपथ / 10 जानकारी आपको भी होना चाहिए बांसुरी प्रकृ??ति का एक अनुपम वरदान है। भगवान श्री कृष्ण को बांसुरी अतिप्रिय है। वे इसे हमेशा अपने साथ रखते हैं। घर में जहां देवता बैठे हो वहां एक सुंदर सी बांसुरी लाकर रखना चाहिए।
आइए जानें बांसुरी के बारे में
1. बांसुरी को बहुत ही पवित्र और पूजनीय माना जाता है।
2. बांसुरी की अभिव्यक्त शक्ति अत्यंत विविधतापूर्ण है, उससे मधुर संगीत बजाया जाता है।
3. बांसुरी प्राकृतिक आवाजों की नकल करने में निपुण है, उससे कई तरह के पक्षियों के आवाज की हू-ब-हू नकल की जा सकती है।
4. बांसुरी घर के वातावरण में मौजूद समस्त नकारात्मक शक्तियों को समाप्त करके सकारात्मक ऊर्जा सक्रिय करने का कार्य करती है।
5.बांसुरी बांस से बनी होती है तथा इसके पौधे को दिव्य माना जाता है। अत: घर में बांसुरी का प्रयोग करके कई तरह से लाभ उठाया जा सकता है।
6. ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति अपनी नौकरी से परेशान रहता हैं, वह अपने घर में बांसुरी रखें , बांसुरी उसकी सारी मुश्किलें आसान कर सकती है।
7. अगर कोई काफी मेहनत के बाद भी अपने बिजनेस में सफलता हासिल नहीं कर पा रहा है तो उसे बांस की बनी बांसुरी अपने दुकान में रखनी चाहिए इससे व्यापार में उन्नति होती है।
8. नए व्यवसाय का आरंभ और ईश्वर का पूजन करते समय अपने दुकान की छत पर दो बांसुरी चिपकानी चाहिए या टांग देनी चाहिए। यह बांसुरी अच्छी सफलता दिलाने में मददगार साबित होता है।
9. बांसुरी से निकलने वाला स्वर प्रेम की बरखा करता है। जिस घर में बांसुरी रखी होती है वहां प्रेम और धन की कोई कमी नहीं रहती है।
10. बांसुरी के संबंध में एक धार्मिक मान्यता है कि जब बांसुरी को हाथ में लेकर हिलाया जाता है तो बुरी आत्माएं दूर हो जाती हैं और जब इसे बजाया जाता है तो घरों में शुभ चुंबकीय प्रवाह का प्रवेश होता है।
आस्था /शौर्यपथ / यूं तो चांदी एक शुभ धातु है और इस धातु से बनी वस्तुएं शुभ फल ही देती है। उसी तरह मोर,मयूर भी देवताओं को प्रिय है। मां सरस्वती,भगवान श्रीकृष्ण, कार्तिकेय और श्री गणेश जी की तस्वीर में यह शुभ पंछी देखा जा सकता है। आज हम आपको बताएंगे कि घर में चांदी का मोर लाकर रखने से क्या लाभ मिलते हैं।
1. नाचता हुआ चांदी का मोर घर में चल रहे धन संकट को दूर करता है।
2. चांदी के मोर का जोडा वैवाहिक जीवन में प्रेम और शांति लेकर आता है।
3.चांदी की सिंदूर डिबिया में चांदी का ही मोर बना हो तो यह अखंड सौभाग्य का प्रतीक होता है।
4.घर की बैठक में चांदी का मोर सफलता का संदेश लाता है।
5.पूजा घर में शांत बैठा हुआ चांदी का मोर रखने से पूजा का पुण्य फल दोगुना हो जाता है।
6. अविवाहित लोगों के कमरे में चांदी का मोर रखने से उनके मन में प्रेम और विवाह के प्रति रुझान बढ़ जाता है।
7. भाग्य/किस्मत/लक में वृद्धि और चमक चाहते हैं तो किसी भी पूर्णिमा के दिन चांदी का मोर लेकर आएं और उसे तिजोरी में रखें।
आस्था /शौर्यपथ / अक्सर उल्लू की आवाज को मनहूसीयत से जोड़कर देखा जाता है लेकिन हर बार ऐसा नहीं होता। देखना होगा कि आखिर उल्लू की आवाज किस बात का संकेत देती है। हालांकि यह धारणा जनश्रुति पर आधारित ही। ऐसी किसी बात में विज्ञान खोजना मुश्किल होता है। यह परंपरा और मान्यता पर आधारित बातें होती है। इसे अंधविश्वास भी माना जाता है।
1. जनश्रुति अनुसार उल्लू का रोना किसी गंभीर संकट की सूचना देता है।
2. मान्यता अनुसार यदि उल्लू की आवाज रात्रि के प्रथम प्रहर, द्वितिय और चतुर्थ प्रहर में सुनाई दे तो इच्छा के पूर्ण होने के संकेते हैं। इससे अर्थ लाभ, व्यापार में लाभ और राजदरबार आदि में लाभ मिलेगा।
3. मान्यता अनुसार एक ही दिशा में उल्लू का बार-बार आवाज देना, उसका दिखना, ज्यादा कल्याणकारी नहीं है। यह संकट की सूचना है या इसे आपकी सेहत खराब होने की सूचना भी माना जा सकता है।
4. मान्यता अनुसार अगर उल्लू बार बार उच्च स्वार में बोले तो आर्थिक हानि का संकेत है।
5. मान्यता अनुसार अगर रात में आप यात्रा के लिए निकल रहे हैं और उल्लू प्रसन्नता पूर्वक मध्यम स्वर में बोले तो यह शुभ संकेत है।
6. कहते हैं कि उल्लू का दाहिनी तरफ देखना या बोलना हमेशा अशुभ होता है, लेकिन उल्लू का बांई ओर देखना शुभ रहता है।
7. अगर उल्लू किसी घर की छत पर आकर बैठकर आवाज करता है, तो इसे किसी की मृत्यु की सूचना माना जाता है।
8. यदि सुबह के समय पूर्व की दिशा की ओर उल्लू दिखाई दे या फिर उसकी आवाज सुनाई दे तो अचानक धन की प्राप्ति होने की संभावना रहती है।
9. यह भी कहा जाता है कि यदि उल्लू किसी रोगी को छूते हुए निकल जाए या उसके उपर से उड़ता हुआ निकल जाए तो गंभीर रोग ठीक होने के संभावना बढू जाती है।
10. यदि किसी को दरवाजे के पास उल्लू 3 दिन तक रोता है तो उसे चोरी, डकैती या अन्य किसी रूप में आर्थिक क्षति होने की संभावना बढ़ जाती है।
11. यदि उल्लू किसी के घर पर या घर के सामने लगातार बैठने लगे तो समझ जाएं कि विपत्ति आने वाली है।
12. सफेद उल्लू का दिखाई देना बहुत ही शुभ माना जाता है।
नोट : उपरोक्त बातों में कितनी सचाई है यह हम नहीं जानते हैं। शगुन शास्त्र में इस तरह की बातें मिलती है।
शिक्षा /शौर्यपथ / हर व्यक्ति जीवन में सफल होना चाहता है। सफलता हासिल करने के लिए जीवन में कुछ बातों का ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। किसी को भी रातो- रात सफलता हासिल नहीं होती है। जीवन को सफल बनाने के लिए कड़ी मेहनत के साथ ही धैर्य की आवश्यकता भी होती है। आइए आज जानते हैं जीवन में सफल होने के लिए किन 4 बातों का ध्यान रखना चाहिए...
विपरीत परिस्थितियों को खुद पर हावी न होने दें
जीवन में कई बार परिस्थितियां हमारे विपरीत हो जाती हैं। विपरीत परिस्थितियों को कभी भी खुद पर हावी न होने दें। विपरीत परिस्थितियों का हिम्मत के साथ सामना करें। विपरीत परिस्थितियां ही व्यक्ति को मजबूत बनाती हैं। कठिन समय में भी अपने लक्ष्य को नहीं छोड़ना चाहिए। विपत्तियों को अवसर में बदलें।
असंभव
इस बात को गांठ बांध लें कि इस दुनिया में असंभव कुछ भी नहीं होता है। जो आप सोच सकते हैं वो आप कर सकते हैं। किसी कार्य में असफल होने के बाद ये ना सोचें कि मैं ये नहीं कर सकता हूं। उस कार्य को फिर से अधिक मेहनत के साथ करने का प्रयास करें। आपको सफलता जरूरी मिलेगी। जीवन में कभी भी हार नहीं माननी चाहिए।
आत्मविश्वास
जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए आत्मविश्वास का होना बहुत जरूरी है। किसी भी कार्य को करें, उसे पूरे आत्मविश्वास के साथ करें। आत्मविश्वास से ही विचारों की स्वाधिनता प्राप्त होती है। आत्मविश्वास की वजह से ही कठीन से कठीन कार्य भी सरल हो जाते हैं और हमें सफलता मिल जाती है।
अपनी गलतियों को स्वीकार करें
इस बात को गांठ बांध के लें कि आपने हमेशा अपनी गलतियों को स्वीकार कर लेना है। गलतियों को स्वीकार न करने वाला एक और गलती कर बैठता है। गलतियों से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। आप अपनी गलतियों से तब ही सीखेंगे जब आप उन्हें स्वीकार करेंगे।
समय की बर्बादी न करें
समय बहुत मूल्यवान होता है। सफल व्यक्ति समय का सदुपयोग करना जानता है। अगर आप जीवन में सफल होना चाहते हैं तो समय का सदुपयोग करें।
आस्था /शौर्यपथ / सनातन धर्म में मां लक्ष्मी के विभिन्न स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। भक्त माता लक्ष्मी को वैभव लक्ष्मी, गज लक्ष्मी और संतान लक्ष्मी आदि स्वरूप में पूजते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मनोकामनाओं के आधार पर मां लक्ष्मी के स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है। किसी काम में लंबे समय से असफलता मिल रही है या फिर धन हानि हो रही है। छात्रों को सफलता नहीं मिल रही है। कहा जाता है कि शुक्रवार के दिन वैभव लक्ष्मी व्रत करने से कार्यों में सफलता हासिल होती है। इसके साथ ही मां लक्ष्मी की कृपा से मनोकामना भी पूरी हो जाती है। जानिए वैभव लक्ष्मी व्रत के नियम व विधि- पूजा में इन चीजों को करें शामिल-
वैभव लक्ष्मी की तस्वीर के सामने मुट्ठी भर चावल का ढेर लगाएं। उस पर जल से भरा कलश स्थापित करें। कलश के ऊपर कटोरी में सोने या चांदी का कोई आभूषण रखें। पूजा के समय मां लक्ष्मी को लाल चंदन, लाल वस्त्र, लाल पुष्प और गंधक अर्पित करें।
वैभव लक्ष्मी व्रत नियम-
1. वैभव लक्ष्मी व्रत को सुहागिन स्त्रियां करती हैं तो अति उत्तम फल प्राप्त होता है। हालांकि मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए इसे कोई भी स्त्री या कुंवारी कन्या कर सकती है।
2. स्त्री के बदले इस व्रत को पुरुष भी कर सकते हैं।
3. यह व्रत पूरी श्रद्धा से करना चाहिए। दुखी या परेशान होकर वैभव लक्ष्मी व्रत नहीं करना चाहिए।
4. यह व्रत शुक्रवार को किया जाता है। व्रत शुरू करने से पहले 11 या 21 शुक्रवार व्रत रखने की मन्नत रखनी पड़ती है।
5. व्रत के दिन उपवास करना चाहिए और शाम को विधि-विधान के साथ मां को भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करना चाहिए।
6. व्रत की विधि शुरू करते समय 'लक्ष्मी स्तवन' का एक बार पाठ करना चाहिए।
7. वैभव लक्ष्मी व्रत में श्रीयंत्र की पूजा भी करनी चाहिए। इसके माता लक्ष्मी के पीछे रखें और श्रीयंत्र की पूजा के बाद माता रानी की पूजा करें।
मां लक्ष्मी का भोग-
वैभव लक्ष्मी व्रत में भोग के लिए घर में गाय के दूध से चावल की खीर बनानी चाहिए। अगर किसी कारणवश खीर नहीं बना पाते हैं तो सफेद मिठाई या बर्फी का भोग लगाना चाहिए।
सेहत /शौर्यपथ / कोरोना के बढ़ते मामलों ने एक बार फिर देश-दुनिया की सरकार की चिंता बढ़ाकर रख दी है। कोरोना से बचने के लिए वैज्ञानिक आए दिन नए-नए शोध कर रहे हैं। लेकिन अब तक हुए सभी शोध एक कॉमन बात की तरफ इशारा करते हैं। जी हां और यह एक बात है, कोरोना संक्रमण से सुरक्षा ही बचाव का एकमात्र उपाय है। डॉक्टर और वैज्ञानिक लोगों को इस महामारी से दूर रहने के लिए मास्क और सैनिटाइजर का नियमित रूप से इस्तेमाल करने की सलाह दे रहे हैं। उनका कहना है कि ये दोनों ही चीजें व्यक्ति को सुरक्षित रखने और वायरस और बैक्टीरिया को फैलने से रोकने में काफी मददगार साबित हो सकती हैं। ऐसे में WHO और CDS की गाइडलाइंस के अनुसार जानते हैं कैसे खुद को सुरक्षित रखने के लिए सैनिटाइजर का इस्तेमाल करते समय व्यक्ति को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
सैनिटाइजर का इस्तेमाल करते समय ध्यान रखें ये बातें-
-60 प्रतिशत अल्कोहल वाला सैनिटाइजर-
WHO की गाइडलाइंस के अनुसार, जब भी आप सैनिटाइजर खरीदने जाएं तो पहले यह सुनिश्चित कर लें कि आपका सैनिटाइजर 60 प्रतिशत अल्कोहल वाला होना चाहिए। वायरस और बैक्टीरिया को फैलने से रोकने में 60 प्रतिशत अल्कोहल वाला सैनिटाइजर का इस्तेमाल ही फायदेमंद है।
-हाथों को सूखने तक रगड़ें-
अक्सर देखा गया है कि कुछ लोग अपने हाथ बैक्टीरिया फ्री करने के लिए सैनिटाइजर का इस्तेमाल तो करते हैं पर उसे अच्छी तरह हाथों पर रगड़ते नहीं है। ऐसा बिल्कुल न करें। यह सैनिटाइजर लगाने का सही तरीका नहीं है। सैनिटाइजर को हाथों पर तब तक रगड़े जब तक ये पूरी तरह से सूख न जाए।
हाथ साफ करने के लिए कितनी हो सैनिटाइजर की मात्रा-
अपने हाथों को सैनिटाइज करने के लिए व्यक्ति को कम से कम 5 एमएल सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना चाहिए। लेकिन आपको अगर लग रहा है कि आपके हाथ अधिक गंदे हैं तो आपको 5 एमएल से ज्यादा सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना होगा।
सैनिटाइजर लगे हाथों से खाना न खाएं-
कई बार लोग खाना खाने से पहले हाथ धोने से बचने के लिए सैनिटाइजर का इस्तेमाल करने लगते हैं। सैनिटाइजर में अधिक मात्रा में एल्कोहल होता है जो आपकी किडनी, लीवर और दिल से जुड़ी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। खाना खाने से हमेशा 30 सेकंड पहले सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें।
सैनिटाइजर को आग से रखें दूर-
सैनिटाइजर में अल्कोहल होता है, जो उसे ज्वलनशील बनाता है। यही वजह है कि रसोई या आग से सैनिटाइजर को दूर रखना चाहिए।
रोगी से मिलते समय भी सैनिटाइजर का करें इस्तेमाल-
CDS के अनुसार, अगर आप अस्पताल जाकर किसी मरीज से मिलते हैं तो पानी की जगह पर सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें। ऐसा करने से आपको संक्रमण होने का खतरा कम हो जाता है।
इस आलेख में दी गई जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है। इसके बावजूद हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है।
शौर्यपथ / कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने देश में हाहाकार मचा रखी है। इसे काबू में करने की तमाम कोशिशें नाकाफी साबित हो रही हैं। ऐसे में एक नए शोध ने उम्मीद की नई किरण जगाई है। दरअसल, वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि सामान्य सर्दी जुकाम के जिम्मेदार रायनोवायरस शरीर में प्रवेश कर कोरोना को मात देने में सक्षम है। इस वायरस की मदद से कोविड-19 के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। यह शोध विज्ञान पत्रिका जर्नल ऑफ इन्फेक्शस डिजीज में प्रकाशित हुआ है।
रायनोवायरस कोरोना को बढ़ने नहीं देता
ग्लोसगो में सेंटर फॉर वायरस रिसर्च की टीम ने इस पर शोध किया। इस दौरान एक कोशिकाओं समेत एक ढांचा तैयार किया गया, जो इंसान के श्वासन तंत्र की तर्ज पर काम करता है। इसमें सर्दी-जुकाम के लिए जिम्मेदार रायनोवायरस और कोरोना वायरस दोनों को एक ही समय पर छोड़ा गया। प्रयोग के दौरान दिखा कि ढांचे पर रायनोवायरस का कब्जा हो गया, जबकि कोरोना वायरस से वो लगभग अप्रभावित रहा।
ऐसे प्रभाव जमाता है
रोयनोवायरस भी इंसानों या दूसरे पशुओं की तर्ज पर ही काम करते हैं। जैसे हम अपनी जगह बनाने के लिए आपस में लड़ते हैं और खुद को साबित करते हैं, उसी तरह से वायरस भी होस्ट शरीर में प्रवेश के लिए लड़ते हैं और वही वायरस जीतता है, जो दूसरे वायरस को खत्म कर दे। सर्दी-जुकाम के लिए जिम्मेदार रायनोवायरस भी इसी तर्ज पर काम करता है।
रायनोवायरस क्या है?
आमतौर पर इसे आरवी (आरवी) भी कहते हैं। ये सामान्य सर्दी-जुकाम का सबसे कॉमन कारण है। इससे ऊपरी श्वासन तंत्र पर असर होता है। रायनोवायरस का प्रकोप अमूमन सर्दी और बसंत के मौसम में दिखता है, लेकिन ये सालभर भी हो सकता है।
दवा की जरूरत नहीं पड़ती
रायनोवायरस के साथ अच्छी बात ये है कि वायरस के कारण पैदा होने वाली तकलीफें जैसे सर्दी, नाक बहना, हल्का बुखार या थकान हमारे शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता से अपने अपने आप एक हफ्ते में ठीक हो जाते हैं। हालांकि 25 फीसदी मामलों में ये दो हफ्ते तक भी रह सकता है। इस वायरस के लिए कोई एंटी वायरस दवा नहीं है और आमतौर पर इसकी जरूरत भी नहीं होती है।
पहले भी हो चुका है प्रयोग
दरअसल, साल 2009 में जब यूरोपियन देश स्वाइन फ्लू से बुरी तरह कराह रहे थे, तब रायनोवायरस या सामान्य सर्दी-जुकाम का भी मौसम था। ऐसे में जिन लोगों को सर्दी-जुकाम हुआ, वे स्वाइन फ्लू से सुरक्षित रहे। इसके बाद हुए एक शोध में यह भी निष्कर्ष निकाला गया कि कोरोना वायरस उसी के शरीर में सक्रिय होता है, जिसके भीतर रायनोवायरस न हो।