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योग टिप्स /शौर्यपथ / बात जब वजन घटाने की आती है तो एक्सरसाइज या योगा करने की सलाह दी जाती है. योगा को खासतौर से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने के लिए किया जाता है. योगा लो-इंपैक्ट एक्सरसाइज है जो फ्लेक्सिबिलिटी को बढ़ाती है, सेहत को दुरुस्त रखती है और वजन घटाने में अच्छा असर दिखाती है. योगा करते हुए अच्छीखासी मात्रा में कैलोरी बर्न होती है और फैट कम होने में मदद मिलती है. यहां जानिए वो कौनसे योगासन हैं जिन्हें पतला होने के लिए किया जा सकता है. बैली फैट कम होने से लेकर थाई फैट और आर्म फैट भी कम होने लगेगा.
वजन घटाने के लिए योगा
धनुरासन
इस योगासन में शरीर धनुष के आकार का दिखने लगात है जिस चलते इसे धनुरासन कहा जाता है. धनुरासन करने के लिए पेट के बल लेटा जाता है. इसके बाद दोनों घुटनों को मोड़कर पैरों को सिर की तरफ लाते हैं और दोनों हाथों को सिर के पीछे मोड़ते हुए पैरों के पंजों को पकड़ते हैं. कुछ देर पोज होल्ड करने के बाद सामान्य पॉजीशन में आ जाते हैं.
उत्कटासन
उत्कटासन को चेयर पोज भी कहते हैं. इस आसन को करने के लिए सीधे खड़े होते हैं. इसके बाद घुटनों को मोड़ते हुए शरीर को आधा झुकाया जाता है जैसा कि कुर्सी पर बैठते हुए शरीर नजर आता है. लेकिन, आपको यहां कुर्सी का इस्तेमाल नहीं करना है बस आपका शरीर कुर्सी के आकार का होगा. अपने दोनों हाथों को सामने रखकर पोज को कुछ देर होल्ड करते हैं.
भुजंगासन
कोबरा पोज या भुजंगासन करना बेहद आसान है. इस आसन का वजन पर अच्छा असर देखने को मिलता है. भुजंगासन करने के लिए पेट के बल लेटा जाता है. इसके बाद दोनों हाथों को सामने की तरफ रखकर शरीर को ऊपर की तरफ उठाया जाता है और पेट से नीचे का पूरा हिस्सा जमीन पर ही टिका रहता है. भुंजगासन में सिर को पीछे की तरफ मोड़ते हैं. कुछ देर इस पोज को होल्ड करके रखा जाता है और फिर सामान्य मुद्रा में आते हैं.
वृक्षासन
वजन कम करने की कोशिश कर रहे लोग रोजाना वृक्षासन कर सकते हैं. वृक्षासन करने के लिए सीधे खड़े होकर दोनों हाथों को जोड़कर सिर के ऊपर सीधा उठाया जाता है. इसके बाद एक पैर का तलवा दूसरे पैर की जांघ पर रखकर पोज होल्ड करते हैं. बारी-बारी दोनों पैरों से प्रक्रिया दोहराई जाती है. इस योगासन से बैलेंस बेहतर होता है और पैरों की मसल्स टोन होती हैं.
नौकासन
पेट की चर्बी कम करने के लिए खासतौर से नौकासन या नवासन किया जा सकता है. इस आसन को करने के लिए जमीन पर बैठें और पैरों को सामने की तरफ रखें. अब घुटनों से पैर मोड़कर हवा में रखें और नितंब पर अपने पूरे वजन को रखें. हाथों को सामने की तरफ फैलाएं. शरीर को हल्का पीछे की तरफ मोड़ें जिससे बैलेंस बन सके. इस योगासन को करने पर वजन कम होता नजर आने लगता है और पेट, कमर और जांघे पतली होने लगती हैं.
लाइफस्टाइल /शौर्यपथ /किसी भी मजबूत रिश्ते की नींव दोनों पार्टनर्स मिलकर रखते हैं. एक की तरफ से भी डोर छूटती है तो रिश्तों की माला बिखर जाती है. कहते हैं मजबूत रिश्ते वही होते हैं जिनमें प्यार हमेशा बना रहे, लेकिन कई बार प्यार निभाने में कई तरह की मुश्किलें भी आती हैं. ऐसे में हर अड़चन को दूर करके ही रिश्ता मजबूत बनाया जाता है. यहां ऐसी ही कुछ आदतों के बारे में बताया जा रहा है जो अगर दोनों ही पार्टनर्स में हो तो रिलेशिनशिप मजबूत बनती है और इन आदतों से ही हमेशा प्यार बरकरार रहता है.
रिश्ता मजबूत बनाने वाली आदतें
मन में बातें ना रखना
रिश्तों में एक कहता रहे और दूसरा सुनता रहे कई बार रिश्तों की नींव बन जाता है लेकिन यह बेहद जरूरी है कि दोनों पार्टनर्स एकदूसरे की सुनें. कई बार कम कहने वाला ही मन में बातों को दबाए रखता है और उन बातों को तब कहता है जब लड़ाई या फिर झगड़े की स्थिति हो. इससे बेहतर है कि जब मन में कुछ खटास भरा आ गया है तो उसे कहकर खत्म किया जाए बजाय लड़ाई का इंतजार करने के.
विश्वास है जरूरी
जिस रिश्ते में विश्वास (Trust) ना हो उसमें अक्सर ही मनमुटाव रहने लगते हैं. इसीलिए एकदूसरे पर विश्वास करें. कोशिश करें कि किसी और की सुनने से पहले आप एकदूसरे को सुनें, एकदूसरे को समझें और चाहे कितनी ही कठिनाइयां आएं एकदूसरे पर विश्वास करें. यह मुश्किल लग सकता है लेकिन आपके रिश्ते के लिए अच्छा भी साबित होता है.
सम्मान ना हो कम
रिश्ता चाहे कोई भी हो सम्मान की भावना जरूरी है. जिसका आप सम्मान नहीं कर सकते भला उससे प्यार कैसे हो सकता है? आपका अपने रिलेशनशिप में सम्मान पाना और अपने पार्टनर का सम्मान करना दोनों ही जरूरी है. जहां सम्मान की भावना नहीं होती वहां एक पार्टनर्स एकदूसरे के साथ झिझकने लगते हैं और अपने अस्तित्व पर उनके अपने ही मन में कई तरह के सवाल कौंधने लगते हैं.
एकदूसरे की प्रशंसा करना ना भूलें
यह बेहद जरूरी है कि आप दोनों एकदूसरे की प्रशंसा जरूर करें. आपको एकदूसरे के बारे में क्या अच्छा लगता है, कब पार्टनर खूबसूरत दिख रहा है, जब पार्टनर कुछ अच्छा करे या आपको अच्छा महसूस करवाए तो आपको यह बात अपने पार्टनर से कह देनी चाहिए.
सेहत टिप्स /शौर्यपथ /नीम में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जिसके इस्तेमाल से शरीर से आने वाली दुर्गंध को आसानी से दूर किया जा सकता है।
इसके लिए एक मग पानी में दो बूंद के करीब नीम का तेल डालें। इसमें टॉवेल को डुबाएं और उससे अपने ऑर्मपिट पोंछें।
एप्पल साइडर विनेगर दिलाएगा बदबू से छुटकारा
एप्पल साइडर विनेगर स्किन का पीएच लेवल बैलेंस रखते हुए ऑर्मपिट से आने वाली बदबू को दूर करने का काम करता है।
इसके लिए भी एक मग पानी में बहुत थोड़ा सा विनेगर डालें और उससे अपने ऑर्मपिट को साफ कर लें।
बेकिंग सोडा पसीने को सोख बदबू करता है दूर
बेकिंग सोडा भी बेहद कारगर नेचुरली तरीका है बॉडी से आने वाली बदबू को दूर करने का। इसके लिए अपने अंडर ऑर्म्स पर बेकिंग सोडा छिड़क लें। ये बड़ी ही आसानी से पसीना सोख लेता है जो बदबू की मुख्य वजह होता है। इसके और असरदार बनाने के लिए आप इसमें कॉर्नस्टॉर्च भी मिक्स कर सकते हैं।
नींबू का इस्तेमाल
आप कई सारी चीज़ों में कर सकते हैं जिसमें से एक है। शरीर की दुर्गंध दूर करने में। नींबू का एक छोटा टुकड़ा लेकर उसे अपने ऑर्मपिट पर रगड़े। हो सके थोड़ी जलन हो लेकिन यकीन मानिए रिजल्ट आपको अच्छे मिलेंगे।
टी-ट्री ऑयल भी है असरदार
नीम जैसे ही टी-ट्री ऑयल भी बॉडी के बैड बैक्टीरिया दूर कर बदबू की समस्या दूर करता है। इसके लिए पानी में कुछ बूंद टी-ट्री ऑयल के मिलाएं और इसके एक स्प्रे बॉटल में भर लें। शॉवर लेने से पहले अपने
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / धनतेरस दीपावली से शुरू हो कर भाई दूज तक चलने वाले पांच दिवसीय त्योहार का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व है. वर्ष 2023 में अधिक मास के कारण ये पर्व 15 दिन देर से मनाए जाएंगे. इस पांच दिन चलने वाले त्योहार में धन की देवी लक्ष्मी और धन के रक्षक देव कुबेर की पूजा का विधान है. कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी तिथि का धनतेरस के साथ पांच दिवसीय त्योहार की शुरुआत होती है. वर्ष 2023 में धनतेरस 10 नवंबर को और दीपावली 12 नवंबर को मनाई जाएगी. धनतेरस के दिन देवी लक्ष्मी और कुबेर को प्रसन्न कर पूरे वर्ष सुख समृद्धि प्राप्त की जा सकती है. धनतेरस के दिन किए गए उपायों से धन संपत्ति में वद्धि और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है.
धनतेरस के दिन ऐसे करें मां लक्ष्मी की पूजा
जलाएं 13 दिये
धनतेरस के दिन सूरज के अस्त होने के बाद घर के बाहर 13 दिये जला कर रखें. दीयों को छत, बालकनी या दरवाजे पर रखा जा सकता है. जहां भी दिये रखें वहां 13 दिये होने चाहिए.
सफेदचीजों का दान
धनतेरस के दिन सफेद चीजों के दान से धन संपत्ति में वृद्धि होती है. सफेद चीजों में खीर, बताशा, सफेद वस्त्र दान किये जा सकते हैं. ये सभी चीजें देवी लक्ष्मी को प्रिय हैं. सफेद चीजों के दान से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.
पीली कौड़ी और धनिया
धनतेरस के दिन कुबेर व देवी लक्ष्मी पूजा में पीली कौड़ी और धनिया जरूर अर्पित करें. इससे घर में धन दौलत में वृद्धि होगी.
कुबेर यंत्र की पूजा
धनतेरस के दिन कुबेर यंत्र की पूजा करने के बाद उसे अपनी तिजोरी में रखने से कुबेर की कृपा बनी रहती है.
किन्नर को दे दान
धनतेरस के दिन तृतीयपंथियों को दान देने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. तृतीयपंथी से एक रुपए का सिक्का मांग कर अपनी तिजोरी में रख दें. इससे आपकी तिजोरी हमेशा भरी रहेगी.
धनतेरस में पूजा का मुहूर्त
पंचाग के अनुसार इस वर्ष धनतेरस की तिथि 10 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से 11 नवबंर की दोपहर 1 बजकर 57 मिनट तक है. पूजा का शुभ मुहूर्त 10 नवबंर को शाम के छह बजकर दो मिनट से शुरु होकर आठ बजे तक है.
ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ / जब त्वचा और बालों की देखभाल की बात आती है, तो हमारी दादी-नानी के पुराने नुस्खे सबसे अच्छे और इफेक्टिव साबित होते हैं. चाहे वह सनटैन, मुंहासे, ड्राई या ऑयली स्किन से निजात पाना हो, उनके नैचुरल होम मेड फेस पैक से स्किन से जुड़ी सभी समस्याओं का आसानी से समाधान हो जाता है. उनकी ऐसी ही एक रेमेडी के बारे में यहां बताने जा रहे हैं, जिसको अप्लाई करके आप चेहरे को चमकदार और बेदाग बना लेंगी एक महीने में.
5 पावडर से तैयार करें फेस पैक
आपको इस फेस पैक को बनाने के लिए 01 चम्मच मुल्तानी मिट्टी, 01 चुटकी हल्दी, 01 चम्मच नीम पावडर, 01 चम्मच चंदन पावडर, 01 चम्मच चुकंदर पावडर और इन सारे पावडर को मिलाने के लिए दूध या फिर रोज वॉटर चाहिए. अब आपको इन सारे पावडर को रोज वॉटर या दूध डालकर मिलाकर पैक तैयार कर लेना है.
फिर इसे अपने चेहरे से लेकर गर्दन तक के एरिया में अच्छे से लगा लेना है. 15 मिनट बाद आपको फेस को अच्छे से धो लेना है इसके बाद एक लाइट क्रीम चेहरे पर अप्लाई करना है ताकि स्किन में रूखापन ना रहे. ये पैक आप महीने भर लगा लेती हैं तो सारी स्किन प्रॉब्लम छू मंतर हो जाएगी.
अन्य उपाय
आप सोने से पहले हर दिन एलोवेरा जैल में नारियल तेल मिलाकर फेस मसाज जरूर करें. इससे स्किन मुलायम होती है और कसावट भी बनी रहती है. इसमें पाया जाने वाला एंटीबैक्टीरियल गुण डेड स्किन को निकालने में मदद करता है. आप गर्मी के मौसम एलोवेरा जैल छोटे-छोटे टुकड़े करके फ्रिज में रख दें. फिर जब जरूरत हो नारियल तेल मिलाकर अच्छे से मसाज दीजिए.
सेहत /शौर्यपथ / कई बार खराब लाइफस्टाइल या ऑयली, फ्राइड और बासी खाना खाने से गैस्ट्रिक समस्याएं होने लगती है. गैस, एसिडिटी, हार्टबर्न, अपच और तेज पेट दर्द जैसी प्रॉब्लम होने लगती है. कई बार ट्रैवलिंग, प्रेग्नेंसी, डेयरी प्रोडक्ट्स के ज्यादा इस्तेमाल, तनाव और डाइट में फाइबर्स की कमी की वजह से भी पेट में गैस की समस्याएं हो सकती हैं. गैस कोई गंभीर समस्या नहीं है. हालांकि, ये परेशान जरूर कर देता है. सामान्य घरेलू उपाय अपनाकर इससे तुरंत राहत पा सकते हैं.
पेट में गैस बनने की समस्या से छुटकारा पाने का घरेलू उपाय
गुनगुनापानी
गुनगुना पानी पाचन को दुरुस्त रखता है. अपच में होने वाली पेट दर्द से भी यह राहत दिलाता है. गैस्ट्रिक की समस्या ज्यादा होने पर गर्म पानी में अजवाइन या जीरा डालकर पीने से आराम मिलता है.
काली मिर्च
आयुर्वेद में काली मिर्च को गैस्ट्रिक समस्याओं को दूर करने में प्रभावी माना जाता है. काली मिर्च कई और प्रॉब्लम्स का कारगर इलाज माना जाता है. ऐसे में जब भी गैस या अपच जैसी समस्याएं हों तो काली मिर्च से इन दिक्कतों को दूर किया जा सकता है.
सौंफ
गैस्ट्रिक समस्याओं से दूर रखने में सौंफ भी काफी मददगार है. ये मुंह का स्वाद भी खराब नहीं होने देता है. इसके सेवन से गैस्ट्रिक और एसिड रिफ्लक्स जैसी समस्याओं को दूर करती हैं.
अदरक
गर्म पानी और शक्कर में अदरक का रस मिलाकर सेवन करें. आयुर्वेद में इसे पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में प्रभावी माना जाता है. अदरक वाली काली चाय भी गैस्ट्रिक समस्याओं में तुरंत राहत दे सकता है.
नींबू
कई रिसर्च में पाया गया है कि नींबू का सेवन गैस्ट्रिक, अपच, हार्ट बर्न जैसी समस्याओं को दूर करने में कारगर है. पानी में नींबू का रस मिलाकर पीने से कॉन्स्टिपेशन की समस्या दूर होती है और पाचन दुरुस्त होता है. सुबह के समय इसका सेवन फायदेमंद माना जाता है.
अजवाइन
अजवाइन गैस्ट्रिक संबंधी समस्याओं में पलक झपकते ही दूर कर सकता है. आधा चम्मच अजवाइन और आधा चम्मच नमक का एक साथ सेवन करने से गैस्ट्रिक संबंधी समस्याएं दूर हो जाती हैं.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /सावन के महीने में सोमवार के व्रत का खास महत्व होता है. सावन के हर सोमवार को व्रत रखकर विधि विधान से भगवान शिव शंकर की पूजा की जाती है. सावन सोमवार के व्रत में पूरे दिन केवल फलाहार किया जाता है. व्रत में फल के अलावा आप कुछ टेस्टी और क्रिस्पी बनाना चाहते हैं तो समा के चावल और आलू के साथ आलू फिंगर्स या बॉल्स तैयार कर सकते हैं. ये खाने में भी बेहद टेस्टी होते हैं. आइए इन्हें बनाने की रेसिपी जान लेते हैं.
आलू फिंगर्स या बॉल्स बनाने के लिए सामग्री
समा के चावल - 1 कप
उबले हुए आलू - 4
हरा धनिया
सेंधा नमक - स्वादानुसार
जीरा - 1 छोटी चम्मच
काली मिर्च – 15-20
हरी मिर्च- 2-3
तेल - तलने के लिए (फलाहारी- जैसे सूरजमुखी का तेल या घी)
आलू फिंगर्स या बॉल्स बनाने का तरीका
सबसे पहले समा के चावल को अच्छे से धोकर साफ कर लें और करीब घंटे भर के लिए पानी में भिगो कर रख दें. घंटा भर बीतने के बाद एक्स्ट्रा पानी को निकाल दें और कुकर में चावलों को पानी भर कर चढ़ा दें. अगर आपने एक कप चावल लिए हैं तो दो कप पानी लें.
दो सीटी आने तक चावलों को पकाएं. अब गैस बंद कर दें और थोड़ी देर चावल को छोड़ दें. कुकर ठंडा हो जाने पर चावल को एक प्याले में निकाल लें और ठंडा करें.
अब एक बर्तन में उबले हुए आलुओं को कद्दूकस करके रख लें. इसमें कुटी हुई काली मिर्च, जीरा, बारीक कटी मिर्च और धनिया पत्ती डालें और मिक्स कर लें. अब चावलों को भी इस मिक्सचर में डालकर मिला लें और अच्छे से मसल लें.
तैयार मिश्रण को बॉल्स या फिंगर की शेप दें और उसे गर्म तेल में फ्राई कर लें.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /सावन के महीने में सोमवार के व्रत को रखना बेहद शुभ माना जाता है. सावन के हर सोमवार को व्रत रखकर विधि विधान से शंकर जी और मां पार्वती की पूजा की जाती है. सावन सोमवार के व्रत में केवल फलाहार का सेवन करते हैं. कुट्टू और सिंघाड़े के आटे को फलाहार माना जाता है. ऐसे में आप सोमवार के व्रत में इनका इस्तेमाल कर सकते हैं. आइए जानते हैं कि सिंघाड़े या कुट्टू के आटे की कचौड़ी बनाने की रेसिपी क्या है.
कुट्टू या सिंघाड़े के आटे की कचौड़ी के लिए सामग्री
व्रत में खाना है कुछ टेस्टी और अलग तो इस बार बनाएं क्रंची आलू फिंगर्स या बॉल्स, यहां देखें बनाने का तरीका
सिघाड़े (या कूटू) का आटा - एक कप
आलू - 4 उबले हुये
हरी मिर्च – एक
अदरक - एक इंच का टुकड़ा (कद्दूकस किया हुआ)
काली मिर्च – आधी छोटी चम्मच
अमचूर - एक चौथाई छोटी चम्मच
सेंधा नमक - स्वादानुसार
तेल या घी - तलने के लिये
कुट्टू या सिंघाड़े के आटे की कचौड़ी बनाने का तरीका
सबसे पहले कुट्टू या सिंघाड़े के आटे को लीजिए और उसे छन्नी से छान लीजिए. अब इसमें नमक और दो चम्मच तेल डालकर गूंध लीजिए.
अब स्टफिंग तैयार करने के लिए आलू को उबाल कर छील लीजिए और हाथों से मसल लीजिए. आलू में हरी मिर्च, कद्दूकस किया हुआ अदरक, धनिया पत्ती, अमचूर और सेंधा नमक मिला लीजिए. अब आटे में से लोई लें और गोल कर लें. इसमें उंगलियों से मदद से छेद बनाएं और आलू की स्टफिंग उसमें भरें और लोई को सील कर दें. अब हल्के हाथों से इसे बेल लें और गर्म तेल में डालकर फ्राई करें.
सेहत टिप्स / शौर्यपथ /फ्रैगाइल एक्स सिंड्रोम एक वंशानुगत आनुवंशिक बीमारी है. यह माता-पिता के जीन से बच्चों में पहुंचती है. यह बच्चों में बौद्धिक और विकास संबंधी अक्षमताओं का कारण बनती है. इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 22 जुलाई को नेशनल फ्रैगाइल एक्स अवेयरनेस डे मनाया जाता है. फ्रैगाइल एक्स सिंड्रोम लड़कों में मानसिक अक्षमता का सबसे आम कारण है. चार हजार लड़कों में से एक लड़का इससे पीड़ित होता है हालांकि यह लड़कियों को कम प्रभावित करती है. लड़कियों में यह आकड़ा आठ हजार में एक का है. लड़कियों की तुलना में लड़कों में ज्यादा गंभीर लक्षण भी दिखाई पड़ते हैं. एफएक्सएस से पीड़ित बच्चों में विकास और कुछ नया सीखने में समस्या आती है. यह लंबे समय या आजीवन रहने वाली स्थिति होती है. इससे प्रभावित कुछ ही लोग बगैर किसी मदद के रहने में सक्षम होते हैं. आइए जानते हैं क्या हैं फ्रैगाइल एक्स सिंड्रोम के लक्षण और कारण
फ्रैगाइल एक्स सिंड्रोम के लक्षण
फ्रैगाइल एक्स सिंड्रोम सीखने की अक्षमता, विकासात्मक देरी और सामाजिक या व्यवहार संबंधी समस्याओं का कारण बन सकती है. अक्षमता की गंभीरता अलग अलग हो सकती है. इसके कारण लड़कों में आमतौर पर कुछ स्तर की बौद्धिक अक्षमता होती है जबकि लड़कियों में कुछ बौद्धिक अक्षमता या सीखने की अक्षमता या दोनों हो सकती है. कुछ मामलों में लड़कियों में सामान्य बुद्धि भी होती है. उनमें फ्रैगाइल एक्स सिंड्रोम का तब ही पता चलता है जब परिवार के किसी अन्य सदस्य को यह परेशानी पहले से मौजूद हो.
एफएक्सएस से प्रभावित में बचपन में या जीवन भर ये लक्षण दिखाई पड़ते हैं
देर से विकास, अपने उम्र के अन्य बच्चों की तुलना में बैठने, चलने या बात करने में सामान्य से अधिक समय लेना
हकलाना
बौद्धिक और सीखने की संबंधी अक्षमताएं, जैसे नई चीजें सीखने में परेशानी
सामान्य या सामाजिक एंग्जायटी यानी लोगों के बीच सहज नहीं रहना
ऑटिज्म
आवेग भरा व्यवहार
ध्यान देने में कठिनाई
सामाजिक मुद्दे, जैसे लोगों से नज़र नहीं मिलाना, किसी का छूना नापसंद करना और बॉडी लैंग्वेज समझने में परेशानी
हाइपर एक्टिव होना
दौरे पड़ना
डिप्रेशन
सोने में कठिनाई
कुछ एफएक्सएस प्रभावितों में शारीरिक असामान्यताएं होती हैं
बड़ा माथा या कान, उभरा हुआ जबड़ा
ज्यादा लम्बा चेहरा
उभरे हुए कान, माथा और ठुड्डी
ढीले या लचीले जोड़
सपाट पैर
फ्रैगाइल एक्स सिंड्रोम के कारण
फ्रैगाइल एक्स सिंड्रोम डीएनए में एक्स क्रोमोसोम पर रहने वाले एफएमआर1 जीन में दोष के कारण होता है. डीएनए में दो तरह सेक्स क्रोमोसोम होते हैं. एक एक्स क्रोमोसोम और दूसरा है वाई क्रोमोसोम. फीमेल में दो एक्स क्रोमोसोम होते हैं जबकि मेल में एक एक्स और एक वाई क्रोमोसोम होता है. एफएमआर1 में गड़बड़ी के कारण प्रोटीन ठीक से सिंथेसाइज नहीं हो पाता है. यह प्रोटीन तंत्रिका तंत्र के कामकाज में भूमिका निभाता है. इसकी कमी एफएक्सएस के लक्षणों का कारण बनती है.
सेहत टिप्स /शौर्यपथ /स्वस्थ तन के लिए मन और मस्तिष्क का भी स्वस्थ रहना जरूरी है. आज की दुनिया में बढ़ती आपाधापी के कारण तनाव और चिंता जैसी परेशानियां बढ़ रही हैं जिसका असर लोगों के मेंटल हेल्थ पर पड़ रहा है. लोगों में मन और मस्तिष्क की सेहत के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए दुनिया भर में 22 जुलाई को वर्ल्ड ब्रेन डे मनाया जाता है. आइए जानते हैं कुछ ऐसे सिंपल उपायों के बारे में जिन्हें अपनाकर हमें अपने ब्रेन हेल्थ को बेहतर बनाए रखने में मिल सकती मदद...
ब्रेन को हेल्दी रखने के 4 तरीके
पर्याप्त नींद है जरूरी
नींद का सीधा संबंध ब्रेन हेल्थ से है. अधूरी और अपर्याप्त नींद का असर ब्रेन पर पड़ सकता है. आठ घंटे की नींद में ब्रेन को रिसेट होने का पूरा समय मिल जाता है. अच्छी और पूरी नींद के बाद सुबह दिमाग सही तरीके और पूरी ऊर्जा के साथ काम करता है. जबकि नींद पूरी नहीं होने पर ब्रेन पर प्रेशर रहता है, जिससे मन खराब और चिड़चिड़ा हो जाता है. लंबे समय तक ऐसी स्थिति ब्रेन हेल्थ के लिए खतरनाक साबित हो सकती है.
डाइट और एक्सरसाइज
डाइट का सीधा असर सेहत पर पड़ता है. फिजिकल हेल्थ का असर मेंटल हेल्थ पर भी होता है. बीमार शरीर में मस्तिष्क सेहतमंद रहना कठिन है. अच्छी और बैलेंस डाइट तनाव और चिंता जैसी मेंटल परेशानियों को भी कम करने में मदद करती है. एक्सरसाइज से तन के साथ मन भी स्वस्थ रहता है.
रहें पॉजिटिव
ब्रेन की अच्छी हेल्थ के लिए हमेशा पॉजिटिव रहना जरूरी है. अगर किसी बात के लिए चिंता और तनाव से गुजर रहे हों तो आप अपने पास उपलब्ध चीजों के लिए शुक्रगुजार और खुशनसीब समझें. इससे जीवन में पॉजिटिव बने रहने में मदद मिलेगी, जिससे चिंता और तनाव जैसी समस्याओं से निपटने में मदद मिलेगी.
रिलैक्सेशन तकनीकों की लें मदद
चिंता और तनाव के कारण ब्रेन हेल्थ पर असर पड़ सकता है. रिलैक्सेशन के तकनीकों से ब्रेन को स्ट्रेस से मुक्त करने में मदद मिलती है. इसके लिए म्यूजिक सुनना, एक्सरसाइज करना, दोस्तों से मुलाकात, टहलने जैसे उपायों को अपनाया जा सकता है.
सेहत टिप्स /शौर्यपथ / कई बार खराब खानपान की वजह से दस्त यानी लूज मोशन की समस्या हो जाती है. इसके चलते शरीर में पानी की कमी हो जाती है और कमजोरी का एहसास होने लगता है. लूज मोशन दो तरह के होते हैं. एक्यूट डायरिया जो सिर्फ 1-2 दिन तक रहता है. और क्रोनिक डायरिया, जो दो से ज्यादा दिनों तक बना रहता है. दोनों की कंडीशन में सही इलाज जरूरी होता है, क्योंकि ये जानलेवा भी हो सकता है. अगर आप या आपका कोई जानने वाला लूज मोशन की समस्या से परेशान है तो यहां जानिए 7 घरेलू रामबाण उपाय , जिससे तुरंत राहत मिल सकती है.
दस्त होने पर आज़माएं ये घरेलू उपाय
1. नमक-चीनी का घोल
लूज मोशन में नमक-चीनी का घोल किसी टॉनिक से कम नहीं. ये पानी की कमी को पूरा करता है. पानी को उबालकर उसमें चीनी-नमक बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से इस समस्या से आराम मिल सकता है.
2. जीरा-पानी
लूज मोशन को कंट्रोल करने में जीरा-पानी भी गजब का असर दिखाता है. एक लीटर पानी में एक चम्मच जीरा डालकर उसे उबाल लें और जब ठंडा हो जाए तो उसे पिएं. जल्द ही इसका असर दिखने लगेगा.
3. नींबू का रस
दस्त की समस्या से बचने के लिए दिन में दो से तीन बार नींबू-पानी पीना चाहिए. इससे तुरंत आराम मिल सकता है. नींबू के रस से आंतों की सफाई भी होती है. गर्मी के दिनों में नॉर्मल पानी में सर्दी में हल्के गुनगुने पानी में नींबू का रस मिलाकर पीना चमत्कारिक होता है.
4. दही
दही में हेल्दी बैक्टीरिया पाए जाते हैं, जो आंतों को हेल्दी बनाने के साथ बैड बैक्टीरिया से लड़ने का काम करते हैं. दही में प्रोबायोटिक्स लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया होते हैं, जो दस्त के कीटाणुओं का खात्मा कर आराम दिलाते हैं.
5.नारियलपानी
पोटैशियम और सोडियम जैसे इलेक्ट्रोलाइट्स से भरपूर नारियल पानी से दस्त की समस्या से राहत मिल जाती है. ये शरीर में पानी की कमी को बैलेंस कर लूज मोशन में फायदा पहुंचाता है. इससे पेट में होने वाला जलन भी कम होता है.
6. अदरक
आयुर्वेद में अदरक गुणकारी माना गया है. पेट के लिए तो यह जबरदस्त फायदेमंद है. लूज मोशन से राहत पाने में भी इसका इस्तेमाल होता है. अदरक का एंटीबैक्टीरियल और एंटी माइक्रोबियल गुण डाइजेशन को संक्रमित करने वाले बैक्टीरिया से आराम दिलाता है.
7. केला
केले में पोटेशियम पाया जाता है, जो इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी को दूर कर लूज मोशन से राहत दिलाने का काम करता है. इसलिए दस्त की समस्या में केला खाने की सलाह दी जाती है.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / सावन माह का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है. इस माह में आने वाले प्रदोष व्रत में भगवान शंकर की पूजा से जीवन में हो रही सभी परेशानियां समाप्त हो जाती हैं. सावन प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के जलाभिषेक और पूरी विधि विधान से भोलेनाथ की उपासना करने से जीवन में सुख समृद्धि की कोई कमी नहीं रहती है. आइए जानते हैं कब रखा जाएगा सावन का दूसरा प्रदोष व्रत, शुभ मुहूर्त और महत्व.
कब है प्रदोषव्रत
हिंदू धर्म के पंचाग के अनुसार सावन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी यानी तेरहवीं तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस बार ये तिथि 30 जुलाई को सुबह 10 बजकर 34 मिनट से 31 जुलाई को सुबह 7 बजकर 19 मिनट तक हैं. 30 जुलाई रविवार को सावन माह का दूसरा प्रदोष व्रत है. प्रदोष काल शाम 7 बजकर 14 मिनट से रात 9 बजकर 29 मिनट तक है.
प्रदोष व्रत का महत्व
इस बार प्रदोष व्रत के रविवार को है. रविवार को होने वाले प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष कहते हैं. इस विशेष व्रत पर महादेव की उपासना से जातक भय और रोग से मुक्ति पाता है. गृहस्थ जीवन में सुखों की वृद्धि होती है. इस दिन महादेव के जलाभिषेक से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है.
कबकरें प्रदोष व्रत में पूजा
प्रदोष व्रत की पूजा के लिए गोधुली यानी सूर्यास्त के ठीक पहले का समय सबसे अच्छा माना जाता है. व्रती को सूर्यास्त के पहले स्नान कर पूजा की तैयारी करनी चाहिए. प्रदोष की पूजा में प्रारंभिक पूजा की जाती है जिसमें माता पार्वती, भगवान गणेश, भगवान कार्तिकेय और नंदी के साथ भगवान शंकर को पूजा जाता है. उसके बाद आह्वान कर कलश की स्थापना की जाती है. कमल बने और जल से भरे कलश को दुर्वा पर स्थापित किया जाता है. अनुष्ठान के बाद प्रदोष कथा या शिव पुराण सुनते हैं.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / मुस्लिम समुदाय में मुहर्रम के महीने का खास महत्व होता है. मुहर्रम का महीना इस्लामिक कैंलेडर का पहला महीना होता है. मुस्लिम धर्म को मानने वाले दुनिया भर में मुहर्रम मनाते हैं. शिया समुदाय के लोग पूरे माह पैगंबर हजरत मोहम्मद के नवासे की शहादत को याद कर गम करते हैं. इस वर्ष मुहर्रम की शुरुआत 20 जुलाई से हो चुकी है. 18 जुलाई को चांद नहीं नजर आने पर मरकजी कमेटी ने 20 जुलाई से मुहर्रम माह शुरू होने की घोषणा की है. मुहर्रम की दसवीं तारीख यानी 29 जुलाई को यौम ए आशुरा मनाई जाएगी. आइए जानते हैं मुहर्रम का इतिहास और महत्व
मुहर्रम का इतिहास
इराक के कर्बला की जंग में पैगंबर मोहम्मद के छोटे नाती इमाम हुसैन और उनके 72 साथी शहीद हो गए थे. ये जंग इस्लाम की रक्षा के लिए यजीद की सेना और हजरत इमाम हुसैन की सेना के बीच हुई थी.इस जंग में इमाम हुस्सैन ने इस्लाम की रक्षा के अपने 72 साथियों के साथ शहादत दी थी. इमाम हुसैन और उनके साथियों के शहादत के गम में ही मुहर्रम मनाया जाता है. इसलिए मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए मुहर्रम का महीना गम का महीना होता है. मुहर्रम माह के दसवें दिन यौम ए आशुरा मनाई जाती है. यौम ए आशुरा हजरत इमाम हुसैन की शहादत का दिन है.
महत्व
मुहर्रम माह की पहली तारीख से नौवीं तारीख तक शिया लोग रोजा रखते हैं. मुहर्रम की नौंवी और दसवीं तारीख को सुन्नी समुदाय के लोग रोजा रखते हैं. यौम ए आशुरा के दिन लोग काले कपड़े पहनकर मातम मनाते हैं. कई शहरों में इमामबाड़े से ताजिए के जुलुस निकाले जाते हैं.
आस्था /शौर्यपथ / अधिक मास में जब भी पंचमी तिथि आती है, उसका महत्व बहुत ज्यादा माना जाता है. माना जाता है कि अधिक मास का समय भगवान विष्णु को बहुत प्रिय होता है. मान्यता है कि अधिक मास के इस दिन पर विधि विधान से जो लोग भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजन करते हैं. भगवान उनकी सभी मुरादों को भी पूरा करते हैं. इतना ही नहीं उन्हें जीवन भर सुखों की कमी नहीं होती. आपको बताते हैं अधिक मास की पंचमी पर कैसे करनी चाहिए भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा.
पूजन विधि
सुबह जितनी जल्दी उठ सकते हैं, उठे. और, स्नान कर लें.
नहाने के बाद सबसे पहले अपने घर का पूजा घर स्वच्छ करें.
मंदिर साफ होने के बाद दीप जला दें.
इसके बाद आप भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा पर या मूर्ति पर गंगाजल चढाएं.
फूल और तुलसी भी अर्पित करें.
माता लक्ष्मी को फूल चढ़ाना न भूलें.
आरती भी करें और भगवान को भोग लगाएं.
ये ध्यान रखें कि भगवान विष्णु को जो भोग लगाना है उसमें तुलसी जरूर हो. उनके बिना भगवान को भोग प्रिय नहीं लगता.
आरती के बाद पूजा में मौजूद सभी सदस्यों को प्रसाद जरूर दें.
क्या होता है अधिक मास?
अधिक मास को ही मलमास कहते हैं. इसका एक नाम पुरुषोत्तम मास भी है. इस नाम के पीछे वजह ये है कि ये माह भगवान विष्णु को अत्याधिक प्रिय माना जाता है. वे खुद इस मास के स्वामी भी होते हैं. अधिक मास को हर चंद्र वर्ष का एक हिस्सा माना जाता है. जो प्रत्येक 32 महीने, 16 दिन और आठ घटी के अंतर पर आ जाता है. सूर्य के साल यानी सूर्य वर्ष और चंद्र वर्ष के अंदर के बीच बैलेंस बनाए रखने के लिए भी अधिक मास गिना जाता है. आसान भाषा में यूं समझें कि सूर्य का माह 365 दिन और बचे हुए छह घंटे का होता है. चंद्रमा का साल 354 दिन का होता है. पंचांग या हिंदू कैलेंडर हमेशा सूर्य और चंद्र की गणना के अनुसार चलते हैं. इन दोनों सालों के 11 दिनों के अंतर को हर तीसरे साल में अधिक मास मना कर खत्म किया जाता है.