August 02, 2025
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सेहत / शौर्यपथ /मौसम कोई भी हो लेकिन आपके बालों को इसकी सबसे ज्यादा मार सहनी पड़ती है। सर्दी, गर्मी और बारिश तीनों ही मौसम में बालों का डैमेज होने का खतरा बढ़ा रहता है। आप अगर बालों का ख्याल नहीं रखते, तो आपको हेयर फॉल के अलावा डैंड्रफ जैसी समस्याएं भी परेशान करने लग जाती हैं। ऐसे में अपने बालों को लंबा और चमकदार बनाने के लिए आप जो सबसे आसान काम कर सकते हैं, वह है अपनी डाइट में सुधार करना और ओमेगा -3 पोषक तत्वों से भरपूर फूड्स का सेवन करना, जो बालों के स्वास्थ्य के लिए वरदान साबित हुए हैं। आप जैसा खाते हैं वैसे ही होते हैं। आइए, जानते हैं हेयर केयर के लिए आप कौन-सी चीजें डाइट में शामिल कर सकते हैं-
अखरोट
अखरोट में सबसे ज्यादा ओमेगा-3 फैटी एसिड की अधिक मात्रा होती है, जो बालों के स्ट्रैंड की नमी को बरकरार रखते हैं और धूप से बचाकर रखते हैं।
मछली
वसायुक्त और तैलीय मछली ओमेगा -3 एसिड के उत्कृष्ट स्रोत हैं। सैल्मन, मैकेरल, ट्राउट और सार्डिन में डीएचए और ईपीए - दो प्रकार के ओमेगा -3 फैटी एसिड होते हैं, जिन्हें बालों के लिए सुपरफूड माना जाता है।
कैनोला का तेल
कैनोला के तेल का आमतौर पर कम इस्तेमाल किया जाता है लेकिन इसमें संतृप्त वसा की कम सामग्री होती है और इसकी आणविक संरचना ऐसी होती है कि यह तेल को उच्च तापमान को सहन करने देती है। कैनोला तेल ओमेगा -3 फैटी एसिड में प्रचुर मात्रा में है।
सोयाबीन
सोयाबीन में ALA ओमेगा-3 वसा और बहुत सारे विटामिन-ई होते हैं, जो बालों को पर्याप्त पोषण प्रदान करने के लिए एक साथ काम करते हैं।
बीज
पोषण के लिए कई तरह के बीज लेने पड़ते हैं, लेकिन सन के बीज, सूरजमुखी के बीज और चिया के बीज विशेष रूप से तेजी से बालों के विकास और बालों ग्रोथ को बढ़ाते हैं।

खाना खाजाना /शौर्यपथ /गर्मियों में जूस के अलावा शेक बहुत पसंद किए जाते हैं। खासकर चॉकलेट शेक कई लोगों को बेहद पसंद होता है। आज हम आपको चॉकलेट शेक बनाने की रेसिपी बता रहे हैं। आइए, जानते हैं कैसे बनाएं चॉकलेट शेक-
सामग्री :
1 केला
1 कप दूध
फुल क्रीम
3 टेबलस्पून काजू
2 टीस्पून कोकोआ पाउडर
2 टेबलस्पून डार्क चॉकलेट
विधि : शेक बनाने के लिए सबसे पहले डार्क चॉकलेट को अच्छे से घिस लें।- अब ग्राइंडर जार में केला, दूध, काजू डालकर इसका शेक बनाएं।- इस शेक में कोकोआ पाउडर और डार्क चॉकलेट डालकर एक बार फिर से ग्राइंड कर लें।- तैयार शेक को एक गिलास में डालें।- ऊपर से चॉकलेट पाउडर और थोड़े से डार्क चॉकलेट के पीसेस डालकर सर्व करें।

लाइफस्टाइल /शौर्यपथ /कहा जा रहा है कि भारत में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर आयी तो यह बच्चों के लिए खतरनाक होगी। ऐसे खतरे को देखते हुए बेहद जरूरी है कि हम वयस्कों के साथ ही बच्चों की सुरक्षा पर भी विशेष ध्यान दें। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कुछ तरीके बताए हैं जिन्हें अपनाकर बच्चों को कोरोना संक्रमण से सुरक्षित रखा जा सकता है।
6 साल से बड़े बच्चों को लगाएं मास्क-
विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ का कहना है कि 6 से 11 साल तक के बच्चों को मास्क पहनाना इस बात पर निर्भर करता है कि वे जिस क्षेत्र में रह रहे हैं, वहां संक्रमण की स्थिति क्या है। साथ ही, याद रखें कि दो साल से छोटे बच्चों को मास्क न लगाएं। अभिभावक बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग के बारे में बताएं। बच्चों में बार-बार हाथ धोने की आदत डालें।
लक्षण : लाल चकत्ते दिखें तो सतर्क हो जाएं-
-बच्चे को 1-2 दिन से ज्यादा बुखार रहे।
-अगर बच्चे के शरीर और पैर में लाल चकत्ते हो जाएं।
-अगर आपको बच्चे के चेहरे का रंग नीला दिखने लगे।
-बच्चे को उल्टी-दस्त की समस्या हो।
-अगर बच्चे के हाथ-पैर में सूजन आने लगे।
ये तरीके अपनाकर बच्चों को मजबूती दें
1- फेफड़े मजबूत बनाने के लिए बच्चों को गुब्बारे फुलाने के लिए दें।
2- बच्चों को पीने के लिए गुनगुना पानी दें, इससे संक्रमण का खतरा कम होगा।
3- अगर बच्चा थोड़ा बड़ा है तो उसे सांस वाली एक्सरसाइज कराएं।
4- बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए खट्टे फल खाने के लिए दें।
5- बच्चों को बैक्टीरियल इंफेक्शन और वायरल इंफेक्शन से बचाने के लिए हल्दी वाला दूध दें।
6- बच्चों को इस बीमारी के बारे में और सावधानी के बारे में समझाएं, डराएं नहीं।
मोबाइल और तनाव से दूरी
तनाव केवल वयस्कों में नहीं होता बल्कि छोटे बच्चे भी इसका शिकार बनते हैं। ध्यान रखें कि तनाव का असर शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पर पड़ता है। इस बात पर नजर रखें कि इस घबराहट भरे दौर में आपके बच्चे मोबाइल-टीवी पर क्या देख रहे हैं। बच्चों को ध्यान लगाने, व्यायाम और सांस नियंत्रण की तकनीक सिखानी चाहिए।
नवजात की सुरक्षा
नवजात शिशुओं को ज्यादा लोगों के संपर्क में आने से रोकना चाहिए। बच्चे को जितने कम लोग हाथ में लेंगे, उतना ही अच्छा होगा। मां के लिए भी यह बेहद जरूरी है कि वह अपने हाथों को बार-बार धोती रहें। नवजात शिशु को दूध पिलाते समय भी मां मास्क पहने ताकि उसे इन्फेक्ट होने से बचाया जा सके। स्तन की सफाई रखें।
हल्का संक्रमण हो तो ये करें
लक्षण - गले में खराश लेकिन सांस लेने में तकलीफ नहीं, पाचन संबंधी दिक्कत
उपचार - बच्चे को घर में ही आइसोलेट करके उसका उपचार किया जा सकता है, अगर बच्चे को पहले से ही दूसरी समस्याएं हो तो डॉक्टरी मदद चाहिए।
मध्यम प्रकार का संक्रमण
लक्षण : हल्के निमोनिया के लक्षण, ऑक्सीजन लेवल 90% या इससे नीचे चला जाना।
उपचार - बच्चे को कोविड अस्पताल में भर्ती कराएं, शरीर में द्रव्य और इलेक्ट्रोलायट की मात्रा संतुलित हो।
गंभीर संक्रमण हो तो ऐसा करें
लक्षण - गंभीर निमोनिया, ऑक्सीजन स्तर का 90% से नीचे चला जाना, थकावट, ज्यादा नींद
उपचार : फेफड़े-गुर्दे में संक्रमण की जांच, सीने का एक्स-रे कराना जरूरी, कोविड अस्पताल में भर्ती कराया जाए जहां अंग निष्क्रिय होने संबंधी उपचार का प्रबंध हो। उपचार में रेमडिसिविर जैसे स्टेरॉयड का उपयोग डॉक्टरी निगरानी में हो।

लाइफस्टाइल /शौर्यपथ /आज के दौर में समय और संबंध की वैल्यू बढ़ गई है। जो लोग यह समझते थे कि पैसा हर समस्या का हल है उनकी धारणा बदली है। फिर भी आपको यह समझना होगा कि भाग्य से बढ़कर आज के दौर में कर्म
या भागीरथी पराक्रम महत्वपूर्ण हो चला है। इसके अलावा कई स्तर पर हमें अपनी लड़ाई खुद लड़ना होती है इसीलिए हौसले, धैर्य और समझदारी की जरूरत भी होती है।
भाग्य के भरोसे मत रहो:
1. जिंदगी भाग्य से नहीं चलती। भाग्य भी तभी चलता है जब कर्म का चक्का घुमता है।
2. इंसान की जिंदगी जन्म और मौत के बीच की कड़ी-भर है। यह जिंदगी बहुत छोटी है। कब दिन गुजर जाएंगे, आपको पता भी नहीं चलेगा इसलिए प्रत्येक दिन का भरपूर उपयोग करना चा‍हिए।
3. कुछ ऐसे भी कर्म करना चाहिए, जो आपके भविष्य को उज्जवल बनाए और जो अगले जीवन की तैयारी के हों।
4. अत: इस जीवन में जितना हो सके, उतने अच्छे कर्म कीजिए। एक बार यह जीवन बीत गया, तो फिर आपकी प्रतिभा, पहचान, धन और रुतबा किसी काम नहीं आएंगे।
अपनी लड़ाई खुद लड़ो :
1. जिंदगी एक उत्सव है, संघर्ष नहीं। यदि आप अपनी जिंदगी को संघर्ष समझते हैं तो निश्चित ही वह संघर्षमय होने वाली है।
2. हालांकि जीवन के कुछ मोर्चों पर व्यक्ति को लड़ने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। जो व्यक्ति लड़ना नहीं जानता, युद्ध उसी पर थोपा जाएगा या उसको सबसे पहले मारा जाएगा। उसी के जीवन में संघर्ष भी होगा।
3. अपनी चीज को हासिल करने के लिए कई बार युद्ध करना पड़ता है। अपने अधिकारों के लिए कई बार लड़ना पड़ता है। जो व्यक्ति हमेशा लड़ाई के लिए तैयार रहता है, लड़ाई उस पर कभी भी थोपी नहीं जाती है।
4. यदि तुम यह सोचते हो कि तुम्हें कोई मदद करने आएगा तो यह बात दिमाग से निकाल लो, क्योंकि अधिकतर मोर्चों पर अपनी लड़ाई खुद ही लड़ना पड़ती है। अकेले ही जीने और करने की ताकत पैदा करो, किसी के भरोसे मत रहो। जो व्यक्ति ऐसा करने की क्षमता नहीं रखते हैं वे संघर्ष या संकटकाल में जल्दी ही हार जाते हैं। समय की नजाकत को समझते हुए सावधान और सतर्क रहना सीखें।

सेहत /शौर्यपथ आइए, जानते हैं क्या होता है अस्थमा, इससे बचाव के कारगर उपाय और इससे निजात पाने की आयुर्वेदिक औषधियों के बारे में -
क्या होता है अस्थमा?
श्वास नलियों में सूजन से चिपचिपा बलगम इकट्ठा होने, नलियों की पेशियों के सख्त हो जाने के कारण मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है। इसे ही अस्थमा कहते हैं। अस्थमा किसी भी उम्र में यहां तक कि नवजात शिशुओं में भी हो सकता है।
अस्थमा के सामान्य लक्षण -
1 बार-बार होने वाली खांसी
2 सांस लेते समय सीटी की आवाज
3 छाती में जकड़न
4 दम फूलना
5 खांसी के साथ कफ न निकल पाना
6 बेचैनी होना
ऐसे करें बचाव -
1 धूल, मिट्टी, धुआं, प्रदूषण होने पर मुंह और नाक पर कपड़ा ढकें। सिगरेट के धुएं से भी बचें।
2 ताजा पेन्ट, कीटनाशक, स्प्रे, अगरबत्ती, मच्छर भगाने की कॉइल का धुआं, खुशबूदार इत्र आदि से यथासंभव बचें।
3 रंगयुक्त व फ्लेवर, एसेंस, प्रिजर्वेटिव मिले हुए खाद्य पदार्थों, कोल्ड ड्रिंक्स आदि से बचें।
आइए, जानते हैं अस्थमा में प्रचलित आयुर्वेदिक औषधियां -
1 कंटकारी अवलेह
2 वासावलेह
3 सितोपलादि चूर्ण
4 कनकासव
5 अगत्स्यहरीतिकी अवलेह
ये है अस्थमा में कारगर जड़ी-बूटियां -
* वासा- यह सिकुड़ी हुई श्वसन नलियों को चौड़ा करने का काम करती है।
* कंटकारी- यह गले और फेफड़ों में जमे हुए चिपचिपे पदार्थों को साफ करने का काम करती है।
* पुष्करमूल- एंटीहिस्टामिन की तरह काम करने के साथ एंटीबैक्टीरियल गुण से भरपूर औषधि।
* यष्टिमधु- यह भी गले को साफ करने का काम करती है।
नोट : किसी भी औषधि के प्रयोग से पूर्व विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें।

आस्था /शौर्यपथ /वाल्मीकि कृत रामायण में प्रभु श्रीराम की जीवन गाथा लिखी हुई है। श्री राम के भाई श्री लक्ष्मण एक माहान योद्धा थे। उन्हें शेषनाग का अवतार माना जाता है। वे स्वभाव में थोड़े उग्र थे। उनके इसी स्वभाव के कारण उनकी कुछ लोगों के साथ रोचक बहस हो जाती है। रामचरितमानस में उनकी परशुराम से हुई बहस का रोचक वर्णन मिलता है। आओ जानते हैं उनकी परशुराम से बहस के बारे में संक्षिप्त में।
लक्ष्मण और परशुराम संवाद : जब प्रभु श्रीराम भगवान शिव का धनुष तोड़ देते हैं तो इसकी सूचना परशुरामजी को मिलती है और वे क्रोधित होते हुए जनक की सभा में आ धमकते हैं। वहां जब वे राम को भला बुरा कहने लगते हैं तब लक्ष्मण से रहा नहीं जाता और फिर वे परशुराम का मजाक उड़ाते हुए उन्हें कटु वचनों में शिक्षा देने लगते हैं। इस संवाद में शील, क्रोध, संयम और वीरता का बखान होता है। बाद में श्रीराम लक्ष्मण का क्रोध शांत करते हैं।
वाल्मीकि रामायण के बालकांड में ये वर्णन मिलता है:-
खलबली देखकर जनकपुरी की स्त्रियाँ व्याकुल हो गईं और सब मिलकर राजाओं को गालियाँ देने लगीं। उसी मौके पर शिवजी के धनुष का टूटना सुनकर भृगुकुल रूपी कमल के सूर्य परशुरामजी आए। परशुरामजी का भयानक वेष देखकर सब राजा भय से व्याकुल हो उठ खड़े हुए और पिता सहित अपना नाम कह-कहकर सब दंडवत प्रणाम करने लगे।
जिस कारण सब राजा आए थे, राजा जनक ने वे सब समाचार कह सुनाए। जनक के वचन सुनकर परशुरामजी ने फिरकर दूसरी ओर देखा तो धनुष के टुकड़े पृथ्वी पर पड़े हुए दिखाई दिए। अत्यन्त क्रोध में भरकर वे कठोर वचन बोले- रे मूर्ख जनक! बता, धनुष किसने तोड़ा? उसे शीघ्र दिखा, नहीं तो अरे मूढ़! आज मैं जहाँ तक तेरा राज्य है, वहाँ तक की पृथ्वी उलट दूंगा।
तब श्री रामचन्द्रजी सब लोगों को भयभीत देखकर और सीताजी को डरी हुई जानकर बोले- उनके हृदय में न कुछ हर्ष था न विषाद। हे नाथ! शिवजी के धनुष को तोड़ने वाला आपका कोई एक दास ही होगा। क्या आज्ञा है, मुझसे क्यों नहीं कहते? यह सुनकर क्रोधी मुनि रिसाकर बोले, सेवक वह है जो सेवा का काम करे। शत्रु का काम करके तो लड़ाई ही करनी चाहिए। हे राम! सुनो, जिसने शिवजी के धनुष को तोड़ा है, वह सहस्रबाहु के समान मेरा शत्रु है। वह इस समाज को छोड़कर अलग हो जाए, नहीं तो सभी राजा मारे जाएँगे।
मुनि के वचन सुनकर लक्ष्मणजी मुस्कुराए और परशुरामजी का अपमान करते हुए बोले-हे गोसाईं! लड़कपन में हमने बहुत सी धनुहियाँ तोड़ डालीं, किन्तु आपने ऐसा क्रोध कभी नहीं किया। इसी धनुष पर इतनी ममता किस कारण से है? यह सुनकर भृगुवंश की ध्वजा स्वरूप परशुरामजी कुपित होकर कहने लगे। अरे राजपुत्र! काल के वश होने से तुझे बोलने में कुछ भी होश नहीं है। सारे संसार में विख्यात शिवजी का यह धनुष क्या धनुही के समान है?
लक्ष्मणजी ने हँसकर कहा- हे देव! सुनिए, हमारे जान में तो सभी धनुष एक से ही हैं। पुराने धनुष के तोड़ने में क्या हानि-लाभ! श्री रामचन्द्रजी ने तो इसे नवीन के धोखे से देखा था। फिर यह तो छूते ही टूट गया, इसमें रघुनाथजी का भी कोई दोष नहीं है। मुनि! आप बिना ही कारण किसलिए क्रोध करते हैं? परशुरामजी अपने फरसे की ओर देखकर बोले- अरे दुष्ट! तूने मेरा स्वभाव नहीं सुना। मैं तुझे बालक जानकर नहीं मारता हूँ। अरे मूर्ख! क्या तू मुझे निरा मुनि ही जानता है। मैं बालब्रह्मचारी और अत्यन्त क्रोधी हूँ। क्षत्रियकुल का शत्रु तो विश्वभर में विख्यात हूँ।
लक्ष्मणजी हँसकर कोमल वाणी से बोले- अहो, मुनीश्वर तो अपने को बड़ा भारी योद्धा समझते हैं। बार-बार मुझे कुल्हाड़ी दिखाते हैं। फूँक से पहाड़ उड़ाना चाहते हैं। -यहाँ कोई कुम्हड़े की बतिया (छोटा कच्चा फल) नहीं है, जो तर्जनी (सबसे आगे की) अँगुली को देखते ही मर जाती हैं। कुठार और धनुष-बाण देखकर ही मैंने कुछ अभिमान सहित कहा था। भृगुवंशी समझकर और यज्ञोपवीत देखकर तो जो कुछ आप कहते हैं, उसे मैं क्रोध को रोककर सह लेता हूँ। देवता, ब्राह्मण, भगवान के भक्त और गो- इन पर हमारे कुल में वीरता नहीं दिखाई जाती। क्योंकि इन्हें मारने से पाप लगता है और इनसे हार जाने पर अपकीर्ति होती है, इसलिए आप मारें तो भी आपके पैर ही पड़ना चाहिए। आपका एक-एक वचन ही करोड़ों वज्रों के समान है। धनुष-बाण और कुठार तो आप व्यर्थ ही धारण करते हैं।
इन्हें (धनुष-बाण और कुठार को) देखकर मैंने कुछ अनुचित कहा हो, तो उसे हे धीर महामुनि! क्षमा कीजिए। यह सुनकर भृगुवंशमणि परशुरामजी क्रोध के साथ गंभीर वाणी बोले-हे विश्वामित्र! सुनो, यह बालक बड़ा कुबुद्धि और कुटिल है, काल के वश होकर यह अपने कुल का घातक बन रहा है। यह सूर्यवंश रूपी पूर्ण चन्द्र का कलंक है। यह बिल्कुल उद्दण्ड, मूर्ख और निडर है। अभी क्षण भर में यह काल का ग्रास हो जाएगा। मैं पुकारकर कहे देता हूँ, फिर मुझे दोष नहीं है। यदि तुम इसे बचाना चाहते हो, तो हमारा प्रताप, बल और क्रोध बतलाकर इसे मना कर दो।
लक्ष्मणजी ने कहा- हे मुनि! आपका सुयश आपके रहते दूसरा कौन वर्णन कर सकता है? आपने अपने ही मुँह से अपनी करनी अनेकों बार बहुत प्रकार से वर्णन की है। इतने पर भी संतोष न हुआ हो तो फिर कुछ कह डालिए। क्रोध रोककर असह्य दुःख मत सहिए। आप वीरता का व्रत धारण करने वाले, धैर्यवान और क्षोभरहित हैं। गाली देते शोभा नहीं पाते। शूरवीर तो युद्ध में करनी (शूरवीरता का कार्य) करते हैं, कहकर अपने को नहीं जनाते। शत्रु को युद्ध में उपस्थित पाकर कायर ही अपने प्रताप की डींग मारा करते हैं। आप तो मानो काल को हाँक लगाकर बार-बार उसे मेरे लिए बुलाते हैं
लक्ष्मणजी के कठोर वचन सुनते ही परशुरामजी ने अपने भयानक फरसे को सुधारकर हाथ में ले लिया और बोले- अब लोग मुझे दोष न दें। यह कडुआ बोलने वाला बालक मारे जाने के ही योग्य है। इसे बालक देखकर मैंने बहुत बचाया, पर अब यह सचमुच मरने को ही आ गया है।
विश्वामित्रजी ने कहा- अपराध क्षमा कीजिए। बालकों के दोष और गुण को साधु लोग नहीं गिनते। (परशुरामजी बोले-) तीखी धार का कुठार, मैं दयारहित और क्रोधी और यह गुरुद्रोही और अपराधी मेरे सामने-उत्तर दे रहा है। इतने पर भी मैं इसे बिना मारे छोड़ रहा हूँ, सो हे विश्वामित्र! केवल तुम्हारे शील (प्रेम) से। नहीं तो इसे इस कठोर कुठार से काटकर थोड़े ही परिश्रम से गुरु से उऋण हो जाता।
यह सुनकर लक्ष्मण ने कहा, लक्ष्मणजी ने कहा- हे मुनि! आपके शील को कौन नहीं जानता? वह संसार भर में प्रसिद्ध है। आप माता-पिता से तो अच्छी तरह उऋण हो ही गए, अब गुरु का ऋण रहा, जिसका जी में बड़ा सोच लगा है। ह मानो हमारे ही मत्थे काढ़ा था। बहुत दिन बीत गए, इससे ब्याज भी बहुत बढ़ गया होगा। अब किसी हिसाब करने वाले को बुला लाइए, तो मैं तुरंत थैली खोलकर दे दूँ।
लक्ष्मणजी के कडुए वचन सुनकर परशुरामजी ने कुठार सम्हाला। सारी सभा हाय-हाय! करके पुकार उठी। (लक्ष्मणजी ने कहा-) हे भृगुश्रेष्ठ! आप मुझे फरसा दिखा रहे हैं? पर हे राजाओं के शत्रु! मैं ब्राह्मण समझकर बचा रहा हूँ अन्यथा। आपको कभी रणधीर बलवान्‌ वीर नहीं मिले हैं। हे ब्राह्मण देवता ! आप घर ही में बड़े हैं।
लक्ष्मणजी के उत्तर से, जो आहुति के समान थे, परशुरामजी के क्रोध रूपी अग्नि को बढ़ते देखकर रघुकुल के सूर्य श्री रामचंद्रजी जल के समान (शांत करने वाले) वचन बोले- हे नाथ ! बालक पर कृपा कीजिए। इस सीधे और दूधमुँहे बच्चे पर क्रोध न कीजिए। यदि यह प्रभु का (आपका) कुछ भी प्रभाव जानता, तो क्या यह बेसमझ आपकी बराबरी करता?
श्री रामचंद्रजी के वचन सुनकर वे कुछ ठंडे पड़े। इतने में लक्ष्मणजी कुछ कहकर फिर मुस्कुरा दिए। उनको हंसते देखकर परशुरामजी के नख से शिखा तक (सारे शरीर में) क्रोध छा गया। उन्होंने कहा- हे राम! तेरा भाई बड़ा पापी है। यह शरीर से गोरा, पर हृदय का बड़ा काला है। यह विषमुख है, दूधमुँहा नहीं। स्वभाव ही टेढ़ा है, तेरा अनुसरण नहीं करता (तेरे जैसा शीलवान नहीं है)। यह नीच मुझे काल के समान नहीं देखता॥
लक्ष्मणजी ने हँसकर कहा- हे मुनि! सुनिए, क्रोध पाप का मूल है, जिसके वश में होकर मनुष्य अनुचित कर्म कर बैठते हैं और विश्वभर के प्रतिकूल चलते (सबका अहित करते) हैं। हे मुनिराज! मैं आपका दास हूँ। अब क्रोध त्यागकर दया कीजिए। टूटा हुआ धनुष क्रोध करने से जुड़ नहीं जाएगा। खड़े-खड़े पैर दुःखने लगे होंगे, बैठ जाइए। यदि धनुष अत्यन्त ही प्रिय हो, तो कोई उपाय किया जाए और किसी बड़े गुणी (कारीगर) को बुलाकर जुड़वा दिया जाए। लक्ष्मणजी के बोलने से जनकजी डर जाते हैं और कहते हैं- बस, चुप रहिए, अनुचित बोलना अच्छा नहीं।
तब श्री रामचन्द्रजी पर एहसान जनाकर परशुरामजी बोले- तेरा छोटा भाई समझकर मैं इसे बचा रहा हूँ। यह मन का मैला और शरीर का कैसा सुंदर है, जैसे विष के रस से भरा हुआ सोने का घड़ा!
यह सुनकर लक्ष्मणजी फिर हंसे। तब श्री रामचन्द्रजी ने तिरछी नजर से उनकी ओर देखा, जिससे लक्ष्मणजी सकुचाकर, विपरीत बोलना छोड़कर, गुरुजी विश्वामित्र के पास चले गए॥
बाद में श्रीरामचंद्रजी और परशुरामजी में बहुत बस होती है और अंत में श्रीराम उनके क्रोध को शांत करते हैं। तब परशुरामजी ने कहा- हे राम! हे लक्ष्मीपति! धनुष को हाथ में (अथवा लक्ष्मीपति विष्णु का धनुष) लीजिए और इसे खींचिए, जिससे मेरा संदेह मिट जाए। परशुरामजी धनुष देने लगे, तब वह आप ही चला गया। तब परशुरामजी के मन में बड़ा आश्चर्य हुआ। ब उन्होंने श्री रामजी का प्रभाव जाना, (जिसके कारण) उनका शरीर पुलकित और प्रफुल्लित हो गया। वे हाथ जोड़कर वचन बोले- प्रेम उनके हृदय में समाता न था। तब परशुराम प्रभु श्रीराम के गुणगान करने लगे हैं।

धर्म संसार /शौर्यपथ /26 मई 2021 वैशाख पूर्णिमा है। हमारे पुराणों में वैशाखी पूर्णिमा को अत्यंत पवित्र एवं फलदायी तिथि माना गया है। वैशाख पूर्णिमा के दिन पिछले एक महीने से चला आ रहा वैशाख स्नान एवं विशेष धार्मिक अनुष्ठानों की पूर्ण आहूति की जाती है। मंदिरों में हवन-पूजन के बाद वैशाख महात्म्य कथा का परायण किया जाता है।
भविष्य पुराण, आदित्य पुराण में के अनुसार इस दिन प्रात: नदियों एवं पवित्र सरोवरों में स्नान के बाद दान-पुण्य का विशेष महत्व कहा गया है। धर्मराज के निमित्त जल से भरा हुआ कलश, पकवान एवं मिष्ठान आज के दिन वितरित करना, गौ दान के समान फल देने वाले बताए गए हैं।
* वैशाखी पूर्णिमा के दिन शक्कर और तिल दान करने से अनजान में हुए पापों का भी क्षय हो जाता है।
* पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने घी से भरा हुआ पात्र, तिल और शक्कर स्थापित कर पूजन करना चाहिए। यदि हो सके तो पूजन के समय तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए।
* पितरों के निमित्त पवित्र नदियों में स्नान कर हाथ में तिल रखकर तर्पण करने से पितरों की तृप्त होते हैं एवं उनका आशीर्वाद मिलता है।
* पुराणों के अनुसार वैशाख का यह पक्ष पूजा-उपासना के लिए विशेष महत्वपूर्ण कहा गया है।
वैशाखी पूर्णिमा के दिन पूजा के दौरान जितना हो सके ज्यादा से ज्यादा 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:Ó मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। इसके साथ ही मंत्र- 'ॐ विष्णवे नम:Ó, ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।Ó तथा श्री विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र, श्री विष्णु की आरती आदि करना चाहिए।
वैशाख पूर्णिमा के खास मुहूर्त-
इस वर्ष वैशाख पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- मंगलवार, 25 मई 2021 को रात्रि 8:20 शुरू होकर बुधवार, 26 मई 2021 को शाम 04:40 मिनट पर पूर्णिमा तिथि समाप्त होगी।

सेहत /शौर्यपथ / गाय और भैंस का दूध सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। तंदुरुस्ती के लिए इन दोनों पशुओं का दूध दूसरों के मुकाबले अधिक फायदेमंद है। लेकिन बकरी के दूध में भी कई सारे सेहत के राज छिपे हैं। इसके सेवन से कई बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है। बकरी के दूध में मौजूद पोषण आपको शारीरिक और मानसिक समस्याओं से निजात दिलाने में सहायक होता है। आइए विस्तार से जानते हैं बकरी के दूध के फायदे -
1.एनीमिया रोकने में मददगार- शरीर में आयरन की कमी होने पर एनीमिया का खतरा बढ़ जाता है। एनीमिया होने से खून पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने में असफल होता जाता है। इसलिए डॉक्टर की सलाह ले कर बकरी के दूध का सेवन किया जा सकता है। ताकि एनीमिया जैसी घातक बीमारी में राहत मिल सकें।
2.बालों के लिए फायदेमंद- बालों के स्वास्थ्य के लिए विटामिन ए और विटामिन बी की आवश्यकता होती है। इससे बाल झड़ना बंद हो जाते हैं। बकरी के दूध में दोनों ही विटामिन की मात्रा पाई जाती है। इसके सेवन से बालों का झड़ना कम किया जा सकता है।
3.हड्डियां मजबूत- बकरी के दूध में कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इससे हड्डियां मजबूत होती है। इसलिए बकरी के दूध का सेवन फायदेमंद होता है।
4.ह्दय रोग पीड़ित- दिल की बीमारी होने पर कोलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ना चाहिए। इस बात का काफी ध्यान रखा जाता है। बकरी के दूध में अधिक मात्रा में फैटी एसिड पाया जाता है। यह कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है। इससे दिल का आकस्मिक दौरा या स्ट्रोक जैसी बीमारी का खतरा टल जाता है।
5.इम्यूनिटी बूस्टर- बकरी के दूध में सेलेनियम नामक मिनरल्स अधिक पाए जाते हैं। जिससे इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। यह दूध एड्स से पीड़ित मरीजों को दिया जाता है क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर हो जाती है।
6.प्लेटलेट्स बढ़ाने में सहायक- बकरी के दूध का सेवन चिकनगुनिया, डेंगू जैसी बीमारियों में अधिक किया जाता है। कहा जाता है कि जब शरीर में प्लेटलेट्स कम होने लगते हैं तो बकरी का दूध देना चाहिए। ताकि खून गाढ़ा नहीं पड़ें। हालांकि ऐसी स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
7.सूजन कम करने में मददगार- बकरी के दूध में मौजूद एंटी बैक्टीरियल से शरीर में आ रही सूजन को कम करने में मदद करता है। इसके सेवन से शरीर में हो रही जलन भी कम होने लगती है।
8.वजन कम करता है- वर्तमान में अधिकतर लोग अपनी हेल्थ के प्रति सजग हो रहे हैं। बढ़ते वजन को कम करने के लिए फूड चार्ट में भी बदलाव कर रहे हैं। डाइट में अब बकरी का दूध भी शामिल किया जाने लगा है। इसमें फैटी एसिड मौजूद रहता है। इससे मोटापा नहीं बढ़ता है।
9.त्वचा के लिए बेहतर- बकरी के दूध में पीएच स्तर त्वचा के पीएच स्तर के बराबर पाया जाता है। इसके सेवन से झुर्रियां कम होती है साथ ही चेहरे पर हो रहे दाग -धब्बे भी कम होने लगते हैं।
10.बच्चों को बकरी का दूध- नवजात शिशु के लिए मां का दूध ही सबसे अच्छा होता है लेकिन जब नहीं मिल पाता है तो बकरी का दूध दिया जा सकता है। वह आसानी से पच जाता है। हालांकि बच्चों को बकरी का दूध देने से पहले डॉक्टर से जरूर चर्चा करें।

लाइफस्टाइल /शौर्यपथ /कोरोना वायरस से बचाव के लिए हर बेजोड़ कोशिश भी की जा रही है। वैक्सीनेशन अभियान भारत में तेजी से चलाया जा रहा है। इसी के साथ अलग - अलग पद्धति का प्रयोग भी किया जा रहा है ताकि इस बीमारी से लोगों की जान बचाई जा सकें। उन्हीं में से एक है
प्लाज्मा थैरेपी।
संपूर्ण देश में जो कोविड पैशेंट्स ठीक हो गए हैं उनसे प्लाज्मा डोनेट करने के लिए कहा जा रहा है। आखिर ये प्लाज्मा क्या है? कैसे इसे डोनेट किया जा सकता है? कौन इसे डोनेट कर सकता है और कौन नहीं? कब इसे डोनेट किया जा सकता है? आइए जानते हैं प्लाज्मा के बारे में सबकुछ -
प्लाज्‍मा क्या है?
प्लाज्मा खून में मौजूद तरल पदार्थ होता है। यह पीले रंग का होता है। इसकी मदद से सेल्स और प्रोटीन शरीर के विभिन्न अंगों में खून पहुंचाता है। शरीर में इसकी मात्रा 52 से 62 फीसदी तक होती है। वहीं रेड ब्लड सेल्स 38 से 48 फीसदी तक होता है।
प्लाज्मा थैरेपी क्या होती है?
जो व्यक्ति कोविड-19 से ठीक हो गए है। उनकी बॉडी से खून निकालकर प्लाज्मा को अलग किया जाता है। जिस कोविड पैशेंट की बॉडी से प्लाज्मा लिया जाता है उसके ब्लड में एंटीबाडीज होती है। वह एंटीबाडीज एंटीजन से लड़ने में मदद करती है। यह एंटीबाडीज कोविड संक्रमितों को दी जाती है। डॉ के मुताबिक एक इंसान के प्लाज्मा से दो इंसानों का इलाज किया जा सकता है।
प्लाज्मा कब डोनेट किया जा सकता है?
कोविड से ठीक होने के दो सप्ताह यानि 14 दिन बाद आप रक्त डोनेट कर सकते हैं।
प्लाज्मा कौन डोनेट नहीं कर सकता है?
डायबिटीज, कैंसर, हाइपरटेंशन, किडनी, लिवर के पैशेंट प्लाज्मा डोनेट नहीं कर सकते हैं।
प्लाज्मा से रिएक्शन का खतरा भी रहता है?
इससे एलर्जिक रिएक्शन, सांस लेने में प्रॉब्लम हो सकती है। हालांकि आज की स्थिति में प्लाज्मा से कई लोग ठीक हो रहे हैं। यह समस्या बहुत दुर्लभ स्थिति में हो रही है। इटली में प्लाज्मा थेरेपी से मृत्यदर में गिरावट दर्ज की गई है।
वैक्सीन और प्लाज्मा थेरेपी में क्या अंतर है?
दोनों आपकी बॉडी में एंटीबाडीज पैदा करती है। लेकिन तरीका अलग - अलग है। जी हां, वैक्सीन किसी वायरस को आपकी बॉडी में फैलने से रोकने में मदद करती है। यह आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है। इसका परीक्षण कर इसे बनाया जाता है। करीब 1 साल या उससे अधिक समय भी लग जाता है।
प्लाज्मा किसी व्यक्ति के बॉडी में तैयार एंटीबाडीज की मदद से दूसरे की बॉडी में दिया जाता है। इससे कोरोना से ठीक हो चुके एक व्यक्ति के द्वारा दूसरे व्यक्ति का इलाज किया जाता है।
प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल किन - किन देशों में किया जा रहा है?
प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल आज के वक्त में भारत सहित अन्य 20 देशों में भी किया जा रहा है। उनमें - अमेरिका, ब्रिटेन, स्पेन और इटली प्रमुख देश हैं।

खाना खजाना /शौर्यपथ / कोरोना महामारी ने एक बार फिर से पूरी दुनिया को चारदीवारी में कैद करके रख दिया है। लेकिन मौके का फायदा उठाया जाए तो यह समय बहुत उपयोगी हो सकता है। यह वक्त ऐसा है कि बच्चे घर में रहकर कई तरह की रेसिपी सीख सकते हैं।
1. पॉपकॉर्न- बच्चे अलग-अलग तरह के पॉपकॉर्न घर पर बना सकते हैं।
सामग्री- डेढ़ चम्मच तेल, पौन कटोरी मक्की, चीज, पैरी-पैरी मसाला या जीरावन और नमक।
विधि- सबसे पहले गैस पर कुकर रखकर उसमे डेढ़ चम्मच तेल डालें। तेल हल्का सा गर्म होने के बाद उसमें मक्की डाल दें और कुकर पर सिर्फ ढक्कन रख दें। सेफ्टी के लिए आप उसे 2 मिनट पकड़ भी सकते हैं। धीरे-धीरे मक्की फूटने लगेगी। जब सारी मक्की फूट जाएं तब उसे एक बड़े बर्तन में निकालकर गरम-गरम पॉपकॉर्न पर स्वादनुसार नमक डाल लें। इसके बाद आपके पास चीज या पैरी-पैरी मसाला हो तो वह भी डाल सकते हो। मैगी मसाला भी डाल सकते हैं। यह नहीं होने पर जीरावन भी डाल सकते हो। बस देखो आपके पॉपकॉर्न तैयार हो गए।
2. पुलाव
सामग्री- चावल बने हुए, हरी मिर्च, प्याज, स्वीट कॉर्न, अनार के दाने, दाख, काजू और खड़ा मसाला।
विधि- सबसे पहले कड़ाही में ढाई चम्मच तेल रखें, उसे हल्का सा गर्म होने दें। इसके बाद उसमें हींग, थोड़ी राई और जीरा डालें। इसके बाद बारीक कटे हुए प्याज, स्वीट कॉर्न, शिमला मिर्च, हरी मिर्च और खड़ा मसाला डाल दीजिए। सब्जी हल्की सी बफ जाने के बाद उसमें हल्दी डाल दें। सब अच्छे से मिक्स कर लें। आखिरी में चावल डाल दें। आपका पुलाव तैयार है।
3. सैंडविच
सामग्री- ब्रेड, सेंव, टोमेटो सॉस, हरी चटनी, गोल कटे हुए प्याज, बटर और चीज
विधि- सबसे पहले ब्रेड पर हरी चटनी लगाएं। उस पर हल्का-सा टॉमेटो सॉस लगाएं। फिर गोल प्याज के टुकड़े रखें, सेंव डाले और चीज बारीक करके डाल दें। दूसरी ब्रेड पर आप सिर्फ हरी चटनी लगाएं। इससे ब्रेड फीकी नहीं लगेगी। इसके बाद तवा गरम कर उस पर हल्का सा बटर डाल दें और ब्रेड रखकर सेक लें। जब तक सैंडविच दोनों तरफ से हल्का सा कड़क नहीं हो जाता है तब तक उसे सेंकते रहें। अब गरमा-गरम आपका सेंव प्याज सैंडविच तैयार है।
4. रोटी पोहा
सामग्री- बासी रोटी, बारीक प्याज, 1 हरी मिर्च, नमक, चीनी, तेल
विधि- सबसे पहले रोटी को अच्छा बारीक कर लें। इसके बाद उसमें पहले ही नमक और चीनी स्वादानुसार मिक्स कर लें। एक कड़ाही में 2 चम्मच तेल रखें। हल्का सा गरम होने पर थोड़ी सी राई, हल्दी, हरी मिर्च और प्याज डाल दें। प्याज हल्के से पकने के बाद रोटी का चूरा डाल दें। ध्यान रहे ज्यादा देर तक गैस पर नहीं पकाएं। इससे वह कड़क हो जाएंगे। गैस बंद करने से पहले उसमें थोड़ा सा पानी का छिड़काव कर दें। ताकि वह नरम रहें। इसके बाद आप इसे हरा धनिया, सेंव और नींबू डालकर खा सकते हैं।
5. भजिए
जी हां, कभी भी भूख लगने पर आप एक साथ कई वैरायटी के भजिए बना सकते हैं। आलू, प्याज, आम, केले। सभी को बनाने की विधि एक ही है। एक ही जैसा बेसन का घोल बनेगा।
सामग्री- 1 कटोरी बेसन, 1 कटोरी पानी, आलू, प्याज, आम और केले के छोटे-छोटे पीसेस तैयार करके रख लें। लाल मिर्च, नमक, जीरा, हरी मिर्च, हींग, तेल।
विधि- सबसे पहले बेसन को घोल लें। ध्यान रहे बेसन पतला नहीं हो। इसके बाद उसमें 1 चम्मच लाल मिर्च, स्वादनुसार नमक, थोड़ा सा जीरा, बारीक हरी मिर्च, आखिरी में थोड़ा-सा तेल भी मिक्स करें।। सभी को अच्छे से मिक्स कर लें। इसके बाद कड़ाही रखकर उसमें तेल डाल लें। गर्म होने पर एक-एक कर सभी तरह के भजिए बना लीजिए।

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