August 05, 2025
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   पर्यटन स्थल /शौर्यपथ /लद्दाख में मौजूद है भगवान बुद्ध की 30 फीट ऊंची मूर्ति, शांति की तलाश में आते हैं सैलानी लद्दाख अपनी खूबसूरती के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। श्रीनगर-लेह हाईवे पर फेमस और पवित्र 30 फीट ऊंची भगवान बौद्ध की मूर्ति स्थित है। भगवान बौद्ध की 30 फीट ऊंची मूर्ति मुल्बेठ मठ पर स्थित है।
   भारत की सबसे खूबसूरतों जगहों में लद्दाख का नाम भी शामिल है। यह देश की एक ऐसी जगह हैं, जहां पर हर महीने देशी और विदेशी पर्यटक लाखों की संख्या में पहुंचते हैं। लद्दाख अपनी खूबसूरती के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। इसके साथ ही यहां पर स्थित बौद्ध मठ और बौद्ध मूर्तियां भी दुनिया भर में फेमस है। यहां पर हर महीने सैलानी फुकताल मठ, हेमिस मठ और अलची मठ में घूमने के लिए पहुंचते हैं। यहां पर मौजूद कई बौद्ध मूर्तियां हमेशा चर्चा के केंद्र में रहती है।
बता दें कि लद्दाख की हसीन पहाड़ियों के बीच 30 फीट ऊंची भगवान बौद्ध की मूर्ति स्थित है। यह मूर्ति पूरी दुनिया में फेमस है। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको यहां पर स्थित भगवान बुद्ध की 30 फीट ऊंची प्रतिमा से जुड़े कुछ दिलचस्प और रोचक फैक्ट्स के बारे में बताने जा रहे हैं।
यहां स्थित है 30 फीट ऊंची मूर्ति

श्रीनगर-लेह हाईवे पर फेमस और पवित्र बुद्ध मूर्ति स्थित है। श्रीनगर-लेह से कारगिल के बाद एक पर्यटक स्थल पड़ता है। पर्यटक स्थल से थोड़ी दूर पर हाइवे के किनारे एक सीधी चट्टान पर भगवान बुद्ध की 30 फीट ऊंची मूर्ति का निर्माण किया गया है।

मुल्बेक मठ का इतिहास

मुल्बेठ मठ पर ही भगवान बुद्ध की 30 फीट ऊंची मूर्ति स्थित है। मुल्बेठ मठ को मुलबेक गोम्पा के नाम से जाना जाता है। इस मठ के बारे में बताया जाता है कि यह करीब 800 साल से ज्यादा पुरानी है। कुछ लोगों का मानना है कि द्रुक्पा वंश द्वारा इसका निर्माण करवाया गया था। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि पहली सदी में कुषाण काल के दौरान इसका निर्माण हुआ था।

30 फीट ऊंची मूर्ति

मुल्बेक मठ में मौजूद भगवान बुद्ध की 30 फीट ऊंची मूर्ति की कहानी काफी ज्यादा रोचक है। बताया जाता है कि भगवान बुद्ध की इस अद्भुत मूर्ति का निर्माण एक विशाल पत्थर पर किया गया है। जिस चट्टान पर मूर्ति का निर्माण किया गया है कि ऊंचाई करीब 650 फीट बताई जाती है। इस मूर्ति को 30 फीट ऊंची मूर्ति को चूना-पत्थर से तैयार किया गया है।

लद्दाख के अन्य फेमस मठ

लद्दाख में मुल्बेक मठ के अलावा कई अन्य फेमस मठ मौजूद हैं, जो पर्यटकों के बीच काफी ज्यादा फेमस है। लद्दाख में लामायुरु मठ, हेमिस मठ और फुकताल या फुग्ताल मठ काफी ज्यादा फेमस है। लद्दाख में कई ऐसे भी मठ हैं, जो चीनी और तिब्बती शैली में बने हैं। हर रोज हजारों देशी और विदेशी बौद्ध अनुयायी इन मठों में दर्शन के लिए पहुंचते हैं।

प्राकृतिक पेंट महिलाओं के जीवन में भर रही है खुशहाली के रंग
    रायपुर /शौर्यपथ /विकासखण्ड बैकुण्ठपुर का ग्राम मझगवां के गौठान में महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क योजना के तहत विभिन्न गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है, जिनमें से एक है गोबर से प्राकृतिक पेंट निर्माण कार्य। प्रगति स्व सहायता समूह की महिलाएं यहां पेंट निर्माण कार्य से जुड़ीं हैं। यह प्राकृतिक पेंट महिलाओं के जीवन में खुशहाली के रंग भर रहा है। फरवरी माह से यहां गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने की इकाई संचालित है और इन्होंने 2800 लीटर पेंट का उत्पादन किया है जिसमें से लगभग 2500 लीटर पेंट का विक्रय कर लगभग 5 लाख 30 हजार रुपए की आमदनी भी की है। छत्तीसगढ़ शासन के निर्देशानुसार सभी शासकीय कार्यालयों एवं स्कूलों में रंग रोगन के लिए यह उपयोग में लिया जा रहा है।
      प्राकृतिक पेंटसमूह की अध्यक्ष श्रीमती सुमन राजवाड़े बताती हैं कि गोबर पेंट इकाई के माध्यम से समूह की महिलाओं को स्व रोजगार  हासिल हुआ है जिससे वे अपने और अपने परिवार को आर्थिक संबल प्रदान कर रही हैं। पहले महिलाओं के द्वारा गौठानों में गोबर से वर्मी कम्पोस्ट बनाया जा रहा था, आज इसके साथ ही साथ रीपा के तहत गोबर से पेंट बनाकर हम जैसी घरेलू महिलाएं सफल उद्यमी बनकर उभरी हैं। निर्मित पेंट को गौठान और सी मार्ट के माध्यम से प्राकृतिक पेंट ब्रांड के नाम से बाजार में विक्रय किया जा रहा है।
ऐसे बनता है गोबर से प्राकृतिक पेंट-
         समूह की कुछ महिलाओं को जयपुर राजस्थान में गोबर से पेंट बनाने का प्रशिक्षण दिलाया गया है, यहां उन्हें निर्माण के सम्बन्ध में विधिवत जानकारी दी गई। गोबर से पेंट बनाने की प्रक्रिया में पहले गोबर और पानी के मिश्रण को मशीन में डालकर अच्छी तरह से मिलाया जाता है और फिर बारीक जाली से छानकर अघुलनशील पदार्थ हटा लिया जाता है। फिर कुछ रसायनों का उपयोग करके उसे ब्लीच किया जाता है तथा स्टीम की प्रक्रिया से गुजारा जाता है। उसके बाद सी एम एस नामक पदार्थ प्राप्त होता है। इसे डिस्टेम्पर और इमल्सन के रूप में उत्पाद बनाए जा रहे हैं। रीपा गौठान मझगवां में लगी हुई पेंट यूनिट से आवश्यकतानुसार पर्याप्त मात्रा में पेंट का अलग-अलग उत्पाद लिया जा सकता है। इसकी औसत दैनिक उत्पादक क्षमता लगभग 500 लीटर है।

    सेहत टिप्स /शौर्यपथ / भारतीय मसालों में जो स्वाद पाया जाता है वो खाने के स्वाद को बढ़ा देता है ये बात कहना गलत नहीं होगा! आज हम ऐसे ही एक मसाले की बात करने जा रहे हैं जो स्वाद में लाजवाब और साइज में छोटा सा है. हम बात कर रहे हैं जीरे की. सब्जी में तड़का लगाने से लेकर रायते का स्वाद बढ़ाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. आप सभी जानते ही होंगे कि खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए ही नहीं बल्कि सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है. जीरे में पाए जाने वाले विटामिन-सी, विटामिन-के, विटामिन बी 1,2,3, विटामिन ई, कैल्शियम, मैग्नीशियम, प्रोटीन, पोटेशियम, कॉपर, आयरन, जिंक और कॉर्बोहाइड्रेट के साथ एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं. जो वजन कम करने से लेकर बीपी जैसी समस्या से राहत दिलाने में भी मदद कर सकता है. तो आइए जानते हैं हर रोज जीरा वॉटर पीने से सेहत को होने वाले लाभों के बारे में.
जीरा का पानी पीने के फायदे  
ब्लड प्रेशर
    जीरा पानी में पाया जाने वाला पोटेशियम ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है. हर रोज इसका सेवन करने के लिए रात को एक बर्तन में पानी लेकर उसमें जीरा डालकर भीगने के लिए रख दें, और खाली पेट इसका सेवन करना फायदेमंद हो सकता है.
वेट लॉस
     जीरे का पीना वजन कम करने में भी मदद कर सकता है. इसका सेवन पाचन को सुधारने में मदद करने के साथ मेटाबॉलिज्म में भी सुधार करता है. मेटाबॉलिज्म बेहतर होने पर आपके शरीर की कैलोरी तेजी से बर्न होने में मदद मिलती है. जीरा पानी शरीर में जमा चर्बी को पिघलाने में भी लाभदायी हो सकता है.
इम्यूनिटी बूस्ट
   हर रोज खाली पेट जीरा वॉटर का सेवन इम्यूनिटी को बूस्ट करने में भी मदद करता है. बस सुबह उठकर पानी में जीरा डालकर उबाल लें. फिर इस पानी में शहद मिलाकर इसका सेवन करें. ये मौसमी बीमारियों से बचाने के साथ एनीमिया की समस्या को दूर करने में भी फायदेमंद हो सकता है.
सूजन से राहत
     जीरा पानी शरीर की सूजन को कम करने में भी फायदेमंद हो सकता है. इसमें पाए जाने वाले तत्व शरीर को फ्री-रेडिकल्स से लड़ने में मदद कर सकते हैं. साथ ही इसमें पाए जाने वाले एंटीबैक्टीरियल शरीर में मौजूद सूजन को कम करने में भी लाभदायी हो सकता है.

    टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ / एलोवेरा एक औषधीय पौधा है जिसका इस्तेमाल सेहत से जुड़ी कई परेशानियों में किया जाता है. इसका जूस पीने से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है. असल में एलोवेरा में विटामिन ए, सी, ई, फॉलिक एसिड, कोलीन, बी1, बी2, बी3 और बी6 विटामिन बी12 और करीब 20 प्रकार के मिनरल्स जिनमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, जिंक, क्रोमियम, सेलेनियम, सोडियम, आयरन, पोटैशियम, कॉपर और मैंगनीज जैसे तत्व पाए जाते हैं, जो आपके संपूर्ण स्वास्थ को बेहतर करने में अहम भूमिका निभाते हैं. हालांकि, इस आर्टिकल में हम आपको एलोवेरा जैल से रात में चेहरे को मसाज देने से क्या लाभ होते हैं, इसके बारे में बताते हैं.
एलोवेरा जैल के लाभ क्या हैं
1- गर्मी के मौसम में रात में चेहरे को एलोवेरा से मसाज देने से स्किन में निखार आता है. साथ ही स्किन टाइट  होती है. इससे कोलेजन का उत्पादन बढ़ता है, जो त्वचा को चमकदार बनाने में मदद करते हैं. इसको लगाने से कील मुंहासे और दाग धब्बे से भी निजात मिल सकता है.
2- वहीं, गर्मी के मौसम में यह सनबर्न से भी बचाने का काम करता है. आप जब भी बाहर निकलें तो चेहरे पर इसको लगाकर निकलें इससे आपका चेहरा सूर्य की हानिकारक यूवी किरणों से बच जाएगा. साथ ही रैशेज चेहरे पर नहीं पड़ेंगे, इतनी ही नहीं यह स्किन को ठंडा रखने का भी काम करेगा. इससे पस वाले दाने चेहरे से दूर रहेंगे.
3- एलोवेरा के हाइड्रेटिंग गुण चेहरे पर नमी बनाए रखने का काम करते हैं. इससे आपकी खोई चमक वापस मिल जाती है. इससे एंटी एजिंग  गुण चेहरे को झुर्रियों  और फाइन लाइन से बचाने का काम करता है. तो इस लिहाज से एलोवेरा जैल बहुत लाभकारी है स्किन के लिए.

   सेहत टिप्स /शौर्यपथ /गर्मी से होने वाली थकावट यानी हीट एग्जॉशन गर्मी से संबंधित सिंड्रोम्स में से एक है. ये सिंड्रोम हल्के से लेकर बेहद तीव्र रूप ले सकता. कई बार इसकी गंभीरता और तीव्रता इतनी होती है, कि ये जिंदगी के लिए खतरा बन सकता है. गर्मी से संबंधित अन्य प्रकार की बीमारियों में हीट रैश, हीट क्रैंप्स, हीट सिंकैप और हीटस्ट्रोक शामिल हैं. आइए जानते हैं कि हीट एग्जॉशन के लक्षण क्या हैं और इस स्थिति में फर्स्ट एड क्या होना चाहिए. हीट एग्जॉशन तब हो सकती है जब आपका शरीर बहुत अधिक पानी खो देता है. आमतौर पर अत्यधिक पसीने या डिहाइड्रेशन की वजह से ऐसा होता है. यह अचानक शुरू हो सकता है या फिर समय के साथ हो सकता है. आमतौर पर काम करने, व्यायाम करने या गर्मी में खेलने के बाद ऐसा होता है.
हीट एग्जॉशन के संकेत और लक्षण  
    गर्मी में रोंगटे खड़े होने वाली ठंडी, नम त्वचा
    भारी पसीना आना
    बेहोशी महसूस होना
    चक्कर आना
    थकान
    कमजोर, तेज नाड़ी
    खड़े होने पर ब्लड प्रेशर कम होना
    मांसपेशियों में ऐंठन
    मतली या उल्टी
    सिर दर्द
    अत्यधिक प्यास
    हल्का भ्रम
    मूत्र उत्पादन में कमी
हीट एग्जॉशन की स्थिति में ऐसे करें फर्स्ट एड
हीट एग्जॉशन का इलाज नहीं हुआ तो हीटस्ट्रोक हो सकता है, जो लाइफ के लिए खतरा है. अगर आपको हीट एग्जॉशन का संदेह है, तो तुरंत ये कदम उठाएं:
    व्यक्ति को गर्मी से निकालकर छायादार या एसी वाले कमरे में ले जाएं.
    व्यक्ति को नीचे लिटाएं और पैरों और पंजों को थोड़ा ऊपर उठाएं.
    तंग या भारी कपड़े उतारें.
    व्यक्ति को ठंडा पानी, इलेक्ट्रोलाइट्स से भरपूर डिकैफिनेटेड स्पोर्ट्स ड्रिंक या कैफीन के बिना अन्य नॉन-अल्कोहल ड्रिंक्स पीने को कहें.
    ठंडे पानी का छिड़काव या स्पंज करके और पंखा करके व्यक्ति को ठंडा करें.
    बीमार की निगरानी करें.
अगर संकेत या लक्षण बिगड़ते हैं या फर्स्ट एड के उपाय करने के बाद भी व्यक्ति में सुधार नहीं होता है तो हेल्थ केयर प्रोवाइडर से संपर्क करें. अगर हालत खराब हो जाती है, तो इमरजेंसी नंबर पर कॉल करें. खासकर अगर उसे इन लक्षणों का अनुभव हो:
    बेहोशी
    घबराहट
    उलझन
    कुछ पीने में असमर्थता
    हाई बॉडी टेंपरेचर

    टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ / क्या आप बाल झड़ने की समस्या से जूझ रहे हैं? सुंदर बालों का रहस्य पोषक तत्वों से भरपूर डाइट में छिपा है. जब आपने सोचा था कि महंगा मेडिकल ट्रीटमेंट ही एकमात्र रास्ता है, तो पोषण विशेषज्ञ पूजा मल्होत्रा इसका समाधान लेकर आई हैं. एक इंस्टाग्राम पोस्ट में उन्होंने बालों के झड़ने के पीछे के कारण गिनाए हैं. केमिकल और हीट ट्रीटमेंट प्रेगनेंसी के दौरान हार्मोनल चेंजेस, पीसीओएस और हाइपोथायरायडिज्म जैसे हार्मोनल इनबैलेंस, ऑटोइम्यून डिसऑर्डर और पोषक तत्वों की कमी जैसी मेडिकल कंडिशन ये ऐसे कारण हैं जो हमारे बालों को छीन सकते हैं. हेल्दी डाइट एक जरूरी भूमिका निभाती है. बालों के झड़ने को अलविदा कहें और पौष्टिक फूड्स की शक्ति से बालों की ग्रोथ को बढ़ावा दें.
प्रोटीन: यह मजबूत बालों के लिए जरूरी है और आप इसे दाल, बीन्स, अंडे, डेयरी, चिकन, मांस और सी फूड में पा सकते हैं.
आयरन: पत्तेदार सब्जियां, फलियां, बीज, नट्स, चिकन और मांस हमारे शरीर को आयरन के स्रोत हैं.
विटामिन डी: यह सूरज की रोशनी, अंडे और समुद्री भोजन के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है, जो आपके बालों को भीतर से पोषण देता है
विटामिन बी: ये साबुत अनाज, फलियां, पत्तेदार सब्जियों, अंडे, डेयरी, मछली, मांस, केले, बीज, मूंगफली और चिकन में पाए जा सकते हैं.
विटामिन सी: इसे खट्टे फल, आंवला, अमरूद, स्ट्रॉबेरी, बेल मिर्च, टमाटर, कीवी और ब्रोकोली से प्राप्त किया जा सकता है.
जिंक: अंडे, चिकन, डार्क चॉकलेट, कद्दू के बीज, तरबूज के बीज, तिल के बीज, मूंगफली और सोया जिंक के स्रोत हैं.
सल्फर: अंडे, प्याज, लहसुन, पत्तागोभी, बीन्स, फलियां और मेवे उपयोगी हो सकते हैं.
विटामिन ई: आप विटामिन ई सूरजमुखी के बीज, अंडे और एवोकाडो में पा सकते हैं.

     ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ /मेथी के बीज जिन्हें मेथी दाना भी कहा जाता है. ये बालों का झड़ना रोकने में बेहद फायदेमंद माने जाते हैं. इन मेथी के बीजों में बालों को दोबारा उगाने की क्षमता होती है. मेथी के बीजों का उपयोग हेयर मास्क के रूप में किया जा सकता है. इन्हें बालों पर तेल के साथ या पेस्ट के रूप में लगाया जा सकता है. सफेद बालों को काला करने में मदद करने के लिए मेथी के बीज काफी फायदेमंद माने जाते हैं. बालों की जड़ों को मजबूत बनाने में भी मेथी के बीज काफी फायदेमंद माने जाते हैं. यहां जानिए बालों के लिए मेथी के बीज के फायदे और इन्हें बालों पर इस्तेमाल करने का आसान तरीका.
1. झड़ते बालों के लिए मेथी के दानों का हेयर मास्क
बालों के झड़ने को कंट्रोल करने में मदद करने के लिए मेथी के बीजों का हेयर मास्क तैयार किया जा सकता है. यहां मेथी के बीज से हेयर मास्क बनाने की विधि दी गई है जिसे आप आजमा सकते हैं.
एक कप मेथी दाना लें और उन्हें रात में पानी में भिगो दें. इसे रात भर के लिए रख दें. इन्हें पानी से फूलने दीजिए. अगले दिन उन मेथी के दानों को लें और उन्हें पीसकर पेस्ट बना लें. पेस्ट को धीरे से स्कैल्प पर लगाएं. अपने सिर पर मेथी के बीज का पेस्ट लगाते समय सावधानी बरतें. मेथी के दानों के इस पेस्ट को स्कैल्प पर एक घंटे तक लगाकर रखें और फिर गुनगुने पानी से धो लें. गुनगुना पानी बिना किसी परेशानी के पेस्ट से आसानी से छुटकारा पाने में मदद करेगा. हालांकि शैंपू करने की जरूरत नहीं है, अगर आप चाहें तो माइल्ड शैंपू का इस्तेमाल करें.
बालों पर मेथी दाना का पेस्ट लगाने के फायदे
    यह बालों के झड़ने को कंट्रोल करता है.
    यह उपचार बालों के दोबारा उगने में मदद कर सकता है.
    यह बालों को पहले से अधिक चमकदार और घना बनाता है.
    यह स्कैल्प इंफेक्शन को ठीक करता है.
2. नारियल के तेल के साथ मेथी के बीज का उपयोग करें
     मेथी के बीज का एक अन्य उपयोग इसके अर्क को नारियल के तेल के साथ मिलाना है. इस तरह तेल मेथी के बीज के गुणों से भरपूर हो जाता है, इसलिए आपको नारियल के तेल के साथ-साथ मेथी के बीज दोनों का दोगुना लाभ मिलता है. एक बड़ा चम्मच शुद्ध नारियल तेल लें और उसमें 2 चम्मच मेथी के बीज मिलाएं. नारियल तेल और मेथी के दानों को भूरा लाल होने तक उबालें. तेल को गुनगुने तापमान तक ठंडा होने दें जब यह ठंडा हो जाए तो तेल लें और इसमें से बीज निकाल दें.
रात में इस हल्के गर्म तेल का उपयोग अपने सिर की मालिश करने के लिए करें. फिर से नरम रहने की कोशिश करें क्योंकि सिर की त्वचा को बहुत ज्यादा रगड़ने से तेल अंदर चला जाता है, जिससे टूटने और खुरदरेपन के कारण बाल अधिक झड़ने लगते हैं. तेल को रात भर लगा रहने दें और अगली सुबह शैम्पू कर लें. इसे हफ्ते में 2 बार आजमाना चाहिए.
मेथी के बीजों को तेल में मिलाकर उपयोग करने के फायदे
    यह तेल बालों के झड़ने और झड़ने की समस्या को ठीक करने में मदद करता है.
    यह बालों की जड़ों को मजबूत बनाता है.
    यह समय से पहले बालों के सफेद होने की समस्या दूर कर सकता है.
    बाल चिकने हो सकते हैं.
    यह सिर की ड्राई खुजली और रूसी को ठीक कर सकता है.
3. मेथी दाना पाउडर और अंडे की जर्दी का प्रयोग करें
     आप मेथी के बीज के पेस्ट को अंडे की जर्दी के साथ भी इस्तेमाल कर सकते हैं. आपको एक कप मेथी के बीज को पानी में भिगोना होगा और अगले दिन इसका पेस्ट बनाना होगा. एक बार जब आपको पेस्ट मिल जाए तो इसमें एक अंडा मिलाएं. अंडे का सफेद भाग काफी पतला और फिसलन भरा होता है, इसलिए आपको इसे अच्छी तरह से मिलाना होगा. इस अंडे और मेथी के पेस्ट को बालों और स्कैल्प पर लगाएं. इसे 45 मिनट तक रखें और फिर सादे पानी से धो लें.
अंडे की जर्दी के साथ मेथी के बीज का प्रयोग करने के फायदे
    यह बालों को मजबूत बनाता है.
    बाल रेशमी और चमकदार हो जाते हैं.
    बालों के झड़ने में मदद करता है.
    बालों की ग्रोथ को बढ़ावा देता है.
    डैंड्रफ और ड्राई स्कैल्प का इलाज करता है.

      सेहत टिप्स /शौर्यपथ /अगर ह्यूमन बॉडी गर्मी पैदा करने की तुलना में तेजी से गर्मी खोने लगे और बॉडी का टेम्प्रेचर 35 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाए तो इस स्थिति को हाइपोथर्मिया  कहते हैं. समय पर इलाज नहीं होने पर यह जान के लिए खतरा साबित हो सकता है. आमतौर पर बहुत ठंडे मौसम, ठंडे पानी में डूबने या घर के अंदर लगातार 10 डिग्री सेल्सियस से कम टेम्प्रेचर में रहने से हाइपोथर्मिया हो सकता है. थकान और डिहाइड्रेशन की स्थिति में हाइपोथर्मिया का खतरा बढ़ सकता है. हाइपोथर्मिया के लक्षण   धीरे-धीरे विकसित होते हैं. आइए जानते हैं हाइपोथर्मिया होने पर सबसे पहले क्या करना चाहिए  
हाइपोथर्मिया के लक्षण  
    कंपकंपी, हालांकि शरीर का तापमान गिरने पर यह बंद हो सकती है
    बड़बड़ाना या अस्पष्ट बातें करना
    धीमी सांसे
    कमजोर पल्स
    व्यवहार में समन्वय की कमी
    उनींदापन या बहुत कम एनर्जी
    भ्रम या चीजें भूलने लगना
    होश खो देना
    नवजात में चमकदार लाल और  ठंडी त्वचा
तुरंत लें मेडिकल हेल्प  
   अगर किसी को हाइपोथर्मिया होने का संदेह हो तो तुरंत 911 या लोकल इमरजेंसी नंबर पर कॉल करना चाहिए. मदद मिलने तक पीड़ित की मदद के लिए ये करें-
फर्स्ट एड
    पीड़ित को और ठंड लगने से बचाएं. यदि घर के अंदर जाना संभव नहीं है, तो उसे हवा से बचाएं, खासकर गर्दन और सिर के आसपास और उसे ठंडी जमीन पर न लिटाएं.
    पीड़ित के गीले कपड़ों को उतार कर सूखे कपड़े पहनाए और कंबल से लपेट दें.
    अगर और अधिक गर्माहट देने की जरूरत हो तो धीरे-धीरे गर्माहट दें. गर्दन, छाती और कमर पर गर्म, सूखी पट्टी लगाएं. गर्म पानी की बोतलें या रासायनिक गर्म पैक का उपयोग करने के पहले उन्हें तौलिये में लपेट लें.
     पीड़ित को गर्म, मीठा और कोई नॉन-अल्कोहल पेय पीने के लिए दें.
    अगर पीड़ित में जीवन के कोई लक्षण, जैसे सांस लेना, खांसना या हिलना-डुलना, दिखाई न दे तो सीपीआर शुरू करें.
रखें ये सावधानी
    पीड़ित को हीटिंग लैंप या हॉट वॉटर बॉथ जैसे उपायों से बहुत जल्दी गर्मी देने का प्रयास न करें.
    हाथों और पैरों को गर्म करने का प्रयास न करें. गर्म करने या मालिश करने से हृदय और फेफड़ों पर दबाव पड़ सकता है.
    व्यक्ति को शराब या सिगरेट न दें. अल्कोहल रीवार्मिंग प्रक्रिया में बाधा डालता है, और तम्बाकू उत्पाद रीवार्मिंग के लिए आवश्यक परिसंचरण में बाधा डालते हैं.

    शौर्यपथ / आजकल हाई ब्लड प्रेशर की समस्या आम हो गई है। इस समस्या से निजात पाने के लिए सहजन की पत्तियों का रस या काढ़ा काफी फायदेमंद होता है। सहजन हाई ब्लड प्रेशर की समस्या के साथ-साथ हड्डियों और दांत को मजबूत बनाने के लिए भी लाभकारी होता है।
मुख्य बातें
    सहजन में कई पोषक तत्व होते हैं।
    सहजन की पत्तियों के इस्तेमाल से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से जल्द आराम मिलता है।
    सहजन के काढ़े का सेवन सुबह के समय किया जाना ज्यादा फायदेमंद होता है।
    सहजन को अंग्रेजी में ड्रमस्टिक कहते हैं। सहजन दुनियाभर में पाया जाता है। सहजन की पत्तियों के इस्तेमाल से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से जल्द आराम मिलता है। सहजन की पत्तियों के साथ-साथ फलियां और फूल भी बड़े काम के होते हैं। दरअसल, सहजन में कई पोषक तत्व प्रोटीन, कैल्शियम, फॉस्फोरस, अमीनो एसिड, बीटा कैरटीन को साथ-साथ कई फीनॉलिक पाए जाते हैं, जो हाई ब्लड प्रेशर को दूर करने के साथ-साथ अन्य समस्याओं को दूर करने में भी काफी फायदेमंद होते हैं। चलिए जानते हैं सहजन की पत्तियों का रस या काढ़ा कैसे बनाते हैं, साथ ही जानते हैं काढ़े के सेवन और सहजन के अन्य फायदों के बारे में   
सहजन की पत्तियों का रस या काढ़ा बनाने की विधि
      सहजन की पत्तियों का रस या काढ़ा बनाने के लिए पहले एक बर्तन में दो कप पानी गर्म करें। जब पानी उबलने लगे, तब इसमें सहजन की पत्तियां डाले, आप चाहें तो पत्तियों के साथ-साथ फलियां भी काटकर डाल सकते हैं। इस पानी को तब-तक उबालते रहें, जब तक पानी आधा रह जाए। फिर इसमें काली मिर्च पाउडर और काला नमक डालकर अच्छे से मिलाकर ठंडा करके पी लें।
कब करें सहजन के काढ़े का सेवन
सहजन के काढ़े का सेवन सुबह के समय किया जाना ज्यादा फायदेमंद होता है। हालांकि, सहजन के काढ़े का इस्तेमाल अगर सुबह-शाम दोनों वक्त किया जाए, तो इससे हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से जल्दी निजात मिलता है।
सहजन के अन्य फायदे
सहजन की पत्तियां ही नहीं बल्कि इसकी फलियां और फूल भी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। सहजन में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है, जो हड्डियों और दांत को मजबूत बनाने का काम करता है। इसके साथ ही फॉस्फोरस होने की वजह से ये शरीर में जमी फालतू चर्बी को कम कर मोटापे को दूर करने में भी सहायक होता है। इसके अलावा ये खून को साफ करने, इम्यूनिटी बढ़ाने, डायबिटीज को कम करने और दिल को स्वस्थ बनाए रखने में भी काफी फायदेमंद होता है।

      सेहत टिप्स /शौर्यपथ / सहजन या मोरिंगा ओलीफेरा की फूल, फलियां और पत्तियां सहित पेड़ का हर भाग बहुत उपयोगी है. पारंपरिक औषधियों में सहजन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आ रहा है. इसकी फली और पत्तियां दोनों ही कई बीमारियों के इलाज में फायदेमंद हैं. सहजन की फलियां और पत्तियां हमें अधिकतर दक्षिण भारतीय रसोई में मिल जाती हैं. इसकी फली का इस्तेमाल दाल, सांबर और सहजन की सब्जी में किया जा सकता है. मोरिंगा की पत्तियां विटामिन, एंटीऑक्सीडेंट और खनिजों से भरपूर होती हैं. यह पत्तियां विटामिन ए, बी1, बी2, बी6, सी और फोलेट का समृद्ध स्रोत हैं.  इनमें मैग्नीशियम, कैल्शियम, जिंक, आयरन और फॉस्फोरस भी होते हैं, इन सभी विटामिनों और खनिजों के कई स्वास्थ्य लाभ हैं, जिसके बारे में आर्टिकल में बताया गया है.
सहजन की पत्तियों के फायदे
1- अगर आप चाहती हैं कि शरीर पर मोटापा ना चढ़े तो इसका काढ़ा बनाकर पीना शुरू कर दीजिए. फिर देखिए कैसे चर्बी गलना शुरू हो जाती है. सहजन के काढ़े से हड्डियों को भी मजबूती मिलती है. इसकी पत्तियों में कैल्शियम और फासफोरस होता है जो ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या से निजात दिलाता है.
2- सहजन मधुमेह पेशेंट के लिए लाभकारी है. इसमें एंटी डायबिटिक (antibiotic) गुण होते हैं, जो हमारे शरीर में बढ़े हुए शुगर लेवल को मेंटेन करती हैं. डायबिटीज के पेशेंट इसकी पत्तियों सलाद के रूप में खा सकते हैं. इसके अलावा एनीमिया से पीड़ित लोगों को तो इसकी सब्जी जरूर खानी चाहिए. यह खून की कमी को पूरा करता है.
3- सहजन के इस्तेमाल से आपका इम्यून सिस्टम (immune system) मजबूत होता है. यदि किसी की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ रही है तो, उसे सहजन की फली का सेवन शुरू कर देना चाहिए, इससे व्यक्ति को पर्याप्त मात्रा में न्यूट्रिएंट्स मिलेंगे, जो शरीर की इम्यूनिटी बूस्ट करने में मददगार साबित होंगे.
4- यदि आपको मस्तिष्क से संबंधित कोई समस्या (mental health) है तो, सहजन के सेवन से दिमाग न केवल तंदुरुस्त होगा बल्कि याददाश्त में भी सुधार लाया जा सकता है. आप सहजन की सब्जी बनाकर खा सकते हैं या इसका सूप भी बनाकर पी सकते हैं. सहजन के सेवन से शारीरिक कमजोरी दूर होती है और खतरनाक संक्रमण से भी बचा जा सकता है.
5- इसके अलावा पेट में दर्द, अल्सर आदि को भी दूर किया जा सकता है. वहीं, यह सब्जी लीवर और किडनी को डिटॉक्सीफाई करने, तनाव, चिंता दूर करने, थायराइड फंक्शन में सुधार करने और ब्रेस्ट मिल्क के उत्पादन को बढ़ाने का भी काम बखूबी करती है.

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