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नवरात्रि स्पेशल / शौर्यपथ / का उत्सव जल्द शुरू होने वाला है। ऐसे में माता के भक्त मां को प्रसन्न् करने के लिए पूरे नौ दिनों तक उपवास रखते हैं। बता दें, इस बार शारदीय नवरात्रि 17 अक्टूर से शुरू होकर 25 अक्टूबर तक चलेंगे। नवरात्रि का पर्व साल में दो बार मनाया जाता है। ऐसे में अगर आप भी पूरे 9 दिनों तक व्रत रखने वाले हैं तो अपनी डाइट को चुनते समय ध्यान रखें ये जरूरी बातें।
डाइट सही नहीं होने पर व्यक्ति को कमजोरी और थकान महसूस होने लगती है। डाइट चार्ट बनाते समय उन चीजों को जरूर शामिल करें जिसमें आपको प्रोटीन और न्यूट्रिएंट्स की प्रचूर मात्रा मिल सके। ऐसे में आइए जानते हैं नवरात्रि व्रत में सेहतमंद बने रहने के लिए कब किस चीज का करना चाहिए सेवन।
नवरात्रि व्रत में करें इन चीजों का सेवन-
नवरात्रि के दिन ऐसे करें अपने दिन की शरूआत-
नवरात्रि के दिन सुबह ग्रीन टी और खजूर के साथ अपने दिन की शरूआत करें। ऐसा करने से आप सारा दिन फ्रेश महसूस करेंगे।
नाश्ता-
नाश्ते में आप फल और सूखे मेवों का सेवन कर सकते हैं।
लंच-
नवरात्रि व्रत में लंच के समय नारियल पानी, जूस,साबूदाना खिचड़ी, कुट्टू के आटे की पूरी और खीर का सेवन करने से आपको कमजोरी महसूस नहीं होगी।
शाम का नाश्ता-
शाम के नाश्ते में आप कुछ फल और दही का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा आलू से बने स्नैक या आलू चाट का भी सेवन किया जा सकता है। ऐसा करने से आपको कमजोरी महसूस नहीं होगी।
डिनर-
डिनर में लौकी की सब्जी, गाजर का हलवा, कुट्टू के आटे की देसी घी में बनी पूरी या सिंघाड़े के आटे की बनी पूरी का सेवन करने से आप शरीर में ऊर्जा महसूस करेंगे। नवरात्रि व्रत के दौरान रात को सोने से पहले एक गिलास हल्का गर्म दूध का सेवन भी कर सकते हैं। ऐसा करने से शरीर में कैल्शियम की कमी नहीं होगी।
रायपुर / शौर्यपथ / प्रत्येक वर्ष 15 अक्टूबरको विश्व हाथ धुलाई दिवस (Global Hand washing Day)मनाया जाता है ।सामान्य आंखों से दिखाई नहीं देने वाली गंदगी हाथों में छिपी होती है । हाथों का इस्तेमाल हम किसी भी वस्तु को छूने, उसका इस्तेमाल करने और कई तरह के रोज़मर्रा के कामों का सम्पादन में करते है ।बिना हाथ धोए सेवन करने से हाथों में लगी गंदगी हमारे शरीर में चली जाती है। जो कई बीमारियों का कारण बन जाती है। साबुन से साथ हाथ धोना बीमारियों से बचाव और जीवन की सुरक्षा के लिए एक आसान, प्रभावी और बेहतर तरीका है। इस वर्ष की थीम "सभी के लिए स्वच्छ हाथ' "(Hand Hygiene for All)पर केंद्रित है । हाथों की धुलाई के प्रति जागरूकता के उद्देश्य से पूरे विश्व में 15 अक्टूबर को विश्व हाथ धुलाई दिवस (ग्लोबल हैंड वाशिंग डे) मनाया जाता है। हाथों की साफई रखने से संक्रमण से होने वाली बीमारियों से भी काफी हद तक बचा जा सकता है। ज्ञात रहे प्रथम ग्लोबल हैंड वॉशिंग डे 2008 में मनाया गया, जिसमें विश्व भर के 70 से अधिक देशों के 120 मिलियन से अधिक बच्चों ने साबुन से हाथ धोये थे ।
महिला एवं बाल विकास विभाग रायपुर के ज़िला कार्यक्रम अधिकारी अशोक कुमार पांण्डेय ने बताया ज़िले की 1880 आंगनबाडी की लगभग 3700 कार्यकर्ता और सहायिकाएं डिजिटल माध्यम से हाथ धुलाई के लियें जागरुक करेगी साथ ही गृह भेंट कर हाथों की साफई रखने और गंदे हाथों से होने वाली संक्रमित बीमारियों से भी लोगों को जागरुक करेंगी ।
हाथ धोना क्यों जरूरी
खाना खाने से पहलेऔर खाना खाने के बाद, शौच के उपरांतहाथों को साबुन से जरूर धोएं। हाथ पोंछने के लिए तौलिए या साफ कपडे का प्रयोग करें। तौलियों या हाथ पोछने के कपडे को गर्म पानी में धोएं,हो सके तो डीटॉल का प्रयोग भी कर सकते है ताकि तौलियों या हाथ पोछने के कपडा पूरी तरह से कीटाणु मुक्त हो जाएं।
हथेलीयों की लकीरों में छुपे होते कीटाणु
ज़िला चिकित्सालय के सिविल सर्जन डॉ.रवि तिवारी कहते हैं हाथ धोना भारतीय संस्कृति का हिस्सा है।साथ ही हाथ धोना स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता भी है। कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी से बचने और अन्य संक्रमण से बचने के लिये नियमित रुप से हर व्यक्ति को स्वास्थ्य की छोटी-छोटी बातों को ध्यान रखना चाहिए। दिन में कई चीजों को छूते हैं जिससे कीटाणु हाथ में रह जाते हैं। हाथ धोने के लिए हर बार साबुन का प्रयोग करें विशेषकर बच्चों को खेल के उपरांत, स्कूल से आने के बाद शौच के बादकिसी संक्रामित रोगी के सम्पर्क या हाथ मिलाने के बाद कोई भी वस्तु न खाएं। खाने से पूर्व हाथ साबुन से धोने की आदत डालना चाहिए।
इसको भी समझें
खाना बनाते या खाना खाने से पहले और शौच के बाद, साबुन से हाथ धोने से तेज श्वास संक्रमण की दर को कम करता है। डायरिया जैसी प्राण लेवा बीमारियों की मृत्यु दर को कम किया जा सकता हैं। बच्चों का प्रसव कराने वाले व माताओं के साबुन से हाथ धोने से नवजात शिशु के जीवित रहने की संभावना बढ़ती हैं।
हाथ धोने का सही तरीका
हाथ धोने का सही तरीका स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव देता है। हाथ धोने का भी एक विशेषतरीक है। हाथ कम से कम 20 सेकंड तक अवश्य धोएं है। हाथ पानी से गीले करें साबुन लगाकर 20 सेकंड तक हाथों को एक-दूसरे पर रगड़ें। इस प्रक्रिया में हाथ के साथ हथेली, पीछे का हिस्सा, उंगलियां और नाखून के आस-पास अच्छे से रगडें उसके बाद पानी से हाथ धोएं और स्वच्छ कपड़े से हाथ पोछें। हाथ पोछने के लिए रुमाल या तौलिये का प्रयोग करें।
हाथों को धोना कब-कब जरुरी हैं
खाना-खाने से पूर्व और उपरांत, नवजात को छूने से पूर्व, शौच के उपरांत साबुन से, खांसने,छींकने, या नाक साफ़ करने, जानवर और कचरे को छूने के उपरांत ज़ख्म के उपचार से पहले और बाद में। वर्तमान में बाज़ार और अस्पताल से आने के बाद हाथों को अच्छे से धोने का नियम बना लें ।
दुर्ग / शौर्यपथ / शिक्षा माफियाओ को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से जिला शिक्षा अधिकारी दुर्ग अपने कर्तव्य से भटक कर उदासीन रवैया अपना करके पालकों से विश्वासघात करके फीस जमा करने के लिए गुमराह कर दबाव बना कर रहे जिसके विरोध फलस्वरूप आज दुर्ग एनएसयूआई के तत्वधान में जिला कार्यकारिणी अध्यक्ष सोनू साहू के नेतृत्व में जिला कलेक्टर के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी के नाम से निजी स्कूलों के मनमानी पर रोक लगाने तत्काल दंडात्मक कार्यवाही करने के लिए अपर कलेक्टर दिवया वैसनव को ज्ञापन सौंपा गया पालकों को हो रही परेशानी को देखते हुए सोनू साहू ने बताया कि अशासकीय विद्यालयों द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के आदेश की अवमानन कर जिले के निजी विद्यालय में ट्यूशन फीस के साथ साथ पालकों से पूरे वर्ष के फीस रहे है अभिभावकों के पूछे जाने पर निजी स्कूल द्वारा ट्यूशन फीस म वृद्धि की बात कहा जाता है शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 16 के अंतर्गत कानून शासन द्वारा जारी निर्देश का उल्लंघन करते हुए निजी विद्यालय जैसे कृष्णा पब्लिक स्कूल, अमरेश मिश्रा पब्लिक स्कूल धनोरा शकुन्तला विद्यालय रामनगर भिलाई, एमजीएम स्कूल भिलाई के छात्र छात्राओं के साथ भेदभाव व मानसिक प्रतांडना कर निजी स्कूलों की ओर से लगातार पालकों से उस अंतराल की फीस की मांग किया जा रहा है शिक्षा माफियाओ को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से शिक्षा विभाग काम कर रहे है काम भेदभाव व मानसिक शैक्षणिक गतिविधियां पूरी तरह से बन्द थी और इस दौरान जबकि अध्ययन कार्य बाधित थी बिना किसी सेवा की स्कूलों की ओर से फीस व अन्य खर्चों की मांग करना अवैध है। यह पूरी तरह से अनुचित है। साथ ही कुछ स्कूलों ने सितंबर महीने से ऑफ़लाइन क्लास शुरू करने की सूचना पालकों को दी है और शर्त यह रखी जा रही है कि पिछले महीनों की फीस न जमा करने की स्थिति में छात्रों को ऑनलाइन क्लास में सम्मिलित नहीं किया जाएगा यह शिक्षा के अधिकार का हनन है .
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर ने केस क्रमांक डब्लयूपिसी 10 40/2020,दिनांक 9 जुलाई 2020 में स्पष्ट निर्णय दिया गया है इस वर्ष बीते वर्ष 2020, 21 वर्ष 2019, 20 का सिर्फ ट्यूशन फीस ही लिया जाएगा ट्यूशन फीस के अलावा और कोई फीस नहीं ले सकते जब तक कि स्थिति सामान्य नहीं होतीस्कूल प्रबंधक बच्चों को शिक्षा से किसी प्रकार के जान बूझकर उसकी अनदेखी करता है तो या किशोर न्याय बालकों की देखरेख और संरक्षण अधिनियम 2015 की धारा 75 और 86 के तहत गंभीर प्रवित्तिय का अपराध है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में छात्रों के एडमिशन फॉर्म में फोर्स मेजर क्लास का उल्लेख नहीं है इसलिए बिना सेवा की फीस और अन्य खर्च की मांग करना गैरकानूनी है और तो और ऑनलाइन क्लास पर फॉर्म में कोई उल्लेख नहीं है। निजी स्कूलों को इस पर विचार करना चाहिए पूर्व वर्षों की तरह पूरे महीने की फीस वसूली कैसे कर सकती है।
अभी जो भी फीस की मांग की जा रही है, उसमें मार्च महीने से लेकर पूरे साल भर के फीस का जिक्र है जो पूरी तरह से अनुचित और व्यवहारिक है। विनम्र प्रार्थना है कि किसी भी छात्र के अध्ययन में कोई बाधा उत्पन्न ना हो और छात्र नियमित रूप से अपने अध्ययन का कार्य सकुशल करे। छात्र का नाम किसी भी स्थिति में विद्यालय से नहीं हटाया जावे हमारे इस मांग पर विचार करते हुए छात्र हित में निर्णय ले लिया जावे माँग पूरी नहीं होने पर भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन एनएसयुआई द्वारा उग्र आंदोलन जैसे निजी स्कूलों में तालाबंदी कर प्रदर्शन किया जाएगा। जिला कलेक्टर दुर्ग के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी के नाम से निजी स्कूलों के मनमानी पर रोक लगाने लिए के ज्ञापन सौपा गया इस दौरान शिवांग साहू,अंकित,अमोल जैन,विकास राजपूत,गोल्डी कोसरे,हरीश देवांगन,यश,तेजस्वी सहित बहुत से छात्र नेता उपस्थित थे।
खाना खजाना / शौर्यपथ / नवरात्रि व्रत में अधिकतर घरों में व्रत खोलते समय कुट्टू के पकौड़े बनाए जाते हैं। लेकिन कई बार पूरे नौ दिनों तक कुट्टू का सेवन करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। ऐसे में स्वाद और सेहत को बनाए रखने के लिए आप इस नवरात्र ट्राई कर सकते हैं खीरे के कुरकुरे पकौड़े। खीरे की पकौड़ी खाने में बेहद स्वादिष्ट होती है। तो देर किस बात की चलिए आपको बताते हैं कैसे बनाई जाती है खीरे की पकौड़ी।
खीरे के पकौड़े बनाने के लिए लगने वाली सामग्री-
-1 कप सिंघाड़े का आटा
-2 टी स्पून सेंधा नमक
-1/2 टी स्पून मिर्च पाउडर
-1/2 टी स्पून धनिया पाउडर
-1 टेबल स्पून हरी मिर्च, बारीक कटा हुआ
-दो बड़े पतले कटे हुए खीरे
-फ्राई करने के लिए तेल
खीरे के पकौड़े बनाने का तरीका-
नवरात्रि व्रत में खीरे के पकौड़े बनाने के लिए खीरे और तेल को छोड़कर सभी सामग्री को एक साथ मिला लें। अब पकौड़े का बैटर तैयार करने के लिए इसमें थोड़ा पानी मिलाएं। कढ़ाही में तेल गर्म करके उसमें खीरे के टुकड़ों को बैटर से निकाकर तेल में डालें। पकौड़ों को कुछ मिनट बाद दूसरी तरफ से पलटकर तलें। तले हुए पकौड़ों को साइड में निकालकर अलग रख लें। ध्यान दें, इन पकौड़ों को सर्व करने से पहले एक बार दोबारा तल लें। ऐसा करने से पकौड़ों में कुरकुरापन बना रहता है। पकौड़ों को गाढ़े भूरा रंग होने तक तलकर सर्व करें।
नवरात्रि में घर पर बनाएं टेस्टी कुट्टू का डोसा, ट्राई करें ये टेस्टी क्रद्गष्द्बश्चद्ग
जल्द ही नवरात्रि का उत्सव आने वाला है। ऐसे में माता के भक्त मां को प्रसन्न रखने के लिए पूरे 9 दिनों तक उपवास रखते हैं। नवरात्रि व्रत में खाने के विकल्प बहुत कम होते है। लोग इस समय ज्यादातर आलू और कुट्टू का सेवन करते हैं। अगर आप भी कुट्टू की पूरी या पकौड़ी खाते-खाते बोर हो गए हैं तो इस बार अपनी किचन में ट्राई करें टेस्टी कुट्टू का डोसा। आइए जानते हैं कैसे बनाई जाती हैं नवरात्रि व्रत की ये स्वादिष्ट रेसिपी।
कुट्टू का डोसा बनाने के लिए लगने वाली सामग्री-
आलू की फीलिंग के लिए-
-3 उबले हुए आलू
-तलने के लिए घी
-1/2 टी स्पून सेंधा नमक
-1/2 टी स्पून लाल मिर्च पाउडर
-1/2 टी स्पून अदरक, टुकड़ों में कटा हुआ
डोसा बनाने का तरीका-
-5 टेबल स्पून कुट्टू का आटा
-1/2 टी स्पून अरबी
-1/2 टी स्पून सेंधा नमक
-1/2 टी स्पून अजवाइन
-1 टी स्पून लाल मिर्च पाउडर
-1 टी स्पून अदरक
-1 टी स्पून कटी हुई हरी मिर्च
-घी
-अजवाइन
कुट्टू का डोसा बनाने का तरीका-
आलू की फीलिंग बनाने के लिए सबसे पहले एक पैन में घी गर्म करके उसमें आलू ?को डालकर मैश करें। अब इसके सभी मसाले डालकर अच्छे से मिला लें। इस मिश्रण को हल्का ब्राउन होने तक कुछ मिनट अच्छे से भूनने के बाद एक तरफ रख दें। अब डोसा बनाने के लिए एक बाउल में अरबी को मैश करके आटा, पानी और सेंधा नमक डालकर अच्छे से मिला लें। अब इसमें अजवाइन, लाल मिर्च पाउडर, अदरक और हरी मिर्च डालकर एक बार दोबारा मिला लें। इस मिश्रण में पानी डालकर उसका एक स्मूद बैटर बना लें।
अब एक फ्लैट पैन लेकर उसपर घी लगाएं। कड़छी की मदद से डोसे के बैटर को पैन पर फैला लें। कुछ देर डोसे को पकाने के बाद उसके किनारों पर थोड़ा सा घी डालकर और पका लें। ऐसा करने से डोसा क्रिस्पी बनेगा। अब डोसे को दूसरी तरफ से भी पलटकर सिकने दें। आप अब डोसे के बीच में फीलिंग रखकर उसे फोल्ड कर दें। आप इस व्रत के डोसे को पुदीने या नारियल की चटनी के साथ गर्मागर्म सर्व कर सकते हैं।
लाइफस्टाइल / शौर्यपथ / टाइप-2 डायबिटीज से जूझ रहे मरीजों के लिए एक अच्छी खबर है। एम्सटर्डम यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने ब्लड शुगर नियंत्रित रखने के लिए एक नई इलाज पद्धति खोज निकाली है, जिसे अपनाने के बाद छह महीने के भीतर ही रोज-रोज इंसुलिन के इंजेक्शन लेने के झंझट से मुक्ति मिल जाएगी।
अस्पताल में 45 मिनट में पूरी होने वाली इस प्रक्रिया के तहत मरीज को गर्म पानी से भरा एक गुब्बारा निगलवाया जाता है। यह गुब्बारा छोटी आंत में पहुंचकर उसकी बाहरी परत ‘ड्यूडेनम’ को तेज ऊष्मा प्रदान करता है। इससे वहां मौजूद पुरानी कोशिकाएं जल जाती हैं। उनकी जगह नई कोशिकाओं का विकास होने लगता है। ये कोशिकाएं अग्नाशय को इंसुलिन के उत्पादन के लिए प्रेरित करती हैं, जो ब्लड शुगर को काबू में रखने के लिए बेहद जरूरी है।
‘यूनाइटेड यूरोपियन गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी मेडिकल ग्रुप कॉन्फ्रेंस’ में पेश अध्ययन में शोधकर्ता डॉ. सुजैन मेरिंग ने दावा किया कि नई इलाज पद्धति टाइप-2 डायबिटीज के उपचार में नई क्रांति लाएगी। मरीज को महज एक बार ‘एंडोस्कोपी’ सरीखी चिकित्सकीय प्रक्रिया से गुजरना होगा और वह ताउम्र इंसुलिन के इंजेक्शन लेने के झंझट से छुटकारा पा लेगा।
उन्होंने बताया कि मरीज की आंत में पहुंचाए जाने वाले गुब्बारे में 90 डिग्री सेल्सियस तापमान वाला पानी भरा होगा, जो ‘ड्यूडेनम’ की विकृत कोशिकाओं को नई कोशिकाओं से बदल देगा। ये कोशिकाएं अग्नाशय को इंसुलिन पैदा करने का संदेश देती हैं।
असरदार-
-23% टाइप-2 डायबिटीज रोगियों को ब्लड शुगर नियंत्रित रखने के लिए इंसुलिन लेने की जरूरत पड़ती है।
-नई इलाज पद्धति अपनाने के बाद 75% मरीजों को छह महीने में ही इंसुलिन के इंजेक्शन से मुक्ति मिल गई।
-इन प्रतिभागियों का बीएमआई (वजन और लंबाई का अनुपात) 29.2 से घटकर औसतन 26.4 पर पहुंच गया।
इसलिए जरूरी है इंसुलिन
-इंसुलिन अग्नाशय में पैदा होने वाला एक अहम हार्मोन है, जो ग्लूकोज को ऊर्जा में तब्दील कर मोटापे और डायबिटीज की समस्या को दूर रखता है।
बढ़ती कमी चिंता का सबब
-08 करोड़ डायबिटीज रोगियों को इंसुलिन लेने की जरूरत पड़ने का अनुमान 2030 तक
-इंसुलिन की मांग में एशिया-अफ्रीका में 20 फीसदी इजाफा होने की आशंका जताई गई है।
-दुनियाभर में 3.3 करोड़ डायबिटीज रोगियों को मौजूदा समय में इंसुलिन तक पहुंच हासिल नहीं है।
खाना खजाना / शौर्यपथ / नवरात्रि व्रत में अधिकतर घरों में व्रत खोलते समय कुट्टू के पकौड़े बनाए जाते हैं। लेकिन कई बार पूरे नौ दिनों तक कुट्टू का सेवन करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। ऐसे में स्वाद और सेहत को बनाए रखने के लिए आप इस नवरात्र ट्राई कर सकते हैं खीरे के कुरकुरे पकौड़े। खीरे की पकौड़ी खाने में बेहद स्वादिष्ट होती है। तो देर किस बात की चलिए आपको बताते हैं कैसे बनाई जाती है खीरे की पकौड़ी।
खीरे के पकौड़े बनाने के लिए लगने वाली सामग्री-
-1 कप सिंघाड़े का आटा
-2 टी स्पून सेंधा नमक
-1/2 टी स्पून मिर्च पाउडर
-1/2 टी स्पून धनिया पाउडर
-1 टेबल स्पून हरी मिर्च, बारीक कटा हुआ
-दो बड़े पतले कटे हुए खीरे
-फ्राई करने के लिए तेल
खीरे के पकौड़े बनाने का तरीका-
नवरात्रि व्रत में खीरे के पकौड़े बनाने के लिए खीरे और तेल को छोड़कर सभी सामग्री को एक साथ मिला लें। अब पकौड़े का बैटर तैयार करने के लिए इसमें थोड़ा पानी मिलाएं। कढ़ाही में तेल गर्म करके उसमें खीरे के टुकड़ों को बैटर से निकाकर तेल में डालें। पकौड़ों को कुछ मिनट बाद दूसरी तरफ से पलटकर तलें। तले हुए पकौड़ों को साइड में निकालकर अलग रख लें। ध्यान दें, इन पकौड़ों को सर्व करने से पहले एक बार दोबारा तल लें। ऐसा करने से पकौड़ों में कुरकुरापन बना रहता है। पकौड़ों को गाढ़े भूरा रंग होने तक तलकर सर्व करें।
शौर्यपथ / हर कोई दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए दिनरात मेहनत करता है। भोजन भगवान द्वारा दिया गया प्रसाद है। अन्न को देवता माना जाता है। इसलिए अन्न का पूरा सम्मान करें। वास्तु में भोजन को ग्रहण करने और भोजन को बनाने को लेकर कुछ आसान से उपाय बताए गए हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
भोजन ग्रहण करने से पहले हमेशा भगवान को भोग लगाएं। अन्न देवता और अन्नपूर्णा माता का स्मरण कर उन्हें धन्यवाद करें। अगर भोजन स्वादिष्ट न लगे तो कभी भी उसका तिरस्कार न करें। भोजन ग्रहण करते समय न तो किसी से बात करें और न ही कोई अन्य कार्य। वास्तु शास्त्र में माना जाता है कि गीले पैरों के साथ भोजन करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है और आयु भी बढ़ती है। पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख कर भोजन करने से ईश्वर की कृपा बनी रहती है।
कभी भी दक्षिण दिशा की ओर मुख कर भोजन ग्रहण न करें। इससे स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ सकता है। कभी भी टूटे या गंदे बर्तन में भोजन न खाएं। कभी भी बिस्तर पर बैठकर भोजन न ग्रहण करें। थाली को हाथ में उठाकर भी खाना न खाएं। जमीन पर बैठकर भोजन ग्रहण करना सबसे उत्तम है। भोजन की थाली को हमेशा अपने बैठने के स्थान से ऊपर रखें। ऐसा करने से घर में कभी भी खाने की कमी नहीं होगी। हर रोज गाय को रोटी खिलाएं। बिना स्नान किए रसोईघर में भोजन नहीं बनाना चाहिए। घर आए मेहमानों को दक्षिण या पश्चिम दिशा में बैठाकर भोजन कराएं। भोजन बनाते समय मन को शांत रखें और परिवार के अच्छे स्वास्थ्य का विचार करें।
वास्तु शास्त्र / शौर्यपथ / कक्षों की श्रृंखला में गृह स्वामी कक्ष, ड्राइंग रूम या बैठक कक्ष के पश्चात अध्ययन कक्ष भी बहुत महत्वपूर्ण है। अध्ययन कक्ष हमारी भविष्य की पीढ़ियों के लिए बहुत महत्व रखता है। अध्ययन सदैव उत्तर-पूर्व कोने में अर्थात ईशान दिशा, पूर्व दिशा अथवा उत्तर दिशा में शुभ माना गया है। अध्ययन कक्ष हमारे बच्चों का ज्ञान का केंद्र है। वहां रहकर उसमें अध्ययन करने के लिए उनको अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता होती है और उत्तर-पूर्व दिशाएं बच्चों के लिए बहुत ही ऊर्जावान दिशा है। अध्ययन कक्ष में आंतरिक वास्तु के अनुसार कुछ महत्वपूर्ण दिशा निर्देश इस प्रकार से हैं।
-अध्ययन कक्ष की दीवारों का पेंट हल्के और मन को आकर्षक लगने वाले होनी चाहिए ताकि बालक का ध्यान और मन एकाग्र रहे।
-अध्ययन कक्ष में उत्तर-पूर्व की ओर पर्याप्त मात्रा में खिड़कियां अथवा रोशनदान होने चाहिए।
-यदि अध्ययन कक्ष बालकों का बेडरूम भी है तो उसमें दक्षिण और पश्चिम की दीवार की ओर बेड के स्थिति होनी चाहिए। जिसका सिराहना पूरब या दक्षिण में होना चाहिए ।
-उत्तर अथवा पूर्व की दीवार की ओर कुर्सी मेज रखें इस पर बैठ कर आपका बालक अध्ययन कर सकें।
-पढ़ाई करते समय बालक का मुंह हमेशा उत्तर या पूर्व में हो।
-यह ध्यान रखें बालक अपने बिस्तर पर बैठ कर ना पढे। बिस्तर पर बैठकर पढ़ने से आलस्य आता है।
-पढ़ाई करते समय बालक की टेबल पर किताबें अस्त-व्यस्त ना रहे। यदि ऐसा होता है तो बालक का मन स्थिर नहीं रहता है।
-यदि आपके मकान में पूजा घर का स्थान नहीं मिल पा रहा है तो अध्ययन कक्ष में भी पूजा घर बनाया जा सकता है।
-यदि घर में कंप्यूटर है तो ध्यान रखें कि उसके तार अस्त-व्यस्त ना फैले हों। इससे तारों से घर में नकारात्मक ऊर्जा आ जाती है।
-अध्ययन कक्ष को कभी भी स्टोर रूम न बनाएं। ऐसा करने से उस कक्ष की ऊर्जा का संतुलन बिगड़ जाता है। बच्चा अपेक्षित परिणाम प्राप्त नहीं कर पाता।
-पढ़ने वाले छात्रों को यह ध्यान रखना चाहिए अपनी सब पुस्तकें पश्चिमी अथवा दक्षिणी दीवार की अलमारी में रखें।
-जो विषय हमें पढ़ना है उसी विषय की पुस्तक आदि पढ़ने की मेज पर रखें। बाकी सब पुस्तकें अलग रखें ।
-अध्ययन कक्ष में प्रातःकाल पूजा के बाद धूपबत्ती,कपूर या मोमबत्ती थोड़ी देर के लिए जला दें। ऐसा करने से वहां की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होकर अपेक्षित परिणाम मिलेंगे।
बालोद / शौर्यपथ / कलेक्टर एंव जिला दण्डाधिकारी जनमेजय महोबे ने आदेश जारी कर कहा है कि नोवल कोरोना वायरस संक्रमण के नियंत्रण एवं रोकथाम को दृष्टिगत रखते हुए तथा वर्तमान में लगातार कोरोना पॉजिटिव प्रकरण पाए जाने के कारण कार्यालय के द्वारा 22 सितम्बर 2020 को नवरात्र पर्व के अवसर पर देवी मूर्ति की स्थापना एवं विसर्जन के संबंध में निर्देश प्रसारित किए गए थे। नवरात्र पर्व पर देवी मंदिरों में लगने वाली भीड़ एवं जिले के विभिन्न स्थानों में इस अवसर पर आयोजित होने वाले मेला आदि से कोरोना वायरस के संक्रमण के व्यापक संभाव्य को देखते हुए निम्नानुसार आदेश दिया गया है:- क्ॅवार नवरात्र 2020 के दौरान बालोद जिले अंतर्गत किसी भी धार्मिक एवं अन्य स्थलों पर मेला आदि के आयोजन पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। मंदिर परिक्षेत्र में दर्शनार्थियों का प्रवेश पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा। मंदिर प्रांगण के भीतर नियत स्थान पर ज्योत का प्रज्वलन मंदिर प्रबंधन द्वारा किया जा सकता है।
ज्योत प्रज्वलन की जिम्मेदारी केवल मंदिर समिति प्रबंधन की होगी। श्रद्धालु ज्योत जलवा सकेंगे, लेकिन ज्योत दर्शन हेतु दर्शनार्थियों एवं अन्य व्यक्तियों का प्रवेश पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा। धार्मिक स्थलों के आसपास किसी भी प्रकार के दुकान/ठेला-आदि /व्यवसाय संचालन की अनुमति नहीं होगी। मंदिरों में पुजारी एवं मंदिर संचालक समिति पूजा-पाठ कर सकेंगे। नवरात्र पर्व के दौरान प्रसाद वितरण भोज, भण्डारा, जगराता अथवा सांस्कृतिक कार्यक्रम की अनुमति नहीं होगी। किसी भी प्रकार के वाद्य यंत्र, ध्वनि विस्तार यंत्र, डीजे बजाने की अनुमति नहीं होगी। यथासंभव लोगों को घरों में रहकर नवरात्र पर्व के दौरान पूजा-पाठ के लिए प्रोत्साहित किए जाए। यह निर्देश तत्काल प्रभावशील होगा और कोविड-19 के रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु भारत सरकार एवं राज्य शासन द्वारा जारी समस्त दिशा-निर्देशों का पालन अनिवार्य रूप से करना होगा और निर्देशों का उल्लंघन करना पाया जाता है तो जिम्मेदारी मंदिर प्रबंधन समिति की होगी तथा उल्लंघन करने वाले के विरूद्ध भारतीय दण्ड संहिता 1860 की धारा 188 तथा एपीडेमिक डिसीज एक्ट एवं अन्य सुसंगत विधि के अनुसार कार्यवाही की जाएगी। यह आदेश तत्काल प्रभावशील होगा।
सेहत / शौर्यपथ / लाल मिर्च सिर्फ आपके भोजन में तीखा स्वाद ही नहीं लाती बल्कि यह सेहत से जुड़ी कुछ आपातकालीन स्थितियों में भी बेहद प्रभावकारी है। लाल मिर्च के यह बेमिसाल फायदे, आपके कभी भी काम आ सकते हैं, जरूर जानिए -
1 लाल मिर्च का एक बड़ा फायदा यह है कि त्वचा पर कोई चोट, घाव या फिर अन्य कारण से खून का बहना नहीं रुक रहा हो, तो बस एक चुटकी लाल मिर्च लगाने से खून बहना बंद हो जाता है। लाल मिर्च के हीलिंग पावर के कारण ऐसा होता है। हालांकि ऐसा करने पर आपको जलन या तकलीफ हो सकती है, लेकिन बहते खून को रोकने के लिए यह एक अच्छा विकल्प है।
2 शरीर के अंदरुनी हिस्से में चोट, आघात या रक्त का बहाव होने पर लाल मिर्च का प्रयोग किया जा सकता है। जरा-सी लाल मिर्च को पानी में घोलकर पीने पर यह काफी फायदेमंद साबित होगा। गर्दन की अकड़न में भी यह फायदेमंद है।
3 मांसपेशियों में सूजन, किसी प्रकार की जलन, कमर या पीठ दर्द या फिर शरीर के किसी भी भाग में होने वाला दर्द लाल मिर्च के प्रयोग से ठीक किया जा सकता है। इसमें मौजूद विटामिन सी, फ्लेवेनॉइड्स, पोटेशियम और मैंगनीज लाभदायक है।
4 अगर आपकी नाक बंद हो गई है या फिर सर्दी के कारण नाक अधिक बह रही है, तो लाल मिर्च आपके लिए फायदेमंद हो सकती है। जरा सी लाल मिर्च पानी के साथ घोलकर पीने से आपकी बंद नाक खुल सकती है और बहती नाक भी बंद हो सकती है।
5 पिसी हुई लाल मिर्च का रक्तवाहियों में रक्त के थक्के बनने से रोकाता है और सेवन हार्ट अटैक की संभावना को कम करता है। इसके अलावा अवांछित तत्वों को बाहर निकालने के साथ ही आंतों की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाता है।
आस्था / शौर्यपथ /अधिकतर लोगों को यह प्रश्न कठिन या धार्मिक लग सकते हैं क्योंकि उन्होंने वेद, उपनिषद या गीता को नहीं पढ़ा है। उसमें शाश्वत प्रश्नों के शाश्वत उत्तर है।जैसे कोई पूछ सकता है कि जन्म किया है? हो सकता है कि आपके पास उत्तर हो कि किसी आत्मा का किसी शरीर में प्रवेश करना जन्म है, लेकिन यह सही उत्तर नहीं है।
आत्मा का भी सूक्ष्म शरीर होता है। इसीलिए कहते हैं कि आत्मा का सूक्ष्म शरीर को लेकर स्थूल शरीर से संबंध स्थापित हो जाना ही जन्म है। अब सवाल यह उठता है कि यह संबंध कैसे स्थापित होता है? दरअसल, प्राणों के द्वारा यह संबंध स्थापित होता है। सूक्ष्म शरीर और स्थूल शरीर के बीच प्राण प्राण सेतु की तरह या रस्सी के बंधन की तरह है। जन्म को जाति भी कहा जाता है। जैसे उदाहरणार्थ.: वनस्पति जाति, पशु जाति, पक्षी जाति और मनुष्य जाति। न्म को जाति कहते हैं। कर्मों के अनुसार जीवात्मा जिस शरीर को प्राप्त होता है वह उसकी जाति कहलाती है। शरीर को योगासनों से सेहतमंद बनाए रखा जा सकता है।
जन्म के बाद मृत्यु क्या है?
इसका उत्तर जन्म के उत्तर में ही छिपा हुआ है। दरअसल, सूक्ष्म शरीर और स्थूल शरीर के बीच जो प्राणों का संबंध स्थापित है उसका संबंध टूट जाना ही मृत्यु है। प्रश्न यह भी है कि प्राण क्या है? आपके भीतर जो वायु का आवागमन हो रहा है वह प्राण है। प्राण को प्राणायाम से सेहतमंद बनाए रखा जा सकता है। प्राण के निकल जाने से व्यक्ति को मृत घोषित किया जाता है। यदि प्राणायाम द्वारा प्राण को शुद्ध और दीर्घ किया जा सके तो व्यक्ति की आयु भी दीर्घ हो जाती है।
जिस तरह हमारे शरीर के बाहर कई तरह की वायु विचरण कर रही है उसी तरह हमारे शरीर में भी कई तरह की वायु विचरण कर रही है। वायु है तो ही प्राण है। अत: वायु को प्राण भी कहा जाता है। वैदिक ऋषि विज्ञान के अनुसार कुल 28 तरह के प्राण होते हैं। प्रत्येक लोक में 7-7 प्राण होते हैं। जिस तरह ब्राह्माण में कई लोकों की स्थिति है जैसे स्वर्ग लोक (सूर्य या आदित्य लोक), अंतरिक्ष लोक (चंद्र या वायु लोक), पृथिवि (अग्नि लोक) लोक आदि, उसी तरह शरीर में भी कई लोकों की स्थिति है।
मृत्यु के बाद पुनर्जन्म क्या है?
उपनिषदों के अनुसार एक क्षण के कई भाग कर दीजिए उससे भी कम समय में आत्मा एक शरीर छोड़ तुरंत दूसरे शरीर को धारण कर लेता है।
यह सबसे कम समयावधि है। सबसे ज्यादा समायावधि है 30 सेकंड। सूक्ष्म शरीर को धारण किए हुए आत्मा का स्थूल शरीर के साथ बार-बार संबंध टूटने और बनने को पुनर्जन्म कहते हैं।
कर्म और पुनर्जन्म एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। कर्मों के फल के भोग के लिए ही पुनर्जन्म होता है तथा पुनर्जन्म के कारण फिर नए कर्म संग्रहीत होते हैं। इस प्रकार पुनर्जन्म के दो उद्देश्य हैं- पहला, यह कि मनुष्य अपने जन्मों के कर्मों के फल का भोग करता है जिससे वह उनसे मुक्त हो जाता है। दूसरा, यह कि इन भोगों से अनुभव प्राप्त करके नए जीवन में इनके सुधार का उपाय करता है जिससे बार-बार जन्म लेकर जीवात्मा विकास की ओर निरंतर बढ़ती जाती है तथा अंत में अपने संपूर्ण कर्मों द्वारा जीवन का क्षय करके मुक्तावस्था को प्राप्त होती है।
सेहत / शौर्यपथ /दिनभर अगर काम करते-करते आप थकान महसूस करते हैं या पैर के पंजों में दर्द बना रहता है तो हम आपको बता रहे हैं कुछ आसान-सी 5 एक्सरसाइज जिन्हें अपनाकर आप दिनभर की थकान से छुटकारा पा सकते हैं। आइए जानते हैं-
टांगें सीधी करके बैठें और बाजू शरीर को सहारा देते हुए पीठ के पीछे रहेंगे। अंगुलियां पीछे की ओर खुली होंगी।
सामान्य श्वास लेते हुए पंजों को ऊपर की ओर करें और बारी-बारी से पंजों को अंदर की ओर मोड़ें व बाहर की ओर फैलाएं।
सामान्य श्वास लेते हुए पंजों को शरीर की तरफ लचीला व ढीला करें और फिर उनको बाहर की ओर फैलाएं, यह क्रिया आहिस्ता और सचेत रहते करें। जहां तक संभव हो, पैरों को दोनों दिशाओं में घुमाएं।
सामान्य श्वास लेते हुए दोनों पैरों के साथ 5 बार दाईं ओर से बाईं ओर तथा 5 बार बाईं ओर से दाईं ओर घुमाने की क्रिया करें।
बायां पैर मोड़ें और बाएं पैर को दाईं जांघ के ऊपर रखें। बाएं हाथ से बाईं टांग को टखने के ऊपर से पकड़ लें और बाएं पैर की अंगुलियों को दाएं हाथ से पकड़ लें। सामान्य श्वास लेते हुए टखने को दोनों दिशाओं में 5 बार घुमाएं। टांग बदल लें और इसी व्यायाम को दोहराएं।
खाना खजाना / शौर्यपथ / चावल की खीर
सामग्री :
2 लीटर गाढ़ा दूध, 50 ग्राम मावा, दो मुट्ठी बासमती चावल, पाव कटोरी मेवे की कतरन, चार बड़े चम्मच शक्कर, आधा चम्मच पिसी इलायची और 3-4 लच्छे केसर, चुटकी-भर मीठा पीला रंग।
विधि :
सबसे पहले खीर बनाने से एक-दो घंटे पूर्व चावल धोकर पानी में गला दें। अब दूध को मोटे तले वाले बर्तन में लेकर गरम करके 10-15 उबाल लेकर पका लें। अब चावल का पूरा पानी निथार कर दूध में डाल दें। बीच-बीच में चलाती रहें।
चावल पकने के बाद शक्कर डाल दें और शक्कर गलने तक दूध को लगातार चलाती रहें। बीच में छोड़े नहीं। अब मावे को किसनी से कद्दूकर कर लें और खीर में मिला दें। जब खीर अच्छी तरह गाढ़ी हो जाए तब उसमें मेवे की कतरन, इलायची डालें। एक अलग कटोरी में थोड़ा-सा गरम दूध लेकर केसर 5-10 मिनट के लिए उसमें गला दें। तत्पश्चात केसर घोंटें और उबलती खीर में डाल दें।
अगर खीर केसरिया रंग की ना दिख रही हो तो उसमें चुटकी-भर मीठा पीला रंग घोलकर डाल दें। अब तैयार हो रही खीर की 5-7 उबाली लेकर आंच बंद कर दें।
रसगुल्ले
सामग्री :
500 ग्राम छेना (कपड़े में बांधकर पानी निकाल दें), 1 चुटकी केसर, 1 चम्मच दूध, 350 ग्राम शक्कर, 5 कप पानी।
विधि :
सर्वप्रथम पानी निकले छेने को हथेली से खूब मसल लें। अब दूध में केसर को घिसकर छेने में मिलाएं और अच्छी तरह मिक्स कर लें। जब यह एकसार और चिकना हो जाए तो इसकी 14-15 गोली बनाएं।
अब एक बर्तन में शक्कर-पानी मिलाकर मध्यम आंच पर 5-10 मिनट उबालें। इसमें छेने की गोली डालें और आधा घंटा तक उबालें। इस दौरान उबलते पानी को चम्मच से रसगुल्लों पर डालती रहे ताकि चाशनी गाढ़ी न होने पाएं। रसगुल्ले जब चाशनी वाले पानी में पूरी तरह ऊपर आ जाए तब आंच बंद कर दें। ठंडे होने पर फ्रिज में रखें। बाउल में सजाएं और पेश करें।
पूरनपोली
सामग्री :
200 ग्राम चने की दाल, 300 ग्राम आटा, 300 ग्राम शकर, 300 ग्राम शुद्ध घी, 6-7 पिसी हुई इलायची, 2 ग्राम जायफल, 8-10 केसर के लच्छे।
विधि : > > सबसे पहले एक प्रेशर कुकर में चने की दाल को अच्छी तरह से धोकर, दाल से डबल पानी लेकर कम आंच पर 30 से 35 मिनट पकने दें। 2-3 सीटी लेने के बाद गैस बंद कर दें।
कुकर ठंडा होने के बाद चना दाल को स्टील की छन्नी में निकाल लें ताकि उसका सारा पानी निकल जाए। दाल जब ठंडी हो जाए, तब उसमें 300 ग्राम शकर में से 150 ग्राम शकर मिलाकर मिक्सी में पीस लें। पीसी हुई दाल के मिश्रण को एक कड़ाही में निकालकर उसमें बची हुई 150 ग्राम शकर भी मिला दें। इस प्रकार पूरी 300 ग्राम शकर भी मिला दें।
अब इस मिश्रण को कम आंच पर औटाएं यानी तब तक पकाएं, जब तक पूरन की गोली न बनने लगे। जब पूरन बन जाए तब आंच से उतार लें और ठंडा करें। ऊपर से जायफल, इलायची, केसर डालकर मिश्रण के आवश्यकतानुसार 10-12 गोले बना लें।
पूरनपोली बनाने के लिए : एक थाली में मैदे की छन्नी से छना आटा लें। उसमें 1 बड़ा चम्मच शुद्ध घी का मोयन डालकर रोटी के आटे जैसा गूंथ लें। इसकी छोटी-छोटी लोइयां बनाकर 1-1 लोई में 1-1 पूरन का गोला रखकर आटा लगाकर मोटी रोटी की तरह बेल लें।
अब गरम तवे पर धीमी आंच पर शुद्ध घी लगाकर दोनों तरफ गुलाबी सेंक लें। इस प्रकार सभी पूरन पोली बना लें। पूरन पोली अब अच्छी ज्यादा मात्रा में घी लगाकर कढ़ी या आमटी के साथ परोसें।
मालपुए
सामग्री :
5 बड़े चम्मच मैदा, 5 बड़े चम्मच मिल्क पावडर, 4 चम्मच रवा, 5 हरी इलायची, 250 ग्राम चीनी, 2 कप दूध, तलने के लिए घी।
विधि :
सर्वप्रथम चीनी के अलावा बाकी सारी सामग्री को दूध के साथ मिलाकर गाढ़ा घोल बना लें। इसे 3-4 घंटे तक रखे रहें। एक कड़ाही में घी गर्म करके एक बड़ा चम्मच घोल डालकर मंदी आंच पर बादामी रंग होने तक तलें।
चीनी की चाशनी बना लें और तला हुआ मालपुआ चाशनी में डाल दें। इस तरह से सभी मालपुए तलकर चाशनी में डालते जाएं। ऊपर से सूखे मेवे व वर्क की कतरन डालकर शाही मालपुए सर्व करें।
मेवे की शाही खीर
सामग्री :
एक लीटर दूध, दो कटोरी मखाने, चार चम्मच शकर, दो चम्मच घी, बादाम-काजू की कतरन, किशमिश, पाव कटोरी बूरा (सूखा नारियल का), इलायची पावडर आधा चम्मच और 5-6 केसर के लच्छे, दूध में भिगोएं हुए।
विधि :
सबसे पहले एक कड़ाही में घी गरम करके मखानों को भून लें। तत्पश्चात भूनें मखानों को प्लेट में निकाल कर ठंडे होने दें, फिर उसे कूट लें।
अब दूध को उबलने दें, जब दूध उबल जाए तो उसमें कूटे मखाने डालकर पकाएं और शकर डाल दें। इसे गाढ़ा होने तक पकाएं। अब इसमें काजू-बादाम की कतरन, नारियल का बूरा, किशमिश, इलायची और केसर को घोंट कर डालें और डालकर सर्व करें।
रसमलाई
सामग्री :
कवर के लिए आटा 250 ग्राम, घी 1 बड़ा चम्मच, पिसी शक्कर 50 ग्राम, इलायची पावडर 1 छोटा चम्मच। भरावन के लिए : बारीक कटी मेवा 1 छोटी कटोरी। रबड़ी के लिए : फूल क्रीम दूध 2 लीटर, शक्कर 2 टेबल स्पून, केसर के धागे 3, सजाने के लिए पिस्ता कतरन 1 चम्मच, बादाम 8-10।
विधि :
सबसे पहले आटे को घी में गुलाबी भूनकर शक्कर और 1 गिलास पानी डालकर गाढ़ा हलवा तैयार करें। दूध को शक्कर और केसर के धागे डालकर आधा रहने तक उबालें। इसे ठंडा होने दें। एक बड़ा चम्मच हलवा लेकर हथेली पर फैलाएं और इसके अंदर एक चम्मच मेवा रखकर चारों ओर से बंद करके हाथ से हल्का-सा चपटा करें।
गरम तवे पर एक चम्मच घी लगाकर दोनों ओर सुनहरा होने तक सेकें। इन्हें गरम-गरम ही तैयार रबड़ी में डालें। ऊपर से मेवे की कतरन से सजाकर पेश करें।
धर्म संसार / शौर्यपथ / नवरात्रि पर आप माता रानी को बहुत सरल और सस्ते उपायों से खुश कर सकते हैं। जानिए वे सस्ते उपाय क्या हैं? पढ़ें सरल उपाय...
पान :- ताजे नए पान लाकर उस पर एक रुपए का सिक्का रखकर मां भवानी के सामने रखें।
सुपारी :- 5 रुपए की पूजा सुपारी लाकर देवी मां को समर्पित करें तो भी वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देंगी।
रुई :- 5 रुपए की रुई खरीद कर उसे माता रानी को अर्पित करें तो वह उतनी ही प्रसन्न होंगी जितनी मंहगे पौराणिक उपायों से होती है।
गुड़ :- अगर आप महंगे प्रसाद / भोग माताजी को नहीं चढ़ा सकते तो 5 रुपए का गुड़ लाकर पूरे भक्ति भाव से देवी के समक्ष रखें। आपको शुभ आशीर्वाद अवश्य मिलेंगे।
काले उबले चने :- देवी मां को प्रसन्न करने का यह भी बहुत सरल और सस्ता उपाय है। 5 रुपए के काले उबले चने भी अंबे मां को प्रसन्न करेंगे।
मिश्री : यह मीठा भोग मां प्रेम से ग्रहण करती हैं।
ध्वजा : नवरात्रि में लाल वस्त्र की छोटी सी ध्वजा चढ़ाकर मां को प्रसन्न किया जा सकता है।
मेहंदी-कुमकुम : मेहंदी के छोटे पैकेट थोड़े से कुमकुम के साथ रखने से भी मां का आशीष मिलता है।
लौंग-इलायची : 5 रुपए की लौंग और इलायची अर्पित करने से भी माता रानी खुश हो जाती हैं।
दूध और शहद : छोटी सी कटोरी में जरा सा दूध और बूंद भर शहद भी मां को प्रसन्न करता है।
नवरात्रि में अखंड दीप क्यों जलाते हैं, जानिए महत्व, लाभ, नियम, मंत्र और शुभ मुहूर्त
दीप प्रकाश का द्योतक है और प्रकाश ज्ञान का। परमात्मा से हमें संपूर्ण ज्ञान मिले इसीलिए दीप प्रज्वलन करने की परंपरा है। कोई भी पूजा हो या किसी समारोह का शुभारंभ। समस्त शुभ कार्यों का आरंभ दीप प्रज्ज्वलन से होता है।
जिस प्रकार दीप की ज्योति हमेशा ऊपर की ओर उठी रहती है, उसी प्रकार मानव की वृत्ति भी सदा ऊपर ही उठे, यही दीप प्रज्वलन का अर्थ है। अत: समस्त कल्याण की चाह रखने वाले मनुष्य को दीप जलाते समय दीप मंत्र अवश्य पढ़ना चाहिए।
हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पहले दीपक जलाए जाते हैं। सुबह-शाम होने वाली पूजा में भी दीपक जलाने की परंपरा है। वास्तुशास्त्र में दीपक जलाने व उसे रखने के संबंध में कई नियम बताए गए हैं। दीपक की लौ की दिशा किस ओर होनी चाहिए, इस संबंध में वास्तुशास्त्र में पर्याप्त जानकारी मिलती है। वास्तुशास्त्र में यह भी बताया गया है कि दीपक की लौ किस दिशा में होने पर उसका क्या फल मिलता है।
नवरात्रि में अखंड दीपक क्यों जलाते हैं
नवरात्रि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। साल में हम 2 बार देवी की आराधना करते हैं। नवरात्रि के दौरान माता रानी को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु कलश स्थापना, अंखड ज्योति, माता की चौकी आदि तरह के पूजन-अर्चन करते हैं। नवरात्रि के 9 दिन हम घर पर कलश स्थापना और अखंड ज्योत जलाते हैं। अखंड ज्योति पूरे 9 दिन तक बिना बुझे जलाने का प्रावधान है। अखंड ज्योति जलाने के बाद आप उसे अकेला नहीं छोड़ सकते हैं और अगर ये ज्योति बुझ जाए तो अपशगुन होता है।
नवरात्रि में अखंड ज्योति
नवरात्रि में 9 दिनों तक देवी मां को प्रसन्न करने और मनवांछित फल पाने के लिए गाय के देशी घी से अखंड ज्योति प्रज्जवलित की जाती है। लेकिन अगर गाय का घी नहीं है तो अन्य घी से भी आप माता के सामने अखंड ज्योति जला सकते हैं।
नवरात्रि के दौरान 9 दिन तक दीपक को जलाए रखना अखंड ज्योति कहलाता है। मान्यता है कि नवरात्रि में दीपक जलाए रखने से घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं। इसलिए नवरात्रि के पहले दिन संकल्प करते हुए अखंड दीपक को जलाना चाहिए और नियमानुसार उसका सरंक्षण करना चाहिए।
अखंड ज्योति जलाने की विधि
नवरात्रि के दौरान जलाए जाने वाले दीपक यानि अखंड ज्योति को जलाने के भी कुछ नियम हैं, जिनका पालन हमें करना चाहिए ताकि हमें मनवांछित फल की प्राप्ति हो सके।
आमतौर पर लोग पीतल के दीपपात्र में अखंड ज्योति प्रज्वल्लित करते हैं। यदि आपके पास पीतल का पात्र न हो तो आप मिट्टी का दीपपात्र भी इस्तेमाल कर सकते हैं। मगर मिट्टी के दीपपात्र में अखंड ज्योति जलाने से पहले दीपपात्र को 1 दिन पहले पानी में भिगो दें और उसे पानी से निकालकर साफ कपड़े से पोछकर सुखा लें।
शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाने से पहले हम मन में संकल्प लेते हैं और मां देवी से प्रार्थना करते हैं कि हमारी मनोकामना जल्द पूर्ण हो जाएं। अखंड दीपक को कभी भी जमीन पर न रखें।
दीपक को चौकी या पटरे में रखकर ही जलाएं। दुर्गा मां के सामने यदि आप जमीन पर दीपक रख रहे हैं तो अष्टदल बनाकर रखें।
यह अष्टदल आप गुलाल या रंगे हुए चावलों का बना सकते हैं।
अखंड ज्योति की बाती का विशेष महत्व है। यह बाती रक्षासूत्र यानि कलावा से बनाई जाती है। सवा हाथ का रक्षासूत्र(पूजा में प्रयोग किया जाने वाला कच्चा सूत) लेकर उसे बाती की तरह दीपक के बीचोंबीच रखें।
अखंड ज्योति जलाने के लिए शुद्ध घी का इस्तेमाल करना चाहिए। यदि आपके पास दीपक जलाने के लिए घी न हो तो आप तिल का तेल या सरसों के तेल का भी दीपक जला सकते हैं। मगर ध्यान ऱखें कि इनमें सरसों का तेल शुद्ध हो और उसमें कोई मिलावट न हो।
अखंड ज्योति को देवी मां के दाईं ओर रखा जाना चाहिए लेकिन यदि दीपक तेल का है तो उसे बाईं ओर रखना चाहिए। अखंड दीपक की लौ को हवा से बचाने के लिए कांच की चिमनी से ढक कर रखना चाहिए। संकल्प समय खत्म होने बाद दीपक को फूंक मारकर या गलत तरीके से बुझाना सही नहीं है, बल्कि दीपक को स्वयं बुझने देना चाहिए।
ईशान कोण यानि उत्तर पूर्व दिशा को देवी-देवताओं का स्थान माना गया है। इसलिए अखंड ज्योति पूर्व- दक्षिण कोण यानि आग्नेय कोण में रखना शुभ माना जाता है। ध्यान रखें कि पूजा के समय ज्योति का मुख पूर्व या फिर उत्तर दिशा में होना चाहिए।
अखंड ज्योत जलाने से पहले हाथ जोड़कर श्रीगणेश, देवी दुर्गा और शिवजी की आराधना करें। दीपक प्रज्जवलित करते वक्त मन में मनोकामना सोच लें और मां से प्रार्थना करें कि पूजा की समाप्ति के साथ आपकी मनोकामना भी पूर्ण हो जाए।
अखंड ज्योत जलाते वक्त यह मंत्र पढ़ें
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कृपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
दीपज्योति: परब्रह्म: दीपज्योति जनार्दन:
दीपोहरतिमे पापं संध्यादीपं नमोस्तुते।
दीपो ज्योति परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दन:।
दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोऽस्तु ते।।
शुभ करोतु कल्याणामारोग्यं सुख संपदा
दुष्ट बुद्धि विनाशाय च दीपज्योति: नमोस्तुते।।
शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोऽस्तु ते।।
अखंड ज्योति जलाने के शुभ नियम
नवरात्रि में अखंड ज्योति की लौ पूर्व दिशा की ओर रखने से आयु में वृद्धि होती है। दीपक की लौ पश्चिम दिशा की ओर रखने से दु:ख बढ़ता है। दीपक की लौ उत्तर दिशा की ओर रखने से धनलाभ होता है। दीपक की लौ दक्षिण दिशा की ओर रखने से हानि होती है। यह हानि किसी व्यक्ति या धन के रूप में भी हो सकती है। किसी शुभ कार्य से पहले दीपक जलाते समय इस मंत्र का जप करने से शीघ्र ही सपलता मिलती है।
अखंड ज्योति की गर्मी दीपक से 4 अंगुल चारों ओर अनुभव होनी चाहिए। ऐसा दीपक भाग्योदय का सूचक होता है।
दीपक की लौ सुनहरी जलनी चाहिए, जिससे आपके जीवन में धन-धान्य की वर्षा होती है और व्यापार में प्रगति होती है।
अगर अखंड ज्योति बिना किसी कारण के स्वयं बुझ जाए तो घर में आर्थिक तंगी आने की संभावना रहती है।
दीपक में बार-बार बाती नहीं बदलनी चाहिए। दीपक से दीपक जलाना भी अशुभ माना जाता है। ऐसा करने से रोग में वृद्धि होती है और मागंलिक कार्यों में बाधाएं आती है।
मिट्टी के दीपक में अखंड ज्योति जलाने से आर्थिक समृद्धि आती है और चारों दिशाओं में आपकी कीर्ति का बखान होता है।
नवरात्रि में दीपक जलाए रखने से घर-परिवार में सुख-शांति एवं पितृ शांति रहती है।
नवरात्रि में घी एवं सरसों के तेल का अखंड दीपक जलाने से त्वरित शुभ कार्य सिद्ध होते हैं।
नवरात्रि में विद्यार्थियों को सफलता के लिए घी का दीपक जलाना चाहिए।
अगर आप वास्तु दोष से परेशान है तो उसे दूर करने के लिए वास्तु दोष वाली जगह पर तिल्ली के तेल का दीपक जलाकर रखना चाहिए।
शनि के कुप्रभाव से मुक्ति के लिए नवरात्रि में तिल्ली के तेल की अखंड जोत शुभ मानी जाती है।
अखंड ज्योति प्रज्ज्वलन का शुभ मुहूर्त
आइए जानते हैं कि नवरात्रि 2020 में अखंड ज्योति प्रज्ज्वलन का शुभ मुहूर्त कब-कब है-
1. अभिजित मुहूर्त
- अपराह्न 11:41 मिनट से 12:27 मिनट तक।
2. दिवस मुहूर्त-
- प्रात: 7:45 मिनट से 9:11 मिनट तक
- प्रात: 12:00 बजे से 4:30 मिनट तक।
3. सायंकालीन मुहूर्त-
- सायं 6:00 बजे से 7:30 मिनट तक।
4. रात्रिकालीन मुहूर्त-
- रात्रि 9:00 बजे से 12:04 मिनट तक।