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नई दिल्ली / शौर्यपथ / आरबीआई ने 2000 के नोट पर पाबंदी लगा दी 30 सितंबर के बाद 2000 नोट के वैधता समाप्त हो जाएगी और बाजार से इसका चलन बंद हो जाएगा 2016-17 में जब नोट बंदी का फैसला हुआ था तब आम जनता को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा किंतु अब भारत सरकार के इस फैसले के बाद आम जनता को भी तरह की कोई परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ रहा है आम जनता तो वैसे भी काफी समय से 2000 के नोट के दर्शन नहीं कर पाई ऐसे में जिनके पास 2000 के नोट की तादाद ज्यादा है एक बार फिर उन्हें वापसी करने में तरह-तरह के रास्ते अख्तियार करने होंगे किंतु इस बार भारत सरकार की जांच एजेंसियों की नजर बराबर ऐसे लोगों पर रहेगी और निश्चित ही कई भ्रष्टाचारी फिर सामने आएंगे. आज भारत की जनता ₹2000 के नोट के बंद होने पर भले ही विचलित ना हो किन्तु एक बार उनके मन में फिर यह प्रश्न सामने आ गया कि 2016-17 में नोटबंदी के बाद भारत में कितना काला धन जमा हुआ इसकी जानकारी आखिर भारत सरकार उजागर क्यों नहीं कर रही है और इस काला धन को जिनसे भी जप्त किया गया है उनके नाम क्या है. नोटबंदी के ऐलान के समय देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कहा था कि भारत में इतना काला धन है कि नोटबंदी के फैसले के बाद भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत हो जाएगी किंतु नोटबंदी के आज 7 साल बाद भी आम जनता को यह नहीं मालूम कि भारत में कितना काला धन सामने आया और उसके अपराधी कौन कौन है .2000 के नोट के बंद होने की घोषणा के बाद एक बार फिर आम जनता के मन में यह सवाल उठने लगा कि इसलिए बाकी नोटबंदी के आंकड़े तो अभी तक उजागर नहीं हुए तो क्या इस बार 2000 की नोट की बंद की घोषणा के बाद काला धन जमा करने वाले सामने आएंगे या इस बार भी मामला शून्य की तरह कहीं लुप्त हो जाएगा . जनता के मन में यह सवाल भी उठ रहा कि जब अल्प समय के लिए 2000 के नोट को लाया गया था जैसा कि भाजपा के नेता और कुछ चाटुकार मिडिया समूह द्वारा प्रचारित किया जा रहा तो फिर 2000 के नोट की छपाई में सरकार ने हजारो करोड़ क्यों बर्बाद कर दिए . क्या सिर्फ भारत की जनता को प्रयोग शाला के रूप में इस्तमाल कर रही सरकार . आखिर देश के प्रधान मंत्री मोदी जी कब तक मन की बात करेंगे और कब जनता के सवालों का जवाब देंगे . पुराने जमाने में राजा के दरबार में राजा ही अपनी बात कहता और उनके चाटुकारों का समूह उनके हर सही गलत बात पर वाह वाही करता तब राजतन्त्र था किन्तु अब लोकतंत्र है लोकतंत्र में जनता को उनके सवालों के जवाब मिलने चाहिए किन्तु ऐसा हो रहा हो कही नजर नहीं आता क्या फिर से भारत में राजतन्त्र की स्थापना हो रही है ....
छत्तीसगढ़ / छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नवंबर 2022 में ईडी को पत्र लिखा था कि नान घोटाले पर मीडिया के कब जांच शुरू करेगी 15 दिनों में जांच शुरू नहीं किया गया तो न्यायालय की शरण में जाएंगे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यह पत्र नवंबर 2022 को लिखा था. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की चिट्ठी का जांच की दिशा में प्रवर्तन निदेशालय ने वर्तमान तक के कोई सार्थक पहल नहीं की किंतु वही प्रवर्तन निदेशालय द्वारा प्रदेश में 2019 से चल रहे शराब घोटाले में जांच युद्ध स्तर पर शुरू कर दी प्रवर्तन निदेशालय के अनुसार छत्तीसगढ़ में शराब घोटाला लगभग ₹2000 करोड़ का होना बताया जा रहा है वही इस मामले में जांच तेजी से चालू है और कई गिरफ्तारी हो चुकी है इन गिरफ्तारियां में प्रमुख गिरफ्तारियां रायपुर महापौर एजाज ढेबर के भाई अनवर टेबल शराब और होटल व्यवसाई पप्पू ढिल्लों , गुरुचरण सिंह होरा जैसे लोगों की गिरफ्तारियां भी हो चुकी है एवं कई मशहूर हस्तियों पर जांच की तलवार लटकी हुई है साल 2019 के बाद वह ₹2000 करोड़ के घोटाले की जांच में जिस सक्रियता से प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी जांच जारी की है और लगातार कार्रवाई की जा रही है वही प्रदेश में हजारों को रुपया के नाम घोटाले के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय मौन है.
राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि नान घोटाले में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह का नाम होने के कारण एवं केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार होने से केंद्र सरकार भारतीय जनता पार्टी के किसी पूर्व मुख्यमंत्री के ऊपर कार्यवाही करने के पक्ष में नहीं है इस तरह की राजनीतिक चर्चाओं से आम जनता के मन में इस तरह के सवाल उठने लगे हैं कि क्या प्रवर्तन निदेशालय का उपयोग राजनीतिक पार्टी अपने मतलब से अपने फायदे के लिए कर रही है वही प्रवर्तन निदेशालय के अस्तित्व पर भी सवाल उठने लगे हैं क्या प्रवर्तन निदेशालय सिर्फ केंद्र सरकार की कठपुतली के रूप में कार्य कर रही है और प्रवर्तन निदेशालय का उपयोग राजनीतिक सत्ता पाने एवं विपक्षियों को परेशान करने के लिए ही किया जा रहा है .
नाल घोटाले का मामला भी प्रवर्तन निदेशालय के पास है और ₹2000 करोड़ के शराब घोटाले का मामला भी प्रवर्तन निदेशालय के पास किंतु नान घोटाले की जांच अभी किसी मुकाम पर नहीं पहुंची वही दो-तीन साल पुराने मामले पर प्रवर्तन निदेशालय द्वारा लगातार छापेमारी गिरफ्तारियां की जा रही है संबंधित लोगों से लगातार पूछताछ जारी है उनकी संपत्तियों को अटैच किया जा रहा है आम जनता को इस बात की खुशी है कि भ्रष्टाचारियों को सामने लाने का कार्य प्रवर्तन निदेशालय कर रही है किंतु एक पक्षीय कार्रवाई से आम जनता के मन में जांच एजेंसियों के खिलाफ एक विरोधाभास वाली भावना भी जागृत हो रही है वही अब आप जनता यह सब समझने लग गई है कि केंद्र सरकार सत्ता पाने के लिए जांच एजेंसियों का पुरजोर इस्तेमाल कर रही है लोकतंत्र में आम जनता के द्वारा चुनी हुई सरकार को किसी ना किसी बहाने परेशान करने की प्रथा की ज़बरदस्त शुरुवात हो गयी है और इस प्रथा को केंद्र सरकार द्वारा अपनी जांच एजेंसियों के सहारे भरपूर तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है .
आम जनता में चर्चा का विषय यह भी रहता है कि कल को जब सत्ता परिवर्तन होगा तो यही जांच एजेंसियां आज सत्ताधारी पार्टियों के साथ है उनके विरुद्ध हो जाएंगे और फिर पुराने मामले को खोद कर निकाले जाएंगे इस बदले की राजनीति के चक्कर में आज निष्पक्ष जांच एजेंसियां भी सत्ता की कठपुतली बनते नजर आ रही है ना जाने यह प्रथा कब तक चलेगी और कब तक सत्ता की ताकत के आगे यह जांच एजेंसियां अपने अस्तित्व को खोती रहेंगी .....
वही देखा जाए तो आम जनता खुश है कि सत्ता की ताकत के आगे ही सही भ्रष्टाचार सामने आने लगा और कार्यवाही भी होने लगी ऐसी स्थिति में जनता भी हर 5 साल में सत्ता परिवर्तन और भर्ष्टाचार उजागर की दिशा में भी विचार करने लगी है हो सकता है कि आज नहीं तो कल ऐसी प्रथा की शुरुवात भी हो जाए और अल्टरनेट सत्ता की कमान अलग अलग राजनितिक दलों के पास रहे ....
नरवा, गरूवा, घुरुवा, बाड़ी के संरक्षण एवं संवर्धन का अभियान है सुराजी गांव योजना
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल 21 मई को गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों को जारी करेंगे 13.57 करोड़ रूपए
गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों को हो चुका है अब तक 445 करोड़ 14 लाख रूपए का भुगतान
रायपुर / शौर्यपथ / कृषक परिवार से जुड़े छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में खेती-किसानी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की जमीनी हकीकत पर केन्द्रित ‘सुराजी गांव योजना‘ की परिकल्पना की है। उनके कुशल मार्गदर्शन में इस योजना पर तेजी से अमल किया जा रहा है। मुख्यमंत्री के निर्देशन में किसानों से धान खरीदी, उनकी कर्जमाफी, राजीव गांधी किसान न्याय योजना और गोधन न्याय योजना जैसी अभिनव योजनाओं से प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है ।
आजीविका सृजन एवं जीवनयापन का सशक्त माध्यम बन रहे हैं गौठान
जल संरक्षण, पशु संवर्धन, मृदा स्वास्थ्य एवं पोषण प्रबंधन की कार्यवाही को छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक परम्परा से जोड़ा गया है। आम जन के सहयोग से योजना को सफल करने सुराजी गांव योजना के माध्यम से नरवा, गरूवा, घुरुवा, बाड़ी संरक्षण एवं संवर्धन का अभियान प्रारंभ किया है। सांस्कृतिक परंपरा से परिपूर्ण इस कार्यक्रम को सरकार ने अपनाते हुए इसको एक अभियान के रूप में लिया है।
प्रदेश सरकार द्वारा हरेली के दिन 20 जुलाई 2020 को गोधन न्याय योजना का शुभारंभ किया गया। इसके अंतर्गत सुराजी गांव में स्थापित गौठानों के माध्यम से गौठान समितियों द्वारा 2 रूपए प्रति किलो की दर से खरीदा जा रहा है। गौठानों में इस गोबर से स्व सहायता समूहों द्वारा वर्मी कंपोस्ट, सुपर कंपोस्ट एवं सुपर कंपोस्ट प्लस का उत्पादन किया जाता है। वर्मी कंपोस्ट को 10 रूपए प्रति किलो, सुपर कंपोस्ट 6 रूपए प्रति किलो एवं सुपर कंपोस्ट प्लस 6.50 रूपए किलो की दर से किसानों को विक्रय किया जा रहा है।
इस योजना से गोबर से निर्मित वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट जैसे कार्बनिक खाद से कृषकों के खेतों में जैविक खेती की दिशा में उत्कृष्ट पहल की जा रही है। रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों का उपयोग कम होने से भूमि, जल, वायु, पर्यावरण के प्रदूषण को कम करके खाद्य ऋंखला में रसायनों के अवशेष को कम किया जा रहा है। जिससे खाद्य पदार्थों गुणवत्ता में सुधार होने की पूर्ण संभावना है। खरीफ वर्ष 2023 हेतु रासायनिक उर्वरकों की खपत को कम करके गुणवत्तापूर्ण अधिकतम वर्मी कम्पोस्ट कृषकों को उपलब्ध कराने की दिशा में सार्थक प्रयास किया जा रहा है।
नरवा, गरूवा, घुरुवा, बाड़ी के संरक्षण एवं संवर्धन का अभियान है सुराजी गांव योजना
गोधन न्याय योजना के तहत निर्मित गौठानों में न सिर्फ गोबर की खरीदी, खाद निर्माण और बिक्री भी की जा रही है, बल्कि इसके इतर आजीविका सृजन के नवीन मापदण्ड अपनाए जा रहे हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था स्वावलम्बी, सम्बल और मजबूत बनती जा रही है। गौठान अब न केवल गोबर खरीदी-बिक्री केन्द्र हैं, बल्कि जीवनयापन का सशक्त माध्यम बन चुके हैं। इन गौठानों में वर्मी खाद और विक्रय के अलावा सब्जी उत्पादन, मशरूम स्पॉन, मुर्गी पालन, बकरीपालन, अण्डा उत्पादन, केंचुआ उत्पादन, मसाला निर्माण, कैरीबैग एवं दोना-पत्तल निर्माण, बेकरी निर्माण, अरहर एवं फूलों की खेती सहित विभिन्न प्रकार की गतिविधियों को समूह के सदस्य भलीभांति अंजाम दे रहे हैं। जिले के कुरूद विकासखण्ड के गौठानों में आजीविकामूलक गतिविधियों की सफलता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि उत्पादन कार्य के लागत व्यय को अलग करने के बाद लगभग लाखों रूपए की अतिरिक्त आय इन समूहों को हुई है, जो अपने आप में एक कीर्तिमान है।
लगातार मिल रहे हैं पुरस्कार
दिल्ली टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी नई दिल्ली के डॉ. बी.आर. अम्बेडकर सभागृह में आयोजित कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ की गोधन न्याय योजना को ई-गवर्नेंस अवार्ड 2022 से नवाजा गया है। यह पुरस्कार कम्प्यूटर सोसायटी ऑफ इंडिया (स्पेशल इंटरेस्ट ग्रुप ऑन ई-गवर्नेंस) द्वारा दिया जाता है। गोधन न्याय योजना को राज्य और प्रोजेक्ट केटेगरी में चयनित किया गया है। उल्लेखनीय है कि गोधन न्याय योजना को पूर्व में ‘‘स्कॉच गोल्ड अवार्ड’’ और राष्ट्रीय स्तर पर एलेट्स इनोवेशन अवार्ड’’ भी मिल चुका है।
गोधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीदी में स्वावलंबी गौठान न सिर्फ अपनी सहभागिता निभा रहे हैं बल्कि निरंतर बढ़त बनाए हुए हैं। बीते कई पखवाड़ों से गोबर खरीदी के एवज में भुगतान की जा रही राशि में स्वावलंबी गौठानों की हिस्सेदारी 60 से 70 प्रतिशत तक रहने लगी है। आज की स्थिति में 50 फीसदी से अधिक गौठान स्वावलंबी हो चुके हैं, जो स्वयं की राशि से गोबर एवं गौमूत्र की खरीदी के साथ-साथ गौठान की अन्य गतिविधियों को स्वयं की राशि से पूरा कर रहे हैं।
गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों को हो चुका है अब तक 445 करोड़ 14 लाख रूपए का भुगतान
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल 21 मई दुर्ग जिले के सांकरा पाटन में आयोजित हो रहे भरोसे के सम्मेलन में गोधन न्याय योजना के हितग्राहियो को 13 करोड़ 57 लाख रूपए की राशि का ऑनलाईन अंतरण करेंगे। जिसमें 01 मई से 15 मई तक गौठानों में क्रय किए गए 1.98 लाख क्विंटल गोबर के एवज में ग्रामीण पशुपालकों को 3.95 करोड़ रूपए तथा गौठान समितियों को 5.66 करोड़ एवं स्व-सहायता समूहों को 3.96 करोड़ रूपए की लाभांश राशि शामिल है।
गौरतलब है कि गोधन न्याय योजना के तहत गोबर विक्रेताओं, गौठान समितियों एवं महिला स्व-सहायता समूहों को 30 अप्रैल 2023 की स्थिति में 445 करोड़ 14 लाख रूपए का भुगतान किया जा चुका है। 21 मई को 13.57 करोड़ रूपए का भुगतान होने के बाद यह आंकड़ा बढ़कर 458 करोड़ 71 लाख रूपए हो जाएगा।
साभार : मनोज सिंह, सहायक संचालक, जनसंपर्क विभाग
नई दिल्ली / शौर्यपथ / भाजपा के द्वारा चुनावी वर्ष में फिल्मो के सहारे अपनी नैय्या पार लगाने की कोशीश अब उलटे उसी पर भारी पड़ रही है . द केरल स्टोरी जो साउथ की कहानी है जिस पर तथ्यात्मक सच्चाई की कोई खबर अभी तक कही नहीं दिखाई गयी सिर्फ फ़िल्मी स्टोरी के दम पर ही भाजपा के दिग्गज नेता साउथ में अपनी पकड़ मजबूत करने की जुगत लगा रहे थे किन्तु कर्नाटक चुनाव में ना तो भाजपा के द्वारा उठाये गए फ़िल्मी कहानी द केरल स्टोरी का सहारा मिला और ना ही बजरंगबली जी का आशीर्वाद मिला दोनों ही वार भाजपा के खाली हो गए हाँ ये जरुर रहा कि भाजपा के इस फिल्म के अपरोक्ष प्रचार के कारण फिल्म प्रोड्यूसर की अच्छी खासी कमाई हो गयी . पुरे देश में ऐसे कई भाजपा नेता देखे गए जो अपनी पूरी टीम के साथ इस फिल्म का आनंद लिया जिससे निर्माता को अच्छी कमाई और बिना खर्च किये अच्छा प्रचार मिल गया .
वही अगर द केरल स्टोरी विवाद की बात करे तो इस फिल्म में 32 हजार लडकियों के प्रताड़ना की बात प्रचारित की गयी किन्तु सत्यता के प्रमाण किसी ने नहीं दिए वही विपक्ष द्वारा एनसीआरबी के आंकड़े प्रस्तुत कर उलटे भाजपा को ही आइना दिखा दिया द केरल स्टोरी की बात तो सबने की किन्तु गुजरात में केन्द्रीय एजेंसी की प्रमाणित रिपोर्ट जिसमे 40 लडकियों के पिछले 5 साल में गायब होने के तथ्य पेश किये गए उस पर भाजपा के किसी कद्दावर नेता ने दो शब्द भी नहीं कहे क्या गुजरात की लडकियों को द केरल स्टोरी जैसी फ़िल्मी कहानी के आगे शून्य माना गया . क्यों नहीं भाजपा के नेता अब गुजरात से गायब हुई लडकियों के बारे में कोई जवाब दे रहे क्या लडकियों पर भी राजनीति अपने मतलब से की जा रही है . क्या ऐसे ही लोकतंत्र की स्वतंत्र भारत की कल्पना की थी आज़ादी के दीवानों ने जिन्होंने अपने खून से सींच कर देश को आजादी दिलाई क्या गुजरात की या अन्य प्रदेश से गायब हुई लडकियों के बारे में सभी एक होकर कोई ठोस कदम नहीं उठा सकते क्या फ़िल्मी कहानियों पर ही राजनितिक रोटी सकी जायेगी भविष्य में या धर्म के नाम पर बंटवारा किया जाएगा समाज को . आज धर्म के नाम पर कल समाज के नाम पर फिर जात के नाम पर फिर रंगभेद के नाम पर बस ये सिलसिला ही चलता रहेगा या फिर विकास और नवनिर्माण की बात पर होगी चर्चा ....
लेखक के निजी विचार
शरद पंसारी
शौर्यपथ लेख : आज देश भर में जहां कर्नाटक चुनाव के नतीजों की चर्चा चल रही है और दिन भर मीडिया समूह द्वारा चुनाव के नतीजों का इंतजार किया जाता रहा एवं पल-पल की खबर दी जाती रही किंतु जैसे-जैसे कांग्रेस पार्टी बहुमत की ओर बढ़ती गई भारत के मीडिया चैनल इस खबर को स्थान देने से कतरा ने लगे कई मीडिया चैनल यूपी में हुए निकाय चुनाव की खबरों को प्रमुखता से स्थान देते हुए निकाय चुनाव के बारे में चर्चा परिचर्चा करने एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यों की प्रशंसा करते हुए नजर आए. देश में निकाय चुनाव से बढ़कर असेंबली चुनाव होते हैं किंतु भारत के ऐसे कई टीवी चैनल से जो कांग्रेस की जीत को शायद पचा नहीं पा रहे हैं या फिर अपने आकाओं के दुख में साथ देने का और उनकी जी हुजूरी करने में लगे हैं .
भारत के लोकतंत्र में मीडिया समूह को चौथा स्थान के रूप में माना जाता है और निष्पक्ष समाचार ही इनकी प्रमुख पहचान होती है किंतु जिस तरह से देखने में आ रहा है कि कर्नाटक की जीत के बाद कई मीडिया समूह कर्नाटक से उत्तर प्रदेश की ओर अपना रुख कर लिए हैं और उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव के खबरों को प्रमुखता से स्थान देते हुए योगी आदित्यनाथ के कार्यों की प्रशंसा करते हुए नजर आ रहे हैं . ऐसा नहीं है कि यूपी निकाय चुनाव में योगी आदित्यनाथ का जादू नहीं चला हो उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में 17 में 17 निकायों में भाजपा की जीत ये संदेश देती है कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ कि सरकार के कामकाज से आम जनता खुश है और मतों के द्वारा अभी भी योगी आदित्यनाथ के साथ है भाजपा के साथ है . देखा जाए तो उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में कोई बहुत बड़ा उलटफेर नहीं हुआ है पिछले चुनाव में 16 नगर निकाय चुनाव में 14 सीटों पर भाजपा का कब्जा रहा और 2 सीटों पर समाजवादी पार्टी का कब्जा रहा है इस बार 17 निकाय चुनाव में 17 के 17 सीट भारतीय जनता पार्टी के खाते में गई .
वही अगर कर्नाटक की बात करे तो इससे बड़ा उलटफेर कर्नाटक में हो गया जहां विधानसभा की 224 सीटों में बहुमत के लिए जरूरी 113 सीटों से आगे बढ़ते हुए कांग्रेस ने 136 सीटों पर जीत हासिल कर एक बड़ा उलटफेर कर दिया कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी को 39 सीटों का नुकसान हुआ है मतदान के बाद कई सर्वे रिपोर्ट के अनुसार भारतीय जनता पार्टी को 80 से 90 सीट किसी किसी मीडिया चेनल में 110 से 120 सीट मिलने का दावा किया जाता रहा किंतु उससे बड़ा उलटफेर होते हुए भारतीय जनता पार्टी के खाते में 65 सीट आई किंतु इतने बड़े उलटफेर के बाद भी कई मीडिया चैनल कर्नाटक से अपना रुख हटाते हुए अन्य छोटी बड़ी खबरों को दिखाने में व्यस्त हो गए .
क्या स्वतंत्र मीडिया अब भारत में संभव नहीं है क्या बिना आकाओं के अनुमति के सच्ची और निष्पक्ष खबरें दिखाना भी अब बंद होने लगेगा. भारत के 140 करोड़ की जनता को अब निष्पक्ष खबरें देखने के लिए किसी और साधनों का उपयोग करना पड़ेगा. मीडिया चौथा स्तंभ ना होकर एक कठपुतली के रूप में आम जनता की नजरों में और सोच में शामिल हो जाएगा.
सभी मीडिया चैनल को यह अधिकार है कि वह क्या खबर दिखाएं और क्या खबर नहीं दिखाएं किंतु आज भारतीय राजनीति में कई सालों बाद कर्नाटक में एक बड़ा उलटफेर हुआ है परन्तु इसे वह स्थान नहीं मिल पाया जिस की हकदार कांग्रेस पार्टी थी क्या इस तरह की प्रथा भविष्य में और विकराल रूप लेगी . क्या निष्पक्ष पत्रकारिता अब एक पुरानी बातें ही रह जाएंगी जिसे सिर्फ किताबों में ही पढ़ा जाएगा साक्षात रुप से कभी देखना मुनासिब ना होगा....
लेखक के निजी विचार
लेख - शरद पंसारी
शौर्यपथ। आस्था एक ऐसा एहसास है जो किसी व्यक्ति विशेष दल विशेष संगठन विशेष का नहीं हो सकता ईश्वर में आस्था सभी की रहती है आस्था के रूप अलग-अलग हो सकते हैं किंतु विधाता एक ही है । वर्तमान समय में प्रभु श्री राम के नाम पर जिस पार्टी ने अपने अस्तित्व को आज इस मुकाम तक पहुंचाया कि वह दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में जानी जाती है जी हां बात अगर करें तो भारतीय जनता पार्टी ने जय श्रीराम के नारों के उद्घोष के साथ अपनी राजनीतिक पराकाष्ठा को एक नई ऊंचाई तक पहुंचा दिया कोई भी दल अगर धर्म को महत्व देता है तो यह उस दल की अपनी सोच रहती है इस पर कोई आक्षेप नहीं लगा सकता और यह कोई गलत भी नहीं किंतु ऐसा भी नहीं की किसी अन्य दल के लोग आस्था पर अपना हक ना जमा सके हैं आस्था किसी दल के सदस्यों की सीमा में नहीं बंधी होती है व्यक्ति चाहे किसी भी दल की मानसिकता का हो किंतु अपने आराध्य को पूरे भाव पूर्ण तरीके से मानता है और अपनाता है वर्तमान में जिस तरह से कर्नाटक चुनाव में बजरंग दल के प्रतिबंध को लेकर राजनीतिक चर्चा जोरों पर है और बजरंग दल के प्रतिबंध को जहां एक और भारतीय जनता पार्टी नीत सरकार के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बजरंगबली को ताला लगाने का आरोप कांग्रेस पर लगा रहे हैं जिसके कारण राजनीतिक चर्चाओं का बाजार गर्म हो रहा है समाचार पत्रों में,न्यूज़ चैनलों में कांग्रेस को लगातार बजरंगबली का विरोधी करार दिया जा रहा है जिसकी आंच जब छत्तीसगढ़ में पहुंची तो छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उल्टे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ही पलटवार कर दिया मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब फेंकने में माहिर हो गए हैं पूर्व में भी उन्होंने कई संतों को जिनके कार्यकाल की अवधि अलग-अलग सदी की थी 1 साल बैठाकर परिचर्चा की बात कर दी भारत की जनसंख्या को कई गुना बढ़ा दिया अब ऐसे ही बजरंगबली को ताला लगाने की बात कह रहे हैं जबकि कर्नाटक के मेनिफेस्टो में बजरंग दल पर बैन लगाने पर विचार करने की बात कही गई है ना कि बजरंगबली पर ताला.चुनावी मौसम है राजनीतिक चर्चा परिचर्चा तो चलती ही रहेगी आरोप-प्रत्यारोप तो लगते ही रहेंगे किंतु इन सब बातों में एक बात और सामने आई जोकि सोचने भी है और चिंतनीय भी छत्तीसगढ़ में साल 2003 से 2018 तक प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में थी ऐसे में श्रीराम के अनन्य भक्त के रूप में पहचान बना चुकी भारतीय जनता पार्टी आखिर कौशल्या माता को क्यों याद नहीं किया। विश्व के एकमात्र कौशल्या माता मंदिर जो कि रायपुर के चंदखुरी में स्थित है कौशल्या माता प्रभु श्री राम की माता है प्रभु श्री राम जो माता के चरणों में स्वर्ग देखते थे आखिर 15 साल भारतीय जनता पार्टी नीत रमन सरकार ने कौशल्या माता मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए क्या किया ।
कहने का तात्पर्य यह नहीं की माता कौशल्या को भूलकर भारतीय जनता पार्टी ने कोई अपराध कर दिया हो किंतु यह भी सत्य है कि कौशल्या माता मंदिर का जीर्णोद्धार और महोत्सव वर्तमान की भूपेश सरकार ने बड़े धूमधाम से किया वही वनवास के दौरान प्रभु श्रीराम जिन मार्गों पर अपनी यात्रा किए उन मार्गों को राम वन गमन पथ के नाम से सौंदर्यीकरण करने का कार्य भी भूपेश सरकार ने किया ।
सरकारी कोई भी हो किंतु धर्म का महत्व और स्थान अपने आप में अलग है धर्म ना तो किसी दल की सीमा में है और ना ही किसी की निजी संपत्ति, धर्म और आस्था हर उस व्यक्ति का है जो अपने आराध्य को मन भाव से मानता है और अपनाता है आज राजनीति में विकास की बात रोजगार की बात स्वास्थ्य की बात शिक्षा की बात उद्योग की बात ना होकर अगर धर्म के सहारे राजनीति हो तो उस आम जनता का क्या होगा जो अपना धर्म अपने कर्म को मानता है जो सुबह उठकर यह सोचता है कि शाम तक कोई काम मिल जाए ताकि परिवार का पोषण कर सके उस गरीब और निचले तबकों के लिए सबसे बड़ा धर्म यही है कि उसे कोई ऐसा काम मिले जिससे वह अपने परिवार को दो वक्त की रोटी और सादगी पूर्ण जीवन बिताने के लिए मददगार साबित हो आज भी देश और प्रदेश के की बड़ी आबादी अपने कर्म को ही धर्म मानती है क्योंकि उसे यह मालूम है कि अगर कर्म नहीं करेंगे तो परिवार का पोषण नहीं कर पाएंगे. शास्त्रों में भी कर्म को ही पूजा जाता है अगर कर्म अच्छे रहें तो धर्म सर्वोच्च हो ही जाएगा काश वह दिन कब आएगा जब भारत की राजनीति में धर्म के जगह कर्म स्थान लेगा, बेरोजगारी का मुद्दा स्थान लेगा, स्वास्थ्य का मुद्दा स्थान लेगा, महंगाई का मुद्दा स्थान लेगा,उद्योग का मुद्दा स्थान लेगा,शिक्षा का मुद्दा स्थान लेगा,तरक्की और खुशहाली का मुद्दा स्थान लेगा, विकास का मुद्दा स्थान लेगा......
रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ भारतीय जनता पार्टी को प्रदेश में कोई ऐसा मुद्दा नहीं मिल रहा जिसके सहारे आने वाले विधान सभा में भाजपा सत्ता के द्वार तक पहुँच सके . देश का शायद छत्तीसगढ़ ही पहला ऐसा प्रदेश होगा जिसने अपने चुनावी घोषणा पत्र के एक बड़े हिस्से को पूरा कर दिया हो और साथ में ऐसी कई योजनाओं को क्रियान्वित किया है जो घोषणा पत्र में भी नहीं था .
आज प्रदेश में शिक्षा की बात करे तो स्वामी आत्मानंद स्कूल , स्वास्थ्य में डॉ. खूबचंद बघेल योजना , गोधन न्याय योजना , गौठान योजना , नालो को संरक्षित कर कृषि क्षेत्र में बढ़ोतरी , वनोपज का समर्थन मूल , भूमिहीन मजदूरो के लिए योजना ऐसी कई योजनाये है जिसे लागू भी किया गया और जमीनी स्तर पर क्रियान्वित भी किया गया . ऐसे में प्रदेश भाजपा अब मुद्दों की तलाश में है वही छोटी छोटी बात में कई बातो को जोड़कर बड़ी बात बनाने का प्रयास भी निरंतर ज़ारी है . उसी तारतम्य में अगर बजरंग बलि जी को ताले में बंद करने की बात को ही ले ले तो साफ़ नजर आ रहा है कि बात कुछ और ही कही गयी किन्तु प्रचार किसी और तथ्यों का किया जा रहा है .
बता दे के कर्णाटक विधान सभा चुनाव के अपने संकल्प पत्र में कांग्रेस ने पीएफआई और बजरंग दल पर बेन का उल्लेख किया किन्तु कही पर भी हिन्दुओ के आराध्य बजरंग बलि जी को ताले में बंद करने की बात नहीं कही गयी किन्तु कर्णाटक के एक चुनावी सभा में देश के पीएम मोदी जी ने बजरंग बलि को ताले में बंद करने का आरोप कांग्रेस पर लगा दिया बस फिर क्या इसकी आंच छत्तीसगढ़ में पहुंचनी थी जो पहुंच गयी और जैसा कि सभी को मालुम है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भारत के ऐसे राजनेता /मुख्यमंत्री/प्रधानमंत्री नहीं है जो प्रेस की बातो का सवालों का जवाब ना दे . मुख्यमंत्री ने स्पष्ट तौर पर कहा कि कर्नाटक चुनाव में संकल्प पत्र में पीएफआई और बजरंग दल पर बेन लगाने पर वहा की सरकार बनने के बाद विचार किया जाएगा वही छत्तीसगढ़ में बजरंगदल के कार्यो पर नजर रखी जा रही है यहाँ सब ठीक है . कांग्रेस ने बजरंग दल ,पीएफआई पर बेन लगाने के विचार का उल्लेख किया ना कि हिन्दुओ के आराध्य देव बजरंगबली जी पर .
किन्तु प्रदेश भाजपा के द्वारा और उनके कई राजनेताओ के द्वारा बजरंगबली को ताले में बंद ? की बात का पुरजोर प्रचार करते हुए मुख्यमंत्री को हिन्दू विरोधी होने का अभियान छेड़ दिया गया . सोशल मिडिया के माध्यम से ऐसा प्रचार अभियान शुरू हो गया कि सच धुंधला होते जा रहा और झूठ तेज रौशनी में नहा गया बिलकुल ठीक उसी तरह जिस तरह आलू से सोना बनाने की बात कही किसी और ने थी और प्रचार किसी और का हो गया क्योकि यहाँ की राजनीति में नेता सिर्फ अपने मन की बात कहता है आम जनता की सुनता ही नहीं हाँ ये जरुर है कि हर 5 साल में हाथ जोड़ का वोट मांगने ज़रूर दरवाजे पर आ जाता है .
आश्चर्य है कि प्रदेश में स्वयमेव ही मुख्यमंत्री की खुर्सी की दौड़ में अपने आप को रखने वाले राजनेता भी बजरंग बलि जी को ताले में बंद करने की बात का आरोप लगाने में मुखिया बनने कि जुगत लगा रहे है क्यों देश के पीएम ने यह बात जो कह दी अब उनकी बात का प्रचार करना तो ज़रूरी क्योकि ये भारत है यहाँ बड़े बड़े जादू होते है देश की जनसँख्या 600करोड़ पहुँच जाती है , तीन अलग अलग सदी के महापुरुष / संत एक मंच पर बैठ कर मंत्रणा करते है , डिजिटल कमरे का अविष्कार के पहले ही फोटो शूट हो जाता है जैसे बातो पर भी आँख बंद कर विश्वास कर लेते है क्योकि चाटुकारिता परमोधर्म माना जाता है राजनीति में .
अब देखना यह है कि छत्तीसगढ़ में जिस तरह से भाजपा के बड़े बड़े नेता बजरंग बलि को ताले में बंद करने वाले आरोप लगा रहे उसे क्या सिद्ध कर पायेंगे या आराध्य देव बजरंगबली के नाम के सहारे सत्ता के द्वारा तक पहुँचने में कामयाब होंगे क्योकि विकास की बात , महंगाई की बात तो कही नजर नहीं आ रही अब तक ...( लेखक के निजी विचार )
sharad pansari
chief editore (SHOURYAPATH NEWS )
रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शुरू की गई न्याय योजनाओं से समाज के शोषित वंचित और गरीब तबकों का न केवल मान बढ़ा है बल्कि इन योजनाओं की बयार से बड़ी राहत मिल रही हैं। सरकार किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की सीमा 15 क्विंटल से बढ़ाकर 20 क्विंटल कर दी है। स्वामी आत्मानंद स्कूलों की श्रृंखला और डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना जैसी नवाचारी पहल से लोगों को आसानी से शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रहीं हैं। बेरोजगारों को प्रतिमाह भत्ता मिलना प्रारंभ हो चुका है। इसी तरह से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, स्कूलों में मध्यान्ह भोजन बनाने वाले रसोइयों की भी चिंता करते हुए उनके मानदेय में वृद्धि कर उनका मान बढ़ाया है।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने मजदूर दिवस पर श्रमिकों का मान बढ़ाने के लिए कई बड़ी घोषणाएं की हैं। कार्यस्थल पर दुर्घटना मृत्यु में पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के परिजनों को मिलने वाली सहायता राशि एक लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए तथा स्थायी दिव्यांगता की स्थिति में इन्हें देय राशि 50 हजार से बढ़ाकर ढाई लाख रुपए करने की घोषणा की। साथ ही अपंजीकृत श्रमिकों को भी कार्यस्थल पर दुर्घटना से मृत्यु होने पर एक लाख रुपए की सहायता प्रदान की जाएगी।
इसी प्रकार श्रमिकों के लिए मासिक सीजन टिकट एमएसटी जारी किया जाएगा, इससे घर से रेल अथवा बस से कार्यस्थल तक पहुंचने में सुविधा मिलेगी। यह कार्ड 50 किमी तक की यात्रा के लिए मान्य होगा। पंजीकृत निर्माणी श्रमिकों को नवीन आवास निर्माण अथवा क्रय के लिए 50 हजार रुपए का अनुदान और हार्ट सर्जरी, लीवर ट्रांसप्लांट, किडनी ट्रांसप्लांट, न्यूरो सर्जरी, रीढ़ की हड्डी की सर्जरी, पैर के घुटने की सर्जरी, कैंसर, लकवा जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज में स्वास्थ्य विभाग की योजनाओं के अतिरिक्त भी 20 हजार रुपए का अनुदान निर्माणी श्रमिकों को मिलेगा।
छत्तीसगढ़ में शिक्षित बेरोजगारों को 2500 रूपये प्रतिमाह बेरोजगारी भत्ता दिया जा रहा है। इसके लिए सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में 250 करोड़ रूपये का नवीन मद में प्रावधान किया है। बेरोजगारी भत्ता योजना के पात्र पाए गए 66 हजार 256 युवाओं के खाते में 16 करोड़ रूपए की राशि उनके बैंक खाते में अंतरित की गई है। राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना का विस्तार करते हुए इसे नगर पंचायतों में भी लागू किया है। इस योजना में 4 लाख 99 हजार से अधिक लोगों के बैंक खाते में अब तक 476.62 करोड़ की राशि अंतरित की गई है।
सरकार ने अपनी विभिन्न योजनाओं में काम करने वाले कर्मचारियों की भी चिंता करते हुए उनके मानदेय में वृद्धि करने की घोषणा की है। आंगनबाड़ी सहायिका का मानदेय वर्ष 2018 तक 2,500 रूपए प्रतिमाह था, जिसे बढ़ाकर 3,250 रूपए किया गया। वर्ष 2022-2023 में इसे बढ़ाकर 5,000 रूपए कर दिया गया। मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का मानदेय वर्ष 2018 तक 3,250 रूपए प्रतिमाह था, जिसे बढ़ाकर 4,500 रूपए किया गया। वर्ष 2022-23 में इसे बढ़ाकर 7,500 रूपए किया गया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का मानदेय वर्ष 2018 तक 5,000 रूपए प्रतिमाह था, जिसे 6,500 रूपए किया गया। वर्ष 2022-23 में इसे बढ़ाकर 10 हजार रूपए किया गया।
मध्यान्ह भोजन रसोईयों का मानदेय 1,500 से बढ़ाकर 1,800 रूपए की गई है। स्कूल स्वच्छताकर्मियों का मानदेय 2,500 रूपए से बढ़ाकर 2,800 रूपए कर दिया गया है। मितानिनों को राज्य मद से 2,200 रूपए प्रतिमाह देने का प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार वृद्ध पेंशन, विधवा, निराश्रित पेंशन की राशि को 350 रूपए से बढ़ाकर 500 रूपए कर दिया गया है। स्वावलंबी गौठान समिति के अध्यक्ष को 750 रूपये और सदस्यों को 500 रूपये मानदेय प्रतिमाह मिलेगा।
ग्राम कोटवारों को सेवा भूमि के आकार के अनुसार अलग-अलग दरों पर मानदेय दिया जाता है। सरकार ने ग्राम कोटवारों को दिए जाने वाले मानदेय की दरों में भी वृद्धि की है, जिसके अनुसार 2,250 के स्थान पर 3,000 रूपए, 3,375 के स्थान पर 4,500 रूपए, 4,050 के स्थान पर 5,500 रूपए और 4,500 के स्थान पर 6,000 रूपए किया गया है। होमगार्ड के जवानों का मानदेय न्यूनतम 6300 से अधिकतम 6420 रूपये प्रतिमाह की बढ़ोत्तरी की गई है। ग्राम पटेलो का मानदेय 2000 रूपए से बढ़ाकर 3000 रूपए प्रतिमाह किया गया है।
साभार : जी.एस. केशरवानी, उप संचालक
शौर्यपथ / प्रदीप भोले के पैर में कीड़े के काटने से एक छोटा सा घाव हो गया था। जिसकी वजह से उन्हें चलने फिरने में तकलीफ़ होती थी।ऐसी स्थिति में वे कुर्सी पर बैठ स्टूल पर पांव रखकर अखबार पढ़ रहे थे। तभी एक मक्खी उनके घाव पर आ बैठी। भोले जी ने उसे कई बार भगाया पर वो ढीठ मक्खी घुम फिर कर घाव पर ही आ बैठती थी।
इससे हैरान परेशान भोले जी मक्खी से पूछ पड़े - तुम लोग हमेशा घाव पर ही क्यों बैठती हो?किसी का शरीर सुंदर-गठीला हो और उसके शरीर में कहीं छोटा-मोटा घाव हो जावे तो बाकी सुंदर जगह को छोड़कर तुम लोग वहीं जा बैठती हो ।
भोले के सवाल पर मक्खी हंसकर बोली- हम तुम्हारे घाव पर बैठते हैं यह तो हमारा प्राकृतिक गुण है।यही मक्खी धर्म-और मक्खी कर्म है।इसे तुम बुरा नहीं कह सकते,पर ईश्वर प्रदत्त सुंदर मानव शरीर को तुम लोगों ने गंदे आचार विचारों का घर क्यों बना डाला है?
मक्खी के इस सवाल से भोले जी हतप्रभ रह गए। उनके मस्तिष्क पर तत्काल यह विचार कौंध गया कि मक्खी से कहीं ज्यादा गंदगी पंसद तो अब इंसान बन गया है।वे बुदबुदाए- छी छी छी छी। फिर मक्खी से नजरें चुराते घाव पर मरहम मलने लगे।
साभार : *विजय मिश्रा 'अमित '*
पूर्व अति महाप्रबंधक (जन) एम 8 सेक्टर 2 अग्रोहा सोसाइटी, पोआ- सुंदर नगर रायपुर (छग)492013
मोबा 98931 23310
सिरसाखुर्द गांव को अब मूर्ति कला गांव के नाम से जानने लगे लोग
दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग जिले में बसा एक छोटा सा गांव सिरसाखुर्द, जहां महिलाएं गोबर से मूर्तियां तैयार कर रही हैं। ये महिलाएं न सिर्फ ये खास मूर्तियां तैयार करती हैं बल्कि मांग के अनुसार बाजारों में भी उपलब्ध करा रही है। सिरसाखुर्द गांव की ये महिलाएं जय बजरंग स्व सहायता समूह से जुड़ी हुई हैं। महिला समूह द्वारा गौतम बुद्ध, छत्तीसगढ़ का लोगो, राधा कृष्ण, गणपति और आदिवासी कलाकृति को गोबर के माध्यम से आकार दे रही हैं। बारह महिलाओं का यह समूह इन मूर्तियों की वजह से काफी चर्चा में है। दुर्ग जिले के सिरसाखुर्द गांव को अब लोग मूर्ति कला गांव के नाम से जानने लगे हैं। गांव की महिलाएं साथ मिलकर इन मूर्तियों को तैयार करती हैं। महिला स्व सहायता समूहों से जुड़ी ये महिलाएं गोबर से मूर्तियां बनाने के साथ-साथ त्यौहार के लिए देवी-देवताओं की मूर्तियां, दीयेे, शुभ-लाभ जैसी कई सामग्रियां बना रही हैं। जब उनसे पूछा गया कि ये मूर्तियां कैसे बनती है, तो इस पर जय बजरंग स्व-सहायता समूह की हेमलता सावें बताती है कि पहले गोबर से कंडे बनाते हैं, फिर उन्हें सुखाकर कूटते हैं। उसके बाद चक्की में पीसते हैं। पीस कर इसमें चिकना मुलतानी मिट्टी का मिश्रण डालकर पानी से गुंदा जाता है और अंत में सांचे में डाल कर मूर्तियां तैयार की जाती है। गोबर से मूर्ति बनाने में 15 दिन का समय लगता है। उन्होंने बताया कि 12 सदस्यों वाला जय बजरंग स्व-सहायता समूह ने नागपुर में मूर्ति बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त किया है। प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरांत समूह की महिलाओं द्वारा मूर्तियां तैयार कर उसे स्थानीय बाजार में विक्रय कर आय अर्जित कर रही हैं जो उनके जीविका का साधन है।
उन्होंने बताया कि पुरई में भेंट–मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री को स्व सहायता समूह की तरफ से गोबर से बनी मूर्ति भेंट की थी। गोबर से बने होने के कारण यह इकोफ्रेन्डली है। मूर्ति के नष्ट हो जाने पर इसे गमले या बगीचे में डाला जा सकता है। इससे पर्यावरण को भी नुकसान नही होगा और खाद का भी काम करेगा। इन महिलाओं के हुनर की सराहना कलेक्टर श्री पुष्पेंद्र कुुमार मीणा ने भी की।
*विशेष लेख*
*मोमोस और पिज्जा से ज्यादा स्वादिष्ट और सेहदमंद है चावल का बोरे बासी*
*मजदूर दिवस के दिन छत्तीसगढ़ में मनाया जाएगा बोरे बासी तिहार*
बोरे बासी का नाम जुबां पर आते ही छत्तीसगढ़ के लोगों के जेहन में बोरे बासी के साथ आम की चटनी अर्थात अथान की चटनी, भाजी, दही और बड़ी-बिजौड़ी की सौंधी-सौंधी खुशबू से मन आनंदित हो जाता है। मुंह में पानी और चेहरे में बोरे बासी खाने की लालसा और ललक स्पष्ट दिखाई देती हैं। एक मई श्रमिक दिवस को पूरा छत्तीसगढ़ बोरे बासी तिहार के रूप में मनाया जाएगा। बोरे बासी तिहार का यह दूसरा वर्ष है।
छत्तीसगढ़ में पहली बार वर्ष 2022 में एक मई मजदूर दिवस को बोरे बासी तिहार के रूप में मनाया गया। पहले वर्ष ही बोरे बासी तिहार को राज्य के हर वर्ग ने अपने मन से मनाया है। इस वर्ष भी पूरा राज्य बोरे बासी तिहार का इंतजार कर रहा है। युवाओं में लोकप्रिय व्यंजन मोमोस और पिज्जा से ज्यादा स्वादिष्ट और सेहदमंद है। बोरे-बासी तिहार से नई पीढ़ी के लोगों को भी छत्तीसगढ़ की परंपरा और संस्कृति से जुड़ने का मौका मिलेगा।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहचान पूरे देश में वैसे तो राज्य के जनकल्याणकारी और राज्य की कला-संस्कृति, को बढ़ावा देने के लिए अभिनव पहल के लिए जाने जाते हैं। मुख्यमंत्री के द्वारा लोककल्याण और राज्य की मूल संस्कृति और रीति-रिवाजों को संरक्षण एवं संवर्धन की दृष्टि से शुरू की गई। सभी योजनाओं और कार्यक्रमों को राज्य के सभी वर्ग के लोगों से पूरा समर्थन भी मिलते आया है। बोरे-बासी भी मुख्यमंत्री श्री बघेल के अभिनव पहल में एक है, जिसें लोगों का पूरा-पूरा सहयोग मिल रहा है।
छत्तीसगढ़ में बोरे बासी प्रमुख व्यंजनों में से एक है। राज्य के अलग-अलग हिस्सों में वैसे तो बोरे बासी भी अलग-अलग बनाई जाती है। राज्य के मैदानी क्षेत्रों में चावल के गरम पका भोजन को रात के समय ठंडा होने के बाद पानी में डूबा कर बनाया जाता है, जिसे सुबह नास्ता और भरपेट भोजन के रूप में खाया जाता है। इसी प्रकार बोरे-बासी लघुधान्य फसल जैसे कोदो, कुटगी, रागी और कुल्थी की भी बनाई जाती है। बोरे-बासी के इन सभी प्रकारों में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन, फ्राइबर, एनर्जी और विटामिन्स, मुख्य रूप से विटामिन बी-12, खनिज लवण जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। बोरे बासी, पिज्जा और मोमोस जैसे खाद्य पदार्थों से ज्यादा पौष्टिक,स्वादिष्ट और सेहदमंद है। लघु धान्य रागी 100 ग्राम में प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व पाया जाता है, जिसे इस तरह समझा जा सकता है। प्रोटिन सौ ग्राम में 7.3 ग्राम, फैट 1.3 ग्राम, एनर्जी 328 ग्राम, फ्राईबर 3.6 ग्राम, मिनिरल्स 2.7 ग्राम, कैल्सियम 344 ग्राम, आयरन 3.9 ग्राम मिलता है।
राज्य सरकार ने प्रदेश के किसानों के आय में वृद्धि करने के उदे्श्य से लधु धान्य कोदो, कुटकी, रागी का समर्थन मूल्य भी तय किया है। सरकारी तौर पर इन फसलों की खरीदी की शुरूआत होने से किसानों को उचित दाम मिल रहा है, जिससे कृषकों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है।
साभार:
गुलाब डडसेना, सहायक जनसंपर्क अधिकारी
लेख । शौर्यपथ । 14 अप्रैल को भारतीय संविधान के रचयिता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी का जन्मदिन है दुनिया के सबसे बड़े संविधान डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने अपने जीवन काल में कई विपरीत परिस्थितियों का सामना किया और हर परेशानियों का सामना करते हुए आगे बढ़ते रहे किंतु उनके बारे में एक सच्चाई यह भी है कि वे कभी भी स्वतंत्र भारत के आम चुनाव में जीत हासिल नहीं कर पाए ।
डॉ. भीम राव अंबेडकर आजादी के बाद हुए पहले आम चुनाव में अनुसूचित जाति संघ के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 1952 में हुए पहली लोकसभा चुनाव में अम्बेडकर उत्तरी बंबई से एससीएफ पार्टी से उम्मीदवार थे और उनको एक समय उन्हीं के सहयोगी कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार नारायण काजोलोलर ने हरा दिया था।
1954 में भंडारा में हुए लोकसभा उप चुनाव एक बार फिर अम्बेडकर लोकसभा का चुनाव लड़े, लेकिन इस बार भी अम्बेडकर की बुरी तरह हार हुई। अम्बेडकर उपचुनाव में तीसरे नम्बर पर रहे। दूसरे लोकसभा चुनाव से पहले ही अम्बेडकर की मौत हो चुकी थी। अम्बेडकर की मौत 65 साल की उम्र में 6 दिसम्बर को 1956 में हो गयी।
अम्बेडकर ने 1942 में ही अनुसूचित जाति संघ (एससीएफ) नाम से एक राजनीतिक दल का निर्माण किया था। एससीएफ की स्थापना अम्बेडकर ने दलित समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ने के लिए की थी, लेकिन इस दल का 1946 में हुए भारत की संविधान सभा के लिए के चुनावों में खराब प्रदर्शन किया था।
दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग शहर के बहुत लंबे समय तक NSUI के दमदार अध्यक्ष रहे छात्रः राजनीति में अपनी अलग पहचान रखने वाले अरुण वोरा के सबसे करीबी रहे कुणाल तिवारी ने स्व वासुदेव चंद्राकार जी के पुण्यतिथि के अवसर उनकी एक यादे को शौर्यपथ समाचार के साथ सांझा की . कुणाल तिवारी ने बताया यह उस समय की बात है। जब वह NSUI अध्यक्ष थे। तब स्व. वासुदेव चंद्राकार जी का विशेष स्नेह वा आशीर्वाद प्राप्त रहता था। स्व दाऊ जी ( स्व. वासुदेव चंद्राकर जी कोसभी प्यार से दाऊ जी संबोधित करते थे ) के अंतिम समय के कुछ दिन पूर्व कुणाल तिवारी वा विजय चंद्राकार जो कि वर्तमान मे युवा कुर्मी समाज के जिला अध्यक्ष के रूप मे कार्य कर रहे है स्व. दाऊ जी का आशीर्वाद लेने दाऊ जी के निवास पहुचे थे। ठंड का समय था दाऊ जी गोरसी मे आग सेंक रहे थे। दोनों युवा नेताओ ने स्व. दाऊ जी के चरण छू कर आशीर्वाद लिया। दाऊ जी ने अपने अंदाज मे कहा केसे आए हों रे युवा नेता मन। तब कुनाल ने कहा दाऊ जी आपका आशीर्वाद लेने व राजनीति का गुण सीखने आये है । तब दाऊ जी ने अपने अंदाज मे कहा कि आज तो मोर तबीयत खराब है। फिर भी तुमन आए हों तो एक बात बोलू एला तुमन गाँठ बाँध लो आग ला आग जइसन रहना चाहिए और पानी ला पानी जइसन रहना चाहिए जो अपन अस्तित्व मे परिवर्तन लाईस समझो वो समाप्त हो गए.उसके बात बोले अब तुमन जाओ मे ह आराम करूँह । वह मुलाकात हम लोगों की आखिरी मुलाकात थी। पर वो दिन और दाऊ जी की बात और उनका अंदाज भी आज भी हमारे स्मरण मे जिवित है।
शौर्यपथ लेख। दुर्ग जिले में वीरा सेठ को कौन नहीं जानता वीरा सेठ मतलब ट्रांसपोर्ट जगत के राजा जितने बड़े व्यक्ति थे उतना ही बड़ा उनका दिल गरीबों का ख्याल रखना मदद उनका मकसद रहा अपने जीवन काल में उन्होंने पैसा तो बहुत कमाया किंतु पैसे के साथ जो इज्जत शोहरत कमाई वो उनके जाने के बाद भी आज जीवित है आज भी वीरा सेठ का नाम दुर्ग जिले बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है ।
आज वीरा सेठ को जीवित रखने में उनकी यादों को आम जनता के दिलो में कायम रखने में उनके पुत्र इंदर सिंह ने अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया है । आज जहा दुनिया में पैसे के खातिर बेटा बाप का दुश्मन बन जाता है वही इंदर सिंह अपने पिता के द्वारा किए हुए कार्यों को ना सिर्फ अनवरत जारी रख रहे है बल्कि आगे भी बढ़ा रहे।आज जिस तरह से इस जमाने में जहा दूसरे लोग स्वास्थ के क्षेत्र में लूट खसोट कर रहे है वही उच्चतम स्तर की स्वास्थ्य सेवा एस बी एस हॉस्पिटल के माध्यम निम्मतम मूल्य पर उपलब्ध करा रहे है । अपने सैकड़ों स्टाफ के साथ हर उस व्यक्ति की मदद के लिए तैयार रहते है जो जरूरत मंद है सामाजिक क्षेत्र में भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने वाले इंदर सिंह उर्फ छोटू भैया आज भिलाई ही नही दुर्ग जिले की पहचान बन गए है । जो कार्य सरकार आम जनता के हित के लिए करती है वही कार्य छोटू भैया उर्फ इंदर सिंह कर रहे है । अपने पिता की पुण्यतिथि में 3 अक्टूबर को इंदर सिंह ने जिस तरह ट्रांसपोर्ट क्षेत्र से जुड़े कर्मचारियों के बेटियो के विवाह में 25 हजार की सहायता राशि देने का पुनीत कार्य का आगाज किया वह उनके पिता की आत्मा को सुकून ही देगा और आज इस ब्रम्हांड में जहा भी वीरा सेठ होंगे वह गर्व महसूस कर रहे होंगे और सीना चौड़ा कर कह रहे होंगे की वो देखो मेरा बेटा इंदर सिंह है मेरा बेटा है समाज को अपना समझने वाले वीरा सिंह बेटे के लिए बस मेरा बेटा है कहकर खुश हो रहे होंगे । सच में नमन है वीरा सेठ को जिन्होंने एक ऐसा बेटा समाज को दिया जो निरंतर सेवा भाव से समाज की सेवा कर रहा ऐसा बेटा की चाह आज हर व्यक्ति को होगा मेरी नजर में वीरा सेठ से ज्यादा आदर सम्मान आज इंदर सिंह के लिए है जिन्होंने अपने पिता के सपने को जीवित ही नहीं रखा बल्कि उसे निरंतर बढ़ा रहे है । सही मायने में देखा तो आज इन्दर सिंह से मुझे प्रेरणा मिलती है आज मेरे जीवन का लक्ष्य भी बस यही है कि मेरे शौर्य का ना इस दुनिया में हमेशा जीवित रहे और यही मेरे जीवन का मकसद है कहा तक सफल हो पाऊंगा ये तो नहीं पता पर कोशिश निरंतर ज़ारी रहेगी शोर्य तेरा पापा तेरे लिए कुछ नहीं कर पाया किन्तु तेरे नाम को जीवित रखना ही जिन्दगी का मकसद बन गया है .
लेख वीरा सेठ को समर्पित ??
शरद पंसारी ( संपादक शौर्यपथ दैनिक समाचार )