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दुर्ग / शौर्यपथ / जिला युवा कांग्रेस दुर्ग (ग्रामीण) के द्वारा नवनिर्वाचित जिला अध्यक्ष जयंत देशमुख के नेतृत्व में जिला मुख्यालय के पास पटेल चौक में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह का पुतला दहन किया गया। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में युवा कांग्रेसी मौजूद रहे। पुतला दहन के बाद मीडिया से बात करते हुए युवा कांग्रेस दुर्ग (ग्रामीण) के जिला अध्यक्ष जयंत देशमुख न कहा की आने वाले चुनाव में भाजपा की दुर्गती के बारे में पहले से ही जानकर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह की मानसीक स्थीत खराब हो गई है। वो पिछले कुछ दिनों से लगातार छत्तीसगढ़ के यशस्वी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी के खिलाफ बेतुकी और अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं। ऐसे में उन्हें अपने पैर के साथ-साथ अपने दिमाग का इलाज कराने की भी जरूरत है।
अत: पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन के द्वारा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री माननीय भूपेश बघेल से सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगी गई तो आगे भी उनका पुतला दहन का सिलसिला जारी रहेगा और युवा कांग्रेस के द्वारा हर थाने औऱ चौकी में जाकर उनके खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज कराई जाएगी।
इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से अशोक मिश्रा, अहमद चौहान, अनूप वर्मा, धर्मेश देशमुख,अनिल देशमुख, अख्तर खोखर, गोपी निर्मलकर, आकाश सेन, दिपांशु यादव (उपाध्यक्ष युवा कांग्रेस दुर्ग (ग्रा), अजय ठाकुर (उपाध्यक्ष युवा कांग्रेस दुर्ग (ग्रा), यशवंत देशमुख (महासचिव युवा कांग्रेस दुर्ग ग्रामीण), खुमान निषाद (महासचिव युवा कांग्रेस दुर्ग ग्रामीण), इमरान खान (उपाध्यक्ष युवा कांग्रेस दुर्ग ग्रामीण) अंगेश देशमुख ( महासचिव युवा कांग्रेस दुर्ग ग्रामीण),हेमंत साहू ( उपाध्यक्ष अहिवारा) टीकम सिंह भास्कर ( महासचिव युवा कांग्रेस अहिवारा), लोकेन्द्र वर्मा (रामा) महासचिव युवा कांग्रेश साजा विधानसभा, बजरंगी लाल सिंह ( उपाध्यक्ष भिलाई जिला युवा कांग्रेस), कमल नारायण देशमुख (उपाध्यक्ष जिला युवा कांग्रेस अहिवारा), पुकेश्वर साहू (महासचिव जिला युवा कांग्रेस दुर्ग ग्रामीण) विक्रांत ताम्रकार उपस्थित रहें। साथ ही साथ भुपेन्द्र, दिपेश, नाहिद, दीपक निर्मलकर, चंचल देशमुख, अजय वर्मा, वैभव केवट, प्रतीक तिवारी, एश्वर्य देशमुख, शुभम, मनोज, कुलदीप, नितेश , विनोद, कोमल सोनवानी, देवा माक्र्डें, मनिष मांडले, प्रदिप पाटिल, नितेश, डोमार देशमुख, पुरुषोत्तम साहू, निरज यादव, सिद्धार्ध देशमुख, दिपेश वर्मा, तुषार वर्मा, सुरज, राकेश निषाद, ओवैष रजा चौहान, चंद्रशेखर देशमुख,डोमार लाल, विक्की घुघवारे, सहित सैकड़ों की संख्या में युवा कांग्रेस कार्यकर्ता मौजूद रहें।
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने देश के सबसे बड़े रेस्क्यू ऑपरेशन से सुरक्षित निकाले गए नन्हे राहुल के गांव पिहरीद में घर जाकर उनके परिजनों से मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने परिजनों से चर्चा के पूर्व उस बोर स्थल का भी निरीक्षण किया जहां राहुल को बचाने के लिए बड़ा गढ्ढा खोदा गया था। निरीक्षण के दौरान विधायक रामकुमार यादव भी उपस्थित रहे।
राहुल के पिता श्री राम कुमार यादव ने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को बताया कि राहुल अभी रायपुर में रहकर पढ़ाई कर रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री का साल श्री-फल भेंट कर स्वागत किया और राहुल को बचाने में मदद के लिए धन्यवाद दिया। मुलाकात के दौरान राहुल की माता गीता देवी ने भी मुख्यमंत्री से बातकर उनका आभार जताया।
गौरतलब है कि 10 जून को राहुल घर के पीछे बोरवेल के 80 फीट गहरे गड्ढे में गिर गया था। सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, एसईसीएल, जिला व पुलिस प्रशासन के 500 लोगों ने 104 घंटे रेस्क्यू ऑपरेशन कर उसे बोरवेल के गड्ढे से निकाला था। राहुल को 5वें दिन 15 जून को बोरवेल से निकाला गया और उसे बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। देशभर की निगाहें राहुल के स्वास्थ्य को लेकर लगी हुई थी, मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल स्वयं इस ऑपरेशन की पल-पल की जानकारी ले रहे थे।
दुर्ग । शौर्यपथ ।
दुर्ग शहर में पटरी पार क्षेत्र में जाने के लिए दो स्थानों पर अंडरब्रिज का निर्माण कार्य प्रगति पर था जो कि लगभग पूर्ण हो गया एवं पिछले दिनों इसका विधिवत उद्घाटन किए जाने के लिए प्रोटोकॉल भी जारी हो गया किंतु अचानक बदलते हुए घटनाक्रम में यह उद्घाटन टल गया
मिली जानकारी के अनुसार रेलवे विभाग द्वारा अभी तक एनओसी नहीं मिली किंतु इसी बीच देर शाम कांग्रेसी कार्यकर्ता अल्ताफ अहमद के नेतृत्व में धमधा नाका अंडर ब्रिज को आम जनता के लिए चालू कर दिया गया एवं कांग्रेसियों द्वारा विधायक अरुण वोरा जिंदाबाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जिंदाबाद कांग्रेस पार्टी जिंदाबाद के नारे लगाते हुए एक वीडियो भी वायरल किया गया जिससे साफ जाहिर होता है कि कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए इसको शुरू कर दिया गया . 12 अक्टूबर की शाम को खुले हुए इस मार्ग पर 13 अक्टूबर की शाम तक किसी भी प्रकार का गतिरोध अधिकारियों द्वारा नहीं लगाना जिम्मेदार विभाग के ऊपर सवालिया निशान पैदा करता है जिसके आवाजाही के लिए अभी संबंधित विभाग द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया है .
उसे आम जनता के लिए खोलने वाले लोगों पर क्या पुलिस प्रशासन कार्यवाही करेगी जबकि शौर्यपथ समाचार पत्र ने 13 तारीख को धमधा नाका अंडर ब्रिज पर निर्माण करते हुए कर्मचारियों को देखा वहीं दूसरी ओर पिछले महीने सिकोला क्षेत्र में ठीक है ऐसा ही एक मामला हुआ था जिस पर वार्ड पार्षद अरुण सिंह द्वारा वार्ड के स्थानीय वासियों के साथ आम जनता के लिए इस अंडर ब्रिज को खोलने का ऐलान किया गया था किंतु तब पुलिस प्रशासन ने सख्ती बरती और इस पर बैरिकेड लगा दिए गए हैं जिसे तोडऩे की कोशिश करने पर प्रशासन द्वारा अरुण सिंह एवं अन्य पर मामला भी दर्ज हुआ अब देखना यह है कि दोनों ही मामले में बिना अनुमति के अंडर ब्रिज खोल दिया गया है जिसमें एक पर तो कार्यवाही हो गई किंतु वही दूसरे समूह पर अभी तक किसी भी प्रकार की कार्यवाही की जानकारी प्राप्त नहीं हुई है क्या भारत के संविधान में एक ही कार्य के लिए दो कानून है या फिर सत्ता पक्ष होने के कारण कानून बौना साबित हो जाएगा या फिर क़ानूनी कार्यवाही की जाएगी ..
आज सिकोला ब्रिज खोलने की संभावना ...
वही सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सिकोला अंडर ब्रिज को भी आज खोला जा रहा है इसके लिए बने हुए गतिरोध को हटाने कटर मशीन तक का भी व्यवस्था किये जाने की बात सामने आ रही है वही आस पास लगे सीसी टीवी कमरे को भी बंद कराने कुछ लोगो प्रयास कर रहे है अब यह देखने वाली बात होगी कि सिकोला अंडर ब्रिज आज खुलेगा या गतिरोध जारी रहेगा ..
दुर्ग / शौर्यपथ / जिला रोजगार एवं स्वरोजगार मार्गदर्शन केन्द्र, दुर्ग में छत्तीसगढ़ घुड़सवार रेजीमेन्ट एनसीसी अंजोरा, दुर्ग द्वारा राजमिस्त्री, इलेक्ट्रिशियन, टाईल्स मिस्त्री, कारपेंटर, वेल्डर हेतु कलेक्टर दर पर 1-1 पद (केवल पुरुष) आवेदकों हेतु अधिसूचना प्रेषित किया गया है। अधिसूचित रिक्त पद हेतु शैक्षणिक अर्हता 10वीं पास, आयुसीमा 18 से 30 वर्ष निर्धारित की गई है। उक्त पद हेतु जिला रोजगार एवं स्वरोजगार मार्गदर्शन केन्द्र, दुर्ग में राजमिस्त्री ( वरिष्ठता दिनांक 30 जून 2022), कारपेंटर (वरिष्ठता दिनांक 03 जुलाई 2022), इलेक्ट्रिसियन ( वरिष्ठता दिनांक 23 अगस्त 2010), वेल्डर ( वरिष्ठता दिनांक 23 मई 2013) तक पंजीकृत आवेदकों को बुलावा पत्र भेजा गया है। उक्त पंजीयन वरिष्ठता वाले ऐसे आवेदक जिसे बुलावा पत्र प्राप्त नहीं हो पाया, वे आवेदक 20 अक्टूबर 2022 दिन- गुरुवार को समय प्रातः 11ः00 बजे अपनी दसवीं, बारहवी, आई.टी.आई. की अंकसूची, निवास प्रमाण पत्र की मूलप्रति एवं उक्त समस्त दस्तावेजों की स्वप्रमाणित छायाप्रति के साथ जिला रोजगार एवं स्वरोजगार मार्गदर्शन केन्द्र, दुर्ग में उपस्थित हो सकते हैं।
दुर्ग शौर्यपथ / भारतीय थल सेना में अग्निवीरों एवं नर्सिंग असिस्टैंड की भर्ती हेतु रैली का आयोजन 01 दिसंबर से 13 दिसंबर 2022 तक पं. रविशंकर शुल्क स्टेडियम दुर्ग में किया जायेगा। अग्निवीर भर्ती रैली आयोजन के पूर्व एक सप्ताह का निःशुल्क शारीरिक दक्षता प्रशिक्षण जिले के तीनों विकासखण्डों में दिया जाएगा। इस प्रशिक्षण में भाग लेने हेतु इच्छुक आवेदकों से आवेदन आमंत्रित किया गया है। इस प्रशिक्षण में केवल वे आवेदक ही भाग ले सकते है जिसने इंडियन आर्मी के वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन किया हो। आवेदन पत्र के साथ पावती संलग्न करना अनिवार्य है। अतः इच्छुक आवेदक दिनांक 14 अक्टूबर से 31 अक्टूबर 2022 तक अपना आवेदन डॉक माध्यम से अथवा स्वयं उपस्थित होकर जिला रोजगार एवं स्वरोजगार मार्गदर्शन केन्द्र, मालवीय नगर चौक दुर्ग में जमा कर सकते हैं। आवेदन का प्रारूप हेतु दुर्ग जिले के वेबसाइट का अलोकन किया जा सकता है।
नई दिल्ली /शौर्यपथ /महाराष्ट्र की राजनीति में नया विवाद जन्म लेता नजर आ रहा है। अब उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट ने भारत निर्वाचन आयोग पर ही सवाल उठा दिए हैं। ठाकरे कैंप ने आरोप लगाए हैं कि पार्टी का नाम और चिह्न देने में पक्षपात किया गया है। हाल ही में चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के समर्थन वाले गुट और ठाकरे कैंप को नए नाम और चिह्न आवंटित किए हैं।
खबर है कि ठाकरे 'सेना' की ओर से निर्वाचन आयोग को एक 12 सूत्रीय पत्र लिखा गया है। इस लैटर में प्रतिद्विंदी शिंदे के पक्ष में काम करने के आरोप लगाए गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ठाकरे समूह का कहना है कि उनकी तरफ से दिए गए सुझावों को शिंदे गुट को कॉपी करने का मौका मिला। उन्होंने इसके लिए चुनाव आयोग को जिम्मेदार बताया है।
पत्र में लिखा है कि चुनाव आयोग ने 'संभावित रूप से' शिंदे कैंप की तरफ से सूची दाखिल किए जाने से पहले ही ठाकरे समूह के पसंद के नाम और चिह्न को वेबसाइट पर अपलोड कर दिए थे, जिसके चलते शिंदे गुट ने उन चिह्न और नाम का चुनाव किया, जिनका सुझाव ठाकरे गुट की ओर से दिया गया था।
पत्र के अनुसार, बाद में यह देखा गया कि माननीय आयुक्त ने वेबसाइट से लैटर को डिलीट कर दिया, जिससे ठाकरे कैंप को हैरानी हुई। आगे कहा गया कि यह बताने की कोई जरूरत नहीं है कि टीम शिंदे का कोई भी ऐसा लैटर वेबसाइट पर अपलोड नहीं हुआ, जो उनकी चिह्न और नाम की पसंद को बताता हो।
आरोप लगाए गए हैं कि शिंदे गुट की तरफ से 'असरदार तरीके से' ठाकरे गुट की तरह नाम के रूप में पहली और चिह्न के तौर पर पहली और दूसरी पसंद जमा की गई, जिससे टीम ठाकरे को उनकी पसंद का पहला नाम और पहली और दूसरी पसंद का चिह्न आवंटित नहीं हो सका।
क्या हैं नए नाम और चिह्न
शिवसेना पर दावा पेश कर रहे दोनों गुटों को लेकर आयोग ने पार्टी के चिह्न को फ्रीज कर दिया था। इसके बाद दोनों समूहों को नए नाम और चिह्न दिए गए हैं। अब सीएम शिंदे के समर्थन वाली पार्टी को 'बालासाहेबांची शिवसेना' जाना जाएगा, जिसका चुनाव चिह्न 'एक ढाल और दो तलवार' होगा। जबकि, ठाकरे की पार्टी का नाम 'शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)' होगा और चिह्न 'मशाल' होगा।
नई दिल्ली /शौर्यपथ/मुलायम सिंह यादव के निधन के साथ ही लोकसभा में सैफई परिवार का कोई भी सदस्य नहीं रह गया है। परिवार की खास सीट रही मैनपुरी में अब 6 महीने के भीतर उपचुनाव होना है और यह अखिलेश यादव की पहली सियासी परीक्षा भी होगी। मुलायम के बिना वह रणनीतिक रूप से कितने कुशल हैं, कैसे परिवार को साधते हैं और कैसे पार्टी को, यह सीट के चुनाव से पता चलेगा। नेताजी ने मैनपुरी सीट से 1996, 2004, 2009, 2014 और 2019 में यहां से जीत हासिल की थी। खुद अखिलेश यादव भी इसी भावना को ध्यान में रखते हुए मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से चुनाव लड़े थे और फिर आजमगढ़ की लोकसभा सीट छोड़ दी थी।
ऐसे में इस सीट पर जीत हासिल कर अखिलेश यादव पिता के गर्व को बनाए रखना चाहेंगे ताकि 2024 के लिए तैयारी पुख्ता की जा सके। लेकिन इस राह में उन्हें पहली लड़ाई परिवार के भीतर ही लड़नी होगी। 2019 में ही शिवपाल यादव भी इस सीट से लड़ना चाहते थे, लेकिन मौका नहीं मिला था। अब चर्चा है कि एकता के नाम पर अखिलेश यादव से वह एक बार फिर मैनपुरी की सीट पर दावेदारी कर सकते हैं। हालांकि इसके आसार कम ही हैं कि अखिलेश यादव मैनपुरी जैसे गढ़ को चाचा के हवाले करेंगे। इसकी बजाय वह परिवार के ही किसी भरोसेमंद को उतार सकते हैं। ऐसे में धर्मेंद्र यादव और तेज प्रताप यादव का नाम रेस में बताया जा रहा है।
क्यों धर्मेंद्र को मौका दे सकते हैं अखिलेश यादव
समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच धर्मेंद्र यादव की छवि एक मेहनती नेता और सबके संपर्क में रहने वाले शख्स की है। इसके अलावा धर्मेंद्र यादव पहले मैनपुरी का प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं। 2004 में मुलायम सिंह यादव के सीट छोड़ने के बाद धर्मेंद्र यादव यहां से चुने गए थे। ऐसे में उनकी अपनी पैठ भी इस इलाके में है। यही नहीं अखिलेश यादव से भी उनके अच्छे संबंध हैं। यही नहीं धर्मेंद्र यादव बदायूं से भी सांसद रह चुके हैं। यदि उन्हें यहां से मौका नहीं मिलता तो वह 2024 में बदायूं को लेकर दावा ठोक सकते हैं और मैनपुरी में जिसे इस बार मौका मिलेगा, शायद वही चुनाव लड़े।
स्वामी प्रसाद मौर्य का क्या है कनेक्शन, जिससे बदले समीकरण
बदायूं से स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य सांसद हैं, जो अभी भाजपा से हैं। लेकिन अगले चुनाव में सपा में जाना तय माना जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि स्वामी की बेटी को मौका देने के लिए सपा धर्मेंद्र यादव को मैनपुरी में ही उतारना चाहेगी। इस तरह अखिलेश यादव की कोशिश होगी कि धर्मेंद्र यादव को मैनपुरी से उतारकर परिवार, पार्टी और स्वामी प्रसाद के साथ समीकरणों को साधे रखा जाए। धर्मेंद्र यादव पर अखिलेश के भरोसे को इससे भी समझा जा सकता है कि आजमगढ़ से भी अखिलेश ने उन्हें ही मौका दिया था, जहां से वह खुद सांसद थे। हालांकि वह जीत नहीं पाए।
तेजप्रताप यादव का नाम भी है रेस में, बिहार से कनेक्शन
मैनपुरी सीट के लिए एक और नाम तेज प्रताप यादव का भी चल रहा है। वह लालू प्रसाद यादव के दामाद भी हैं। रिश्ते में अखिलेश यादव के भतीजे लगते हैं। बिहार से आरजेडी और नीतीश कुमार कई बार राष्ट्रीय स्तर पर एकता की बात कर चुके हैं। ऐसे में इन दोनों दलों से रिश्ते बेहतर करने के लिए अखिलेश यादव तेज प्रताप यादव को एक बार फिर से मौका दे सकते हैं। उनसे भी अखिलेश यादव और डिंपल के अच्छे रिश्ते हैं।
नई दिल्ली / शौर्यपथ /रामसेतु के लोकर सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई की। स्वामी ने कोर्ट से मांग की है कि वह केंद्र सरकार को रामसेतु को राष्ट्रीय विरासत घोषित करने का आदेश दे। सुनवाई के दौरान सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि पिछले 8 साल से मोदी सरकार ने इस संबंध में कोर्ट में एक भी हलफनामा नहीं दिया है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा है कि सरकार जवाब दाखिल करे और इसकी एक कॉपी स्वामी को भी दे।
केंद्र सरकार की तरफ से अडिशनल सॉलिसिटर जनरल माधवी दीवान कोर्ट में पेश हुई थीं। बेंच ने कहा कि सुब्रमण्मय स्वामी लिखित में अपना पक्ष रख सकते हैं। इसके बाद सुनवाई को टाल दिया गया। पिछली सुनवाई के दौरान भी सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा था कि केंद्र सरकार अपना रुख साफ नहीं कर रही है। उन्होंने कहा था, भारत सरकार का हलफनामा देकर बताना चाहिए कि वह फैसला कब करेगी। यह लगातार चलता ही जा रहा है। उन्हें जवाब देना चाहिए। अगर वे इसका विरोध कर रहे हैं तब भी अपनी बात रखनी चाहिए। अगर सरकार कुछ नहीं कहती तो इसका मतलब कि वह भी रामसेतु के राष्ट्रीय विरासत घोषित कतरने के पक्ष में है।
स्वामी ने 2007 में ही यह मुद्दा उठाया था। सेतु समुद्रम शिप चैनल के विरोध में उन्होंने यह मांग रखी थी। सेतु समुद्रम प्रोजक्ट के तहत मन्नार और पाल्क स्ट्रेट के बीच 83 किलोमीटर लंबा चैनल ब नाया जाना था। दावा किया जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट से रामसेतु को नुकसान होगा। इस मामले का जिक्र सुब्रमण्मय कई सार्वजिनक मंचों पर भी कर चुके हैं। कोर्ट में इसकी सुनवाई 17 अगस्त को भी हुई थी।
बता दें कि तमिलनाडु के दक्षिणपूर्व में समंदर में लाइमस्टोन की एक सेतु जैसी संरचना है जिसे रामसेतु कहा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि यह वही पुल है जो कि श्रीराम की वानरी सेना ने लंका जाने के लिए बनाया था। रामायण में भी इस सेतु का जिक्र किया गया है। यह सेतु रामेश्वरम के पास पामबन द्वीप से श्रीलंका के मन्नार तक है।
नई दिल्ली / शौर्यपथ /सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को जजों की अलग-अलग राय ने हिजाब मामले को विस्तार दे दिया है। फिलहाल, साफ नहीं हो पाया है कि हिजाब पर अंतिम स्थिति क्या होगी। हालांकि, कोर्ट ने यह मामला बड़ी बेंच के सामने रखने का फैसला कर लिया है, लेकिन अभी सुनवाई की तारीख का ऐलान नहीं हुआ है। अब सवाल है कि आगे क्या? इसे विस्तार से समझते हैं-
कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य के शिक्षण संस्थानों से हिजाब पर प्रतिबंध हटाने से इनकार कर दिया था। उच्च न्यायालय के आदेश को शीर्ष न्यायालय में चुनौती दी गई थी।
कानूनी मोर्चे पर ये हैं संभावनाएं
- भारत के मुख्य न्यायाधीश एक नई बेंच गठित कर सकते हैं, जिसमें जजों की संख्या तीन या इससे ज्यादा हो सकती है। जबकि, फैसला सीजेआई की तरफ से ही लिया जाएगा।
- मामले को लेकर नई बेंच के सामने सुनवाई की दोबारा शुरुआत हो सकती है। उस दौरान जस्टिस गुप्ता और जस्टिस धूलिया की तरफ से उठाए गए सवालों पर भी नई बेंच विचार कर सकती है।
- सुप्रीम कोर्ट की तरफ से रोक नहीं लगाए जाने के चलते कर्नाटक उच्च न्यायालय का आदेश भी वैध रहेगा।
- गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस धूलिया की तरफ से दिए गए फैसले पर याचिकाकर्ता निर्भर रह सकते हैं। जस्टिस धूलिया का कहना है कि हिजाब पहनना एक व्यक्ति के आजादी के अधिकार के तहत सुरक्षित है।
- इधर, सुप्रीम कोर्ट की तरफ से अंतिम फैसला आने तक कर्नाटक सरकार ने शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध बरकरार रखा है। अब राज्य सरकार के पास भी कर्नाटक हाईकोर्ट और SC के जस्टिस गुप्ता के फैसले का समर्थन हासिल है।
सुप्रीम कोर्ट में हिजाब मामला
शीर्ष न्यायाल ने करीब 10 दिनों तक सुनवाई के बाद याचिकाओं पर 22 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। 15 मार्च को कर्नाटक के उडुपी की कुछ छात्राओं ने कक्षाओं में हिजाब पहनने की अनुमति के लिए कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे खारिज कर दिया गया था।
जजों ने क्या कहा
बेंच की अगुवाई कर रहे जस्टिस गुप्ता ने मतभेद की बात कही। वहीं, जस्टिस धूलिया ने कहा कि हाईकोर्ट ने गलत रास्ता अपनाया है और अंत में हिजाब पहनना अपनी पसंद का मामला है। उन्होंने आर्टिकल 19(1)(a) और 25(1) का हलावा दिया। जस्टिस गुप्ता ने अपने फैसले में कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था। इससे उलट जस्टिस धूलिया ने सभी अपीलों को स्वीकार किया।