June 22, 2025
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लाइफस्टाइल / शौर्यपथ / कोरोना वायरस ने पूरे विश्व को चपेट में ले रखा है। दुनियाभर के वैज्ञानिक आए दिन इसे लेकर नए-नए शोध कर रहे हैं। इसी बीच अमेरिका के जॉर्जिया विश्वविद्यालय ने संक्रमण को लेकर एक नया अध्ययन किया है, जो बंद जगहों पर कोविड-19 के हवा में संचरण के बढ़ते सबूतों का समर्थन करता है।

शोधकर्ताओं ने कोरोना से संक्रमित एक चीनी रोगी पर अध्ययन किया, जिसके चलते बस के एयर कंडिशनिंग सिस्टम के जरिए बस में सवार दूसरे लोग भी संक्रमण की चपेट में आ गए। हालांकि बस में शारीरिक दूरी का पालन किया जा रहा था। इसका कारण यह था कि बस की खिड़कियां बंद थीं। वेंटिलेशन की समस्या के चलते दूसरे यात्री भी कोरोना का शिकार हो गए।

जामा इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित किए गए यह अध्ययन इस सवाल पर विचार करता है कि कोविड-19 हवा के जरिए कैसे फैल सकता है। यूजीए कॉलेज ऑफ पब्लिक हेल्थ की सहयोगी प्रोफेसर और रिसर्च की लेखक ये शेन ने कहा कि हवा के जरिए कोरोना संक्रमण के प्रसार की संभावना कई वैज्ञानिकों ने जताई है पर सीमित साक्ष्यों के साथ। हमारे शोध से ऐसे प्रमाण सामने आए हैं, जिसने इस संदेह को हकीकत में बदल दिया है।

शेन ने कहा कि काफी हद तक यही माना जाता रहा था कि खांसने और छींकने से निकलीं बूंदों के माध्यम से यह वायरस फैल रहा है। इसके बाद विश्व स्तर पर शारीरिक दूरी और हाथ धोने जैसे उपायों को अपनाया गया ताकि इसके प्रसारण पर लगाम लग सके। बावजूद इसके कोरोना का कहर बढ़ता ही जा रहा है।

भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जोखिम ज्यादा-
शेन ने कहा कि हमारे इस शोध के निष्कर्ष उन परिदृश्यों को उजागर करते हैं, जहां कोविड-19 एरोसोल कणों के माध्यम से एक बंद स्थान में हवा के जरिए फैल सकता है। भीड़-भाड़ वाली बंद जगहों पर ज्यादा खतरा है, क्योंकि वहां वेंटिलेशन नहीं हो पाता और संक्रमण का जोखिम दोगुना जाता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि चाहे आप अपने दफ्तर में हों या दुकान में या किसी पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सफर कर रहे हों, आपके लिए मास्क पहनना अनिवार्य है।

लाइफस्टाइल / शौर्यपथ / इंसानों को भोजन, दवा और ईंधन देने वाले विश्व के 40 फीसदी पौधे विलुप्ति के कगार पर हैं। संयुक्त राष्ट्र समिट में जारी की गई एक रिपोर्ट से इस भयावह स्थिति का खुलासा हुआ। विश्व के पौधों और कवक की स्थिति पर 42 देशों के 200 से अधिक वैज्ञानिकों ने यह रिपोर्ट तैयार की है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ये पौधे 39.4 प्रतिशत की दर से विलुप्त हो रहे हैं।

इन वैज्ञानिकों का कहना है कि ये पौधे इतनी तेजी से विलुप्त हो रहे हैं कि हमें उनकी विलुप्ति से पहले उनके नाम और विवरण देने के लिए समय के साथ दौड़ लगानी पड़ रही है। रिपोर्ट के बारे में रॉयल बॉटेनिक गार्डन के निदेशक प्रो. एलेक्सजेंडर अंटोनी ने कहा कि जो पौधे दुनिया को खाद्य सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन के मुद्दे से लड़ने का उपाय दे सकते थे, उनके विलुप्त हो जाने से दुनिया यह अवसर भी खो देगी।

जंगल कटने से आया संकट -
रिपोर्ट में बताया गया है कि बेतहाशा जंगल काटे जाने से इन पौधों के पनपने का अनुकूल वातावरण नष्ट होता जा रहा है इसलिए बहुत बड़ी तादाद में ये प्रजातियां नष्ट हो रही हैं। प्रो. एलेक्सजेंडर ने कहा कि अब हम विलुप्ति के दौर में जी रहे हैं, सभी देशों के नेताओं को इस स्थिति से निपटने के लिए तुरंत उपाय करने चाहिए।

1.4 लाख पौधों को खतरा-
रिपोर्ट में बताया गया कि विश्व में पौधों की प्रजातियों का कुल 39.4 प्रतिशत यानी 1.4 लाख पौधों को विलुप्ति का खतरा मंडरा रहा है। 2016 में विलुप्ति की दर का अनुमान 21 प्रतिशत माना गया था।

बिना उपयोग में आए ही नष्ट हो जाएंगे -
रिपोर्ट में बताया गया कि जो पौधे जल्दी नष्ट होने वाले हैं, उनमें से बहुत सी ऐसी प्रजातियां हैं जिनका अब तक इंसानी जरूरतों के लिए इस्तेमाल ही नहीं हुआ। सात हजार से ज्यादा खाद्य योग्य ऐसे पौधे नष्ट हो सकते हैं जिनसे खेती करके दुनिया की बड़ी आबादी का पेट भरा जा सकता था। अभी मौजूद 2500 प्रजातियों से करोड़ों लोगों तक बायो ईंधन पहुंच सकता पर वे निकट भविष्य में नहीं बचेंगे।

अभी दुनिया में बायो ईंधन बनाने के लिए मात्र छह फसलें- मक्का, गन्ना, सोयाबीन, ताड़ का तेल, रेपसीड और गेहूं का ही उपयोग होता है। संरक्षण विज्ञान के प्रमुख डॉ. कोलिन कहते हैं कि हमने भोजन, दवा व ईंधन बनाने में जंगली प्रजातियों की क्षमता की अनदेखी की है।

एक नजर में-
-2016 में 21% की दर से विलुप्ति का लगाया गया था अनुमान
-2020 में 39.4% दर से पौधों के लुप्त होने का अनुमान लगाया
-7000 से ज्यादा पौधों से भविष्य में खेती हो सकती थी
-2500 से ज्यादा पौधे करोड़ों लोगों को जैव ईंधन दे सकते थे
-723 औषधि वाले पौधे, 1,942 अन्य पौधे व 1,886 कवक पर संकट

खाना खजाना / शौर्यपथ / बच्चे हों या बड़े चॉकलेट आइसक्रीम हर किसी की फेवरेट होती है। खास बात यह है कि इस टेस्टी डिजर्ट का लुत्फ आप किसी भी मौसम में उठा सकते हैं। यह आइसक्रीम खाने में जितनी टेस्टी है बनने में उतनी ही आसान भी है। तो डिजर्ट लवर्स देर किस बात की, आइए जानते हैं कैसे बनाई जाती है यह टेस्टी आइसक्रीम।
चॉकलेट आइसक्रीम बनाने के लिए सामग्री-
-2 1/2 कप फुल क्रीम दूध
-1 टी स्पून कस्टर्ड पाउडर
-2 टी स्पून कोको पाउडर
-1 कप चीनी
-1/2 टी स्पून वनीला एसेंस
-1 1/2 कप क्रीम
-नट्स
चॉकलेट आइसक्रीम बनाने का तरीका-
चॉकलेट आइसक्रीम बनाने के लिए सबसे पहले आधा कप दूध में चीनी, कोको और कस्टर्ड पाउडर मिलाने के बाद बचे हुए दूध को उबालकर उसमें बनाया हुआ कस्टर्ड मिक्सचर मिला लें। अब इस मिक्सचर के उबलने के बाद आधा मिनट गैस की आंच हल्की करके ठंडा होने के लिए छोड़ दें।
ठंडा होने पर इसमें क्रीम और वनीला एसेंस मिलाकर इसे 1 डिब्बे में भरकर रख दें। आइसक्रीम जमने के बाद इसे ब्लैंडर में पीसकर दोबारा फ्रिज में जमने के लिए रख दें। यह प्रकिया दो बार दोहराएं। अब करीब 2 घंटे तक इसे नॉर्मल टैंपरेचर पर जमाकर नट्स डालकर गार्निश करके सर्व करें।

खाना खजाना / शौर्यपथ / जब कभी इंडियन स्नैक्स की बात होती है तो चाय की प्याली के साथ पकौड़ों का जिक्र जरूर होता है। पकौड़े तो आपने कई तरह के खाए होंगे पर आज हम आपको बताने जा रहे हैं कैसे बनाया जाता है चिकन पकौड़ा। चिकन पकौड़े हर तरह की पार्टी के लिए एक बढ़िया स्टार्टर होने के साथ शाम की चाय के लिए एक अच्छा स्नैक भी है। तो देर किस बात की आइए जानते हैं कैसे बनाएं जाते हैं क्रिस्पी चिकन पकौड़े।

चिकन पकौड़ा बनाने के लिए सामग्री-
-1/2 टी स्पून चिकन बोनलेस
-स्वादानुसार नमक
-1 टी स्पून अदरक लहसुन का पेस्ट
-2 कप बेसन
-1 टी स्पून चिली फलेक्स
-1 छोटा चम्मच पीसा जीरा
-1 छोटा चम्मच पीसे धनिये के बीज
-1 टी स्पून चिकन पाउडर
-1 टी स्पून आमचूर
-2 टी स्पून अनारदाना
-एक चुटकी बेकिंग सोडा
-2 टेबल स्पून हरा धनिया कटा हुआ
-2 टेबल स्पून पुदीना कटा हुआ
-8 टेबल स्पून तेल

चिकन पकौड़ा बनाने का आसान तरीका-
चिकन पकौड़ा बनाने के लिए सबसे पहले चिकन को नमक और अदरक-लहसुन के पेस्ट में लगाकर 10 मिनट के लिए मैरीनेट होने के लिए अलग रख दें। अब एक दूसरे बाउल में सभी सामग्री को मिलाकर पानी की मदद से एक अच्छा सा बैटर तैयार कर लें। अब चिकन के टुकड़ों को बैटर में डिप करके उन्हें तेल में डीप फ्राई करें। आपके गर्मा-गर्म चिकन पकौड़े बनकर तैयार हैं, उन्हें शाम की चाय के साथ और हरी चटनी के साथ सर्व करें।

टिप्स /शौर्यपथ / मैदा, सूजी और बेसन से बनी डिश सभी को अच्छी लगती है लेकिन लम्बे समय तक इन चीजों को रखने के साथ एक परेशानी जुड़ी हुई है। पैकेट खोलने के कुछ दिनों या महीने बाद इनमें घुन या कीड़े लग जाते हैं। इस वजह से कम मात्रा में इन चीजों को घर में रखना पड़ता है। किचन टिप्स की बात करें, तो कुछ ऐसे तरीके हैं जिनसे इन चीजों को लम्बे समय तक प्रिजर्व करके रखा जा सकता है। आइए, जानते हैं कुछ तरीके-

-आटे को सुरक्षित रखने के लिए आप आटे में नीम की पत्तियां रख दें। इससे चीटियाँ और घुन आटे में नहीं लगेंगे। अगर आपको नीम की पत्तियां नहीं मिलती, तो उसकी जगह आप तेज़ पत्ता या बड़ी इलायची का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
-दलिया और सूजी को कीड़ों से बचाने के लिए आप किसी कढ़ाई में इसे भून लें और इसे ठंडा होने पर इसमें 8-10 इलायची डालकर किसी एयर टाइट कंटेनर में रख दें। इससे कीड़े की समस्या दूर हो जाएगी।
-मैदा और बेसन को बहुत जल्दी कीड़े लग जाते हैं। इन्हें कीड़ों से बचाने के लिए आप बेसन या मैदा को डिब्बे में डालकर इसमें बड़ी इलायची डाल दें। इससे लगने वाले कीड़ों से बचा जा सकता है।
-चावल को नमी और घुन से बचाने के लिए लगभग 10 किलो चावल में 50 ग्राम पुदीने की पत्तियां डाल दे, इससे चावल में कीड़े नहीं पड़ेंगे।
-बदलते मौसम में चने या दाल में कीड़े पड़ जाते हैं। इससे बचने के लिए दालों और चने में सूखी हल्दी और नीम के पत्ते डालकर रख सकते हैं। इससे इनमें कीड़े नही लगते।
-चीनी और नमक बारिश के मौसम में न सिर्फ चिपचिपे हो जाते हैं बल्कि पिघलने भी लगते हैं। इस समस्या से बचने के लिए इन्हें कांच के डिब्बे में रखें। आप चीनी और नमक के डिब्बें में थोड़े से चावल भी रख सकती है।

धर्म संसार / शौर्यपथ / चार धाम में श्रद्धालुओं के दर्शन का समय बढ़ाया जाएगा। अब मंदिर में दर्शन दोपहर 12 बजे की बजाय तीन बजे तक किए जाने का निर्णय उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड लेने जा रहा है।

चार धाम आने वाले श्रद्धालुओं के लिए रियायतें बढ़ाए जाने और नियमों को सरल किए जाने के बाद अब संख्या बढ़ने की उम्मीद है। ऐसे में सामाजिक दूरी के तय मानक का पालन सुनिश्चित कराने को पूजा का समय बढ़ाने की तैयारी है। उत्तरखंड चार धाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड फिलहाल अभी प्रतिदिन आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाने पर विचार नहीं कर रहा है। हर धाम के प्रतिदिन आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या का जो मानक है, वो फिलहाल पूर्व की तरह ही रहेगा। श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने पर पूजा का समय बढ़ाने के साथ ही सामाजिक दूरी के गोलों की संख्या बढ़ाई जाएगी। ताकि अधिक से अधिक लोगों को दर्शन का मौका मिल सके।

श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने पर सामाजिक दूरी का पालन सुनिश्चित कराने को दर्शन का समय 12 बजे से बढ़ा कर तीन बजे किए जाने पर विचार किया जा रहा है। जल्द इस पर फैसला होगा। अभी श्रद्धालुओं की तय संख्या को नहीं बढ़ाया जा रहा है। क्योंकि अभी तय श्रद्धालुओं से भी कम संख्या में लोग आ रहे हैं। रियायतें बढ़ने के बाद अब हेली सेवाओं से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भी इजाफा होगा। - रविनाथ रमन, सीईओ उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड

चार धाम यात्रा मानक

श्रद्धालुओं को बोर्ड की वेबसाइट www.badrinath-kearnath.gov.in पर पंजीकरण कराना होगा।
बिना पंजीकरण के आने वालों को धामों में दर्शन की मंजूरी नहीं है।
पंजीकरण के दौरान फोटो आईडी, एड्रेस प्रूफ का दस्तावेज अपलोड करना होगा।
पूरी यात्रा के दौरान मूल दस्तावेज के रूप में वही फोटो आईडी, एड्रेस प्रूफ दिखाना होगा, जो वेबसाइट में अपलोड किया गया है।
श्रद्धालुओं की निर्धारित जांच केंद्रों पर थर्मल स्क्रीनिंग होगी।
जांच केंद्र में स्क्रीनिंग के दौरान यदि कोविड 19 के लक्षण पाए जाते हैं। तो उन्हें यात्रा की अनुमति नहीं होगी।
ऐसी स्थिति में कोविड निगेटिव आने के बाद ही यात्रा की अनुमति दी जाएगी।
हेलीकॉप्टर से आने वाले श्रद्धालुओं को वेबसाइट पर पंजीकरण अनिवार्य नहीं।
प्रतिदिन आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या
बदरीनाथ -1200
केदारनाथ - 800
गंगोत्री - 600
यमुनोत्री - 400

भिलाई। शौर्यपथ । नवीन कॉलेज खुर्सीपार में पढ़ने वाले छात्रों और यहां के स्टाफ को भिलाई नगर विधायक देवेंद्र यादव जल्द ही एक बड़ी सौगात देने वाले हैं। 4 करोड़ 27 लाख की लागत से कॉलेज का खुद का भवन बनाया जाएगा। जहां पर्याप्त क्लास रूम, प्राचार्य रूम, एसेंबली हॉल सहित अन्य सभी प्रकार की सुविधाएं बनाई जाएगी। करीब ढाई एकड़ जमीन में कॉलेज का खुद का नया भवन का निर्माण होगा। इससे कॉलेज स्टाफ में काफी हर्ष का माहौल है। गौरतलब है कि बीते करीब 4 साल से नवीन कॉलेज खुर्सीपार बीएसपी के स्कूल भवन में संचालित किया जा रहा है। लंबे समय से कॉलेज के खुद के भवन की मांग की जा रही है। लेकिन पहले जो नेता थे। उन्होंने इस ओर ध्यान नहीं दिया। लेकिन भिलाई नगर विधायक देवेंद्र यादव ने खुर्सीपार क्षेत्र के विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराने के साथ ही खुर्सीपार के इस नवीन कालेज को बेहतर बनाने के प्रयास में लगातार जुटे रहे और शासन से ढाई एकड़ जमीन स्वीकृत कराई है। साथ ही अब शासन ने 4 करोड़ 27 लाख रुपए भी कॉलेज के भवन निर्माण के लिए स्वीकृति कर दी है। 2 अक्टूबर को सीएम करेंगे भूमिपूजन 2 अक्टूबर को सीएम भूपेश बघेल जी भिलाई निगम आएंगे। जहां करोड़ों के विकास कार्यों का लोकार्पण व भूमिपूजन होगा। इस अवसर पर सीएम और मंत्रियों के हाथों से नवीन कॉलेज खुर्सीपार के नए भवन निर्माण कार्य का भूमिपूजन किया जाएगा। इसके बाद जल्द ही टेंडर जारी कर भवन निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा। दो फ्लोर का होगा कालेज भवन कॉलेज का नया भवन दो फ्लोर का होगा। पहल ग्राउंड फ्लोर में 8 क्लास रूम,1 प्रार्याय रूम, ऑफिस, स्टूडेंट्स सेशन 2 रूम, वाइस प्रिसिपल 1 रूम, स्टाफ रूम 1, स्टोर रूम 1, ग्राउंड और फस्ट फ्लोर दोनों में बालक, बालिका अलग-अलग शौचालय होगा। इसके साथ ही फस्ट फ्लोर में 8 क्लास रूम, बैयलेंस रूम, स्टोर रूम, दो रैम भी बनाएं जाएंगे। यह होगी सुविधा विधायक देवेंद्र यादव की पहल से बेहतर शिक्षा और शोध के लिए काॅलेज के स्टूडेंट्स के लिए कॉलेज में लैब, कम्प्यूटर रूम अलग होगा। फिजिक्स, कैमेस्ट्री का लैब नीचे होगा और फस्ट फ्लोर में लाइब्रेरी, जीओलॉजी लैब, बॉटनी लैब, जूलाजी लैब जैसे कई सुविधाएं होंगी।

धर्म संसार /शौर्यपथ /ज्योतिष शास्त्र में वैदिक गणित के साथ-साथ फलादेश की कई विधाएं हैं। जैसे शकुन-अपशकुन विज्ञान, छींक और स्वर संचालन आदि। ऐसे ही कुछ संकेत हमारे जीवन में मिलते हैं जिनसे यह पता लगा सकते हैं कि हमारे साथ क्या होने जा रहा है। ज्योतिषाचार्य पं.शिवकुमार शर्मा से जानिए ऐसे संकेतों के बारे में जिनसे पता चल सकता है कि आने वाला समय अच्छा नहीं है।

-यदि कोई नई वस्तु घर में आते ही टूट जाए, खंडित हो जाए या खराब हो जाए तो समझो कि भाग्य साथ नहीं है।
-यदि रसोई में बार-बार दूध उफनकर नीचे चल जाए या तेल,घी आदि बिखर जाए तो मानना चाहिए कि अभी भाग्य साथ नहीं दे रहा।
-पूजा करते समय कुत्तों के भौंकने या तेज लड़ाई की आवाज आए तो यह भी अच्छा संकेत नहीं है।
- यदि घर में मकड़ियों के जाले लगे हों और मंदिर गंदा रहता हो तो यह शुभ संकेत नहीं है।
-पूजा करते समय दीपक में घी होने पर तथा तेज हवा न होने पर भी दीपक अचानक बुझ जाए तो यह अच्छा संकेत नहीं है।
-नया वस्त्र पहनते ही फट जाए या किसी कोने में उलझ जाए यह भी शुभ संकेत नहीं है।
-यदि घर से निकलते ही पैरों में ठोकर लग जाए,चप्पल टूट जाए, यह जूता फट जाए तो यह शुभ शकुन नहीं है।
-घर का मुख्य दरवाजा या छत हमेशा गंदी रहती हो या छत पर कबाड़ पड़ा हो इससे राहु अप्रसन्न होकर दुर्भाग्य लाते हैं।
-नवरात्रों के समय जौ बोए जाते हैं। यदि सारे जौ एकसाथ होकर सुनहरे रंग के निकले तो भाग्य साथ देता है। यदि ज्वारे पूरे ना निकले या चार-पांच दिन बाद निकले तो समझो भाग्य में अवरोध है।
-रुपयों को थूक लगाकर गिनना लक्ष्मी हानि के संकेत हैं।
-यदि चारपाई या बेड पर अचानक खटमल हो जाएं समझो कि दुर्भाग्य दस्तक देने जा रहा है।
-रात्रि के समय रसोई में जूठे बर्तन रखे हो,उनकी साफ-सफाई ना हो। सामान अस्त-व्यस्त हो तो वहां भी दुर्भाग्य को दस्तक देने में देर नहीं लगती।
-जिस घर में गंदगी रहती हो, किसी कोने में बदबू आती हो, प्लास्टर चटक गया हो या सीलन आ गई हो तो यह भी अच्छे संकेत नहीं होते हैं।

लाइफस्टाइल /शौर्यपथ / सोशल मीडिया पर ‘घोस्ट चैलेंज’ तेजी से वायरल हो रहा है। बड़ी संख्या में किशोर भूत की वेशभूषा में रिकॉर्ड किए गए वीडियो ट्विटर, इंस्टाग्राम और टिकटॉक पर साझा कर रहे हैं। हालांकि, दुनियाभर में अश्वेतों को समान अधिकार देने की मांग को लेकर जारी ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ आंदोलन के मद्देनजर आलोचकों ने ‘घोस्ट चैलेंज’ पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है।
उन्होंने कहा है कि सफेद चादर में लिपटे किशोर ‘कू क्लक्स क्लान’ की याद दिलाते हैं। ‘कू क्लक्स क्लान’ एक श्वेत दक्षिणपंथी संगठन था, जिसके लड़ाके सफेद चोगे में घूमते थे। वे अश्वेतों की हत्या और उत्पीड़न के लिए कुख्यात थे। 1800 और 1900 के दशक में उनकी दहशत चरम पर थी। अमेरिका में हैलोवीन पार्टी में सफेद पोशाक पहनने का चलन भी ‘कू क्लक्स क्लान’ से समानता के चलते ही बंद हुआ था।
सफेद चादर की मदद से भूत का भेष धर रहे किशोर
-‘#घोस्टफोटोशूट’ के तहत जारी वीडियो में किशोर भूत का भेष धरने के लिए सफेद चादर का सहारा ले रहे हैं। वे आंखों को डरावना लुक देने के लिए या तो चादर में दो छेद कर रहे हैं या फिर उस पर काला चश्मा सनग्लास लगाकर मछली पकड़ने वाला जाल ओढ़ रहे हैं। मध्य सितंबर में शुरू हुए इस चैलेंज में प्रतिभागी जैक स्टॉबर का लोकप्रिय गाना ‘ओह-क्लाहोमा’ भी गुनगुनाते दिखते हैं।
संगठित नस्लभेद का प्रतीक माना जाता है सफेद चोगा
-वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र विभाग के प्रमुख डॉ. डेविड कनिंघम कहते हैं, सफेद चोगे ‘संगठित नस्लभेद’ का प्रतीक माने जाते हैं। इन्हें सभ्य समाज में हमेशा नकारा गया है। 2016 में फ्लोरिडा के एक हाईस्कूल ने फैंसी-ड्रेस प्रतियोगिता में भूत के भेष में पहुंचे तीन छात्रों को सिर्फ इसलिए निष्काषित कर दिया था क्योंकि उन्होंने सफेद चादर से बना चोगा पहन रखा था।
ट्विटर और टिकटॉक पर कड़ी प्रतिक्रिया दे रहे यूजर
-अमेरिका पुलिस हिरासत में अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड और ब्रेओना टेलर की मौत के बाद से नस्लभेद विरोधी आंदोलन की आंच में जल रहा है। ऐसे में आलोचकों का कहना है कि साल 2020 ‘घोस्ट चैलेंज’ के लिए उपयुक्त नहीं है। इसके तहत जारी वीडियो पहली नजर में भूत कम और ‘कू क्लक्स क्लान’ लड़ाकों की याद ज्यादा दिलाते हैं। ऐसे वीडियो पोस्ट करने वाले यूजर नस्लभेद विरोधियों के निशाने पर आ सकते हैं।
नोट-
-नस्ली/जातीय हिंसा के इतिहास पर व्यापक चर्चा होना बेहद जरूरी है। इसके अभाव में लोग अनजाने में ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जिनका समाज पर बुरा असर पड़ता है। ‘घोस्ट चैलेंज’ ऐसी ही एक गलती है। : डॉ. डेविड कनिंघम, समाजशास्त्री, वाशिंगटन यूनिवर्सिटी
‘बेनाड्रिल चैलेंज’ से भी सतर्क रहें-
-अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्राधिकरण ने हाल ही में टिकटॉक को ‘बेनाड्रिल चैलेंज’ से जुड़े वीडियो हटाने का निर्देश दिया है। इस चैलेंज के तहत किशोर-किशोरी ‘मतिभ्रम’ यानी ‘हैलुसिनेशन’ के साइडइफेक्ट महसूस करने के लिए बेहद अधिक मात्रा में बेनाड्रिल का सेवन कर रहे हैं। अमेरिका के टेक्सास में ‘बेनाड्रिल चैलेंज’ में हिस्सा लेने वाले तीन छात्रों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है। ओकलाहामा में इस चैलेंज में शामिल एक छात्रा की मौत की खबर भी सामने आई है।
सिंगल और कपल चैलेंज घातक-
-गुजरात पुलिस ने फेसबुक और इंस्टाग्राम यूजर को तेजी से वायरल हो रहे ‘कपल चैलेंज’, ‘सिंगल चैलेंज’ और ‘क्यूट डॉटर चैलेंज’ में शामिल न होने की चेतावनी जारी की है। अधिकारियों के मुताबिक ‘#’ के चिह्न के तहत पोस्ट की जाने तस्वीरें सार्वजनिक मंच पर आ जाती हैं। साइबर अपराधी व्यक्ति के निजी और पारिवारिक जीवन से जुड़ी इन तस्वीरें से छेड़छाड़ कर उनका उत्पीड़न कर सकते हैं। अतीत में तस्वीरों में छेड़खानी के बाद ब्लैकमेलिंग के कई मामले सामने आ चुके हैं।

सेहत /शौर्यपथ /आयरन की कमी और एनीमिया आजकल हर दूसरे व्यक्ति के लिए परेशानी का सबब बन गया है। यह समस्या अधिकतर महिलाओं में ज्यादा देखी जाती है। अगर आपके शरीर में भी हीमोग्लोबिन की कमी है तो रोजाना शाम को डाइट में शामिल करें काले चने की चाट। यह खाने में तो टेस्टी है ही साथ ही पोषण तत्वों से भी भरपूर है। चने में आयरन की मात्रा काफी होती है जो शरीर में खून की कमी को दूर करती है। इतना ही नहीं इसका सेवन करने से कब्ज जैसी समस्या भी छूमंतर हो जाती है। तो देर किस बात की आइए जानते हैं कैसे बनाई जाती है ये हेल्दी चाट रेसिपी।
काले चने की चाट बनाने की सामग्री-
- 4-5 घंटे भिगोया हुआ 1 कप काला चना
-1/4 कप धनिया कटा हुआ
-हरी मिर्च कटी हुई
-1 कप प्याज कटी हुई
-1 कप उबला हुआ आलू कटा हुआ
-स्वादानुसार नमक
-2 टी स्पून चाट मसाला
-1 टी स्पून पिसा जीरा
-स्वाद के लिए नींबू का रस
काले चने की चाट बनाने का तरीका-
काले चने की चाट बनाने के लिए सबसे पहले काले चनों को धोकर ताजे पानी में उबाल लें। अब चनों में से पानी निकालकर उन्हें ठंडा कर लें। बताई गए सभी मसालों को स्वादानुसार मिलाकर चना चाट सर्व करें।

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