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सेहत टिप्स /शौर्यपथ /यूरिक एसिड का लेवल बढ़ने से जोड़ों में दर्द की परेशानी शुरू हो जाती है. समय रहते इसे कंट्रोल नहीं करने से असर किडनी पर भी पड़ सकता है. यूरिक एसिड से संबंधित समस्या का सीधा संबंध खानपान की आदतों से होता है. आम तौर पर पालक हर घर में बनने वाली सब्जी है और लोगों को काफी पसंद भी होती है. यह ऐसी हरी सब्जी है, जिसे पूरे देश में चाव से खाया जाता है. पालक सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होती है. पालक में भरपूर मात्रा में विटामिन ए और आयरन होता है. सेहतमंद होने के बावजूद कुछ लोगों के लिए पालक नुकसान का कारण हो सकती है. बॉडी में यूरिक एसिड का लेवल बढ़ जाने पर पालक से परेशानी हो सकती है. आइए जानते हैं यूरिड एसिड की समस्या मे पालक खाने के असर के बारे में विशेषज्ञों की क्या राय है…
इस चीज से समस्या
विशेषज्ञों के अनुसार पालक में भरपूर मात्रा में विटामिन ए, आयरन के साथ-साथ में पोटशियम और फाइबर के अलावा प्यूरिन भी होता है. प्यूरिन से यूरिक एसिड लेवल बढ़ने का खतरा रहता है.
ज्यादा फाइबर
पालक में फाइबर की मात्रा काफी होती है. डाइट में बहुत ज्यादा फाइबर होने से कब्ज, गैस, पेट में दर्द और ब्लोटिंग की परेशानी हो सकती है. ऐसे में पालक को डाइट में सीमित मात्रा में ही शामिल करना चाहिए.
ठीक से साफ करना जरूरी
पालक की पत्तियों पर मिट्टी जमी रहती है. बनाने से पहले पालक को ठीक से साफ करना जरूरी है. मिट्टी के बॉडी में जाने से स्टोन की समस्या होने का खतरा होता है. इससे किडनी पर दबाव बढ़ने लगता है जिससे डैमेज होने का खतरा बढ़ सकता है.
किन्हें नहीं खाना चाहिए पालक
विशेषज्ञों के अनुसार जो लोग ब्लड को पतला करने की दवा ले रहे हों और जिन्हें यूरिक एसिड की समस्या हो, उन्हें पालक खाने से बचना चाहिए. ऐसे लोगों को पालक से फायदा के बजाए नुकसान हो सकता है.
रायपुर / शौर्यपथ / महिला आत्म निर्भर हो तो समाज आत्म निर्भर होता है . महिला सशक्तिकरण की दिशा मे साय सरकार लगातार प्रयास क्र रही और सफल हो रही . महिलाओं के उत्थान के लिए साय सरकार द्वारा कई तरह की योजनाओं को जमीनी स्तर पर लाया गया ताकि महिलाए आत्मनिर्भर हो और एक सभी समाज का निर्माण हो . छत्तीसगढ़ का गठन २४ साल पहले देश के तात्कालिक प्रधानमंत्री अटल बिहारी जी के कार्यकाल में हुआ था और आज २४ साल बाद साय सरकार इसे सँवारने की दिशा में महत्तवपूर्ण कदम उठा रही है . जिसके कई उधाहरण आज देखने को मिल जाते है . ऐसा ही एक उदहारण है जो अन्य महिलाओं को प्रेरणा दे रहा है .
अन्नू साहू के पति बीमार थे और काम नहीं कर पा रहे थे, वहीं अन्नू की घरेलू कामगार के रूप में होने वाली आय उनके परिवार का भरण-पोषण करने के लिए पर्याप्त नहीं थी। जब उनके घर में निराशा का माहौल छाया हुआ था, तब अन्नू ने यह तय किया कि उन्हें किसी अन्य पेशे की ओर रुख करना होगा। अन्नू छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव की गलियों में अपनी ई-रिक्शा चलाती हैं, लोग उन्हें ध्यान से देखते हैं। हल्की ठंडी हवा और सड़कों के शोर के बीच अन्नू आत्मविश्वास से आगे बढ़ती हैं और पीछे मुड़कर नहीं देखतीं।
अन्नू ने बारहवीं कक्षा तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद घरेलू कामगार के रूप में काम करना शुरू कर दिया था। लेकिन इस काम में पर्याप्त आय नहीं मिल पा रही थी। राजनांदगांव की बस्तियों में, जहां अन्नू रहती थीं, साथी मजदूर अक्सर अपने अनुभव साझा करते थे। अन्नू ध्यान से सुनतीं, अपने परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार के तरीके जानने के लिए हमेशा तत्पर रहती थीं।
अन्नू के जीवन में एक बड़ा मोड़ तब आया जब उन्होंने श्रम विभाग की दीदी ई-रिक्शा सहायता योजना के बारे में सुना। यह योजना महिलाओं को ई-रिक्शा खरीदने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करके उन्हें आर्थिक स्वावलंबन का अवसर देती है। अन्नू ने इस अवसर को दोनों हाथों से थाम लिया। ज़िला श्रम अधिकारी की मदद से अन्नू ने जल्दी से आवेदन प्रक्रिया पूरी की, आवश्यक दस्तावेज़ जमा किए और अपना आवेदन प्रस्तुत किया। जब उनका आवेदन स्वीकृत हुआ, तो अन्नू ने पहली बार सफलता और आर्थिक स्वतंत्रता का स्वाद चखा।
ई-रिक्शा ड्राइवर के रूप में काम करके अन्नू ने अपने परिवार के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए एक साहसिक कदम उठाया। जल्द ही उनकी आय नियमित हो गई, और अब वह हर महीने 20 से 25 हजार रुपये कमा रही है। जो उनकी पिछली आय से लगभग चार गुना थी। उन्होंने अपने बच्चों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनकर एक मिसाल कायम की। इससे परिवार की आर्थिक स्थिति में जबरदस्त सुधार हुआ और औसत पारिवारिक आय 40 से 45 हजार रुपये प्रति माह तक पहुंच गई।
अन्नू की यात्रा सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों के महत्व को उजागर करती है। जब इन्हें लचीले और उत्तरदायी तरीके से डिज़ाइन किया जाता है, तो ये योजनाएँ हाशिए पर रहने वाले समुदायों के सामने आने वाले विविध जोखिमों का समाधान कर सकती हैं, स्थायी आजीविका में मदद कर सकती हैं। अन्नू की कहानी इस बात की गवाही है कि लक्षित हस्तक्षेप कैसे व्यक्तियों को उनके जीवन को बदलने और उनके परिवारों के लिए एक उज्जवल भविष्य सुरक्षित करने में सक्षम बना सकते हैं।
जशपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के सार्थक पहल से जिला प्रशासन के तहत नव गुरुकुल शिक्षण संस्थान में आर्थिक रूप से कमजोर छात्राओं को नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस योजना का उद्देश्य न केवल शिक्षा का स्तर बढ़ाना है, बल्कि छात्राओं को आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें व्यावसायिक कौशल से जोडऩा है, ताकि वे अपने भविष्य को सशक्त बना सकें।
यह कार्यक्रम प्रदेश में जशपुर के साथ-साथ रायपुर और दंतेवाड़ा जिला में भी संचालित हैं। जिला प्रशासन द्वारा छात्रों को सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है। छात्राओं को कंप्यूटर सॉफ्टवेयर, फायनेंस, बिजनेस, शिक्षा, और ग्राफिक्स डिज़ाइनिंग जैसे विविध क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके अलावा, भाषा ज्ञान और व्यक्तित्व विकास पर अतिरिक्त कक्षाएँ भी आयोजित की जाती हैं, जिससे छात्राओं का समग्र विकास हो सके।
छात्राओं को नि:शुल्क आवास, प्रशिक्षण, और भोजन की सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं। प्रशिक्षण के दौरान लैपटॉप/कंप्यूटर और इंटरनेट की सुविधा भी नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाती है, जिससे उन्हें अध्ययन और प्रोजेक्ट्स पर काम करने में मदद मिलती है।
वर्तमान में, इस कार्यक्रम के तहत जिले की 16 प्रतिभाशाली छात्राएँ विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्राप्त कर अन्य राज्यों की प्रमुख कंपनियों में सफलतापूर्वक प्लेसमेंट के लिए चयनित हुई हैं। ये छात्राएँ अब अच्छी आय अर्जित कर रही हैं, जो उनके प्रयासों का जीवंत प्रमाण है। यहाँ पर 150 छात्राओं के लिए प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया है, जिसमें वर्तमान में 60 से अधिक छात्राएं अध्ययनरत हैं।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का यह दृष्टिकोण केवल छात्राओं के जीवन में बदलाव लाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज में भी एक सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में प्रेरणा देता है। उनकी सोच ने ना केवल छात्राओं को आत्मनिर्भर बनाया है, बल्कि उन्हें अपने सपनों को साकार करने का अवसर भी प्रदान किया है।
छात्राओं के अनुभव:
कुमारी प्रतिभा थापा (20), जशपुर नगर की निवासी बताती हैं कि "मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, जिससे मुझे पढ़ाई छोडऩी पड़ी। जब मैंने नव गुरुकुल के बारे में सुना, तो मैंने यहाँ फॉर्म भरा और प्रशिक्षण लेने आई। मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इतने महंगे कोर्स की पढ़ाई मुझे नि:शुल्क मिलेगी। मैंने बिजनेस में 16 महीने का प्रशिक्षण लिया और आज एक निजी कंपनी में क्लाउड सपोर्ट इंजीनियर के पद पर कार्यरत हूँ।"
कुमारी नेहा चौहान (20), जो जशपुर नगर की हैं, ने बताया, "मेरे पिता एक किसान हैं। जिससे हमारी आमदनी उतनी अच्छी नहीं है कि जिससे मैं बाहर जाकर पढ़ाई कर सकूं। लेकिन इस संस्थान से मुझे बहुत लाभ हुआ है। यहाँ मुझे बिजनेस कोर्स के साथ-साथ भाषा ज्ञान भी मिला, जो मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। मैंने 13 महीने प्रशिक्षण लिया है।"
कुमारी साक्षी सिंह, डुगडुगीया, कुनकुरी की निवासी बताती हैं कि "जब मुझे यहाँ के बारे में पता चला तो फॉर्म भरकर प्रशिक्षण ली। मैंने यहाँ 15 महीने का प्रशिक्षण लिया। आज मुझे बारु साहेब यूनिवर्सिटी, हिमाचल प्रदेश में डेटा एनालिटिक्स एसोसिएट का जॉब मिला है। यह मेरे लिए एक बड़ा अवसर है, क्योंकि मैं पहली बार अपने घर से निकली हूँ। मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।"
लाभार्थी छात्राओं ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के प्रति आभार व्यक्त किया है। इस पहल ने न केवल उनके जीवन को बदला है, बल्कि समाज में भी एक सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस तरह की योजनाएँ निश्चित रूप से आने वाली पीढिय़ों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेंगी।
छत्तीसगढ़ में स्वच्छता के लिए हो रहे बेहतर कार्य: केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री सी.आर. पाटिल
मुख्यमंत्री एवं केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री ग्राम बरगा में आयोजित स्वच्छता ही सेवा कार्यक्रम में हुए शामिल
मुख्यमंत्री एवं केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री ने 32 करोड़ 7 लाख 60 हजार रूपए के 35 कार्यों का किया भूमिपूजन एवं लोकार्पण
छत्तीसगढ़ को सुंदर एवं स्वच्छ छत्तीसगढ़ बनाएंगे
मुख्यमंत्री एवं केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री ने राजनांदगांव जिले में स्वच्छता की दिशा में किये जा रहे कार्यों की प्रशंसा की
रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय एवं केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री सीआर पाटिल आज राजनांदगांव विकासखंड के ग्राम बरगा में स्वच्छता ही सेवा कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, उप मुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा, सांसद श्री संतोष पाण्डेय विशेष रूप से उपस्थित थे। इस अवसर पर 32 करोड़ 7 लाख 60 हजार रूपए की लागत वाले 35 कार्यों का भूमिपूजन एवं लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर शासन की विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित होने वाले हितग्राहियों को सामग्री वितरित की गई।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने अपने उद्बोधन में कहा कि पूरे देश में स्वच्छता ही सेवा पखवाड़ा मनाया जा रहा है। भगवान विश्वकर्मा जयंती और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन से 17 सितम्बर से महात्मा गांधी की जयंती 2 अक्टूबर तक स्वच्छता ही सेवा पखवाड़ा के रूप में मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छता को प्रोत्साहित करने हेतु 15 अगस्त 2014 को लाल किले की प्राचीर से सभी को स्वच्छता का संकल्प दिलाया था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के आव्हान और स्वच्छता अभियान से हम सभी को गली-चौराहे, मोहल्ले, स्कूल, कार्यालय, सार्वजनिक स्थलों को स्वच्छ रखने के लिए प्रेरणा मिली। राजनांदगांव जिले में स्वच्छता की दिशा में बहुत अच्छा कार्य किया जा रहा है। स्वच्छता अभियान ने यहां जनआंदोलन का स्वरूप ले लिया है।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि स्वच्छता को हमें अपनी आदत में शामिल करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि धमतरी जिले के ग्राम कोटाभर्री की 106 वर्षीय श्रीमती कुंवर बाई ने बकरी की ब्रिकी कर शौचालय का निर्माण कराया और वे देश एवं प्रदेश के लिए मिसाल बन गई। स्वच्छता के प्रति साधारण गांव की एक महिला ने एक ऐसी जागरूकता दिखाई, जिसका असर ग्रामीण क्षेत्रों पर पड़ा। मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्राम बरगा के सरपंच ने भू-जल स्तर को बढ़ाने के लिए तथा जल संरक्षण के लिए किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में विकास कार्य तेजी कराए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की गारंटी के प्रति जनसामान्य में जो विश्वास है, उसे पूर्ण करने के लिए सरकार कार्य कर रही है। आज इस कार्यक्रम में 32 करोड़ 7 लाख 60 हजार रूपए के 35 कार्यों का भूमिपूजन एवं लोकार्पण किया गया है। जल जीवन मिशन के तहत हर घर नल से जल पहुंचाने तथा सौभाग्य योजना से हर घर बिजली पहुंचानेे के लिए कार्य किया जा रहा है। उन्होंने लोगों से छत्तीसगढ़ को सुंदर एवं स्वच्छ छत्तीसगढ़ बनाने का संकल्प लेने का आव्हान किया।
केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री सीआर पाटिल ने कहा कि जल जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की मंशा के अनुरूप देश में कैच द रैन अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत बारिश के पानी को रोक कर भू-जल स्तर को बेहतर बनाने का काम किया जा रहा है। इस अभियान से राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं अन्य राज्य भी जुड़े हैं।
केन्द्रीय मंत्री ने ग्राम बरगा में जल संरक्षण तथा जल आपूर्ति के कार्यों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण का यह सामूहिक प्रयास प्रदेश के लिए नया मॉडल बनेगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति महात्मा गांधी ने कहा था कि स्वतंत्रता के साथ ही स्वच्छता भी जरूरी है। बापू के सपने को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हाथ में झाडू पकड़कर शुरूआत की। देश के लोग स्वच्छता अभियान में सहभागी बनें। सभी ने इसे आदत के तौर पर स्वीकार किया है। अब सभी डस्टबीन में कचरा डालते हैं।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत महिलाओं को रसोई के धुएं से मुक्ति दिलाने के लिए निःशुल्क गैस चूल्हा व सिलेण्डर दिया गया। स्वच्छता और सुरक्षा के लिए घर-घर निःशुल्क शौचालय बनाए गए। देश में 10 वर्षों में 11 करोड़ से अधिक शौचालय का निर्माण किया गया। लोगों आदत एवं व्यवहार में स्वच्छता के प्रति सकारात्मक परिवर्तन आया है। पहले डायरिया से बच्चे बीमार होते थे, लेकिन अब स्वच्छता को अपनाने से बच्चों का स्वास्थ्य अच्छा हुआ है। उन्होंने कहा कि नल जल योजना घर-घर पेयजल पहुंचाने का काम किया जा रहा है। उन्होंने राजनांदगांव जिले में स्वच्छता के लिए किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा की।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि जल ही जीवन है, इस बात को ग्रामीणों से ज्यादा अच्छे से कोई नहीं जानता है। पीने के पानी की चिंता, खेत के पानी के लिए चिंता होती है। इसके लिए जिले में जल संरक्षण के लिए एक अभियान के रूप में कार्य किया जा रहा है। स्वच्छता ही सेवा है। इस संदेश को ग्रहण करते हुए जिले में स्वच्छता के लिए व्यापक तौर पर कार्य किए गए हैं। देश भर में विगत 10 वर्षों में स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत किए जा रहे कार्यों से तस्वीर बदली है।
उप मुख्यमंत्री एवं पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री विजय शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में 18 लाख से अधिक परिवारों के आवास निर्माण की स्वीकृति दी गई थी। पूरे प्रदेश में अब तक 9 लाख 37 हजार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवासों के निर्माण के लिए राशि जारी की गई है। 90 हजार प्रधानमंत्री आवासों की स्वीकृति प्रक्रियाधीन है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री द्वारा गांवों को ओडीएफ बनाने का लक्ष्य पूरा कर लिया गया है। अब गांवों को ओडीएफ प्लस बनाने की दिशा में तेजी से प्रयास किया जा रहा है। ओडीएफ के तहत प्रदेश में 36 लाख से अधिक शौचालयों का निर्माण किया गया और 12 लाख से अधिक सामुदायिक शौचालयों का निर्माण हुआ है। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्राम बरगा में पहले भू-जल स्तर काफी नीचे चला गया था, अब ग्रामीणों के सामूहिक प्रयासों के फलस्वरूप भू-जल स्तर बढ़ा है। उन्होंने स्वच्छता को जीवन में अपनाने और भू-जल बढ़ाने के लिए हो रहे प्रयासों को जन आंदोलन बनाने का आव्हान किया।
सांसद श्री संतोष पाण्डेय ने कहा कि जल जीवन के लिए आवश्यक है। जल प्रबंधन एवं स्वच्छता के क्षेत्र में हमारा देश आगे बढ़ा है। जनसामान्य में स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ी है और घर-घर में शौचालय का निर्माण हुआ है। डबल इंजन की सरकार आने से प्रदेश में विकास कार्यों में तेजी आई है। प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग श्रीमती निहारिका बारीक ने स्वागत भाषण दिया और राज्य शासन द्वारा स्वच्छ भारत मिशन के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी।
कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा स्वच्छ भारत मिशन पर वीडियो का प्रस्तुतीकरण दिया गया। इस अवसर पर सूची एप एवं जल प्रबंधन एप की लॉन्चिंग और एफएक्यू बुकलेट एवं एक कदम जल प्रबंधन की ओर बुकलेट का विमोचन किया गया। जिला प्रशासन राजनांदगांव द्वारा स्वच्छता ही सेवा पर वीडियो प्रस्तुतीकरण दिया गया। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय एवं केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री सीआर पाटिल द्वारा फिक्ल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट बघेरा का वीडियो के माध्यम से लोकार्पण किया गया। जिले के विभिन्न विकास कार्यों का वीडियो के माध्यम से भूमिपूजन एवं शिलान्यास किया गया। युवोदय वीडियो लॉन्च एवं कटआउट प्रदर्शन, युवोदय ओडीएफ प्लस पोस्टर लॉन्चिंग, युवोदय बच्चों द्वारा स्वच्छता पर नुक्कड़ नाटक, स्वच्छता में बेहतर प्रयास वाले राजनांदगांव, डोंगरगांव एवं छुरिया विकासखंड का सम्मान किया गया। मुख्यमंत्री एवं केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री ने एक पेड़ माँ के नाम अभियान के तहत पौधरोपण किया। अतिथियों ने शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी देने विभिन्न विभागों द्वारा लगाए गए स्टॉल का अवलोकन किया।
इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती गीता साहू, पूर्व सांसद श्री अभिषेक सिंह, पूर्व सांसद श्री मधुसूदन यादव, पूर्व सांसद श्री प्रदीप गांधी, श्री खूबचंद पारख, जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्री विक्रांत सिंह, श्री भरत वर्मा, श्री रमेश पटेल सहित अन्य जनप्रतिनिधि, सरपंच बरगा श्री कुमार सोनवानी, संयुक्त सचिव केन्द्रीय जल शक्ति मंत्रालय श्री अशोक मीणा, संभागायुक्त दुर्ग श्री सत्यनारायण राठौर, आईजी श्री दीपक झा, कलेक्टर श्री संजय अग्रवाल, पुलिस अधीक्षक श्री मोहित गर्ग सहित बड़ी संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित थे।
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /हम सभी के लिए नवरात्रि का बेहद महत्व है. इस दौरान 9 दिनों तक मां दुर्गा की पूजा-आराधना की जाती है. बहुत से भक्त नवरात्रि का व्रत भी रखते हैं. इस बार शारदीय नवरात्रि अक्टूबर के महीने में पड़ रही है. इस दौरान घट या कलश स्थापना की जाती है और अगले नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा-आराधना की जाती है. पूजा के दौरान खास पूजा सामग्री की जरूरत होती है. अगर आप भी नवरात्रि में उपवास करने जा रहे हैं तो यहां जानिए कौन-कौन सा सामान चाहिए होगा.
शारदीय नवरात्रि कब है |
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर 2024 से शुरू हो रही है. इसी दिन नवरात्रि के पहले दिन का व्रत रखा जाएगा. माता रानी का घर में स्वागत किया जाएगा. भक्त अगले नौ दिनों तक उन्हें घर में विराजमान करेंगे.
कलश स्थापना की सामग्री
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा होती है. नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि पर कलश की स्थापना की जाती है. इसके बाद शैलपुत्री माता की आराधना की जाती है. कलश स्थापना के लिए पंचपल्लव या आम की पत्तियों का पल्लव, मिट्टी के बर्तन, जौ, जल, साफ कपड़ा, नारियल, कलावा, रोली, सुपारी, गंगाजल, सिक्का, दूर्वा, गेहूं और अक्षत(चावल), हल्दी, पान के पत्ते और कपूर की जरूरत की जरूरत होती है.
शारदीय नवरात्रि में पूजा सामग्री की लिस्ट
धूप, फूल-फल, पान, लौंग, इलायची, दुर्वा, कपूर, अक्षत, सुपारी, नारियल, कलावा, लाल चुनरी, लाल वस्त्र, लाल चंदन, मां दुर्गा की तस्वीर, घी का दीपक और श्रृंगार का सामान नवरात्रि की पूजा सामग्री में सम्मिलित किया जाता है.
नवरात्रि की शुरुआत में इन बातों का रखें ध्यान
नवरात्रि की शुरुआत में घर की अच्छी तरह साफ-सफाई करें.
घर के बाहर मां दुर्गा के स्वागत के लिए रंगोली बनाएं.
देवी पूजा में सुहाग का सामान रखना न भूलें. जैसे- लाल चुनरी, लाल फूल, कुमकुम, सिंदूर, लाल चूड़ियां, बिंदी, गहने. नवरात्रि के अंतिम दिन किसी जरूरतमंद महिला को ये दान करें.
दुर्गा मां की पूजा करते समय देवी मंत्र दुं दुर्गायै नमः का जप करें.
नवरात्रि में देवी मां के साथ छोटी कन्याओं की भी पूजा करें. जरूरतमंद बच्चियों की शिक्षा के लिए धन या अन्य सामान जरूर दें.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / हर साल 24 एकादशी पड़ती हैं जिनसे अलग-अलग धार्मिक मान्यताएं जुड़ी होती हैं. इन्हीं में से एक है इंदिरा एकादशी जो आश्विन माह में पड़ती है. इंदिरा एकादशी पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है. माना जाता है कि एकादशी पर पूरे मनोभाव से श्रीहरि की पूजा की जाए तो व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिल जाती है, कष्ट दूर होते हैं और जीवन सुखमय बनता है सो अलग. पितृ पक्ष में पितरों की पूजा की जाती है और मोक्ष की कामना की जाती है, ऐसे में एकादशी का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है. इस साल इंदिरा एकादशी की तिथि को लेकर उलझन की स्थिति बन रही है. किसी का कहना है कि इंदिरा एकादशी 27 सितंबर के दिन है तो कोई मानता है कि 28 सितंबर के दिन इंदिरा एकादशी का व्रत रखा जाएगा. ऐसे में यहां जानिए पंचांग के अनुसार किस दिन इंदिरा एकादशी का व्रत रखा जाएगा.
इंदिरा एकादशी कब है |
पंचांग के अनुसार, इंदिरा एकादशी का व्रत आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर रखा जाता है. इस साल यह तिथि 27 सितंबर, शुक्रवार दोपहर 1 बजकर 20 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 28 सितंबर, शनिवार दोपहर 2 बजकर 49 मिनट तक रहने वाली है. इस चलते उदया तिथि को ध्यान में रखते हुए 28 सितंबर के दिन ही इंदिरा एकादशी मनाई जाएगी और इसी दिन इंदिरा एकादशी का व्रत रखा जाएगा. इंदिरा एकादशी के व्रत का पारण अगले दिन 29 सितंबर, रविवार सुबह 6 बजकर 13 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 36 मिनट के बीच किया जा सकता है.
पितृ पक्ष में पड़ रही इंदिरा एकादशी पर पूजा करने के लिए सुबह उठकर स्नान पश्चात व्रत का संकल्प लिया जाता है. इस दिन स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं. पीला रंग भगवान विष्णु का प्रिय माना जाता है इस चलते एकादशी पर पीले रंग के वस्त्र पहनने का विशेष महत्व होता है. इस एकादशी की पूजा के लिए चौकी सजाकर उसपर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित की जाती है. अब पूजा शुरू होती है. पूजा में पीले फल, पीली मिठाई, पीले फूल और तुलसी शामिल करने की विशेष मान्यता होती है. इसके बाद श्रीहरि के समक्ष दीया जलाया जाता है, अक्षत और माला अर्पित की जाती है और विष्णु मंत्र पढ़े जाते हैं. इंदिरा एकादशी की कथा पढ़कर और आरती करने के बाद इंदिरा एकादशी की पूजा संपन्न की जाती है.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /सितंबर माह का आखिरी प्रदोष व्रत आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाएगा. प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा की जाती है. माना जाता है कि पूरे मनोभाव से यदि प्रदोष व्रत रखा जाए और महादेव का पूजन किया जाए तो भक्तों को निरोगी होने का आशीर्वाद मिलता है और जीवन के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है. कहते हैं प्रदोष व्रत पर भोलेनाथ सभी को मनचाहा वरदान देते हैं. जानिए सितंबर का आखिरी प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा और किस तरह की जा सकती है भगवान शिव की पूजा.
कब है प्रदोष व्रत |
पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 29 सितंबर की शाम 4 बजकर 47 मिनट पर शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन अगले दिन 30 सितंबर शाम 7 बजकर 6 मिनट पर हो जाएगा. ऐसे में 29 सितंबर, रविवार के दिन ही प्रदोष व्रत रखा जाएगा. रविवार के दिन पड़ने के चलते इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है. रवि प्रदोष व्रत पर पूजा का शुभ मुहूर्त 29 सितंबर की रात प्रदोष काल में पड़ रहा है. प्रदोष काल में पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 9 मिनट से रात 8 बजकर 34 मिनट तक है. इस शुभ मुहूर्त में पूजा करना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है.
प्रदोष व्रत की पूजा विधि
प्रदोष व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान पश्चात भगवान शिव का ध्यान लगाकर प्रदोष व्रत का संकल्प लिया जाता है. इस दिन भक्त दिन के समय शिव मंदिर दर्शन करने जाते हैं और प्रदोष व्रत की असल पूजा रात के समय होती है. प्रदोष व्रत में भगवान शिव और माता-पार्वती की पूजा की जाती है. शिवलिंग पर गंगाजल से अभिषेक किया जाता है, महादेव के समक्ष दीया जलाया जाता है, मां पार्वती पर लाल वस्त्र अर्पित किए जाते हैं और उन्हें कुमकुम और चंदन से तिलक लगाया जाता है. इसके अतिरिक्त प्रदोष व्रत की कथा पढ़कर भगवान भोलेनाथ की आरती की जाती है और भोग लगाने के बाद पूजा संपन्न होती है.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. इस बार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्टूबर, 2024 से हो रही है जोकि 11 अक्टूबर तक चलेगी. ऐसे में नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित होता हैं, मां शैलपुत्री हिमालय राज की पुत्री हैं इसलिए उनका नाम शैलपुत्री हैं. शैल मतलब पहाड़ या पत्थर होता है. क्या आप जानते हैं कि नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना क्यों की जाती है और उनसे जुड़ी हुई कथा क्या है? यहां जानिए मां शैलपुत्री की विधिवत कथा के बारे में.
मां शैलपुत्री की कथा |
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, हिमालयराज के यहां जब पुत्री का जन्म हुआ तो उनका नाम शैलपुत्री रखा गया. इनका वाहन वृषभ है, इसलिए इन्हें वृषारूढा के नाम से भी पुकारा जाता है. मां शैलपुत्री के दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल होता हैं. उन्हें सती के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि वो सती मां का ही दूसरा रूप हैं.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार प्रजापति ने यज्ञ किया तो इसमें सारे देवताओं को निमंत्रण मिला लेकिन भगवान शिव को नहीं बुलाया गया. तब भगवान शिव (Lord Shiva) ने मां सती से कहा कि यज्ञ में सभी देवताओं को आमंत्रित किया गया है लेकिन मुझे नहीं, ऐसे में मेरा वहां पर जाना सही नहीं है. माता सती का प्रबल आग्रह देखकर भगवान शंकर ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी. सती जब घर पहुंची तो उन्हें केवल अपनी मां से ही स्नेह मिला. उनकी बहनें व्यंग्य और उपहास करने लगीं जिसमें भगवान शंकर के प्रति तिरस्कार का भाव था. दक्ष ने भी उन्हें अपमानजनक शब्द कहे जिससे मां सती बहुत क्रोधित हो गईं. अपने पति का अपमान वह सहन नहीं कर पाईं और योगाग्नि में जलकर खुद को भस्म कर लिया. इस दुख से व्यथित होकर भगवान शंकर ने यज्ञ का विध्वंस कर दिया.
मां सती अगले जन्म में शैलराज हिमालय के यहां पुत्री के रूप में जन्मीं और शैलपुत्री कहलाईं. इन्हें पार्वती और हेमवती के नाम से भी जाना जाता है. मां शैलपुत्री का विवाह भगवान शंकर के साथ हुआ और वो भगवान शिव की अर्धांगिनी बनीं इसलिए नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है और उन्हें घी का भोग लगाया जाता है.
रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीस छटा साहित्य कला परिषद के बैनर तले वरिष्ठ रंगकर्मी साहित्यकार विजय मिश्रा 'अमित' के व्यंग्य संग्रह 'कल्लू कुकुर के पावर' का विमोचन प्रेस क्लब में हुआ। तैंतीस व्यंग के माध्यम से सामाजिक रीति रिवाजों ,पर्वों में बढ़ती विकृतियां, अंधविश्वास के मकड़जाल और बनावटी दुनिया में जी रहे जन मन पर करारा व्यंग्य किया गया है।
समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ व्यंगकार रामेश्वर वैष्णव ने कहा कि केवल निजी भड़ास, आक्रोश व्यंग नहीं है। निर्मल हृदय का व्यक्ति ही हास्य लिख सकता है।इसी क्रम में समारोह के अध्यक्ष वरिष्ठ भाषाविद डॉ चितरंजन कर ने कहा संवेदनशील व्यक्ति ही साहित्य सृजन कर सकता है। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार गिरीश पंकज ने कहा कि छत्तीसगढ़ में गद्य से अधिक पद्य लिखा जा रहा है। ऐसे दौर में अमित की किताब 'कल्लू कुकुर के पावर' एक नया विश्वास जगाती है। डॉ. सुरेश देशमुख,डॉ. सुधीर शर्मा,प्रेस क्लब के महासचिव डॉ. वैभव शिव पांडे ने कहा छत्तीसगढ़ कला संस्कृति के संग साहित्य का भी गढ़ है। 'कल्लू कुकुर के पावर' छत्तीसगढ़ी व्यंग विधा में नवाचार का ताजा उदाहरण है।
समारोह का रोचक संचालन विकास शर्मा ने किया। समारोह में 'कलम मितान सम्मान' से वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार गुलाल वर्मा, दीनदयाल साहू सहित उमेश मिश्रा, जाबिर कुरैशी,गोविंद पटेल, अनामिका नेताम, प्रसन्न दुबे, सारिका साहू, छबिलाल साहू विकास शर्मा को विभूषित किया गया।अतिथियों का स्वागत छत्तीसगढ़ी पारम्परिक पकवान से सुसज्जित बांस डलिया से किया गया। समारोह में बड़ी संख्या में कला साहित्य बिरादरी की उपस्थिति रही।
अब तक 341 शालाओं को मिल चुकी है स्वीकृति
मुख्यमंत्री साय ने प्रधानमंत्री का जताया आभार
पीएम श्री योजना छत्तीसगढ़ को शिक्षा के क्षेत्र में नई ऊंचाईयों पर ले जाएगी : सीएम साय
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने छत्तीसगढ़ के 78 और स्कूलों को मॉडल स्कूल के रूप में विकसित करने के लिए पीएम श्री योजना में शामिल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि राज्य में 263 पीएमश्री स्कूल स्वीकृत किए गए थे, नई स्वीकृति मिलने से यह संख्या बढ़कर अब 341 हो गई है। मुख्यमंत्री साय ने कहा है कि यह हर्ष का विषय है कि प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनाने का संकल्प लिया है और इस दिशा में लगातार नए फैसले ले रहे हैं। पीएम श्री योजना के माध्यम शैक्षणिक अधोसंरचना एवं शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने का प्रयास निश्चित रूप से विकसित भारत के निर्माण में अहम भूमिका निभाएगा।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि पीएम श्री योजना में शामिल इन स्कूलों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत उत्कृष्ट विज्ञान प्रयोगशालाएं, पुस्तकालय, व्यावसायिक लैब्स की व्यवस्था होगी, जो छत्तीसगढ़ को शिक्षा के क्षेत्र में नई ऊंचाईयों पर ले जाएगी। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में इस महत्वपूर्ण निर्णय के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का भी आभार व्यक्त किया है।
गौरतलब है कि भारत सरकार द्वारा पीएम श्री योजना के अंतर्गत प्रथम चरण में 211 तथा तृतीय चरण में 52 और चौथे चरण में 78 शालाएं स्वीकृत की गई है। चौथे चरण में शामिल सभी 78 शालाएं कक्षा पहली से 12 वीं तक की हैं।
प्रथम चरण में पीएम श्री योजना के तहत स्वीकृत शालाओं को अपग्रेड किया जा चुका है, वहीं तृतीय चरण में स्वीकृत शालाओं को अपग्रेड किया जा रहा है। इन स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम, विज्ञान और गणित के लिए अत्याधुनिक लैब्स, खेल सुविधाएं, और डिजिटल लाइब्रेरी जैसी सुविधाएं विकसित की जा रही हैं।
यहां यह उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ राज्य में पीएम श्री योजना का शुभारंभ 19 फरवरी 2024 को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने किया था। उन्होंने इस मौके पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय द्वारा राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर किए जा रहे प्रयासों को सराहा था। पीएम श्री के तहत प्रति स्कूल 2-2 करोड़ रूपए व्यय कर आदर्श स्कूल के रूप में विकसित करने की योजना है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप पीएम श्री योजना के अंतर्गत शालाओं को मॉडल स्कूल के रूप में विकसित करने का लक्ष्य है।
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सुशासन में दूरस्थ अंचल के लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिल रहा है। हर एक व्यक्ति का सपना होता है कि उनका अपना एक पक्का मकान हो, जिसे पूरा करने के लिए वह आजीवन परिश्रम करता है लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति के लिए स्वयं का पक्का मकान बना पाना एक सपने ही रह जाता है। ऐसे में उनके सपने साकार प्रधानमंत्री आवास योजना कर रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत् जशपुर जिले के हितग्राहियों को लाभान्वित हो रहे है। इनमें दिसम्बर 2023 से 22 सितम्बर 2024 तक कुल 10 हजार 706 हितग्राहियों का आवास निर्माण कराया जा चुका है।
ऐसी ही एक कहानी जशपुर जिले के जनपद पंचायत मनोरा के ग्राम पंचायत करदना (छतौरी) के हितग्राही श्रीमती करमी बाई का है, जो राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहलाने वाले विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा से हैं। ये जनजाति ज्यादातर घने जंगलो में पेड़, पत्ते एवं छाल से झोपड़ी बनाकर निवास करते थे जिन्हें बरसात के मौसम में टपकते छत एवं सांप-बिच्छू की समस्या रहती थी। जिसके कारण उन्हें जीवन-यापन करना एक चुनौती थी। इनके लिए प्रधानमंत्री आवास योजना एक वरदान साबित हुई है। मुख्यमंत्री के सार्थक प्रयास से विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा के सपने भी पूरे हो रहे हैं। हितग्राही ने पक्का मकान मिलने से मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया है।
शासन की योजनाओं से सपने हुए साकार,संतोषी के परिवार में आई खुशियां अपार
रायपुर /शौर्यपथ / विष्णु के सुशासन में महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में नित नए कदम उठाए जा रहे है। बिहान की योजनाएं हो या महतारी वंदन योजना या कृषक मित्र आदि से महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत किया जा रहा है। धमतरी के ग्राम पोटियाडीह की श्रीमती संतोषी हिरवानी को अब अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए किसी की मदद की आवश्यकता नही है। बिहान के तहत श्रीमती हिरवानी लखपति दीदी बन गई है। कृषक मित्र बनकर किसानों को जैविक खाद बनाने और उसका उपयोग करने को प्रेरित करती है। इसके साथ ही जैविक दवाइयों की बिक्री से श्रीमती हिरवानी को 2 हज़ार रुपए तक आमदनी हो जाती है।
इसके अलावा संतोषी चिकन सेंटर का संचालन कर रहीं हैं, जिससे उन्हें 6 से 7 हजार रूपये तक की आमदनी हो रही है। इसके साथ ही महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत मजदूरी और मनरेगा के तहत बने मुर्गी शेड में मुर्गियों का पालन करतीं हैं। वे बताती हैं कि इन सभी कामों से उसे साल में एक लाख रूपये से अधिक की आमदनी हो जाती है। इन सभी से होने वाली आमदनी का उपयोग वे अपने दोनों बच्चों को अच्छी सी अच्छी शिक्षा में देने के लिए करेंगी। श्रीमती संतोषी ने अपने जीवन में आये इस सुधार के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को धन्यवाद दिया है।
श्रीमती संतोषी हिरवानी ने बताया कि उसे शासन की महत्वाकांक्षी योजना महतारी वंदन योजना का भी लाभ मिल रहा है। महतारी वंदन जैसी योजना के बलबूते छत्तीसगढ़ की गरीब महिलाओं में आत्मनिर्भरता की नींव धीरे-धीरे मजबूत हो रही है। छत्तीसगढ़ के महिलाओं की खुशियों के पीछे आर्थिक सशक्तिकरण का यह आधार भी है। केवल 7 महीनों में ही विष्णु सरकार की महतारी वंदन योजना ने महिलाओं में ही नही अपितु उनके घर-परिवार में खुशियों की मिठास घोल दी है। इस योजना से महिलाओं का सम्मान भी बढ़ाने के साथ-साथ उनके जीवनशैली में परिवर्तन किया है। आर्थिक रूप से सशक्तिकरण ने परिवार के बीच रिश्तों की गाँठ को और भी मजबूती से बाँधना शुरू कर दिया है।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर वित्त विभाग ने दी स्वीकृति
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर वित्त विभाग ने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में इंजीनियर्स सहित अन्य पदों पर भर्ती को मंजूरी दे दी है। इस फैसले से 181 रिक्त पदों पर भर्ती का रास्ता साफ हो गया है। नई भर्ती से विभाग के कामकाज की गुणवत्ता में सुधार के साथ-साथ पेयजल व्यवस्था भी बेहतर होगी।
पीएचई विभाग में उप अभियंता, अनुरेखक, सहायक ग्रेड-3 सहित विभिन्न रिक्त पदों को भरने के प्रस्ताव को वित्त विभाग से स्वीकृति मिल गई है। इसमें उप अभियंता (सिविल) के 118, उप अभियंता (विद्युत/यांत्रिकी) के 10, अनुरेखक के 37, सहायक ग्रेड-3 के 02, केमिस्ट के 12 और वाहन चालक के 02 पद शामिल हैं।
नई भर्तियां न केवल विभाग की कार्यक्षमता को बढ़ाने में सहायक होगी, बल्कि इससे नागरिक सेवाओं में भी सुधार होगा एवं योजनाओं को निर्धारित समय में पूरा किया जा सकेगा। पेयजल की गुणवत्ता और आपूर्ति व्यवस्था भी बेहतर होगी। नल जल जैसी फ्लैगशिप योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन हो सकेगा और ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में लोगों को निरंतर एवं शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने में सुगमता होगी।
संवेदनशील मुख्यमंत्री करते हैं जनदर्शन में लोगों की समस्याओं का त्वरित निराकरण
रायपुर । शौर्यपथ । रायपुर में मुख्यमंत्री निवास का जनदर्शन गुरुवार आम दिनों जैसा नहीं होता। इस दिन सीएम निवास लोगों की उम्मीदों को पूर्ण करने और समस्याओं के त्वरित निराकरण सुनिश्चित करने वाला ओपन हाउस बन जाता है। दुःख और तकलीफों से भरी ज़िंदगी में जनदर्शन लोगों के लिए एक नई आशा की किरण है। जनदर्शन के दिन मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय लोगों की समस्याओं को सिर्फ सुनते ही नहीं, बल्कि दिल से महसूस करते हैं। यहां आने वाले लोग न सिर्फ राहत की उम्मीद लेकर आते हैं, बल्कि अपने जीवन में बदलाव की नई किरण और अपनी परेशानियों का समाधान लेकर वापस जाते हैं।
मुख्यमंत्री जनदर्शन का हर गुरुवार उन कहानियों का मंच बनता है, जहां तकलीफ और संघर्ष को पीछे छोड़कर लोग नई आशा के साथ नई शुरुआत का स्वागत करते हैं। मुख्यमंत्री श्री साय के संवेदनशील और त्वरित फैसलों से सीएम हाउस पहुँचे लोगों के चेहरों पर अमुल्य मुस्कान और समस्याओं के समाधान मिलने की संतुष्टि होती है। हर मुलाकात, हर समाधान एक ऐसा पल होता है, जहां मुख्यमंत्री हर एक के परिवार के मुखिया बन जाते हैं।
जनदर्शन मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय और जनता के बीच भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक है। जनदर्शन के दौरान दूरस्थ स्थानों से आए कोई न कोई विवेक, कोई राजू, कोई उषा मुख्यमंत्री से अपनी समस्याएं साझा करते हैं, और बदले में समाधान और अपनापन लेकर लौटते हैं। इसका जीता-जागता उदाहरण हैं रायपुर के भनपुरी में रहने वाले विवेक शर्मा, जिन्होंने दुर्घटना में अपना पैर खो दिया था। इस हादसे के बाद विवेक का जीवन जैसे ठहर गया था। चलने-फिरने में असमर्थ होने के कारण उन्हें नौकरी नहीं मिल पा रही थी, और अपने परिवार की जिम्मेदारी भी पूरी नहीं कर पा रहे थे। आज मुख्यमंत्री निवास से बाहर निकलते वक्त उनके हाथ में केवल वॉकर नहीं था, बल्कि उनके चेहरे पर फिर से मुस्कान लौट आई थी। वॉकर मिलने से उनकी जिंदगी में फिर से उम्मीद जगी और उनका खोया हुआ आत्म-गौरव फिर से वापस आ गया। उन्होंने मुख्यमंत्री को दिल से धन्यवाद दिया और कहा, "अब मुझे चलने में कोई परेशानी नहीं होगी, हमारे मुखिया ने मुझे सिर्फ चलने का सहारा नहीं दिया बल्कि जीने की राह दिखा दी।" यह वॉकर विवेक के लिए सिर्फ एक सहारा नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत थी।
बीजापुर के राजूराम वाचम की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। पोलियो की वजह से चलने में तकलीफ झेलने वाले राजूराम को हर दिन 11 किलोमीटर का सफर तय कर आईटीआई पहुंचना पड़ता था। उनकी इस समस्या का हल भी जनदर्शन में मिला। मुख्यमंत्री से मिली मोटराइज्ड ट्राइसाइकिल ने न सिर्फ उनकी तकलीफें कम कीं, बल्कि उन्हें फिर से अपनी पढ़ाई जारी रखने की हिम्मत दी। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय अपने प्रत्येक जनदर्शन में यह सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को मदद मिले और कोई भी व्यक्ति उनकी चौखट से मायूस न लौटे। यही जनदर्शन की असली सफलता है।
रायपुर की उषा ठाकुर, जो ओरल कैंसर से पीड़ित हैं, उनके लिए भी जनदर्शन एक नई उम्मीद लेकर आया। इलाज के लिए 1 लाख रुपए की आर्थिक सहायता पाकर उषा की आंखों में आंसू थे, लेकिन ये आंसू राहत और आभार के थे। उन्हें सिर्फ मदद नहीं मिली, बल्कि उन्होंने यह विश्वास भी पाया कि उनका जीवन मायने रखता है।
इसी तरह, जशपुर से आई दृष्टिबाधित कुमारी रूपवर्षा ने पढ़ाई में आ रही दिक्कतों के लिए ऑर्बिट रीडर यंत्र की जरूरत जाहिर की। मुख्यमंत्री ने उनकी इस मांग को ध्यान से सुना और मदद का आश्वासन देकर उनके भविष्य को संवारने की ओर एक कदम बढ़ाया।
जनदर्शन में न केवल शारीरिक कठिनाइयों से जूझ रहे लोगों को सहारा मिलता है, बल्कि प्रतिभाशाली व्यक्तियों की कला और हुनर को भी नई उड़ान मिलती है। विवेक भोंसले, जो बचपन से ही दिव्यांग हैं, रायपुर के राजा तालाब के निवासी हैं। महज 8 साल की उम्र से ढोलक पर अपनी महारत हासिल करने वाले विवेक को संगीत के प्रति गहरी रुचि है, लेकिन वाद्य यंत्रों की कमी उनके सपनों के बीच आ गई थी।जनदर्शन में मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय से मिलकर उन्होंने वाद्य यंत्र खरीदने के लिए सहायता की मांग की। मुख्यमंत्री ने बिना देर किए 15,000 रुपये की सहायता राशि का चेक सौंपा, जिससे विवेक का हौसला बढ़ने के साथ ही अब उसके लिए संगीत का सफर आसान होगा।
जनदर्शन सिर्फ एक सरकारी कार्यक्रम नहीं, यह संवेदनशीलता, अपनेपन, दुलार, ख्याल और उम्मीद की तस्वीर है। यह एक ऐसे जननेता की कहानी है जो न केवल लोगों की बातें सुनते हैं, बल्कि उनकी समस्याओं को अपना मानकर उनका हल भी ढूंढते हैं। हर बार जनदर्शन में पहुँचे लोग न सिर्फ अपनी परेशानियों का समाधान लेकर लौटते हैं, बल्कि अपने मुखिया के प्रति अटूट विश्वास और एक बेहतर कल की नई उम्मीदों को भी संजोते हैं।