August 06, 2025
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शौर्यपथ

शौर्यपथ

आस्था /शौर्यपथ / शिवजी को भांग चढ़ाना चाहिए या नहीं, जानिए शिवजी की पूजा से भांग किस तरह और क्यों जुड़ गई यह शोध का विषय है, परंतु यह प्रचरित करना की वे भांग या चिलम पीते थे यह सचमुच ही निंदनीय है। आओ जानते हैं कि शिवजी को भांग चढ़ाना चाहिए या नहीं।
पक्ष :कहते हैं कि हलाहल विष के सेवन के बाद शिवजी का शरीर नीला पड़कर तपने लगा परंतु फिर भी शिव पूर्णतः शांत थे लेकिन देवताओं और अश्विनी कुमारों ने सेवा भावना से भगवान शिव की तपन को शांत करने के लिए उन्हें जल चढ़ाया और विष का प्रभाव कम करने के लिए विजया (भांग का पौधा), बेलपत्र और धतूरे को दूध में मिलाकर भगवान शिव को औषधि रूप में पिलाया। तभी से लोग भगवान शिव को भांग भी चढ़ाने लगे।
कुछ विद्वान कहते हैं कि शिव को हलाहल के कुप्रभावों से संरक्षित करने के लिए ही शिवार्चन के समय बेलपत्र आदि को शिवलिंग पर चढ़ाने की परम्परा है। शिवलिंग पर जिन-जिन भी द्रव्यों से अभिषेक किया जाता है उन सभी द्रव्यों से ब्रहमाण्डीय ऊर्जा के नकारात्मक प्रभावों का शमन होता है। यही रुद्राभिषेक का विज्ञान है। शिवजी पर बेलपत्र, धतूरा और कच्चा दूध चढ़ाया जाता है जो कि ठंडक प्रदान करने का कार्य करता है।
विपक्ष :कहते हैं कि समुद्र मंथन से निकले विष की बूंद गिरने से भांग और धतूरे नाम के पौधे उत्पन्न हो गए। कोई कहने लगा कि यह तो शंकरजी की प्रिय परम बूटी है। फिर लोगों ने कथा बना ली कि यह पौधा गंगा किनारे उगा था। इसलिए इसे गंगा की बहन के रूप में भी जाना गया। तभी भांग को शिव की जटा पर बसी गंगा के बगल में जगह मिली है। फिर क्या था सभी लोग भांग घोट-घोट के शंकरजी को चढ़ाने लगे। जबकि शिव महापुराण में कहीं भी नहीं लिखा है कि शंकरजी को भांग प्रिय है।
यह महाशिवरात्रि है बहुत खास, दुर्लभ बुधादित्य योग में होगा भोलेनाथ का विवाह
बुधादित्य योग में मनेगी महाशिवरात्रि
11 मार्च को महाशिवरात्रि का पर्व है। महाशिवरात्रि हिन्दू धर्म का बहुत ही महत्त्वपूर्ण पर्व है, आज के दिन देशभर के मन्दिरों व घरों में भूतभावन चन्द्रमौलीश्वर भगवान शिव का अभिषेक कर उनकी आराधना की जाएगी। भगवान शिव के बारे में मान्यता है कि वे बड़े ही भोले व शीघ्र प्रसन्न होने वाले देव हैं।
शिव, शक्ति के भी प्रतिनिधि देव है प्रलयकाल में उनकी संहारक शक्ति से विश्व अपने नव कलेवर की ओर अग्रसर होता है। भगवान शिव से ही हमें शक्तियों के समुचित व सार्थक प्रयोग की शिक्षा मिलती है। 11 मार्च को बुध के राशि परिवर्तन के साथ ही गोचरवश बुधादित्य-योग का निर्माण होगा। ऐसा संयोग बड़ा ही दुर्लभ होता है जब “महाशिवरात्रि” के दिन गोचरवश बुधादित्य योग बना हो।
प्रतिमाह होती है शिवरात्रि-
शास्त्रानुसार सभी तिथियों के अधिपति अर्थात् स्वामी होते हैं जैसे प्रतिपदा तिथि के अग्निदेव आदि इसी प्रकार चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान शिव हैं। अत: उनकी रात्रि में किया जाने वाला व्रत शिवरात्रि-व्रत कहलाता है। यह शिवरात्रि प्रत्येक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को होती है।
फ़ाल्गुन में ही क्यों होती है महाशिवरात्रि-
जैसा कि पूर्व में उल्लेख किया जा चुका है कि "शिवरात्रि" प्रत्येक माह में आती है फ़िर फ़ाल्गुन मास में आने वाली शिवरात्रि को "महाशिवरात्रि" के रूप में मान्यता क्यों दी जाती है? इस प्रश्न का समाधान हमें ईशानसंहिता में वर्णित "शिवलिंगतयोद्भूत" कोटिसूर्यसमप्रभ:" इस सूत्र में प्राप्त होता है जिसके अनुसार शिव के ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को हुई थी इसलिए फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आने वाली शिवरात्रि को "महाशिवरात्रि" की मान्यता प्रदान की गई है।
कैसे मनाएं महाशिवरात्रि-
आज के दिन साधक कुछ विशेष प्रयोग कर अपने जीवन में लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
1. शिव जी का नर्मदाजल व गंगाजल से अभिषेक करें-
-जो साधक अपने जीवन में सुख-समृद्धि की कामना रखते हैं वे महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का नर्मदाजल या गंगाजल से अभिषेक करें।
- जो साधक अपने जीवन में यश की कामना रखते हैं वे महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का फलों के रस से अभिषेक करें।
- जो साधक अपने जीवन में धन एवं वैभव की कामना रखते हैं वे महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का गौदुग्ध से अभिषेक करें।
2. दरिद्रता नाश के लिए "दारिद्रय दहन स्तोत्र" से शिव जी अभिषेक करें-
-जो साधक आर्थिक संकट से ग्रस्त हों और अपने जीवन में धनागम एवं आर्थिक उन्नति चाहते हों अथवा कर्ज मुक्ति चाहते हों वे "महाशिवरात्रि" के दिन दारिद्रय-दहन स्तोत्र का पाठ करते हुए शिवजी का अभिषेक करें।
3. अपने जन्मनक्षत्रानुसार रुद्राक्ष धारण करें-
-जो साधक अपने जीवन में शिव कृपा की प्राप्ति चाहते हों वे महाशिवरात्रि के दिन अपने जन्म नक्षत्रानुसार रुद्राक्ष को शिवलिंग पर अर्पित कर उसके अभिषेक पश्चात उस रुद्राक्ष को लाल धागे या स्वर्ण में धारण करें
जन्मनक्षत्र-रुद्राक्ष
1. अश्विनी, मूल, मघा जन्मनक्षत्र वाले जातक नौमुखी रुद्राक्ष धारण करें।
2. भरणी, पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा जन्मनक्षत्र वाले जातक छ: मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
3. कृत्तिका, उत्तराषाढ़ा, उत्तराफाल्गुनी जन्मनक्षत्र वाले जातक ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
4. रोहिणी, हस्त, श्रवण जन्मनक्षत्र वाले जातक दोमुखी रुद्राक्ष धारण करें।
5. धनिष्ठा, चित्रा, मृगशिरा जन्मनक्षत्र वाले जातक तीनमुखी रुद्राक्ष धारण करें।
6. आर्द्रा, शतभिषा, स्वाति जन्मनक्षत्र वाले जातक आठ या पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
7. पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वाभाद्रपद जन्मनक्षत्र वाले जातक पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
8. पुष्य, अनुराधा, आश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती जन्मनक्षत्र वाले जातक सातमुखी, पांचमुखी व दोमुखी रुद्राक्ष का लाकेट धारण करें।
महाशिवरात्रि पर उपवास और रात्रि जागरण का महत्व जानिए
शिवरात्रि का कृष्ण पक्ष में आना भी साभिप्राय है। शुक्ल पक्ष में चंद्रमा पूर्ण होता है और कृष्ण पक्ष में क्षीण। उसकी वृद्धि के साथ-साथ संसार के संपूर्ण रसवान पदार्थों में वृद्धि और क्षय के साथ-साथ उनमें क्षीणता स्वाभाविक है।
अन्न में भी मादकता होती है। भोजन करने के बाद शरीर में आलस्य और तंद्रा का अनुभव प्रत्येक व्यक्ति करता है। अन्न ग्रहण न करने से शरीर चैतन्य और जागृत रहता है। परिणामस्वरूप जिस आध्यात्मिक अनुभूति और उपलब्धि के लिए शिव उपासना की जा रही है, उसमें कोई बाधा नहीं उत्पन्न होती।
भूख प्राणीमात्र की प्राथमिक आवश्यकताओं में से एक है। इसलिए भूख को सहन करना, तितिक्षा की वृद्धि करना है। यदि भूख पर विजय पा ली गई तो ऐसी अन्य आदतों पर विजय प्राप्त करना भी आसान हो जाता है, जो भूख के समान गहरी नहीं होतीं। इसे तेज धारा के विपरीत तैरने का प्रयोग भी समझना चाहिए।
रात्रि जागरण के संदर्भ में श्रीकृष्ण के इन वाक्यों की ओर ध्यान देना चाहिए
'या निशा सर्वभूतानां तस्यां जागर्ति संयमी।'
अर्थात जब संपूर्ण प्राणी अचेतन होकर नींद की गोद में सो जाते हैं तो संयमी, जिसने उपवासादि द्वारा इंद्रियों पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया हो, जागकर अपनेकार्यों को पूर्ण करता है। कारण साधना सिद्धि के लिए जिस एकांत और शांत वातावरण की आवश्यकता होती है, वह रात्रि से ज्यादा बेहतर और क्या हो सकती है।
यह भगवान शंकर की आराधना का प्रमुख दिन है। अन्य देवों का पूजन-अर्चन दिन में होता है, लेकिन भगवान शंकर को रात्रि क्यों प्रिय हुई और वह भी फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को? यह बात विदित है कि भगवान शंकर संहार शक्ति और तमोगुण के अधिष्ठाता हैं, अतः तमोमयी रात्रि से उनका स्नेह स्वाभाविक है। रात्रि संहारकाल की प्रतिनिधि है। उसका आगमन होते ही सर्वप्रथम प्रकाश का संहार, जीवों की दैनिक कर्म-चेष्टाओं का संहार और अंत में निद्रा द्वारा चेतनता का संहार होकर संपूर्ण विश्व संहारिणी रात्रि की गोद में अचेत होकर गिर जाता है। ऐसी दशा में प्राकृतिक दृष्टि से शिव का रात्रि प्रिय होना सहज ही हृदयंगम हो जाता है। यही कारण है कि भगवान शंकर की आराधना न केवल इस रात्रि में अपितु सदैव प्रदोष (रात्रि प्रारंभ होने पर) समय में भी की जाती है।
शिवरात्रि का कृष्ण पक्ष में आना भी साभिप्राय है। शुक्ल पक्ष में चंद्रमा पूर्ण होता है और कृष्ण पक्ष में क्षीण। उसकी वृद्धि के साथ-साथ संसार के संपूर्ण रसवान पदार्थों में वृद्धि और क्षय के साथ-साथ उनमें क्षीणता स्वाभाविक है। इस तरह क्रमशः घटते-घटते वह चंद्र अमावस्या को बिलकुल क्षीण हो जाता है। चराचर के हृदय के अधिष्ठाता चंद्र के क्षीण हो जाने से उसका प्रभाव संपूर्ण भूमंडल के प्राणियों पर भी पड़ता है। परिणामस्वरूप उनके अंतःकरण में तामसी शक्तियाँ प्रबुद्ध हो जाती हैं, जिनसे अनेक प्रकार के नैतिक एवं सामाजिक अपराधों का उदय होता है। इन्हीं शक्तियों को भूत-प्रेत आदि कहा जाता है।
ये शिवगण हैं, जिनके नियामक भूतभावन शिव हैं। दिन में जगत आत्मा सूर्य की स्थिति तथा आत्मतत्व की जागरूकता के कारण ये तामसी शक्तियां विशेष प्रभाव नहीं दिखा पातीं किंतु चंद्रविहीन अंधकारमयी रात्रि के आगमन के साथ ही इनकाप्रभाव प्रारंभ हो जाता है। जिस प्रकार पानी आने से पहले पुल बांधा जाता है, उसी प्रकार चंद्रक्षय तिथि आने से पहले उन तामसी शक्तियों को शांत करने के लिए इनके एकमात्र अधिष्ठाता भगवान आशुतोष की आराधना करने का विधान शास्त्रकारों ने किया है। यही कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि में शिव आराधना करने का रहस्य है, परंतु कृष्ण पक्ष चतुर्दशी प्रत्येक मास में आती है, वे शिवरात्रि क्यों नहीं कहलातीं? फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी में ही क्या विशेषता है, जो इसे शिवरात्रि कहा जाता है?
जहां तक प्रत्येक मास की चतुर्दशी के शिवरात्रि कहलाने का प्रश्न है तो निश्चय ही वे सभी शिवरात्रि ही हैं और पंचांगों में उनके इसी नाम का उल्लेख भी किया गया है। यहां
इस अंतर को अधिक स्पष्ट करने के लिए यह जानना भी आवश्यक है कि फाल्गुन की इस शिवरात्रि को 'महाशिवरात्रि' के नाम से पुकारा जाता है। जिस प्रकार क्षयपूर्ण तिथि (अमावस्या) के दुष्प्रभाव से बचने के लिए उससे ठीक एक दिन पूर्व चतुर्दशी को यह उपासना की जाती है, उसी प्रकार क्षय होते हुए वर्ष के अंतिम मास से ठीक एक मास पूर्व इसका विधान शास्त्रों में मिलता है, जो सर्वथा युक्तिसंगत है।
सीधे शब्दों में हम कह सकते हैं कि यह पर्व वर्ष के उपान्त्य मास और उस मास की भी उपान्त्य रात्रि में मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त हेमंत में ऐसा प्रतीत होता है जैसे कोई अज्ञात सत्ता प्रकृति का संहार करने में जुटी हो। ऐसे में चारों ओर उजाड़-सा वातावरण तैयार हो जाता है। यदि इसके साथ भगवान शिव के रौद्र रूप का सामंजस्य बैठाया जाए तो अनुपयुक्त नहीं होगा। रुद्रों के एकादश संख्यात्मक होने के कारण भी यह पर्व 11वें मास में ही संपन्ना होता है, जो शिव के रुद्र स्वरूपों का प्रतीकरूप है।

            दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग कांग्रेस की राजनीति के सालो से सर्वेसर्वा रहे दुर्ग के तीन बार के विधायक अरुण वोरा की छवि दुर्ग में साफ़ सुथरी है . शहर के विकास कार्यो के लोकार्पण में अग्रणी , विधायक निधि से जनहित में जगह जगह प्रतीक्षालय बनवाने , निगम के अधिकतर कार्यो की अनुशंषा करने वाले विधायक अरुण वोरा की दुर्ग शहर में पहचान है . किन्तु इन्ही के एक कट्टर समर्थक और एक दिन का मुख्यमंत्री बन्ने का ख्वाब देखने वाले वार्ड ४२ के पूर्व पार्षद जो सदा से ही विवादों में रहे है कई भ्रष्टाचार इनके काल में हुए है ऐसे प्रकाश गीते जो सडको पर सडक बनवाने में फर्जी राशन कार्ड के सहारे बैंक से लोन पाने में सफल हुए जिनकी जाँच की जिम्मेदारी अधिकारी स्तर के पुलिस अधिकारी को दी गयी थी बावजूद इसके सिपाही स्तर के जवान से जाँच हुई , जिनके पार्षद काल में निगम के बुलडोजर से किसी की निजी सपत्ति को धराशायी किया गया जिसकी रिपोर्ट भी हुई किन्तु जाँच लंबित ऐसे पूर्व पार्षद का एक और कारनामा सामने आया है किन्तु इस पर भी किसी तरह की कार्यवाही अभी तक नहीं हुई और मामले को दबा दिया गया . क्या दुर्ग विधायक के संरक्षण में ये सारा कार्य हो रहा है और पूर्व पार्षद के भर्ष्टाचार की फाइल को दबाने की कोशिश हो रही है . या फिर इन मामलो की जानकारी विधायक को भी नहीं है और ख़ास समर्थक होने का फायदा प्रकाश गीते उठा रहा है एवं जनता के पैसे का उपयोग निजी कार्यो में / कमीशन के फेर में किया जा रहा है .
             मामला है वार्ड नम्बर ४२ में ओपन गर्दन के निर्माण का . किसी भी वार्ड में गर्दन , सडक , नाली , पानी वार्ड की मुलभुत जरूरतों में आती है और वार्ड की जनता को अपने पार्षद से यही उम्मीद रहती है कि वार्ड में इन सब आवश्यक्ताओ की पूर्ति हो किन्तु सड़क की जगह में नाली , नयी सडक पर पुनह नई सडक का निर्माण , मैदान में कब्ज़ा , सडक पर उद्यान बनाना कहा तक सही है . यही हो रहा है वार्ड नम्बर ४२ में . वार्ड नम्बर ४२ में दो साल पूर्व एक उद्यान का निर्माण हुआ निर्माण में लगत जो लगती है वो शासकीय होती है ऐसे में शासकीय जमीन पर ही उद्यान बनाया जाना उचित होता है किन्तु वार्ड के तात्कलिक पार्षद प्रकाश गीते द्वारा और वार्ड के तात्कालिक एवं विवादित सब इंजिनियर व्ही.पी. मिश्रा द्वारा ऐसी जगह उद्यान का निर्माण करा दिया गया है जो आम रास्ता है . जी हाँ आम रास्ता . वार्ड ४२ में बड़ा शिव मंदिर के रोड से आगे दो गली को जोड़ने वाली पक्की आरसीसी रोड जिसकी चौड़ाई लगभग ६ मीटर है इस पक्के रोड पर अतिक्रमण कर उद्यान बना दिया गया जिसका आस पास के लोगो द्वारा काफी विरोध भी हुआ किन्तु आस पास के निवासियों के कहे अनुसार विधायक के करीबी होने का धौस दिखा कर इस उद्यान का निर्माण करवाया गया और शासकीय कर्मचारी होने के बाद भी दुर्ग निगम के काबिल होनहार ईमानदार और कार्य के प्रति पूर्ण निष्ठां की बात कहने वाले सब इंजिनियर व्ही.पी. मिश्रा द्वारा इस उद्यान का निर्माण करवाया गया . सरकार जहां एक और रास्ता चौडीकरण का प्रयास करती है वही दुर्ग के इस सब इंजिनियर द्वारा पक्के बने रास्ते को ही बंद कर उद्यान बना दिया गया जिसकी लागत भी करीबन ५-६ लाख बतायी जा रही है .
                आखिर किस नियम के तहत ये आम रास्ता को बंद कर उद्यान बनाया गया क्या सब इंजीयर के निर्माण के पहले जमीन की स्थिति की जाँच नहीं की क्या इस निर्माण में कमीशन का खेल चला क्या शासन के पैसे को बेवजह निर्माण में खर्च करने और उद्यान की अनुशंषा करने वाले तात्कालिक पार्षद पर निगम प्रशासन संज्ञान लेकर कार्यवाही करेगा . क्या शहर के हित की बात करने वाले विधायक वोरा मामले की निष्पक्ष जाँच की बात कहेंगे क्योकि दुर्ग निगम के हर कार्य की मंशा विधायक वोरा द्वारा ही होती है जैसा कि निगम के प्रेस विज्ञप्ति से जाहिर होता है अता मामले को संज्ञान लेनौर निष्पक्ष जाँच की पहल विधायक ही कर सटे है क्योकि विधायक के निति और नियमो निर्देशों का पालन शहर के महापौर करते है . क्या दुर्ग के वार्ड ४२ में सडक पर निर्मित इस उद्यान में हुए भर्ष्टाचार की जाँच होगी ? पीडब्ल्यूडी विभाग में भार्शताचार को ख़त्म करने की बात कहने वाले प्रभारी अब्दुल गनी क्या मामले पर निष्पक्ष जाँच की अनुशंषा करेंगे ? क्या दुर्ग निगम के नए आयुक्त हरेश मंडावी मामले को संज्ञान लेकर इसकी विभागीय जाँच के आदेश देंगे ? या फिर फर्जी राशन कार्ड के जरिये बैंक से लाखो का लोन निकालने वाले मामले को जिस तरह से दबा दिया गया है उसी तरह से इस मामले को भी दबाया जाएगा ....

दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग नगर पालिक निगम में स्वतंत्र महापौर के रु में आखिरी कार्यकाल डॉ. सरोज पाण्डेय का रहा है उसके बाद दुर्ग शहर की जनता को हमेशा ऐसा महापौर मिला है जो स्व विवेक से कार्य न करके अपने नेता के कहे अनुसार ही कार्य करता नजर आया है . इस प्रकार शहर के विकास के लिए तात्कालिक महापौर के रूप में सरोज पाण्डेय ने कार्य किया ऐसे ही महापौर की तलाश आज भी दुर्ग निगम क्षेत्र की जनता को है . पिछले निकाय चुनाव में कांग्रेस की लहर और 20 सालो से भाजपा की सत्ता होने के कारण जनता बदलाव चाहती थी किन्तु इस बार भी शहर की जनता के हाँथ खाली रह गए इस बार के निकाय चुनाव में महापौर चुनने की जिम्मेदारी जनता के हाथ ना हो कर पार्षदों के मत के अनुसार हुआ प्रदेश में ऐसे कई निकाय है जहाँ पार्षदों की सहमती से ही महापौर निर्वाचित हुए है किन्तु दुर्ग फिर इससे अछुता रहा इस बार दुर्ग की जनता को महापौर के रूप में पार्षदों की पसंद के अनुरूप ना हो कर शहर के विधायक की पसंद के अनुरूप मिला . प्रारंभ में ऐसा प्रतीत हुआ कि नए चेहरे और युवा सोंच से शहर का विकास होगा किन्तु साल भर से ज्यादा हो गए शहर में ऐसा कोई कार्य नहीं हुआ जिसमे महापौर की सोंच निहित हो हर सोंच और कार्य शहर के विधायक की मंशा के अनुरूप ही होते रहे . किन्तु अब एक ऐसा मामला आया है जिसमे शहर के विधायक की मंशा के विपरीत महापौर फैसला ले रहे है .
मामला है मोती काम्प्लेक्स के सामने की वो दुकाने जिस पर उच्च न्यायालय में मामला लंबित है . मोती काम्प्लेक्स और पुराना बस स्टैंड के बीच सड़क किनारे लगी दुकानों को देखने अचानक मंगलवार को शहर के महापौर और प्रभारी अब्दुल गनी पहुच गए साथ ही आयुक्त मंडावी को भी ले गए . वह पर चर्चा के दौरान दुकानों को हटाने और स्व. मोतीलाल वोरकी मूर्ति लगाने की बात निकली . दुकानों के व्यापारियों के अनुसार प्रभारी अब्दुल गनी ने व्यापारियों से कहा कि दुकाने अवैध रूप से है अतिक्रमण में है अत: इसे हटाया जाएगा और इस जगह चौक पर स्व. मोतीलाल वोरा की मूर्ति लगाईं जायेगी . ये अलग बात है कि मामला अभी विहाराधीन है इसलिए फैसला होने तक अभी ख्याली पुलाव पकाया जा सकता है किन्तु उससे बड़ी बात यह है कि इन व्यापारियों के समुचित व्यस्थापन की पैरवी कई बार दुर्ग विधायक कर चुके है ऐसे में शहर के महापौर और प्रभारी क्यों विधायक वोरा के फैसले के खिलाफ इन व्यापारियों को हटाने में लगे हुए है जो पिछले 40-50 सालो से यहाँ व्यापार कर रहे है सिर्फ एक मूर्ति लगाने के लिए क्या इस फैसले से उन्होंने विधायक वोरा को अवगत कराया है ?

दुर्ग / शौर्यपथ / भिलाई-दुर्ग में प्रतिबंधित जर्दायुक्त गुटखा फिर से बेखौफ अंदाज में बिकने लगा है। इसके निर्माण, भंडारण, वितरण व विक्रय पर सरकार का घोषित प्रतिबंध बेअसर दिख रहा है। पान की दुकानों के आसपास जर्दायुक्त सितार व पानराज जैसे सामान्य ब्रांड वाले गुटखे के बिखरे खाली रैपर से इसके अवैध कारोबार की पोल खुल रही है।
पूरे छत्तीसगढ़ में जर्दायुक्त गुटखा प्रतिबंधित है। बावजूद इसके भिलाई-दुर्ग में यह प्रतिबंध बेअसर है। हर गली, मोहल्ले से लेकर मार्केट एरिया में खुलेआम जर्दायुक्त गुटखा खरीदा और बेचा जा रहा है। गुटखा बेचना अपराध है। फिर भी इसका कोई खौफ इसके कारोबार में जुड़े व्यापारियों में नजर नहीं आ रहा है। इस अवैध कारोबार को रोकने संबंधित विभाग की उदासीनता पर भी प्रश्नचिन्ह लग रहा है। जिस तरीके से जर्दायुक्त गुटखा शहर में बिक रहा है उससे संबंधित विभाग के कतिपय जिम्मेदार अधिकारियों से अवैध कारोबारियों की सांठगांठ होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा रहा है।
गौरतलब रहे कि जर्दायुक्त गुटखा के निर्माण अथवा विक्रय पर प्रतिबंध लागू होने के बाद पान मसाला और उसमें मिलाकर खाने के लिए जर्दा पाउच अलग-अलग बिक रहा है। जबकि एक ही पाउच में जर्दायुक्त गुटखा का निर्माण, भंडारण, वितरण और विक्रय पर पूर्णत: प्रतिबंध लागू है। इसके बाद भी भिलाई-दुर्ग में सितार और पानराज ब्रांड के जर्दायुक्त गुटखा आसानी से उपब्ध है। सितार व पानराज 10 रुपए में चार पाउच मिलने से आम वर्ग के लिए पसंदीदा ब्रांड बना हुआ है। अच्छी खपत के चलते खुदरा व्यापारी जर्दायुक्त गुटखा बेंच रहे हैं। लेकिन सवाल उठता है इसका निर्माण, भंडारण और पान की दुकानों तक वितरण कैसे संभव हो पा रहा है।
यहां पर यह बताना भी लाजिमी होगा कि जर्दायुक्त गुटखे के खिलाफ लगभग दो साल से भिलाई-दुर्ग में कोई बड़ी छापामार कार्यवाही नहीं हो सकी है। जिस तरीके से भिलाई-दुर्ग में जर्दायुक्त गुटखा बिक रहा है, उससे इस संभावना को बल मिल रहा है कि इसका निर्माण, भंडारण और वितरण स्थानीय स्तर पर हो रहा है। भिलाई में सुपेला पावर हाउस, केंप, नंदिनी रोड, खुर्सीपार सहित टाउनशिप क्षेत्र के विभिन्न सेक्टर में स्थित मार्केट की किराने से लेकर पान की दुकानों और चाय नास्ता के ठेलों में जर्दायक्त गुटखा आसानी से उपलब्ध है। दुर्ग शहर का भी यही हाल है। समीप के भिलाई-3 चरोदा, कुम्हारी और जामुल इलाके में भी जर्दायक्त गुटखा की खरीदी बिक्री धड़ल्ले से चल रही है।
बंद फैक्ट्रियों की गतिविधि संदिग्ध - औद्योगिक क्षेत्र भिलाई के बंद फैक्ट्रियों में चोरी छिपे जर्दायुक्त गुटखे का कारोबार पूर्व में कई बार उजागर हो चुका है। लिहाजा जिस तरीके से फिर एक बार भिलाई-दुर्ग में जर्दायुक्त गुटखा बिकने लगा है उससे यहां की बंद हो चुकी फैक्ट्रियों की भूमिका संदिग्ध बनी हुई है। बताते हैं कि पूर्व में औद्योगिक क्षेत्र से जितने भी मामले उजागर हुए हैं, प्राय: उसमें पुलिस को पानराज ब्रांड का प्रतिबंधित गुटखा मिलता रहा है। अब पानराज के साथ सितार ब्रांड भी बाजार में सहज उपलब्ध होने से ऐसा लग रहा है जैसे इसके अवैध कारोबार करने वालों को पुलिस और खाद्य विभाग की कार्यवाही का कोई भय नहीं रह गया है।
पान मसाला कारोबारी बने वितरक
गली मोहल्ले में दुकान चलाने वालों की माने तो जर्दायुक्त गुटखा की आपूर्ति उन्हें पान मसाला के थोक कारोबारी कर रहे हैं। ऐसे थोक व्यापारी वितरक की भूमिका निभा रहे हैं जो दुर्ग , सुपेला, भिलाई, पावर हाउस, खुर्सीपार, भिलाई-3, चरोदा व कुम्हारी में पान मसाला का कारोबार करते हैं। ऐसे कारोबारियों को दुर्ग और रायपुर से सितार व पानराज ब्रांड के जर्दायुक्त गुटखे चैनल बनाकर भेजे जाने की खबर है। जिस तरीके से जर्दायुक्त गुटखा की बिक्री हो रही है उससे इस बात से इंकार नहीं किया जा रहा है कि इसका निर्माण स्थानीय स्तर पर हो रहा है।

दुर्ग / शौर्यपथ / भिलाई-दुर्ग में प्रतिबंधित जर्दायुक्त गुटखा फिर से बेखौफ अंदाज में बिकने लगा है। इसके निर्माण, भंडारण, वितरण व विक्रय पर सरकार का घोषित प्रतिबंध बेअसर दिख रहा है। पान की दुकानों के आसपास जर्दायुक्त सितार व पानराज जैसे सामान्य ब्रांड वाले गुटखे के बिखरे खाली रैपर से इसके अवैध कारोबार की पोल खुल रही है।
पूरे छत्तीसगढ़ में जर्दायुक्त गुटखा प्रतिबंधित है। बावजूद इसके भिलाई-दुर्ग में यह प्रतिबंध बेअसर है। हर गली, मोहल्ले से लेकर मार्केट एरिया में खुलेआम जर्दायुक्त गुटखा खरीदा और बेचा जा रहा है। गुटखा बेचना अपराध है। फिर भी इसका कोई खौफ इसके कारोबार में जुड़े व्यापारियों में नजर नहीं आ रहा है। इस अवैध कारोबार को रोकने संबंधित विभाग की उदासीनता पर भी प्रश्नचिन्ह लग रहा है। जिस तरीके से जर्दायुक्त गुटखा शहर में बिक रहा है उससे संबंधित विभाग के कतिपय जिम्मेदार अधिकारियों से अवैध कारोबारियों की सांठगांठ होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा रहा है।
गौरतलब रहे कि जर्दायुक्त गुटखा के निर्माण अथवा विक्रय पर प्रतिबंध लागू होने के बाद पान मसाला और उसमें मिलाकर खाने के लिए जर्दा पाउच अलग-अलग बिक रहा है। जबकि एक ही पाउच में जर्दायुक्त गुटखा का निर्माण, भंडारण, वितरण और विक्रय पर पूर्णत: प्रतिबंध लागू है। इसके बाद भी भिलाई-दुर्ग में सितार और पानराज ब्रांड के जर्दायुक्त गुटखा आसानी से उपब्ध है। सितार व पानराज 10 रुपए में चार पाउच मिलने से आम वर्ग के लिए पसंदीदा ब्रांड बना हुआ है। अच्छी खपत के चलते खुदरा व्यापारी जर्दायुक्त गुटखा बेंच रहे हैं। लेकिन सवाल उठता है इसका निर्माण, भंडारण और पान की दुकानों तक वितरण कैसे संभव हो पा रहा है।
यहां पर यह बताना भी लाजिमी होगा कि जर्दायुक्त गुटखे के खिलाफ लगभग दो साल से भिलाई-दुर्ग में कोई बड़ी छापामार कार्यवाही नहीं हो सकी है। जिस तरीके से भिलाई-दुर्ग में जर्दायुक्त गुटखा बिक रहा है, उससे इस संभावना को बल मिल रहा है कि इसका निर्माण, भंडारण और वितरण स्थानीय स्तर पर हो रहा है। भिलाई में सुपेला पावर हाउस, केंप, नंदिनी रोड, खुर्सीपार सहित टाउनशिप क्षेत्र के विभिन्न सेक्टर में स्थित मार्केट की किराने से लेकर पान की दुकानों और चाय नास्ता के ठेलों में जर्दायक्त गुटखा आसानी से उपलब्ध है। दुर्ग शहर का भी यही हाल है। समीप के भिलाई-3 चरोदा, कुम्हारी और जामुल इलाके में भी जर्दायक्त गुटखा की खरीदी बिक्री धड़ल्ले से चल रही है।
बंद फैक्ट्रियों की गतिविधि संदिग्ध - औद्योगिक क्षेत्र भिलाई के बंद फैक्ट्रियों में चोरी छिपे जर्दायुक्त गुटखे का कारोबार पूर्व में कई बार उजागर हो चुका है। लिहाजा जिस तरीके से फिर एक बार भिलाई-दुर्ग में जर्दायुक्त गुटखा बिकने लगा है उससे यहां की बंद हो चुकी फैक्ट्रियों की भूमिका संदिग्ध बनी हुई है। बताते हैं कि पूर्व में औद्योगिक क्षेत्र से जितने भी मामले उजागर हुए हैं, प्राय: उसमें पुलिस को पानराज ब्रांड का प्रतिबंधित गुटखा मिलता रहा है। अब पानराज के साथ सितार ब्रांड भी बाजार में सहज उपलब्ध होने से ऐसा लग रहा है जैसे इसके अवैध कारोबार करने वालों को पुलिस और खाद्य विभाग की कार्यवाही का कोई भय नहीं रह गया है।
पान मसाला कारोबारी बने वितरक
गली मोहल्ले में दुकान चलाने वालों की माने तो जर्दायुक्त गुटखा की आपूर्ति उन्हें पान मसाला के थोक कारोबारी कर रहे हैं। ऐसे थोक व्यापारी वितरक की भूमिका निभा रहे हैं जो दुर्ग , सुपेला, भिलाई, पावर हाउस, खुर्सीपार, भिलाई-3, चरोदा व कुम्हारी में पान मसाला का कारोबार करते हैं। ऐसे कारोबारियों को दुर्ग और रायपुर से सितार व पानराज ब्रांड के जर्दायुक्त गुटखे चैनल बनाकर भेजे जाने की खबर है। जिस तरीके से जर्दायुक्त गुटखा की बिक्री हो रही है उससे इस बात से इंकार नहीं किया जा रहा है कि इसका निर्माण स्थानीय स्तर पर हो रहा है।

व्यापारियों एवं व्यापारिक संगठनों के साथ मनाया व्यापारी मिलन समारोह दृजय व्यापार पैनल
व्यापारियों के हित एवं व्यपारी हेतु समर्पण प्रथम, जय व्यापार पैनल
दुर्ग / शौर्यपथ / जय व्यापार पैनल द्वारा आनंद मंगलम शिवनाथ नदी रोड में दुर्ग के सभी व्यापारियों एवं व्यापारिक संगठनों के साथ जोरदार व्यापारिक मिलन समारोह का आयोजन संरक्षकगण विजय अग्रवालए बृजमोहन खंडेलवाल,खेमराज मध्यानी,श्रीचंद लेखवानी, अतरसिंग सूरी,प्रदेश मुख्य चुनाव संचालक नरेंद्र दुग्गड़, मंगेलाल मालू के मार्गदर्शन में मनाया गया जिसमें छतीसगढ चेम्बर आफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज 2021-24 के इस चुनाव में पधारे प्रदेश अध्यक्ष पद के प्रत्याशी अमर पारवानी, महामंत्री के लिए अजय भसीन, कोषाध्यक्ष के लिए उत्तम गोलछा एवं दुर्ग जिला प्रदेश उपाध्यक्ष प्रकाश सांखला, प्रदेश मंत्री पद हेतु दर्शन लाल ठाकवानी उपस्थित थे।
गौरतलब है की सी आयोजन में पाटनए अर्जुन्दा, धमधा, मुरमुंदा, रसमडा से बड़ी संख्या में व्यापारी शामिल थे! इसी तारत्मय में श्रीचंद लेखवानी ने कहा की आज एक आदर्श चेम्बर की नितांत आवश्यकता है जिस हेतु समस्त व्यपारियों को साथ आना होगा। इसी कड़ी में विजय अग्रवाल ने कहा व्यापारियों को एक जुट होकर एक सुलझे हुए एवं सभी बातों की समझ रखने वाले प्रत्याशीयों का चयन करना व्यापार हित में आवश्यक है। हमने अमर पारवानी के अब तक के 7 वर्षो का कार्य देखा है, जो इन्हें इस पद के लिए जायज एवं सही ठहराती है! जय व्यापार पैनल के प्रदेश उपाध्यक्ष पद प्रत्याशी प्रकाश सांखला एवं प्रदेश मंत्री पद के प्रत्याशी दर्शन लाल ठाकवानी ने कहा की आज दुर्ग छतीसगढ का बड़ा व्यवसायी स्थल है लेकिन आज भी दुर्ग के बाजार में पार्किग की सही व्यवस्था नहीं होने के कारण से दुर्ग के व्यापारियों का व्यवसाय प्रभावित हो रहा है इसे दूर करने के लिए प्रयास किया जाएगा। जीएसटी की कार्यशाला का आयोजन एवं फूड सैफेटी बिल के लिए कार्यशाला, तथा हालमार्क के लिए कार्यशाला की जायेगी इस हेतु हमने एक विजन बनाया है !
प्रदेश उपाध्यक्ष पद के प्रत्याशी अमर पारवानी ने सरल भाषा में उपस्थित व्यवसायियो को कहा पहले प्रत्याशियों को देखें एवं समझे व्यापारी हितों को सर्वोपरि रखे फिर जय व्यापार पैनल के सभी प्रत्याशियों को दिया छाप पर मुहर लगाकर विजयी बनाएं एवं हर तहसील से एक व्यापारी को जिले की कार्यकारणी में शामिल भी किया जाएगा ! मंच का संचालन प्रहलाद रुंगटा एवं हरीश श्रीश्रीमाल ने किया साथ उपस्थित व्यापारियों में ज्ञानचंद जैन, ताराचंद कांकारिया, गौतम पारख,विनोद अग्रवाल, नेमीचंद सोनी,अतीत खंडेलवाल, पवन बडज़ात्या, सुधीर खंडेलवाल,हरीश श्रीश्रीमाल, गौतम सांखला, गौतम बोथरा, राजा कांकारिया, नेमीचंद भंडारी, कचरू अग्रवाल, कमल जैनए, अनिल बल्लेवार,मोहम्मद अली हिरानी, संजय चौबेए, सुनील बगमार, अरविंद खंडेलवाल, संजय सिंग, रवि कुकरेजा,आशानदास मोहनानी, रवि केवलतानी,,संजय मोहनानी, जवाहर श्रीश्रीमाल, उत्तम बरडिया, सोहनराज बांटिया, दिनेश सोनी, दिनेश भाई शाह सहित बड़ी संख्या में व्यपारी इस गौरव शाली व्यापारी मिलन समारोह में शामिल थे !

दुर्ग / शौर्यपथ / आयुक्त हरेश मंडावी ने आज तकियापारा वार्ड 8 से कातुलबोर्ड वार्ड 60 तक 16 वार्डो का भ्रमण कर स्वच्छता सर्वेक्षण के अंतर्गत चिन्हित ब्यूटीकेशन स्थलों का निरीक्षण कर स्थलों में पेंटिंग्स और स्थल को दुरुस्त करने अधिकारियों को निर्देश दिये। उन्होनें वार्डो में सीटी.पीटी शौचालय, सुलभ शौचालय का निरीक्षण कर वहॉ की साफ.सफाई का अवलोकन किये। इस दौरान कार्यपालन अभियंता राजेश पाण्डे,ए सहा0 अभियंता जगदीश केशवानी, उपअभियंता स्वेता महलवार, श्रीमती अर्पणा सेलारे मिश्रा, स्वास्थ्य अधिकारी दुर्गेश गुप्ता, स्वच्छता निरीक्षक राजेन्द्र सराटे, सफाई सुपरवाईजर उपस्थित थे । तितुरडीह वार्ड में भ्रमण के दौरान पार्षद अरुण सिंह, तथा श्रीमती उषा ठाकुर ने आयुक्त से मुलाकात कर वार्ड में समस्याओं से अवगत कराये ।
समस्त वार्ड के सड़क और नालियों के किनारे से सीएनडी,मटेरियल हटवायें
आयुक्त मंडावी ने सभी वार्ड इंजीनियरों को निर्देशित कर कहा कि वार्ड भ्रमण के दौरान देखने में आ रहा है कि बहुत से वार्डो में सड़क और नालियों के किनारे भवन मटेरियल पड्ेे हुये हैं कहीं.कहीं पर सीएनडी वेस्ट पड़ हुआ है जो सडक को गंदा और नालियों को जाम कर दे रहा हैं। सभी वार्ड इंजीनियर ध्यान रखें, संबंधितों से संपर्क कर सीएनडी वेस्ट हटवायें या जप्त करें, भवन मटेरियलों को भी हटवायें । स्वच्छता सर्वेक्षण में यह भी महत्वपूर्ण कार्य है । जिससे हमारा शहर साफ.सुथरा नजर आयेगा।
वार्डो के तालाब और शौचालयों की साफ.सफाई करायें।
आयुक्त मंडावी ने आज तकियापारा वार्ड, हरनाबांधा वार्ड, शंकर नगर वार्ड 10.11, मोहन नगर वार्ड 12.13, सिकोला भाठा वार्ड 14, करहीडीह वार्ड 15, सिकोला बस्ती वार्ड 16, औद्योगिक नगर वार्ड 17-18, शहीद भगत सिंह वार्ड 19-20, आदित्य नगर वार्ड 21, कातुलबोर्ड वार्ड 59-60 का भ्रमण किया गया। उन्होनें वार्डो में तालाबों, और शोचालयों का निरीक्षण करने के साथ चिन्हित ब्यूटीफिकेशन स्थलों का अवलोकन किया गया । उन्होनें तालाबों से कचरा बाहर निकालने निर्देश दिये । शौचालयों की बेहतर सफाई रखने कहा ।

रिसाली / शौर्यपथ / अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर रिसाली क्षेत्र की महिलाओं ने कांग्रेस नेत्री व समाज सेविका सरिता साहू के नेतृत्व में स्कूटर रैली निकाली गई। रैली के माध्यम से महिलाओं ने महिला सशक्तिकरण का संदेश दिया। विशाल रैली में 150 से अधिक महिलाएं स्कूटर के साथ शामिल हुई। पंथी चौक सेक्टर-8 से शुरू हुई स्कूटर रैली विभिन्न क्षेत्रों का भ्रमण करने के पश्चात सरीता साहू के निवास पर समाप्त हुई। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर शहर में विभिन्न आयोजन हो रहे हैं। इसी कड़ी में रिसाली क्षेत्र की महिलाओं ने स्कूटर रैली निकाली। रैली का नेतृत्व कांग्रेस नेत्री व समाज सेविका सरिता साहू ने किया। सुबह रैली का शुभारंभ पंथी चौक सेक्टर-8 से हुआ। यहां से निकलकर रैली रिसाली, मरोदा फ्लाईओवर होते हुए वापस ग्लोब चौक, सेंट्रल एवेन्यू से सेक्टर.9 होते हुए सरिता साहू के निवास पर समाप्त हुई।

दुर्ग / शौर्यपथ / महिला दिवस के अवसर पर एक ओर जहां शहर में विभिन्न आयोजन हुए। महिलाओं का सम्मान किया गया है। वहीं दूसरी ओर प्रदेश के सीएम भूपेश बघेल और भिलाई नगर विधायक व युवा महापौर देवेंद्र यादव के काम से प्रभावित हो कर शहर की करीब 50 से अधिक महिलाओं ने कांग्रेस प्रवेश किया।
सोमवार को सेक्टर 5 में महिला दिवस का आयोजन समापन के बाद शहर के विभिन्न वार्डों से आई सैकड़ों महिलाएं विधायक कार्यालय सेक्टर 5 पहुंची। जहां उन्होंने विधायक देवेंद्र यादव के सानिध्य में कांग्रेस प्रवेश किया। स्वेता मिश्रा के नेतृत्व में कांग्रेस प्रवेश करने पहुंची महिलाओं ने विधायक श्री यादव से कहा कि जिस तरह से प्रदेश सरकार और भिलाई विधायक व महापौर जनता के हित और विकास के लिए काम कर रहे हैं। जिस तरह से हर गरीबो को न्याय मिल रहा है। सब का राशन कार्ड बनाया गया। शिक्षा, स्वास्थ्य से लेकर नारियों के सम्मान में जिस तरह से शहर सरकार और प्रदेश सरकार ने काम किया है। इससे वे बहुत प्रभावित हुई है। इस लिए वे कांग्रेस प्रवेश कर रही है। ताकि वे सब भी अपनी अहम योगदान शहर व प्रदेश के विकास के लिए दे सके। इस अवसर पर विधायक श्री यादव ने सभी का पुष्प गुच्छ से स्वागत किया और कांग्रेस का गमछा भेंट कर दिल से आभार जताया और सब काे मिठाई खिलाकर सब को मुहं मिठा किया। इस अवसर पर विधायक श्री यादव ने कहा कि आज मुझे बहुत खुशी हुई कि हमारी सभी माताएं बहने हमारे काम से खुश है। हम लगातार जनहित में काम कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे । चाहे विधायक रहे या न रहे। मेयर व विधायक यादव ने महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि मैं हमेशा आप सब के साथ हू, आप सब का बेटा बनकर, भाई बन कर। आप की सेवा में हमेशा ततपर रहूंगा और आप मुझे हमेशा हक के साथ कह सकती है। हम सब मिलकर काम करेंगे।

नगरी / शौर्यपथ / विकास खण्ड के ग्रामीण इलाकों को मोबाईल कनेक्टिविटी से जोडने केलिये केबल बिछाने का कार्य चल रहा है। जिसके लिए बड़े-बड़े गड्ढे खोदे जा रहे हैं पर इस कार्य को कर रहे ठेकेदारो द्वारा गंभीर लापरवाही सामने आ रही है। जिसके कारण आम जनता परेशां ही नहीं गंभीर दुर्घटना का शिकार हो रही है ऐसे ही कई मामला जिसमे ग्राम छिपली , गोरेगांव ,फरसियाँ सहित कई ग्रामीण इलाकों में टेलीकॉम केबल बिछाने के लिये, गड्ढे खोदकर खुला छोड़ दिया गया है। खुले गड्ढे में गिरने से फरसियाँ निवासी ,55 वर्षीय ,रामकुमार यादव ,पिता केशव नाथ यादव की मौत हो चुकी है।
परिजनों के अनुसार 24 जनवरी की रात्रि वे मोटरसाईकल चलाकर ग्राम भैंसासांकरा से, अपने धर फरसियाँ आ रहे थे। रास्ते में ग्राम बोडरा,फरसियाँ पुलिया के पास ,टेलीकॉम कंपनी के ठेकेदारों द्वारा खोदे गए गड्ढे में गिरने से गंभीर रूप से घायल होने से उनकी मौत हो गई। ग्राम गोरेगांव के ग्रामीण जयदेव यदु ,किशोर ठाकुर ,कबीर हिरवानी, ने बताया कि ग्राम के मुख्य सड़क किनारे बड़े-बड़े गड्ढे खोद के छोड़ दिए गए हैं। जिसकी वजह से हमेशा गंम्भीर दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।
उन्होंने बाताया की हाल ही में ग्राम फरसियाँ मेला से लौट रही ,ग्राम गोरेगांव की महिला , गड्ढों में गिरने से गंभीर रूप से घायल हो गई । जिसे नगरी शासकीय स्वास्थ्य केंद्र इलाज के लिये 108 से ले जाया गया। इनके अलावा भी कई वाहन चालक इन खुले गड्ढे में गिर चुके हैं । साथ ही मवेशियों की भी गिरने की घटनाएं होती रहती है। खोदे गए खुले गड्ढों की वजह से ,लगातार हो रही दुर्घटनाओं के बावजूद जान-माल सुरक्षा नियमों की अनदेखी की जा रही है। वही प्रशासन द्वारा लापरवाही बरतने वाले ठेकेदारों के विरुद्ध, किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जा रही। जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों में नाराजगी देखी जा रही है। इसके पहले की और भी दुर्घटनाएं हो। जान माल सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता है।

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