September 09, 2025
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शौर्यपथ

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रायपुर /शौर्यपथ/

जंगलों में खड़ा बेमिसाल हूं....

मैं साल हूँ। साल दर साल जंगलों में खड़ा बेमिसाल हंू। मैंने देखा है वक़्त के साथ बहुत कुछ बदला। मैंने भी अपनी शाखाएँ बदली, पत्ते बदले, लेकिन टिका रहा एक ही जगह पर, तब तक जब तक कोई मुझे अपनी जरूरतों के मनमुताबिक ले नहीं गया। मैं साल हूँ। लू के थपेड़ों को सह लेने की शक्ति भी है मुझमें और जड़ से लेकर आकाश की ओर निहारतीं पत्तों की शाखाओं में चींटियों से लेकर पंछियों तक का मुझ पर बसेरा है। मैं जहाँ भी हूँ, जैसा भी हूँ... लिए हुए मुस्कान हूँ। न जानें कितनी पीढियां गुजर गई है। बहुत से लोग आए और चले गए। मैं उनके जीवन का जैसे हिस्सा बन गया। सबके काम आया। मैं किताब के पन्नों की तरह खुला हुआ था। जिन्होंने भी इन पन्नों को पढ़ा, वे मुझे समझते गए। मैं उनकी संस्कृति का भी हिस्सा बन गया। मुझे उन्होंने अपने सुख-दुख में शामिल कर रहन-सहन, तीज-त्यौहार से भी जोड़ दिया। मैं ही विकसित संस्कृति तो कहीं परम्परा की पहचान हूँ। मैं विकास की गाथा में शामिल अनगिनत कहानियों की दास्तान और मिसाल हूं। मैं साल हूँ। बेमिसाल हूूं...

। न जानें कितनी पीढियां गुजर गई है।

जी हाँ, यह साल है। साल यानी सरई, सखुआ और न जाने स्थानीय लोग इसे क्या-क्या नाम से जानते-पहचानते हैं। साल जिसका वैज्ञानिक नाम सोरिया रोबस्टा है। अपनी सैकड़ों खूबियों की वजह से आज यह वृक्ष न सिर्फ पवित्र माना जाता है, यह पूजनीय भी है। आदिकाल से यह मानव जाति के विकास की गाथा को आगे बढ़ाने के साथ आर्थिक मजबूती में भी अपनी सहभागिता देता चला आ रहा है। आज भले ही शहरों में रहने वाले युवा पीढ़ी पीपल, बरगद आंवला जैसे पेड़ो को पूजनीय समझते होंगे, लेकिन जो कभी जंगलों के आसपास रहे। जंगलो में गए। वे साल या सरई को भलीभांति जानते समझते हैं। यह साल का वृक्ष छत्तीसगढ़ राज्य की पहचान है। इसलिए इसे छत्तीसगढ़ का राजकीय वृक्ष भी घोषित किया गया है। सरगुजा से लेकर बस्तर तक साल वृक्षों की न सिर्फ मौजूदगी है, अपितु पहाड़ियों के सुरक्षा घेरा के रूप में यह पवित्र वृक्ष जैव विविधता को संतुलित रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। छत्तीसगढ़ ही नहीं अन्य राज्यों में भी साल वृक्ष की संख्या वहा की एक जीवन रेखा की तरह है। मानसून को राह दिखाने से लेकर उसे गतिशील बनाने में साल वृक्ष की भूमिका को महत्वपूर्ण माना जाता है। सर्वाधिक औसत उम्र वाले साल वृक्ष को पवित्र मानने की वजहें भी बहुत होंगी। हमें भी समझना होगा कि हम उन्हीं वृक्षों की सेवा करते हैं, पूजा करते हैं जो हमारे लिए लाभदायक है।

र लकड़ियों के सामान बनाने में सरई वृक्षों को अपनी बलिदानी देनी पड़ी। इस

जनजाति समाज के लोगों की मानंे तो यह वृक्ष अकाल के समय अपने बीजों की संख्या बढ़ाकर अधिक पौधे उगाने में भी मदद करता है। यह अकाल को प्रभावित करता है। मौसम की मार सहने और विपरीत परिस्थितियों में भी खड़े रहने की क्षमताएं इन्हें और भी खास बना देता हैं। साल की अपनी विशिष्टता की वजह से जनजाति समाज इन्हें पूजता आया है।

सरई वृक्षों को अपनी बलिदानी

सरई का फूल खिलते ही मध्य भारत में आदिवासी समाज द्वारा सरहुल का उत्सव उत्साह के साथ मनाया जाता है। अपनी विशिष्टता की वजह से भले ही साल वृ़क्ष की पूजा होती है, यह भी सच है कि इनकी अहमियत और उपयोगिता की वजह से साल के जंगल सिमटते जा रहे हैं। साल की लकड़ियों की मांग होने और उपयोगी होने की वजह से रेल पटरी के स्लीपर, फर्नीचर में इसका बहुतायत इस्तेमाल होने लगा था। जिस तरह देश की आजादी के लिए असंख्य लोग बलिदान हो गए उसी तरह अंधाधुंध विकास और साज सज्जा से लेकर मकान और लकड़ियों के सामान बनाने में सरई वृक्षों को अपनी बलिदानी देनी पड़ी। इस दौरान भी यह वृक्ष बहुतों के रोजगार से लेकर देश के विकास में काम आता रहा।
धरती को हरियाली और ठण्डक प्रदान करने वाले यह साल के वृक्ष प्राकृतिक रूप से अपने पौधों को उगाते आये हैं। जंगलों को घने जंगलों में बदल देने वाले साल वृक्षों के आसपास धरती के नीचे भारी मात्रा में लौह सहित अन्य अयस्क, खनिज भण्डार की मौजूदगी के प्रमाण है। असंख्य पशु-पक्षियों, कीडे़-मकोड़े को वास देने वाले साल वृ़क्षों के पत्तों में विशेष प्रकार की लाल चींटियों का भी वास होता है। बोड़ा व फुटू भी इन्हीं साल वृक्षों के नीचे प्राकृतिक रूप से पैदा होने वाले उपयोगी और कीमती खाद्य सामग्री है। बस्तर के इलाकों में अध्ययन कर क्षेत्र को नजदीक से समझने वाले डॉ. नरेश साहू का कहना है कि जनजाति समाज की अपनी संस्कृति और परम्परा है। आदिकाल से वे जिन स्थानों पर निवास करते आए हैं, वहां पर उन्होंने पर्यावरण के साथ अपना सहजीवन स्थापित किया है। अपने आसपास बहने वाली नदियों, पर्वतों, पेड़-पौधों और जीव-जंतु को अपने जीवन का आधार मानते हुए प्रकृति की पूजा भी करते रहे हैं। साल जैसे वृक्ष वनाचंल की पहचान है। वैसे में स्वाभाविक है कि इनके आसपास रहने वाले जनजाति समाज साल की उपयोगिता की वजह से इन्हें देवतुल्य मानते हैं। बलरामपुर जिले के श्री बंसत कुजूर ने बताया कि बारिश के मौसम से पूर्व सरहुल का महोत्सव मनाकर प्रकृति व साल वृक्ष की पूजा करते हैं। साल बीज का उपयोग भी अलग-अलग कार्यों में होता है। जंगल में मिलने वाले फलों को खाने से पहले भी पूजा की जाती है।
आदिवासियों की आमदनी का भी है बेहतर जरिया


साल या शोरिया रोबस्टा छत्तीसगढ़ के बड़े भू भाग में फैला हुआ है। प्रदेश के 40 प्रतिशत से अधिक वन क्षेत्र साल के हैं। बस्तर में वनों का द्वीप साल को आदिवासी समाज कल्प वृक्ष और पूजनीय मानते हैं। यह जंगल में रहने वाले आदिवासियों के जनजीवन से जुड़ा है और इनसे उन्हें आधा दर्जन से अधिक उत्पाद इमारती और जलाऊ लकड़ी, दातून, दोना, पत्तल,साल बीज भी मिलते है जो इनकी आर्थिक आय का जरिया है। आदिवासी समाज आदिकाल से साल वृक्ष से जीवंत जुड़कर उनसे लाभ अर्जित करने के साथ अपनी संस्कृति और विकास गाथा में समाहित किए हुए हैं। सरहुल, गौर, करमा, सैला सहित अन्य नृत्य कर वे अपनी संस्कृति और परम्परा को भी आगे बढ़ाते चले आ रहे हैं।
गाँव के लोग करते है पूजा ऐतिहासिक साल वृक्ष की

छत्तीसगढ़ में साल वृक्षों की पूजा आदिकाल से होती आ रही है। कोरबा जिले में जल,जंगल और विपुल मात्रा में खनिज संसाधन मौजूद है। यहाँ राज्य के सबसे प्राचीन साल वृक्ष की पहचान भी की गई है। डुबान क्षेत्र सतरेंगा के पास लगभग 1400 से 1500 साल के बीच आयु वाले साल वृक्ष की पहचान वन विभाग द्वारा विशेषज्ञों के माध्यम से की गई है। इस महावृक्ष की लंबाई 28 मीटर से अधिक है। आसपास के ग्रामीण किसी प्रकार के शुभ कार्यों में भी इस वृक्ष की पूजा करते हैं। कोरबा के ग्राम मातमार में भी लगभग 1 हजार साल पुराने साल वृ़क्ष का पता लगाया गया है। धमतरी जिले के दुगली में भी लगभग 418 साल पुराना वृक्ष है। जिसे मदर ट्री और सरई बाबा के रूप में पहचाना जाता है। वन विभाग द्वारा इन वृ़क्षों को संरक्षित करने सुरक्षा का आवश्यक प्रबंध भी किया गया है। छत्तीसगढ़ ही नहीं देश के कई हिस्सों में आदिवासी समाज सहित अन्य समुदाय के लोग भी आदिकाल से साल जैसे वृ़क्षों की पूजा करने के साथ अपनी खुशियों को इन वृक्षों के आसपास नृत्य के माध्यम से व्यक्त करते हैं।
साल के वृक्षों से बने जैतखाम की होती है पूजा

साल अथवा सरई के वृक्ष की लकड़ियों से तैयार जैतखाम की पूजा भी सैकड़ों वर्षों से होती आ रही है। बाबा संत गुरूघासी दास के संदेश को जीवंत करते हुए सतनाम का संदेश देने वाले जैतखाम की स्थापना छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में की गई है। समाज के जानकारों का कहना है कि सरई के वृक्ष की लकड़ी से तैयार जैतखाम की स्थापना कर वे अपने गुरू बाबा की पूजा अर्चना करते आ रहे हैं। हालांकि कुछ वर्षों से पर्यावरण संरक्षण का ध्यान रखते हुए लकड़ी की जगह सीमेंट से जैतखाम तैयार किया जा रहा है। प्रदेश में अनेक जैतखाम आज भी मौजूद है जो सरई की लकड़ियों से तैयार हुए है। सरई वृक्ष की महत्ता और आस्था समाज के लोगों में बनी हुई है।
पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं साल के घने जंगल

सरगुजा से लेकर बस्तर तक फैले साल के घने जंगलों से प्रदेश की जलवायु शांत और शीतल बनी रहती है। साल के हरे-भरे जंगलों से दूर तक हरियाली नजर आती है। बाहर से आने वाले पर्यटक जब रास्तों से गुजरते हुए साल के घने जंगलों को देखते हैं तो उन्हें एक अलग सुखद अनुभूति होती है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल और पर्यटन मंत्री श्री ताम्रध्वज साहू के दिशा-निर्देशन में प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने और जनजातीय संस्कृति की उभारने की दिशा में लगातार काम किया जा रहा है। साल वृक्ष का संरक्षण, वनोपजों की खरीदी सहित संस्कृति को बढ़ावा देने के सरकारी प्रयास ने साल वृक्ष की महत्ता को और भी बढ़ाने का काम किया है।
क्षेत्र के अनुसार साल का है अलग-अलग नाम

साल का वानस्पतिक नाम शोरिया रोबस्टा है। भारत के विभिन्न राज्यों में इस वृक्ष को अलग-अलग नाम से जाना जाता है। संस्कृत में साल को अर्श्वकर्ण, साल, कार्श्य, धूपवृक्ष, सर्ज, हिन्दी में शालसार, साल, साखू, सखुआ, उर्दू में राल, अंग्रेजी में कॉमन शाल, इण्डियन डैमर ओड़िया में सगुआ, सलवा, कन्नड में असीन, गुग्गुला, काब्बा, गुजराती में राल, राला, तेलगु में जलरि चेट्ट, सरजमू, गुगल, तमिल में शालम, कुंगिलियम, अट्टम, बंगाली में साखू, साल, सलवा, शालगाछ, तलूरा, पंजाबी में साल, सेराल, मराठी में गुग्गीलू, सजारा, राला, रालचा वृ़क्ष, मलयालम में मारामारम, मूलापूमारूत के नाम से जाना जाता है।

रायपुर /शौर्यपथ/

दुर्ग जिले के उमरपोटी गांव की श्रीमती चित्रा सिंह ने अपनी जमीन

दुर्ग जिले के उमरपोटी गांव की  चित्रा सिंह ने अपनी जमीन पर गुलाब की खेती कर उसे सोना उगलने पर मजबूर कर दिया। आज वह फूलों की खेती से अच्छी आय अर्जित करने के साथ ही गांव के 12 लोगों को रोजगार दे रही हैं, जिसमें 10 महिलाएं और 2 पुरुष शामिल हैं। उनका कहना है कि अपने स्व-रोजगार के साथ उन्होंने दूसरों को जो रोजगार दिया है, वह उनके जीवन को बहुत ही संतुष्टि देता है।

वेडिंग प्लानर को भी सप्लाई कर रही है गुलाब का फूल- चित्रा ने बताया कि उनके द्वारा उच्च गुणवत्ता वाले खिले हुए गुलाबो का उत्पादन किया जाता है जो कि डेकोरेशन में सबसे ज्यादा उपयोग में लाए जाते हैं। उनके गुलाब के क्वालिटी से प्रभावित होकर कई वेडिंग प्लानरों ने उनसे डेकोरेशन के लिए गुलाब लिया है। वो भिलाई के सेक्टर-6, दुर्ग और राजनांदगांव में भी अपने फूलों की सप्लाई करती हैं।

पर गुलाब की खेती कर उसे सोना उगलने पर मजबूर कर दिया। आज वह फूलों की खेती से अच्छी आय अर्जित करने के साथ ही गांव के 12 लोगों को रोजगार दे रही हैं, जिसमें 10 महिलाएं और 2 पुरुष शामिल हैं। उनका कहना है कि अपने स्व-रोजगार के साथ उन्होंने दूसरों को जो रोजगार दिया है, वह उनके जीवन को बहुत ही संतुष्टि देता है।

गुलाब की खेती की आय से बेटी को डॉक्टर की पढ़ाई में मदद -  चित्रा हमेशा चाहती थी कि वो अपनी बेटी के भविष्य निर्माण में अपना योगदान दें। फूलों के इस व्यवसाय से आज उनका यह सपना भी पूरा हो गया। उन्होने जैसे ही गुलाब की खेती शुरू की ठीक उसके बाद उनकी बेटी का सिलेक्शन एमबीबीएस के लिए शंकराचार्य मेडिकल कॉलेज में हो गया। आज उनकी बेटी ने एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी कर ली है और वर्तमान में उनका इंटरशिप चल रहा है।

 चित्रा सिंह ने बताया कि शादी के पश्चात हाउस वाइफ के रूप में वह अपना जीवन जी रहीं थी। घर का काम करने के बाद उनका समय व्यतीत नहीं होता था, जिससे उनके मन में घर के कार्य के साथ-साथ प्रकृति के साथ जुड़कर कुछ कार्य करने का विचार आया। बचपन से ही उन्हें बागवानी का बड़ा शौक था। जिसे ध्यान में रखकर उन्होनें उमरपोटी में उनकी खाली पड़ी जमीन पर खेती का विचार किया। इसके लिए उन्होंने उद्यानिकी विभाग से संपर्क किया। जहां विभाग के द्वारा उन्हें पॉली हाउस में गुलाब की खेती करने की सलाह दी गई। इसके लिए उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक भिलाई से लोन लिया और उद्यानिकी विभाग द्वारा पाली हाउस बनवाने एवं गुलाब की खेती के लिए अनुदान प्राप्त किया। उद्यानिकी विभाग के मार्गदर्शन में शुरुआती 3 महीने के अंतराल में ही गुलाब का उत्पादन शुरू हो गया। वह लगभग 1.8 एकड़ जमीन पर गुलाब की खेती कर रही है। शुरुआत में उनकी मंशा खाद्यान्न के खेती की थी परंतु उनके मन में अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करना और बेटी के पढ़ाई में सहयोग करना, दोनों विचार थे जिसके लिए उन्होंने रिस्क लेते हुए समय की मांग के अनुरूप उद्यानिकी विभाग के सहयोग से गुलाब की खेती करने का निर्णय लिया। उद्यानिकी विभाग ने उन्हें वर्तमान में डेकोरेशन में फूलों के महत्व को समझाते हुए राष्ट्रीय बागवानी योजना के अंतर्गत मदद दी। आज  चित्रा अपने पॉली हाऊस से 3 लाख 37 हजार कट फ्लावर मार्केट में उपलब्ध करा रही है। उत्पादन में उनके द्वारा लगभग 02 लाख रूपए की राशि खर्च की जा रही है। वहीं उन्हें 08 लाख रूपए का शुद्ध लाभ भी हो रहा है। आज उनकी इस सफलता को देखकर उनके आस-पास के किसान भी नए तकनीक से खेती करने के लिए और खाद्य फसलों के आलावा व्यवसायिक फसलों के लिए भी प्रेरित और प्रोत्साहित हो रहे हैं। खोपली में भी कुछ किसानों के द्वारा इसकी शुरुआत की गई है।  चित्रा आज न केवल अपने पांव पर खड़ी हैं बल्कि अपनी बेटी के लिए एक आदर्श बन कर उभरी हैं।

रायपुर /शौर्यपथ/

 मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 10 नवम्बर को राष्ट्रीय उत्सव समिति द्वारा आयोजित स्टेट हाई स्कूल में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन वाह...वाह... राजनांदगांव का दीप प्रज्जवलित कर शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री बघेल ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि जिस कवि सम्मेलन में कुमार विश्वास शिरकत करें, वहां सोने पे सुहागा जैसी बात है। उन्होंने सभी को दीपावली एवं छठ पर्व की हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय  विजय पाण्डेय ने जो परंपरा प्रारंभ की थी उन्हें उनके सुपुत्र तथागत पाण्डेय ने आगे बढ़ाया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि वे अपने पिता स्वर्गीय विजय पाण्डे के सामाजिक सेवा के कार्यों को आगे बढ़ाते रहेंगे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कवि सम्मेलन का आनंद लिया।

राष्ट्रीय उत्सव समिति द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन वाह...वाह... राजनांदगांव में पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे, डॉ. कुमार विश्वास,  अशोक चारण, सुश्री मणिका दुबे शामिल हुए। पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे की हास्य व्यंग्य की कविताओं ने श्रोताओं को खूब हंसाया। उन्होंने कोरोना के बाद कतका बाचे..., छत्तीसगढिय़ा काफिंडेंस..., जे मन काखरो नई सुनय तय पुलिस वाले मन आज कविता सुनत हे..., जैसी हास्य कविताओं से श्रोताओं को आनंद से सराबोर किया। डॉ. कुमार विश्वास ने कहा कि अंतर्मन में देश महान साहित्यकार गजानंद माधव मुक्तिबोध की धरती को प्रणाम करने की इच्छा थी, जो आज पूरी हो गई। उन्होंने कहा कि कोरोना की विषम परिस्थिति से हमारा देश उबरा है। यहां की मिट्टी की तासीर ही अलग है। उनकी कविता हादसों की जद में है, तो क्या मुस्कुराना छोड़ दे... जैसी प्रेरक एवं ओजस्वी कविताएं सुनकर श्रोता मंत्रमुग्ध हुए।  अशोक चारण,  मणिका दुबे की कविताओं ने भी श्रोताओं को बांधे रखा।

इस अवसर पर अन्य पिछड़ा वर्ग विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष दलेश्वर साहू, अनुसूचित जाति प्राधिकरण के अध्यक्ष भुनेश्वर बघेल, छत्तीसगढ़ अंत्यावसायी सहकारी वित्त एवं विकास निगम धनेश पाटिला, खुज्जी विधायक छन्नी साहू, महापौर हेमा देशमुख, जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के अध्यक्ष नवाज खान, कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा, पुलिस अधीक्षक डी श्रवण, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रज्ञा मेश्राम, एसडीएम राजनांदगांव अरूण वर्मा एवं अन्य जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी उपस्थित थे।

 

 

रायपुर /शौर्यपथ/ 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से नई दिल्ली में राज्यपाल अनुसुईया उइके ने सौजन्य मुलाकात की। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को गोबर से बने भगवान गणेश की प्रतिमा एवं भगवान बुद्ध की प्रतिमा भेंट स्वरूप प्रदान की तथा शाल पहनाकर उनका सम्मान किया। राज्यपाल ने प्रधानमंत्री मोदी को अपने कार्यकाल पर आधारित पुस्तक ‘‘नई सोच-नई पहल भाग-दो’’ भी भेंट की। इस अवसर पर उन्होंने प्रधानमंत्री से विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।

रायपुर /शौर्यपथ/


मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से आज शाम यहां उनके निवास कार्यालय में नवनियुक्त पुलिस महानिदेशक अशोक जुनेजा ने सौजन्य मुलाकात की। मुख्यमंत्री बघेल ने उन्हें नवीन दायित्व के लिए बधाई और शुभकामनाएं दीं।

पंथी नृत्य ने बनाई विश्व स्तर पर छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान : भूपेश बघेल

डॉ. राधेश्याम बारले ने कहा मुख्यमंत्री जी का मार्गदर्शन हमेशा मिला

रायपुर /शौर्यपथ/

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज भिलाई

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज भिलाई रिसाली के दशहरा मैदान में आयोजित पद्मश्री डॉ. राधेश्याम बारले के अभिनंदन समारोह में शामिल हुए। उन्होंने समारोह में डॉ. राधेश्याम बारले का अभिनंदन कर उन्हें पद्श्री सम्मान से सम्मानित होने पर बधाई और शुभकामनाएं दी। बघेल ने कहा कि डॉ. बारले को पंथी नृत्य के क्षेत्र में योगदान के लिए पद्श्री सम्मान मिलने से पूरा छत्तीसगढ़ गौरवान्वित हुआ है। उन्होंने कहा कि डॉ. बारले पंथी नृत्य के माध्यम से बाबा गुरू घासीदास जी के संदेश को जन-जन तक पहुंचा रहे हैं। उन्होंने अपनी कला साधना से छत्तीसगढ़ ही नहीं पूरे देश को गौरवान्वित किया है।

रिसाली के दशहरा मैदान में आयोजित पद्मश्री डॉ. राधेश्याम बारले

छत्तीसगढ़ के पंथी नृत्य के मशहूर कलाकार डॉ. राधेश्याम बारले को हाल ही में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया है। इस अवसर पर अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि पंथी नृत्य के माध्यम से छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बनी है। चाहे पंथी हो या पंडवानी हो। छत्तीसगढ़ की सुंदर सांस्कृतिक परंपरा रही है और इस सांस्कृतिक परंपरा पर हमें गौरव है। आज मैं डॉ. बारले एवं उनके परिजनों तथा पंथी कलाकारों से मिलकर एवं उनके सुंदर पंथी नृत्य को देखकर बहुत उल्लासित हुआ हूं। आप सभी ने बहुत आकर्षक सुंदर पंथी नृत्य प्रस्तुत किया है।

के अभिनंदन समारोह में शामिल हुए। उन्होंने समारोह में

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से आए पंथी दल को 25 हजार रुपये देने की घोषणा की। इस मौके पर अपने संबोधन में गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि प्रदेशभर से आई पंथी नृत्य की टोलियों ने बहुत सुंदर प्रदर्शन किया है। पंथी नृत्य की इस कला के लिए डॉक्टर बारले को पद्मश्री दिए जाने से पूरा छत्तीसगढ़ गौरवान्वित हुआ है।

डॉ. राधेश्याम बारले का अभिनंदन कर उन्हें पद्श्री सम्मान से सम्मानित होने पर बधाई और शुभकामनाएं दी।

इस अवसर पर अपने संबोधन में डॉ. बारले ने कहा कि मेरा यह सम्मान पंथी नृत्य का सम्मान है। सतनाम समाज का सम्मान है। बाबा गुरु घासीदास जी का सम्मान है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल का विशेष मार्गदर्शन इस संबंध में रहा है। 1988 में उन्होंने पंथी नृत्य में मेरी दिलचस्पी और मेरी कला को देखकर आकाशवाणी में मेरे लिए अनुशंसा पत्र लिखा था। इसके बाद आकाशवाणी में मेरे कार्यक्रमों की प्रस्तुति हुई और इसके माध्यम से मेरी कला का रास्ता खुला। इस मौके पर विधायक  देवेंद्र यादव, पूर्व मंत्री  धनेश पाटिला एवं अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित थे। 

पंथी नृत्य ने मोह लिया मन- इस मौके पर प्रदेश भर से आई पंथी नृत्य टोलियों ने अपने नृत्य कला का प्रदर्शन किया। पंथी विश्व के सबसे तेज नृत्यों में से एक है। पंथी कलाकारों के सामूहिक प्रदर्शन ने जन समूह का मन मोह लिया। उनकी अद्भुत गतिशीलता को देख आम जनता चकित रह गई। साथ ही कलाकारों के सुंदर गायन ने भी लोगों का मन मोह लिया।

रायपुर /शौर्यपथ/


मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज राजधानी रायपुर स्थित एक निजी

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज राजधानी रायपुर स्थित एक निजी होटल में इंडस्ट्रियल एसोशिएशन ऑफ छत्तीसगढ़ के तत्वाधान में आयोजित दीवाली मिलन समारोह में शामिल हुए और सबकी खुशहाली तथा उन्नति के लिए शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर उद्योग मंत्री श्री कवासी लखमा, छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल के अध्यक्ष कुलदीप जुनेजा, महापौर नगर पालिक निगम रायपुर एजाज ढेबर, विधायक रामकुमार यादव, अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, प्रमुख सचिव उद्योग मनोज पिंगुआ सहित विभिन्न औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

होटल में इंडस्ट्रियल एसोशिएशन ऑफ छत्तीसगढ़ के तत्वाधान में आयोजित दीवाली मिलन समारोह में शामिल हुए और सबकी खुशहाली तथा उन्नति के लिए

मुख्यमंत्री  बघेल ने इस दौरान औद्योगिक इकाईयों के प्रतिनिधिमंडल से एक-एक कर भेंट-मुलाकात की। उन्होंने प्रतिनिधिमंडल से चर्चा करते हुए कहा कि शासन और उद्योग जगत के आपसी तालमेल से छत्तीसगढ़ ने कोरोना-काल में भी उपलब्धियां भी अर्जित की है। इस तरह संकट के समय में भी हमारी अर्थव्यवस्था का पहिया निरंतर घूमता रहा। मुख्यमंत्री  बघेल ने कहा कि हमारे गांवों में मेहनतकश, ईमानदार, अनुशासित और शांति-प्रिय लोग है। प्रतिभा और उद्यमशीलता की छत्तीसगढ़ में कोई कमी नहीं है। सुराजी गांव योजना के तहत गांवों में गौठानों का निर्माण करके और फिर उन्हें रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित करके हमने गांवों की उत्पादन क्षमता को भी प्रमाणित कर दिखाया है। बीते तीन वर्षों के दौरान हम लोगों ने इन गौठानों और वन-धन केन्द्रों के रूप में छत्तीसगढ़ के उद्योग-जगत के सामने नई संभावनाओं के दरवाजे खोल दिए है। इन संभावनाओं का लाभ उठाते हुए छत्तीसगढ़ के उद्योग और व्यापार को हम और भी ज्यादा ऊंचाईयों पर ले जा सकते है।

मुख्यमंत्री  बघेल ने प्रतिनिधिमंडल से चर्चा के दौरान कहा कि छत्तीसगढ़ की नई उद्योग नीति में कृषि और वनोपज आधारित उद्योगों को प्राथमिकता देने का मकसद भी यही है। इस समय छत्तीसगढ़ के पास देश की सबसे अच्छी उद्योग नीति है। इसमें नए उद्योगों की स्थापना के लिए उद्योगपतियों को भरपूर सहयोग और प्रोत्साहन दिया जा रहा है। कोर सेक्टर के उद्योगों को उनकी मांग के अनुसार प्रोत्साहन देने के लिए नई उद्योग नीति में बी-स्पोक पॉलिसी भी लागू की गई है। इस अवसर पर प्रतिनिधिमंडल ने भी राज्य की औद्योगिक नीति की सराहना की और कहा कि इससे छत्तीसगढ़ में उद्योगों को संरक्षण के साथ-साथ आगे बढ़ने का बेहतर वातावरण मिला है। इस अवसर पर विभिन्न औद्योगिक संगठनों से प्रतिनिधिमंडल में  अनिल हचरानी, प्रदीप टंडन, आश्विन गर्ग, मनोज अग्रवाल, के.के. झा, रतनदास गुप्ता, विकास अग्रवाल, रमेश अग्रवाल आदि उपस्थित थे।

रायपुर /शौर्यपथ/

मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल ने आज शाम राजधानी रायपुर के

राजातालाब स्थित पद्मश्री से विभूषित सूफी

गायक व संगीतकार  मदन सिंह चौहान के निवास पहुंचकर उनसे

मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए  चौहान को पद्मश्री अलंकरण से नवाजे जाने पर उन्हें हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। मुख्यमंत्री ने  मदन सिंह चौहान का शॉल-श्रीफल भेंट कर सम्मान किया। श्री चौहान ने मुख्यमंत्री को

मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल ने आज शाम राजधानी रायपुर के राजातालाब स्थित पद्मश्री से विभूषित सूफी गायक व संगीतकार श्री मदन सिंह चौहान के निवास पहुंचकर उनसे मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए  चौहान को पद्मश्री अलंकरण से नवाजे जाने पर उन्हें हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। मुख्यमंत्री ने  मदन सिंह चौहान का शॉल-श्रीफल भेंट कर सम्मान किया।  चौहान ने मुख्यमंत्री को राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद के हाथों से प्राप्त पद्म अलंकरण व प्रशस्ति पत्र दिखाया और पद्म अलंकरण समारोह का अनुभव साझा किया। मुख्यमंत्री  बघेल  मदन सिंह चौहान के परिवारजनों से मिले। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल के अध्यक्ष और विधायक  कुलदीप जुनेजा, रायपुर महापौर  एजाज ढेबर सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

मशहूर कॉमेडियन सुगंधा मिश्रा और संकेत भोसले ने इसी साल अप्रैल में शादी की है और दोनों सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव भी हैं. उनका पूल वीडियो वायरल हो रहा है.

नई दिल्ली /शौर्यपथ/

मशहूर कॉमेडियन सुगंधा मिश्रा और संकेत भोसले ने इसी साल अप्रैल में शादी की है और दोनों सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव भी हैं. सुगंधा और संकेत दोनों ही फनी वीडियो शेयर करते हैं और इन वीडियो को उनके फैन्स भी हाथोहाथ लेते हैं. अब दोनों का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें सुगंधा और संकेत छुट्टियों का लुत्फ लेते नजर आ रहे हैं. दोनों ही पूल में चिल कर रहे हैं और इनको लेकर फैन्स के खूब रिएक्शन भी आ रहे हैं.

सुगंधा मिश्रा ने संकेत भोसले के साथ वीडियो को शेयर करे हुए लिखा, 'छुट्टियों की वाइब.' सुगंधा और संकेत के इस वीडियो पर फैन्स जमकर चुटकी ले रहे हैं. एक फैन ने इसे लेकर लिखा है, 'ऐसी ठंडी में भी रहम नहीं है भाई पर.' एक और फैन ने लिखा है कि शादी सिर्फ इस लिए की थी कि हज्बैंड का कॉमेडी वीडियो बना सको.

 

नवाब मलिक ने ये भी कहा कि गुजरात के द्वारका में 350 करोड़ नशे की खेप पकड़ी गई थी.इसके पीछे कोई साजिश तो नहीं है. ड्रग्स का खेल गुजरात से तो नहीं चल रहा. गोसावी पाटिल अहमदाबाद जाते थे.

नई दिल्ली/शौर्यपथ/

नवाब मलिक  की बेटी ने पूर्व मुख्‍यमंत्री देवेंद्र फडणवीस  को एक कानूनी नोटिस भेजा है. उन्‍होंने नोटिस भेजते हुए कहा कि बोलने का अधिकार है, गाली देने का नहीं. साथ ही उन्‍होंने सवाल उठाया कि गुजरात में ही नशे की खेप क्‍यों पकड़ी जा रही है. उन्‍होंने कहा कि द्वारका में नशे की खेप पकड़ी गई, कहीं गुजरात से ही तो नशे का खेल नहीं चल रहा है. नवाब मलिक ने ये भी कहा कि क्रूज ड्रग्स केस से जुड़े लोग भी गुजरात जाते थे, उनका वहां के एक मंत्री से संबंध भी है

नवाब मलिक ने कहा कि मेरी बेटी ने देवेंद्र फडणवीस को नोटिस भेजा है.फडणवीस ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में परसों हमारे दामाद पर आरोप लगाए थे कि उनके पास ड्रग्स मिले थे. हमारी बेटी ने उनकी कानूनी नोटिस भेजा है कि क्षमा मांगें नहीं तो उन पर मानहानि का केस किया जाएगा. मलिक ने ये भी कहा कि गुजरात के द्वारका में 350 करोड़ नशे की खेप पकड़ी गई थी.इसके पीछे कोई साजिश तो नहीं है. ड्रग्स का खेल गुजरात से तो नहीं चल रहा. गोसावी पाटिल अहमदाबाद जाते थे. महाराष्ट्र में 2-3 ग्राम ड्रग्स की कार्यवाही में फिल्म वालों को परेड करवा दी थी. लोगों के मन में शंका खड़ी हो रही है कि द्वारका में 350 करोड़ की ड्रग्स पकड़ी गई, उम्मीद है कि इसकी जांच सही तरह से होगी. डीजी एनसीपी इसको गंभीरता से लेंगे.

बता दें कि महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक के खिलाफ ध्यानदेव वानखेड़े द्वारा दायर मानहानि के मुकदमे की सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि एनसीबी के क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े ‘सरकारी अधिकारी' हैं और कोई भी उनके कामकाज की समीक्षा कर सकता है. समीर वानखेड़े के पिता ध्यानदेव वानखेड़े ने मलिक से 1.25 करोड़ रुपये की मुआवजा राशि और वानखेड़े परिवार के खिलाफ भविष्य में कोई भी फर्जी या गलत टिप्पणी करने से रोकने के लिए स्थगनादेश मांगा है.राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता ने समीर वानखेड़े पर तमाम आरोप लगाए हैं जिनमें सरकारी नौकरी पाने के लिए फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनवाने का आरोप भी शामिल है. सुनवाई के दौरान ध्यानदेव वानखेड़े के अधिवक्ता अरशद शेख ने सवाल किया कि समीर को ऐसे व्यक्ति को स्पष्टीकरण क्यों देना चाहिए जो ‘‘सिर्फ एक विधायक है कोई अदालत नहीं.'' इस पर न्यायमूर्ति माधव जामदार ने कहा, ‘‘आप सरकारी अधिकारी हैं... आपको सिर्फ इतना साबित करना है कि ट्वीट (मलिक द्वारा किए गए ट्वीट) पहली नजर में गलत हैं... आपके पुत्र सिर्फ एक व्यक्ति नहीं हैं, बल्कि वह एक सरकारी अधिकारी हैं और जनता का कोई भी सदस्य उनकी समीक्षा कर सकता है.''

 

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