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नई दिल्ली /शौर्यपथ /विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय छात्रों की पढ़ाई पूरी करने के लिए चीन वापसी की प्रक्रिया शुरू हो गई है और छात्रों को उनके विश्वविद्यालयों से संपर्क बनाये रखने को कहा गया है। कोविड-19 से जुड़ी पाबंदियों के कारण दो साल से भी ज्यादा समय से हजारों भारतीय छात्र चीन वापसी में असमर्थ रहे हैं।
भारत लगातार चीन के साथ इस बात पर जोर देता रहा है कि इन सभी छात्रों की वापसी पूरी होनी चाहिए ताकि वे अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने संवाददाताओं को बताया कि भारतीय छात्रों की चीन वापसी को लेकर वीजा देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, ऐसा वे (चीनी पक्ष) कह रहे हैं । उन्होंने कहा कि सरकार को बताया गया है कि भारतीय छात्रों को सलाह दी गयी है कि वे अपने विश्वविद्यालयों से सम्पर्क करें और धीरे धीरे वापसी की प्रक्रिया शुरू होगी और यह प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने कहा, ''बीजिंग में स्थित हमारा दूतावास चीनी पक्ष पर लगातार दबाव बना रहा है ताकि वे भारतीय छात्रों की जल्दी चीन वापसी की प्रक्रिया पूरी कर सकें।'' बागची ने कहा, '' मैं छात्रों को सलाह दूंगा कि वे अपने विश्वविद्यालयों के संपर्क में रहें और चीन वापसी तथा वीजा पाने की प्रक्रिया के लिए तैयार रहें।'' अगस्त में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने संवाददाताओं से कहा था, 'हम विदेशी छात्रों की चीन में वापसी के लिए व्यापक रूप से काम कर रहे हैं एवं भारतीय छात्रों की वापसी के लिए यह प्रक्रिया शुरू हो गई है।'' भारतीय छात्रों को वीजा मिलने की संख्या के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वीजा का विषय चीनी सरकार का मुद्दा है और उनसे ही पता चलेगा कि कितने लोगों को वीजा मिला।
नई दिल्ली / शौर्यपथ /हिमाचल प्रदेश में चुनाव की तारीख का ऐलान हो गया है। दूसरे राज्यों की तरह भाजपा यहां भी बेहद ऐक्टिव नजर आ रही है। जेपी नड्डा, अनुराग ठाकुर के लगातार दौरों के साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी भी बीते दो महीनों में कई बार हिमाचल प्रदेश का दौरा कर चुके हैं। कुल्लू का दशहरा मेला, वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाना और मंडी में रैली करने से लेकर कई आयोजनों में पीएम नरेंद्र मोदी शामिल रहे हैं। यही नहीं कुछ महीने पहले धर्मशाला और शिमला में भी पीएम ने रैली की थी। इससे पता चलता है कि 68 सीटों वाले पहाड़ी राज्य को लेकर भाजपा कितनी गंभीर है।
आम आदमी पार्टी ने भी हिमाचल प्रदेश में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का प्रयास किया है। हालांकि हिमाचल प्रदेश में लंबे वक्त तक शासन करने वाली कांग्रेस इस पहाड़ी राज्य में भी बहुत सक्रिय नहीं दिखी है। कांग्रेस राजा वीरभद्र सिंह की गैरमौजूदगी में पहली बार चुनावी समर में उतरने वाली है, जो 6 बार सीएम रहे थे। सुखविंदर सिंह सुक्खू, प्रतिभा सिंह, सुधीर शर्मा और कौल सिंह ठाकुर समेत कई गुटों में बंटी कांग्रेस के लिए यह गुटबाजी भारी पड़ सकती है। भले ही हिमाचल में कांग्रेस में टकराव पंजाब जैसा नहीं है, लेकिन हालात नहीं संभाले तो चुनावी नतीजा पार्टी के लिए वैसा ही हो सकता है। हालात यह हैं कि प्रतिभा सिंह ने कांग्रेस लीडरशिप पर ही आरोप लगाते हुए कह दिया था कि राहुल और प्रियंका हिमाचल को समय नहीं दे रहे हैं।
भाजपा के पक्ष में हैं ये 4 चीजें, जिससे पहाड़ पर बढ़ा हौसला
हिमाचल प्रदेश में हर 5 साल बाद सरकार बदलने की परंपरा रही है, लेकिन भाजपा इस बार मोदी लहर, कांग्रेस की गुटबाजी और अपने काम के नाम पर मिशन रिपीट के लिए कमर कसे हुए है। भाजपा को लगता है कि वह उत्तराखंड और यूपी की तरह ही हिमाचल में भी सरकार बदलने की परंपरा को तोड़ने में सफल होगी। पीएम नरेंद्र मोदी, जेपी नड्डा जैसे नेताओं के दौरे, कसी हुई स्टेट लीडरशिप और कार्यकर्ताओं की सक्रिय टोली उसके लिए बड़ी ताकत है। लेकिन कांग्रेस को सबक लेना होगा कि वह गुटबाजी बच सके।
सुक्खू और प्रतिभा के गुटों में बंटी दिख रही कांग्रेस
कांग्रेस के आंतरिक सूत्र भी मानते हैं कि वीरभद्र सिंह के बिना यह पहला चुनाव और पार्टी के पास चेहरे का अभाव है। कांग्रेस ने बैलेंस बनाने के लिए सुखविंदर सिंह सुक्खू को चुनाव समिति का मुखिया बनाया है तो वहीं वीरभद्र के नाम को भुनाने के लिए उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह को प्रदेश अध्यक्ष का जिम्मा सौंपा है। हालांकि सुक्खू और प्रतिभा के बीच पार्टी गुटों में बंटी दिखती है। वहीं 2017 में अपने गढ़ द्रंग विधानसभा से हारने वाले कौल सिंह ठाकुर और धर्मशाला के पूर्व विधायक सुधीर शर्मा पर भी गुटबाजी के आरोप लगते रहे हैं। अब देखना होगा कि कांग्रेस पंजाब से कुछ सीखती है या फिर भाजपा को उत्तराखंड दोहराने का यहां मौका मिलता है।
नई दिल्ली / शौर्यपथ /तेलंगाना में राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच मतभेद एक बार फिर खुलकर सामने आ गया है। एक महीने पहले राज्य विधानसभा के मानसून सत्र में तेलंगाना विधानसभा की ओर से पारित सात विधेयक को राज्यपाल तमिलिसै सौंदरराजन ने अभी तक मंजूरी नहीं दी है। सातों विधेयक राज्यपाल के पास लंबित हैं। ऐसा यह पहला मौका नहीं है जब गैर बीजेपी शासित राज्य विधेयकों के पास होने पर राज्यपाल पर देरी करने का आरोप लगा चुके हैं। इससे पहले केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री भी राज्यपाल पर बिल को मंजूरी नहीं देना का आरोप लगा चुके हैं।
दरअसल, 14 सितंबर को, तेलंगाना विधानसभा ने राज्य के 15 विश्वविद्यालयों में नियुक्तियों के लिए एक सामान्य भर्ती बोर्ड के गठन सहित आठ विधेयकों को पारित किया, जिसके लिए राज्यपाल चांसलर हैं। इन आठ विधेयकों में से, तमिलिसाई ने केवल एक विधेयक - तेलंगाना माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2022 को मंजूरी दी, जो केंद्रीय वित्त मंत्री की जीएसटी परिषद की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार कुछ और वस्तुओं को जीएसटी के दायरे में शामिल करने की बात कहता है।
शामिल हैं कई अहम विधेयक
मामले से परिचित अधिकारियों ने बताया है कि बाकी सात विधेयक अभी भी राज्यपाल के पास अनुमोदन के लिए लंबित हैं। सात विधेयकों में विश्वविद्यालय तेलंगाना विधेयक 2022, आजमाबाद औद्योगिक क्षेत्र (पट्टे की समाप्ति और विनियमन) (संशोधन) विधेयक 2022, तेलंगाना नगर कानून (संशोधन) विधेयक-2022, तेलंगाना सार्वजनिक रोजगार (अधिवर्षिता की आयु का विनियमन) ( संशोधन) विधेयक 2022, तेलंगाना मोटर वाहन कराधान (संशोधन) विधेयक 2022 और तेलंगाना राज्य निजी विश्वविद्यालय (स्थापना और विनियमन) संशोधन विधेयक भी शामिल है।
विधानसभा में पारित होने के अगले ही दिन राजभवन भेज दिया गया था
उन्होंने बताया कि विधानसभा में पारित होने के अगले ही दिन राज्यपाल की मंजूरी के लिए इन बिलों को राजभवन भेज दिया गया था। आमतौर पर एक सप्ताह के भीतर राज्यपाल बिलों पर हस्ताक्षर कर देते हैं और राजभवन से फाइल वापस भेज दी जाती है। यह एक नियमित प्रथा है, लेकिन इस बार राज्यपाल ने केवल एक विधेयक को मंजूरी दी है और बचे सात विधेयकों को अभी तक लंबित रखा गया है।
आरोपों पर क्या बोला राजभवन?
विधेयक लंबित पड़े होने के आरोपों के बारे में जानने के लिए जब राजभवन से संपर्क किया गया तो एक सीनियर अधिकारी ने मंजूरी में देरी पर अनभिज्ञता जाहिर की। हालांकि, उन्हें कहा कि राज्यपाल उचित निर्णय लेने से हर फाइल को देखेंगी। अधिकारी ने आगे कहा, विधेयकों को पारित करने में विधायी क्षमता पर कोई संदेह नहीं है, लेकिन उन्हें विधेयक को मंजूरी देने से पहले पर्याप्त सावधानी बरतनी चाहिए, ताकि भविष्य में कोई कानूनी अड़चने न आएं।
नई दिल्ली / शौर्यपथ /ओडिशा की एक ‘ब्लैकमेलर’ पर फिल्म बनने जा रही है। इस ‘ब्लैकमेलर’ के किस्से इतने ज्यादा हैरान कर देने वाले हैं कि पहली बार सुनने पर किसी भी यकीन नहीं होता। ओडिशा के कालाहांडी जिले को कभी भुखमरी के लिए पहचाना जाता था। यहीं के एक गरीब परिवार से आने वाली अर्चना नाग को ‘ब्लैकमेलर’ कहा जाता है। उसके पास अब एक महलनुमा घर, महंगी गाड़ियां, चार हाइब्रिड (मिश्रित नस्ल वाले) कुत्ते और एक सफेद घोड़ा है। अर्चना की फर्श से अर्श पर पहुंचने की कहानी इतनी दिलचस्प है कि एक उड़िया फिल्मकार ने उसके जीवन पर फिल्म बनाने की योजना बनाई है।
अर्चना को वसूली के आरोप में पिछले सप्ताह गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, पुलिस के रिकॉर्ड में 26 वर्षीय अर्चना एक ‘ब्लैकमेलर’ है, जो कथित तौर पर अमीर और प्रभावशाली लोगों जैसे कि नेताओं, कारोबारियों और फिल्म निर्माताओं से उनके अंतरंग पलों के वीडियो और तस्वीरें सार्वजनिक करने की धमकी देकर पैसे वसूलती है। कालाहांडी के लंजीगढ़ में जन्मी अर्चना की परवरिश उसी जिले के एक साधारण-से शहर केसिंगा में हुई, जहां 2015 में भुवनेश्वर आने से पहले उसकी मां काम करती थी।
देह व्यापार से जुड़ा एक गिरोह चलाती थी
पुलिस सूत्रों ने बताया कि अर्चना ने शुरुआत में एक निजी सुरक्षा कंपनी में नौकरी की और बाद में एक ब्यूटी पार्लर में काम करने लगी, जहां उसकी मुलाकात बालासोर जिले के जगबंधु चंद से हुई और 2018 में दोनों ने शादी कर ली। आरोप है कि अर्चना ब्यूटी पार्लर में काम करते हुए देह व्यापार से जुड़ा एक गिरोह चलाती थी। जगबंधु पुरानी कार का एक शोरूम चलाता था और वह नेताओं, बिल्डरों, कारोबारियों तथा अन्य अमीर लोगों को जानता था। सोशल मीडिया पर उसकी और अर्चना की कुछ विधायकों समेत प्रभावशाली लोगों के साथ ली गई तस्वीरें सामने आई हैं, जिस पर राज्य में काफी हंगामा बरपा है।
अर्चना ने भी अमीर और प्रभावशाली लोगों से दोस्ती कर ली
अर्चना ने भी अमीर और प्रभावशाली लोगों से दोस्ती कर ली तथा आरोप है कि वह लड़कियों को उनके पास भेजती थी। पुलिस ने दावा किया कि उसने इन प्रभावशाली लोगों की अंतरंग तस्वीरें ले लीं और बाद में उन्हें पैसों के लिए ब्लैकमेल किया। नयापल्ली पुलिस थाने में दर्ज एक शिकायत में एक फिल्म निर्माता ने आरोप लगाया है कि अर्चना ने अन्य लड़कियों के साथ ली गई उनकी अंतरंग तस्वीरें दिखाकर उनसे तीन करोड़ रुपये मांगे थे।
अर्चना के जीवन पर एक फिल्म बनाने का फैसला
अर्चना को एक लड़की की शिकायत पर छह अक्टूबर को गिरफ्तार कर लिया गया। इस लड़की ने अर्चना पर इस कथित गिरोह में उसका इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था। उड़िया फिल्म निर्माता श्रीधर मारथा ने कहा कि उन्होंने अर्चना के जीवन पर एक फिल्म बनाने का फैसला किया है। भुवनेश्वर के पुलिस उपायुक्त प्रतीक सिंह ने कहा, “इस संबंध में अभी तक अर्चना के खिलाफ केवल दो मामले दर्ज किए गए हैं। अगर अन्य पीड़ित उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराते हैं तो पुलिस कार्रवाई करेगी।”
कांग्रेस बोली- गिर सकती है पटनायक सरकार
पुलिस ने अर्चना के बैंक खातों की जानकारियां भी खंगाली है। विपक्षी दल कांग्रेस की विधायक एसएस सलुजा ने दावा किया कि अगर सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजद) के विधायकों और मंत्रियों के साथ अर्चना के तार जुड़े होने का पर्दाफाश किया गया तो ओडिशा में नवीन पटनायक की 22 साल पुरानी सरकार गिर सकती है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की भुवनेश्वर इकाई के अध्यक्ष बाबू सिंह ने भी दावा किया है कि बीजद के 18 विधायक और मंत्री समेत 25 नेता अर्चना के संपर्क में थे। हालांकि, बीजद ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कांग्रेस और भाजपा से इस मामले में उसके नेताओं की संलिप्तता के सबूत देने को कहा है।
नई दिल्ली /शौर्यपथ /दिल्ली की एक अदालत ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़े एक मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व निगम पार्षद ताहिर हुसैन और पांच अन्य के खिलाफ दंगा और हत्या के आरोप तय करने का आदेश दिया है।
अदालत ने कहा कि सभी आरोपी हिंदुओं को निशाना बनाने में शामिल थे और उनकी हरकतें जाहिर तौर पर मुसलमानों और हिंदुओं के बीच सौहार्द के लिए प्रतिकूल थीं।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने मामले की सुनवाई करते हुए ताहिर हुसैन के अलावा, तनवीर मलिक, गुलफाम, नाजिम, कासिम और शाह आलम के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया। शिकायतकर्ता अजय झा नाम के व्यक्ति को 25 फरवरी, 2020 को चांद बाग के पास भीड़ द्वारा कथित रूप से गोली मार दी गई थी।
अदालत ने कहा कि सभी आरोपी दंगा भड़काने और हिंदुओं की हत्या करने और हिंदुओं की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए आपराधिक साजिश रचने के लिए मुकदमा चलाने के लिए उत्तरदायी हैं और इस तरह की साजिश के परिणामस्वरूप (शिकायतकर्ता) अजय झा को गोली मारकर घायल कर दिया गया है।
न्यायाधीश ने 13 अक्टूबर को एक आदेश में कहा कि मैं सभी आरोपी व्यक्तियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 147 (दंगा), 148 (दंगा, एक घातक हथियार से लैस), 153ए (वर्गों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), और 302 (हत्या) के साथ धारा 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत दंडनीय अपराधों के लिए मुकदमा चलाने के लिए उत्तरदायी पाता हूं।
न्यायाधीश ने आगे सभी आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 149 और 307 के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया। न्यायाधीश ने कहा कि उन्हें आईपीसी की धारा 147, 148, 307, 120बी और 149 के तहत दंडनीय अपराधों और आईपीसी की धारा 153ए के साथ 120बी और 149 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए भी उत्तरदायी पाया गया। अदालत ने कहा कि गुलफाम और तनवीर पर भी आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।
विशेष लोक अभियोजक मधुकर पांडे ने स्पष्ट किया कि हत्या के प्रयास के आरोप में मूल अपराध तय किया गया था। चूंकि साजिश हत्या की थी, इसलिए आपराधिक साजिश के अपराध के लिए हत्या और अन्य के आरोप तय किए गए थे।
अदालत ने कहा कि विभिन्न गवाहों के बयानों से यह पता चलता है कि सभी आरोपी उस भीड़ का हिस्सा थे जो हिंदुओं और हिंदुओं के घरों पर लगातार गोलियां चलाने, पथराव और पेट्रोल बम चलाने में शामिल थी। भीड़ के इन कृत्यों से यह स्पष्ट होता है कि उनका उद्देश्य हिंदुओं को उनके शरीर और संपत्ति में अधिकतम संभव सीमा तक नुकसान पहुंचाना था।
न्यायाधीश ने, हालांकि, उन्हें आईपीसी की धारा 436 (घर को नष्ट करने के इरादे से आग या विस्फोटक पदार्थ द्वारा शरारत) और 505 (सार्वजनिक शरारत के लिए प्रेरित करने वाले बयान) के तहत अपराधों से मुक्त कर दिया।
अदालत ने कहा कि गवाहों के बयानों ने यह भी स्पष्ट किया कि भीड़ द्वारा अंधाधुंध और निशाना बनाकर की गई फायरिंग में शिकायतकर्ता सहित कई लोग गोली लगने से घायल हो गए।
बता दें कि, दयालपुर थाना पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मजिस्ट्रियल कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी और जनवरी 2021 में मामला सत्र अदालत को सौंपा गया था। इसके बाद अक्टूबर 2021 में एक पूरक आरोपपत्र अदालत को सौंपा गया।
नई दिल्ली /शौर्यपथ /मणिपुर में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर राज्य सरकार की ओर से बड़ा फैसला लिया गया है। मणिपुर कैबिनेट ने एक अध्यादेश लाने का फैसला लिया है, जिसके तहत 4 से ज्यादा बच्चे पैदा होने पर परिवार को सरकारी योजनाओं से बाहर कर दिया जाएगा। गुरुवार को राज्य के सीएम एन. बीरेन सिंह ने सचिवालय में यह जानकारी दी। कैबिनेट ने मणिपुर स्टेट पॉप्युलेशन कमिशन के संविधान को भी मंजूरी दे दी है। अब इस संविधान को एक अध्यादेश के जरिए लागू किया जाएगा। कैबिनेट मीटिंग के बाद स्वास्थ्य एवं सूचना मंत्री डॉ. सापम रंजन सिंह ने कहा कि कैबिनेट में इनर लाइन परमिट के मुद्दे पर भी बात हुई है। इसके अलावा फर्जी आधार कार्ड के मसले पर भी बात हुई है।
उन्होंने कहा कि इनर लाइन परमिट को लेकर हालात को देखते हुए गंभीरता से विचार किया गया है। इसके अलावा यह तय किया गया है कि इस मसले पर निगरानी की जाए और जरूरी कदम उठाए जाएं। मणिपुर के मिनिस्टर ने कहा कि इनर लाइन परमिट सिस्टम को मजबूत करने के लिए यह फैसला लिया गया है कि राज्य में आने वाले सभी लोगों को अपने ठहरने का स्थान बताना होगा। इसके अलावा मोबाइल नंबर भी दर्ज कराना होगा, जो आधार कार्ड से लिंक हो। इससे पहले इनर लाइन परमिट पास डिप्टी लेबर कमिश्नर की ओर से जारी किया जाता था। अब डिप्टी कमिश्नर की ओर से ही यह पास जारी होगा।
मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार का आईटी डिपार्टमेंट एक सॉफ्टवेयर तैयार कर रहा है, जिससे मणिपुर आने वाले लोगों की एंट्री और एग्जिट की निगरानी की जाएगी। मणिपुर में इनर लाइन परमिट की शुरुआत 1 जनवरी, 2020 से की जाएगी। अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मिजोरम के बाद देश का ऐसा चौथा राज्य है, जहां इनर लाइन परमिट की व्यवस्था लागू हो रही है। इन व्यवस्था में आने वाले राज्यों में एंट्री के लिए देश के दूसरे प्रांतों के लोगों और विदेशी नागरिकों को परमिशन लेनी होती है। मूल निवासियों की आबादी के संतुलन को बनाए रखने और उन्हें अवसर मुहैया कराने के लिए इन राज्यों में यह फैसला लिया गया है।
मनोरंजम /शौर्यपथ /बिग बॉस 16 में शालीन भनोट बतौर कंटेस्टेंट आए हैं। शो में इन दिनों उनका और टीना दत्ता का लव एंगल चल रहा है। दोनों के लव एंगल की खूब बात हो रही है। वहीं दलजीत कौर जो शालीन की एक्स वाइफ रही हैं, उन्होंने अब शालीन और टीना के रिलेशनशिप और एक्टर को लेकर अपना रिएक्शन दिया है। दलजीत ने कहा कि वह शालीन से नाराज है कि उन्होंने नेशनल टीवी पर उनके साथ रहे रिश्ते पर बात की। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वह नहीं चाहतीं कि उनका बेटा ये सब टीवी पर देखे और इससे उस पर बुरा असर पड़े।
मैंने कभी नहीं की पास्ट पर बात
दलजीत ने बॉम्बे टाइम्स से बात करते हुए कहा, 'बिग बॉस के घर में मुझे बेस्ट फ्रेंड कहने से ज्यादा मुझे उस चीज से बुरा लगा जो शालीन ने टीना से कहा कि हम फालतू की वजहों से अलग हुए। मैं भी बिग बॉस 13 में शामिल हुई थी और 15 दिनों तक घर में रही थी। लेकिन एक भी बार मैंने शालीन, हमारे ब्रेकअप को लेकर कोई कमेंट नहीं किया। जब मैं बिग बॉस के घर में थी तो शालीन को एक भी कॉल नहीं आया होगा। लेकिन मुझे इतनी कॉल आ रही हैं क्योंकि शालीन ने तलाक को लेकर शो में बात की। जब मैं बिग बॉस में थी तो मैं भी रो सकती थी और लोगों का अटेंशन अपनी तरफ कर सकती थी, लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया।'
नहीं चाहतीं बेटा टीवी पर ये देखे
दलजीत ने बताया कि शालीन से 2015 में तलाक होने के बाद दोनों सिर्फ अपने बेटे को लेकर जुड़े रहे और 2 महीने में 1 या 2 बार मिलते हैं। दलजीत ने आगे कहा, 'मैं फिलहाल अच्छे स्पेस में हूं और मैं दलजीत और शालीन की कॉन्ट्रोवर्सी से दूर रहना चाहती हूं। मैं नहीं चाहती कि मेरे 8 साल का बेटा अपने पापा को ये सब करते हुए नेशनल टीवी पर देखे।'
'अब भले ही शालीन, टीना के साथ रहना चाहते हैं या फिर किसी और के साथ। मैं बस यही चाहती हूं कि वह शांत और खुश रहें क्योंकि वह मेरे बेटे का पिता है।'
दलजीत ने आगे यह भी कहा कि शालीन को समझना होगा कि वह नेशनल टीवी पर हमारे पास्ट का मजाक नहीं बना सकते।
वैसे बता दें कि बिग बॉस के हर सीजन में कंटेस्टेंट्स के बीच लव एंगल चलता है। इस बार 3 जोड़ियां बन रही हैं, शालीन भनोट और टीना दत्ता। गौतम और सौंदर्या और अंकित गुप्ता और प्रियंका।
सेहत टिप्स /शौर्यपथ / मौसम में ठंडक बढ़ते ही अक्सर लोगों की यह शिकायत रहती है कि उनका पुराना जोड़ों का दर्द लौटने लगता है। ऐसा ज्यादातर सर्दियों के मौसम में होता है। जिससे राहत पाने के लिए वो पेनकिलर का सहारा लेते हैं। लेकिन पेनकिलर का इस्तेमाल आपको कुछ घंटे के लिए तो दर्द से राहत दे सकता है लेकिन लंबे समय तक ऐसा करने से आपकी सेहत को भी नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में अगर आपकी भी यही समस्या है तो सूरजमुखी के तेल का ये आयुर्वेदिक नुस्खा आपकी मदद कर सकता है। आइए जानते हैं कैसे आप इस नुस्खे का इस्तेमाल अपने दर्द से छुटकारा पाने के लिए कर सकते हैं।
सूरजमुखी के तेल की मदद से आयुर्वेदिक उपाय करने के लिए जरूरी सामग्री-
-सफेद नमक - 10 चम्मच -
-जैतून या सूरजमुखी का कच्चा तेल - 20 चम्मच
दर्द से राहत पाने के लिए ऐसे बनाएं आयुर्वेदिक तेल-
दर्द से राहत दिलाने वाले आयुर्वेदिक तेल को बनाने के लिए सबसे पहले एक कांच के बर्तन में नमक और तेल मिला लें। फिर इस बर्तन को अच्छी तरह बंद करके 2 दिन के लिए रख दें। दो दिन बाद एक हलके रंग की औषधि तैयार हो जायेगी। इस औषधि को दर्द वाली जगह पर सुबह लगाएं। इसे लगाते समय 2-3 मिनट के लिए हल्के हाथों से पहले मालिश करें। फिर थोड़ा तेज हाथों से लगभग 10 मिनट तक मालिश करें।
टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ /दिवाली की सफाई किसी टास्क से कम नहीं है। ज्यादातर लोगों को दिवाली की स्पेशल सफाई करने के नाम से ही चक्कर आने लग जाते हैं। घर की सफाई में सबसे पहली सफाई किचन की होनी चाहिए, जिससे कि हम थकने से पहले अच्छी तरह सफाई कर सकें। किचन की सफाई करने के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि घर का ज्यादातर खाने का सामान किचन में रखा होता है। फिर भी ऐसी कुछ गलतियां हैं, जो लोग अक्सर कर जाते हैं। आइए, जानते हैं कौन-सी हैं वे कॉमन गलतियां-
खाने को ठीक से कवर करके न रखना
आप अगर चाहते हैं कि आपका खाना हेल्दी रहे, तो खाने को कुछ देर के लिए किसी और कमरे में रख दें। जहां पर धूल-मिट्टी न पहुंच पाए। फ्रिज में खाना ज्यादा सेफ रहेगा।
एयरटाइट कंटेनर न रखना
आपके किचन में एयरटाइट कंंटेनर होना बहुत जरूरी है, इसमें वे सामान ज्यादा सेफ रहता है जिन्हें आप फ्रिज में नहीं रख सकते। स्नैक्स, दाल, ड्राय फ्रूट्स, बिस्किट के लिए एयरटाइट कंटेनर का इस्तेमाल करें।
बार-बार एक ही कपड़े का इस्तेमाल करना
किचन की सफाई करने के लिए हमेशा साफ कपड़ों का इस्तेमाल करें। आप अगर पहले से ही गंदे या धूल-मिट्टी वाले कपड़े से किचन की सफाई करेंगे, तो किचन बहुत ही अनहाइजीन हो जाएगा।
बर्तनों को किचन में ही रखना
सफाई के दौरान बर्तनों को प्लास्टिक पॉलीथीन में पैक करके किसी और रूम में रख दें। ऐसा करने से बर्तनों पर धूल-मिट्टी नहीं जमेगी। अक्सर बर्तन वहीं होते हैं और धूल-मिट्टी पड़ने से बदरंग हो सकते हैं।
केमिकल क्लीनिंग लिक्विड का इस्तेमाल
फ्लोर के लिए आप केमिकल वाके क्लीनिंग लिक्विड या फिनायल का यूज कर सकते हैं लेकिन किचन स्लैब, टाइल पर कभी भी बहुत ज्यादा केमिकल वाले लिक्विड का इस्तेमाल न करें। आप स्पेशल टाइल क्लीनर का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो टाइल के लिए ही इस्तेमाल किए जाते हैं।
रायपुर / शौर्यपथ /
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके की अध्यक्षता में आज राजभवन के कॉन्फ्रेंस हॉल में सैनिक कल्याण बोर्ड छत्तीसगढ़ के राज्य प्रबंधन समिति की 14वीं बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में 11 निर्धारित एजेंडो पर विस्तृत चर्चा की गई और भूतपूर्व सैनिकों के हितों में महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। भूतपूर्व सैनिकों को दी जाने वाली विभिन्न सहायता राशि व सम्मान में बढ़ोत्तरी को भी स्वीकृति दी गई।
राज्यपाल सुश्री उइके ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि कोविड के दो वर्षों में हम सभी के साथ-साथ भूतपूर्व सैनिक परिवार को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा और सैनिक कल्याण बोर्ड की आय भी प्रभावित हुई। राज्यपाल ने सैनिकों के कल्याण के लिए चर्चा-परिर्चाओं में भूतपूर्व सैनिक परिवार के सदस्यों से भी बात करने और सुझाव लेने को कहा ताकि उनके समस्याओं के बारे में सटीक जानकारी प्राप्त हो सके। उन्होंने युवाओं को प्रेरित करने के उद्देश्य से स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों तथा शहीद जवानों के शौर्य और साहस से परिचय कराने के लिए पहल करने का सुझाव दिया। इस आशय गांव के चौक-चौराहों आदि में स्थानीय शहीद सैनिकों, सेनानियों की प्रतिमा तथा उनसे जुड़ी जानकारी साझा करने के संबंध में अपने विचार व्यक्त किए।
राज्यपाल ने मुख्य सचिव श्री जैन से कहा कि शासन द्वारा शासकीय सेवा में भर्ती के लिए जारी विज्ञापनों को सैनिक कल्याण बोर्ड को भी प्रेषित किया जाए, ताकि बोर्ड को भूतपूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित सीटों की जानकारी मिले और उनके द्वारा भूतपूर्व सैनिकों को इससे अवगत कराया जा सके। उन्होंने युवाओं को भूतपूर्व सैनिकों के अनुभव का लाभ दिलाने के दृष्टिकोण से भी पहल करने की बात कही। राज्यपाल ने अंत में कहा कि आज भूतपूर्व सैनिकों के कल्याण हेतु लिए गए सारे निर्णय अति महत्वपूर्ण हैं। इससे निश्चित ही सैनिक परिवारों को लाभ मिलेगा और आगे भी इस प्रकार के प्रयास सतत् जारी रहेंगे।
बैठक में सैनिक कल्याण बोर्ड के राज्य प्रबंधन समिति के उपाध्यक्ष एवं मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन ने भी सुझाव देते हुए कहा कि बोर्ड द्वारा भूतपूर्व सैनिकों को दी जा रही सुविधाओं की जानकारी तथा आवेदन के लिए मोबाईल एप्प तैयार करने को कहा। इससे आवेदन प्रक्रिया आसान होगी और भूतपूर्व सैनिकों को अनावश्यक समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा।
बैठक में निर्धारित 11 एजेण्डों के साथ-साथ वित्तीय वर्ष 2022-23 के आय-व्यय, वित्तीय वर्ष 2021-22 के लेखा परीक्षण तथा वित्तीय वर्ष 2023-24 के अनुमानित बजट की जानकारी दी गई। बैठक में समिति द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध के पेंशनर को प्रतिमाह दी जाने वाली चिकित्सा हेतु आर्थिक सहायता राशि 7 हज़ार से बढ़ाकर 10 हज़ार रुपये करने की स्वीकृति दी गई। इसके साथ ही भूतपूर्व सैनिक जिनकी उम्र 70 वर्ष से अधिक है एवं अत्यंत गरीब हैं, उन्हें दी जा रही आर्थिक सहायता को 30 हजार से 50 हजार रूपए दिये जाने के प्रस्ताव के स्थान पर एक लाख रूपए देने का निर्णय लिया गया। भूतपूर्व सैनिकों, जिनकी उम्र 75 वर्ष से अधिक है, उनको दिये जाने वाले सम्मान राशि में बढ़ोत्तरी की गई है, तद्नुसार 75 वर्ष पूर्ण होने की सीमा को घटाकर 70 वर्ष किया गया तथा 70 वर्ष पूर्ण होने पर 70 हजार, 75 वर्ष पूर्ण होने पर 75 हजार, 80 वर्ष पूर्ण होने पर 80 हजार तथा 90 वर्ष पूर्ण होने पर 90 हजार, 95 वर्ष पूर्ण होने पर 95 हजार, 100 वर्ष पूर्ण होने पर 01 लाख एक मुश्त तथा 100 वर्ष से अधिक उम्र पर प्रतिवर्ष 01 लाख रूपए प्रदान करने की स्वीकृति दी गई। इसी प्रकार भूतपूर्व सैनिकों को औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त करने पर प्रदाय आर्थिक सहायता राशि को 500 रूपए से बढ़ाकर 05 हजार रूपए किया गया।
भूतपूर्व सैनिकों को स्वरोजगार हेतु दी जाने वाली एक मुश्त 15 हजार रूपए की आर्थिक सहायता के लिए निर्धारित मासिक आय सीमा 6 हजार रूपए से बढ़ाकर 25 हजार किया गया। इसी प्रकार भूतपूर्व सैनिकों के केवल एक पुत्र को एन.डी.ए./आई.एम.ए./ओ.टी.ए. में प्रशिक्षण प्राप्त करने हेतु दी जाने वाली 1000 रूपए के सम्मान राशि को 3000 रूपए किये जाने के प्रस्ताव पर राज्यपाल ने सम्मान राशि को 10 हजार करने के साथ-साथ केवल पुत्र के स्थान पर पुत्री को भी प्रदाय किये जाने को स्वीकृति प्रदान की।
भूतपूर्व सैनिकों के शारीरिक और मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों को दी जाने वाली सहायता राशि में बढ़ोत्तरी को स्वीकृति दी गई, जिसके अनुसार 26 से 50 प्रतिशत दिव्यांग बच्चों के लिए 07 सौ रूपए को बढ़ाकर 15 सौ रूपए करने के प्रस्ताव के स्थान पर 02 हजार रूपए, 51 से 75 प्रतिशत दिव्यांग बच्चे के लिए 15 सौ से बढ़ाकर 02 हजार रूपए करने के प्रस्ताव के स्थान पर 03 हजार रूपए तथा 76 से 100 प्रतिशत दिव्यांग बच्चों के लिए 15 सौ रूपए से बढ़ाकर 04 हजार रूपए करने के प्रस्ताव के स्थान पर 06 हजार रूपए प्रदान करने की स्वीकृति दी गई।
साथ ही शासकीय वृद्धाश्रम में निवासरत् भूतपूर्व सैनिकों को प्रतिमाह दी जाने वाली आर्थिक सहायता राशि 15 सौ रूपए से बढ़ाकर 05 हजार रूपए किया गया। कैंसर का इलाज तथा डायलिसिस कराने वाले मरीजों को दी जाने वाली सहायता राशि में प्रतिवर्ष 25 हजार से बढ़ाकर 50 हजार रूपए करने की स्वीकृति दी गई। नवनिर्मित सैनिक विश्रामगृह रायपुर सहित दुर्ग, राजनांदगांव और जगदलपुर में लघु निर्माण, मरम्मत, साजसज्जा हेतु भी राशि आबंटन को स्वीकृति दी गई।
बैठक में वित्त विभाग की सचिव श्रीमती अलरमेलमंगई डी., राज्यपाल उप सचिव श्री दीपक कुमार अग्रवाल, सचिव गृह विभाग श्री धनंजय देवांगन, अतिरिक्त महानिदेशक पुनर्वास परिषद मध्य कमान लखनऊ ब्रिगेडियर के पी एस सिरोही विशिष्ट सेवा मेडल, कमांडर मुख्यालय छत्तीसगढ़ एवं ओडिशा सब एरिया ब्रिगेडियर विग्नेश मोहंती सेना मेडल, ब्रिगेडियर प्रदीप यदु (सेवानिवृत्त) कर्नल कीजो लाल यादव (सेवानिवृत्त) श्री कैलाश नाहटा एवं श्री टी आर साहू ने प्रत्यक्ष रुप से बैठक में शामिल हुए तथा सचिव भारत सरकार रक्षा मंत्रालय भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग नई दिल्ली श्री विजय कुमार, जनरल ऑफिसर कमांडिंग मध्य भारत क्षेत्र लेफ्टिनेंट जनरल एम के दास, सेना मेडल परम विशिष्ट सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल एवं कार्यवाहक संयुक्त सचिव प्रतिनिधि केंद्रीय सैनिक बोर्ड नई दिल्ली, कर्नल कमल भट्ट ने परोक्ष रूप से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए।