August 03, 2025
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दुर्ग

दुर्ग (4774)

अशोक करिहार आत्महत्या मामला बना प्रशासन के लिए बड़ा सवाल ?
शौर्यपथ समाचार / विशेष रिपोर्ट / दुर्ग
  दुर्ग नगर निगम में कार्यरत सफाई कामगार अशोक करिहार की आत्महत्या ने निगम प्रशासन, विशेषकर उपायुक्त महेंद्र साहू की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। 27 सितंबर 2022 की सुबह जब अशोक करिहार अपने ही घर में फांसी पर झूलते मिले, तब न केवल उनका परिवार बल्कि पूरा नगर निगम सकते में आ गया।
बीमारी और छुट्टी के लिए संघर्ष बना मौत की वजह?
अशोक करिहार, जो लंबे समय से विभिन्न बीमारियों से पीडि़त थे, ने छुट्टी के लिए आवेदन दिया था। सूत्रों के अनुसार, उनके पास उपलब्ध वैध छुट्टियां थीं, लेकिन इसके बावजूद उपायुक्त महेंद्र साहू, जो छुट्टी स्वीकृत करने के अधिकृत अधिकारी थे, ने छुट्टी मंजूर नहीं की।
यह भी चर्चा में आया कि छुट्टी स्वीकृति से संबंधित नोटशीट में जानबूझकर हेराफेरी की गई। रिश्वत की मांग और मानसिक प्रताडऩा की संभावना को लेकर भी चर्चा तेज है। इसी के चलते अशोक करिहार ने आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठाया।
सुसाइड नोट: सिस्टम पर गंभीर आरोप
  घटना के बाद सोशल मीडिया पर एक कथित सुसाइड नोट वायरल हुआ जिसमें अशोक करिहार ने अधिकारियों की प्रताडऩा का जि़क्र करते हुए अपने पुत्र को अनुकंपा नियुक्ति देने की बात लिखी थी। हालांकि इस नोट की आधिकारिक पुष्टि अब तक नहीं हो पाई है, लेकिन नगर निगम में इस नोट को लेकर कई चर्चाएं हुईं।
संदेहास्पद गति से हुई अनुकंपा नियुक्ति
  अशोक करिहार की मृत्यु के मात्र 12 दिन के अंदर उनके पुत्र अनिल करिहार को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान कर दी गई। इस प्रक्रिया में जो बात सबसे अधिक चौंकाती है वह यह कि मृत्यु प्रमाण पत्र और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बिना ही नियुक्ति पूरी कर दी गई।
10 अक्टूबर 2022 को अशोक करिहार के पुत्र ने नौकरी भी ज्वाइन कर ली , जबकि मृत्यु प्रमाण पत्र 19 अक्टूबर को निर्गत हुआ। इसका अर्थ यह है कि बिना मृत्यु की पूरी औपचारिक पुष्टि के ही नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर दी गई।
पूर्ववर्ती आवेदकों की अनदेखी
 जबकि नगर निगम में अन्य लगभग 40 परिवार अनुकंपा नियुक्ति के लिए वर्षों से प्रतीक्षा कर रहे हैं, ऐसे में इतनी तेजी से सिर्फ अशोक करिहार के पुत्र की नियुक्ति होना संदेह को और गहरा करता है। क्या यह उपायुक्त महेंद्र साहू और अशोक करिहार के बीच हुए विवाद की भरपाई का प्रयास था? या फिर यह उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों के संबंधों और प्रभाव का परिणाम?
संवैधानिक शक्तियों का दुरुपयोग?
स्थापना शाखा के प्रमुख के रूप में महेंद्र साहू की भूमिका अब सवालों के घेरे में है। यदि सत्यता यही है कि बिना नियमों का पालन किए, एक विवादित परिस्थिति में, मात्र राजनीतिक या प्रशासनिक संबंधों के दम पर नियुक्ति की गई, तो यह न केवल संवैधानिक शक्तियों का दुरुपयोग है, बल्कि भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा भी है।
प्रशासन को देना चाहिए जवाब
यह मामला अब उच्च स्तरीय जांच की मांग करता है। यदि किसी कर्मचारी की मृत्यु के पीछे प्रशासनिक उत्पीडऩ की भूमिका है, तो यह मानवाधिकारों का सीधा उल्लंघन है। नगर निगम प्रशासन और राज्य शासन को इस मामले की निष्पक्ष जांच करानी चाहिए और दोषियों को दंडित करना चाहिए।
सार
दुर्ग नगर निगम का यह प्रकरण दर्शाता है कि कैसे एक आम सफाई कर्मचारी को सिस्टम की बेरुखी ने आत्महत्या के लिए मजबूर कर दिया और कैसे बाद में उस मौत का इस्तेमाल संभवत: कुछ अधिकारी अपने कर्तव्यों से बचाव और लाभ के लिए करते दिखाई दे रहे हैं।
प्रश्न यह है कि—क्या इस मामले की जांच होगी या फिर एक और मौत सिर्फ आंकड़ा बनकर रह जाएगी?

"स्वच्छता अभियान के कर्मचारी बना दिए गए बाबू! नियमों की उड़ रही धज्जियां"

– शौर्यपथ विशेष रिपोर्ट

दुर्ग। क्या नगर निगम अब कर्मचारियों की मनमानी से चलेगा या चुने हुए जनप्रतिनिधियों के निर्देशों से? यह सवाल आज दुर्ग निगम के कर्मचारियों के मन में गूंज रहा है। कारण है – महापौर अलका बाघमार द्वारा दिए गए स्पष्ट निर्देशों की अनदेखी और अधिकारियों की कार्यशैली में गहराई से जमी उदासीनता।
  हाल ही में सामने आया मामला न केवल एक कर्मचारी की पदस्थापना से जुड़ा है, बल्कि यह सीधे-सीधे शहरी प्रशासन की गंभीर चूक और जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का उदाहरण भी बन चुका है।

महापौर का निर्देश... और उसका उल्लंघन!

मामला जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र पंजीयन शाखा से जुड़ा है, जहां पिछले दो वर्षों से मिशन क्लीन सिटी के अंतर्गत नियुक्त एक कर्मचारी कार्यालयीन कार्य में सलग्न है – जबकि मिशन क्लीन सिटी के कर्मचारियों को शुद्धत: फील्ड ड्यूटी (साफ-सफाई एवं नगर व्यवस्था) के लिए ही नियुक्त किया गया है।
  महापौर अलका बाघमार ने इसे गंभीर मानते हुए उक्त कर्मचारी को मूल कार्यक्षेत्र (फील्ड ड्यूटी) में वापस भेजने के निर्देश स्वास्थ्य विभाग के सक्षम अधिकारी धर्मेश मिश्रा को दिए। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से आज तक उस कर्मचारी की पदस्थापना वहीं की वहीं बनी हुई है।

जब इस पर स्वास्थ्य अधिकारी धर्मेश मिश्रा से जानकारी मांगी गई तो उनका उत्तर था – "कर्मचारी को नियंत्रित स्थान पर भेज दिया गया है।"
लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है – संबंधित कर्मचारी अब भी जन्म-मृत्यु पंजीयन शाखा शाखा में कार्यरत है। तो क्या अधिकारी झूठ बोल रहे हैं? या फिर महापौर के निर्देश अब महज कागजों तक सीमित रह गए हैं?

नियमों की धज्जियां, प्रशासन की चुप्पी

स्वच्छ भारत मिशन जैसे महत्वपूर्ण अभियान के कर्मचारी यदि कार्यालयों में भृत्य की भूमिका में बैठाए जाएंगे, तो न तो मिशन सफल होगा और न ही प्रशासन पर जनता का विश्वास बच पाएगा। नगर निगम का यह रवैया साफ तौर पर यह संकेत देता है कि यहां या तो नियमों की समझ नहीं है, या फिर नियमों की धज्जियां उड़ाना अब सामान्य चलन बन गया है।

एक चिंगारी से उठेगा आंदोलन?

इस खुलासे के बाद निगम के अन्य मिशन क्लीन सिटी कर्मचारी भी अब अंदरखाने सक्रिय हो गए हैं। जिनकी शैक्षणिक योग्यता बेहतर है, वे भी अब फील्ड की जगह कार्यालयों में पदस्थापना की मांग करने लगे हैं। यह स्थिति अगर आगे भी बनी रही, तो यह न केवल प्रशासनिक असंतुलन को जन्म देगी, बल्कि एक बड़े असंतोष और आंदोलन की भूमि भी तैयार करेगी।

प्रश्न जनता का, जवाब प्रशासन का...?

क्या निगम में महापौर के निर्देशों का कोई औचित्य नहीं बचा?
क्या अधिकारी जानबूझकर नियमों को तोड़ रहे हैं?
और क्या नगर निगम का प्रशासन अब "जुगाड़ व्यवस्था" से संचालित होगा?
शहर अब जवाब मांग रहा है। प्रशासन को यह तय करना होगा कि वह नियमों के साथ चलेगा या चुप्पी की चादर ओढ़े रहेगा।

मिशन क्लीन सिटी के अंतर्गत, कर्मचारियों द्वारा मुख्य रूप से डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण और निपटान का कार्य किया जाता है। इसके अतिरिक्त, वे सूखा और गीला कचरा अलग-अलग एकत्र करते हैं, और कचरे को सॉलिड एंड लिक्विड रिसोर्स मैनेजमेंट (एसएलआरएम) केंद्रों में अलग-अलग करके रिसाइकिलिंग उद्योगों को बेचते हैं.
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मिशन क्लीन सिटी का उद्देश्य न केवल शहरों को साफ रखना है, बल्कि सफाई कर्मचारियों के जीवन को भी बेहतर बनाना है.

दुर्ग/शौर्यपथ /नगर पालिक निगम सीमा क्षेत्र अंतर्गत वार्ड 60 रायपुर नाका में स्थिति मुक्तिधाम का निरीक्षण महापौर श्रीमती अलका बाघमार ने वार्ड पार्षद सहित लोक कर्म प्रभारी देवनारायण चन्द्राकर के साथ मौके पर उपस्थित ठेकेदार को जल्द ही कार्यो को पूरा करने को कहा गया।उन्होंने कहा कि मुक्तिधाम क्षेत्र स्थल पर बाउंड्रीवाल के किनारे-किनारे चारो तरफ छायादार पौधे रोपण करने के निर्देश दिए।साथ ही मुक्तिधाम में बेहतर साफ सफ़ाई करने,गाजर घास को काटने के लिए भी निर्देश दिए गए।इस दौरान प्रभारी देवनारायण चंद्राकर, देवनारायण तांडी,अरुण सिंह,शिवेंद्र परिहार,रंजिता पाटिल,निखिल खिचारिया, सहायक अभियंता संजय ठाकुर,उपअभियंता पंकज साहू के अलावा ठेकेदार उपस्थित रहे।
रायपुर नाका मुक्तिधाम में चल रहे उन्नयन व सुंदरीकरण कार्य का निरीक्षण करने महापौर श्रीमती अलका बाघमार टीम के साथ पहुँची।उन्होंने प्रतीक्षा शेड व दाह संस्कार के लिए शेड मरम्मत का निर्माण किया जाना है, यह कार्य प्रगति पर हैं। इस कार्य के लिए 24 लाख रुपये की स्वीकृति प्रदान की गई है। इसी तरह मुक्तिधाम के भीतर शेड, नल कनेक्शन, पुराने मंच की रिपेयरिंग करते हुए चारों ओर छायादार वृक्ष लगाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि मुक्तिधाम में आने वाले शोकाकुल परिवारों के नहाने के लिए उचित व्यवस्था करते हुए स्नान स्थल, पीने की पानी की व्यवस्था, पाइप लाइन व्यवस्था, भवन मरम्मत सहित  किए जाने के लिए निर्देशित किया गया है।

"97 लाख रुपये के निर्माण कार्य में लापरवाही और भ्रष्टाचार के कारण हुआ बड़ा नुकसान, दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग"

   दुर्ग / शौर्यपथ / भिलाई-चरोदा निगम क्षेत्र में बमनीन तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए 97 लाख रुपये की लागत से चल रहा निर्माण कार्य भ्रष्टाचार और लापरवाही की शर्मनाक मिसाल बन गया है। वार्ड क्रमांक 9 स्थित शीतला पारा में बमनीन तालाब की दीवार, जो हाल ही में बनाई गई थी, महज आधे घंटे की बारिश में ढह गई। यह घटना निगम क्षेत्र में चल रहे सौंदर्यीकरण कार्यों की गुणवत्ता पर गहरा सवाल उठाती है।

दीवार के गिरने से हुआ बड़ा नुकसान
यह हादसा रविवार शाम को अचानक आई तेज बारिश के कारण हुआ। बारिश में भारी पानी गिरने से तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए बनाई गई दीवार ढह गई, जिससे लगभग 100 फीट तक दीवार बिखर गई। बताया जा रहा है कि दीवार की नींव कमजोर थी, जिसके कारण यह दीवार बारिश का दबाव सहन नहीं कर पाई। दीवार के नीचे पेवल ब्लॉक लगाए गए थे, जो अब बिखर गए हैं और यह पूरी घटना निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठाती है।

निर्माण कार्य में लापरवाही और भ्रष्टाचार का आरोप
तालाब सौंदर्यीकरण में इस तरह की बड़ी लापरवाही को लेकर स्थानीय नागरिकों, पार्षद सुषमा चंद्राकर और सांसद प्रतिनिधि विपिन चंद्राकर ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि निगम में चल रहे निर्माण कार्यों में निर्धारित मानकों का पालन नहीं किया जा रहा। ठेकेदार ने काम में गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा और केवल "कमीशन" को प्राथमिकता दी। स्थानीय नेताओं का कहना है कि कई बार निगम के अधिकारियों को निर्माण कार्यों का निरीक्षण करने की मांग की गई, लेकिन अधिकारियों ने कभी इस पर ध्यान नहीं दिया।

कमीशन खोरी का आरोप
स्थानीय नेताओं ने यह भी कहा कि निगम में बढ़ी हुई कमीशन खोरी के कारण निर्माण एजेंसी को गुणवत्ता पर ध्यान देने की कोई चिंता नहीं रही। इससे यह साफ़ हो गया है कि अधिकारियों ने जानबूझकर निर्माण कार्य की निगरानी में लापरवाही बरती, जिससे सार्वजनिक धन की बर्बादी हुई और जनता को नुकसान उठाना पड़ा।

पार्षद और सांसद प्रतिनिधि की तीखी प्रतिक्रिया
स्थानीय पार्षद सुषमा चंद्राकर और सांसद प्रतिनिधि विपिन चंद्राकर ने आरोप लगाया है कि कई बार निगम में काम की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठाए गए थे, लेकिन प्रशासन ने हमेशा इसे नजरअंदाज किया। चंद्राकर ने कहा, "हमने अधिकारियों से बार-बार निर्माण कार्य का निरीक्षण करने का आग्रह किया, लेकिन उन्होंने कभी कोई कार्रवाई नहीं की। अब एक और घटिया काम सामने आ गया है। यह साफ दिखाता है कि निगम में भ्रष्टाचार बढ़ चुका है और ठेकेदारों को गुणवत्ता पर ध्यान देने की कोई परवाह नहीं है।"

महापौर की प्रतिक्रिया
महापौर निर्मल कोसरे ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "मुझे सुबह ही इस घटना की जानकारी मिली है और मैं अधिकारियों से पूरी जानकारी प्राप्त कर रहा हूं। हम इस मामले की गहरी जांच करेंगे और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे।" महापौर ने यह भी कहा कि निगम क्षेत्र में कुछ अन्य तालाबों का सौंदर्यीकरण कार्य भी चल रहा है और इस संबंध में उचित कदम उठाए जाएंगे।

स्थानीय नागरिकों का गुस्सा और सरकार से अपील
इस घटना ने स्थानीय नागरिकों को भी आक्रोशित कर दिया है। उन्होंने सरकार और निगम से अपील की है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए ठेकेदारों और अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए। नागरिकों का कहना है कि यदि प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई नहीं की, तो यह भ्रष्टाचार की सड़ी-गली स्थिति को और बढ़ावा देगा।

समाज का ध्यान और प्रशासन की जिम्मेदारी
यह घटना इस बात का संकेत है कि जब तक सरकारी कार्यों में पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित नहीं की जाएगी, तब तक ऐसे भ्रष्टाचार और लापरवाही के मामले सामने आते रहेंगे। इस तरह के निर्माण कार्यों में गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए कड़ी निगरानी, निरीक्षण और मानकों का पालन अनिवार्य होना चाहिए। सार्वजनिक धन का सही उपयोग सुनिश्चित करना सरकारी अधिकारियों और ठेकेदारों की जिम्मेदारी है।

दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग
सभी स्थानीय नेताओं और नागरिकों का यह स्पष्ट मत है कि इस मामले में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। ठेकेदार, निगम अधिकारी और उन सभी को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए, जिन्होंने निर्माण कार्य में लापरवाही बरती और सार्वजनिक धन का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किया।

भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर कदम की जरूरत
इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि भ्रष्टाचार और लापरवाही किसी भी सरकार या प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि सार्वजनिक धन का सही तरीके से उपयोग हो और आम नागरिक को इसका लाभ मिल सके।

निष्कर्ष:
तालाब सौंदर्यीकरण में इस तरह की घटना यह साफ दिखाती है कि भ्रष्टाचार और लापरवाही की वजह से विकास कार्यों की गुणवत्ता पर असर पड़ता है। अब यह प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह इस मामले की पूरी जांच करके दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करे और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए।

 हाट बजारों में सूखी मछली बिक्री पर नजर
रिसाली /शौर्यपथ /निचली बस्ती हो या फिर पाॅश कालोनी मच्छर का प्रकोप हर जगह होता है। मच्छर के काटने से डेंगू, मलेरिया समेत फाइलेरिया और जल जनित बीमारी से बचाव हम खुद कर सकते है। सोमवार को नगर पालिक निगम रिसाली आयुक्त मोनिका वर्मा और जिला मलेरिया अधिकारी डाॅ. सी.बी.सी. बंजारे ने कार्यशाला में जल जनित रोग और मच्छर से बचाव के तरीकों को विस्तार से बताया।
आयुक्त मोनिका वर्मा ने कहा कि कर्मचारी प्रत्येक बुधवार को अपने कार्य स्थल पर सफाई करे और रविवार को सार्वजनिक और रिहायशी इलाकों में कूलर की जांच करे। प्रत्येक घर में दस्तक दे। वहीं जिला मलेरिया अधिकारी ने बचाव के तरीके को विस्तार से बताया। आयुक्त मोनिका ने साप्ताहिक बाजारों में सूखी समुद्री मछली बिक्री पर नजर रखने का भी निर्देश दी है। कार्यशाला में स्वास्थ्य विभाग के सुपरवाइजर, आजीविका विभाग के सिटी मिशन प्रबंधक, कर्मचारी उपस्थित थे।
प्रशिक्षण में यह बताया
- सबसे पहले कूलर को साफ करना है। अगर कूलर के टैंक में लार्वा या फिर कूलर में कीड़े नजर आए तो टेमीफाॅस डाले और 1 घंटे तक कूलर में लगे टूल्लू पंप को चालू रखे। इसके बाद पानी को खाली कर दे।
- घर के आंगन, किचन गार्डन और छत को अच्छे से देखे कि ऐसा कोई बर्तन, खिलौना का टुकड़ा या फिर ऐसा कोई चीज तो नहीं पड़ा है, जिसमें बारिश का पानी जमा हो।
- घर के परिसर में खुले में डस्टबीन रखा है तो उसे ढक कर रखे।
- घर के आस पास पानी ठहराव न होने दे।
होगी अब कार्रवाई
आयुक्त मोनिका वर्मा ने निगम के स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए कि घरों में टेमीफाॅस दवा उपलब्ध कराए। साथ ही बीमारी से बचने के तरीके को बताए। अगर लापरवाही होती है तो महामारी एक्ट के तहत पहली बार 500 दूसरी बार 1000 तीसरी बार 2000 जुर्माना वसूल करे।
जन स्वास्थ्य विभाग इस पर करेगा फोकस
- बंद आवास में पानी तो नहीं बह रहा।
- गली मुहल्ले में पानी जमा तो नहीं हो रहा।
- ठेले व गुमटी संचालक दुकान के पीछे खुले में पानी स्टोर कर तो नहीं रहे है।
- टायर खुले या दुकानों में जमा कर रखा तो नहीं गया है।
- बाजार में कही सब्जी व फल के अवशेष तो खुले में नहीं फेका गया है।
सूखी मछली की बिक्री पर नजर
निगम के कर्मचारी खासकर रूआबांधा बाजार में सूखी मछली की बिक्री पर नजर रखेंगे। अगर समुद्री सूखी मछली बेचते मिलने पर मछली को जब्त किया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग ने प्रशिक्षण में खुलासा किया है कि बारिश के समय समुद्री सूखी मछली में नमक की मात्रा होने की वजह से कीड़े लग जाते है। जो सेहत के लिए नुकसानदायक है।

-मेयर,कमिश्नर के अचानक दबिश. जिसके बाद कार्यालाय में मच गया हड़कंप:
दुर्ग/शौर्यपथ /महापौर श्रीमती अलका बाघमार, आयुक्त सुमित अग्रवाल ने नगर निगम कार्यालय का निरीक्षण किया. इस दौरान कुल 64 कर्मचारी नदारद मिले. महापौर व आयुक्त ने वेतन काटने का आदेश दिए.
महापौर श्रीमती बाघमार इन दिनों एक्शन मोड में हैं.वह दूसरी बार निगम कार्यालय का औचक निरीक्षण कर रहे हैं.कहा निगम कार्यालाय का निरन्तर निरीक्षण किया जाएगा।महापौर के अचानक दबिश. जिसके बाद कार्यालाय में हड़कंप मच गया.
महापौर श्रीमति बाघमार कार्यालय खुलने के समय सुबह राजस्व विभाग,स्थापना शाखा दफ्तर पहुंचे. सभी विभाग का हाजिरी रजिस्टर की जांच की जहां लोक कर्म विभाग 7, बाजार विभाग से 6, लोक सेवा केंद्र 3,जन सूचना विभाग 2,राजस्व विभाग प्लेसमेंट कर्मचारी 10,लेखा शाखा 13,लोक कर्म विभाग 1,सचिवालय 5,स्थापना शाखा 3,राजस्व विभाग कर्मचारी 14,स्वास्थ्य विभाग 1 बड़ी संख्या में कर्मचारी कार्यलय से नदारद मिले.कर्मचारी अनुपस्थित पाए जाने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए आधे दिवस का वेतन काटे जाने की कार्यवाही की गई.उन्होंने सभी कर्मचारियों के टेबल पर नाम पट्टिका आवश्यक रूप से रखे जाने के निर्देश दिए।निरीक्षण के दौरान एमआईसी नरेंद्र बंजारे,शेखर चन्द्राकर,ज्ञानेश्वर ताम्रकर,कार्यालाय अधिक्षक आरके बोरकर,पंकज चंद्रवंशी सहित अन्य मौजूद रहें।
महापौर अलका बाघमार ने अनुपस्थित कर्मचारियों पर कार्यवाही करते हुए सभी कर्मचारियों को समय पर कार्यालय में उपस्थित होने के निर्देश दिए।

दुर्ग/शौर्यपथ / भारतीय स्वायत्तशासी कर्मचारी महासंघ सम्बद्ध भारतीय मजदूर संघ का  राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक अधिवेशन के द्वितीय दिवस दुर्ग लोक सभा के सांसद विजय बधेल ने कहा कि भारतीय मजदूर संघ के कार्यकर्ता संगठन के लिए समर्पित तथा देश की उन्नति के लिए निष्ठावान होते है. इस अधिवेशन के माध्यम से जानकारी में आया है कि छत्तीसगढ़ में चुँगी क्षतिपूर्ति की  राशि 34 रूपया प्रति व्यक्ति कि मान से निकायो को भुगतान हो रहा जबकि मध्यप्रदेश में यह राशि 109 रूपया है. इस भिन्नता को समाप्त कर प्रदेश के निकाय को आर्थिक रूप से मजबूत करना चाहिए। विधायक ललित  चन्द्राकर ने कहा कि भारतीय मजदूर संघ के कार्यकर्ता अपने शासकीय दायित्व के साथ कर्मचारी हित में भी मजबूती के साथ कार्य करते है. उन्होने आगे कहा कि चुँगी क्षतिपूर्ति की भिन्नता की जानकारी मुख्यमंत्री के समक्ष रख कर समानता का प्रयास किया जाऐगा. अधिवेशन में उपस्थित दुर्ग निगम आयुक्त सुमित अग्रवाल ने अधिवेशन की बधाई प्रेषित किया।
अधिवेशन के अन्तिम सत्र में  प्रदेश के नवीन कार्यसमिति के लिए संरक्षक विष्णु चन्द्राकर, अध्यक्ष शरद दुबे, कार्यकारी अध्यक्ष अनिल वाचपेयी, महामंत्री अनिल सिंह,संगठन मंत्री अमरनाथ दुबे, संयुक्तमंत्री कृष्णा देशमुख, कोषाध्यक्ष उपाध्यक्ष रामवृक्ष यादव,  गोपाल सिन्हा, राम अवतार साहू, अरूण मिश्रा, अरूण सूर्यवंशी,सिद्धार्थ मिश्रा, मंत्री रीता चतुर्वेदी, दुर्गेश गुप्ता, हसीब खान, रामलाल विश्वकर्मा, अनिता कश्यप, उदय राज सिंह भोसले, के साथ ही कार्यकारिणी की धोषणा किया गया।
अधिवेशन में दुर्ग निगम अध्यक्ष संजय मिश्रा,अनिल सिंह,दुर्गेश गुप्ता,रामबिहारी शर्मा, चन्द्रपाल हरमुख, नलनीश मिश्रा, नवीन साहू, लोकेश बया, संतोष पाण्डेय, शालनी गुरव, विवेक रंगनाथ, विजेंद्र परिहार, गिरधर वर्मा, वामन राव, रेखा कुर्र, यशवंत साहू, शशिकान्त यादव, ओंकार यादव, रोहित बंजारे, ईश्वर वर्मा, शशिकांत यादव,राजू बक्शी,सत्यनारायण शर्मा,नंदकुमार कुशवाहा, जय प्रकाश दुबे, हरेन्द्र ठाकुर सहित सौकडो संख्या में भारतीय मजदूर संघ से देश एवं प्रदेश पदाधिकारी व कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

कहा कि छत्तीसगढ़ में भारतीय मजदूर संघ की एकता सराहनी है,प्रदेश के निकायो में स्वायत्तशासी अपने अधिकारी एवं कर्मचारियों के हितो की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहता है:
दुर्ग/शौर्यपथ / भारतीय स्वायत्तशासी कर्मचारी महासंघ सम्बद्ध भारतीय मजदूर संघ का दो दिवसीय राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक अधिवेशन के शुभारंभ अवसर पर वैशालीनगर विधानसभा क्षेत्र के विधायक रिकेश सेन ने कहा कि भारतीय मजदूर संघ एक विचारधारा है इसके कार्यकर्ता जमिनी स्तर पर कार्य करने वाले होते है.दुर्ग निगम महापौर अल्का बाधमार ने कहा कि छत्तीसगढ़ में भारतीय मजदूर संघ की एकता सराहनी है. प्रदेश के निकायो में स्वायत्तशासी अपने अधिकारी एवं कर्मचारियों के हितो की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहता है. छत्तीसगढ़ में प्ररूर मात्र में खनीज सम्पदा है.प्रदेश की उन्नति और प्रगति में निकाय के कर्मचारी अपनी अहम भूमिका निभा रहे है जिसके लिए में मजदूर संघ को बधाई देती हूं.
दुर्ग के स्वामी विवेकानंद सभागार पदमनाभपुर में आयोजित किया गया है दो दिवसीय त्रैवार्षिक अधिवेशन में देश एवं प्रदेश के नगरीय निकायो में कार्यरत स्वायत्तशासी कर्मचारी महासंघ भारतीय मजदूर संघ के पदाधिकारी एवं सदस्य एकत्र हुए है।
अधिवेशन का शुभारंभ विधायक रिकेश सेन, महापौर दुर्ग अल्का बाधमार,एमआईसी ज्ञानेश्वर ताम्रकर,शशि साहू,पार्षद लोकेश्वरी ठाकुर,भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एम. पी. सिंह, सुखविन्दर सिंह डिक्की, स्वायत्तशासी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश मण्डली, महामंत्री सुरेश तिवारी, प्रदेश महामंत्री शरद दुबे, भारतीय मजदूर संघ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष श्री नारायण तिवारी, जिलाध्यक्ष मिथलेश विश्वकर्मा,जिला मंत्री हरिशंकर चतुर्वेदी,विप्णु चन्द्राकर, अमरनाथ दुबे अनिल सिह, संजय मिश्रा, ईश्वर वर्मा, शशिकान्त यादव, सत्यनारायण शर्मा, ने भगवान विश्वकर्मा भारत माता तथा दंतोपंथ ठेंगडे जी तैल्य चित्र पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्जवति कर किया.
अधिवेशन में दो दिनो तक निकायो में व्याप्त अधिकारी कर्मचारी की समस्याओ पर विचार विर्मश कर केन्द्र सरकार को प्रस्ताव प्रेषित किया जाऐगा. अधिवेशन में राजू बक्सी, गोपाल सिन्हा, कृष्णा देशमुख, रामवृक्ष यादव, रोहित बंजारे, अनिल वाजपेयी, रामबिहारी शर्मा, रामावतार साहू, रीता चतुर्वेदी, शशिभूषण मोहंती, रोहित बंजारे, संतोष कुमार सोनी सहित प्रदेश एवं देश से आये प्रतिनिधि उपस्थित रहे!

दुर्ग/शौर्यपथ/ अहमदाबाद विमान हादसे में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय कुमार रूपानी सहित 241 लोगों की मौत एवं सुकमा जिले के कोंटा में नक्सलियों द्वारा किए गए आईईडी विस्फोट में शहीद एएसपी  आकाश राव गिरपुंजे को नगर निगम कार्यालय में दो मिनट का मौन धारण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
महापौर श्रीमती अलका बाघमार की अध्यक्षता में नगर निगम परिसर में आयोजित शोक सभा में दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
शोकसभा में दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस दौरान महापौर श्रीमती अलका बाघमार ने कहा कि यह हादसा बेहद हृदय विदारक और स्तब्ध कर देने वाला है।इस दुर्भाग्यपूर्ण हादसे में हताहत हुए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए दो मिनट का मौन रखा।इस दुःखद घटना से मन अत्यंत व्यथित है, पीड़ित परिवारों के प्रति गहर्र संवेदनाएं व्यक्त करती हूं।
महापौर ने कहा कि शहीद एएसपी श्री आकाश राव गिरपुंजे ने अपने कर्तव्य के प्रति अदम्य साहस, निष्ठा और समर्पण दिखाते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया है। हमें उन पर गर्व है। हम सब इस दुख की घड़ी में उनके परिवार के साथ है।
सभा में बड़ी संख्या में आयुक्त सुमित अग्रवाल,सभापति श्याम शर्मा,देवनारायण चन्द्राकर, नरेंद्र बंजारे,शेखर चन्द्राकर, ज्ञानेश्वर ताम्रकर,मनीष साहू,शिव नायक,नीलेश अग्रवाल,शशि साहू,संजय अग्रवाल,कमल देवांगन,खालिक रिजवी,नीरा खिचरिया,सविता साहू,मनीषा सोनी,मनीष कोठारी,अजीत वैध,कार्यपालन अभियंता दिनेश नेताम,गिरीश दीवान,संजय ठाकुर,आरके बोरकर,संजय मिश्रा,अनिल सिंह के अलावा एमआईसी सदस्य/ पार्षदगण व अधिकारी कर्मचारी मौजूद रहे। सभी ने शोक संतप्त परिवारों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं।

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