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मुख्यमंत्री विष्णु देव साय बोले – “नक्सलवाद की रात ढल रही है, बस्तर में विकास की नई सुबह हो रही है”
रायपुर/शौर्यपथ ब्यूरो/
(साभार: जनसंपर्क विभाग, छत्तीसगढ़ शासन)
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने बस्तर में नक्सलवाद के खात्मे को लेकर एक ऐतिहासिक घोषणा करते हुए कहा कि "नक्सलवाद की रात अब ढल रही है और विकास की नई सुबह का उदय हो चुका है।" उन्होंने बताया कि बस्तर रेंज में ₹2.54 करोड़ के इनामी 66 हार्डकोर नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा से जुड़ने का संकल्प लिया है। इस आत्मसमर्पण में ₹25 लाख के इनामी माओवादी SZCM (South Zonal Committee Member) रामन्ना ईरपा उर्फ जगदीश भी शामिल है, जो संगठन का एक शीर्ष रणनीतिकार रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह ऐतिहासिक आत्मसमर्पण डबल इंजन सरकार की सुशासन, सुरक्षा और पुनर्वास नीति का प्रत्यक्ष प्रमाण है। सरकार की समावेशी और सशक्त योजनाओं ने इस दिशा में निर्णायक बदलाव लाया है।
एक ही दिन में 5 जिलों से आए 66 नक्सली मुख्यधारा में
मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि:
बीजापुर से 25, दंतेवाड़ा से 15, कांकेर से 13, नारायणपुर से 8, सुकमा से 5 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है।
इन सभी ने राज्य सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति से प्रेरित होकर हिंसा का मार्ग छोड़ शांति और विकास की दिशा में चलने का निर्णय लिया।
‘पूना मारगेम’ – पुनर्वास से पुनर्जीवन की नीति बनी बदलाव की धुरी
मुख्यमंत्री साय ने “पूना मारगेम: पुनर्वास से पुनर्जीवन” नीति को इस परिवर्तन का केंद्रीय तत्व बताते हुए कहा कि राज्य सरकार इन नक्सलियों के भविष्य को संवारने और उन्हें समाज के सम्मानित नागरिक के रूप में पुनः स्थापित करने हेतु पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है।
18 महीनों में 1,570 माओवादियों का आत्मसमर्पण – सरकार की नीति की व्यापक स्वीकार्यता
मुख्यमंत्री ने बताया कि पिछले 18 महीनों में 1,570 माओवादी कैडर आत्मसमर्पण कर चुके हैं। यह सरकार की पारदर्शी, नागरिक हितैषी और मानवीय दृष्टिकोण से प्रेरित नीति की सफलता का प्रमाण है। आत्मसमर्पण करने वालों में कई कुख्यात और रणनीतिक स्तर के माओवादी शामिल हैं।
केंद्र-राज्य समन्वय से बस्तर में विकास और सुरक्षा की नई लहर
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह के मार्गदर्शन में राज्य और केंद्र सरकार मिलकर बस्तर के दूरस्थ क्षेत्रों में सुरक्षा और विकास का समवेत अभियान चला रही हैं।
उन्होंने बताया कि अब बस्तर के सुदूर क्षेत्रों में:
सड़कों का विस्तार, पेयजल आपूर्ति, प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा केंद्र, स्वास्थ्य सुविधाएं, परिवहन, बिजली एवं डिजिटल नेटवर्क जैसी मूलभूत सुविधाएं पहुँच चुकी हैं।
रामन्ना ईरपा का आत्मसमर्पण – माओवादी नेटवर्क को गहरा झटका
सूत्रों के अनुसार, रामन्ना ईरपा उर्फ जगदीश माओवादी संगठन का दक्षिण जोनल कमेटी सदस्य (SZCM) था, जो रणनीति, भर्ती और स्थानीय नेटवर्क संचालन का प्रमुख चेहरा रहा है। उसका आत्मसमर्पण माओवादी नेटवर्क की रीढ़ तोड़ने जैसा माना जा रहा है।
मुख्यमंत्री का संदेश – “बस्तर भय से नहीं, भविष्य से पहचाना जाएगा”
मुख्यमंत्री साय ने आत्मसमर्पण करने वाले सभी व्यक्तियों का स्वागत करते हुए कहा:
"हम हर उस हाथ को थामेंगे, जो हथियार छोड़कर शांति, शिक्षा और सृजन की राह पर लौटना चाहता है। यह बस्तर के पुनर्निर्माण का समय है। यह सामाजिक भागीदारी से संचालित नया युग है।"
निष्कर्ष: नक्सलवाद पर निर्णायक प्रहार, विकास की ठोस जमीन
बस्तर की यह घटना केवल एक प्रशासनिक सफलता नहीं, बल्कि आशा, पुनर्वास और सामाजिक पुनरुत्थान की ऐतिहासिक पटकथा है। नक्सलवाद के आतंक से लंबे समय से जूझते बस्तरवासियों के लिए यह एक निर्णायक मोड़ है — अब बस्तर की पहचान भय नहीं, बल्कि भविष्य की संभावना होगी।
? रिपोर्ट: शरद पंसारी
संपादक: शौर्यपथ दैनिक समाचार
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(साभार: जनसंपर्क विभाग, छत्तीसगढ़ शासन)
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