August 02, 2025
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खाना खजाना / शौर्यपथ /ब्रेकफास्ट में अगर कोई ऐसी चीज मिल जाए, जो टेस्टी होने के साथ हेल्दी भी हो तो आपका ब्रेकफास्ट कम्पलीट हो जाता है। पनीर चीला ऐसा ही हेल्दी ब्रेकफास्ट है. आइए, जानते हैं पनीर चीला की रेसिपी-
सामग्री : बेसन 200 ग्राम, पनीर 75 ग्राम, प्याज, लहसुन, चार हरी मिर्च, (सभी बारीक कटा हुआ), हरा धनिया (एक छोटा चम्मच), अदरक (एक छोटा चम्मच), लाल मिर्च एक छोटा चम्मच, सौंफ (एक छोटा चम्मच), अजवायन (एक छोटा चम्मच), तेल सेंकने के लिए और नमक स्वादानुसार।
विधि : पनीर चीला रेसिपी के लिए सबसे पहले पनीर को कद्दूकस कर लें। इसके बाद बेसन को छान लें। फिर उसमें पनीर के साथ सारी सामग्री मिला लें।अब मिश्रण में थोड़ा-थोड़ा पानी डालते हुए उसका घोल बना लें। यह घोल पकौड़े के घोल जैसा होना चाहिए, न ज्यादा पतला, न ज्यादा गाढ़ा। घोल को अच्छी तरह से फेंट लें और फिर उसे 15 मिनट के लिए ढककर रख दें। अब एक नॉन स्टिक तवा गरम करें। तवा गरम होने पर 1/2 छोटा चम्मच तेल तवा पर डालें और उसे पूरी सतह पर फैला दें। ध्यान रहे तेल सिर्फ तवा को चिकना करने के लिए इस्तेमाल करना है, अगर तवा पर तेल ज्यादा लगे, तो उसे तवा से पोंछ दें। तवा गरम होने पर आंच कम कर दें और 2-3 बड़े चम्मच घोल तवा पर डालें और गोलाई में बराबर से फैला दें। चीला की नीचे की सतह सुनहरी होने पर उसे पलट दें और उसे सेंक लें। इसी तरह सारे चीले सेंक लें। आप इसे चटनी या सॉस के साथ सर्व कर सकते हैं।

धर्म संसार / शौर्यपथ /वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी या जानकी नवमी का त्योहार मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार इसी दिन मां सीता का जन्म हुआ था। महाराजा जनक संतान प्राप्ति की कामना से यज्ञ की भूमि तैयार करने के लिए हल से भूमि जोत रहे थे, उसी समय पृथ्वी से बालिका का प्राकट्य हुआ। हल के नोक को सीता कहा जाता है, इसलिए बालिका का नाम सीता रखा गया।

माता सीता अपने त्याग और समर्पण के लिए पूजनीय हैं। इस दिन श्री सीतायै नमः का जाप करें। इस दिन जानकी स्तोत्र, रामचरित मानस का पाठ करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। माता सीता को मां लक्ष्मी का ही स्वरूप माना जाता है। माता सीता को पीले फूल, कपड़े और शृंगार की सामग्री अर्पित की जाती है। घर के मंदिर में सभी देवी-देवताओं को गंगाजल से स्नान कराएं। माता सीता को दूध और गुड़ से बने प्रसाद अर्पित करें। दिनभर व्रत रखें। शाम को पूजा कर इसी प्रसाद को ग्रहण कर अपना व्रत खोलें। इस व्रत को विवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घ आयु के लिए करती हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और भगवान श्रीराम-माता सीता का विधि-विधान से पूजन करने से पृथ्वी दान का फल तथा समस्त तीर्थों के दर्शन का फल प्राप्त होता है। सीता नवमी पर जो श्रद्धालु माता जानकी का पूजन-अर्चन करते हैं, उन्हें सभी सुख-सौभाग्य प्राप्त होते हैं। अगर किसी कन्या के विवाह में बाधा आ रही हो तो उसे भी यह व्रत अवश्य करना चाहिए।

टिप्स ट्रिक्स / शौर्यपथ / सब्जियों में जब भी बैंगन की बात होती है, तो खासतौर पर दो तरह की पसंद देखने को मिलती है। एक जिन्हें बैंगन बहुत पसंद होता है और एक वे लोग जिन्हें बैंगन बिल्कुल भी पसंद नहीं होता। बैंगन पसंद करने वाले लोग बिना बीज वाले बैंगन लेना पसंद करते हैं क्योंकि इससे बैंगन बहुत ही टेस्टी बनता है। खासतौर पर बैंगन का भर्ता बनाने के लिए बिना बीजों के बैंगन ही अच्छे रहते हैं लेकिन मार्केट से बैंगन खरीदते समय समझ नहीं आता कि जो बैंगन हम खरीद रहे हैं, उनमें बीज है या नहीं है। ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं, एक आसान टिप्स-

ऐसे पहचानें
आपको सबसे पहले बैंगन को हल्के हाथों से दबाकर देखना है अगर बैंगन थोड़े दबाब के बाद अंदर की तरफ दब रहे हैं, तो इसका मतलब यह है कि इसमें बीज नहीं है। वहीं, अगर बहुत दबाने के बाद भी बैंगन ऊपर से बिल्कुल नहीं दबते, तो इसमें बीजों की भरमार है। ऐसे बैंगनों को नहीं खरीदना चाहिए।

 बैंगन के पोषक तत्व
बैंगन में पोटेशियम व मैंगनीशियम की अधिकता होती है जिसकी वजह से कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने नहीं पाता है। बैंगन में विटामिन सी पाया जाता है। जो संक्रमण से दूर रखने में तो कारगर है। साथ ही ये रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी काफी फायदेमंद है। बैंगन के रस का इस्तेमाल दांत दर्द में दर्द निरोधक की तरह काम करता है।

सेहत /शौर्यपथ /कोरोना संक्रमण होने पर अस्पताल में भर्ती लगभग 15 फीसदी मरीजों में मस्तिष्क से जुड़ी दिक्कते होती हैं। ऐसे गंभीर मरीजो में चेतना की अवस्था में नहीं होना, भ्रम की स्थिति और गुस्सा आने जैसे लक्षण पाए जाते हैं। हालांकि अभी तक मस्तिष्क पर कोरोना प्रभावों को ठीक से नहीं समझा जा सका है। लेकिन अब नए शोध में खुलासा हुआ है कि कोरोना से ठीक हो चुके लोगों में छह महीने के भीतर गंभीर अक्षमता पैदा हो सकती है।

अटलांटा में जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह खुलासा किया है। शोधकर्ताओं ने इटली के ब्रेशिया शहर में एक विशेष अस्पताल में मस्तिष्क से जुड़ी दिक्कतों वाले मरीजों का सीटी स्कैन का विश्लेषण करने के बाद यह दावा किया है। इस दौरान शोध में पता चला कि कोरोना होने के दौरान जिन लोगों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी उनके दिमाग के लालट वाले हिस्से में काफी बदलाव दिखा।

साथ ही ऐसे लोगों में ग्रे मैटर भी कम था। हालांकि जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ी उनमें यह बदलाव नहीं देखा गया। गौरतलब है कि ग्रै मैटर में दिमागी तंत्रिकाएं होती हैं। इस दौरान शोधकर्ताओं ने बताया कि ग्रै मैटर का कम होना गंभीर अक्षमता होने की ओर इशारा करता है। जोकि अस्पताल से छुट्टी मिलने के छह महीने बाद तक हो सकता है। वहीं जिन मरीजों को बुखार के लक्षण दिखे थे उनके मस्तिष्क के टेम्पोरल हिस्से में ग्रे मैटर कम पाया गया।

उग्र होने जैसे लक्षण देखने को मिले
अध्ययन में पाया गया कि मस्तिष्क के ललाट क्षेत्रों में ग्रे मैटर में कमी से ऐसे लोगों में उग्र होने जैसे लक्षण देखने को मिली। शोधकर्ताओं में शामिल और ट्राई-इंस्टीट्यूशनल सेंटर फॉर ट्रांशलेशनल रिसर्च इन न्यूरोइमैजिंग एंड डाटा साइंस और जॉर्जिया में मनोविज्ञान के प्रोफेसर विंस कैलहौन ने बताया कि कोरोना के रोगियों के लिए मस्तिष्क संबंधी जटिलताओं का तेजी से दस्तावेजीकरण किया जा रहा है। इसके साथ ही अन्य मनोदशा संबंधी विकारों में भी ग्रे मैटर की कमी देखी गई है, जैसे कि सिजोफ्रेनिया में होती है। उन्होंने आगे कहा कि संभावना है कि ग्रे मैटर न्यूरॉन फंक्शन को भी प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।

सेहत / शौर्यपथ / तीसरी लहर में बच्चों में संक्रमण को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने नई गाइडलाइन जारी की है। जिन बच्चों का ऑक्सीजन लेवल 90 से नीचे गिरता है, तो उन्हें कोविड अस्पताल में भर्ती किया जाना चाहिए। जरूरत पड़े तो आईसीयू में शिफ्ट किया जाए। ऐसे बच्चों को निमोनिया, एक्यूट रिसपाइटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम, सैप्टिक शाक, मल्टी ऑर्गन डिस्फंक्शन सिंड्रोम जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
गाइडलाइन के मुताबिक, बच्चों को इलाज में रेमडेसिविर और आइवरमेक्टिन व स्टेरॉयड नहीं दी जाएंगी। गम्भीर बच्चे ही अस्पताल में भर्ती होंगे। बाकी का इलाज होम आइसोलेशन में रखकर किया जा सकता है। सीएमओ डॉ. नेपाल सिंह के मुताबिक ज्यादातर बच्चे लक्षण विहीन हो सकते हैं इसलिए उनका इलाज सावधानी से करने की जरूरत है। गाइडलाइन में बच्चों को स्टेरॉयड देने की मनाही की गई है। सिर्फ गंभीर बच्चों को जरूरत पड़ने पर यह दवा देने की अनुमति दी जाएगी।
घर में रखकर भी इलाज संभव है
गाइडलाइन में साफ कहा गया है कि सिर्फ कोरोना ग्रस्त गंभीर बच्चों को भर्ती कराने की जरूरत होगी। बाकी का इलाज में घर में रहकर ही किया जा सकता है। बस उनकी नियमित मॉनिटरिंग होती रही। ज्यादातर बच्चे लक्षण विहीन हो सकते हैं इसलिए उनका इलाज सावधानी से करने की जरूरत है।
स्टूल की जांच से पता चलेगा संक्रमण
कुछ बच्चे बुखार के साथ पेट दर्द, उल्टी व दस्त की समस्या के आ सकते हैं, उनका भी कोरोना मरीज के तौर पर इलाज किया जाना चाहिए। उनका स्टूल टेस्ट कराने पर पुष्ट हो जाएगा कि उन्हें कोरोना है या नहीं। कुछ बच्चों में मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिन्ड्रोम भी हो सकता है जिसके लिए सतर्क रहने की जरूरत है।
क्या हो सकते हैं लक्षण
-ज्यादातर बच्चे लक्षण विहीन या हल्के-फुल्के लक्षण वाले होंगे
-बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, थकावट, नाक बहना।
-सूंघने व स्वाद की क्षमता में कमी,मांसपेशियों में दर्द, खराश।


ये भी दिक्कत हो सकती है
-कुछ बच्चों में दस्त आना, उल्टी होना, पेट दर्द।
-कुछ में मल्टी सिस्टम इंफ्लामेट्री सिंड्रोम होगा।
-ऐसे बच्चों को बुखार 38 सेंटीग्रेड से अधिक होगा।

आस्था /शौर्यपथ / सीता नवमी इस साल 21 मई को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मां सीता प्रकट हुई थीं। इस दिन जानकी नवमी के नाम से भी जानते हैं। सीता नवमी के दिन सुहागिनें भगवान राम और माता-पिता की विधि-विधान से पूजा करती हैं। कहा जाता है कि ऐसा करने से घर में सुख-शांति और पति को लंबी आयु प्राप्त होती है।
सीता नवमी 2021 का शुभ मुहूर्त-
20 मई को 12 बजकर 25 मिनट पर नवमी तिथि प्रारंभ होगी जो कि 21 मई को 11 बजकर 10 मिनट पर समाप्त होगी।
सीता नवमी के दिन बन रहे ये पूजा के शुभ मुहूर्त-
ब्रह्म मुहूर्त- 03:36 ए एम, मई 22 से 04:18 ए एम, मई 22 तक।
अभिजित मुहूर्त- 11:18 ए एम से 12:12 पी एम तक।
विजय मुहूर्त- 01:59 पी एम से 02:53 पी एम तक।
गोधूलि मुहूर्त-06:15 पी एम से 06:39 पी एम तक।
अमृत काल- 09:08 ए एम से 10:42 ए एम तक।
निशिता मुहूर्त- 11:23 पी एम से 12:06 ए एम, मई 22 तक।
रवि योग- पूरे दिन
माता सीता की ऐसे करें पूजा-
सुबह स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीपक जलाएं।
दीपक जलाने के बाद व्रत का संकल्प लें।
मंदिर में देवताओं को स्नान करवाएं।
भगवान राम और सीता का ध्यान लगाएं।
अब विधि-विधान से माता सीता और भगवान राम की पूजा करें।
माता सीता की आरती उतारें।
अब भगवान राम और माता सीता को भोग लगाएं।

ज्योतिष शास्त्र/शौर्यपथ / ज्योतिष शास्त्र में शनि को कर्मफल दाता माना जाता है। अंक ज्योतिष में शनि का संबंध नंबर 8 से बताया गया है। जिन लोगों का जन्म की तारीख का मूलांक 8 होता है, उन पर शनि देव की कृपा दृष्टि होती है। 8, 17 और 26 तारीख का मूलांक 8 होता है। इस बर्थ डेट वाले जातक कर्म प्रधान होते हैं। जानिए मूलांक 8 वालों का स्वभाव व व्यक्तित्व-
अंक ज्योतिष के अनुसार, मूलांक 8 वाले लोग स्वभाव से गंभीर होते हैं। इन्हें हर विषय की जानकारी होती है। ये दिखावे में विश्वास नहीं करते हैं। ये अपनी मेहनत के दम पर सफलता हासिल करते हैं। ये जिद्दी स्वभाव के होते हैं। एक बार जो ठान लेते हैं, वह करके ही दम लेते हैं। इन्हें चापलूसी पसंद नहीं होती है। मूलांक 8 वाले लोग ज्यादातर शनि ग्रह से जुड़े व्यापार करते हैं।
अंक ज्योतिष के मुताबिक, इस मूलांक के लोगों को इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, तेल और लोहे की वस्तुओं से जुड़े व्यापार करने पर अपार सफलता हासिल होती है। इस मूलांक के लोग कड़ी मेहनत करके सफलता हासिल करते हैं क्योंकि इन्हें भाग्य का साथ कम मिलता है।
मूलांक 8 वालों की लव लाइफ-
मूलांक 8 वालों की लव लाइफ में कई दिक्कतें आती हैं। इन्हें वैवाहिक जीवन में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है। यह जिद्दी स्वभाव के होने के कारण अपने रिश्ते खुद ही खराब कर लेते हैं। मूलांक 8 वालों की शादी में भी विलंब होता है। इस मूलांक के लोगों की मूलांक 3,4,5,7 और 8 वालों से ज्यादा बनती हैं।
मूलांक 8 वालों की आर्थिक स्थिति-
इस मूलांक के लोगों की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। ये लोग बेवजह धन खर्च करना पसंद नहीं करते हैं।

रायपुर / शौर्यपथ / स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ.प्रेमसाय सिंह टेकाम ने आज छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मण्डल की हाई स्कूल की मुख्य परीक्षा 2021 का परीक्षा परिणाम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ऑनलाईन जारी किया। परीक्षा में पंजीकृत 4 लाख 67 हजार 261 पंजीकृत परीक्षार्थियों में से 6 हजार 168 परीक्षार्थियों के परीक्षा फार्म अपात्र होने के कारण निरस्त किए गए। शेष 4 लाख 61 हजार 093 पात्र परीक्षार्थियों के परीक्षा परिणाम घोषित किए गए। इनमें 2 लाख 24 हजार 112 बालक और 2 लाख 36 हजार 981 बालिकाओं के परीक्षा परिणाम शामिल हैं। सभी परीक्षार्थी परीक्षा में उत्तीर्ण किए गए, परीक्षा परिणाम शत-प्रतिशत रहा।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने परीक्षा में सफल सभी परीक्षार्थियों को बधाई देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मण्डल के अध्यक्ष डॉ. आलोक शुक्ला, सचिव प्रोफेसर व्ही.के.गोयल सहित मण्डल के अधिकारी-कर्मचारी भी उपस्थित थे।
इस वर्ष कोविड-19 महामारी के कारण 10वीं की परीक्षा निरस्त करते हुए आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर परीक्षा परिणाम घोषित किए गए। जो परीक्षार्थी आंतरिक मूल्यांकन में सम्मलित नहीं हुए उन्हें न्यूनतम उत्तीर्ण अंक देकर परीक्षा परिणाम घोषित किया गया। सभी विद्यार्थी उत्तीर्ण हो गए हैं।
उत्तीर्ण परीक्षार्थियों में 4 लाख 46 हजार 393 छात्र प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए हैं। जो कुल घोषित परिणाम का 96.81 प्रतिशत है। द्वितीय श्रेणी में 9 हजार 24 परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए, जो कुल शामिल परीक्षार्थियों का 1.96 प्रतिशत और तृतीय श्रेणी में 5 हजार 676 परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए, जो कुल शामिल परीक्षार्थियों का 1.23 प्रतिशत है।
प्रथम श्रेणी में 95.66 प्रतिशत, द्वितीय श्रेणी में 2.65 प्रतिशत, तृतीय श्रेणी में 1.68 प्रतिशत बालक परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए हैं। इसी प्रकार प्रथम श्रेणी में 97.90 प्रतिशत, द्वितीय श्रेणी में 1.30 प्रतिशत तथा तृतीय श्रेणी में 0.80 प्रतिशत बालिकाएं उत्तीर्ण हुए हैं।
इस वर्ष आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर परीक्षा परिणाम घोषित किए गए। छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा इस वर्ष प्रावीण्य सूची में जारी नहीं करने का निर्णय लिया गया है। अत: प्रावीण्य सूची जारी नहीं की गई है। इसके अतिरिक्त पुनर्गणना एवं पुनर्मूल्यांकन का प्रावधान भी इस परीक्षा में समाप्त किया गया है, जो परीक्षार्थी अपने परीक्षा परिणाम से संतुष्ट नही हैं, उन्हें आगामी परीक्षा में श्रेणी सुधार के लिए सम्मलित होने की पात्रता होगी।

सेहत / शौर्यपथ / अक्सर हम घर में ऐसी चीजें खा लेते हैं, जिनसे न सिर्फ वजन बढ़ता है बल्कि इसका असर लीवर पर भी पड़ता है। लीवर आपके पूरे शरीर को डिटॉक्स करने का वाला अंग है। यह आपके शरीर से टॉक्सिक चीजों को बाहर निकालता है। जब लीवर बहुत अधिक विषाक्त पदार्थों से भर जाता है, तो आपका शरीर अक्सर सुस्त महसूस करता है, आपका इम्यून सिस्टम अधिक काम करता है, आपकी स्किन उतनी हेल्दी नहीं होती है। ऐसे में लीवर को डिटॉक्स करने के लिए कुछ चीजें डाइट में जरूर शामिल करनी चाहिए।
गहरी हरे पत्तेदार सब्जियां
गहरे हरे रंग की सब्जियों में शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट होते हैं, जो शरीर में विषाक्त पदार्थों से लड़ने में मदद करते हैं। पत्तेदार साग और सब्जियां जो विशेष रूप से सहायक होती हैं उनमें केल, पालक और कोलार्ड साग शामिल हैं।
चुकंदर
चुकंदर में आयरन, सोडियम, पोटेशियम, फॉस्फोरस पर्याप्त मात्रा में होते हैं, जिस कारण यह शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। चुकंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम करता है।
नींबू के साथ गर्म पानी
पानी का सेवन शरीर से अतिरिक्त विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। जब आपका शरीर अच्छी तरह से हाइड्रेटेड होता है, तो यह न केवल लीवर को काम करने में मदद करता है, बल्कि यह आपके शरीर के सभी अंगों और कोशिकाओं की भी मदद करता है।
जामुन
ब्लूबेरी और शहतूत सहित कुछ जामुन अपने हाई लेवल के एंटीऑक्सिडेंट के कारण लीवर कैंसर से लड़ने में मदद कर सकते हैं। जामुन को नाश्ते के रूप में कच्चा खाया जा सकता है या उन्हें स्मूदी में ताजा या जमे हुए इस्तेमाल किया जा सकता है।
मिल्क थीस्ल
दूध थीस्ल एक जड़ी बूटी है, जो लीवर को मजबूत बनाती है। इसमें सिलीमारिन होता है, जो एंटी-इंफ्लेमेटरी और एक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट दोनों है। दूध थीस्ल विभिन्न डिटॉक्स चाय के साथ-साथ टिंचर या कैप्सूल के रूप में पाया जा सकता है।

लाइफस्टाइल /शौर्यपथ /एडीएचडी एक मानसिक स्वास्थ्य विकार है, जो व्यवहार में अति-सक्रियता पैदा कर सकता है। इससे ग्रस्त लोग एक कार्य पर अपना ध्यान केंद्रित करने या लंबे समय तक एक जगह बैठने में परेशानी का सामना कर सकते हैं। एडीएचडी को अंग्रेजी में अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिस्ऑर्डर के नाम से पहचाना जाता है। ADHD की समस्या ऐसे परिवारों में अधिक देखी जाती है जिन घरों में तनाव का माहौल बना रहता है या फिर जहां बच्चों की पढ़ाई पर अधिक जोर देने की प्रवृत्ति होती है।

कब होता है ADHD-
एडीएचडी की समस्या ज्यादातर प्री-स्कूल या केजी तक के बच्चों में देखी जाती है। कुछ बच्चों में, किशोरावस्था की शुरुआत में स्थिति खराब हो सकती है। कई बार यह समस्या व्यस्कों को भी परेशान कर सकती है।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट-
लड़कियों की तुलना में लड़को में एडीएचडी की समस्या आम होती है। हालांकि इस समस्या का निदान स्कूल के शुरूआती वर्षों में ही हो जाता है, जब बच्चे को ध्यान केंद्रित की समस्या शुरू होने लगती है। एडीएचडी से पीड़ित कुछ बच्चों में बिहेवियरल प्रॉब्लम्स भी देखी जा सकती है। कई बार ऐसे बच्चों की देखभाल करना या उन्हें कुछ सिखाना अभिभावकों के लिए बेहद मुश्किल हो जाता है। ऐसे बच्चे स्कूल में भी दूसरे बच्चों के साथ जल्दी फिट नहीं हो पाते हैं और कोई न कोई शरारत करते रहते हैं।


एडीएचडी के लक्षण-
-ध्यान न देना
- जरूरत से अधिक सक्रियता
- असंतोष
-चीजें याद रखने में परेशानी
-अत्यधिक बातूनी होना
-अक्सर दिनमें सपने देखना

एडीएचडी का कारण-
-आनुवंशिकता
-दिमाग में परिवर्तन
-गर्भावस्था के दौरान खराब पोषण
-मस्तिष्क की चोट


एडीएचडी का उपाय-
एडीएचडी से पीड़ित बच्चों के वर्क स्टाइल में सुधार के उपाय खोजे जा सकते हैं। एडीएचडी का ट्रीटमेंट मेडिसिन, साइकोथेरेपी, एजुकेशन या ट्रेनिंग से भी किया जा सकता है।

एडीएचडी से पीड़ित बच्चों को ऐसे संभालें-
-अच्छे काम पर तारीफ करने या इनाम देने से बच्चे के व्यवहार को पॉजिटिव किया जा सकता है।
-यदि ऐसा दिखे कि बच्चा आपा खो रहा है, तो उस पर ध्यान दें और उसे किसी अन्य एक्टिविटी में बिजी कर दें।
-दोस्तों को घर बुलाएं। इससे बच्चे को मिलने-जुलने में आसानी होगी लेकिन यह सुनिश्चित करें कि बच्चा स्वयं पर नियंत्रण न खोएं।
-अपने बच्चे को अच्छी नींद सोने दें।

 

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