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शौर्यपथ / खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने फाइजर-बायोएनटेक द्वारा बनाए गए कोविड-19 टीके का इस्तेमाल 12-15 साल के किशोरों पर करने के लिए इसके आपातकालीन प्रयोग का दायरा बढ़ा दिया है।
'रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र ने 12 मई को उनकी सलाहकार समूह की बैठक के बाद इस आयु समूह पर इस्तेमाल करने की सिफारिश का अनुसरण किया है। द अमेरिकन एकेडमी ऑफ पेडियर्टिक्स इस फैसला का समर्थन करती है। डॉ डेबी-एन शर्लेी वर्जीनिया विश्वविद्यालय में बाल चिकित्सा की एसोसिएट प्रोफेसर हैं और बाल संक्रमण रोग में विशेषज्ञ हैं। यहां वह बच्चों को कोविड-19 का टीका लगवाने को लेकर अभिभावकों की चिंताओं का जवाब दे रही हैं। आइए जानते हैं ऐसे ही 7 सवालों के जवाब।
1.क्या किशोरों में ये टीका काम करता है?
जवाब- बिल्कुल काम करता है। फाइजर-बायोएनटेक की ओर से हाल में जारी आंकड़ें दिखाते हैं कि कोविड-19 टीका इस आयु समूह में वाकई में अच्छी तरह से काम करता हुआ दिखता है।
कोविड-19 टीका अमेरिका में 12-15 साल के किशोरों पर चल रहे क्लीनिकल ट्रायल में कोविड-19 लक्षणों को रोकने में 100 फीसदी कारगर पाया गया है। किशोरों ने टीके की प्रतिक्रिया में बड़ी संख्या एंटी बॉडी बनाई और उनका रोग प्रतिरोधक उतना ही मजबूत था जिनता 16-25 साल के नौजवानों में देखा गया है।
2.मुझे कैसे पता चलेगा कि टीका मेरे बच्चे के लिए सुरक्षित है या नहीं?
जवाब- अब तक कोविड-19 टीका किशोरों में सुरक्षित प्रतीत हुआ है। अमेरिका में जितने टीकों को इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है, उनपर सब पर गहन अध्ययन किया गया है लेकिन हम यह मान लेना नहीं चाहते हैं कि बच्चे छोटे वयस्क होते हैं। यही कारण है कि स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा उपयोग की सिफारिश करने से पहले बच्चों में इन टीकों का सावधानीपूर्वक अध्ययन करना महत्वपूर्ण है। मौजूदा अध्ययन बच्चों पर टीकाकरण को लेकर बारीक नजर रखना जारी रखेंगे और मजबूत सुरक्षा निगरानी से दुर्लभ या अप्रत्याशित चिंताओं को उभरने पर उन्हें तेजी से पहचानने में मदद मिलेगी।
3. मुझे लगा था कि बच्चों को कम खतरा है- क्या उन्हें अब भी टीका लगवाने की जरूरत है?
जवाब- फिलहाल, अमेरिका में सामने आ रहे साप्ताहिक कोविड-19 मामलों में बच्चों की संख्या करीब एक चौथाई है। बच्चों में कोविड-19 के कारण गंभीर बीमारी होना दुलर्भ है पर यह होती है और हजारों बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है और अमेरिका में कम से कम 351 बच्चों की मौत हुई है। टीकाकरण बच्चों में संक्रमण को गंभीर रूप लेने से रोकेगा।
4. मेरे बच्चे को क्या दुष्प्रभाव हो सकते हैं?
जवाब- टीकाकरण के बाद मामूली दुष्प्रभाव हो सकते हैं। सबसे सामान्य दुष्प्रभाव इंजेक्शन लगने वाली जगह पर दर्द और सूजन हो सकती है। अन्य सामान्य दुष्प्रभाव में थकान और सिर में दर्द शामिल है। युवाओं की तरह ही, कुछ किशोरों को बुखार, सर्दी लगना, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द हो सकता है और ये टीके की दूसरी खुराक के बाद बहुत सामान्य है। ये दुष्प्रभाव कम समय के लिए होते हैं और ज्यादातर लोगों में एक-दो दिन में चले जाते हैं।
5. क्या बच्चों में गंभीर प्रतिक्रिया हुई है?
जवाब- फाइजर-बायोएनटेक के क्लीनिकल ट्रायल में टीके से संबंधित कोई गंभीर प्रतिकूल प्रभाव रिपोर्ट नहीं हुए हैं। बुजुर्गों में गंभीर एर्लेजिक प्रतिक्रिया दुलर्भ रूप से रिपोर्ट हुई है। अगर किसी को टीके से या टीके में शामिल किसी तत्व से एलर्जी के बारे में जानकारी है तो उसे टीका नहीं लेना चाहिए। अगर आपके बच्चे को ऐसा कुछ है तो आप टीका देने वाले शख्स को इस बारे में बताएं ताकि टीकाकरण के बाद आपके बच्चे को 30 मिनट तक निगरानी में रखा जा सके।
6. कोविड-19 टीका 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कब उपलब्ध होगा?
जवाब- कोविड-19 टीका निर्माताओं ने बच्चों पर टीके का परीक्षण शुरू कर दिया है या शुरू करने की योजना बना रहे हैं। जब और सूचना उपलब्ध होगी तो टीका उपयोग करने की सिफारिशें बदल सकती हैं। 2-11 साल उम्र के बच्चों को इस साल के अंत तक टीका लगवाने की इजाजत मिल सकती है।
7. अगर मैंने टीका लगवा लिया है और मेरे बच्चे का टीकाकरण नहीं हुआ है तो क्या उन्हें मुझसे वायरस लग सकता है?
जवाब- कोविड-19 टीके में कोविड-19 का जीवित वायरस नहीं होता है, लिहाजा इससे कोविड-19 नहीं हो सकता है। टीकाकरण आपको और आपके बच्चे, दोनों को कोविड-19 से बचाएगा। अध्ययन से पता चला है कि टीका लगवा चुकी गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली मांएं अपने नवजात को सुरक्षात्मक प्रतिरक्षा दे सकती है। यह टीकाकरण का एक और फायदा है।
लाइफस्टाइल /शौर्यपथ /बुजुर्गों को डिमेंशिया से बचाने में मददगार है वीडियो कॉल, शोध में दावा कोरोना महामारी की वजह से लोगों में बहुत ज्यादा दूरियां आ गई हैं। रिश्तों की इन दूरियों को कम करने में वीडियो कॉल मददगार साबित हो रही है। वृद्धों पर इसका बड़ा ही सकारात्मक असर पड़ा है। एक शोध में दावा किया गया है कि जूम एप पर हर रोज बात करने वाले डिमेंशिया से जूझ रहे बुजुर्गों की हालत में सुधार आया है।
शोधकर्ताओं ने पाया है कि नियमित संचार से वृद्धों की स्मृति को लंबा बनाए रखने में मददगार साबित होता है। यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्ट लंदन के गेलर इंस्टीट्यूट ऑफ एजिंग एंड मेमोरी द्वारा किए गए अध्ययन में 50 वर्ष से अधिक आयु के 11,418 पुरुषों और महिलाओं के संचार का अध्ययन किया गया। इस दौरान उनसे पूछा गया कि वो कैसे फोन पर और आमने-सामने कैसे अपने परिवार और दोस्तों से ऑनलाइन बातचीत करते हैं। इसके बाद इन लोगों का एक स्मृति टेस्ट भी किया गया।
इसमें एक लिस्ट थी जिसमें इन लोगों को दस शब्दों को याद करके लिखना था। ऐसे प्रतिभागी जो आमने-सामने ज्यादा रहने हैं उनकी स्मृति कमजोर पाई गई उनके तुलना में जो रोज तकनीक का इस्तेमाल कर अपने परिवार और दोस्तों से बातचीत किया करते थे।
शोध के प्रमुख स्नोरी रैफसन कहते हैं कि इस लॉकडाउन के दौरान ज्यादा से ज्यादा लोग तकनीक का इस्तेमाल कर एक दूसरे के करीब आ रहे हैं। ये प्रमाणित करता है कि किस तरह से तकनीक रिश्तों को बनाए रखने में तथा सामाजिक अलगाव को दूर करने में मदद कर सकती है। ये हमारे मस्तिष्क की बीमारियों को भी दूर करने में लाभदायक है।
खाना खजाना / शौर्यपथ /कोरोनाकाल के चलते लोग बाजार से कुछ भी मंगवाने से डर रहे हैं। ऐसे में शाम को अगर आपका कुछ चटपटा खाने का मन करें तो आप घर पर ही ट्राई कर सकती हैं स्ट्रीट स्टाइल कटोरी चाट रेसिपी। यह रेसिपी न सिर्फ शाम को लगी छोटी-मोटी भूख को शांत करती हैं बल्कि आपकी चटपटा खाने की क्रेविंग भी पूरी हो जाती है। तो आइए जान लेते हैं कैसे बनाई जाती है स्ट्रीट स्टाइल कटोरी चाट।
कटोरी चाट बनाने के लिए समाग्री-
-250 ग्राम मैदा
-4 से 5 उबले आलू
-आधा कप सफेद मटर (उबली हुई)
-2 से 3 कप दही
-3 से 4 बड़े प्याज
-2 से 3 बारीक कटी हरी मिर्च
-बारीक कटी हरी धनिया
-15 से 20 पापड़ी (बारीक तोड़ लें)
-2 छोटे चम्मच लाल मिर्च
-1 इंच कद्दूकस किया अदरक का टुकड़ा
-1 छोटा चम्मच हल्दी
-3 से 4 चुटकी भुना-पिसा जीरा
-150 ग्राम इमली
-50 ग्राम गुड़
-500 ग्राम मोयन
-फ्राई के लिए तेल
-स्वादानुसार नमक
कटोरी चाट बनाने की विधि-
कटोरी चाट बनाने के लिए सबसे पहले मैदे की कटोरी बना लें। इसके लिए मैदे में तेल (मोयन) डालकर थोड़े-थोड़े पानी से आटे की तरह गूंद लें। फिर मैदे के आटे की लोई बनाकर बेल लें। अब बेली हुई मैदे की पूरियों को एक उल्टी कटोरी पर रखकर कटोरी का आकार दें। एक कढ़ाई में तेल गर्म करें, फिर पूरियों को कटोरी के साथ तेल में फ्राई कर लें, फ्राई होते समय पूरी कटोरी से अपने आप अलग हो जाएगी।
अब चटनी के लिए इमली और गुड़ को एक घंटे के लिए पानी में डाल दें और उसका अर्क निकालकर इमली और गुड़ में काला नमक, जीरा, लाल मिर्च अच्छे से मिलाकर खट्टी-मीठी चटनी बना लें। एक तरफ कढ़ाई में तेल गर्म करें उसमें अदरक, उबले आलुओं को मसलकर डालें, फिर आलुओं में बारीक कटी हरी मिर्च, हल्दी, उबली सफेद मटर, लाल मिर्च, नमक, भुना-पिसा जीरा डालकर अच्छी तरह भून लें। फिर आलू के मसाले को मैदे की कटोरियों में डालें ऊपर से पापड़ी, दही और इमली की चटनी डालकर एक प्लेट में रखकर सबके लिए परोसें और बारीक कटे प्याज, सेव नमकीन और धनिया की पत्तियों से चाट को सजाएं और फिर गर्मा गर्म ही खाएं और खिलाएं।
आस्था /शौर्यपथ /बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध का जन्म कपिलवस्तु के राजा शुद्धोदन के यहां वैशाख पूर्णिमा को हुआ था। इस पूर्णिमा का बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है। उनकी माता का नाम महामाया देवी था। इस बार अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार उनका जन्मोत्सव 26 मई 2021 बुधवार को मनाया जा रहा है। आओ जानते हैं उनके संबंध में 10 रोचक बातें।
1. गौतम बुद्ध का जन्म नाम सिद्धार्थ था। सिद्धार्थ की मौसी गौतमी ने उनका लालन-पालन किया क्योंकि सिद्धार्थ के जन्म के सात दिन बाद ही उनकी मां का देहांत हो गया था।
2. गौतम बुद्ध शाक्यवंशी छत्रिय थे। इसीलिए उन्हें शाक्यमुनि भी कहा जाता था। एक मान्यता के आधार पर शाक्यों की वंशावली के अनुसार गौतम बुद्ध श्रीराम के पुत्र कुश के वंश में जन्में थे। महाभारत में शल्य कुशवंशी थे और इन्हीं शल्य की लगभग 25वीं पीढ़ी में ही गौतम बुद्ध हुए थे।
3. शोध बताते हैं कि दुनिया में सर्वाधिक प्रवचन बुद्ध के ही रहे हैं। यह रिकॉर्ड है कि बुद्ध ने जितना कहा और जितना समझाया उतना किसी और ने नहीं। धरती पर अभी तक ऐसा कोई नहीं हुआ जो बुद्ध के बराबर कह गया। सैकड़ों ग्रंथ है जो उनके प्रवचनों से भरे पड़े हैं और आश्चर्य कि उनमें कहीं भी दोहराव नहीं है। बुद्ध ने अपने जीवन में सर्वाधिक उप देश कौशल देश की राजधानी श्रावस्ती में दिए। उन्होंने मगध को भी अपना प्रचार केंद्र बनाया। महात्मा बुद्ध ने अपने उपदेश पाली भाषा( मूल रूप में मागधी) में दिए थे। ऐसा कहा जाता है कि वह नियमित रूप से उपवास करते थे और सामान्यतः वह मीलों तक का पैदल ही सफर तय करते थे, जिससे वह चारों तरफ ज्ञान फैला सकें।
4. अंगुत्तर निकाय धम्मपद अठ्ठकथा के अनुसार वैशाली राज्य में तीव्र महामारी फैली हुए थी। मृत्यु का तांडव नृत्य चल रहा था। लोगों को समझ में नहीं आ रहा था कि इससे कैसे बचा जाए। हर तरफ मौत थी। लिच्छवी राजा भी चिंतित था। कोई उस नगर में कदम नहीं रखना चाहता था। दूर दूर तक डर फैला था। भगवान बुद्ध ने यहां रतन सुत्त का उपदेश दिया जिससे लोगों के रोग दूर हो गए।
5. कहते हैं कि एक बार बुद्ध को मारने के लिए एक पागल हाथी छोड़ा गया था लेकिन वह हाथी बुद्ध के पास आकर उनके चरणों में बैठ गया था। यह भी कहा जाता है कि एक बार उन्होंने एक नदी पर पैदल चलकर उसे पार किया था। इस तरह से उनके कई चमत्कारों के बारे में जानकारी मिलती है।
6. गौतम बुद्ध को अपने कई जन्मों की स्मृतियां थीं और यह भी वे अपने भिक्षुओं के भी कई जन्मों को जानते थे। यही नहीं वे अपने आसपास के पशु, पक्षी और पेड़-पौधे आदि के पूर्वजन्मों के बारे में भी भिक्षुओं को बता देते थे। जातक कथाओं में बुद्ध के लगभग 549 पूर्व जन्मों का वर्णन है।
7. वारणसीके निकट सारनाथ में महात्मा बुद्द ने अपना पहला उपदेश पांच पंडितों, साधुओं को दिया, जो बौद्ध परंपरा में धर्मचक्रप्रवर्तन के नाम से विख्यात हैं। महात्मा बुद्ध ने तपस्स एवं मल्लक नाम के दो लोगों को बौद्ध धर्म का सर्वप्रथम अनुयायी बनाया, जिन्हें शूद्र माना जाता था। बौद्ध धर्म ने वर्ण व्यवस्था एवं जाति प्रथा का विरोध करता है।
8. 'मेरा जन्म दो शाल वृक्षों के मध्य हुआ था, अत: अन्त भी दो शाल वृक्षों के बीच में ही होगा। अब मेरा अंतिम समय आ गया है।' आनंद को बहुत दु:ख हुआ। वे रोने लगे। बुद्ध को पता लगा तो उन्होंने उन्हें बुलवाया और कहा, 'मैंने तुमसे पहले ही कहा था कि जो चीज उत्पन्न हुई है, वह मरती है। निर्वाण अनिवार्य और स्वाभाविक है। अत: रोते क्यों हो? बुद्ध ने आनंद से कहा कि मेरे मरने के बाद मुझे गुरु मानकर मत चलना।
9. गौतम बुद्ध के निर्वाण के बाद 6 दिनों तक लोग दर्शनों के लिए आते रहे। सातवें दिन मृत देह को जलाया गया। फिर उनके अवशेषों पर मगध के राजा अजातशत्रु, कपिलवस्तु के शाक्यों और वैशाली के विच्छवियों आदि में भयंकर झगड़ा हुआ। जब झगड़ा शांत नहीं हुआ तो द्रोण नामक ब्राह्मण ने समझौता कराया कि अवशेष आठ भागों में बांट लिये जाएं। ऐसा ही हुआ। आठ स्तूप आठ राज्यों में बनाकर अवशेष रखे गये। बताया जाता है कि बाद में अशोक ने उन्हें निकलवा कर 84000 स्तूपों में बांट दिया था। गौतम बुद्ध के अस्थि अवशेषो पर भट्टि (द.भारत) में निर्मित प्रचीनतम स्तूप को महास्तूप की संज्ञा दी गई है।
10. भगवान बुद्ध ने भिक्षुओं के आग्रह पर उन्हें वचन दिया था कि मैं 'मैत्रेय' से पुन: जन्म लूंगा। तब से अब तक 2500 साल से अधिक समय बीत गया। कहते हैं कि बुद्ध ने इस बीच कई बार जन्म लेने का प्रयास किया लेकिन कुछ कारण ऐसे बने कि वे जन्म नहीं ले पाए। अंतत: थियोसॉफिकल सोसाइटी ने जे. कृष्णमूर्ति के भीतर उन्हें अवतरित होने के लिए सारे इंतजाम किए थे, लेकिन वह प्रयास भी असफल सिद्ध हुआ। अंतत: ओशो रजनीश ने उन्हें अपने शरीर में अवतरित होने की अनुमति दे दी थी। उस दौरान जोरबा दी बुद्धा नाम से प्रवचन माला ओशो ने कही।
यह संयोग है या कि प्लानिंग कि वैशाख पूर्णिमा के दिन बुद्ध का जन्म नेपाल के लुम्बिनी वन में ईसा पूर्व 563 को हुआ। उनकी माता अपने नैहर देवदह जा रही थीं, तो कपिलवस्तु और देवदह के बीच नौतनवा स्टेशन से 8 मील दूर पश्चिम में रुक्मिनदेई नामक स्थान के पास उस काल में लुम्बिनी वन हुआ करता था वहीं पुत्र को जन्म दिया। इसी दिन (पूर्णिमा) 528 ईसा पूर्व उन्होंने बोधगया में एक वृक्ष के नीचे जाना कि सत्य क्या है और इसी दिन वे 483 ईसा पूर्व को 80 वर्ष की उम्र में दुनिया को कुशीनगर में अलविदा कह गए।
धर्म संसार / शौर्यपथ /भगवान चित्रगुप्त को भगवान यमराज के साथ बताया जाता है। भगवान चित्रगुप्त की कार्तिक शुक्ल द्वितीया अर्थात भाईदूज के दिन पूजा करते हैं। भाईदूज के दिन कलम, स्याही, पुस्तक, बहिखाता आदि की पूजा करते हैं। वैशाख शुक्ल षष्ठी को उनका प्रकटोत्सव मनाया जाता है। आओ जानते हैं भगवान चित्रगुप्त के बारे में 10 रोचक बातें।
1. पुराणों अनुसार भगवान चित्रगुप्त की उत्पत्ति ब्रह्माजी की काया से हुई है। ब्रह्मा के 18 मानस संतानों में से एक चित्रगुप्त को महाकाल भी कहा गया है।
2. सनातनी श्राद्ध में पितरों की मुक्ति हेतु इनका पूजन किया जाता है और गुरूढ़ पुराण इन्हीं को प्रसन्न करने के लिए पढ़ा जाता है।
3. यमराज तो ब्रह्मा के दशांश हैं जबकि चित्रगुप्त तो ब्रह्मा के पुत्र ही है और अपनी कठिन तपस्या से वह ब्रह्मा के समान ही हैं। वे यमराज से 10 गुना अधिक शक्ति के हैं। भगवान चित्रगुप्त तो यमराज के स्वामी हैं मुंशी नहीं।
4. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कायस्थ जाति को उत्पन्न करने वाले भगवान चित्रगुप्त ही हैं।
5. भगवान चित्रगुप्त की बही 'अग्रसन्धानी' में प्रत्येक जीव के पाप-पुण्य का हिसाब लिखा हुआ है।
6. कहते हैं कि ब्रह्माजी ने चित्रगुप्तजी का विवाह वैवस्वत मनु (कश्यप ऋषि के पौत्र) की 4 कन्याओं से और नागों की 8 कन्याओं से कर दिया। उक्त बारह कन्याओं से उनके 12 पुत्र उत्पन्न हुए। तत्पश्चायत ब्रह्माजी ने उन्हें सभी प्राणियों का भाग्य लिखने का जिम्मा सौंपा और ब्रह्माजी की आज्ञा से यमलोक में विराजमान होकर दण्डदाता कहलाने लगे।
7. भगवान चित्रगुप्त ने ही अनुशासन और दण्डविधान को बनाया है। उनके बनाए दण्ड विधान का पालन ही उनकी आज्ञा से यमराज और उनके यमदूत कराते हैं। चित्रगुप्त को सभी प्राणियों के 'न्याय ब्रह्म एवं धर्माधिकारी' हैं। भगवान चित्रगुप्त ही लोगों को उनके पाप का दंड देते या पुण्य का फल देते हैं।
8. पुराणों के अनुसार चित्रगुप्त पूजा करने से विष्णुलोक की प्राप्ति होती है।
9. भगवान चित्रगुप्त ही ऋषि, देव, दानवों का भाग्य निर्धारित करते हैं। लेखनी धारक भगवान चित्रगुप्त ही है। भगवान चित्रगुप्त ही यमलोक में धर्माधिकारी नामक यम है।
10. अन्य मान्यता अनुसार ऐसा कहा जाता है कि चित्रगुप्त के अम्बष्ट, माथुर तथा गौड़ आदि नाम से कुल 12 पुत्र माने गए हैं। कायस्थों को मूलत: 12 उपवर्गों में विभाजित किया गया है। यह 12 वर्ग श्री चित्रगुप्त की पत्नियों देवी शोभावती और देवी नंदिनी के 12 सुपुत्रों के वंश के आधार पर है। भानु, विभानु, विश्वभानु, वीर्यभानु, चारु, सुचारु, चित्र (चित्राख्य), मतिभान (हस्तीवर्ण), हिमवान (हिमवर्ण), चित्रचारु, चित्रचरण और अतीन्द्रिय (जितेंद्रिय)। श्री चित्रगुप्तजी के 12 पुत्रों का विवाह नागराज वासुकि की 12 कन्याओं से हुआ जिससे कि कायस्थों की ननिहाल नागवंशी मानी जाती है। माता नंदिनी के 4 पुत्र कश्मीर में जाकर बसे तथा ऐरावती एवं शोभावती के 8 पुत्र गौड़ देश के आसपास बिहार, ओडिशा तथा बंगाल में जा बसे। बंगाल उस समय गौड़ देश कहलाता था। उपरोक्त पुत्रों के वंश अनुसार कायस्थ की 12 शाखाएं हो गईं- श्रीवास्तव, सूर्यध्वज, वाल्मीकि, अष्ठाना, माथुर, गौड़, भटनागर, सक्सेना, अम्बष्ठ, निगम, कर्ण और कुलश्रेष्ठ। जय चित्रगुप्त भगवान की जय।
सेहत /शौर्यपथ /आयुष मंत्रालय के निर्देशों को मनाने और अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने का आग्रह. इसके बाद मुझसे भी कई लोगों ने पूछा कि आयुर्वेद में क्या-क्या है, जिसके माध्यम से हम अपनी इम्यूनिटी बढ़ाकर कोरोना को हरा सकते हैं. देखा जाए तो यह सत्य है कि हमें किसी भी प्रकार के संक्रमण से हमारी इम्यूनिटी ही बचाती है. अगर हमारी भी इम्यूनिटी स्ट्रॉन्ग हो जाए तो हमारी मुश्क़िल हल हो जाए. मैं चाहता हूं कि आप और आपके परिचित मेरे इस अनुभव से लाभान्वित होकर कोरोना से जंग में मानवता की रक्षा में अपना सहयोग दें. यह पांच घरेलू उपाय मैं बता रहा हूं, जो आपकी इम्यूनिटी बढ़ाएंगे.
1. सेब का सिरका और लहसुन
सेब के सिरके में भीगी हुई लहसुन की 2 कलियां एक दिन छोड़कर लें. सेब का सिरका और लहसुन दोनों ही इम्यूनोमॉड्यूलेटर होते हैं. इसलिए यह इम्यूनिटी बढ़ाने का बड़ा आसान उपाय है.
2. हल्दी पाउडर और शहद
आधा चम्मच हल्दी पाउडर और उसमें शहद मिलाकर रोज़ाना सोते समय दूध से लें. इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाने के लिए हल्दी बहुत उपयोगी है. शहद भी इम्यूनोमॉड्यूलेटर है. यह इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए एक आसान उपाय है.
3. आंवला पाउडर और शहद
आधा चम्मच आंवला पाउडर लीजिए और उसमें शहद मिलाकर रोज़ाना सुबह लें. आंवला विटामिन सी का सर्वश्रेष्ठ स्रोत है और विटामिन सी इम्यूनिटी को चमत्कारी ढंग से बढ़ाने के
लिए मशहूर है.
4. धूप
धूप से बेहतरीन और मुफ़्त का इम्यूनिटी बूस्टर कोई और नहीं है. यह विटामिन डी का स्रोत है, जो कि इम्यूनिटी के लिए ज़िम्मेदार विटामिन्स में से एक है. रोज़ाना कम से कम 30 मिनट धूप में बिताएं यह आपको शक्ति और ऊर्जा से भर देगी. बेशक धूप लेते समय सोशल डिस्टेंसिंग रूल का पालन करना ज़रूरी है. सबसे अच्छा होगा, सुबह-सुबह अपने घर की छत पर चले जाएं.
5. इबादत
जब समय मिले आप ध्यान, प्रार्थना या इबादत करें. जब मन शांत और भय मुक्त रहता है तो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बहुत बढ़ जाती है. यह सबसे आसान और कारगर इम्यूनिटी बूस्टर है.
औषधीय सलाह
आप अपने पास के मेडिकल स्टोर से इन प्रतिष्ठित आयुर्वेदिक कंपनियों में से भी किसी एक की दवाई इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए लें सकते हैं. इन्हें आप सुबह शाम गर्म पानी से लें.
लाइफस्टाइल /शौर्यपथ /कोरोना के भय से भारतीय जनमानस में इम्यूनिटी (प्रतिरोधक क्षमता) के लेकर कई भ्रांतियां घर कर गई हैं। यही वजह है कि विटामिन सी, जिंक, च्यवनप्राश, काढ़े, ड्रॉप से लेकर तमाम ऐसे उत्पादों की बिक्री ने रिकॉर्ड तोड़ दिए, जिनके साथ इम्यूनिटी शब्द जुड़ गया। बाजार में ब्रेड से लेकर दूध तक पर इम्यूनिटी बूस्टर लिखा आ रहा है। मगर विशेषज्ञ कहते हैं कि गोलियां या सप्लीमेंट फांकने से इम्यूनिटी नहीं बढ़ती। आज के समय में ये तथ्य स्वीकार करने में आपको कठिनाई हो सकती है मगर सच यह है कि आज भी आपकी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का सबसे कारगर उपाय उम्दा भोजन और खानपान है।
भोजन ही देगा जरूरी पोषण : डब्यूएचओ
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि घर का बना भोजन ही वे सभी जरूरी पोषण तत्व देगा जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए जरूरी हैं। अगर वाकई किसी को सप्लीमेंट की जरूरत होगी तो वह डॉक्टरी सलाह पर ही लिया जाना चाहिए।
अच्छी नींद बेहद जरूरी
अच्छे पोषण की तरह अच्छी नींद भी बहुत आवश्यक है। वयस्कों को रात में छह से आठ घंटे सोना चाहिए। एक अंधेरे कमरे में सोएं और नियमित रूप से सोने और जागने का एक ही समय रखें।
कम से कम तनाव लें
वैज्ञानिक अध्ययन ये साबित कर चुके हैं कि तनाव लेने पर शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है जिससे शरीर के संक्रमण की चपेट में आने का खतरा बढ़ता है। तनाव हार्मोन कॉर्टिकोस्टेरॉइड के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रभावशीलता घट जाती है इसलिए खुद को सकारात्मक बनाए रखें।
हर दिन व्यायाम करें
हर दिन 20 से 30 मिनट तक व्यायाम करने से आपके पूरे शरीर में स्फूर्ति आती है और यह फिटनेस हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में मददगार है। इससे संक्रमण के खिलाफ शरीर को लड़ने की शक्ति मिलती है। कई अध्ययनों में यह भी पाया गया कि हर दिन मध्यम तीव्रता का व्यायाम करने से सर्दी-जुकाम भी कम होता है।
नुस्खों की बाढ़ का कारण
दूसरी लहर की भयावहता के कारण भारत में एकाएक घरेलू नुस्खों की बाढ़ आ गई है। हार्वर्ड मेडिसिन के विशेषज्ञ रिचर्ड डेविड का कहना है कि भारतीय इस तरह का व्यवहार इसलिए करने लगे हैं क्योंकि यहां चिकित्सा संसाधनों पर अत्यधिक बोझ है, जिससे लोगों ने सुरक्षित रहने के लिए अपने मुताबिक उपायों को अपनाना शुरू कर दिया है।
प्रतिरोधक क्षमता को लेकर खोजे गए टॉप 5 सवाल
1. शरीर में प्रतिरोधक क्षमता कैसे बढ़ाएं?
2. घर पर प्रतिरोधक क्षमता कैसे बढ़ाएं?
3. कोविड 19 के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता कैसे बढ़ाएं?
4. प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के घरेलू नुस्खे?
5. प्रतिरोधक क्षमता कैसे सुधारें?
स्रोत : गूगल ट्रेंड 2020
सबसे ज्यादा चंडीगढ़ ने खोजी इम्यूनिटी
प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने को लेकर गूगल पर सबसे ज्यादा खोज चंडीगढ़ के इंटरनेट यूजर्स ने की। उसके बाद गोवा फिर कर्नाटक, महाराष्ट्र और पांचवें नंबर पर आंध्र प्रदेश के इंटरनेट यूजर्स ने इसे खोजा।
स्रोत : गूगल ट्रेंड 2020
बिक्री ने रिकॉर्ड तोड़े
भारतीयों ने इम्यूनिटी से जुड़े उत्पादों की इतनी ज्यादा खरीद की कि इससे डायबिटीज की दवाओं की बिक्री का रिकॉर्ड टूट गया। पिछले साल अक्तूबर में जिंक की ब्रिकी रिकॉर्ड 50 करोड़ हुई जबकि इन्सुलिन की खरीद 48 करोड़ ही हुई। पिछले साल विटामिन सी की ब्रिकी 23% बढ़कर 1267 करोड़ पर पहुंच गई। इसे देखते हुए एक अनुमान है कि 2026 तक भारत में इम्यूनिटी बूस्टिंग उत्पादों का बाजार 34.5 करोड़ का हो जाएगा।
-भारत में 70% तक आहार पूरक या डायटरी सप्लीमेंट नकली और अपंजीकृत हैं।
-भारत में विटामिन-सी गोलियों की सालाना बिक्री महामारीकाल में 23% बढ़ गई।
(स्त्रोत : उद्योग मंडल एसोचैम )
जिंक : नर्वस सिस्टम फेल कर सकता है
साधारण जुकाम की अवधि घटाने में जिंक की गोलियां कारगर हैं पर ये जुकाम की गंभीरता को कम नहीं करतीं। पर इस बात के कोई साक्ष्य नहीं हैं कि जिंक से कोरोना संक्रमण में लाभ मिल सकता है।
खतरा : इसके अत्यधिक प्रयोग से एनीमिया होने, स्वाद-गंध खत्म हो जाने और नर्वस सिस्टम के फेल हो जाने का खतरा रहता है।
विटामिन-सी : पथरी और अनिद्रा
इस सप्लीमेंट का उपयोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए खूब किया जा रहा है पर विश्व स्वास्थ्य संगठन इस तरह के लाभ के दावों को खारिज कर चुका है।
खतरा : अत्यधिक सेवन से दस्त, जी मिचलाना, उल्टी, पथरी, पेट में जलन-ऐंठन, सिर-दर्द और अनिद्रा हो सकती है।
विशेषज्ञों की राय-
स्वस्थ व्यक्ति को सप्लीमेंट लेने से कोई लाभ नहीं मिलता। उसके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता पहले की तरह रहती है। लेकिन अगर शरीर में विटामिन ए और विटामिन डी की कमी है जो शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र के लिए जरूरी है तो ऐसी स्थिति में सप्लीमेंट लिया जा सकता है। सप्लीमेंट कुपोषण की स्थिति में फायदा देता है।
डॉ.जुगल किशोर, प्रमुख, कम्युनिटी मेडिसिन विभाग, सफदरजंग अस्पताल
इस समय सप्लीमेंट लेने में कोई दिक्कत नहीं है क्योंकि हम इतना पौष्टिक आहार नहीं लेते है, तो ऐसे में सप्लीमेंट का लाभ मिलेगा। अगर शरीर में किसी पोषण की कमी है तो उसे सप्लीमेंट पूरा करता है। अगर शरीर में पहले से उसकी मौजूदगी हो तो सप्लीमेंट लेने का कोई फायदा नहीं है।
प्रोफेसर डॉ. संजय राय, कम्युनिटी मेडिसिन विभाग, एम्स
खाना खजाना /शौर्यपथ /गर्मियों में कुछ मीठा और हेल्दी खाने का मन करें तो नॉर्मल चावल की खीर की जगह ट्राई कर सकते हैं टेस्टी संतरे की खीर। यह खीर खाने में तो स्वादिष्ट होती ही है साथ ही विटामिन-सी से भरपूर होने की वजह से यह व्यक्ति की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाने का काम करती है। तो आइए जान लेते हैं कैसे बनाई जाती है यह टेस्टी और आसान संतरे की खीऱ।
संतरे की खीर बनाने के लिए सामग्री-
-चीनी- आधा कप
-इलायची पाउडर- 1 चम्मच
-फुल क्रीम दूध- डेढ़ लीटर
-संतरे- 2
-पिस्ता- 8 से 10 (छोटे टुकड़ों में कटे हुए)
-बादाम-10 (छोटे टुकड़ों में कटे हुए)
संतरे की खीर बनाने की विधि-
संतरे की खीर बनाने के लिए सबसे पहले आप एक बड़े भारी तले के बर्तन में दूध को उबालने के लिए रख दें, जब दूध अच्छे से उबल जाए तो इसमें चीनी इलायची पाउडर डालकर धीमी आंच पर चलाएं। दूध को इस तरह तब तक पकाएं जब तक दूध की मात्रा पक कर आधी और दूध गाढ़ा ना हो जाए।दूध गाढ़ा होने पर उसके रंग में हल्का बदलाव नजर आने लगे तो आप गैस बंद कर दें। अब दूध को 15 मिनट के लिए ठंड़ा होने दें। अब संतरे को छीलकर उसके बराबर टुकड़े कर लें। जब दूध थोड़ा ठंडा हो जाए तब ठंडे दूध में संतरे के टुकड़े डालें। संतरों को दूध में अच्छे से मिलाएं, ऊपर से बादाम पिस्ता डालकर इसे 1 घंटे के लिए फ्रिज में रख दें। गर्मी के मौसम में आपकी ठंडी-ठंडी संतरे की खीर तैयार है। इस खीर को सर्व करते समय ऊपर से गार्निश करने के लिए पिस्ता बादाम डालें।
खाना खजाना /शौर्यपथ / कोरोना के चलते बाजार से पिज्जा मंगवाने से डर रहे हैं तो घर पर इस रेसिपी के साथ ट्राई करें तवा पिज्जा। आमतौर पर पिज्जा बनाने के लिए ओवन का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन घर पर अगर ओवन न हो तो आप पिज्जा तवे पर भी आसानी से बना सकते हैं। आइए जानते हैं कैसे।
तवे पर बाजार जैसा पिज्जा बनाने के लिए सामग्री-
-मैदा- 02 कप
-शिमला मिर्च- 01
-बेबी कार्न- 03
-पिज्जा सॉस- 1/2
-मोज़रेला चीज़- 1/2 कप
-इटेलियन मिक्स हर्ब्स- 1/2 छोटा चम्मच
-ओलिव/रिफाइंड ऑयल- 02 बड़े चम्मच
-शक्कर- छोटा चम्मच
-यीस्ट- छोटा चम्मच
-नमक- स्वादानुसार
पिज्जा बेस बनाने की विधि
पिज्जा बेस बनाने के लिए सबसे पहले मैदा को छानकर उसमें यीस्ट, ओलिव ऑयल, शक्कर और नमक मिलाने के बाद गुनगुने पानी से पिज्जा बेस बनाने के लिए आटे को अच्छी तरह से गूंथ लें।
गुंथे हुए आटे को बर्तन में रखकर गर्म स्थान पर दो घंटे के लिए ढककर रख दें। आटे की ऊपरी सतह पर हल्का सा तेल लगा दें, जिससे उसपर पपड़ी न बनें। आटा लें और उसकी लगभग आधा सेमी मोटी पूरी बेल लें। अब गैस पर नॉन स्टिक पैन रखकर उसपर हल्का सा तेल लगाकर पूरी को रखकर उसे धीमी आंच पर दोनों ओर से सुनहरा होने तक सेक लें। पिज्जा बेस तैयार है।
तवा पिज्जा बनाने की विधि-
तवा पिज्जा बनाने के लिए सबसे पहले शिमला मिर्च को धोकर उसे लंबाई में छोटे-छोटे पीस में काट लें। ध्यान रखें उसके बीज हटा दें। कार्न के छोटे-छोटे टुकड़े काट लें। गैस पर तवा गर्म करें और उसपर सब्जियों को रख कर चलाते हुए भून लें, जिससे वे नरम हो जाएं। अब इसके ऊपर सबसे पहले पिज्जा सॉस की पतली लेयर लगाएं। उसके बाद शिमला मिर्च और बेबी कार्न को थोडा दूर-दूर करके एक पर्त लगा दें। उसके ऊपर सब्जियों की एक पर्त बिछाएं और ऊपर से मोजेरिला चीज डाल दें।
पिज्जा को किसी बर्तन से ढक दें और लगभग पांच-सात मिनट तक उसे पकने दें। थोड़ी-थोड़ी देर पर पिज्जा को खोलकर चेक करते रहें। जब चीज पूरी तरह से मेल्ट हो जाए और पिज्जा बेस नीचे से ब्राउन हो जाए, गैस बंद कर दें। तवा पिज्जा तैयार है। पिज्जा के ऊपर इटेलियन मिक्स हर्ब्स डालकर उसे चार टुकड़ों में काटकर गर्मा-गरम सर्व करें।
धर्म संसार /शौर्यपथ /हिंदू धर्म में शुक्रवार को मां लक्ष्मी का व्रत किया जाता है। इसे वैभव लक्ष्मी व्रत भी कहा जाता है। मान्यता है कि वैभव लक्ष्मी व्रत रखने व मां लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है और आर्थिक परेशानियों से मुक्ति मिलती है। मां लक्ष्मी की पूजा करने से धन-वैभव, ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
वैभव लक्ष्मी व्रत को शुक्रवार से शुरू किया जाता है और शुक्रवार के दिन ही रखा जाता है। ऐसे में किसी कारणवश आपको घर से बाहर जाना पड़ा तो आप अगले शुक्रवार भी व्रत रख सकते हैं। मान्यता है कि इस व्रत का पालन घर पर ही करना चाहिए।
वैभव लक्ष्मी व्रत पूजा विधि-
शुक्रवार को सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि निवृत्त हो जाएं। पूरे दिन मां लक्ष्मी का ध्यान लगाएं। इसके बाद शाम को पूजन सामग्री इकट्ठा करें। शाम को पूजा से पहले व्रती साफ कपड़े धारण करें। इसके बाद पूर्व दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठ जाएं। अब चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं। इस पर मां लक्ष्मी की प्रतिमा या मूर्ति और श्री यंत्र रखें। तस्वीर के सामने थोड़े चावल का ढ़ेर रखें। उस पर जल से भरा तांबे का कलश रखें। कलश के ऊपर कटोरी में चांदी या सोने का आभूषण या सिक्का डालें। अब श्री लक्ष्मी यंत्र का जाप करें। जाप के बाद वैभव लक्ष्मी व्रत कथा पढ़ें या सुनें। अंत में घर के मेनगेट पर दीपक जलाएं। पूजा के बाद मां लक्ष्मी को भोग लगाएं और प्रसाद ग्रहण करें।
वैभव लक्ष्मी व्रत पूजन सामग्री-
मां लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र, फूल, पुष्प माला, कुमकुम, हल्दी, एक बड़ा कलश, चंदन, अक्षत, विभूति, मौली, दर्पण, कंघा, आम के पत्ते, पान के पत्ते, पंचामृत, दही, केले, दूध, जल, धूप बत्ती, दीपक, कपूर, घंटी और प्रसाद।
शिक्षा /शौर्यपथ / आचार्य चाणक्य को महान शिक्षाविद, कूटनीतिज्ञ, राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री के तौर पर जाना जाता है। आचार्य चाणक्य ने स्त्री, पुरुष, बुजुर्ग और बच्चों समेत हर वर्ग के बारे में अपने ग्रंथ नीति शास्त्र में जिक्र किया है। चाणक्य ने नीति शास्त्र में रिश्तों को लेकर कई ऐसी बातों का वर्णन किया है, जिन्हें अपनाकर व्यक्ति खुशहाल और सुखमय जीवन बिता सकता है। चाणक्य ने स्त्रियों के ऐसे गुणों का वर्णन किया है, जो उन्हें संस्कारी, गुणवती और श्रेष्ठ बनाते हैं। जानिए जिन व्यक्ति की पत्नी में होते हैं ये गुण, वे होते हैं भाग्यशाली-
दयालु व विनम्रता-
चाणक्य कहते हैं कि स्त्री का दयालु व विनम्र होना बेहद जरूरी है। ऐसे स्त्री हमेशा परिवार को एक जुट रखती है। ये हमेशा दूसरों की भलाई के बारे में सोचती है। ऐसे परिवार में हमेशा सुख-शांति बनी रहती है। जिन व्यक्ति की पत्नी में यह गुण होता है, उनका जीवन खुशहाल रहता है।
धर्म का पालन करने वाली-
चाणक्य के अनुसार, हर स्त्री और पुरुष को धर्म का पालन करना चाहिए। चाणक्य कहते हैं कि जो स्त्री धर्म का रास्ता अपनाती है वह सही और गलत में अच्छे से भेद कर पाती है। धर्म का पालन करने वाली स्त्री हमेशा अच्छे कर्मों को करती है। ऐसी स्त्रियों की संतान संस्कारी होती हैं। ऐसी स्त्री आने वाली कई पीढ़ियों का कल्याण करती है। धर्म का पालन करने वाली स्त्रियों का समाज में मान-सम्मान होता है। इसके साथ ही वह परिवार की भी प्रतिष्ठा बढ़ाती हैं।
धन की बचत-
चाणक्य कहते हैं कि धन व्यक्ति के अच्छे और बुरे दोनों समय में काम आता है। विपरीत परिस्थितियों से निकलने में धन मदद करता है। ऐसे में जिस स्त्री में पैसों का संचय करने की आदत होती है, वह व्यक्ति आसानी से बुरे समय को पार कर लेता है। ऐसे पुरुषों का जीवन खुशहाल और सुखमय होता है।
आस्था /शौर्यपथ /वैशाख मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत को राक्षसों से बचाने के लिए मोहिनी रूप धारण किया था। इसलिए इस दिन भगवान श्रीहरि के मोहिनी स्वरूप की पूजा का विधान है।
लोगों के बीच आस्था है कि मोहिनी एकादशी का व्रत व पूजन करने से व्यक्ति के पापों का अंत होता है। भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होने की भी मान्यता है। इस साल मोहिनी एकादशी 23 मई को है। जानिए मोहिनी एकादशी का महत्व, पूजा का समय और व्रत से जुड़ी खास बातें-
मोहिनी एकादशी महत्व-
भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरूप की पूजा करने से भक्त के पापों का अंत होता है। इसी के साथ उसे अंत में मोक्ष की प्राप्ति होने की मान्यता है।
मोहिनी एकादशी 2021 शुभ मुहूर्त-
एकादशी तिथि प्रारम्भ : 22 मई 2021 को सुबह 09:15 बजे से
एकादशी तिथि समाप्त : 23 मई 2021 को सुबह 06:42 बजे तक
पारणा मुहूर्त : 24 मई सुबह 05:26 बजे से सुबह 08:10 बजे तक
मोहिनी एकादशी पूजा विधि-
एकादशी के दिन सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करके एकादशी व्रत का संकल्प लें।
- उसके बाद घर के मंदिर में पूजा करने से पहले एक वेदी बनाकर उस पर 7 धान (उड़द, मूंग, गेहूं, चना, जौ, चावल और बाजरा) रखें।
- वेदी के ऊपर एक कलश की स्थापना करें और उसमें आम या अशोक के 5 पत्ते लगाएं।
- अब वेदी पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर रखें।
- इसके बाद भगवान विष्णु को पीले फूल, ऋतुफल और तुलसी दल समर्पित करें।
- फिर धूप-दीप से विष्णु की आरती उतारें।
- शाम के समय भगवान विष्णु की आरती उतारने के बाद फलाहार ग्रहण करें।
- रात्रि के समय सोए नहीं बल्कि भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करें।
- अगले दिन सुबह किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं और यथा-शक्ति दान-दक्षिणा देकर विदा करें।
- इसके बाद खुद भी भोजन कर व्रत का पारण करें।
मोहिनी एकादशी व्रत कथा-
पौराणिक मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान अमृत से भरा कलश निकला। इस कलश को लेकर देवताओं और असुरों के बीच झगड़ा होने लगा कि कौन पहले अमृत पिएगा। अमृत को लेकर दोनों पक्षों में युद्ध की स्थिति आ गई। तभी भगवान विष्णु मोहिनी नामक सुंदर स्त्री का रूप लेकर प्रकट हुए और दैत्यों से अमृत कलश लेकर सारा अमृत देवताओं को पिला दिया। जिससे देवता अमर हो गए। मान्यता है कि भगवान विष्णु ने जिस दिन मोहिनी रूप धारण किया था, उस दिन वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी थी। इसलिए इस दिन को मोहिनी एकादशी कहा जाता है।
शौर्यपथ / राजस्थान के अजमेर में ईद के बाद चांद की पांच एवं छह तारीख यानि 18-19 मई को ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के गुरू का उर्स मनाया जाएगा।
अजमेर दरगाह शरीफ से जुड़े खादिमों के अनुसार ख्वाजा साहब के गुरु पीर ओ मुर्शिद हजरत उस्मान हारूनी का उर्स ईद के बाद मनाए जाने की परम्परा है। इस मौके पर एक बार फिर से दरगाह स्थित जन्नती दरवाजा खोला जाएगा। दरवाजा सुबह तड़के चार बजे खोल कर कुल की रस्म के बाद दिन में दोपहर सवा बजे बंद कर दिया जाएगा। दरगाह में आम जायरीनों के प्रवेश पर प्रतिबंध के चलते उर्स एवं जन्नती दरवाजा खोलने की परम्परा रस्मीतौर ही निभाई जायेगी। आस्ताना शरीफ की खिदमत के लिए लगे खुद्दाम (खादिम) ही जियारत कर सकेंगे।
उल्लेखनीय है कि कोरोनाकाल के मद्देनज़र सरकारी नियमों की अनुपालना में दरगाह शरीफ गत 19 अप्रैल से ही बंद है। दरगाह के मुख्य निजाम गेट के अलावा सभी प्रवेश द्वार बंद है।
टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ / आलू और प्याज, इन दो सब्जियों का इस्तेमाल लगभग हर सब्जी के साथ किया जाता है। यही वजह है कि घर की महिलाएं एक साथ कई किलो प्याज और आलू खरीदकर पहले से ही अपनी किचन में हफ्तेभर के लिए स्टोर कर लेती हैं। लेकिन आलू-प्याज का रख-रखाव अगर अच्छी तरह से न किया गया हो तो उनमें से अंकुर निकलने लगते हैं और वो जल्दी खराब होने लगते हैं। ऐसे में इन आसान टिप्स को अपनाकर आप आलू-प्याज को अंकुरित होने से बचा सकती हैं। आइए जानते हैं क्या हैं ये टिप्स।
कागज के लिफाफे का इस्तेमाल-
कागज के लिफाफे में आलू और प्याज स्टोर करके रखने से वो कभी भी अंकुरित नहीं होते हैं। अगर आप भी आलू और प्याज को अंकुरित होने से बचाना चाहती हैं, तो कागज के लिफाफे में इन्हें स्टोर करके रखें।
गरम जगह पर न करें स्टोर -
आलू और प्याज को अंकुरित होने से बचाने के लिए उन्हें कभी भी गर्म जगह पर स्टोर न करें, ऐसा करने पर वो अंकुरित होने लगते हैं। आलू और प्याज को स्टोर करने के लिए ऐसी जगह का चुनाव करें जहां अधिक गर्मी न होती हो और वो जगह हमेशा ठंडा बनी रहे। इसके अलावा आलू-प्याज को ऐसी जगह स्टोर करके रखें जहां से उन्हें हवा लग सकते हैं। हवा न लगाने से उनमें फफूंदी लगाने लगती है।
सूती कपड़े का करें इस्तेमाल -
बाजार से प्लास्टिक की थैली या बैग में रखकर आलू और प्याज को दिया जाता है। अगर आप आलू-प्याज को उसी प्लास्टिक की थैली में स्टोर करके रख देते हैं तो वो अंकुरित होने लगते हैं। इन्हें स्टोर करने के लिए आप किसी सूती कपड़े का इस्तेमाल करें। सूती कपड़े में रखने से आलू और प्याज अंकुरित नहीं होते हैं।
फ्रिज में न रखें -
कई ऐसे लोग हैं जो आलू को लंबे समय तक फ्रेश बनाए रखने के लिए उसे फ्रिज में रख देते हैं। लेकिन फ्रिज में रखने से आलू अंकुरित होने लगते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि आलू में स्टार्च होता हैं, जो फ्रिज में रखने से शुगर में बदल जाता है और आलू अंकुरित होने लगते हैं।
फलों के साथ मिलाकर न रखें आलू-प्याज-
कई ऐसे फल होते हैं, जिनमें इथाइलीन नामक रसायन मौजूद होता है, जिसकी वजह से आलू और प्याज अंकुरित होने लगते हैं। इसके अलावा आलू और प्याज को कभी भी पानी से साफ करके भी स्टोर नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से उनमें मौजूद नमी उन्हें अंकुरित करने का कारण बन सकती है।