August 03, 2025
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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।

✍️ विशेष लेख | शौर्य विश्लेषण

नागपुर में हाल ही में आयोजित एक पुस्तक विमोचन समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत का एक संक्षिप्त लेकिन गूढ़ वक्तव्य पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। उन्होंने कहा:

"जब आपको कोई 75 साल का होने पर बधाई देता है, तो इसका मतलब होता है कि अब आपको रुक जाना चाहिए और दूसरों को काम करने देना चाहिए।"

भागवत का यह वक्तव्य प्रथम दृष्टया एक सामान्य सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भ में दिया गया बयान प्रतीत होता है, लेकिन इसकी राजनीतिक व्याख्या भी तेजी से होने लगी है — खासकर तब जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले वर्ष (2026 में) अपनी 75वीं वर्षगांठ मनाने वाले हैं।


? प्रसंग: मोरोपंत पिंगले पर विमोचन समारोह

संघ प्रमुख मोहन भागवत नागपुर में संघ विचारक दिवंगत मोरोपंत पिंगले पर लिखी पुस्तक “मोरोपंत पिंगले: द आर्किटेक्ट ऑफ हिंदू रिवाइवलिज्म” के विमोचन कार्यक्रम में बोल रहे थे। इसी दौरान उन्होंने यह टिप्पणी की।

भागवत ने मोरोपंत पिंगले के जीवन और दृष्टिकोण की चर्चा करते हुए कहा कि:

"75 वर्ष की उम्र में उन्होंने सार्वजनिक जिम्मेदारियों से स्वयं को अलग करना एक नैतिक अनुशासन माना था।"

इस संदर्भ में भागवत ने कहा कि यह एक "सीख" है — जिससे नई पीढ़ी को अवसर देने की भावना निहित है।


? राजनीतिक और वैचारिक विमर्श

इस बयान को जैसे ही सार्वजनिक विमर्श में जगह मिली, राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा होने लगी कि कहीं यह वक्तव्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संभावित भविष्य को लेकर कोई संकेत तो नहीं है।

RSS लंबे समय से यह संकेत देता आया है कि संस्था में आयुसीमा और उत्तरदायित्व को लेकर अनुशासन की परंपरा है। संघ के भीतर 75 वर्ष की आयु पार करने पर सक्रिय जिम्मेदारियों से स्वयं हटने का नैतिक अनुशासन देखा गया है।

प्रधानमंत्री मोदी स्वयं भी कई मौकों पर "नए नेतृत्व को स्थान देने" की बात करते रहे हैं, हालांकि उन्होंने अपने रिटायरमेंट को लेकर कभी कोई स्पष्ट टिप्पणी नहीं की।


? क्या यह प्रधानमंत्री मोदी के लिए संकेत है?

यह कहना जल्दबाज़ी होगी कि मोहन भागवत का बयान सीधे तौर पर प्रधानमंत्री मोदी के लिए ही था, लेकिन निम्न कारणों से यह चर्चा को जन्म देता है:

  1. प्रधानमंत्री मोदी 2026 में 75 वर्ष के हो जाएंगे।

  2. संघ की आंतरिक परंपरा में 75 वर्ष के बाद जिम्मेदारियों से मुक्त होने का चलन है।

  3. भागवत ने यह बयान ऐसे समय में दिया जब देश में 2029 की तैयारियों पर सोचने का समय आ चुका है।

हालांकि, यह भी उतना ही सत्य है कि भारतीय राजनीति में आयु से अधिक जनाधार और परिणाम को प्राथमिकता दी जाती है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पार्टी को मिली लगातार दो बड़ी चुनावी जीतें इस यथार्थ का प्रमाण हैं।


⚖️ एक संतुलित दृष्टिकोण क्यों ज़रूरी है?

एक ओर मोहन भागवत का बयान अनुभव और सेवा के सम्मान के साथ प्रत्यावर्तन (transition) की संस्कृति को दर्शाता है, वहीं दूसरी ओर यह किसी के लिए आवश्यक सेवानिवृत्ति का आदेश नहीं, बल्कि आत्मनिरीक्षण और उत्तरदायित्व सौंपने की प्रेरणा है।

यह बयान हमें इस बात की भी याद दिलाता है कि संस्थाएं तभी जीवित रहती हैं जब वे नई ऊर्जा और विचारधारा को स्थान देती हैं, लेकिन साथ ही यह भी महत्वपूर्ण है कि वर्तमान नेतृत्व की उपलब्धियों का समुचित मूल्यांकन हो।


? निष्कर्ष: संकेत, संवाद और संतुलन

संघ प्रमुख मोहन भागवत के इस वक्तव्य को अगर केवल प्रधानमंत्री मोदी के संदर्भ में देखना सीमित दृष्टिकोण होगा। यह एक व्यापक संस्था आधारित चिंतन है जिसमें सेवा, विराम, उत्तरदायित्व, और उत्तराधिकार का संतुलन है।

भारत जैसे विविधतापूर्ण लोकतंत्र में यह जरूरी है कि इस तरह के बयानों को राजनीति के सीमित चश्मे से देखने के बजाय वैचारिक परिपक्वता और संस्थागत अनुशासन के संकेत के रूप में भी समझा जाए।

By - नरेश देवांगन 

जगदलपुर, शौर्यपथ। बरसात का मौसम आ चूका है, गाँव की नालियों की साफ-सफाई समय पे ना होने की वजह से पंचायतों में इन दिनों जगह जगह गंदगी बिखरी पड़ी है। नालियां जगह जगह से पटी पड़ी है। नालियों का गंदा पानी बरसात कि वजह से सड़कों पर जमा हो गया है, जिससे मच्छर पैदा हो रहे हैI कचरे से बजबजाती नालियां दुर्गंध मार रही हैI जिससे ग्रामीणों को परेशानी उठानी पड़ती है। लेकिन पंचायत के सरपंच सचिव के द्वारा इस समस्या का निराकरण जमीनी स्थर पर न कर कागजो पर बिना सफाई कराए सफाई के अपने चहेते के नाम फर्जी बिल बनाकर राशि आहरित कर शासकीय राशि को ठिकाने लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है I ताजा मामला ग्राम पंचायत आमागुड़ा का है, जहा सफाई के नाम से फर्जी बिल लगा कर राशि निकालने का आरोप ग्रामीणों ने लगाया हैI इस मामले पे मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत जगदलपुर को एक लिखित शिकायत भी प्राप्त हुई है I 

प्राप्त जानकारी के अनुसार आमागुड़ा पंचायत रिकॉर्ड में बीते वर्ष– 2021-22 में नाली सफाई कार्य कोटवार घर से बलदेव घर तक लगभग ₹48680 रुपये खर्च दिखाए गए हैं। खर्च राशि के बिल बाउचर मे एक बिल गिट्टी, सेंटरिंग तार ₹24200 रुपए का है। सोचने वाली बात है कि नाली सफाई मे गिट्टी ओर सेंटरिंग तार का क्या उपयोग, ऐ तो पंचायत के जिम्मेदार बातएंगे? इस मामले कि "शौर्यपथ" ने जब मौके पर पड़ताल की, तो नालियों की हालत ज्यों की त्यों पाई गई — गंदगी और कचरे से भरी हुई। गांव के लोगों का कहना है कि सफाई का कार्य केवल कागजों में ही हुआ है। कोटवार घर से बलदेव घर तक निवास कर रहे लोगो ने नाम नहीं छापने की सर्त में बताया, "हमने तो जब से नाली का निर्माण हुआ है कभी नाली साफ करते नहीं देखा। अब तो नाली और सड़क एक जैसा दिख रहा है , लेकिन जब हमने रिकॉर्ड देखा तो रुपये खर्च दिखाए गए हैं। यह सरासर घोटाला है।" ग्रामीणों ने इस मामले की जांच की मांग प्रशासन से की है। ग्रामीणों ने बताया कि साफ सफाई के नाम सचिव ने सरकारी राशि का दुरूपयोग किया है। सफाई के नाम फर्जी बिल लगाकर राशि निकाल ली और गांव में कहीं भी सफाई कार्य नहीं कराया है। ग्रामीणों का कहना है की पंचायत में सरकार की स्वच्छता मिशन का किस प्रकार मजाक बनाया जा रहा हैI अब देखना है की इस और जिम्मेदार अधिकारी गैरजिम्मेदार लोगो के ऊपर क्या कार्यवाही करते है?

? विशेष रिपोर्ट | 12 जुलाई 2025, शनिवार आज का दिन शनिदेव को समर्पित है, और इस पावन शनिवार पर ग्रह-नक्षत्रों की चाल कुछ राशियों…
दुर्ग। शौर्यपथ संवाददाता नगर पालिक निगम दुर्ग के नवनियुक्त सभापति श्याम शर्मा एवं अधिवक्ता नीरज चौबे के बीच ऋषभ कॉलोनी में हुए विवाद ने शहर की सियासी और सामाजिक सरगर्मियों…

दीपक वैष्णव की ख़ास रिपोर्ट
  बस्तर / शौर्यपथ / केशकल नेशनल हाईवे की खराब स्थिति के कारण स्थानीय लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सड़क की खराब स्थिति के कारण यहां तक कि भारी वाहनों की आवाजाही भी बाधित हो रही है, जिससे स्थानीय व्यवसायियों और ढाबा संचालकों को आर्थिक नुकसान हो रहा है।
  विवरण: केशकल घाट में नवीनीकरण कार्य के दौरान भारी वाहनों के आवाजाही बंद होने से ढाबा संचालकों की परेशानी बढ़ गई है। दो महीने से भारी वाहनों के आवाजाही बंद होने से ढाबे वीरान हो गए हैं। स्थानीय लोगों और व्यवसायियों की मांग है कि सड़क की स्थिति में सुधार किया जाए और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदारों पर कार्रवाई की जाए।
  आरोप: कुछ महीने पहले ही इस सड़क का नवीनीकरण कराया गया था, लेकिन 4 से 5 महीने भी यह सड़क नहीं टिक पाई। इससे शासन प्रशासन की विकास योजनाओं की पोल खुल रही है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी के कारण सड़क की स्थिति और भी खराब हो रही है।
 आवश्यक कदम: सड़क की स्थिति में सुधार करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए। जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जानी चाहिए जो सड़क की स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं। स्थानीय लोगों को भी सड़क की स्थिति में सुधार के लिए भागीदारी करनी चाहिए।

दुर्ग नगर निगम बेहाल: विकास ठप, सफाई बदहाल, जनता अब अपने ही फैसलों पर पछता रहीदुर्ग। शौर्यपथ।दुर्ग नगर निगम की मौजूदा हालात ने नगरवासियों को सोचने पर मजबूर कर दिया…

  रायपुर / शौर्यपथ / भारत सरकार के केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री दुर्गा दास उइके ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में सौजन्य भेंट की।
  मुख्यमंत्री साय ने श्री उइके का पारंपरिक कोसा वस्त्र और बेल मेटल से निर्मित स्मृति चिह्न भेंट कर आत्मीय स्वागत किया। इस अवसर पर दोनों नेताओं के बीच छत्तीसगढ़ के जनजातीय क्षेत्रों के समग्र विकास, जनजातीय युवाओं के सशक्तिकरण, शिक्षा, स्वास्थ्य, एवं आधारभूत संरचना से जुड़े विषयों पर विस्तार से चर्चा हुई।
  मुख्यमंत्री साय ने प्रदेश सरकार द्वारा जनजातीय अंचलों में चलाए जा रहे विकासात्मक कार्यों एवं योजनाओं की जानकारी दी तथा इन क्षेत्रों में भारत सरकार के सहयोग को महत्वपूर्ण बताया। केंद्रीय राज्य मंत्री श्री उइके ने भी जनजातीय कल्याण हेतु केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई और राज्य के प्रयासों की सराहना की।

आदिवासी-ग्रामीण उपभोक्ताओं को बड़ी राहत, कृषि भार राज्य सरकार पर

रायपुर, छत्तीसगढ़।
छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए विद्युत दरों का अनुमोदन कर दिया है। नई दरें सभी वर्गों—विशेषकर ग्रामीण, आदिवासी और किसानों—के लिए राहतकारी सिद्ध होंगी। छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के प्रबंध निदेशक श्री भीमसिंह कंवर ने बताया कि इस वर्ष विद्युत दरों में केवल 1.89 प्रतिशत की नाममात्र वृद्धि की गई है, जो औसत घरेलू उपभोक्ता के लिए मात्र 10 से 20 पैसे प्रति यूनिट की अतिरिक्त लागत लाएगी।

⚡ लागत ₹7.02, घरेलू दर ₹4.10 — उपभोक्ताओं पर कम भार

राज्य विद्युत कंपनियों को प्रति यूनिट विद्युत की वास्तविक लागत ₹7.02 बैठती है, फिर भी न्यूनतम घरेलू दर मात्र ₹4.10 रखी गई है, जिससे लाखों उपभोक्ताओं को राहत मिलती रहेगी।

? कृषि उपभोक्ताओं को पूर्ण राहत

कृषि पंपों के लिए दरों में 50 पैसे प्रति यूनिट की वृद्धि की गई है, किंतु इसका भार राज्य सरकार वहन करेगी। किसानों पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा। साथ ही, गैर-सब्सिडी वाले कृषि पंप उपभोक्ताओं की छूट 20% से बढ़ाकर 30% कर दी गई है।

? ग्रामीण व आदिवासी अंचलों को प्राथमिकता

  • बस्तर व सरगुजा जैसे क्षेत्रों के स्टे-होम्स को घरेलू श्रेणी में शामिल कर सस्ती बिजली उपलब्ध कराई जाएगी।

  • वामपंथ प्रभावित क्षेत्रों में मोबाइल टॉवरों पर 10% ऊर्जा प्रभार की छूट दी गई है जिससे संचार नेटवर्क मजबूत होगा।

  • आदिवासी अंचलों, मुरमुरा-पोहा उद्योगों और प्रिंटिंग प्रेस को भी विशेष रियायतें दी गई हैं।

?‍? महिला स्वसहायता समूहों को प्रोत्साहन

महिला सशक्तिकरण के तहत, पंजीकृत महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा संचालित व्यवसायों को 10% ऊर्जा छूट की सुविधा यथावत रखी गई है।

? स्वास्थ्य सेवाओं को राहत

ग्रामीण क्षेत्रों व आदिवासी विकास प्राधिकरणों में संचालित अस्पतालों, नर्सिंग होम और डायग्नोस्टिक सेंटर पर पूर्ववत 5% ऊर्जा प्रभार की छूट जारी रहेगी।

? इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग को बढ़ावा

  • निम्न दाब चार्जिंग इकाइयों के लिए दर ₹7.02 प्रति यूनिट

  • उच्च दाब के लिए ₹6.32 प्रति केव्हीएएच निर्धारित

? औद्योगिक वर्गीकरण में बदलाव से राहत

प्रिंटिंग प्रेस एवं ऑफसेट प्रिंटर्स को गैर-घरेलू से हटाकर औद्योगिक श्रेणी में शामिल किया गया है, जिससे इनकी बिजली दरों में कमी आएगी।

? अन्य राहतें

  • अग्रिम भुगतान करने वाले उपभोक्ताओं को अब 1.25% छूट (पहले 0.50%)

  • घरेलू अस्थायी कनेक्शन पर टैरिफ 1.5 गुना के बजाय अब केवल 1.25 गुना

  • पोहा-मुरमुरा मिलों को छूट 5% से बढ़कर 10%

  • किसानों को 100 वॉट तक लाइट-पंखा उपयोग की अनुमति पहले की तरह जारी रहेगी

निष्कर्ष

यह नई विद्युत दर व्यवस्था समावेशी, न्यायसंगत और दीर्घकालिक विकास को ध्यान में रखते हुए तय की गई है। इससे राज्य के प्राथमिकता वर्ग — किसान, ग्रामीण, आदिवासी, महिलाएं और छोटे व्यवसाय — लाभान्वित होंगे। राज्य सरकार और विद्युत कंपनियों की यह पहल जनहित में एक संतुलित और दूरदर्शी निर्णय के रूप में सामने आई है।

नई दिल्ली // शौर्यपथ:
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने अब उन FASTags को ब्लैकलिस्ट करने का निर्णय लिया है जो वाहनों पर सही तरीके से अफिक्स (चिपकाए) नहीं किए गए हैं। यह कदम ईमानदारी से टोल कलेक्शन और "वाहन से जुड़ा FASTag" सिद्धांत को सख्ती से लागू करने के उद्देश्य से उठाया गया है।

NHAI ने कहा है कि—

  • यदि FASTag को वाहन की विंडस्क्रीन पर ठीक से स्थायी रूप से नहीं चिपकाया गया है, तो उसे अवैध माना जाएगा।

  • ऐसे सभी FASTags को ब्लैकलिस्ट किया जाएगा और उनसे टोल वसूली बंद कर दी जाएगी।

  • इससे टोल प्लाजा पर बेईमानी से बचा जा सकेगा, जैसे एक ही FASTag को कई वाहनों पर उपयोग करना।

NHAI की मंशा:
यह कदम FASTag प्रणाली को पारदर्शी और वाहन-विशिष्ट बनाने के लिए है। इससे टोल कलेक्शन प्रक्रिया और ज्यादा कुशल, सुरक्षित और निष्पक्ष होगी।

क्या करना जरूरी है?

  • वाहन मालिकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनका FASTag उनके वाहन के विंडस्क्रीन पर ठीक से चिपका हो।

  • यदि किसी कारण से FASTag क्षतिग्रस्त हो या चिपका नहीं है, तो उसे तुरंत बदलवा कर सही जगह पर लगाना होगा।

पृष्ठभूमि:
FASTag को केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रहण प्रणाली के रूप में अनिवार्य किया है, जिससे नकद लेनदेन कम हो और टोल प्लाजा पर जाम न लगे।

रायपुर / शौर्यपथ /

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने प्रदेश की बिजली व्यवस्था और दरों में बढ़ोत्तरी को लेकर भाजपा सरकार पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि सरकार न तो बिजली दे पा रही है और न ही जनता को राहत। ऊपर से लगातार बिजली दरों में बढ़ोत्तरी कर आम जनता पर बोझ डाला जा रहा है।

श्री शुक्ला ने कहा—

  • बिजली दरों में फिर बढ़ोत्तरी:
    घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 10 से 20 पैसे और गैर-घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 25 पैसे प्रति यूनिट की वृद्धि की गई है। इससे पहले भी सरकार ने 11% की वृद्धि की थी। डेढ़ साल में कुल 19.31% बिजली दरें बढ़ाई जा चुकी हैं।

  • महंगाई की मार झेल रही जनता पर अत्याचार:
    श्री शुक्ला ने कहा कि महंगाई की मार झेल रही जनता पर यह बिजली दरों की बढ़ोत्तरी "जख्मों पर नमक" छिड़कने जैसा है। लोगों के बिजली बिल दोगुने आ रहे हैं और आम आदमी परेशान है।

  • स्मार्ट मीटर से बढ़ा संकट:
    स्मार्ट मीटर लगाने के बाद बिलों में भारी वृद्धि दर्ज की गई है। कांग्रेस ने इसका विरोध किया है।

  • ‘बिजली बिल हाफ’ योजना को बताया जनहितकारी:
    कांग्रेस सरकार की ‘बिजली बिल हाफ’ योजना से 44 लाख उपभोक्ताओं को लाभ मिला था और 5 वर्षों में प्रत्येक को औसतन 40–50 हजार रुपये की बचत हुई थी।

  • अब बिजली कटौती आम बात:
    पहले विद्युत सरप्लस राज्य रहा छत्तीसगढ़ अब बिजली कटौती का केंद्र बन गया है। हर दिन 2–4 घंटे की बिजली बंद रहती है, और कई जिलों में पूरी रात बिजली नहीं रहती।

  • गांव-शहर सभी प्रभावित:
    बिजली कटौती और लो-वोल्टेज की समस्या से गांव और शहर दोनों जूझ रहे हैं। गर्मियों में स्थिति और खराब हो जाती है।

  • कांग्रेस सरकार में 24 घंटे आपूर्ति:
    कांग्रेस सरकार के दौरान आवश्यकता पड़ने पर दूसरे राज्यों से भी बिजली खरीदी जाती थी ताकि 24 घंटे बिजली सुनिश्चित की जा सके। किसानों को बोरवेल चलाने के लिए मुफ्त बिजली दी जाती थी।

  • ट्रांसफार्मर और ट्रांसमिशन सुधार:
    कांग्रेस कार्यकाल में निर्बाध बिजली आपूर्ति के लिए ट्रांसफार्मरों की क्षमता बढ़ाई गई थी और ट्रांसमिशन व्यवस्था को भी अपग्रेड किया गया था।

शुक्ला ने भाजपा सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि सिर्फ वादे और प्रचार से सरकार नहीं चलती, धरातल पर काम दिखना चाहिए। बिजली जैसी बुनियादी सुविधा देने में सरकार पूरी तरह विफल है।

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