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रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अखिल भारतीय स्तर पर चिकित्सा स्नातक में राष्ट्रीय पात्रता एवं प्रवेश परीक्षा (नीट) में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा संचालित प्रयास आवासीय विद्यालय के विद्यार्थियों के शानदार प्रदर्शन पर प्रसन्नता जताई है। उन्होंने इस परीक्षा में सफल रहे विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए उन्हें बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं। नीट परीक्षा में प्रयास आवासीय विद्यालयों के 166 विद्यार्थियों में सफलता प्राप्त की है। चिकित्सा स्नातक में राष्ट्रीय पात्रता एवं प्रवेश परीक्षा (नीट) का परिणाम 16 अक्टूबर को जारी हुआ। आदिम जाति कल्याण मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, विभाग के सचिव डी.डी.सिंह और संचालक श्रीमती शम्मी आबिदी ने सभी सफल विद्यार्थियों को बधाई देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी।
उल्लेखनीय है कि चिकित्सा स्नातक में राष्ट्रीय पात्रता एवं प्रवेश परीक्षा (नीट) में 367 विद्यार्थी शामिल हुए, इनमें से 166 विद्यार्थी सफल हुए हैं। सफल विद्यार्थियों में सर्वाधिक 38 बालिकाएं प्रयास कन्या आवासीय विद्यालय रायपुर की हैं। इसके अलावा प्रयास आवासीय विद्यालय दुर्ग के 33, प्रयास आवासीय विद्यालय बस्तर के 26, प्रयास आवासीय विद्यालय बिलासपुर के 24, प्रयास बालक आवासीय विद्यालय रायपुर के 19, प्रयास आवासीय विद्यालय अंबिकापुर के 17 और प्रयास आवासीय विद्यालय कांकेर के 9 विद्यार्थी परीक्षा में सफल हुए हैं।
इसके अतिरिक्त नक्सल प्रभावित क्षेत्र दंतेवाड़ा से 34 विद्यार्थियों और जशपुर में संकल्प विद्यालय के 15 विद्यार्थियों ने नीट की परीक्षा क्वालीफाई की है।
भिलाई / शौर्यपथ / सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के बार एवं राॅड मिल में 17 अक्टूबर, 2020 को विभाग के कार्मिकांे को “कर्म शिरोमणि पुरस्कार” से सम्मानित किया गया। बार एवं राॅड मिल में आयोजित इस कार्यक्रम में महाप्रबंधक प्रभारी श्री संजय शर्मा ने श्री सुमेघ मानकर, श्री एस एस मीणा, श्री धनराज साहू एवं श्री मान सिंग मीणा को कर्म शिरोमणि पुरस्कार से सम्मानित किया।
इस रचनात्मक एवं स्वस्थ परम्परा को आगे बढ़ाते हुए संजय शर्मा ने महाप्रबंधक कक्ष मंे अनुभाग प्रभारियों, कार्मिक अधिकारी एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में कार्मिकांे को उत्कृष्टता प्रमाण-पत्र, स्मृति चिन्ह और उनके जीवनसाथी के लिए प्रशंसा-पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। प्रबंधन द्वारा प्रारंभ किया गया यह सम्मान कर्मियों को एक आत्मिक खुशी देता है यह भावना कर्मियों के अभिव्यक्ति से स्पष्ट झलक रही थी।
इस अवसर पर उपस्थित महाप्रबंधकगण मुकेश गुप्ता, आशीष एवं संजय कुमार शर्मा ने पुरस्कृत कार्मिकांे के योगदान एवं व्यक्तिगत गुणों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन एवं संयोजन डाॅ जे एस बघेल, कार्मिक अधिकारी (मिल्स जोन-1) ने किया।
रायपुर / शौर्यपथ / राज्य मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और उसके सुनिश्चित क्रियांवयन के उद्देश्य से राज्य में पांचों संभाग में संभाग स्तरीय मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा मंडल का गठन किया गया है। इसका प्रावधान मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 की धारा 73 (3) के अनुसार है ।
मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम में गति लाने के उद्देश्य से राज्य में संभाग स्तरीय मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा मंडल का गठन किया गया है । इस समीक्षा मंडल का मुख्य कार्य मानसिक रोग से पीड़ित लोगों को गुणवत्तापूर्ण मानसिक स्वास्थ्य सेवायें प्रदान करना है । इसके द्वारा मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत दी जाने वाली सेवाओं की समीक्षा भी सुनिश्चित की जायेगी । यह समीक्षा मंडल मानसिक स्वास्थ्य सेवायें प्रदान करने वाले केंद्रों का निरीक्षण करेगा और उनकी गुणवत्ता पर भी ध्यान देगा साथ ही मानव संसाधनों की समस्या का भी निराकरण करेगा । इसके अतिरिक्त सभी स्तरों पर उपलब्ध मानसिक स्वास्थ्य के उपचार की व्यवस्था भी देखेगा।
घरेलू हिंसा पीड़ितों, चिल्ड्रेन्स होम, वरिष्ठ नागरिक, डे-केयर शेल्टर होम्स के लिए मानसिक स्वास्थ्य उपचार की सुविधा प्रदान कराने में भी मदद करेगा जिससे । इसलिए यह कहा जा सकता है कि अब जरुरतमंद लोग अब मानसिक स्वास्थ्य से सम्बंधित रोगों का उपचार आसानी से करा सकेंगे ।
रायपुर में संभाग स्तरीय मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा मंडल ज़िला न्यायधीश, अध्यक्ष होंगे,ज़िला मजिस्ट्रेट द्वारा मनोनित अधिकारी सदस्य होंगे, मंडल में डॉ.अविनाश शुक्ला,चिकित्सा अधिकारी,डॉ.सोनिया परियल, मनोचिकित्सक,डॉ. संजीव मेश्राम तथा ममता गिरी गोस्वामी और मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य करने वाले एनजीओ के सदस्य को सदस्य बनाया गया है।
वहीं दुर्ग संभाग में संभाग स्तरीय मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा मंडल जिला न्यायधीश अध्यक्ष होंगे, डिप्टी कलेक्टर,, सिविल सर्जन सह अस्पताल अधीक्षक जिला दुर्ग, डॉ. आकांक्षा गुप्ता, मनोचिकित्सक, डॉ प्रमोद गुप्ता,निजी रोग विशेषज्ञ, मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य करने वाले एनजीओ के सदस्य इसमें मंडल मे सदस्य होंगे ।
बिलासपुर संभाग के समीक्षा मंडल में जिला न्यायधीश, अध्यक्ष होंगे, अपर कलेक्टर, जिला बिलासपुर डॉ.सतीश श्रीवास्तव, मनोरोग विशेषज्ञ,डॉ.प्रदीप सिहारे, शिशु रोग विशेषज्ञ, एस.पी चतुर्वेदी तथा प्रमोद वर्मा, मानसिक स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्य करने वाले एनजीओ के सदस्य इस समिति में सदस्य होंगे ।
बस्तर संभाग के संभाग स्तरीय मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा मंडल में जिला न्यायाधीश, अध्यक्ष होंगे, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी,बस्तर डॉ.वत्सला मरियम,मनोचिकित्सक, डॉ.ऋषभ साव, मेडिकल प्रेक्टिशनर और अर्शिल शिक्षण एवं प्रशिक्षण वेलफेयर सोसायटी तथा आशीर्वाद मेंटल रिहैबिलिटेशन सेंटर जिला बस्तर और मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य करने वाले एनजीओ के सदस्य इस समीक्षा मंडल में सदस्य होंगे ।
सरगुजा संभाग की संभाग स्तरीय मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा मंडल में जिला न्यायधीश अध्यक्ष होंगे वही मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला सरगुजा डॉ. पीके सिन्हा, चर्म रोग विशेषज्ञ, डॉ. पी.संदीप मनोचिकित्सक, श्रीमती नीतू शर्मा एवं अन्नि लकड़ा, होली क्रॉस आशा निकुंज हैंडीक्राफ्ट सेंटर मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य करने वाले एनजीओ के सदस्य समीक्षा मंडल में सदस्य होंगे ।
लाइफस्टाइल /शौर्यपथ / क्या आप हर रात कुछ न कुछ सोचते रहते हैं और कई तरह के ख्याल आपकी नींद उड़ा देते हैं? अगर आपका जवाब हां है, तो आप मेडिटेशन के साथ अखरोट खाना शुरू कर दीजिए, इससे आपकी यह समस्या काफी हद तक कम हो जाएगी। आज हम आपको खाली पेट भिगाए हुए अखरोट खाने के फायदे बता रहे हैं।
सूखे अखरोट की बजाय खाएं भीगा हुआ अखरोट
अखरोट को कच्चा खाने की बजाए अगर भिगोकर खाया जाए, तो इसके फायदे कई गुणा बढ़ जाते हैं। इसके लिए रात में 2 अखरोट को भिगोकर रख दें और सुबह के समय खाली पेट इसे खा लें। यकीन मानिए भीगे हुए बादाम खाना जितना फायदेमंद है उतना ही फायदेमंद भीगे हुए अखरोट खाना भी है। भीगा हुआ अखरोट कई बीमारियों से निजात दिलाने में मदद करता है।
डायबिटीज का खतरा करता है कम
ब्लड शुगर और डायबिटीज से बचना चाहते हैं, तो भीगे हुए अखरोट का सेवन आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। बहुत सी स्टडीज में यह बात सामने आयी है कि जो लोग रोजाना 2 से 3 चम्मच अखरोट का सेवन करते हैं, उनमें टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा कम हो जाता है। अखरोट ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है जिससे डायबिटीज का खतरा कम हो जाता है।
पाचन शक्ति होती है बेहतर
अखरोट फाइबर से भरपूर होता है, जो आपकी पाचन प्रणाली को दुरुस्त रखता है। पेट सही रखने और कब्ज से बचने के लिए फाइबर युक्त चीजें खानी जरूरी है। ऐसे में अगर आप रोजाना अखरोट का सेवन करते हैं, तो आपका पेट भी सही रहेगा और कब्ज भी नहीं होगा। भीगे हुए अखरोट को पचाना भी आसान हो जाता है।
हड्डियों की मजबूती के लिए खाएं अखरोट
अखरोट में ऐसे कई घटक और प्रॉपर्टीज पाए जाते हैं जो आपकी हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाते हैं। अखरोट में अल्फा-लिनोलेनिक ऐसिड पाया जाता है जो हड्डियों को मजबूत करने में मदद करता है। इसके अलावा, अखरोट में मौजूद ओमेगा-3 फैटी ऐसिड सूजन को भी दूर करता है।
तनाव को दूर करने में कारगर
अखरोट खाने से कई मायनों में आपका तनाव और स्ट्रेस कम होता है और आपको अच्छी नींद भी आती है। अखरोट में मेलाटोनिन होता है, जो बेहतर नींद लाने में मदद करता है। वहीं, ओमेगा-3 फैटी ऐसिड ब्लड प्रेशर को संतुलित कर तनाव से राहत दिलाता है। भीगे अखरोट खाने से आपका मूड भी अच्छा होता है और फिर ऑटोमैटिकली आपका स्ट्रेस कम हो जाता है।
वेट लॉस करके आपको फिट रखता है अखरोट
अखरोट वजन कम करने में अहम भूमिका निभाता है। ये बॉडी के मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है और आपकी बॉडी से एक्स्ट्राभ फैट कम करने में हेल्प करता है। इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन व कैलरी होती है, जो वजन को नियंत्रित रखने में मदद करती है। शोध में भी यह बात साबित हो चुकी है कि अखरोट का सेवन न सिर्फ वजन कम करता है, बल्कि उसे कंट्रोल में रखने में भी मदद करता है।
खाना खजाना / शौर्यपथ / नवरात्रि में व्रत रखने के दौरान कई बार ऐसा होता है कि शरीर में कमजोरी हो जाती है जिसकी वजह से कभी-कभी चक्कर भी आने लगते हैं। ऐसे में बहुत जरूरी है कि अपने शरीर का भी ध्यान रखा जाए। आज हम आपको व्रत की ऐसी ही हेल्दी रेसिपी बता रहे हैं, जिसे व्रत के दौरान खाने से आपको कमजोरी और ज्यादा भूख भी नहीं लगेगी। रोजाना एक लड्डू के सेवन करने से आपकी इम्युनिटी भी बढ़ेगी।
सिंघाड़े के आटे के फायदे
सिंघाड़े में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन बी व सी, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस जैसे मिनरल्स, रायबोफ्लेबिन जैसे तत्व पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं। आयुर्वेद में कहा गया है कि सिंघाड़े में भैंस के दूध की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक खनिज लवण और क्षार तत्व पाए जाते हैं। वैज्ञानिकों ने तो अमृत तुल्य बताते हुए इसे ताकतवर और पौष्टिक तत्वों का खजाना बताया है। इस फल में कई औषधीय गुण हैं, जिनसे शुगर, अल्सर, हृदय रोग, गठिया जैसे रोगों से बचाव हो सकता है। बुजुर्गों व गर्भवती महिलाओं के लिए तो यह काफी गुणकारी है।
सामग्री :
सिंघाड़े का आटा
गुड़
सोंठ पाउडर
देसी घी
काजू-बादाम
विधि :
सबसे पहले सिंघाड़े के आटे को छान लीजिए। अगर सिंघाड़े का आटा थोड़ा मोटा रहेगा तो लड्डू सोंधे बनेंगे।
गुड़ को अच्छी तरह से फोड़ लीजिए। गुड़ में एक भी गांठ नहीं रहनी चाहिए।
कटे हुए मेवे को तवे पर हल्का सा भून लीजिए।
कड़ाही में करीब 150 ग्राम घी गर्म कर लीजिए। आपका करीब 100 ग्राम घी बचा रहेगा, इसका बाद में इस्तेमाल करेंगे।
गैस की आंच मीडियम करके सिंघाड़े के आटे को अच्छी तरह से भून लीजिए। जब आटे से सोंधी खुशबू आने लगे और ये गुलाबी हो जाए तो समझिए की ये भून गया है।अब पिटे हुए गुड़ के ऊपर गरम-गरम सिंघाड़े के आटे को इस तरह से डालिए कि गुड़ पूरी तरह से ढक जाए। आटे की गर्मी से गुड़ नरम हो जाएगा और सिंघाड़े का लड्डू बनाने में आसानी होगी।आटे के ऊपर अब सोंठ, घी और मेवे डालकर चम्मच की मदद से अच्छी तरह मिला लीजिए। ध्यान रहे कि मिश्रण ठंडा होने से पहले ही आप इसे मिला लें।
जब मिश्रण इतना गरम रह जाए कि आप इसे हाथ से छू सकें, तब इसे एक बार हाथ से भी अच्छी तरह मिक्स कर लीजिए।
अब आपको फटाफट लड्डू बनाना है क्योंकि अगर मिश्रण ठंडा हो गया तो लड्डू बनाना मुश्किल हो जाएगा।
दोनों हाथ से लड्डू बनाने की कोशिश करें इससे ये मिश्रण के गर्म रहते ही
खाना खजाना / शौर्यपथ / नवरात्रि व्रत के दौरान कुछ लोग नौ दिन का व्रत रखते हैं, ऐसे में फलाहार से शरीर में कमजोरी आ सकती है। कोरोना महामारी के दौरान खाना-पीना छोड़ना परेशानी का कारण बन सकता है, ऐसे में आप व्रत के दौरान कुछ रेसिपी ट्राई कर सकते हैं। आइए, आज जानते हैं व्रत के लिए स्पेशल उत्तपम की रेसिपी-
सामग्री-
एक कप स्वांग के चावल
एक चम्मच जीरा
एक टमाटर
एक हरी मिर्च
आधा कप कटा हुए धनिए की पत्तियां
सेंधा नमक
पानी
विधि-
व्रत वाले चावल का आटा, जीरा, धनिए की पत्तियां, सेंधा नमक और पानी डालकर सबका एक मिक्सचर डालें।
तवा गर्म करके उसपर थोड़ा तेल फैलाएं।
अगर मिक्सचर ज्यादा ना फैले, तो उसे जबरदस्ती फैलाने की कोशिश ना करें।
जैसे ही मिक्सचर फैलाएं वैसे ही उस पर टमाटर और मिर्च डाल दें।
थोड़ा सा तेल उत्तपम के साइड और ऊपर छिडकें।
जब नीचे की तरफ से पक जाए तो दूसरे और से पकाएं।
जब टमाटर हल्का भूरा होने लगें तब उसे फिर पलट दें।
इसके बाद आपके उत्तपम हरी चटनी या नारियल की चटनी के साथ सर्व कर सकते हैं।
खाना खजाना / शौर्यपथ / नवरात्रि व्रत के दौरान कुछ लोग नौ दिन का व्रत रखते हैं, ऐसे में फलाहार से शरीर में कमजोरी आ सकती है। कोरोना महामारी के दौरान खाना-पीना छोड़ना परेशानी का कारण बन सकता है, ऐसे में आप व्रत के दौरान कुछ रेसिपी ट्राई कर सकते हैं। आइए, आज जानते हैं व्रत के लिए स्पेशल उत्तपम की रेसिपी-
सामग्री-
एक कप स्वांग के चावल
एक चम्मच जीरा
एक टमाटर
एक हरी मिर्च
आधा कप कटा हुए धनिए की पत्तियां
सेंधा नमक
पानी
विधि-
व्रत वाले चावल का आटा, जीरा, धनिए की पत्तियां, सेंधा नमक और पानी डालकर सबका एक मिक्सचर डालें।
तवा गर्म करके उसपर थोड़ा तेल फैलाएं।
अगर मिक्सचर ज्यादा ना फैले, तो उसे जबरदस्ती फैलाने की कोशिश ना करें।
जैसे ही मिक्सचर फैलाएं वैसे ही उस पर टमाटर और मिर्च डाल दें।
थोड़ा सा तेल उत्तपम के साइड और ऊपर छिडकें।
जब नीचे की तरफ से पक जाए तो दूसरे और से पकाएं।
जब टमाटर हल्का भूरा होने लगें तब उसे फिर पलट दें।
इसके बाद आपके उत्तपम हरी चटनी या नारियल की चटनी के साथ सर्व कर सकते हैं।
धर्म संसार /शौर्यपथ /मां भगवती को पूजने ,मनाने, एवं शुभ कृपा प्राप्त करने का सबसे उत्तम समय आश्विन शुक्ल पक्ष में प्रतिपदा से नवमी तक होता है। आश्विन मास में पड़ने वाले इस नवरात्र को शारदीय नवरात्र कहा जाता है। इस नवरात्र की विशेषता है कि हम घरों में कलश स्थापना के साथ-साथ पूजा पंडालों में भी स्थापित करके मां भगवती की आराधना करते हैं।
उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक ज्योतिर्विद पं दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली ने बताया कि इस शारदीय नवरात्र आश्विन शुक्ल पक्ष की उदय कालिक प्रतिपदा तिथि 17 अक्टूबर दिन शनिवार से शुरू हो रहे हैं । प्रतिपदा तिथि को माता के प्रथम स्वरूप शैल पुत्री के साथ ही कलश स्थापना के लिए भी अति महत्त्वपूर्ण दिन होता है। कलश स्थापना या कोई भी शुभ कार्य शुभ समय एवं तिथि में किया जाना उत्तम होता है। इसलिए इस दिन कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त पर विचार किया जाना अत्यावश्यक है।
अभिजीत मुहूर्त सभी शुभ कार्यों के लिए अति उत्तम होता है। जो मध्यान्ह 11:36 से 12:24 तक होगा।
चूंकि चित्रा नक्षत्र में कलश स्थापना प्रशस्त नहीं माना गया है। अतः चित्रा नक्षत्र की समाप्ति दिन में 2:20 बजे के बाद किया जा सकेगा।
स्थिर लग्न कुम्भ दोपहर 2:30 से 3:55 तक होगा साथ ही शुभ चौघड़िया भी इस समय प्राप्त होगी अतः यह अवधि कलश स्थापना हेतु अतिउत्तम है।
दूसरा स्थिर लग्न वृष रात में 07:06 से 09:02 बजे तक होगा परंतु चौघड़िया 07:30 तक ही शुभ है अतः 07:08 से 07:30 बजे के बीच मे कलश स्थापना किया जा सकता है।
शौर्यपथ / दशहरा का त्योहार पूरे देश में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है। दशहरा हर साल अश्विन मास की दशमी तिथि को मनाया जाता है। दशहरा को विजयादशमी के नाम से भी जानते हैं। विजयादशमी के दिन रावण फूंकने की भी परंपरा है। पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने लंकापति रावण का वध किया था। भगवान राम के रावण पर विजय प्राप्त करने के कारण ही इस दिन को विजयादशमी कहा जाता है। इसके अलावा इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का भी वध किया था। हालांकि इस साल दशहरा की तारीख को लेकर लोगों के बीच कंफ्यूजन है। ऐसे में जानिए दशहरा 2020 की सही तारीख और शुभ मुहूर्त-
जानिए कब है दशहरा-
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल दशहरा का त्योहार 25 अक्टूबर को मनाया जाएगा। दशहरा, दिवाली से ठीक 20 दिन पहले मनाया जाता है। हालांकि इस साल नवरात्रि 9 दिन के न होकर 8 दिन में ही समाप्त हो रहे हैं। इसके पीछे का कारण है- अष्टमी और नवमी का एक ही दिन पड़ना। 24 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 58 मिनट तक ही अष्टमी है, उसके बाद नवमी लग जाएगी।
शुभ मुहूर्त-
दशमी तिथि प्रारंभ - 25 अक्टूबर को सुबह 07:41 मिनट से
विजय मुहूर्त - दोपहर 01:55 मिनट से 02 बजकर 40 तक।
अपराह्न पूजा मुहूर्त - 01:11 मिनट से 03:24 मिनट तक।
दशमी तिथि समाप्त - 26 अक्टूबर को सुबह 08:59 मिनट तक रहेगी।
शौर्यपथ / समझिए मूड और फूड का कनैक्शन
हम कैसा अनुभव कर रहे हैं कि हमारे शरीर के रासायनिक पदार्थ, हार्मोन्स एवं न्यूरोट्रांसमिटर्स यह सब तय करते हैं। जिससे हमारी भावनाएं गहराई तक प्रभावित होती हैं। हार्मोन्स हमारे पूरे शरीर पर प्रभाव डालते हैं। जब हम अपने मानसिक स्वास्थ्य यानी मेंटल हेल्थ की बात करते हैं, तो तीन मुख्य न्यूरोट्रांसमीटर्स की महत्वपूर्ण भूमिका होती है- सेरोटोनिन, एंडोर्फिन और डोपामाइन।
सेरोटोनिन मूड बूस्टर का काम करता है और मस्तिष्क को रिलेक्स रखता है। इसे हैप्पी हार्मोन के नाम से भी जाना जाता है। डोपामाइन प्लेज़र हार्मोन्स का काम करता है और एंडोर्फिन हमें खुश रखने, चिड़चिड़ापन व डिप्रेशन से बचाने में मदद करता है।
खानपान की आदतों से जन्मी हैं लाइफस्टाइल डिजीज
जिस तरह से लोगो की जीवनशैली बदल रही है, उसने लोगों की खानपान की आदतों को भी बदल दिया है। लोग आजकल फास्ट फूड्स, जंक फूड्स की तरफ ज्यादा आकर्षित होते हैं। उन्हे घर में बना भोजन पसंद नहीं आता। कभी-कभी समय के अभाव में भी लोग बाहर स्ट्रीट फूड्स या रेस्तरां मे खाना ज्यादा पसंद करते है या बाहर से खाना घर पर ऑर्डर कर लेते हैं। भोजन समय पर न करना, मील स्किप करना, भोजन मे अनियमितता ये सब लाइफस्टाइल डिजीज का कारण हैं।
हमारी फूड हैबिट्स और चॉइसेस हमारे शारीरिक स्वास्थ्य तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ये हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डालती है। हम जैसा आहार ग्रहण करते हैं हमारा मानसिक स्वास्थ्य या मूड भी वैसा ही होता है। इसलिए कहा जाता है कि यदि हम अच्छा और पौष्टिक भोजन खाएंगे, तो हम अच्छा सोचेंगे, खुश रहेंगे।
स्वास्थ्य पर होता है इनका खतरनाक प्रभाव
अनहेल्थी फूड्स खाने से लोगों को पेट संबंधी समस्या तो होती ही है। साथ ही ये ब्लड शुगर मे उतार- चढ़ाव और हार्मोन्स असंतुलन जैसी समस्याओं का भी कारण होते हैं।
रोड के किनारे मिलने वाले फास्ट फूड्स, आमतौर पर अनहाईजेनिक और अनहेल्थी होते हैं। इन्हें खाने से हमें स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं होती हैं और मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर होता है। इन फूड्स में रिफाइंड प्रोडक्ट्स, खराब क्वालिटी का तेल, प्रतिबंधित फूड कलर्स आदि का इस्तेमाल किया जाता है। जो कि सस्ते दामों में आसानी से मिल जाते हैं, लेकिन स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक होते हैं। बार-बार एक ही तेल को लंबे समय तक इस्तेमाल करना भी सेहत के लिए हानिकारक होता है।
इस तरह के फूड्स का लगातार सेवन करने से हमारे शरीर का हॉर्मोनल संतुलन बिगड़ जाता है और हमारा मस्तिष्क भी रिलेक्स नहीं रह पता। ऐसे फूड्स को खाने के बाद चिड़चिड़ापन, आलस, थकान, मूड स्विंग्स जैसी समस्याएं होने लगती हैं।
इसके साथ ही शरीर मे इंफ्लेमेशन, नींद न आना भी आम बात है, क्योंकि इनमें पौष्टिक तत्व न के बराबर पाया जाता है।
वहीं पौष्टिक तत्वों से भरपूर भोजन हमारे शरीर एवं मस्तिष्क में हैप्पी हार्मोन्स एवम न्यूरोट्रांसमीटर्स को बनाने एवं उनको स्रावित करने मे मदद करता है। ये हार्मोन्स भरपूर नींद लेने में और इनफ्लेमेशन को कम करने मे मदद करते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखना है, तो इन बातों का रखें ध्यान
स्वस्थ आहार लें
अपनी डाइट में साबुत अनाज, दालें, दूध एवं उससे बने पदार्थ, प्रोबायोटिक्स, प्रीबायोटिक्स, ताजे फल एवं सब्जी जैसे- केला, बेरीज़, पालक, शिमला मिर्च, फैटी फिश, अंडा, नट्स एवं सीड्स जैसे- अखरोट, बादाम, पीनट्स, पंपकिन सीड्स, सूरजमुखी के बीज, फ्लैक्सीड्स इत्यादि का सेवन करना चाहिए।
आदतों में सुधार लाएं
डार्क चॉकलेट भी मूड और ब्रेन को रिलेक्स करने मे मदद करती है, लेकिन इसे सीमित मात्रा में लेना चाहिए।
मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा रखने के लिए उत्तम एवं पौष्टिक आहार लें, भरपूर नींद लें, अपने परिवार के साथ ज्यादा से ज्यादा वक़्त बिताएं, रिलेक्सिंग म्यूज़िक सुनें। जिससे आपका मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहे।
चलते-चलते
नियमित रूप से व्यायाम, योगा या मेडिटेशन करें, क्योंकि व्यायाम के दौरान हमारे मस्तिष्क में एंडोर्फिन और सेरोटोनिन हार्मोन रिलीज़ होते हैं। शोध में भी यह पाया गया है कि जो लोग नियमित रूप से व्यायाम करते हैं, उनका मानसिक स्वास्थ्य उन लोगों की तुलना में ज्यादा संतुलित और अच्छा होता है, जो लोग व्यायाम नहीं करते। स्ट्रीट फूड्स और बाहर का अनहेल्थी खाना खाने से बचें।
सेहत / शौर्यपथ / अगर आप धूम्रपान से तौबा करने का मन बना रहे हैं तो यह सोचकर कदम पीछे मत खींचिए कि अब बहुत देर हो चुकी है। वर्जीनिया कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी के हालिया अध्ययन की मानें तो आखिरी सिगरेट सुलगाने के 20 मिनट के भीतर ही मानव शरीर तंबाकू के दुष्प्रभावों से उबरने की प्रक्रिया शुरू कर देता है। 15 साल बीतते-बीतते व्यक्ति में हार्ट अटैक से मौत का खतरा उन्हीं लोगों के बराबर हो जाता है, जिन्होंने जीवन में कभी सिगरेट को हाथ तक नहीं लगाया।
मुख्य शोधकर्ता रेशल बी हायेस के मुताबिक व्यक्ति कितनी लंबी अवधि से सिगरेट की लत का शिकार है, यह मायने नहीं रखता। जैसे ही वह धूम्रपान से तौबा कर लेता है, हृदय से लेकर फेफड़ों तक पर उसका सकारात्मक असर दिखना शुरू हो जाता है।
हायेस ने दावा किया कि आखिरी सिगरेट के सेवन के 20 मिनट बाद ही रक्तचाप और हृदयगति सामान्य होने लगती है। दोनों ही चीजों का बढ़ना हार्ट अटैक और स्ट्रोक से असामयिक मौत का सबब बन सकता है। उन्होंने बताया कि सिगरेट छोड़ने पर स्ट्रेस हार्मोन ‘कॉर्टिसोल’ के स्तर में भी कमी आने लगती है। इससे व्यक्ति को न सिर्फ डिप्रेशन, बल्कि अनिद्रा की समस्या पर भी काबू पाने में मदद मिलती है।
कब क्या असर
दो घंटे बाद
-सिगरेट का धुआं नसों में सिकुड़न का सबब बनता है, इससे हाथ-पैर में पर्याप्त मात्रा में खून का प्रवाह नहीं होता और वे ठंडे या सुन्न पड़े रहते हैं।
-हायेस के अनुसार धूम्रपान छोड़ने के दो घंटे बाद शरीर के विभिन्न अंगों में खून का बहाव सुचारु हो जाता है और वे सामान्य रूप से काम करने लगते हैं।
12 घंटे बाद
-धूम्रपान से दूरी बनाने के 12 घंटे के बाद खून में कॉर्बन मोनोऑक्साइड के स्तर में कमी आने लगती है, यह गैस हृदय सहित अन्य अंगों में ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित करती है।
-व्यक्ति को सिरदर्द, मिचली, एकाग्रता में कमी, झुंझलाहट और आंखों के सामने धुंधलापन छाने की शिकायत भी सता सकती है, अंगों के खराब होने का जोखिम भी बना रहता है।
24 घंटे बाद
-रक्त प्रवाह, हृदयगति, ब्लड प्रेशर का स्तर सुधरने से हृदय सामान्य रूप से काम करने लगता है और हार्ट अटैक से मौत के खतरे में आने लगती है।
-हालांकि, इस दौरान खांसी की समस्या बढ़ सकती है क्योंकि शरीर फेफड़ों में जमे कफ को बाहर निकालने की प्रक्रिया को तेज कर देता है।
48 घंटे बाद
-नाक और मुंह की निष्क्रिय नसों के एक बार फिर सक्रिय हो जाने से व्यक्ति की स्वाद और गंध महसूस करने की क्षमता लौट आती है।
-हालांकि, यह समय संयम बनाए रखने के लिहाज से बेहद अहम है क्योंकि खून में निकोटीन का स्तर गिरने से सिगरेट की तलब बढ़ जाती है।
72 घंटे बाद
-फेफड़ों में सूजन घटने से श्वासगति में सुधार आता है, श्वासनली भी खुलना शुरू हो जाती है।
-कफ और कीटाणुओं को श्वासनली में जमने से रोकने वाले ‘सीलिया’ भी दोबारा पनपने लगते हैं।
एक हफ्ते बाद
-निकोटीन की तलब शांत होने लगती है, कफ का उत्पादन घटने और ‘सीलिया’ के सक्रिय होने से खांसी की समस्या से भी निजात मिलती है।
एक महीने बाद
-फेफड़ों की कार्य क्षमता में 30 फीसदी तक का सुधार आता है, चलने-फिरने, सीढ़ियां चढ़ने या कसरत करने के दौरान सांस जल्दी नहीं फूलती।
एक साल बाद
-धूम्रपान करने वाले लोगों के मुकाबले हार्ट अटैक से जान जाने का जोखिम 50 फीसदी तक घट जाता है, सर्दी-जुकाम, खांसी के प्रति संवेदनशीलता भी घटती है।
दस साल बाद
-फेफड़ा रोगों का शिकार होने की आशंका आधी रह जाती है, नसें खुलने के साथ ही खून के खक्के जमने के खतरे में उल्लेखनीय कमी आती है।
15 साल बाद
-हायेस ने बताया कि सिगरेट छोड़ने के 15 साल बाद व्यक्ति के हार्ट अटैक या दिल की बीमारियों से दम तोड़ने का खतरा धूम्रपान करने वालों के बराबर हो जाता है।
खतरनाक
-तंबाकू दुनियाभर में हर साल 81.2 लाख लोगों की जान लेता है।
-70 लाख मौतें इनमें से तंबाकू का सीधे इस्तेमाल करने से होती हैं।
-12 लाख मासूम सिगरेट के धुएं के संपर्क में आकर दम तोड़ देते हैं।
-80% तंबाकू की लत के शिकार लोग गरीब-विकासशील देशों में रहते हैं।
लाइफस्टाइल / शौर्यपथ / सर्दी युवाओं के दिल को ज्यादा भाती है। उन्हें गर्मी या बारिश के मुकाबले ठंड की दस्तक का अधिक बेसब्री से इंतजार होता है। अमेरिका में ‘वनपोल’ की ओर से दो हजार युवाओं पर की गई रायशुमारी तो कुछ यही बयां करती है।
सर्वे में शामिल 56 फीसदी प्रतिभागियों ने ठंडी हवा के झोंके से तन-मन में नई ऊर्जा का संचार होने की बात कही। 51 फीसदी ने बताया कि पत्तियों के रंग बदलने से उत्पन्न दिलकश नजारे उन्हें ‘फील गुड’ कराते हैं।
44 प्रतिशत प्रतिभागियों को सर्दियां इसलिए भाती हैं क्योंकि उन्हें चाय-कॉफी और हॉट चॉकलेट के सेवन के बहाने नहीं ढूंढने पड़ते। 42 फीसदी को सूप और तैलीय पकवानों के सेवन का मौसम आने के चलते खुशी महसूस होती है। फीसदी प्रतिभागी क्रिसमस, हैलोविन और थैंक्स-गिविंग जैसे पर्वों के चलते सर्दियों की बाट जोहते हैं। 35 फीसदी को रंग-बिरंगे स्वेटर तो 29 फीसदी को बूट पहनने के लिए ठंड का इंतजार होता है।
हालांकि, सर्वे में यह भी देखा गया कि कोरोना संक्रमण के डर के चलते इस बार 68 फीसदी प्रतिभागी घर में ही सर्दियां बिताने की सोच रहे हैं। 31 फीसदी ने क्रिसमस और हैलोविन के जश्न से दूर रहने का फैसला किया है।
शौर्यपथ / विश्व हैंड वॉश दिवस: कोरोना से बचना है तो बार-बार अपने हाथों को धोएं आज विश्व हैंड वॉश दिवस है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य यही है कि लोगों को हाथ धोने के महत्त्व के बारे में जागरूक किया जा सके। चूंकि हाथ धोने और निरंतर हाथों की सफाई बनाए रखने से बहुत सी बीमारियों से बचा जा सकता है इसलिए हाथ धोने के महत्त्व को सभी को जानना जरूरी है। आज पूरी दुनिया कोरोना वायरस की चपेट में आ चुकी है। कोरोना वायरस की कोई दवा या वैक्सीन ना होने की वजह से बचाव ही रोकथाम माना जा रहा है। मास्क पहनने के साथ ही हाथ धोना कोरोना से बचने का कारगर उपाय है। इस साल की थीम है- "हाथों की सफाई सभी के लिए (हैंड हाईजीन फॉर ऑल)।"
आज के समय में बहुत से डॉक्टरों का मानना है कि सैनिटाइजर की तुलना में साबुन का इस्तेमाल करना कहीं बेहतर है। वर्तमान में वायरस से निपटने और उसके बाद भी साबुन से हाथ धोना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। कोविड-19 ने हमें अपने स्वास्थ की सुरक्षा के लिए सचेत रहना सिखा दिया है। आने वाले वक्त में हमें इस आदत को ऐसे ही बनाए रखना है।
सैनिटाइजर से बेहतर है साबुन
ज्यादातर डॉक्टरों की सलाह यही है कि सैनिटाइजर का प्रयोग आवश्यकता पड़ने पर ही करें। 20 सेकेन्ड तक साबुन से हाथ धोना आपको अनगिनत बीमारियों से बचा सकता है। हाथ गंदे होने पर सैनिटाइजर से हाथों की त्वचा खराब होने का खतरा बढ़ जाता है। त्वचा पर पड़ने वाली दरारों से वायरस के शरीर में प्रवेश करने की संभावना भी बढ़ जाती है। डॉक्टरों का कहना है कि जहां तक संभव हो साबुन और पानी का ही प्रयोग करें। यदि साबुन नहीं है तो ही सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें।
कोरोना के दौर में बढ़ गयी है सैनिटाइजर की मांग
कोरोना नायरस के फैलने के बाद से ही सैनिटाइजर की मांग में गगनचुंबी इजाफा हुआ है। लोग ज्यादा से ज्यादा और अलग-अलग प्रकार के सैनिटाइजर खरीद रहे हैं। प्लास्टिक के छोटे डिब्बों में पैक होने की वजह से हैंड सैनिटाइजर को कैरी करना बहुत आसान है। एक ओर जहां सैनिटाइजर कुछ खास स्थितियों में ही काम आ सकते हैं वहीं दूसरी ओर तेल, ग्रीस आदि को निकालने में यह साबुन जितने कारगर नही हैं। सैनिटाइजर खरीदते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। जैसे-
1. 70 प्रतिशत से अधिक अत्कोहल वाले सैनिटाइजर ही खरीदें। यह वायरस को खत्म करने में ज्यादा प्रभावशाली है।
2. बाजार में बिकने वाले अल्कोहल फ्री सैनिटाइजर न खरीदें। वे वायरस का खात्मा करने में सक्षम नही हैं।
इस वक्त बाजार में तरह-तरह के उत्पाद उपल्बध हैं। ऐसे में लोगों को लगता है कि हाथ धोना उतना प्रभावी नहीं है। आज विश्व हैंड वॉशिंग डे पर ज्यादा से ज्यादा लोगों को हाथ धोने के महत्त्व के बारे में जागरूक कीजिए ताकि कोरोना वायरस से लड़ाई कुछ आसान हो जाए। साथ ही अपने हाथों की त्वचा का ख्याल रखने के लिए उन पर क्रीम लगाते रहें।
खाना खजाना / शौर्यपथ / कबाब के शौकीन लोग नवरात्रि व्रत में भी ले सकते हैं स्वादिष्ट वेज कबाब का मजा। आपने मटर और दही के कबाब तो बहुत खाएं होंगे लेकिन क्या आपने कभी केले के कबाब का स्वाद भी चखा है। यकीन मानिए इसका स्वाद चखने वाले फिर किसी कबाब को चखना पसंद नहीं करते। तो आइए जानते हैं कैसे बनाया जाता है केला-ए- कबाब।
केला-ए- कबाब बनाने के लिए सामग्री-
-250 ग्राम (छीलकर कटे हुए) कच्चे केले
-1 बड़ी इलायची
-¼ कप कूटू का आटा
-2 टी स्पून सेंधा नमक
-2 छोटे चम्मच भुने हुए और पाउडर के रूप में कुटे हुए) धनिया के बीज़
-1/2 टी स्पून मिर्च पाउडर
-2 टी स्पून नींबू का रस
-एक कटी हुई हरी मिर्च
-2 टेबल स्पून धनिया कटा हुआ
-देसी घी
-ऊपर से लगाने के लिए कूटू का आटा
केला-ए- कबाब बनाने का तरीका-
केला-ए- कबाब बनाने के लिए सबसे पहले केले, अदरक और इलायची को भाप में थोड़ा पका लें। केले के मुलायम होने पर इन्हें ठंडा होने के लिए अलग रख दें। केले के ठंडा होने पर इसे मैश करके बाकी सामग्री के साथ मिला लें। अब इस मिश्रण को आटे की तरह गूंथकर लंबी गोल रोड्स तैयार करें। इसके ऊपर अब कूटू का आटा लगाएं। पैन में घी गर्म करके हल्की आंच पर इन्हें फ्राई कर लें। दोनों तरफ से हल्के भूरे रंग का होने पर इन्हें गर्मागर्म सर्व करें।