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महासमुंद /शौर्यपथ/
दीपावली एवं इससे जुड़े त्यौहार नज़दीक आता देख ज़िले के सभी एसडीएम सतर्क हो गए उन्होंने इसके लिए राजस्व अधिकारियों, नगर पालिका और खाद्य एवं औषधि प्रशासन के अधिकारियों की एक टीम गठित कर इलाक़े के ज़्यादातर मिठाई,होटल और रेस्टोरेंट का औचक निरीक्षण किया जा रहा है। साफ़-सफ़ाई नही पाए जाने या दूषित खाद्य-पदार्थ पाए जाने वाले प्रतिष्ठानो-दुकानदारों पर चालानी कार्रवाई के अलावा नमूने जाँच के लिए लिए जा रहे है ।
कलेक्टर श्री डोमन सिंह ने जिले के सभी एसडीएम और खाद्य एवं औषधि प्रशासन के अधिकारियों को ऐसे प्रतिष्ठानों जहां मिलावटी मिठाईयाॅ एवं अन्य खाद्य पदार्थ बनाए जाते है उनकी जाॅच एवं उन पर सतत निगरानी करने के निर्देश दिए। सावन के बाद अब दीपावली त्यौहार का सीजन शुरू हो गया है। ऐसे में महासमुन्द जिले के मिठाई की दुकानों में मिलावटी मिठाईयाॅ व अन्य खाद्य पदार्थ बिकने के खतरें ज़्यादा बढ़ जाते है। इसी पर अंकुश लगाने लोगों की सेहत को को सर्वोपरि रखते हुए कलेक्टर ने जिले के सभी एसडीएम और खाद्य एवं औषधि अधिकारियों को ऐसे मिलावटी मिठाईयाॅ एवं अन्य खाद्य पदार्थ बनाए जाते है उनकी जाॅच एवं निगरानी करने के निर्देश दिए।
खाद्य सुरक्षा अधिकारी, खाद्य एवं औषधि प्रशासन महासमुन्द श्रीमती ज्योति भानु ने बताया कि गठित टीम द्वारा हाल ही में ज़िले के सरायपाली और पिथौरा नगरीय क्षेत्र में स्थित खाद्य पदार्थ ,मिठाई आदि दुकानों पर कार्रवाई की गयी। इनमें सरायपाली,और पिथौरा की 3 इलाक़े की मिठाई आदि दुकानो का निरीक्षण कर 2400 रुपए की चालानी कार्रवाई की गयी ।वही बीते दिन सरायपाली एवं बसना में भी 5 होटल,चाय नाश्ते की दुकानो और मिठाई दुकानों का निरीक्षण किया गया खाद्य पदार्थ ,मिठाई के नमूने लिए गए और 2300 रुपए की चालानी कार्रवाई की गयी । इस प्रकार सरायपाली,बसना और पिथौरा नगरीय क्षेत्र के कुल 8 रेस्टोरेंट,मिठाई दुकानों का ओचक निरीक्षण कर खाद्य गुणवत्ता,साफ़-सफ़ाई का निरीक्षण कर 4700 रुपए की चालानी कार्रवाई की गयी ।
कवर्धा /शौर्यपथ/
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा पटाखों के उपयोग के संबंध में जारी निर्देशों का राज्य में संबंधितों को शत-प्रतिशत पालन सुनिश्चित करने के संबंध में राज्य शासन के छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा आदेश जारी किया गया है। इस संबंध में जारी निर्देश के तहत जिन शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर अच्छा या संतोषजनक अथवा मध्यम श्रेणी हो, वहां केवल हरित पटाखे ही विक्रय तथा उपयोग किए जाए। दीपावली, छठ, गुरूपर्व तथा नया वर्ष, क्रिसमस इत्यादि के अवसर पर पटाखों को फोड़ने की अवधि भी दो घंटे ही निर्धारित की गई है। साथ ही अपर मुख्य सचिव आवास एवं पर्यावरण विभाग द्वारा राज्य में सभी जिला कलेक्टरों तथा पुलिस अधीक्षकों को इसका व्यापक प्रचार-प्रसार सहित कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए गए हैं।
इसके तहत ऐसे शहरों में हरित पटाखों के फोड़े जाने की अवधि दीपावली पर्व पर रात्रि 8 बजे से रात्रि 10 बजे तक, छठ पूजा पर प्रातः 6 बजे से प्रातः 8 बजे तक, गुरूपर्व पर रात्रि 8 बजे से रात्रि 10 बजे तक और नया वर्ष अथवा क्रिसमस पर रात्रि 11.55 बजे से 12.30 बजे तक निर्धारित की गई है। इसी तरह पटाखों के उपयोग के संबंध में उच्चतम न्यायालय द्वारा जारी निर्देश के अनुरूप कम प्रदूषण उत्पन्न करने वाले इम्प्रूव्ड एवं हरित पटाखों की बिक्री केवल लायसेंस्ड ट्रेडर्स द्वारा की जा सकेगी। केवल उन्हीं पटाखों को उपयोग के लिए बाजार में बेचा जा सकेगा, जिनसे उत्पन्न ध्वनि का स्तर निर्धारित सीमा के भीतर हो। सीरीज पटाखे अथवा लडियों की बिक्री, उपयोग तथा निर्माण प्रतिबंधित किया गया है। पटाखों के ऐसे निर्माताओं का लायसेंस भी रद्द करने के निर्देश दिए गए हैं, जिनके द्वारा पटाखों में लिथीयम, आरसेनिक, एन्टिमनी, लेड एवं मर्करी का उपयोग किया गया है। ऑनलाइन अर्थात् ई-व्यापारिक वेबसाइटों जैसे-फ्लिपकार्ट, अमेजॉन आदि से पटाखों की बिक्री प्रतिबंधित रहेगा।
महासमुंद /शौर्यपथ/
राज्य और केन्द्र सरकार शिक्षित बेरोजगार युवाओं को अपना व्यवसाय खड़ा करने के लिए कई योजनाएं संचालित कर रही है। शिक्षित बेरोजगार युवा इसका फायदा भी उठा रहे है। छत्तीसगढ़ में भी मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के तहत खुद का रोजगार शुरू करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है। इसके लिए इच्छुक अभ्यर्थी अपने जिले के जिला उद्योग एवं व्यापार केन्द्र में आवेदन कर लाभ ले रहें हैं। राज्य सरकार युवाओं के आइडिया अद्यतन कर और स्थिति एवं पात्रता को देखकर खुद के व्यवसाय के लिए ऋण उपलब्ध कराते है। इस योजना में युवाओं को रोजगार शुरू करने में सेवा कारोबार के लिए 10 लाख रुपए, लघु व्यवसाय के लिए 2 लाख रुपए तथा बड़े उद्योग के लिए 25 लाख रुपए तक ऋण उपलब्ध कराया जाता है। इस योजनांतर्गत सरकार की तरफ से 10 से 25 प्रतिशत तक की छूट भी दी जाती है।
योजना का मुख्य उद्देश्य स्थानीय स्कील को बढ़ावा और बेरोजगारी दर को कम करना है। महाप्रबंधक जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र श्री संजीव सुखदेवे ने बताया कि मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के तहत दिसम्बर 2018 के बाद अब तक 54 हितग्राहियों को 18.42 लाख रुपए की राशि विभिन्न रोजगार स्थापित करने के लिए अनुदान राशि उपलब्ध करायी गयी। वहीं 113 रोजगार सृजित हुए। इसी प्रकार प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत 97 हितग्राहियों को 3 करोड़ एक लाख रुपए के अनुदान राशि मिली है। इसी प्रकार कुल 1019 रोजगार सृजित हुए।
मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना हेतु अभ्यर्थी कम से कम आठवीं पास होना चाहिए। इसके लिए निर्धारित आयु 18 से 35 वर्ष रखी गयी है। इसके अलावा आरक्षित और सरकार की निर्धारित वर्गों के लिए आयु सीमा में 5 वर्ष की छूट भी दी गयी है। अभ्यर्थी को छत्तीसगढ़ का स्थानीय निवासी होना जरूरी है और वह किसी और ऋण का चूककर्ता न हो। पात्रता रखने वाले शिक्षित बेराजगार युवक और युवतियां स्वयं का रोजगार स्थापित कर सकते है। इस योजना से संबंधित और अधिक जानकारी के लिए अपने जिले के उद्योग एवं व्यापार केन्द्र कार्यालय जाकर जानकारी ले सकते है।
पिछले लगभग दो वर्ष देश-दुनिया में जो हो रहा है वह किसी ने सोचा भी नहीं था। कोविड-19 महामारी और कोरोना संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण के लिए लगाए गए लॉकडाउन के चलते बहुत से युवा ऐसे है जिनकी नौकरी और व्यवसाय प्रभावित हुआ है। इस दौरान राज्य सरकार के छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना इस संकट की घड़ी में सहारा बनी। ऐसे युवाओं को राज्य सरकार की हर योजना लोगों का सहारा बनी।
रायपुर /शौर्यपथ/
राजधानी रायपुर के साईंस कॉलेज मैदान में चल रहे राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव 2021 के तीसरे दिन झारखण्ड के जनजातीय के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत छाऊ नृत्य लोगों के दिलो-दिमाग पर छाया रहा। कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति के दौरान दर्शकों को पूरी तरह से बांधे रखा। छाऊ नृत्य के दौरान पंडाल में मौजूद लोग मंच पर कलाकारों के नृत्य करतब और उनके पद चपलता को टकटकी लगाए देखते रहे। छाऊ नृत्य दल के कलाकारों की साज-सज्जा उनके परिधान, मुखौटे लोगों के लिए आकर्षण बने रहे। कलाकरों की शानदार प्रस्तुति से रामायण, महाभारत काल से लेकर पौराणिक काल की कथाएं जीवन्त हो उठी। जिसे दर्शकों ने खूब सराहा और कार्यक्रम की प्रस्तुति के दौरान तालियां बजाकर उनका उत्साहवर्धन किया।
छाऊ नृत्य भारतवर्ष के तीन पूर्वी राज्यों में लोक और जनजातीय कलाकारों द्वारा किया जाने वाला एक लोकप्रिय नृत्यरूप है जिसमें मार्शल आर्ट और करतबों की भरमार रहा करती है। इस तीन राज्यों में छाऊ नृत्य संबंधित क्षेत्रों के आधार पर तीन नामों से जाने जाते हैं। पश्चिम बंगाल में पुरुलिया छाऊ, झारखंड में सराइकेला छाऊ, और उड़ीसा में मयूरभंज छाऊ, इसमें से पहले दो प्रकार के छाऊ नृत्यों में प्रस्तुति के अवसर पर मुखौटों का उपयोग किया जाता है जबकि तीसरे प्रकार में मुखौटे का प्रयोग नहीं होता।
छाऊ नृत्य में रामायण महाभारत और पुराण की कथाओं को कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। छाऊ अपनी ओजस्विता और शक्ति की परिपूर्णता के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है जिसमें नर्तकों द्वारा मार्शल आर्ट्स का बखूबी इस्तेमाल करते हुए अपने शरीर में विविध तरह की मुद्राओं और भंगिमाओं से दर्शकों को सम्मोहित करने में सफल रहता है। छाऊ नृत्य केवल पुरुष कलाकारों द्वारा ही किया जाता है। छाऊ ने अपने कथावस्तु कलाकारों की ओजस्विता और चपलता और संगीत के आधार पर न सिर्फ भारतवर्ष वरन विदेश में भी अपनी खास पहचान बनाई है।
रायपुर./ शौर्यपथ/
राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का तीसरा और अंतिम दिन भी आज सुबह से शाम तक मांदर की थाप, घुंघरूओं की खनक, मधुर स्वर लहरियों और रंग-बिरंगे परिधानों से गुलजार रहा। विभिन्न राज्यों से आए आदिवासी नर्तकों ने साइंस कॉलेज मैदान के भव्य मंच पर दिन भर अपने-अपने राज्यों की संस्कृति की छटा बिखेरी। ओड़िशा के कलाकारों ने धाप, लद्दाख के कलाकारों ने हाहानु, असम के कलाकारों ने बोडो और तमिलनाडू के कलाकारों ने इरूला नृत्य की प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्र-मुग्ध किया।
ओड़िशा के कलाकारों ने वहां के पश्चिमी जिलों संबलपुर, सुंदरगढ़, कालाहांडी और बलांगीर क्षेत्र में लोकप्रिय धाप नृत्य प्रस्तुत किया। केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के नर्तकों ने विवाह के अवसर पर किए जाने वाले हाहानु नृत्य की प्रस्तुति दी। परंपरागत परिधान और सिर पर फूलों से सजी-धजी आकर्षक पगड़ी में युवा कलाकारों ने गीत और नृत्य के माध्यम से वहां की संस्कृति से रू-ब-रू कराया। असम के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत बोडो नृत्य के दौरान उनके परिधानों में पीला, लाल और हरा रंग का गजब का संयोजन देखने को मिला। परंपरागत वाद्ययंत्रों मांदर, झांझ और बांसुरी की मधुर स्वर लहरियों के बीच 12 युवतियों ने इस आकर्षक नृत्य की प्रस्तुति दी। परंपरागत रूप से बोडो नृत्य मौसम के बदलने पर आपस में सुख-दुख साझा करने के लिए ग्राम प्रधान के घर किया जाता है। तमिलनाडू के कलाकारों ने प्रकृति के संरक्षण का संदेश देता इरूला नृत्य प्रस्तुत किया। वहां के आदिवासी जंगल से वनोपज एकत्र कर लाने के बाद अपनी खुशियों का इजहार करने के लिए यह नृत्य करते हैं।
रायपुर /शौर्यपथ/
राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में आज तीसरे दिन सुबह से पारम्परिक त्यौहार अनुष्ठान, फसल कटाई एवं अन्य पारम्परिक विधाओं पर आधारित प्रतियोगिता को आगे बढाया गया।राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में आज तीसरे दिन सुबह से पारम्परिक त्यौहार अनुष्ठान, फसल कटाई एवं अन्य पारम्परिक विधाओं पर आधारित प्रतियोगिता को आगे बढाया गया।छाऊ नृत्य भारतवर्ष के तीन पूर्वी राज्यों में लोक और जनजातीय कलाकारों द्वारा किया जाने वाला लोकप्रिय नृत्य है। जिसमें मार्शल आर्ट और करतबों की भरमार रहती है
राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में आज तीसरे दिन सुबह से पारम्परिक त्यौहार अनुष्ठान, फसल कटाई एवं अन्य पारम्परिक विधाओं पर आधारित प्रतियोगिता को आगे बढाया गया। इस श्रेणी के प्रतियोगिता की शुरूआत तमिलनाडु की कोथा लोक नृत्य के साथ हुई। इस दौरान कलाकारों की लयबद्ध प्रस्तुति ताल, थाप और संगीत से दर्शक मंत्रमुग्ध हो उठे। दूसरे क्रम में महाराष्ट्र के द्वारा लिंगों, दमनदीव एवं नागरहवेली-तारपा, मेघालय द्वारा बंगला और छत्तीसगढ़ द्वारा कर्मा, कर्नाटक-लंबाड़ी, लक्ष्यद्वीप-बंदिया, अण्डमान निकोबार-निकोबार नृत्य, राजस्थान-सहरिया स्वांग, झारखण्ड- छाऊ और गुजरात-वासवा होली नृत्य, पश्चिम बंगाल-संथाली, मणिपुर-खरिंग खरग फेचक, ओड़िशा-डालखाई, नागालैण्ड-माकू हे निची, मध्यप्रदेश द्वारा दंडार एवं अन्य राज्यों द्वारा लोक नृत्य की प्रस्तुति की हुई। इस दौरान छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्य झारखण्ड के कलाकारों द्वारा छाऊ नृत्य ने दर्शकों की खूब तालियां बंटोरी।
छाऊ नृत्य भारतवर्ष के तीन पूर्वी राज्यों में लोक और जनजातीय कलाकारों द्वारा किया जाने वाला लोकप्रिय नृत्य है। जिसमें मार्शल आर्ट और करतबों की भरमार रहती है। इस तीन राज्यों में छाऊ नृत्य संबंधित क्षेत्रों के आधार पर तीन नामों से जाना जाता है। पश्चिम बंगाल में पुरुलिया छाऊ, झारखंड में सराइकेला छाऊ, और उड़ीसा में मयूरभंज छाऊ, इसमें से पहले दो प्रकार के छाऊ नृत्यों में प्रस्तुति के अवसर पर मुखौटों का उपयोग किया जाता है, जबकि तीसरे प्रकार में मुखौटे का प्रयोग नहीं होता। इस नृत्य में रामायण महाभारत और पुराण की कथाओं को कलाकारों द्वारा मंच पर प्रस्तुत किया जाता है। इसमें गायन और संगीत का प्रमुख स्थान है, किन्तु प्रस्तुति के समय लगातार चल रही वाद्य संगीत की विशेषता प्रधान रहती है। नृत्य में प्रत्येक विषय की शुरुआत नृत्य एक छोटे से गीत से होती है, जिसमें उस विषय वस्तु का परिचय होता है। नृत्य के विषय वस्तु में सम्मिलित होने वाले सभी पात्रों का परिचय एक छोटे से गायन के आधार पर दिया जाता है, जो अगले विषय के शुरू होने तक लगातार चलते रहता है। फिर दूसरा पात्र आता है उसका परिचय दिया जाता है। छाऊ अपनी ओजस्विता और शक्ति की परिपूर्णता के लिए विशेष प्रसिद्ध है। जिसमें नर्तकों द्वारा मार्शल आर्ट्स का बखूबी इस्तेमाल करते हुए अपने शरीर में विविध तरह की मुद्राओं और भंगिमाओं उद्भूत करते हुए दर्शकों को सम्मोहित करने का गुण रहता है। छाऊ नृत्य केवल पुरुष कलाकारों द्वारा ही किया जाता है। छाऊ ने अपने कथावस्तु, कलाकारों की ओजस्विता और चपलता और संगीत के आधार पर न सिर्फ भारत देश समेत विदेशों में भी अपनी खास पहचान बनाई है।
महासमुंद /शौर्यपथ/
महासमुन्द के शिक्षित बेरोजगार युवा श्री जितेन्द्र पहले अपने लिए नौकरी की तलाश कर रहे थे। किंतु इसमें सफलता नहीं मिल पाने के कारण उसने अपना व्यवसाय करने की सोची। लेकिन व्यवसाय हेतु आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण इसमें दिक्कत आ रही थी। उन्हें राज्य और केन्द्र सरकार की शिक्षित बेरोजगार युवाओं के लिए खुद के व्यवसाय के लिए ऋण योजनाओं की जानकारी मिली। उन्होंने तत्काल प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम में अपने स्वयं के व्यवसाय हेतु आवेदन दाखिल किया। खुद का व्यवसाय कम्प्यूटर ऑनलाईन सेंटर हेतु बैंक से 5 लाख रुपए का ऋण लेकर अपना व्यवसाय शुरू किया। उन्होंने गूगल कम्प्यूटर सेंटर नाम से बीटीआई रोड, महासमुंद में शुरू किया। इसमें उन्हें सफलता मिली। पिछले ढाई-तीन वर्षों से वे कॉमन सर्विस सेंटर, सीएससी/च्वाइस सेंटर का सफलतापूर्वक संचालन कर रहे हैं। शुरूआत में उन्होंने अपने दोस्तों की मदद लेकर एक सेट कम्प्यूटर, प्रिंटर लेकर काम की शुरूआत की। शुरूआत में उन्हें थोड़ी दिक्कतों के साथ धीरे-धीरे सफलता मिलने लगी।
जितेन्द्र बताते है कि जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र के अधिकारियों का भरपूर का सहयोग मिला। ऋण फॉर्म भरने से लेकर आवेदन का निराकरण होने तक पूरा सहयोग किया। अब वे अपने ऑनलाईन दुकान से एडमिशन फॉर्म, परीक्षा फॉर्म, बिल पेमेंट, रोजगार से संबंधित फॉर्म, रिचार्ज बैंकिंग से जुड़े कार्य, बैंक खाता खोलना, पैसा निकालना, पैसा जमा करना, पैसा ट्रांसफर करना, हवाई जहाज टिकट बुकिंग, आधार कार्ड प्रिंट, पैन कार्ड बनाना, फोटो कॉपी करना, कलर प्रिंट करना आदि कार्य वे अपने दुकान से कर रहें हैं। वे बताते है कि राज्य सरकार की मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के बारें में भी जानकारी लेने लोग उनके दुकान पर आते है। श्री जितेन्द्र ने बताया कि किसी भी काम में उतार चढ़ाव आम बात है। हमारी दृढ़ इच्छाशक्ति प्रबल होनी चाहिए। शुरूआत में किसी भी काम में थोड़ी बहुत कठिनाई और दिक्कत अवश्य आती है। लेकिन सभी के सहयोग और मागदर्शन से उससे बाहर निकलकर आगे बढ़ना चाहिए। वे अपने शिक्षित युवा साथियों से भी कहना चाहते है कि वे राज्य और केन्द्र सरकार की योजनाओं का फायदा उठाकर अपना स्वयं का रोजगार स्थापित कर सकते है और दूसरों को भी रोजगार देने में मदद कर सकते है।
रायपुर /शौर्यपथ/
राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में आयोजित कानक्लेव में छत्तीसगढ़ सरकार के सलाहकार श्री गौरव द्विवेदी ने कहा कि राज्य द्वारा हाल ही में पारित फिल्म नीति से जहां प्रदेश में पर्यटन का विकास होगा, वहीं स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। फिल्मों के माध्यम से लोग छत्तीसगढ़ के प्राकृतिक सौंदर्य, यहां के संसाधनों और यहां की कला-संस्कृति के बारे में जान सकेंगे।
द्विवेदी ने मुंबई के प्रतिष्ठित फिल्म निर्माता अविनाश दास से चर्चा करते हुए बताया छत्तीसगढ़ की फिल्म नीति बीते 8 सितंबर को पारित कर दी गई है। सरकार द्वारा फिल्म निर्माताओं की सहुलियतों के लिए सिंगल विडो सिस्टम स्थापित किया जा रहा है। स्थानीय लोगों को रोजगार देने की शर्त पर निर्माताओं को फिल्म निर्माण के लिए अनुदान का भी प्रावधान किया गया है। स्थानीय कलाकारों, तकनीशियनों एवं फिल्म निर्माण से जुड़े अन्य व्यवसाय जैसे लाईट, साऊण्ड आदि विषयों पर स्कूल भी संचालित किए जाने की योजना है, जिनमें विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप भी दी जाएगी। श्री द्विवेदी ने बताया कि शासन द्वारा फिल्म उद्योग के लिए 115 एकड़ भूमि आवंटित की जा रही है। कोरोना की विषम परिस्थितियों में भी राज्य सरकार ने फिल्म निर्माण से जुड़े दैनिक मजदूरी वाले श्रमिकों को सहयोग दिया है। ऐसे श्रमिकों को श्रम विभाग की योजनाओं से लाभान्वित करने के लिए उनका पंजीयन भी किया जाएगा, जिससे उन्हें स्वास्थ्य बीमा और अन्य योजनाओं का भी लाभ मिल सकेगा।
फिल्म निर्माता अविनाश दास ने कहा कि फिल्म निर्माताओं के लिए छत्तीसगढ़ की फिल्म नीति एक नया अवसर निर्मित करेगी। यहां का प्राकृतिक सौंदर्य, संस्कृति और प्राचीन धरोहर फिल्म के परदे से वंचित रहे हैं। इस अवसर पर जनसंपर्क आयुक्त दीपांशु काबरा सहित राज्य में बाहर से आए हुए प्रतिनिधि, शासकीय अधिकारी एवं कर्मचारी एवं बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित थे।
रायपुर /शौर्यपथ/
राज्य शासन द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के उपलक्ष्य पर एक नवम्बर 2021 दिन सोमवार को राज्य के समस्त शासकीय कार्यालयों, संस्थाओं के लिए स्थानीय अवकाश घोषित किया गया है। इस संबंध में छत्तीसगढ़ सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 30 अक्टूबर को आदेश जारी कर दिया गया है।
रायपुर /शौर्यपथ/
जनसम्पर्क संचालनालय रायपुर में पदस्थ भृत्य श्री भगवानदीन ने लगभग 34 साल 10 महीने की सेवा शासकीय सेवा अवधि पूर्ण करने के बाद आज सेवानिवृत्त हुए। भगवानदीन ने परिवहन विभाग में 01 जनवरी 1987 से भृत्य के पद से अपनी सेवाएं प्रारंभ की। उन्होंने जनसंपर्क विभाग में कुल 12 वर्षों तक सेवाएं दी। इस मौके पर रायपुर छोटापारा स्थित जनसम्पर्क संचालनालय में आयोजित समारोह में विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों ने उनके सुदीर्घ और स्वस्थ जीवन की कामना करते हुए उन्हें भावभीनी विदाई दी।
अपर संचालक जवाहर लाल दरियो ने भगवानदीन के सेवाभाव की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने अपने दायित्वों का भलीभांति निर्वहन किया। इस अवसर पर अपर संचालक उमेश मिश्रा, संयुक्त संचालक सर्वश्री संजीव तिवारी, आलोक देव, संतोष मौर्य, पवन गुप्ता, उप संचालक सर्वश्री हीरा देवांगन, ललित चतुर्वेदी, सहायक संचालक सर्वश्री नसीम अहमद खान, घनश्याम केशरवानी, प्रेमलाल पटेल, सहायक जनसंपर्क अधिकारी लिबनुस किस्पोट्टा, अधीक्षक कमल मेहर सहित जनसम्पर्क संचालनालय के अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे।