June 22, 2025
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सेहत /शौर्यपथ / घर में बंद-बंद काम करने को मजबूर कर्मचारियों को अब पब के डेस्क से काम करने की सुविधा मिलेगी। दक्षिण वेल्स में न्यूपोर्ट के पास स्थित द फार्मर आर्म्स इन ग्लोडक्लिफ कर्मचारियों को तीन घंटे के लिए डेस्क की बुकिंग करने की सुविधा दे रही है।
तीन घंटे के लिए पब की टेबल को किराया पर लेने के लिए 10 पाउंड (लगभग 1000 रुपये) तक खर्च करना पड़ेगा। इस पब टेबल में काम करने के लिए वाई-फाई और बिजली का कनेक्शन के अलावा असीमित चाय, कॉफी और सैंडविच भी मिलेगा। यह पब कर्मचारियों को सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए लोगों से बातचीत करने का भी अवसर देगा।
पब के मालिक क्रेग लीथ ने कहा, यह अच्छा विचार है। लोग अपने घरों में बंद-बंद बोर हो गए हैं। इसके उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है। हमें बुकिंग के लिए लोगों से अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है।
यहां मंगलवार से लेकर शुक्रवार तक के लिए टेबल बुकिंग की सुविधा मिलेगी। सोशल मीडिया पर विज्ञापन देने के बाद लोगों के प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। ज्यादातर लोगों ने इसे अच्छा विचार बताया और कहा कि वे जरूर यहां जाना चाहेंगे।

सेहत / शौर्यपथ / इंसान के पूर्वजों में भूख से बचने के लिए उच्च कैलोरी वाला खाना संघूने की क्षमता थी। इसी क्षमता के कारण वर्तमान में हमें फास्टफूड को जल्दी सूंघ लेते हैं और याद रखते हैं। नीदरलैंड के शोधकर्ताओं ने पाया कि शोध में मौजूद प्रतिभागियों को उच्च कैलोरी वाले फास्टफूड का स्थान कम कैलोरी वाले खाने की तुलना में ज्यादा याद था।
वैगेनइंगेन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की टीम ने 512 प्रतिभागियों पर अध्ययन किया। इन्हें एक निर्धारित पथ पर जाने को कहा गया जहां कई सारे कमरे मौजूद थे। इन कमरों में आठ तरह के खाद्य पदार्थ रखे हुए थे जिनमें से खुशबू आ रही थी। जब प्रतिभागी इन खाद्य पदार्थों के नमूनों तक पहुंचे तो उन्होंने या तो खाया या सिर्फ सूंघा। इसके बाद उन्होंने अपनी पसंद के आधार पर खाद्य पदार्थों को रेटिंग दी। इन नमूनों में सेब, चिप्स, खीरा और चॉकलेट ब्राउनी मौजूद था।
शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रतिभागियों को वो कमरे ज्यादा याद रहें जिनमें उच्च कैलोरी वाला फास्ट फूड मौजूद था। कम कैलोरी वाले खाने की तुलना में प्रतिभागियों को उच्च कैलोरी वाले खाने के स्थान 27 फीसदी तक ज्यादा याद रही। फास्टफूड को सूंघने की क्षमता पर खाने के मीठे या नमकीन होने से कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
शोधकर्ताओं ने कहा, हमने देखा की प्रतिभागियों को वे स्थान ज्यादा याद रहें जहां उच्च कैलोरी वाले खाद्य पदार्थ मौजूद थे। इससे पता चलता है कि इनसानों को उच्च कैलोरी वाले खाने की खुशबू ज्यादा आकर्षित करती है। इस शोध से यह भी खुलासा होता है कि प्राचीन समय से ही इनसान उच्च कैलोरी वाले खाने के लिए लालायित रहा है। इस शोध को पत्रिका साइंटिफिक रिपोर्ट में प्रकाशित किया गया है।

लाइफस्टाइल / शौर्यपथ / संगीत एक कला ही नहीं बल्कि एक भाव भी है। ज्यादातर लोग इस बारे में नहीं जानते कि कुछ छोटी-छोटी चीजें हमें मानसिक रूप से शांत रखती हैं, जिनकी वजह से तनाव, गुस्सा या फिर डर जैसे इमोशन्स हम पर हावी नहीं हो पाते। म्यूजिक भी इन्हीं चीजों में से एक है। रात के समय नींद न आने पर आप कोई ग़जल या मेलोडी सॉन्ग सुनते हैं, तो आपको नींद आने के आसार काफी बढ़ जाते हैं। साथ ही सुकून से सोने और तनाव से मुक्ति के लिए भी म्यूजिक को अपने जीवन का हिस्सा जरूर बनाना चाहिए। आज ‘वर्ल्ड मेंटल हेल्थ’ डे है। साथ ही आज करोड़ों दिलों पर राज करने वाले गायक जगजीत सिंह की पुण्यतिथि भी है। आइए, हम आपको बताते हैं, जगजीत सिंह के ऐसे गाने जो आपको भागती-दौड़ती जिंदगी में सुकून पल देंगे।
तुमको देखा तो ये ख्याल आया
रेट्रो सॉन्ग के दीवानों के लिए यह गाना किसी बोनस से कम नहीं है। 1982 में रिलीज हुई फिल्म ‘साथ-साथ’ का यह गाना आज भी उतना ही सुना जाता है, जितना कि 80 के दशक में सुना जाता होगा। रात में धीमी आवाज में चलते इस गाने का जादू समा बांध देता है।
वो कागज की कश्ती, वो बारिश का पानी (आज, 1987)
बचपन के दिनों को याद दिलाते हुए जिंदगी की गहराई में उतर जाने वाला गाना। आप अगर किसी बात को लेकर तनाव में हैं या आपका मूड खराब है, तो आप इस गाने को सुनकर मुस्कुरा सकते हैं।
होश वालों को खबर का बेखुदी क्या चीज है (सरफरोश, 1999)
आपके पार्टनर से लड़ाई हो गई है या फिर आप सिंगल ही क्यों न हो। यह गाना आपका मूड खुशनुमा कर देगा। धीमी आवाज में गुनगुनाकर इस गाने का मजा लें।
यह तेरा घर, यह मेरा घर (साथ-साथ, 1982)
जगजीत सिंह की खूबसूरत अंदाज के साथ जब सुरीला संगीत मिल जाता है, तो तनाव मिटाने वाला यह खुशनुमा गाना जन्म लेता है। आप गुनगुनाते हुए अपने पार्टनर का मूड इस गाने के साथ ठीक कर सकते हैं।
बड़ी नाजुक है, यह मंजिल (जॉगर्स पार्क, 2003)
बेहतरीन नगमा जिसे सुनकर आप खुद गुनगुनाने लगेंगे। आपकी थकान को उतार देने वाला यह गाना कुछ पलों के लिए आपको एक ‘ड्रीम वर्ल्ड’ में लेकर चला जाएगा।
आपके लिए खास-
मानसिक स्वास्थय का ध्यान रखना एक दिन का टॉस्क नहीं, बल्कि यह एक प्रक्रिया है। रोजाना की कई छोटी-छोटी बातें आपके दिमाग पर असर डालती हैं, इसलिए कोशिश करें कि आप हर परिस्थिति में खुश रहें और किसी भी बात को खुद पर हावी न होने दें। खुद को रिलेक्स करने के लिए रोजाना अपनी पसंद के गाने जरूर सुनें।

धर्म संसार / शौर्यपथ / ज्योतिष में भगवान शिव की पूजा-अर्चना को चंद्रमा से जुड़े सभी दोषों या नकारात्मक योग से मुक्ति के लिए बहुत ही शुभ और रामबाण उपाय माना गया है। इसमें भी विशेष रूप से शिवलिंग का अभिषेक करना श्रेष्ठ और शीघ्र परिणाम देने वाला होता है। ज्योतिषाचार्य विभोर इंदुसुत के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा नीच राशि में हो, चंद्रमा-राहु की युति से चंद्रग्रहण योग बना हो, चंद्रमा-सूर्य की युति से अमावस्या योग बना हो, चंद्रमा-शनि की युति से विष योग बना हो, केमद्रुम योग बना हो या फिर कालसर्प यो, इन सभी दोषाों या नकारात्मक योग से व्यक्ति के जीवन में विशेष से मानसिक अशांति हमेशा बनी रहती है। मन कभी स्थिर नहीं हो पाता और व्यक्ति हमेशा नकारात्मक विचारों एवं अवसाद में डूबा रहता है। ऐसे लोगों के जीवन में संघर्ष एवं बाधाएं भी आती रहती हैं जिससे जीवन में उथल-पुथल बनी रहती है। ऐसा व्यक्ति मानसिक रूप से हमेशा परेशान ही रहता है।
अगर कुंडली में ये छह योग बने हों तो प्रतिदिन शिवलिंग का अभिषेक करने से इनका दुष्परिणाम क्षीण हो जाता है। इससे व्यक्ति बुरे परिणामों से बच जाता है। उसके जीवन में स्थिरता और शांति आने लगती है। विभोर इंदुसुत के मुताबिक जिन लोगों की कुंडली में ये योग बन रहे हों तो उन्हें भगवान शिव का प्रतिदिन अभिषेक अवश्य करना चाहिए। ऐसे लोग अपने घर में भी एक छोटा शिवलिंग रखते हुए उसका रोज अभिषेक कर सकते हैं। भगवान शिव के अभिषेक से चंद्रमा मजबूत होता है। चंद्रमा जल एवं दूध दोनों का कारक है। इसलिए जल और धूल के मिश्रण से भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। जिन लोगों को तनाव, मानसिक अशांति, घबराहट, एकाग्रता की कमी और नकारात्मक विचारों की समस्या हो उनके लिए यह उपाय रामाबाण सिद्ध होता है।

शौर्यपथ / अस्पताल में भर्ती रहे कोरोना संक्रमण के गंभीर मरीज अब मानसिक अस्थिरता से जूझने लगे हैं। शिकागो के नॉर्थ-वेस्टर्न विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक अध्ययन से पता लगा कि चालीस प्रतिशत गंभीर मरीजों के मस्तिष्क पर वायरस इतना गहरा असर कर रहा है कि वे मानसिक भ्रम से लेकर कोमा तक के खतरों जूझ रहे हैं।
कई वैज्ञानिक अध्ययनों से यह सिद्ध हो चुका है कि कोविड-19 का वायरस सिर्फ श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारी नहीं है बल्कि यह शरीर के सबसे महत्वपूर्ण हिस्से यानी मस्तिष्क समेत कई महत्वपूर्ण अंगों को क्षति पहुंचाता है। इसी क्रम में ताजा अध्ययन बताता है कि अस्पताल में भर्ती रहे एक-तिहाई संक्रमित मरीजों के मस्तिष्क में एन्सेफैलोपैथी बीमारी विकसित हो जाती है।
इस रोग में मस्तिष्क के उस हिस्से का पतन होने लगता है जिसके जरिए इंसान सोचता और शरीर को काम करने का निर्देश देता है। यह अध्ययन एन्नल्स ऑफ क्लीनिकल एंड ट्रांसजेशनल न्यूरोलॉजी में प्रकाशित हुआ।
कोमा तक का खतरा
नॉर्थ-वेस्टर्न यूनिवर्सिटी में न्यूरोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. इगोर कोरालनिक ने 509 कोविड मरीजों पर अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि 82.3 प्रतिशत मरीजों के मस्तिष्क पर इलाज के दौरान ही न्यूरोलॉजिकल असर दिखने लगता है। 31.8 प्रतिशत मरीजों में एन्सेफैलोपैथी की स्थिति दिखती है जो मरीज में मानसिक भ्रम से लेकर कोमा तक पहुंचा सकती है।
वह कहते हैं कि यह कोविड-19 का सबसे गंभीर न्यूरोलॉजिकल असर है। इसके अलावा 44.8 प्रतिशत मरीज मांसपेशियों का दर्द, 37.7 प्रतिशत मरीज सिरदर्द, 29.7 प्रतिशत मरीज थकावट, 15.9 प्रतिशत मरीज स्वादहीनता व 11.4 प्रतिशत मरीज गंधहीनता महसूस करने लगते हैं।
युवा मरीजों में खतरा ज्यादा
न्यूरोलॉजिकल लक्षणों को देखा जाए तो करीब 45% मरीजों में मांसपेशियों में दर्द, 38% मरीजों में सिरदर्द, करीब 30% मरीजों में चक्कर आने की शिकायत देखी गईं। जबकि, स्वाद या सूंघने की परेशानियों से जूझ रहे मरीजों की संख्या कम थी। स्टडी के मुताबिक, एंसेफेलोपैथी के अलावा युवाओं में न्यूरोलॉजिकल लक्षण होने की संभावना ज्यादा थी।
चीन और स्पेन से ज्यादा मामले
बदली हुई मानसिक स्थिति केवल न्यूरोलॉजिकल परेशानी नहीं है। कुल मिलाकर 82% भर्ती मरीजों में बीमारी के दौरान किसी न किसी मौके पर न्यूरोलॉजिकल लक्षण नजर आए थे। यह दर चीन और स्पेन में ज्यादा है।

खाना खजाना / शौर्यपथ / दक्षिण भारत का लोकप्रिय व्यंजन इडली अपने पौष्टिक गुणों की वजह से आज देशभर में बेहद पसंद किया जाता है। खास बात यह है कि लोग इस टेस्टी व्यंजन को अपना वजन घटाने के लिए भी नाश्ते में शामिल करते हैं। इसमें मौजूद प्रोटीन भूख लगने वाले हार्मोन घ्रेलिन को रेगुलेट करके व्यक्ति को लंबे समय तक तृप्त रखने में मदद करता है। आमतौर पर इडली बनाने के लिए इडली मेकर का इस्तेमाल किया जाता है। अगर आपके पास इडली मेकर मौजूद नहीं है तो भी आप इसे बड़ी आसानी से बिना इडली मेकर के बाजार जैसी इडली घर पर ही बना सकते हैं। जानिए कैसे।
ओट्स दाल इडली बनाने के लिए सामग्री-
-2 कप ओट्स
-500 ग्राम दही
-1 टी स्पून सरसों के दाने
-1 टी स्पून उड़द की दाल
-1/2 टी स्पून चने की दाल
-1/2 टी स्पून तेल
-2 टी स्पून हरी मिर्च, बारीक कटी हुई
-1 कप गाजर, कद्दूकस
- करी पत्ता-3-4 पत्ते
-2 टी स्पून धनिया, बारीक कटा हुआ
-1/2 हल्दी पाउडर
-2 टी स्पून नमक
-एक चुटकी बेकिंग सोडा
ओट्स दाल इडली बनाने का तरीका-
ओट्स दाल इडली बनाने के लिए सबसे पहले एक तवे पर ओट्स को हल्का भूरा होने तक भून लें। अब इन्हें मिक्सर में डालकर ओट्स का पाउडर बना लें। एक पैन में तेल, सरसों के दाने (तड़कने दें), उड़द की दाल और चना दाल को भूरा होने तक भूनें। अब इसमें कटा हुआ हरा धनिया, हरी मिर्च, कद्दूकस की हुई गाजर और हल्दी डालकर एक मिनट चला लें।
अब यह मिश्रण ओट्स पाउडर में नमक, बेकिंग सोडा और दही डालते हुए एक साथ मिलाएं। मिश्रण को बनाने के लिए पानी का इस्तेमाल जरूरत के अनुसार करें। इडली का मिश्रण बनकर तैयार है।
अब कटोरी में तेल लगाकर उसे चिकना कर लें, हर कटोरी में इडली का मिश्रण डालें। अब एक कड़ाही में पानी रखकर उसके ऊपर छन्नी रख दें। छन्नी के ऊपर इडली की कटोरी रखने के बाद कड़ाही को ढ़क दें। 15 मिनट तक इडली को भाप में पकाने के बाद उन्हें प्लेट में निकाल लें और प्याज की चटनी के साथ सर्व करें।

सेहत /शौर्यपथ / ओह् प्यूबिक हेयर! आप चाहें शेव करो या वैक्स या फिर कुछ भी न करो, प्यूबिक हेयर के विषय पर बात करना सभी के लिए जरूरी है। प्यूबिक हेयर रखना या न रखना दोनों ही बिल्कुल सही निर्णय हैं- हालांकि प्यूबिक हेयर होना आपकी वेजाइना के स्वास्थ्य के लिए बेहतर है। लेकिन यह हर महिला की अपनी इच्छा है जिस पर सवाल नहीं उठाया जा सकता।
फिर भी, यह जानना जरूरी है कि इंटिमेट एरिया की देखभाल कैसे करनी है। सिर्फ बाल रखना या ना रखना ही नहीं, सही साफ सफाई, सही वॉश का इस्तेमाल और सबसे जरूरी, क्या इस्तेमाल नहीं करना है- यह जानना भी बहुत जरूरी है।
हम बताते हैं कुछ नियम जिनका पालन करना आपके प्यूबिक हेयर और इंटिमेट एरिया के लिए बहुत जरूरी है।
1. साफ सफाई है सबसे जरूरी
आपकी वेजाइना खुद को साफ कर सकती है, लेकिन आपके प्यूबिक हेयर नहीं। चाहें आप प्यूबिक एरिया के बाल शेव करती हों या ट्रिम करें, पेशाब करते वक्त कुछ बूंदे प्यूबिक हेयर में रह ही जाती हैं। इसलिए जरूरी है कि आप साबुन से रोज अपने प्यूबिक एरिया की सफाई करें।
2. हर बार नए रेजर का इस्तेमाल करें
अगर आप वैक्स के बजाय शेव करना पसंद करती हैं, तो यह नियम आपके लिए जरूरी है। हर बार शेव करने के लिए नए रेजर का इस्तेमाल करें। इससे आपके इंफेक्शन का खतरा कम होगा और फ्रेश रेजर से इनग्रोन हेयर की समस्या भी कम होगी। नया रेजर शार्प होगा तो आपको रेजर बर्न की दिक्कत भी नहीं होगी।
3. बिना झाग के शेव करने की गलती न करें
जिस तरह आप हाथ पैरों के लिए साबुन या शेविंग क्रीम का इस्तेमाल करती हैं, उसी तरह अपने प्यूबिक हेयर को शेव करते वक्त भी करें। शेविंग से पहले साबुन या शेविंग क्रीम से ढेर सारा झाग बना लें। इससे शेव करते वक्त कम फ्रिक्शन होगा और कटने का जोखिम भी कम होगा।
4. खुशबू वाले प्रोडक्ट से दूर रहें
चाहें आपके प्यूबिक हेयर हों या ना हों, कोई भी ऐसा प्रोडक्ट इस्तेमाल न करें जिसमें खुशबू मिलाई गयी हो। खुशबू के लिये इन प्रोडक्ट में खतरनाक केमिकल मिलाए जाते हैं जो आपकी वेजाइना के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं हैं।
अगर आप शेव या वैक्स करती हैं तो आपकी त्वचा और अधिक सेंसिटिव होती है, इसलिए खुशबू वाले प्रोडक्ट से दूर रहें। मॉइस्चराइजर या क्रीम चुनते समय इसका खास ख्याल रखें।
5. टाइट कपड़े न पहनें
यह नियम सबसे जरूरी है। इंटिमेट एरिया की साफ सफाई, मॉइस्चराइजिंग सब बेकार है अगर आपकी वेजाइना सांस ही नहीं ले पा रही। टाइट कपड़े आपके इंटिमेट एरिया में हवा के बहाव को रोकते हैं। इससे नमी अंदर ही रहती है और यीस्ट इन्फेक्शन का खतरा होता है।
कॉटन की अंडरवियर पहनें जिससे हवा पास हो सके। अगर सम्भव हो, तो रात को बिना अंडरवियर का बहुत ढीले शॉर्ट्स पहन कर सोएं।

खानाखाजना / शौर्यपथ / अमृतसरी चिकन मसाला पंजाब की बहुत पॉपुलर डिश है। इसके स्वाद को देखते हुए हर इंडियन रेस्टोरेंट के मेन्यू में यह डिश जरूर शामिल की जाती है। अगर आप भी इस पंजाबी ग्रेवी में बने चिकन का स्वाद चखना चाहते हैं तो ट्राई करें ये रेसिपी।
अमृतसरी चिकन मसाला बनाने के लिए सामग्री-
मैरीनेशन के लिए-
-500 ग्राम चिकन
-2 टी स्पून अदरक-लहसुन का पेस्ट
-3 टेबल स्पून दही
-1 टी स्पून नींबू का रस
-1 टी स्पून सिरका
-1 टी स्पून धनिया पाउडर
-1 टी स्पून जीरा पाउडर
-1 टी स्पून लाल मिर्च पाउडर
-1 टी स्पून नमक
-2 टी स्पून प्याज, टुकड़ों में कटा हुआ
अमृतसरी चिकन मसाला ग्रेवी बनाने के लिए-
-2 टी स्पून मक्खन
-1 टी स्पून लाल मिर्च पाउडर
-1 टी स्पून धनिया पाउडर
-1 टी स्पून जीरा पाउडर
-1 टी स्पून अदरक
-1/2 कप पानी
-1 टी स्पून नमक
-1 हरी मिर्च
-6 टमाटर
-1/2 टी स्पून चीनी
-3 टी स्पून मक्खन
-3 टी स्पून क्रीम
अमृतसरी चिकन मसाला बनाने का आसान तरीका-
चिकन मैरीनेट करने के लिए सबसे पहले एक बड़े बाउल में चिकन लें। इसमें अदरक-लहसुन का पेस्ट, नींबू का रस, सिरका, धनिया पाउडर, जीरा पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, नमक और कटा हुआ प्याज डालें। सभी सामग्री को चिकन के साथ अच्छे से मिलाकर 2 घंटे के लिए अलग रख दें। अब एक पैन में मक्खन डालकर गर्म करें, उसमें लाल मिर्च पाउडर डालकर उसे हल्का सा भून लें। अब इसमें धनिया पाउडर, जीरा पाउडर और कटा हुआ अदरक डालकर अच्छे से भूनकर पानी डालकर मसालों को अच्छे से पकाएं।
अब इसमें नमक, हरी मिर्च, टमाटर और चीनी डालकर अच्छे से मिलाएं। एक दूसरे पैन में मक्खन लें और इसे पैन में चारों तरफ फैला लें।इसमें अब मैरीनेट किया हुआ चिकन डालें।मक्खन के साथ चिकन को अच्छे से भूनें। पैन को ढककर चिकन को पकाएं।पैन का ढक्कन हटाकर देखें की चिकन गोल्डन ब्राउन हो गया है।अब इसे टमाटर की तैयार की गई ग्रेवी को डालकर अच्छे से मिलाएं।दोबारा पैन को ढक दें, चिकन को कुछ देर और पकाएं।ढक्कन हटाएं और ग्रेवी में क्रीम डालें।अच्छे से मिलाएं।अब इसके ऊपर मक्खन, हरा धनिया और हरी मिर्च डालकर गार्निश करें। गर्मागर्म सर्व करें।

लाइफस्टाइल /शौर्यपथ /कहते हैं, हमेशा हंसते-मुस्कराते रहना बीमारियों से बचाव का सबब कारगर जरिया है। हालांकि, ब्रिटेन में हुए एक नए अध्ययन की मानें तो नाचना-गाना भी सेहत के लिए कम फायदेमंद नहीं। इससे वजन नियंत्रित रखने के साथ ही ‘फील गुड’ हार्मोन का स्त्राव बढ़ाने और स्ट्रेस हार्मोन ‘कॉर्टिसोल’ का उत्पादन घटाने में अच्छी-खासी मदद मिलती है।
‘द पोल’ के अध्ययन में दो हजार वयस्क शामिल हुए। इनमें से 80 फीसदी ने डांस को तनाव की छुट्टी करने में बेहद असरदार करार दिया। 75 प्रतिशत ने कहा, टीवी या मोबाइल पर गाना बजाकर नाचने में उन्हें अजब-सी खुशी मिलती है। 50 फीसदी ने माना कि झूमने-नाचने से काम का बोझ ज्यादा महसूस नहीं होता और चिड़चिड़ेपन के एहसास में भी कमी आती है।
मुख्य शोधकर्ता डॉ. पीटर लोवाट के मुताबिक नृत्य न सिर्फ रोजमर्रा के तनाव से ध्यान भटकाता है, बल्कि सोचने का अंदाज भी बदलता है। जब इनसान अलग-अलग मुद्राएं धारण करता है तो सेराटोनिन और डोपामाइन जैसे ‘फील गुड’ हार्मोन ज्यादा मात्रा में पैदा होने लगते हैं। साथ ही ‘ओपियॉएड रिसेप्टर’ भी अधिक सक्रिय हो जाता है और दर्द का एहसास खुद बखुद घटने लगता है। इसके अलावा ‘कॉर्टिसोल’ के उत्पादन में कमी लाने में भी नृत्य की अहम भूमिका पाई गई है।
आलोचना का डर नहीं-
अध्ययन में शामिल 67 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि झूमने-नाचने के लिए उन्हें किसी बहाने की तलाश नहीं होती। 41 प्रतिशत ने माना कि वे डांस में बिल्कुल कच्चे हैं। हालांकि, मजाक या आलोचनाओं का पात्र बनने की चिंता उन्हें नृत्य का लुत्फ उठाने से नहीं रोकती।

शौर्यपथ । सर्वे । अक्सर सेक्स को लेकर कई बातें कही और सुनी जाती है। पिछले साल टीनएजर्स लड़कियों के स्कूल की दिनचर्या और उनके सेक्सुअल रिलेशन के बीच अहम खुलासा हुआ है। इंडियाना यूनिवर्सिटी ने स्कूली छात्राओं पर ये स्टडी किया है। इस स्टडी में स्कूल बंक करना, टेस्ट में फेल होना और बिना कंडोम के सेक्स के बीच संबंध निकाला है। सर्वे में खुली कई बातें: इंड‍ियाना यूनिवर्सिटी में सेक्स पर सर्वे 14 से 17 साल की लड़कियों पर किया गया है। 10 साल में पूरे हुए इस अध्ययन के लिए 387 लड़कियों की डायरियों से रोमांटिक और फिजिकल रिलेशन को लेकर उनके व्यवहार को समझने प्रयास किया गया। स्टडी में शामिल लड़कियां अपने हर छोटे-बड़े व्यवहार को रिसर्चर से साझा करती थीं। लड़कियां स्कूल बंक करती हैं और टेस्ट में फेल होती हैं, ऐसी लड़कियां के स्कूल बंक करने और टेस्ट में फेल होने वाले दिन बिना कंडोम के सेक्स करने के मामले ज्यादा पाए गए हैं। लड़कियों ने यह माना की टेस्ट में फेल होने के बाद वो बिना कंडोम के सेक्स करती है।

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