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खाना खजाना / शौर्यपथ / बच्चों को कप केप काफी पसंद होता है।वहीं ऐसे वक्त में मार्केट में कप केक या तो आसानी से उपलब्ध नहीं है और बाहर का खाना अभी सेफ नहीं माना जा सकता है। ऐसे में आप घर में ही कप केक बना सकते हैं। इसकी रेसिपी बहुत आसान है।
सामग्री :मैदा 120 ग्राम
चीनी आधा कप
बेकिंग सोडा आधा छोटी चम्मच
बेकिंग पाउडर आधा चम्मच
मक्खन (पिघला हुआ) 85 ग्राम
2 अंडे का सफेद भाग
दही एक चौथाई कप
दूध एक चौथाई कप
नमक आधा छोटी चम्मच
वैनिला एसेंस 1 चम्मच
विधि : सबसे पहले माइक्रोवेव ओवन को 180 डिग्री सेल्सियस पर पहले से ही गर्म कर लें। एक बड़ा कटोरा लें उसमें मैदा, चीनी, चुटकीभर नमक और बेकिंग पाउडर, बेकिंग सोडा, 2 अंडे का सफेद भाग, दूध, दही, वैनिला एसेंस, और मक्खन डालकर अच्छी तरह से सभी सामग्री को मिलाएं। डिस्पोजल कप केक मोल्ड लें और बनाए हुए मिक्सचर को उसमें डाल कर ओवन में 25 मिनट के लिए रखें और 20-25 मिनट बाद आप का सुन्दर कपकेक बनके तैयार हो जाएगा। ठंडा होने के बाद इन्हें सभी को सर्व करें। इन कपकेक के ऊपर क्रीम डालकर भी सर्व किया जा सकता है।
सेहत शौर्यपथ / इन दिनों हल्दी वाले दूध यानी गोल्डन
मिल्क की बहुत चर्चा है....आम तौर पर सर्दी होने या शारीरिक पीड़ा होने पर घरेलू इलाज के रूप में हल्दी वाले दूध का इस्तेमाल किया जाता रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं, कि हल्दी वाले दूध के एक नहीं अनेक फायदे हैं? नहीं जानते तो हम बता रहे हैं-
हल्दी अपने एंटीसेप्टिक और एंटीबायोटिक गुणों के लिए जानी जाती है, और दूध, कैल्शियम का स्त्रोत होने के साथ ही शरीर और दिमाग के लिए अमृत के समान हैं। लेकिन जब दोनों के गुणों को मिला दिया जाए, तो यह मेल आपके लिए और भी बेहतर साबित होता है, जानते हैं कैसे -
1 जब चोट लग जाए - यदि किसी कारण से शरीर के बाहरी या अंदरूनी हिस्से में चोट लग जाए, तो हल्दी वाला दूध उसे जल्द से जल्द ठीक करने में बेहद लाभदायक है। क्योंकि यह अपने एंटी बैक्टीरियल और एंटीसेप्टिक गुणों के कारण बैक्टीरिया को पनपने नहीं देता।
2 शारीरिक दर्द - शरीर के दर्द में हल्दी वाला दूध आराम देता है।
हाथ पैर व शरीर के अन्य भागों में दर्द की शिकायत होने पर रात को सोने से पहले हल्दी वाले दूध का सेवन करें।
3 त्वचा हो साफ और खूबसूरत -
दूध पीने से त्वचा में प्राकृतिक चमक पैदा होती है, और दूध के साथ हल्दी का सेवन, एंटीसेप्टिक व एंटी बैक्टीरियल होने के कारण त्वचा की समस्याओं जैसे - इंफेक्शन, खुजली, मुंहासे आदि के बैक्टीरिया को धीरे-धीरे खत्म कर देता है। इससे आपकी त्वचा साफ और स्वस्थ और चमकदार दिखाई देती है।
4 सर्दी होने पर - सर्दी, जुकाम या कफ होने पर हल्दी वाले दूध का सेवन अत्यधिक लाभकारी साबित होता है। इससे सर्दी, जुकाम तो ठीक होता ही है, साथ ही गर्म दूध के सेवन से फेफड़ों में जमा हुआ कफ भी निकल जाता है। सर्दी के मौसम में इसका सेवन आपको स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है।
5 हड्डियां बने मजबूत - दूध में कैल्शियम होने के कारण यह हड्डियों को मजबूत बनाता है और हल्दी के गुणों के कारण रोगप्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। इससे हड्डी संबंधित अन्य समस्याओं से छुटकारा मिलता है और ऑस्टियोपोरोसिस में कमी आती है।
6 जब नींद न आए - यदि आपको किसी भी कारण से नींद नहीं आ रही है, तो आपके लिए सबसे अच्छा घरेलू नुस्खा है, हल्दी वाला दूध। बस रात को भोजन के बाद सोने के आधे घंटे पहले हल्दी वाला दूध पीएं, और देखिए कमाल।
7 पाचन तंत्र हो गड़बड़ - हल्दी वाले दूध का सेवन, आपकी आंतो को स्वस्थ रखकर पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करता है। पेट के अल्सर, डायरिया, अपच, कोलाइटिस एवं बवासीर जैसी समस्याओं में भी हल्दी वाला दूध फायदेमंद है।
8 जोड़ों के लिए असरकारी - हल्दी वाले दूध का प्रतिदिन सेवन, गठिया- बाय, जकड़न को दूर करता है, साथ ही जोड़ों मांसपेशियों को लचीला बनाता है।
9ब्लड शुगर कम करे - खून में शर्करा की मात्रा अधिक हो जाने पर हल्दी वाले दूध का सेवन ब्लड शुगर को कम करने में मदद करता है।लेकिन अत्यधिक सेवन शुगर को अत्यधिक कम कर सकता है, इस बात का ध्यान रखें।
10 सांस की तकलीफ - हल्दी वाले दूध में मौजूद एंटी माइक्रो बैक्टीरियल गुण, दमा, ब्रोंकाइटिस, साइनस, फेफड़ों में जकड़न व कफ से राहत देने में सहायता करते हैं।
गर्म दूध के सेवन से शरीर में गर्मी का संचार होता है जिससे सांस की तकलीफ में आराम मिलता है।
11 वायरल संक्रमण - वायरल संक्रमण में हल्दी वाला दूध सबसे बेहतर उपाय है, जो आपको संक्रमण से बचाता है।
सेहत /शौर्यपथ / गले में खराश होने पर किसी भी कार्य में मन नहीं लगता है। बार - बार खराश आती है। कई बार आस-पास मौजूद लोग भी परेशान हो जाते हैं। जब खराश बहुत अधिक बढ़ जाती है तब हम सीधे ऐलोपैथिक दवा लेने के बारे में सोचते हैं। लेकिन घर में मौजूद कई सारी चीजें है जिनके सेवन से आप घर पर आसानी से खराश से छुटकारा पा सकते हैं। तो आइए जानते हैं घर पर कैसे आसानी से गले में हो रहे खराश को दूर भगाएं -
1 नमक पानी की गरारे - जी हां, आपको हर थोड़े - थोड़े दिन में कफ हो जाता है तो आप पानी में नमक डालकर उसे गर्म कर लीजिए। और तीन वक्त गर्म पानी के गरारे करें। आपको 2 दिन में ही आराम मिलने लगेगा। साथ इसके कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है। आप रोज भी कर सकते हैं। कफ खत्म होने के साथ ही आवाज भी खुलती है और साफ भी होती है। शोध में भी इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि नमक के पानी के गरारे करने से गले की सूजन और दर्द में भी आराम मिलता है। डॉक्टर भी नमक के पानी के गरारे करने की सलाह देते हैं।
2.सोना सुहागी - जी हां, यह आपको किचन में आराम से मिल जाएगी। सोना सुहागी को रात में दूध से लिया जाता है। इससे आपको एक दिन में ही आराम मिल जाएगा। सोना सुहागी सफेद रंग की होती है उसे तवे पर धीमी आंच पर रखा जाता है, वह धीरे - धीरे फूलने लगती है। इसके बाद गैस बंद कर दीजिए। और दूध के साथ लेकर सो जाएं। इसे लेने के बाद आप पानी या अन्य चीज कुछ भी खाएं पिएं नहीं। आपको अगले दिन सुबह ही आराम मिल जाएगा।
- रसोई घर पर हर दर्द की दवा है। रात को सोने से पहले आप एक चम्मच में शहद लें और काली मिर्च को उसमें मिक्स कर दें। वह एक चम्मच आप पूरा खा लीजिए। इसके बाद किसी भी चीज का सेवन नहीं करें, पानी का भी नहीं। अगले दिन सुबह आपको आराम मिल जाएगा।
4.अदरक - अदरक में एंटी बैक्टीरियल तत्व मौजूद होते हैं। एक कप पानी में अदरक को डालकर उबाल लें। इसे गुनगुना होने के बाद इसमें शहद मिलाएं और दिन में दो बार पिएं। इसके सेवन से आपके गले का कफ दूर होगा और दर्द में भी आराम मिलेगा।
5.मसाला चाय - जी हां, चाय के सेवन से भी काफी राहत मिलती है। चाय में आप लौंग, तुलसी, अदरक, काली मिर्च डालकर उबाल लें। इसके बाद पानी में शक्कर और चाय की पत्ती डालकर उबालें और फिर छानकर पिएं। इसके सेवन से आपको कफ में भी राहत मिलेगी और गले के दर्द में भी आराम मिलेगा।
6.अमृतधारा : यह भीमसेनी कपूर,पिपरमिंट और अजवाइन के सत से बनती है और खराश में इसे गले पर लगाने और बूंद भर सेवन करने से आश्चर्यजनक फायदा करती है...
आस्था /शौर्यपथ /संधिकाल क्या होता है। दरअसल, किसी समय का परिवर्तन काल संधि काल होता है जैसे रात के बाद दिन प्रारंभ होता है, लेकिन दोनों के बीच जो काल होता है उसे संधिकाल कहते हैं। आओ जानते हैं कितने प्रकार के संधिकाल होते हैं।
'सूर्य और तारों से रहित दिन-रात की संधि को तत्वदर्शी मुनियों ने संध्याकाल माना है।'-आचार भूषण-89
1. रात और दिन में मुख्यत: दो संधियां तो हम देख सकते हैं जैसे प्रात: काल और संध्याकाल लेकिन बाकी की संधियों का हमें ज्ञान नहीं होता है। दो अवस्थाओं के मिलने का समय संधि काल होता है।
2. दिन और रात मिलाकर 8 प्रकार की संधि होती है जिसे अष्ट प्रहर कहते हैं। एक प्रहर एक घटी 24 मिनट की होता है। दिन के चार और रात के चार प्रहर मिलाकर कुल आठ प्रहर हुए।
*दिन के चार प्रहर:- पूर्वान्ह, मध्यान्ह, अपरान्ह और सायंकाल।
*रात के चार प्रहर:- प्रदोष, निशिथ, त्रियामा एवं उषा।
3. तो दिन के बीच के समय को संधिकाल कहते हैं।
4. दो तिथियों के बीच के समय को संधिकाल कहते हैं।
4 . इसके अलावा दो पक्ष के बीच के काल को भी संधिकाल कहते हैं जैसे अमावस्या और पूर्णिमा।
5. दो माह के बीच के काल को भी संधिकाल कहते हैं।
6. दो ऋतु्तों के बीच के काल को भी संधिकाल कहते हैं।
7. दो अनयों अर्थात उत्तरायण और दक्षिणायन के काल को भी संधिकाल कहते हैं।
8. दो संवत्सर के बीच के काल को भी संधिकाल कहते हैं।
9. दो युग के बीच के काल को भी संधिकाल कहते हैं।
10. जन्म और मृत्यु और मृत्यु और जन्म के बीच के काल को भी संधिकाल कहते हैं।
11. दो श्वासों के बीच जो अंतराल है उसे भी संधिकाल कहते हैं।
इसी तरह और भी कई तरह की संधियां होती हैं। संधिकाल में ही संध्यावंदन या संध्योपासन का महत्व होता है और जो भी व्यक्ति संधिकाल के महत्व को जानकर उसके नियम मानता है वह हर तरह के संकटों से बचकर सदा सुखी और समृद्ध रहता है।
संधिकाल में अनिष्ट शक्तियां प्रबल होने के कारण इस काल में निम्नलिखित बातें निषिद्ध बताई गई हैं:-
1.सोना
2.सहवास करना
3.खाना-पीना
4.यात्रा करना
5.असत्य बोलना
6.क्रोध करना
7.शाप देना
8.झगड़े करना
9.गालियां देना या अभद्र बोलना
10.शपथ लेना
11.धन लेना या देना
12.रोना या जोर-जोर से हंसना
13.वेद मंत्रों का पाठ करना
14.कोई शुभ कार्य करना
15.चौखट पर खड़े होना
16.किसी भी प्रकार का शोर-शराब करना
उपरोक्त नियम का पालन नहीं करने से जहां एक ओर बरकत चली जाती है वहीं व्यक्ति कई तरह के संकटों से घिर जाता है। संध्या काल में शनि, राहु और केतु के साथ ही शिव के गण सक्रिय रहते हैं।
संध्योपासन : संध्या वंदन को संध्योपासना भी कहते हैं। संधि काल में ही संध्या वंदन की जाती है। वैसे संधि पाँच वक्त (समय) की होती है, लेकिन प्रात: काल और संध्या काल- उक्त दो समय की संधि प्रमुख है। अर्थात सूर्य उदय और अस्त के समय। इस समय मंदिर या एकांत में शौच, आचमन, प्राणायामादि कर गायत्री छंद से निराकार ईश्वर की प्रार्थना की जाती है।
आस्था /शौर्यपथ / मंगल दोष दूर करने के लिए कई लोग उज्जैन के मंगलनाथ में मंगलदेव की पूजा कराते हैं तो कई लोग हनुमानजी की पूजा करते हैं। देश त्रयंबकेश्वर में भी मंगलदोष पूजा होती है। परंतु हम आपको बता रहे हैं एक सामान्य सा उपाय जिससे मंगलदोष दूर हो जाएगी।
1. आप अपने घर की दक्षिण दिशा में नीम का एक पेड़ लगाएं और उसकी देखरेख करें जब तक की वह अच्छे से चेत नहीं जाता या बड़ा नहीं हो जाता है। यह पेड़ साक्षात मंगलदेव हैं। इस पेड़ की सेवा करने से आपके जीवन में कभी भी अमंगल नहीं होगा और मंगलदोष दूर हो जाएगा।
2. मंगल की दिशा दक्षिण मानी गई है। नीम का पेड़ मंगल की स्थिति तय करता है कि मंगल शुभ असर देगा या नहीं। अत: दक्षिण दिशा में नीम का एक बड़ा सा वृक्ष जरूर होना चाहिए। यदि दक्षिणमुखी मकान के सामने द्वार से दोगुनी दूरी पर स्थित नीम का हराभरा वृक्ष है या मकान से दोगना बड़ा कोई दूसरा मकान है तो दक्षिण दिशा का असर कुछ हद तक समाप्त हो जाएगा।
3. घर के पास नीम का पेड़ लगाने और नित्य इसमें जल अर्पित करने से हनुमानजी की भी कृपा बनी रहती है।
4. नीम की दातुन करने से शनि और मंगल दोष समाप्त होता है साथ ही दातों के किड़े भी मारे जाते हैं। ज्योतिष में कहीं कहीं नीम का संबंध शनि और कहीं कहीं केतु से जोड़ा गया है। इसलिए दोनों ही ग्रहों की शांति हेतु उचित दिशा में नीम का पेड़ लगाया जा सकता है। नीम की लकड़ी से हवन करने से शनि की शांति होती है। इसके पत्तों को जल में डालकर स्नान करने से केतु संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। नीम की लड़की की माला धारण करने से शनि की पीड़ा समाप्त हो जाती है। यदि आपका जन्म उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में हुआ है या आपकी राशि मकर या कुंभ राशि है तो नीम का पेड़ लगाने बहुत ही शुभफलदायी होगा।
5. इसके अलावा द्वारा के उपर पंचमुखी हनुमानजी का चित्र भी लगाना चाहिए। द्वार के ठीक सामने आशीर्वाद मुद्रा में हनुमान जी की मूर्ति अथवा तस्वीर लगाने से भी दक्षिण दिशा की ओर मुख्य द्वार का वास्तुदोष दूर होता है, मंगलदोष भी दूर होकर हनुमानजी की कृपा प्राप्त होती है। नीम के पत्तों का वन्दनवार लगाने से घर में नकारात्मक उर्जा प्रवेश नहीं करती है। जिस व्यक्ति को संकटों से मुक्ति पाना और निरोगी रहना हो उसे घर के दक्षिण में नीम का वृक्ष लगाना चाहिए। देवी और शक्ति की उपासना में नीम का प्रयोग किया जाता है।
नीम और सेहत
हाल ही में हुए शोधों से पता चला है कि नीम के नीचे प्रतिदिन आधा घंटा बैठने से किसी भी प्रकार का चर्म रोग नहीं होता। तुलसी और नीम के पत्ते खाने से किसी भी प्रकार का कैंसर नहीं होता। इसी तरह वृक्ष से सैकड़ों शारीरिक और मानसिक लाभ मिलते हैं। नीम की लड़की के बने पलंग पर सोने से त्वचा रोग दूर होते हैं। नीम के तेल और छाल के प्रयोग से कुष्ठ रोग दूर होता है।
ब्यूटी टिप्स/ शौर्यपथ/ कहते हैं कि किसी भी चीज का आधा-अधूरा ज्ञान आपके लिए कई समस्या खड़ी कर सकता है, खासतौर पर खाने-पीने और ब्यूटी केयर प्रॉडक्ट को पूरी जानकारी के बाद ही इस्तेमाल करना चाहिए। आज हम आपको कच्ची हल्दी के ऐसे ब्यूटी टिप्स बताएंगे, जिसका इस्तेमाल आप अपने चेहरे पर निखार ला सकते हैं। इन तरीकों को इस्तेमाल करने से पहले आपको अपनी स्किन टोन के बारे में भी जरूर जान लेना चाहिए-
ऑयली स्किन के लिए
आपकी स्किन अगर ऑयली है, तो आपको कच्ची हल्दी का एक पीस लेकर उसे कद्दूकस करना है। बारीक साइड से कद्दूकस करें और कसी हुई हल्दी को दो चम्मच बेसन में गुलाबजल के साथ घोल लें। अब तैयार पेस्ट को 20 मिनट के लिए चेहरे पर लगाएं। जब यह पैक हल्का-हल्का सूखा हुआ हो जाए, तो हल्के हाथों से रगड़ते हुए इस पैक को छुड़ा लें। ताजे पानी से चेहरा धुलें और अपनी रेग्युलर क्रीम या मॉइश्चराइजर अप्लाई कर लें। सप्ताह में 3 बार इस पैक को चेहरे पर लगाएं। अधिक बार भी लगा सकते हैं लेकिन कम से कम 3 बार जरूर ऐसा करें। आपको ऑइली स्किन से छुटकारा मिलेगा और आपकी स्किन से कील-मुहासों की समस्या और पुराने दाग-धब्बे भी दूर हो जाएंगे।
ड्राई स्किन के लिए
धुली हुई कच्ची हल्दी को छोटे वाले कद्दूकस से महीन तरीके से कस लें। जब यह करीब एक चम्मच हो जाए, तो कसी हुई हल्दी को एक कटोरी में रख लें और इसमें ऊपर से एक चम्मच मलाई डाल दें। अब कसी हुई हल्दी और मलाई को अच्छी तरह मिक्स कर लें और फिर उंगलियों की मदद से इसे चेहरे और गर्दन पर लगा लें। 20 मिनट लगा रहने के बाद उंगलियों को सर्कुलर मोशन में यानी घड़ी की सुई की दिशा में घुमाते हुए अपने चेहरे और गर्दन की मसाज करें। इससे आपकी स्किन की डेड सेल्स निकालने के साथ ही पोर्स के जरिए त्वचा को पूरा पोषण देने में मदद मिलेगी। आप करीब 10 मिनट स्किन की मसाज इस तरह करें और फिर हल्के गुनगुने पानी से चेहरा धो लें।
खाना खजाना / शौर्यपथ /शाम को चाय के साथ अगर आपका मन कुछ क्रिस्पी खाने का कर रहा है, तो आप नमक पारे बना सकते हैं। नमक पारे की रेसिपी बहुत आसान है लेकिन कभी-कभी ऐसा होता है कि नमक पारे क्रिस्पी नहीं बन पाते। ऐसे में कुछ बेसिक बातों को ध्यान में रखकर नमकपारे बहुत ही क्रिस्पी बनते हैं।
ऐसे बनाएं-
नमकपारे बनाने के लिए मैदे में मोयन जरूर डालें, लेकिन तेल की मात्रा जरूरत से ज्यादा न रखें।
मैदे में कलौंजी और अजवाइन मिलाने से इसका स्वाद और भी अच्छा होता है।
नमक की मात्रा पर ध्यान रखें। ज्यादा नमक से इसका स्वाद बिगड़ जाता है।
मैदा गूंदने के लिए गुनगुना पानी लें।
मैदे में सूजी मिलाने से करारापन आता है।
नमक पारे को धीमी आंच में ही तलें। नहीं तो यह ऊपर से सुनहरे हो जाएंगे लेकिन अंदर से कच्चे रहेंगे।
आप चाहें तो बेकिंग पाउडर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
कसूरी मेथी से स्वाद और भी बढ़िया हो जाता है।
हरे धनिए और लहसुन की चटनी के साथ इसका स्वाद और भी स्वादिष्ट लगता है।
सेहत /शौर्यपथ /पपीता स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। पपीते में मौजूद विटामिन ए, विटामिन सी और विटामिन बी9 व्यक्ति की इम्यूनिटी को मजबूत बनाने का काम करते हैं। पपीते में मौजूद फाइबर और फोलिक एसिड की अच्छी मात्रा व्यक्ति को दिल से जुड़ी बीमारियों से दूर रखने का काम करती है। इतना ही नहीं पपीते में मौजूद पपैन और चाइमोपपैन जैसे दो खास एंजाइम्स व्यक्ति की पाचन संबंधी दिक्कतों को दूर करने में मदद करते हैं। बावजूद इसके अगर आपको खाने में पपीते का स्वाद पसंद नहीं है तो आप इन 5 फ्रूटस को डाइट में शामिल करके भी पपीते जैसे ही फायदे पा सकते हैं।
5 फ्रूटस जो देते हैं पपीते जैसे फायदे-
1-खरबूजा-
पपीते की ही तरह खरबूजे में भी विटामिन सी, फाइबर और विटामिन ए की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जो आंखों की रोशनी बढ़ाने, इम्यूनिटी बूस्ट करने के साथ त्वचा को भी स्वस्थ बनाए रखने में मदद करती है।
2-अनानास-
पपीते में पाए जाने वाले विटामिन सी, ए, ई के साथ फोलेट भी अनानास में मौजूद होता है। जो व्यक्ति की इम्यूनिटी बूस्ट करके उसकी त्वचा की सेहत को भी बनाए रखते हैं। इतना ही नहीं अनानास का सेवन करने से व्यक्ति के शरीर की सूजन अर्थात इन्फ्लमेशन कम होती है और उसका पाचन को दुरुस्त होता है।
3-आम-
फलों का राजा आम भी अपने गुणों में किसी दूसरे फल से कम नहीं है। इसमें भी पपीते वाले कई गुण मौजूद होते हैं। न्यूट्रीशनिस्ट डॉक्टर शैली तोमार का कहना है कि आम और पपीते में 8 फीसद डायटरी फाइबर होता है। इन दोनों फलों में विटामिन सी बराबर मात्रा में होता है। आम का सेवन पाचन, आंखों की सेहत के साथ दिल की सेहत के लिए भी अच्छा होता है।
4-पका हुआ कद्दू-
पका हुआ कद्दू भी पपीते की ही तरह विटामिन सी, ए और ई से भरपूर होता है। पके हुए कद्दू और पपीते में 9 ग्राम फाइबर होता है जो पाचन के लिए बहुत अच्छा है।
5-आड़ू-
आड़ू भले ही अपने रंग और साइज में पपीते से थोड़ा अलग नजर आता हो लेकिन इस फल में भी पपीता जैसे ही गुण पाए जाते हैं। आड़ू में मौजूद एंटी-इंफ्लामेटरी गुण कैंसर, हार्ट अटैक जैसे खतरों को दूर रखने के साथ आंखों की सेहत को बनाए रखने में भी मदद करते हैं। आड़ू और पपीते में बराबर मात्रा में विटामिन के (2.6 mcg) होता है, जो प्लेटलेट काउंट बढा़ने में मदद करता है।
टिप्स ट्रिक्स / शौर्यपथ /खाने में स्वाद बढ़ाने के लिए घी का तड़का लगाना हो या फिर दवा के रूप में कई रोगों से पीछा छुड़वाना हो, देसी घी के पास हर मर्ज का इलाज है। लेकिन ऐसा तभी होता है जब घर पर आने वाला घी शुद्ध हो। ऐसे में यह जानने के लिए कि आपके घर पर आने वाला घी शुद्ध है या नहीं अपनाएं ये आसान टिप्स एंड ट्रिक।
उबालकर देखें -
मार्केट से खरीदे हुए घी में से चार से पांच चम्मच घी निकालकर उसे किसी बर्तन में डालकर उबल लें। इसके बाद घी के इस बर्तन को लगभग 24 घंटे के लिए अलग रख दें। अगर 24 घंटे के बाद भी घी दानेदार और महक रहा है तो घी असली है। अगर ये दोनों ही चीजें घी में से गायब है तो घी नकली हो सकता है।
नमक का इस्तेमाल-
घी असली है या नकली, यह पता करने के लिए आप नमक का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए एक बर्तन में दो चम्मच घी ,1/2 चम्मच नमक के साथ एक चुटकी हाइड्रोक्लोरिक एसिड मिलाकर तैयार किए गए मिश्रण को 20 मिनट के लिए अलग रखकर छोड़ दें। 20 मिनट बाद आप घी का रंग चेक करें। अगर घी ने कोई रंग नहीं छोड़ा है। तो घी असली है लेकिन अगर घी लाल या फिर किसी अन्य रंग का दिखाई दे रहा है तो समझ जाएं घी नकली हो सकता है।
पानी का इस्तेमाल-
पानी का इस्तेमाल करके भी आप बड़ी आसानी से घी के असली या नकली होने का पता लगा सकते हैं। इसके लिए आप सबसे पहले एक ग्लास में पानी भरकर एक चम्मच में घी निकालकर डालें। अगर घी पानी के ऊपर तैरने लगे तो आप समझ सकते हैं, कि घी असली है। अगर घी पानी के नीचे बैठ जाता है तो घी नकली हो सकता है।
सेहत /शौर्यपथ /अक्सर घरों में सूखे हुए नींबू को खराब समझ कर कूड़े में फेंक दिया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं सूखे हुए नींबू का इस्तेमाल आप न सिर्फ अपनी सेहत बल्कि त्वचा की चमक को भी बनाए रखने के लिए कर सकते हैं। सूखे हुए नींबू में मौजूद कैल्शियम, आयरन, मैंगनीज, फॉसफोरस, पोटैशियम जैसे कई मिनरल्स सेहत के साथ त्वचा के लिए भी काफी फायदेमंद होते हैं। आइए जानते हैं सूखे हुए नींबू के ऐसे ही कुछ गजब के उपयोग।
सूखे हुए नींबू का ऐसे करें इस्तेमाल-
- सूखे हुए नींबू का इस्तेमाल आप ड्राई लेमन पील पाउडर बनाने के लिए कर सकते हैं। इसके लिए आप नींबू को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर उन्हें धूप में सुखा लें। इसके बाद आप नींबू के इन टुकड़ों को ग्राइंड कर उनका पाउडर बनाकर चेहरे पर पैक की तरह यूज कर सकती हैं।
-सूखे हुए नींबू का इस्तेमाल गले की खराश दूर करने के लिए भी किया जा सकता है। इसके लिए सेंधा नमक के साथ थोड़ा सा सूखे हुए नींबू का रस लेने से गले की खराश दूर होने के साथ पाचन शक्ति भी बढ़ती है।
-सूखे हुए नींबुओं को फुट स्क्रब की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए सूखे हुए नींबू को काटकर अपने पैरों और एड़ियों पर रगड़ें। ये आपके पैरों पर जमा गंदगी को साफ कर देगा।
-अगर आपको अपना ब्लेंडर बहुत चिकना लग रहा है तो उसकी सफाई के लिए भी सूखे हुए नींबू का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए एक चुटकी बेकिंग सोडा के साथ नींबू के छिलके को ब्लेंडर पर रगड़िए। ऐसा करने के बाद ब्लेंडर को नॉर्मल पानी की मदद से साफ कर लें ताकि उसमें से नींबू की महक निकल जाए।
-आप सूखे हुए नींबू का इस्तेमाल डस्टबीन की सफाई के लिए भी कर सकती हैं। इसके लिए नींबू के स्लाइस पर बेकिंग सोडा लगाकर साफ करें। ऐसा करने से डस्टबीन पर लगी सारी गंदगी साफ हो जाएगी।
सेहत /शौर्यपथ /जब हम गोंद की बात करते हैं, तो सबसे पहले आपके दिमाग में लड्डुओं में पड़ने वाला गोंद आता होगा। मगर यह गोंद कतीरा उस गोंद से थोड़ा अलग है। गोंद कतीरे का नाम आपने अपनी दादी या नानी से सुना होगा।
असल में गोंद कतीरे की तासीर ठंडी होती है और यह गर्मियों में बेहद फायदेमंद होता है। शीतल और पाचक गुणों के कारण आयुर्वेद में हर्बल औषधि के रूप में गोंद कतीरा यानि ट्रैगेकैन्थ गम का अत्यधिक इस्तेमाल किया जाता है।
साथ ही, अन्य आयुर्वेदिक दवाइयों की तरह ये कड़वा नहीं होता। ये स्वादहीन और गंधहीन होता है, और अपने गुणों की वजह से कॉस्मेटिक जगत में भी इसका प्रयोग बहुतायत में होता है।
जानिये क्या है गोंद कतीरा
ये लड्डुओं में पड़ने वाले गोंद से थोड़ा अलग है। पेड़ो से निकलने वाला ये एक गाढा चिपचिपा पदार्थ जिसे सुखाकर बनाया जाता है। ये ट्रैगेकैन्थ गम को सामान्य रूप से "गोंद कतीरा" के नाम से जाना जाता है। ये प्राकृतिक रूप से एस्ट्रागैलस जड़ी बूटियों की विभिन्न प्रजातियों के रस से बनती है।
इसकी गोंद चिपचिपी, गंध और स्वाद रहित होती है। ट्रैगेकैन्थ गम पानी में घुलनशील है और ये प्रमुख तौर पर पौधे की जड़ से प्राप्त होती है। पानी में डालने पर गोंद जैल की तरह दिखती एवं इसका पेस्ट बनाया जा सकता है।
गोंद कतीरे का सेवन करने के कई अन्य स्वास्थ्य लाभ हैं जैसे
1 कमजोरी दूर करता है
गोंद कतीरे में प्रोटीन और फॉलिक एसिड भरपूर मात्रा में होता है। इसका सेवन करने से शरीर को ताकत मिलती है। गोंद कतीरा को पानी या दूध में भिगो कर रखें और फिर सुबह मिश्री मिलाकर शरबत बनाकर पिएं।
2 पीरियड्स को रेगुलर करता है
यदि किसी महिला के पीरियड्स नियमित नहीं हैं, तो गोंद कतीरा और मिश्री को साथ में पीस कर 2 चम्मच दूध में मिलाकर पीने से फायदा होता है। यह पीरियड्स को नियमित करने के लिए कारगर उपाय है।
3 टॉन्सिल्स में आराम दिलाता है
अगर आप टॉन्सिल की वजह से नियमित रूप से परेशान रहती हैंं, तो गोंद कतीरा का सेवन आराम दिलाएगा। लगभग 10 से 20 ग्राम गोंद कतीरा पानी में भिगोकर फुला लें और इसे मिश्री मिलाकर सुबह-शाम पिएं। इससे भी टॉन्सिल्स में आराम मिलता है।
4 मुंह के छालों से राहत
मुंह के छाले या अल्सर सूजन, लाली और दर्द पैदा करते हैं। इसे कम करने के लिए गोंद कतीरा का बारीक पिसा हुआ पेस्ट बनाएं और अपने छालों पर लगाएं। ऐसा करने से छालों में तुरंत आराम मिलेगा क्योंकि इसकी तासीर ठंडी होती है।
5 वजन घटाने में मददगार
गोंद कतीरा शरीर से जहरीले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है और बॉडी को डिटॉक्स करता है। इसके साथ ही, ये मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है। इसमें हाई फाइबर कंटेंट मौजूद होता है। ये पेट और पाचन तंत्र में भी सुधार करने के लिए जाना जाता है। इसके नियमित सेवन से शरीर पर जमा एक्स्ट्रा फैट घटता है।
6 लिबिडो बढ़ाये
गोंद कतीरा यौन क्षमता और यौन इच्छा बढाने में भी मदद कर सकता है। इसके रेगुलर सेवन से पुरुषों में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन और नाईट फॉल की समस्या भी दूर हो सकती है।
सेहत / शौर्यपथ /सर्दी-जुकाम का होना आम बात है लेकिन इस बदलते मौसम में सूखी खांसी आपके लिए परेशानी का सबब बन सकती है। खासकर जब कोरोना महामारी का खतरा हर तरफ हो. ऐसे में खांसी-जुकाम से भी डर लगने लगता है कि कहीं ये कोरोना का शुरूआती चरण तो नहीं. कई आयुर्वेदिक उपचार और नुस्खे आपको सूखी खांसी से जल्द राहत दिला सकते हैं। आइए जानते हैं सूखी खांसी को ठीक करने के ऐसे ही कई कारगर घरेलू नुस्खे।
कारगर घरेलू उपाय-
-सूखी खांसी को ठीक करने के इस नुस्खे के लिए आपको चाहिए बस शहद, अदरक और मुलैठी। यह सभी चीजे हर रसोई में बड़ी आसानी से मिल जाती हैं। इन सभी चीजों में हीलिंग प्रोपर्टी मौजूद होने से यह आपकी खांसी ठीक करने के साथ इम्यूनिटी बूस्ट करने में भी मदद करती है।
-अदरक में मौजूद फलेगम एंटीमाक्रोबायल गुणों से भरपूर है। शहद में डेम्यूलसेंट गुण मौजूद होने से ये गले को राहत पहुंचाता है। इनके अलावा मुलैठी खांसी को ठीक करने में काफी मददगार होती है।
-सूखी खांसी ठीक करने के लिए आपको सबसे पहले एक चम्मच शहद में जरा सा अदरक का रस मिलाकर पी जाएं। इसके बाद अपने मुंह में मुलैठी की छोटी सी डंडी रख सकते हैं। ऐसा करने से आपका गला नहीं सूखेगा। मुलैठी सूखे गले और खराश से राहत दिलाने का काम करती है।
-इसके अलावा 2 चम्मच शहद को आधे गिलास गुनगुने पानी में मिलाकर पिएं। रोजाना इस नुस्खे को अपनाने से सूखी खांसी में आराम मिलता है।
-पीपल की गांठ को पीसकर उसमें एक चम्मच शहद में मिलाकर खा लें। रोजाना ऐसा ही करें। इससे कुछ ही दिन में सूखी खांसी ठीक हो जाएगी।
-अदरक की एक गांठ को कूटकर उसमें एक चुटकी नमक मिला लें और दाढ़ के नीचे दबा लें। उसका रस धीरे-धीरे मुंह के अंदर जाने दें। 5 मिनट तक उसे मुंह में रखें और फिर कुल्ला कर लें।
-मुलेठी का चाय पीने से भी सूखी खांसी में आराम मिलता है। इसे बनाने के लिए, दो बड़ी चम्मच मुलैठी की सूखी जड़ को एक मग में रखें और इस मग में उबलता हुआ पानी डालें। 10-15 मिनट तक भाप लगने दे। दिन में दो बार इसे लें।
सेहत /शौर्यपथ /भागदौड़ भरी जिंदगी में पेट में गैस या ऐसिडिटी की वजह से ब्लोटिंग यानी पेट फूलने की भी समस्या हो जाती है। ऐसे में हर्बल तरीके से बनी चाय पेट की कई परेशानियों को दूर करने के लिए बेहद असरदार मानी जाती है। इनमें से रोजाना एक चाय पीने से आपकी इम्युनिटी भी मजबूत होती है। आइए, जानते हैं इस समस्या के समाधान के लिए आपको कौन-सी चाय पीनी चाहिए-
पुदीना चाय
मिंट यानी पुदीने का फ्लेवर बेहद कूल और रिफ्रेशिंग होता है जो पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में आपकी मदद करता है। पुदीने की पत्तियों में ऐंटीस्पासमोडिक प्रॉपर्टी होती है जो मसल क्रैम्प्स और स्पास्म में राहत दिलाने में मदद करती है जिससे पेट में दर्द दूर होता है और आराम मिलता है।
अदरक वाली चाय
अदरक भी पेट से जुड़ी दिक्कतों को दूर करने के लिए सबसे बेस्ट उपाय माना जाता है। बहुत से लोग पेट फूलने की दिक्कत या लूज मोशन की समस्या में अदरक के सप्लिमेंट्स का इस्तेमाल करते हैं। अदरक में जिंजरॉल नाम का बायोऐक्टिव कम्पाउंड पाया जाता है जो ब्लोटिंग यानी पेट फूलने की दिक्कत को कम करने में मदद करता है।
हल्दी वाली चाय
जब भी बात पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याओं की आती है तो उसमें राहत पहुंचाने के मामले में हल्दी का नाम सबसे ऊपर आता है। ऐंटीइन्फ्लेमेट्री और ऐंटीऑक्सिडेंट प्रॉपर्टी की वजह से हल्दी का इस्तेमाल कई बीमारियों को दूर करने में किया जाता है। हल्दी के साथ-साथ चाय में चुटकी भर काली मिर्च भी डाल दें। इस चाय के सेवन से पेट में गैस, पेट फूलने की दिक्कत दूर होगी और पाचन तंत्र सही हो जाएगा।
सौंफ वाली चाय
पेट और पाचन से जुड़ी दिक्कतों जैसे- पेट में दर्द, पेट फूलना और कब्ज को दूर करने के लिए लंबे समय से सौंफ का इस्तेमाल होता आ रहा है। सौंफ में ऐसा कंपाउंड पाया जाता है जो गैस्ट्रोइन्टेंस्टाइनल ट्रैक्ट के पैसेज को रिलैक्स करता है जिससे पेट में भरी गैस आसानी से बाहर निकल जाती है।
सेहत /शौर्यपथ / कोरोना की पॉजिटिव रिपोर्ट आने पर इससे घबराएं नहीं बल्कि थोड़ा धैर्य रखते हुए अपने शरीर के लक्षणों पर ध्यान दें। आप कुछ बातों का ध्यान रखकर संक्रमण की गंभीरता की जांच स्वयं कर सकते हैं। इससे सही समय पर सही इलाज कराकर संक्रमण से निजात मिलेगी। आज हम ऐसे तीन लक्षणों की जानकारी दे रहे हैं जिससे आप यह पता लगा सकेंगे कि आपका संक्रमण खतरनाक तो नहीं बन रहा।
1. बार-बार बुखार आना खतरनाक
दिल्ली के सेंट स्टीफंस अस्पताल के एक प्रसिद्ध डॉक्टर मैथ्यू वर्गीस ने कहा कि कोरोना संक्रमण में बुखार एक शुरुआती संकेत है। अगर बुखार एक दो दिन में खत्म हो जाए तो इससे डरने की आवश्यकता नहीं है। पर अगर बुखार चार पांच दिनों तक बना रहे तो यह काफी चिंता का विषय हो सकता है क्योंकि यह ऊतकों पर वायरस के हमले का एक बड़ा संकेत है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा यदि बुखार ठीक होने के बाद बार-बार आ जाता है तो यह भी एक गम्भीर मसला है।
पहले सात दिन तक बुखार पर नजर : डॉ. वर्गीज के अनुसार, संक्रमण के पहले सात दिनों तक कोरोना रोगी को बेहद सावधान रहने की जरूरत है और बार-बार बुखार को मापते रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अगर यह लगातार बना हुआ है तो डॉक्टर से तुरंत परामर्श लें।
2. लगातार सूखी खांसी आना चिंताजनक
विशेषज्ञों को मानना है कि बुखार के अलावा कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति में लगातार खांसी भी एक प्रमुख लक्षण के रूप में देखा गया है। हल्की खांसी चिंता का विषय नहीं है लेकिन यदि किसी मरीज को गहरी सूखी खांसी का अहसास होता है और इसके बाद कफ आता है तो यह एक चेतावनी हो सकती है। यह एक गम्भीर संकेत है कि आपके फेफड़े और श्वसन अंग बुरी तरह से संक्रमित हैं। सूखी खांसी, जिसमें कफ नहीं होता है वह भी कोरोना का एक विशिष्ट लक्षण है।
सांस लेने में भी दिक्कत हो तो निमोनिया का लक्षण : लगातार खांसी आने के साथ सांस की तकलीफ होने और मरीज को जलन महसूस होने लगे तो यह निमोनिया का लक्षण हो सकते है।
3. सीने में जमाव या जकड़न पैदा होना
सीने में जमाव या जकड़न पैदा होना भी कोरोना संक्रमण को गंभीर बनाता है। डॉ. वर्गीज के अनुसार, कोरोना की शुरुआत में सीने में होने वाले किसी भी प्रकार की तकलीफ या बदलाव को हल्के में नहीं लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस मुख्य रूप से श्वसन तंत्र पर हमला करता है इसलिए सीने में किसी प्रकार के जमाव, जकड़न, जलन या फिर घबराहट का अनुभव हो तो आपको डॉक्टर से विशेष परामर्श की जरूरत है।
सांस छोड़ने पर दर्द होना भी खतरनाक : जब आप सांस छोड़ते हैं तो यदि आपकी छाती के आसपास तेज दर्द होता है तो यह इस बात का संकेत है कि वायरस श्वसन के निचले स्तर तक गम्भीर रूप से फैल चुका है। इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
दूसरी लहर में नजर आ रहे हैं ये लक्षण-
लाल आंखें : आखों से पानी आना, सूजन और लालपन रहना ।
पेट दर्द : पेट में ऐंठन, दर्द, उल्टी आना व दस्त जैसी पाचन असुविधा।
थकावट : बीमारी के दौरान और ठीक होने के कई सप्ताह बाद तक थकान।
न्यूरो : लोगों में मनोभ्रम और नींद की कमी और न्यू संबंधी अन्य शिकायतें।
झनझनाहट : कानों में झनझनाहट सुनाई देना और सुनने की क्षमता पर फर्क पड़ना।
तेज खांसी : लंबे वक्त तक बदली हुई आवाज वाली खांसी आना।
बेचैनी : छाती में बेचैनी के साथ सांस लेने में कठिनाई भी लक्षण हैं।
तेज धड़कन : दिल की तेज धड़कन, मायोकार्डियल सूजन की शिकायत।
स्वादहीनता : भोजन की महक व स्वाद को सूंघ व महसूस न कर पाना।