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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।
31 अक्टूबर तक कराना होगा पोर्टल पर पंजीयन
मोहला/शौर्यपथ / राज्य सरकार द्वारा किसानों को खेती के लिए प्रोत्साहन देने और लागत में राहत प्रदान करने के उद्देश्य से कृषक उन्नति योजना प्रारंभ की गई है। वर्षा आधारित कृषि क्षेत्र में उन्नत बीज, खाद, कीटनाशक और आधुनिक तकनीकों में निवेश के लिए यह योजना किसानों के लिए संबल बनेगी।
योजना के अंतर्गत खरीफ मौसम में दलहन, तिलहन, मक्का एवं लघु धान्य फसलें जैसे कोदो, कुटकी, रागी आदिद्ध लेने वाले किसानों को 10 हजार रुपए प्रति एकड़ की दर से आदान सहायता राशि दी जाएगी।
इसके अलावा, वे किसान जिन्होंने पिछले खरीफ में एकीकृत किसान पोर्टल में पंजीयन कर धान की खेती की थी और सहकारी समितियों में समर्थन मूल्य पर विक्रय किया था, यदि वे इस बार उसी रकबे में धान के स्थान पर अन्य फसलें लेते हैं, तो उन्हें 11 हजार रुपए प्रति एकड़ की दर से सहायता राशि मिलेगी।
इसी तरह, खरीफ 2025 में समर्थन मूल्य पर धान बेचने वाले किसानों को धान कॉमन पर 731 प्रति क्विंटल की दर से अधिकतम 15 हजार 351 प्रति एकड़ और धान ग्रेड-ए, पर 111 प्रति क्विंटल की दर से अधिकतम 14, हजार 931 प्रति एकड़ की सहायता राशि मिलेगी।
योजना का लाभ उठाने के लिए एकीकृत किसान पोर्टल व फार्मर रजिस्ट्री एग्रीस्टेक में 31 अक्टूबर 2025 तक पंजीयन कराना अनिवार्य होगा। किसान सहकारी समितियों के माध्यम से नवीन पंजीयन या पुराने पंजीयन में सुधार करा सकते हैं।
पात्रता के लिए यह आवश्यक है कि किसान ने पूर्व में पंजीयन कराया हो, धान की खेती की हो, समर्थन मूल्य पर विक्रय किया हो और वर्तमान में गैर-धान फसलों का पंजीयन कराया हो। ट्रस्ट, कंपनियांए शैक्षणिक संस्थान एवं सरकारी संगठन इस योजना के पात्र नहीं होंगे।
कृषकगण योजना संबंधी अधिक जानकारी हेतु अपने क्षेत्रीय कृषि विस्तार अधिकारी या निकटतम सहकारी समिति से संपर्क कर सकते हैं।
अंबागढ़ चौकी में न्यायिक कर्मचारियों के आवासीय परिसर का हुआ भूमि पूजन
मोहला /शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ के सुदूर वनांचल क्षेत्र अंबागढ़ चौकी में न्यायिक कर्मचारियों के लिए आवासीय परिसर के निर्माण का भूमि पूजन आज मुख्य न्यायाधिपति श्री रमेश सिन्हा द्वारा संपन्न हुआ। यह पहल न्याय व्यवस्था को अधिक सुदृढ़, प्रभावी और मानवोन्मुखी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
इस अवसर पर मुख्य न्यायाधिपति श्री सिन्हा ने कहा कि न्याय केवल एक अमूर्त आदर्श नहीं, बल्कि एक व्यवहारिक आवश्यकता है जिसे हर नागरिक तक पहुंचाना राज्य की जिम्मेदारी है। उन्होंने यह भी कहा कि न्याय व्यवस्था के सुचारु संचालन के लिए न्यायिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों को बेहतर कार्य एवं निवास वातावरण देना अत्यंत आवश्यक है।
मुख्य न्यायाधिपति श्री सिन्हा ने याद दिलाया कि विगत 29 मार्च 2025 को अंबागढ़ चौकी में फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना करके इस क्षेत्र में न्यायिक समाधान की दिशा में एक बड़ी शुरुआत की गई थी। उसी कड़ी में अब आवासीय परिसर का निर्माण इस प्रयास को और मजबूती देगा। इससे न केवल न्यायिक कर्मचारियों को राहत मिलेगी, बल्कि यह परिसर उन्हें कानूनी व्यवस्था से बेहतर ढंग से जुडऩे का एक सशक्त और प्रभावी माध्यम भी बनेगा।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह निर्माण केवल समय की मांग नहीं, बल्कि न्यायिक कर्मचारियों की तात्कालिक एवं आवश्यक जरूरतों को देखते हुए एक दूरदर्शी कदम है। सुविधासंपन्न आवासीय परिसर उपलब्ध होने से न्यायिक कर्मचारी भावनात्मक और आर्थिक तनाव से भी बचेंगे, जिससे उनके कार्य प्रदर्शन में भी सुधार आएगा।
मुख्य न्यायाधिपति श्री सिन्हा की इस पहल की प्रशंसा करते हुए यह कहा गया कि उन्होंने अपने पूरे कार्यकाल में दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों की चिंताओं को समझा और उन्हें समाधान देने के लिए लगातार प्रतिबद्धता दिखाई, जो न्याय नीति और मूलभूत ढांचे को सुदृढ़ बनाने के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है।
भूमि पूजन कार्यक्रम में राजनांदगांव जिले के पोर्टफोलियो न्यायाधीश एवं न्यायाधीशगण, जिला मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी के कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, अधिवक्ता संघ, जनप्रतिनिधि एवं बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक उपस्थित रहे।
?महापौर व आयुक्त की व्यापारियों से अपील बायोप्लास्टिक को दें बढ़ावा, पर्यावरण के लिए हानिकारक नहीं:
दुर्ग। /शौर्यपथ /नगर पालिक निगम दुर्ग क्षेत्र में सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध के बाद बाजारों में बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक व बायो प्लास्टिक डिस्पोजल की मांग में वृद्धि देखी जा रही है। स्थानीय थोक व चिल्हर विक्रेताओं की दुकानों में अब पर्यावरण अनुकूल बायोडिग्रेडेबल कैरी बैग उपलब्ध हैं, जिनकी कीमत भी आम जनता के लिए सुलभ है।
महापौर श्रीमती अलका बाघमार एवं निगम आयुक्त सुमित अग्रवाल ने दुकानदारों और व्यापारियों से अपील करते हुए कहा कि वे पारंपरिक प्लास्टिक के बजाय बायोप्लास्टिक बैग का उपयोग करें। ये बैग न केवल पर्यावरण के लिए सुरक्षित हैं, बल्कि हानिकारक रसायनों से मुक्त होते हैं।
उन्होंने बताया कि बायोप्लास्टिक बैग मक्का स्टार्च या अन्य पौधों से बनाए जाते हैं, जो नवीकरणीय संसाधन हैं। ये प्राकृतिक रूप से विघटित होकर खाद योग्य हो जाते हैं, जिससे प्लास्टिक कचरे की समस्या में कमी आती है। साथ ही, ये बैग खाद्य पदार्थों के भंडारण के लिए भी सुरक्षित विकल्प माने जाते हैं।
नागरिकों से अपील
महापौर एवं आयुक्त ने आम नागरिकों से भी अपील करते हुए कहा कि यदि वे बायोप्लास्टिक बैग खरीदना चाहते हैं, तो इन्हें स्थानीय बाजार और किराना दुकानों से आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।
उन्होंने कहा आपका एक छोटा कदम स्वच्छ दुर्ग की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है। आज ही प्लास्टिक छोड़ें और बायोडिग्रेडेबल अपनाएं, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक नहीं है।
रजक समाज की भूमिका सनातन परंपराओं की निरंतरता में अत्यंत महत्वपूर्ण - मुख्यमंत्री
रायपुर /शौर्यपथ / शिक्षा ही वह साधन है, जिसके माध्यम से व्यक्ति अपने लक्ष्यों की प्राप्ति कर सकता है और अपने सपनों को साकार कर सकता है। शिक्षा से ही रोजगार के अवसर सृजित होते हैं। व्यक्तिगत और सामाजिक विकास के लिए शिक्षा अत्यंत आवश्यक है। "सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास” हमारी सरकार का मूलमंत्र है। वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के राष्ट्रीय संकल्प में छत्तीसगढ़ की महत्त्वपूर्ण भूमिका सुनिश्चित है। हमने राष्ट्रीय विजन के अनुरूप छत्तीसगढ़ विजन डॉक्युमेंट भी जारी किया है, और उसके प्रत्येक बिंदु को धरातल पर उतारने की दिशा में निरंतर कार्य किया जा रहा है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बिलासपुर के सिम्स ऑडिटोरियम में आयोजित रजक युवा गाडगे सम्मेलन को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए यह बात कही।
मुख्यमंत्री साय ने संत गाडगे महाराज की पूजा-अर्चना कर राज्य स्तरीय गाडगे सम्मेलन का शुभारंभ किया। उन्होंने सम्मेलन में रजक समाज के प्रतिभावान छात्र-छात्राओं, प्रबुद्धजनों एवं समाजसेवियों को शाल एवं श्रीफल भेंटकर सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री साय ने अपने उद्बोधन में कहा कि रजक समाज का सामाजिक समरसता और सेवा भाव हमेशा से अनुकरणीय रहा है।छत्तीसगढ़ के प्रत्येक गांव में इस समाज की उपस्थिति है, और शादी-विवाह, छठ्ठी सहित अन्य सनातन परंपराएं इनके सहयोग के बिना पूर्ण नहीं होतीं। इनके पुश्तैनी व्यवसाय के सशक्तिकरण हेतु राज्य सरकार ने रजककार विकास बोर्ड का गठन किया है, जिसके माध्यम से उन्हें किफायती दर पर ऋण सुविधा प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि समाज के युवाओं को उन्नति के नए आयाम तक पहुँचाने के लिए राज्य सरकार पूर्णतः प्रतिबद्ध है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि भ्रष्टाचार पर नियंत्रण और सुशासन की स्थापना के लिए राज्य सरकार ने सुशासन एवं अभिसरण विभाग का गठन किया है। आज अधिकांश सेवाएं ऑनलाइन मोड में संचालित की जा रही हैं, जिससे पारदर्शिता बढ़ी है और भ्रष्टाचार की गुंजाइश समाप्त हुई है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि हमारी सरकार प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की प्रत्येक गारंटी को वचनबद्धता के साथ पूर्ण कर रही है। हमने 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान की खरीदी की है। महतारी वंदन योजना के अंतर्गत 70 लाख महिलाओं को प्रति माह एक-एक हजार रुपये प्रदान किए जा रहे हैं। तेन्दूपत्ता की खरीदी 5500 रुपये प्रति मानक बोरा की दर से की जा रही है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि नई औद्योगिक नीति के माध्यम से महिलाओं, अनुसूचित जातियों, जनजातियों एवं दिव्यांगजनों को रोजगार एवं उद्योग स्थापित करने हेतु विशेष प्राथमिकता दी जा रही है। नई उद्योग नीति से आकर्षित होकर बीते छह से आठ महीनों में लगभग साढ़े छह लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। राज्य सरकार ने युवाओं के लिए सरकारी नौकरियों के अवसर सृजित किए हैं। डेढ़ वर्षों में लगभग 10 हजार सरकारी नौकरियाँ प्रदान की गई हैं। पाँच हजार शिक्षकों की भर्ती हेतु शीघ्र ही विज्ञापन जारी किया जाएगा। साथ ही, स्वरोजगार के लिए भी सकारात्मक वातावरण तैयार किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री साय ने अपने उद्बोधन के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए कहा कि उनके प्रयासों से हमें अलग छत्तीसगढ़ राज्य मिला। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के 15 वर्षों के कार्यकाल का उल्लेख करते हुए कहा कि उनके प्रयासों से राज्य को भुखमरी की समस्या से मुक्ति मिली और जनकल्याणकारी योजनाओं का विस्तार हुआ।
सम्मेलन की अध्यक्षता रजककार विकास बोर्ड के अध्यक्ष श्री प्रहलाद रजक ने की। कार्यक्रम का संचालन सुप्रसिद्ध लोकगायिका श्रीमती रजनी रजक द्वारा किया गया। कार्यक्रम में विधायक श्री अमर अग्रवाल, श्री धरमलाल कौशिक, श्री धर्मजीत सिंह, श्री सुशांत शुक्ला, क्रेडा अध्यक्ष श्री भूपेन्द्र सवन्नी सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
खेल युवाओं में साहस, शक्ति और दृढ़ संकल्प का विकास करते हैं : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय
मुख्यमंत्री साय वाको इंडिया राष्ट्रीय किक बॉक्सिंग चैम्पियनशिप 2025 के समापन एवं पुरस्कार वितरण समारोह में हुए शामिल
रायपुर/शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय आज देर शाम राजधानी रायपुर स्थित सरदार बलबीर सिंह जुनेजा इंडोर स्टेडियम में आयोजित वाको इंडिया राष्ट्रीय किक बॉक्सिंग चैम्पियनशिप 2025 के समापन एवं पुरस्कार वितरण समारोह में सम्मिलित हुए।
मुख्यमंत्री साय ने इस अवसर पर देश के 28 राज्यों से आए लगभग 1200 प्रतिभागियों और 300 कोचों का भगवान श्रीराम की ननिहाल और माता कौशल्या की पावन धरती छत्तीसगढ़ में हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन करते हुए कहा कि यह राज्य का सौभाग्य है कि वाको इंडिया राष्ट्रीय किक बॉक्सिंग फेडरेशन ने इस प्रतिष्ठित आयोजन के लिए छत्तीसगढ़ को चुना।
मुख्यमंत्री ने प्रतिभागियों को छत्तीसगढ़ राज्य की विशेषताओं से अवगत कराते हुए बताया कि यह देश के हृदयस्थल पर स्थित एक छोटा, परंतु अत्यंत समृद्ध प्रदेश है, जिसका 44 प्रतिशत भूभाग सुरम्य वनों से आच्छादित है। यहाँ 5,000 वर्ग किलोमीटर में फैला सघन अबूझमाड़ क्षेत्र है, जहाँ सूर्य की किरणें तक नहीं पहुँचतीं। राज्य में मनोरम जलप्रपात, सुंदर गुफाएँ, समृद्ध खनिज संपदा और सांस्कृतिक विविधता है। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि केन्द्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह के संकल्प के अनुरूप छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद अब अपने अंतिम चरण में है। उन्होंने देशभर से आए खिलाड़ियों को आग्रहपूर्वक छत्तीसगढ़ घूमने का निमंत्रण भी दिया।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि किक बॉक्सिंग जैसे खेल युवाओं में साहस, शक्ति और दृढ़ संकल्प का विकास करते हैं। उन्होंने कहा कि “यह आयोजन निश्चित रूप से छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय खेल मानचित्र पर और अधिक सशक्त स्थान प्रदान करेगा।”
मुख्यमंत्री ने किक बॉक्सिंग एसोसिएशन ऑफ छत्तीसगढ़ को इस भव्य आयोजन के लिए साधुवाद देते हुए कहा कि खेल जीवन का अभिन्न अंग हैं, जो केवल शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि अनुशासन, आत्मविश्वास और समर्पण का भी पाठ सिखाते हैं।
उन्होंने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे मेहनत, लगन और जुनून के साथ अपने लक्ष्यों की दिशा में निरंतर अग्रसर रहें। मुख्यमंत्री ने कहा, “जीत और हार जीवन का हिस्सा हैं, लेकिन असली लक्ष्य अपनी क्षमता को पहचानना और उसे निखारना होना चाहिए।”
मुख्यमंत्री साय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संचालित खेलो इंडिया कार्यक्रम की सराहना करते हुए बताया कि छत्तीसगढ़ के सभी 33 जिलों को इस योजना से जोड़ा गया है, ताकि शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के खिलाड़ियों को समान अवसर प्राप्त हो सकें।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार खेलों को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढांचे के विकास, प्रशिक्षण एवं प्रोत्साहन योजनाओं पर विशेष ध्यान दे रही है। उन्होंने यह भी बताया कि ओलंपिक जैसे अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को 1 से 3 करोड़ रुपये तक की पुरस्कार राशि देने की योजना सरकार की प्रतिबद्धता का परिचायक है।
मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ क्रीड़ा प्रोत्साहन योजना का उल्लेख करते हुए बताया कि इस योजना के तहत खेल मैदानों का उन्नयन, उच्च स्तरीय उपकरणों की व्यवस्था, खेल क्लबों को आर्थिक सहायता तथा पारंपरिक खेलों के आयोजन सुनिश्चित किए गए हैं।
कार्यक्रम के अंत में मुख्यमंत्री ने सभी प्रतिभागियों को प्रतिस्पर्धा में भागीदारी के लिए शुभकामनाएँ दीं और आशा जताई कि आगामी वर्षों में छत्तीसगढ़ देश में खेलों के क्षेत्र में नेतृत्वकारी भूमिका निभाएगा।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि किक बॉक्सिंग जैसे खेल विशेष रूप से बालिकाओं की आत्मरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। उन्होंने सभी स्कूली छात्र-छात्राओं से पढ़ाई के साथ-साथ खेलों को भी अपनी दिनचर्या में शामिल करने की अपील की। उन्होंने कहा कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य में खेलों को हर स्तर पर प्रोत्साहन मिल रहा है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में खेल अकादमियों और आधारभूत संरचनाओं का निर्माण भी तेजी से किया जा रहा है।
महापौर श्रीमती मीनल चौबे ने भी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सभी खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन किया और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
इस अवसर पर वाको इंडिया राष्ट्रीय किक बॉक्सिंग फेडरेशन के अध्यक्ष श्री संतोष अग्रवाल, छत्तीसगढ़ किक बॉक्सिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री छगन मुंदड़ा, छत्तीसगढ़ राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष श्री अमरजीत छाबड़ा, ऑब्जर्वर श्रीमती रेणु पारीख, श्री मुरली शर्मा, स्थानीय जनप्रतिनिधिगण एवं खेलप्रेमीजन उपस्थित रहे।
प्रतियोगिता में 22 स्वर्ण, 18 रजत एवं 26 कांस्य पदकों के साथ पंजाब ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। 21 स्वर्ण, 16 रजत एवं 29 कांस्य पदकों के साथ महाराष्ट्र द्वितीय और 12 स्वर्ण, 14 रजत एवं 15 कांस्य पदकों के साथ तमिलनाडु तृतीय स्थान पर रहा। इस चैम्पियनशिप में छत्तीसगढ़ ने 8 स्वर्ण, 13 रजत और 37 कांस्य पदक प्राप्त कर राष्ट्रीय स्तर पर छठवाँ स्थान अर्जित किया, जो राज्य के लिए गर्व का विषय है। इसके साथ ही असम रायफल्स को सर्वश्रेष्ठ अनुशासित टीम के रूप में सम्मानित किया गया।
जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र तीन हफ्तों से ठप, एमसीसी (मिशन क्लीन सिटी) कर्मचारियों के साथ भेदभाव चरम पर
दुर्ग / शौर्यपथ / शहरी सरकार में "सुशासन" के दावों के बीच दुर्ग नगर पालिक निगम में हो रही कार्यवाही ने आमजन से लेकर वर्षों से सेवा दे रहे कर्मचारियों तक को असहज कर दिया है। छोटे-छोटे कारणों का हवाला देकर एमसीसी (मिशन क्लीन सिटी) और प्लेसमेंट कर्मचारियों को एक के बाद एक निकाला जा रहा है। कई कर्मचारियों के स्वास्थ्य संबंधी आवेदन भी गायब कर दिए गए हैं, जिससे प्रशासनिक पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
भेदभावपूर्ण रवैये से नाराजग़ी बढ़ी
मिशन क्लीन सिटी के तहत कार्यरत एमसीसी कर्मचारियों की तैनाती फील्ड के बजाय ऑफिस कार्यों में की जा रही है, जो न केवल मिशन के उद्देश्य को ठेस पहुँचाता है बल्कि चयन प्रक्रिया में भी भेदभाव को उजागर करता है। इस स्थिति से निगम के महापौर श्रीमती अलका बाघमार , स्वास्थ्य अधिकारी धर्मेश मिश्रा, और स्वास्थ्य प्रभारी नीलेश अग्रवाल सभी अवगत हैं, फिर भी मौन साधे रहना प्रशासनिक निष्क्रियता का प्रतीक बनता जा रहा है।
अतिक्रमण पर चुप्पी और दोहरा रवैया
दुर्ग शहर के चौक-चौराहों पर अतिक्रमण ने बीते कुछ महीनों में विकराल रूप ले लिया है, परन्तु कार्रवाई में भेदभाव स्पष्ट दिख रहा है। राजनीतिक चश्मे से देखी जा रही व्यवस्थाओं ने आमजन में रोष पैदा कर दिया है। जनप्रतिनिधि, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के नाम पर चुनाव जीतकर आए, अब उन्हीं की योजनाओं को बेमानी कर रहे हैं और संगठन की अपेक्षाओं को नजरअंदाज कर रहे हैं।
जनसेवाएं ठप, जनता परेशान
तीन हफ्तों से जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जनता को उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। आश्चर्य की बात यह है कि इस कार्य से संबंधित शाखा में एक एमसीसी कर्मचारी को ही जिम्मेदारी दे दी गई है, जो सीधे तौर पर विभागीय लापरवाही और शहरी सरकार की विफलता को दर्शाता है।
निष्कषर्: नगर निगम में जारी अनियमितताएं, मनमानी और भेदभाव न केवल कर्मचारियों के मनोबल को तोड़ रहे हैं, बल्कि शासन-प्रशासन की पकड़ पर भी सवालिया निशान खड़े कर रहे हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा प्रचारित "सुशासन" की अवधारणा दुर्ग निगम में कागजों तक सिमटती प्रतीत हो रही है।
पाटन / शौर्यपथ / पवित्र श्रावण मास के तीसरे सोमवार को पाटन में 'बोल बम कांवड़ यात्रा समितिÓ द्वारा भव्य कांवड़ यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। यह यात्रा 28 जुलाई को पुराना बाजार पाटन से शुरू होकर टोलाघाट तक जाएगी, जिसमें हजारों की संख्या में शिवभक्त भगवा वस्त्र धारण कर 'हर-हर महादेवÓ और 'बोल बमÓ के जयकारों के साथ शामिल होंगे। समिति के संयोजक जितेंद्र वर्मा के नेतृत्व में इस यात्रा को भव्य और दिव्य बनाने के लिए गांव-गांव में जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं।
समिति के संयोजक जितेंद्र वर्मा ने बताया कि कांवड़ यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि हमारी आस्था, एकता और शिवभक्ति का प्रतीक है। उन्होंने कहा, "यह यात्रा पाटन की पवित्र परंपरा बन चुकी है। मैं सभी शिवभक्तों से अपील करता हूं कि अधिक से अधिक संख्या में शामिल होकर इस आध्यात्मिक यात्रा को सफल बनाएं। हर हर महादेव की गूंज के साथ हम एक नई ऊर्जा, विश्वास और भक्ति का संचार करेंगे।"
आज ग्राम सेलूद, पतोरा, पाटन और टोलाघाट में बैठकों का आयोजन किया गया, जिसमें यात्रा की रूपरेखा पर विस्तृत चर्चा हुई। पिछले वर्षों की समीक्षा करते हुए इस बार यात्रा में नए उत्साह के साथ सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और भक्तिमय वातावरण निर्माण पर विशेष बल दिया गया है। साथ ही, जल संरक्षण के महत्व को भी रेखांकित किया गया। टोलाघाट में प्रसिद्ध सांस्कृतिक एवं भक्तिमय गायिका पायल साहू अपनी संगीतमय प्रस्तुति से श्रद्धालुओं को शिवभक्ति में सराबोर करेंगी।
इन बैठकों में नगर पंचायत अध्यक्ष योगेश निक्की भाले, भाजपा पाटन मंडल अध्यक्ष रानी बंछोर, विनोद साहू, दिलीप साहू, खेमलाल साहू, केशव बंछोर, निशा सोनी, रवि सिन्हा, गिरधर वर्मा, सुरेश निषाद, दिव्या कलिहारी साहू, प्रवीण मढ़रिया, राकेश आडिल, भावना निषाद सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक और अन्य सम्मानित शिव भक्त उपस्थित थे। सभी ने मिलकर यात्रा को सफल बनाने का संकल्प लिया।
दुर्ग / शौर्यपथ /
दुर्ग नगर निगम क्षेत्र में इन दिनों 40 करोड़ रुपये के विकास कार्यों को लेकर सियासी श्रेय की जंग छिड़ी हुई है। शहरवासियों को मिली विकास की सौगात पर खुश होने का मौका मिला भी नहीं कि शहर की दो बड़ी राजनीतिक ताकतों—विधायक गजेंद्र यादव और महापौर अलका बाघमार—के समर्थक आपस में ही मोर्चा खोल बैठे हैं। विकास कार्यों के लिए आभार प्रदर्शन की होड़ में सोशल मीडिया रणभूमि बन चुकी है, जहाँ दोनों खेमों के समर्थक एक-दूसरे को श्रेय से वंचित करने की कोशिश में लगे हैं।
नगर निगम क्षेत्र के प्रमुख राजेंद्र प्रसाद चौक से लेकर ग्रीन चौक व आईएमईआई चौक तक फोरलेन सड़क और एक आधुनिक 500 सीटर सेंट्रल लाइब्रेरी का निर्माण प्रस्तावित है। यह कार्य नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा स्वीकृत किए गए हैं और कुल लागत लगभग 40 करोड़ रुपये के करीब बताई जा रही है।
विधायक गजेंद्र यादव के समर्थक इसे उनकी पहल का नतीजा बता रहे हैं। वे पुराने दस्तावेज और प्रस्ताव सोशल मीडिया पर साझा कर रहे हैं, जिसमें उन्होंने उक्त परियोजना के लिए शासन को पत्र भेजे थे। वहीं दूसरी ओर, महापौर अलका बाघमार के समर्थक भी पीछे नहीं हैं। वे इसे 'नवगठित शहरी सरकारÓ की उपलब्धि करार दे रहे हैं और सार्वजनिक पोस्टर-बैनर के माध्यम से महापौर को धन्यवाद ज्ञापित कर रहे हैं।
हालांकि, एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि फरवरी 2024 में ही राज्य विधानसभा सत्र के दौरान पूरे प्रदेश में सेंट्रल लाइब्रेरी निर्माण की घोषणा हो चुकी थी, जब प्रदेश में भाजपा सरकार सत्ता में थी, लेकिन नगरीय निकायों में कांग्रेस का नियंत्रण था। ऐसे में सवाल उठता है कि पहले से घोषित योजनाओं को लेकर अब किस प्रयास का आभार व्यक्त किया जा रहा है?
स्थिति को और पेचीदा बना रही है यह बात कि दुर्ग नगर निगम की नई शहरी सरकार को बने मात्र चार महीने हुए हैं और पार्षद पहले ही दो खेमों में बंटे दिखाई देने लगे हैं। भले ही दोनों ही पक्ष सार्वजनिक रूप से मतभेदों को स्वीकार न करें, लेकिन सोशल मीडिया पर चल रही गतिविधियाँ और समर्थकों के बीच जुबानी जंग से शहर के राजनीतिक हालात स्वत: स्पष्ट हो रहे हैं।
जनता के बीच यह चर्चा आम होती जा रही है कि "विकास के कामों से पहले ही यदि श्रेय की लड़ाई इतनी तीव्र है, तो आने वाले समय में प्रशासनिक समन्वय और जनसेवा का क्या होगा?" शहरवासियों ने भारी बहुमत देकर विधानसभा और निगम चुनाव में एकतरफा जनादेश दिया, ताकि शहर का चहुंमुखी विकास हो। परंतु जब एक ही पार्टी के दो निर्वाचित जनप्रतिनिधि अपने-अपने गुट के समर्थकों के साथ सामने आने लगे, तो आम जनमानस यह सोचने को विवश है कि क्या वाकई में विकास प्राथमिकता है या श्रेय लेने की राजनीति?
शहर को चाहिए ठोस विकास, न कि तकरार में उलझी तस्वीर।
आमजन की उम्मीदें अब भी शहरी सरकार और प्रदेश सरकार से जुड़ी हैं—शर्त यही है कि नेतृत्व अपने समर्थकों की होड़ से ऊपर उठकर शहरहित को सर्वोपरि रखे।
बिर्रा-/ शौर्यपथ / पुलिस थाना बिर्रा के नवपदस्थ पुलिस निरीक्षक जयकुमार साहू ने पत्रकार टीम को सौजन्य मुलाकात में कहा कि पुलिसिग व्यवस्था दुरुस्त रहेगी साथ ही पुलिस और जनता के बीच संवाद स्थापित करने के लिए हरसंभव प्रयास करने की बात कही आज शाम को प्रेस क्लब बिर्रा ने पुलिस थाना बिर्रा में नवपदस्थ पुलिस निरीक्षक जयकुमार साहू को पुष्प गुच्छ भेंट कर सौजन्य मुलाकात मुलाकात किया तथा पुलिस थाना प्रभारी जयकुमार साहू ने पत्रकार को बताया कि इसके पूर्व डीडीनगर रायपुर नारायणपुर कांकेर दन्तेवाड़ा केशकाल के अलावा भोपालपटनम घोरनक्सली क्षेत्र में अपनी सेवा दी है तथा नक्सली इलाकों में नक्सलियों से लोहा मनवा लिए है। पुलिसिंग व्यवस्था को क्षेत्र में तेजी लाने के लिए के लिए हर समय पुलिस को चौकन्ना होकर कार्य करने के अलावा पुलिस पेट्रोलिंग पर विशेष ध्यान दिया जाएगा तथा सभी सरकारी संस्था एवं गैर अधर्दशासकीय स्कूल के सभी वाहन चालक की बैठक बुलाई जाएगी तथा चालक का डेस व फिट अनफिट की जानकारी ली जाएगी। वहीं नवपदस्थ पुलिस निरीक्षक जयकुमार साहू के चार्ज के बाद पुलिस व्यवस्था को लेकर जनता में काफी उत्सुकता दिखाई दे रहा है तथा आने वाले समय में गुड़ा बदमाश और अवैध कारोबार करने वाले में डर का माहौल देखने को मिल रहा है। सौजन्य मुलाकात करने वाले में प्रेस क्लब के पदाधिकारी संरक्षक चित्रभानु पाड़ेय अध्यक्ष दुर्गा ड़ड़सेना उपाध्यक्ष जीवन साहू कोषाध्यक्ष संजू साहू सचिव एकांश पटेल हेमन्त जायसवाल के अलावा भारी संख्या में प्रेस क्लब पदाधिकारी उपस्थित थे।
नई दिल्ली, 19 जुलाई 2025
भारत ने आज अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक और स्वर्णिम अध्याय लिखा। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से 18 दिन की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा पूरी कर 15 जुलाई को सफलतापूर्वक लौटे ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को आज भारत सरकार के मंत्रिमंडल ने सामूहिक रूप से अभिनंदन किया और इस उपलब्धि को "राष्ट्रीय गौरव का क्षण" बताया।
मंत्रिमंडल की बैठक में कहा गया कि ग्रुप कैप्टन शुक्ला की यह उड़ान न केवल भारत की तकनीकी और वैज्ञानिक श्रेष्ठता का प्रतीक है, बल्कि यह अंतरिक्ष अनुसंधान में भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका को भी दर्शाता है।
इस मिशन की शुरुआत 25 जून 2025 को हुई थी, जिसमें शुभांशु शुक्ला मिशन पायलट के रूप में Axiom-4 क्रू के साथ इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचे। यह पहली बार था जब कोई भारतीय अंतरिक्ष यात्री ISS पर गया। उनका यह मिशन न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से ऐतिहासिक रहा, बल्कि यह भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का एक निर्णायक मोड़ भी साबित हुआ।
ISS पर रहते हुए उन्होंने Expedition 73 के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर माइक्रोग्रैविटी में मानव मांसपेशियों की पुनर्रचना, शैवाल और सूक्ष्मजीवों की वृद्धि, फसलों की अनुकूलता, और सायनोबैक्टीरिया के व्यवहार जैसे उन्नत वैज्ञानिक प्रयोगों में योगदान दिया। इसके अलावा, अंतरिक्ष में मानव संज्ञानात्मक क्षमताओं पर पड़ने वाले प्रभावों का भी अध्ययन किया गया।
सरकार ने इस उपलब्धि के लिए ISRO, DRDO और वैज्ञानिकों की टीम को भी विशेष बधाई दी, जिनके समर्पण और तकनीकी कौशल ने इस मिशन को संभव बनाया।
मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की भी सराहना की और कहा कि उनके दूरदर्शी दृष्टिकोण, स्पेस प्रोग्राम में गहरी आस्था और निर्णायक नीतियों ने भारत को वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति बनने की दिशा में अग्रसर किया है।
सरकार ने यह भी रेखांकित किया कि बीते वर्षों में भारत ने कई अंतरिक्ष उपलब्धियाँ हासिल की हैं—
23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग,
आदित्य-L1 मिशन द्वारा सूर्य पर महत्वपूर्ण शोध,
और स्पेस सेक्टर में सुधारों के चलते 300 से अधिक स्टार्टअप्स का उदय।
इन उपलब्धियों ने भारत की स्पेस इकॉनॉमी, रोजगार, और इनोवेशन इकोसिस्टम को नई गति दी है।
ग्रुप कैप्टन शुक्ला की सफलता को मंत्रिमंडल ने युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का प्रतीक बताया। सरकार का मानना है कि इससे बच्चों और युवाओं में वैज्ञानिक सोच का विकास होगा और वे साइंस व टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में करियर बनाने को प्रोत्साहित होंगे।
गगनयान मिशन और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की योजनाओं को ध्यान में रखते हुए, यह मिशन भारत के लिए भविष्य के बड़े लक्ष्य हासिल करने की ओर एक मजबूत कदम है।
अंत में, मंत्रिमंडल ने इस उपलब्धि को "विकसित भारत 2047" के विजन के लिए एक प्रेरक ऊर्जा बताया और विश्वास जताया कि भारत अंतरिक्ष में विश्व की अग्रणी शक्तियों में एक बनकर उभरेगा।
?️ गौरवशाली भारत, उन्नत अंतरिक्ष विज्ञान
? "ये सिर्फ एक मिशन नहीं, ये भारत की अंतरिक्ष यात्रा का स्वर्णिम मोड़ है" – मंत्रिमंडल
पुण्यश्लोक लोकमाता महारानी अहिल्याबाई होलकर का संपूर्ण जीवन समाज कल्याण हेतु रहा समर्पित-मुख्यमंत्री साय
रायपुर / शौर्यपथ / पुण्यश्लोक लोकमाता महारानी अहिल्याबाई होलकर का संपूर्ण जीवन समाज कल्याण हेतु समर्पित रहा। वह इंदौर की न केवल महारानी थीं, बल्कि न्यायप्रिय, धार्मिक एवं निष्पक्ष प्रशासक भी थीं। उन्होंने देशभर में धार्मिक स्थलों एवं मंदिरों के जीर्णोद्धार और पुनर्निर्माण के क्षेत्र में जो कार्य किए, वे आज भी हम सबके लिए प्रेरणादायक हैं। उक्त बातें मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम, रायपुर में विश्व मांगल्य सभा द्वारा आयोजित पुण्यश्लोक लोकमाता महारानी अहिल्याबाई होलकर की जीवनी पर आधारित नाट्य मंचन समारोह में कही।
श्री साय ने आगे कहा कि हम सभी लोकमाता महारानी अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती मना रहे हैं। इस अवसर पर आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में पूरे देश एवं प्रदेश में उनकी स्मृति में विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।
सुशासन, सनातन और संस्कृति के लिए समर्पित लोकमाता अहिल्याबाई होलकर जी के जीवन पर आधारित यह नाट्य प्रस्तुति लोगों तक उनके महान कृतित्व को पहुंचाने में सहायक होगी। राजमाता अहिल्याबाई होलकर हमारे गौरवशाली इतिहास की महान प्रेरणापुंज हैं। उनके जीवन चरित्र से वर्तमान एवं भावी पीढ़ी को प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने रामराज्य की अवधारणा को साकार किया। तीन दशकों तक उन्होंने होलकर राजवंश का नेतृत्व किया। उन्होंने प्रशासन, न्याय और जनकल्याण की अनुकरणीय व्यवस्था प्रदान की। दक्षिण में कांची, उत्तर में बद्रीनाथ, पूर्व में पुरी और पश्चिम में द्वारका तक, हर स्थान पर उनके पुण्य कार्यों की छाप मिलती है। वे इंदौर की महारानी थीं, परंतु उन्होंने अपने को किसी भौगोलिक सीमा में नहीं बाँधा। देश के विभिन्न हिस्सों में उन्होंने मंदिरों का निर्माण, धर्मशालाओं की स्थापना की और धर्म की पताका सदैव लहराई।
वह सनातन की ध्वजवाहिका रहीं। जब महारानी अहिल्याबाई का नाम आता है तो हाथों में शिवलिंग लिए हुए उनकी तस्वीर सजीव हो उठती है। उन्होंने भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक चेतना के प्रतीक काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया। जब औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को नष्ट किया, तब यह घटना हिंदू समाज के लिए अत्यंत आघातकारी थी। उस समय माता जीजाबाई ने शिवाजी महाराज से कहा था कि काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण हमारा सर्वोच्च लक्ष्य होना चाहिए। पेशवा माधवराव ने भी अपनी वसीयत में लिखा था कि उनकी इच्छा है कि काशी विश्वनाथ मंदिर फिर से बने। यह यशस्वी कार्य राजमाता अहिल्याबाई होलकर के कर-कमलों से संपन्न हुआ।
उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कर लाखों आस्थावान हिंदुओं के सपनों को साकार किया। वे हरिद्वार से गंगाजल मंगवाकर उसे कांचीपुरम के शिव मंदिर में अर्पित करवाती थीं। उन्होंने पुरी में धर्मशाला तथा द्वारका में भी धार्मिक निर्माण कार्य करवाए। जिस प्रकार आदि शंकराचार्य जी ने सनातन परंपरा को जोड़ते हुए चार धाम की स्थापना की, उसी परंपरा में राजमाता अहिल्याबाई होलकर जी ने भारत को सांस्कृतिक रूप से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इस अवसर पर जगदलपुर विधायक श्री किरण देव साय ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। प्रस्तावना विश्व मांगल्य सभा की श्रीमती निकिता ताई द्वारा प्रस्तुत की गई।इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, उपमुख्यमंत्री अरुण साव, कैबिनेट मंत्री केदार कश्यप, प्रदेश अध्यक्ष एवं जगदलपुर विधायक किरण देव साय, अजय जामवाल, पवन साय सहित बड़ी संख्या में विधायकगण, सांसदगण, निगम-मंडल-आयोग के अध्यक्षगण, जनप्रतिनिधिगण एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता शूटर श्री अभिनव बिंद्रा ने की मुलाकात
छत्तीसगढ़ में ओलंपिक वैल्यू एजुकेशन, स्पोर्ट्स इंजरी रिकवरी और स्पोर्ट्स साइंस डेवलपमेंट के लिए होगा कार्य
रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ की खेल प्रतिभाएं अब आकाश को छूएंगी। राज्य के खिलाड़ी प्रारंभिक स्तर से ही आधुनिक तकनीकों के माध्यम से दक्ष बनाए जाएंगे। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से आज उनके निवास कार्यालय में ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता शूटर अभिनव बिंद्रा ने सौजन्य भेंट की। मुख्यमंत्री साय ने श्री बिंद्रा से छत्तीसगढ़ में ओलंपिक वैल्यू एजुकेशन, स्पोर्ट्स इंजरी रिकवरी एवं स्पोर्ट्स साइंस डेवलपमेंट के विषय में विस्तारपूर्वक चर्चा की।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने श्री बिंद्रा का पुष्पगुच्छ एवं प्रतीक चिन्ह भेंटकर आत्मीय स्वागत किया। उन्होंने श्री बिंद्रा से छत्तीसगढ़ में खेल गतिविधियों के विकास एवं खेल प्रतिभाओं को प्रोत्साहन देने संबंधी योजनाओं पर गहन चर्चा की।
मुख्यमंत्री साय ने चर्चा के दौरान कहा कि राज्य सरकार छत्तीसगढ़ की खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने हेतु पूर्णतः प्रतिबद्ध है। प्रदेश के युवाओं में खेलों के प्रति स्वाभाविक रुचि एवं नैसर्गिक प्रतिभा है, विशेषकर आदिवासी अंचलों के युवाओं में अत्यधिक संभावनाएं हैं। इस परिप्रेक्ष्य में श्री बिंद्रा ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि वे छत्तीसगढ़ में ओलंपिक वैल्यू एजुकेशन, स्पोर्ट्स इंजरी रिकवरी और स्पोर्ट्स साइंस कार्यक्रम प्रारंभ करना चाहते हैं। मुख्यमंत्री ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि राज्य की खेल प्रतिभाओं को निखारने में ये प्रयास अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध होंगे।
चर्चा के दौरान श्री बिंद्रा ने बताया कि वे अभिनव बिंद्रा फाउंडेशन के माध्यम से देश के विभिन्न राज्यों में खिलाड़ियों को आगे लाने के लिए विविध कार्यक्रम संचालित कर रहे हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि फाउंडेशन द्वारा खेलहित में संचालित ये कार्यक्रम निःशुल्क होते हैं, जिससे खिलाड़ियों को प्रत्यक्ष लाभ प्राप्त हो रहा है। उन्होंने छत्तीसगढ़ में भी फाउंडेशन के माध्यम से ऐसे कार्यक्रम प्रारंभ किए जाने के सम्बन्ध में चर्चा की।
श्री बिंद्रा ने जानकारी दी कि ओलंपिक वैल्यू एजुकेशन कार्यक्रम के अंतर्गत छत्तीसगढ़ के स्कूली बच्चों में ओलंपिक मूल्यों का विकास किया जाएगा। उन्हें उत्कृष्टता, सम्मान और मैत्री जैसे मूल्यों को अपनाने हेतु प्रेरित किया जाएगा, जिससे प्रारंभिक अवस्था से ही खेल प्रतिभाओं का संवर्धन संभव हो सकेगा।
मुख्यमंत्री साय को श्री बिंद्रा ने अवगत कराया कि स्पोर्ट्स इंजरी खिलाड़ियों के लिए एक बड़ी चुनौती है। स्पोर्ट्स इंजरी रिकवरी कार्यक्रम के अंतर्गत खिलाड़ियों को निःशुल्क सर्जरी, पुनर्वास एवं उपचार उपरांत देखभाल की संपूर्ण सुविधा प्रदान की जाएगी, ताकि वे स्वस्थ होकर पुनः खेल क्षेत्र में सक्रीय हो सकें। इस हेतु फाउंडेशन के साथ देश के 30 उत्कृष्ट चिकित्सकों का नेटवर्क कार्यरत है, जिसका लाभ छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों को मिलेगा।
मुख्यमंत्री को श्री बिंद्रा ने बताया कि वर्तमान खेल परिदृश्य पूर्णतः विज्ञान-आधारित हो गया है। अतः वे छत्तीसगढ़ में स्पोर्ट्स साइंस कार्यक्रम प्रारंभ करना चाहते हैं, जिससे आधुनिक एवं वैज्ञानिक पद्धति से खिलाड़ियों को प्रशिक्षित किया जा सके। नवीनतम तकनीकों की सहायता से प्रतिभाओं की पहचान वैज्ञानिक तरीके से की जा सकेगी तथा टेक्नोलॉजी के माध्यम से उनके कौशल को समुचित रूप से विकसित किया जा सकेगा।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि राज्य सरकार छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों को आवश्यक सभी सुविधाएं प्रदान कर रही है। विशेषकर आदिवासी क्षेत्रों के युवाओं में अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि विशेष पिछड़ी जनजाति कोरवा समुदाय के युवाओं में तीरंदाजी का प्राकृतिक कौशल है। इस प्रतिभा को बढ़ावा देने हेतु रायपुर एवं जशपुर में एनटीपीसी के सहयोग से 60 करोड़ रुपये की लागत से आर्चरी अकादमी की स्थापना की जा रही है। इसी प्रकार बस्तर में आयोजित बस्तर ओलंपिक में 1.65 लाख से अधिक खिलाड़ियों ने भाग लिया। राज्य सरकार द्वारा ओलंपिक में स्वर्ण पदक विजेता छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों को 3 करोड़ रुपये, रजत पदक विजेता को 2 करोड़ रुपये एवं कांस्य पदक विजेता को 1 करोड़ रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में देने की घोषणा की गई है।
इस अवसर पर खेल मंत्री टंकराम वर्मा, छत्तीसगढ़ युवा आयोग के अध्यक्ष विश्वविजय सिंह तोमर, खेल विभाग के सचिव यशवंत कुमार, संचालक श्रीमती तनुजा सलाम, डॉ. दिगपाल राणावत सहित अन्य गणमान्यजन उपस्थित थे।