August 02, 2025
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खाना खजाना /शौर्यपथ /आपका दिल अगर कुछ चटपटा खाने का कर रहा है, तो आप चने की दाल क पकौड़े ट्राई कर सकते हैं। इन पकौड़ों की सबसे खास बात यह है कि यह बेसन से ज्यादा क्रिस्पी बनते हैं। आइए, जानते हैं कैसे बनाएं चना दाल पकौड़े-
सामग्री : आधा कप चना दाल
एक छोटा चम्मच जीरा
लहसुन की 2-3 कलियां (बारीक कटी हुई)
आधा इंच अदरक (बारीक कटा हुआ)
एक हरी मिर्च (बारीक कटी हुई)
एक प्याज (बारीक कटा हुआ)
एक प्याज (बड़े टुकड़ों में कटा हुआ)
चुटकीभर हींग
दो बड़ा चम्म(च हरा धनिया ( बारीक कटा हुआ)
नमक स्वादानुसार
तेल तलने के लिए
विधि : सबसे पहले चने की दाल को धोकर पानी में 3 से 4 घंटे के लिए भिगोकर रख दें।
तय समय के बाद दाल में बड़े टुकड़ों में कटा हुआ प्याटज, हरी मिर्च, अदरक , लहसुन, हींग, जीरा और थोड़ा सा पानी डालकर पीस लें।
अब इस पेस्टा को एक बॉउल में निकाल लें और इसमें बारीक कटा प्याटज और नमक मिलाएं।
अब इस पेस्टा में चुटकीभर बेकिंग सोडा डालें।
मीडियम आंच में एक कड़ाही में तेल गरम करें।
तेल के गरम होते ही इसमें चना दाल के पेस्टो को पकौड़ों के शेप में डालें।
पकौड़ों को सुनहरा होने तक दोनो साइड से तले और आंच बंद कर दे।
तैयार है चना दाल प्याज पकौड़ा। हरी चटनी या टोमैटो सॉस के साथ सर्व करें।

आस्था /शौर्यपथ / वैदिक काल से ही सूर्यदेव की उपासना की जाती है। सूर्यदेव की पूजा साक्षात रूप में की जाती है। पहले सूर्यदेव की उपासना मंत्रों से की जाती थी। बाद में मूर्ति पूजा का प्रचलन हुआ। सूर्यदेव की ऊर्जा से ही पृथ्वी पर जीवन है। उनकी कृपा से हर रोग से मुक्ति पाई जा सकती है। रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित है। आइए जानते हैं सूर्यदेव से जुड़े कुछ आसान से वास्तु उपायों के बारे में।
सूर्योदय के समय की किरणें स्वास्थ्य की दृष्टि से सर्वोत्तम मानी जाती हैं। ब्रह्ममुहूर्त का समय असीम ऊर्जा का भंडार है। इस समय का सदुपयोग करने से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है। रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित है, इस दिन पूरे परिवार के साथ सूर्यदेव की उपासना करें। भगवान सूर्य को तांबे के लोटे में जल, चावल, फूल डालकर अर्घ्य दें। रविवार के दिन लाल-पीले रंग के कपड़े, गुड़ और लाल चंदन का प्रयोग करें। रविवार के दिन फलाहार व्रत रखें। रविवार को सूर्य अस्त से पहले नमक का उपयोग न करें। तांबे की चीजों का क्रय-विक्रय न करें। रविवार के दिन घर के सभी सदस्यों के माथे पर चंदन का तिलक लगाएं। रविवार के दिन पैसों से संबंधित कोई कार्य नहीं करना चाहिए। इस दिन आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें। घर में कृत्रिम रोशनी के बजाए सूर्यदेव का प्रकाश आने दें। उत्तर-पूर्व दिशा को ईशान कोण नाम से जाना जाता है। इस दिशा का आधिपत्य सूर्यदेव के पास है। इस दिशा में बुद्धि और विवेक से जुड़े कार्य करें।

शिक्षा /शौर्यपथ /आचार्य चाणक्य एक अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और महान शिक्षाविद थे। उन्हें हर विषय की गहराई से जानकारी थी। यही कारण है कि उन्होंने अपने ग्रंथ नीति शास्त्र में कई नीतियों का वर्णन किया है जिन्हें अपनाकर व्यक्ति तमाम मुश्किलों का आसानी से हल कर सकता है। आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में दोस्ती, दुश्मनी, विवाह, धन, तरक्की और नौकरी आदि से संबंधित कई बातें बताई हैं, जो आज भी प्रासंगिक हैं।
एक श्लोक में आचार्य चाणक्य ने बताया है कि ब्राह्मण, विद्वान, राजा के अलावा स्त्री की ताकत क्या होती है। चाणक्य कहते हैं कि स्त्रियां अपनी ताकत का इस्तेमाल कर जो चाहे वह कर सकती हैं या फिर करवा सकती हैं। पढ़ें आज की चाणक्य नीति-
बाहुवीर्य बलं राज्ञो ब्रह्मवित् बली
रूप-यौवन-माधुर्य स्त्रीणां बलमनुत्तमम्।
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चाणक्य कहते हैं कि राजा की ताकत उसकी भुजाओं में होती है। एक ब्राह्मण की ताकत उसके ज्ञान और स्त्री की शक्ति उसकी सुंदरता और वाणी में होती है।
चाणक्य इस श्लोक के जरिए कहते हैं कि राजा का काम प्रजा की रक्षा करना होता है। ऐसे में राजा का बलशाली या बाहुबली होना जरूरी होता है। जो राजा ताकतवर होता है वह अपने राज्य की जनता और दुश्मनों को संभालना जानता है।
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इसी तरह ब्राह्मण की पहचान उसके ज्ञान से की जाती है। ब्राह्मण की असली ताकत उसका ज्ञान होता है। जिसके पास ज्ञान होता है उसे समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है। वह अपनी बौद्धिक क्षमता से सामने वालों को समझा सकता है।
चाणक्य आगे कहते हैं कि स्त्री की खूबसूरती और मधुर वाणी ही उसकी ताकत होते हैं। वह इसके बूते पर कुछ भी कर सकती है या फिर करवा सकती है।

शौर्यपथ /कोविड से निजात पाने के बाद कई लोगों के खून में गाढ़ापन की समस्या सामने आ रही है। इस आशंका की जांच के लिए डॉक्टर डी डायमर टेस्ट कराने की सलाह दे रहे हैं। साथ ही खून पतला करने की दवाएं भी दे रहे हैं। इन दवाओं के साथ हम कुछ आयुर्वेदिक तरीके से भी खून के गाढ़ेपन को कम कर सकते हैं। आइए जानते हैं क्या हैं ये आयुर्वेदिक तरीके
फाइबर युक्त भोजन
फाइबर युक्त भोजन खून को शुद्ध रखने के लिए एक कारगर तरीका है। हमें रोजाना इसका प्रयोग करना चाहिए। इससे हमारे शरीर की पाचन शक्ति तो अच्छी रहती ही है साथ ही खून भी साफ रहता है। गाजर, ब्रोकली, मूली, शलजम आदि को हमें अपने भोजन में नियमित रूप से शामिल करना चाहिए। हमें विटामिन सी युक्त फलों को भी ज्यादा से ज्यादा उपयोग में लाना चाहिए। यह खून में पैदा होने वाले थक्कों को रोकता है और खून को पतला बनाए रखता है। इसके अलावा साबुत अनाज, अलसी के बीज, जई, ओट्स और नट्स भी खून को पतला रखने में काफी मददगार हैं।
हल्दी, अदरक, लहसुन हैं कारगर
हल्दी में औषधीय गुण खूब होते हैं। इसमें कुरकुमिन नामक तत्व पाया जाता है जो खून के थक्कों को बनने से रोकने का काम करता है। इसके अलावा अदरक के सेवन से भी बहुत फायदा मिलता है। अदरक में शरीर की सूजन कम करके मांसपेशियों को आराम दिलाने का गुण होता है। इसी कारण अदरक को भी खून को पतला करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। दालचीनी में भी ये गुण होता है। अदरक और दालचीनी का सेवन एक साथ करने का सबसे अच्छा तरीका ये है कि आप उसे चाय में डाल लें। लहसुन भी खून को पतला करने में मदद करता है। आप चाहें तो सुबह के समय लहसुन की एक या दो कली कच्ची चबाकर खा जाएं। अगर ऐसे नहीं खा पा रहे हैं तो फिर खाने के साथ खा सकते हैं।
मछली भी उपयोगी
मछली में प्रचुर मात्रा में ओमेगा-3, फैटी एसिड और डीएचए पाया जाता है। जिसमें खून को पतला करने के साथ ही साफ रखने के गुण भी पाए जाते हैं। मछली के तेल का सेवन कैप्सूल के रूप में किया जाता है। इसलिए मछली का तेल भी खून को पतला करने में अपना योगदान करता है।
लौंग और मशरूम करे समाधान
लौंग में अत्यधिक मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट तत्व पाए जाते हैं जो रक्त में बनने वाले थक्कों को हटाने में मदद करता है। लौंग एस्प्रिन की तरह काम करती है। लौंग में मौजूद यूजीनोल नामक पदार्थ खून को पतला करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। कुकुरमुत्ता अर्थात काला मशरूम भी हमारे शरीर में खून को गाढ़ा होने से रोकता है। काले मशरूम में एपस्थित एडिनोसिन के साथ ही अन्य पदार्थ भी पाए जाते हैं जो खून को पतला करने का कार्य करते हैं। जिन्हें खून के गाढ़े होने की शिकायत रहती हैं उन्हें काले मशरूम का सेवन अवश्य करना चाहिए।
क्या है डी डायमर टेस्ट
ब्लड में माइक्रो क्लॉट्स से बनने वाला एक प्रोटीन होता है। जिसे फिबरिन डी जनरेशन प्रोडक्ट भी कहते हैं। यही डी डायमर है। यह शरीर के अंदर सामान्य ब्लड को थक्का बनाने की क्रिया का एक भाग होता है। शरीर में संक्रमण के कारण कई पैथोलॉजिकल कंडीशन में यह मात्रा बढ़ जाती है। ब्लड में इसी माइक्रो क्लॉट प्रोटीन की मात्रा मापने के लिए टेस्ट किया जाता है जिसे डी डायमर टेस्ट कहते हैं।
जहां तक ब्लड क्लॉटिंग की बात है तो इसका इलाज भी आयुर्वेद से संभव है। चिकित्सीय देखरेख में प्रतिदिन मृदु शोधन के साथ-साथ द्रच्छादि काढ़ा अन्य दवाओं के साथ लिया जा सकता है। आयुष मंत्रालय ने भी अभी हाल में आयुष 64 नाम से एक दवा जारी की है जो रक्त शुद्धि के लिए बहुत ही लाभप्रद है।

खाना खजाना /शौर्यपथ /शाम के समय अगर आपका मन भी कुछ चटपटा तीखा खाने का करता है लेकिन कोरोना की वजह से बाहर से कुछ भी मंगवाने से डर रहे हैं तो टेंशन छोड़ ट्राई कीजिए ये टेस्टी आटा मोमोज रेसिपी। आमतौर पर मोमोज मैदे से बनाए जाते हैं। लेकिन जरूरत से ज्यादा मैदे का सेवन आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में आटा मोमोज स्वाद के साथ सेहत बनाए रखने के लिए स्ट्रीट फूड का एक हेल्दी ऑप्शन है। आइए जानते हैं कैसे बनाए जाते हैं टेस्टी आटा मोमोज।
आटा मोमोज बनाने के लिए सामग्री--2 कप गेहूं का आटा
-2 टी स्पून तेल
-स्वादानुसार नमक
-पानी (गूंधने के लिए)
-2 टी स्पून तेल
-2 लहसुन , बारीक कटा हुआ
-1 प्याज, बारीक कटा हुआ
-2 कप बंद गोभी, गुच्छा
-1 गाजर, कद्दूकस
-1 टेबल स्पून सिरका
-1/2 टी स्पून काली मिर्च (कुटी हुई)
-1 टेबल स्पून सोया सॉस
-1 टेबल स्पून चिल्ली सॉस
आटा मोमोज बनाने की वि?धि-
सबसे पहले आटा गूंधकर उसे 30 मिनट के लिए एक बर्तन में अलग रख दें। अब एक कड़ाही में तेल गर्म करके उसमें लहसुन और प्याज डाल दें। अब कड़ाही में गाजर और बंद गोभी भी डालकर उन्हें हल्का भून लें। अब सिरका, सोया सॉस, चिली सॉस, काली मिर्च और नमक कड़ाही में डालकर सभी चीजों को अच्छी तरह मिला लें। आपकी मोमोज की स्टफिंग बनकर तैयार है।
अब गुंथे हुए आटे को एक मिनट के लिए दोबारा मल लें। अब मोमोज का बाहरी कवर बनाने के लिए आटे का छोटा सा टुकड़ा लेकर उसे पतला गोल बेल लें। इसकी गोलाई 4 से 5 इंच की होनी चाहिए। अब पहले से तैयार फिलिंग्स को इसके बीच में रखकर बंद कर दें। आटे को बंद करते हुए उसे मोमोज की शेप दें। 10 से 12 मिनट तक आटे को मोमोज को भांप में पकाएं। पकने पर आटे के मोमोज को गर्मागरम रेड चिली सॉस के साथ सर्व करें।

टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ / भागदौड़ भरी जिंदगी और खानपान की अनदेखी की वजह से आज लोगों के बीच मोटापा एक आम समस्या बन चुका है। अधिक मोटापा न सिर्फ व्यक्ति की पर्सनालिटी खराब करके उसके आत्मविश्वास को कम करता है बल्कि उसे कई गंभीर रोगों का शिकार भी बना देता है। अगर आप भी अपने बढ़ते मोटापे या वजन से परेशान हैं तो अपनी डेली रूटीन डाइट में थोड़ा सा बदलाव करके देखिए। अक्सर लोग नाश्ते या लंच में गेंहू के आटे से बनी रोटियों का सेवन करते हैं, लेकिन जो लोग वेट लॉस करना चाहते हैं उन्हें अपनी डाइट में गेंहू की जगह दूसरे अनाज के आटे से बनी रोटियों का सेवन करना चाहिए। आइए जानते हैं वेट लॉस की इच्छा रखने वाले लोगों को अपनी डाइट में शामिल करने चाहिए कौन से 5 आनाज के आटे की रोटियां।
ओट्स का आटा-
ओट्स का आटा कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होने के साथ शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करके दिल को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। ओट्स के आटे से बनी रोटियों का सेवन करने से पेट लंबे समय तक भरा हुआ रहता है और व्यक्ति को बार-बार भूख नहीं लगती है। इससे वजन घटाने में आसानी होती है।
​रागी का आटा-
रागी शरीर को आयरन, कैल्शियम और फाइबर जैसे पोषक तत्व प्रदान करने के साथ व्यक्ति के बढ़े हुए वजन को घटाने के लिए भी एक बेहतरीन अनाज माना जाता है। रागी में मौजूद ट्राइफोटोफेन नाम का एमिनो एसिड भूख को कम कर वेटलॉस में मदद करता है। विटामिन-सी से भरपूर रागी आयरन और फाइबर का भी एक बेहतरीन स्रोत है जो डायजेशन में मदद करता है।
बाजरे का आटा-
बाजरे का आटा ग्लूटेन फ्री होने के साथ फाइबर,मैग्नीशियम और अन्य आवश्यक विटामिनों से भरपूर होता है। जो भूख को कंट्रोल करके व्यक्ति को अतिरिक्त कैलोरी नहीं लेने देता। जिसकी वजह से व्यक्ति को वजन घटाने में आसानी होती है।
​ज्वार का आटा-
बाजरे की ही तरह ज्वार का आटा भी ग्लूटेन फ्री होता है। इसमें मौजूद प्रोटीन, मिनरल्स और विटामिन न सिर्फ वेट लॉस करने में मदद करते हैं बल्कि डायबिटीज को भी कंट्रोल रखते हैं। ज्वार के आटे से बनी रोटियों का सेवन करने से यह व्यक्ति की भूख पर कंट्रोल कर उसे अनहेल्दी या जंक फूड खाने से बचाता है।
बादाम का आटा-
बादाम के आटे से बनी रोटियों को कीटो डाइट फॉलो करने वाले लोग भी अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। बादाम के आटे में फाइबर, कार्ब्स की मात्रा कम होती है, जबकि इसमें मौजूद हेल्दी फैट्स और प्रोटीन शरीर को पोषण देने के साथ व्यक्ति के पेट को देर तक भरा हुआ रखते हैं।

शौर्यपथ /साल का पहला चंद्र ग्रहण 26 मई 2021, दिन बुधवार को लगेगा। जबकि साल का दूसरा चंद्र ग्रहण 19 नवंबर 2021 को लगेगा। सूर्य ग्रहण की तरह ही चंद्र ग्रहण में भी सूतक काल का विचार किया जाता है। साल का दूसरा चंद्र ग्रहण भारतीय समयानुसार दोपहर करीब 11.30 बजे लगेगा, जो कि शाम 05 बजकर 33 मिनट पर समाप्त होगा। यह आंशिक चंद्र ग्रहण होगा।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण को अशुभ घटना के तौर पर देखा जाता है। इस दौरान शुभ व मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ आदि की भी मनाही होती है। ग्रहण काल में देवी-देवताओं की मूर्ति या प्रतिमा को स्पर्श नहीं किया जाता है। मंदिर के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं।
कहां दिखेगा साल का दूसरा चंद्र ग्रहण-
साल का दूसरा चंद्र ग्रहण भारत, अमेरिका, उत्तरी यूरोप, पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया और प्रशांत महासागर क्षेत्र में दिखाई पड़ेगा।
क्या होता है आंशिक चंद्र ग्रहण-
चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन होता है। जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है यानी सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में आ जाते हैं तो इस घटना को चंद्र ग्रहण कहते हैं। जब पूरा चंद्रमा पृथ्वी की छाया में होता है तब पूर्ण चंद्र ग्रहण होता है। जब चंद्रमा का केवल एक भाग पृथ्वी की छाया में आता है तो आंशिक चंद्र ग्रहण होता है।
चंद्र ग्रहण को लेकर प्रचलित पौराणिक कथा-
समुद्र मंथन के दौरान स्वर्भानु नामक एक दैत्य ने छल से अमृत पान करने की कोशिश की थी। तब चंद्रमा और सूर्य की इस पर नजर पड़ गई थी। इसके बाद दैत्य की हरकत के बारे में चंद्रमा और सूर्य ने भगवान विष्णु को जानकारी दे दी। भगवान विष्णु ने अपने सुर्दशन चक्र से इस दैत्य का सिर धड़ से अलग कर दिया। अमृत की कुछ बंदू गले से नीचे उतरने के कारण ये दो दैत्य बन गए और अमर हो गए।
सिर वाला हिस्सा राहु और धड़ केतु के नाम से जाना गया। माना जाता है कि राहु और केतु इसी बात का बदला लेने के लिए समय-समय पर चंद्रमा और सूर्य पर हमला करते हैं। जब ये दोनों क्रूर ग्रह चंद्रमा और सूर्य को जकड़ते लेते है तो ग्रहण लगता है और इस दौरान नकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है और दोनों ही ग्रह कमजोर पड़ जाते हैं। इसलिए ग्रहण के दौरान शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है।

सेहत /शौर्यपथ /आज दुनियाभर में विश्‍व थाइरॉइड दिवस मनाया जा रहा है। यह खास दिन हर साल 25 मई को थायरॉयड रोग के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है। हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक, थायरॉइड हार्मोन शरीर के अंगों के सामान्य कामकाज के लिए जरूरी होते हैं । थायरॉइड ग्रंथि के ज्यादा या कम मात्रा में हार्मोन बनाने पर थायरॉइड की समस्या उत्पन्न होती है। जिसकी वजह से शरीर की प्रत्येक कोशिका प्रभावित होने लगती है। थायरॉयड के प्रति बरती गई लापरवाही व्यक्ति के लिए खतरनाक भी हो सकती है। ऐसे में आइए जानते हैं इस रोग से पीड़ित लोगों को अपनी सेहत बनाए रखने के लिए डाइट में शामिल करनी चाहिए कौन सी 5 चीजें।
केला-
केला एक सुपरफूड माना जाता है, जो पोटेशियम, विटामिन बी जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है। रोजाना एक केले का सेवन थायरॉयड की समस्या को दूर रखने में मदद कर सकता है।
अदरक-
अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व, पोटेशियम और मैग्नीश्यिम पाए जाते हैं, जो थायरॉयड को न केवल नियंत्रित करते हैं, बल्कि इसके लेवल को संतुलित भी रखते हैं।
आयोडीन-
थायरॉयड को ठीक बनाए रखने के लिए आप समुद्री फिश का सहारा ले सकते हैं। डॉक्टर हमेशा से मरीजों को सी फिश खाने की सलाह देते हैं। इसमें आयोडीन की अधिकता होती है।
चने की दाल
चने की दाल में मौजूद प्रोटीन, आयरन, जिंक थायरॉयड को नियंत्रित करने का बहुत अच्छा साधन है। इसका सेवन आमतौर पर दक्षिण भारत, बिहार, छत्तीसगढ़ में रसम, दाल और सूप के रूप में किया जाता है।
केसर-
केसर को रात भर भिगोकर रख दें और सुबह उठने के बाद इसका सेवन करें। ऐसा करने से थायरॉयड की समस्या से काफी हद तक राहत मिलती है। अगर आप मासिक धर्म या पीएमएस की वजह से ऐंठन का अनुभव कर रहे हैं तो भी यह उपाय आपको राहत देगा। केसर का सेवन दूध के साथ करने से शरीर को कैल्शियम और प्रोटीन दोनों मिलते हैं।
थायराइड रोगी न खाएं ये चीजें-
-ब्रोकली और फूलगोभी जैसी सब्जियां।
-ब्रेड, पास्ता और चावल में पाया जाने वाला ग्लूटेन ।
-चॉकलेट चीजकेक जैसे शुगरी फूड्स।
-कैफीन।

धर्म संसार /शौर्यपथ /पूर्णिमा तिथि 25 मई 2021, दिन मंगलवार की रात 08 बजकर 30 मिनट से शुरू होगी, जो 26 मई दिन बुधवार की शाम 04 बजकर 43 मिनट तक रहेगी। 26 मई बुद्ध पूर्णिमा को ही चंद्रग्रहण भी होगा, लेकिन यह भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए इसका सूतक नहीं लगेगा।
भारत में ग्रहण के आंशिक चरण की समाप्ति से पहले यह ग्रहण उत्तरपूर्वी हिस्सों (सिक्किम को छोड़कर), पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों, ओडिशा, अंडमान और निकोबार द्वीप के कुछ तटीय भागों से दिखाई देगा। भारत में ये उपच्छाया चंद्रग्रहण है। इसलिए इसका सूतक नहीं लगेगा और मंदिरों के कपाट भी बंद नहीं किए जाएंगे। पूर्णिमा की कथा, दान-पुण्य और स्नान पर कोई असर नहीं होगा।
भारत में चंद्रग्रहण का समय
26 मई को ग्रहण दोपहर 2.17 बजे से आरंभ होगा और शाम 7.19 बजे तक रहेगा
पूर्णिमा 26 मई को शाम 04 बजकर 43 मिनट तक रहेगी
वैशाखी पूर्णिमा के दिन शक्कर और तिल दान करने से अनजान में हुए पापों का भी क्षय हो जाता है। पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने घी से भरा हुआ पात्र, तिल और शक्कर स्थापित कर पूजन करना चाहिए। तिल के तेल का दीपक जलाएं।

आस्था /शौर्यपथ /मां गंगा सभी का उद्धार करने वाली हैं। उनकी कृपा से दुर्भाग्य दूर हो जाते हैं। संकट से मुक्ति के लिए मां गंगा की उपासना बहुत मायने रखती है। मान्यता है कि गंगाजल का स्पर्श करने मात्र से कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। गंगाजल से स्नान या इस पवित्र जल का सेवन करने से कई रोगों का खतरा कम हो जाता है। गंगाजल रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है। वास्तु शास्त्र में गंगाजल के प्रयोग से कई दोषों को दूर करने के बारे में बताया गया है। आइए जानते हैं इनके बारे में।
हर सोमवार भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक करें। ऐसा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा बनी रहती है। गंगाजल के स्पर्श मात्र से ही मनुष्य और वस्तु शुद्ध हो जाती है। कोई भी पूजा बिना गंगाजल अधूरी मानी गई है। घर में साफ-सफाई के बाद स्नान कर पूजा करें और गंगाजल का छिड़काव करें। गंगाजल प्रत्येक कमरे में छिड़कें। इससे मन शांत रहता है और घर में नकारात्मक शक्तियों का प्रवेश नहीं होता है। गंगाजल के सेवन से निमोनिया, मस्तिष्क ज्वर जैसी बीमारियों से मुक्ति पाई जा सकती है। मान्यता है कि गंगाजल के प्रयोग से आठ से भी ज्यादा बीमारियों का उपचार संभव है। मान्यता है कि गंगाजल को घर में रखने से हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है। कभी भी दूषित हाथों से गंगाजल को स्पर्श नहीं करना चाहिए। पवित्र गंगाजल को हमेशा तांबे या चांदी के बर्तन में रखना चाहिए। घर में जहां गंगाजल रखा जाता है, वहां साफ-सफाई का बहुत ध्यान रखना चाहिए। माना जाता है कि हर दिन गंगा जल पीने से मनुष्य निरोगी रहता है और लंबी आयु प्राप्त होती है।

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