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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।
कोई भी स्कूल अब शिक्षक विहीन नही
एकल शिक्षकीय स्कूलों में 80 फीसद की गिरावट
10,372 स्कूलों का एकीकरण, शिक्षकों का व्यापक युक्तियुक्तकरण
छात्रों को मिलेगी बेहतर शैक्षणिक सुविधा
रायपुर/शौर्यपथ / राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता और पहुंच को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने स्कूलों और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की एक व्यापक और सार्थक पहल की है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 और शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के प्रावधानों के अनुरूप मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन में यह दूरगामी सुधार, वास्तव में राज्य की शिक्षा व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने और लंबे समय से चली आ रही शैक्षिक विसंगतियों के समाधान का कारगर प्रयास है।
युक्तियुक्तकरण से पहले, छत्तीसगढ़ राज्य के ग्रामीण अंचल की शालाओं में शिक्षकों की कमी, नगरीय इलाकों और उसके समीप की शालाओं में जरूरत से ज्यादा शिक्षकों की पदस्थपना के कारण शिक्षा प्रभावित हो रही थी और इसका असर बच्चों के परीक्षा परिणाम पर भी पड़ रहा था।
राज्य के लगभग 212 प्राथमिक शालाएं और 48 पूर्व माध्यमिक शालाएं पूरी तरह से शिक्षक विहीन थीं, जबकि 6,872 प्राथमिक शालाएं और 255 पूर्व माध्यमिक शालाएं केवल एक शिक्षक के साथ संचालित हो रही थीं। इसके अतिरिक्त 211 शालाएं ऐसी थीं जहाँ छात्र संख्या शून्य थी, लेकिन शिक्षक पदस्थ थे। इसके अलावा, 166 शालाओं को समायोजित किया गया, इसमें ग्रामीण क्षेत्रों की 133 शालाएं शामिल थीं, जिनकी दर्ज संख्या 10 से कम थी और दूरी 1 किमी से कम थी, तथा शहरी क्षेत्रों की 33 शालाएं थीं, जिनकी दर्ज संख्या 30 से कम थी और दूरी 500 मीटर से कम थी।
इन चुनौतियों के बावजूद, छत्तीसगढ़ का छात्र-अध्यापक अनुपात (पीटीआर) राष्ट्रीय औसत से उल्लेखनीय रूप से बेहतर था, प्राथमिक शालाओं के लिए पीटीआर-20 था, जबकि राष्ट्रीय औसत 29 है और पूर्व माध्यमिक शालाओं के लिए पीटीआर-18 था, जबकि राष्ट्रीय औसत 38 है। हालांकि, वितरण असमान था। राज्य में लगभग 17,000 प्राथमिक शालाएं और लगभग 4,479 पूर्व माध्यमिक शालाएं थीं, जिनका पीटीआर-20 से कम था। अकेले शहरी क्षेत्रों में 527 ऐसे विद्यालय थे, जिनका पीटीआर-10 से कम था, जिनमें 15 या उससे अधिक शिक्षकों वाली 08 प्राथमिक शालाएं, 10-15 शिक्षकों वाली 61 शालाएं और 6-9 शिक्षकों वाली 749 प्राथमिक शालाएं थीं, ये आंकड़े बेहतर संसाधन आवंटन की जरूरत को दर्शाते हैं।
इस पहल का मुख्य बिंदु एक ही परिसर में संचालित लगभग 10 हजार 372 शालाओं का एकीकरण था, जिनमें प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक, हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूल शामिल थे। इस विलय से कई लाभ मिलने की उम्मीद है, जिनमें शाला त्यागी छात्रों की संख्या में कमी और छात्रों को बार-बार स्थानांतरण प्रमाण पत्र लेने की आवश्यकता का समाप्त होना शामिल है। यह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने, छोटी कक्षाओं के छात्रों को बड़ी कक्षाओं के छात्रों का सहयोग प्राप्त होने, और कंप्यूटर, विज्ञान प्रयोगशाला, खेल-कूद तथा सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से शैक्षणिक समझ और अभिरुचि में वृद्धि के साथ-साथ व्यक्तित्व विकास में भी सहायक होगा। इस दृष्टिकोण से प्रशासनिक व्यवस्था भी सुदृढ़ होगी।
विद्यालयों के समायोजन के साथ-साथ, जिला, संभाग और राज्य स्तर पर काउंसलिंग के माध्यम से एक महत्वपूर्ण शिक्षक युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया भी की गई। इस प्रक्रिया के तहत जिला स्तर पर लगभग 13 हजार 793 शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण किया गया। संभाग स्तर पर 863 का और राज्य स्तर पर 105 शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण किया गया।
युक्तियुक्तकरण अभियान के प्रारंभिक परिणाम अत्यधिक आशाजनक हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि शिक्षा विभाग का कहना है कि कोई भी विद्यालय बंद नहीं किया जा रहा है और कोई भी शिक्षक पद समाप्त नहीं हो रहा है। इसके बजाय ध्यान बेहतर अधोसंरचना वाले विद्यालयों का संचालन सुनिश्चित करने पर है।
युक्तियुक्तकरण के पश्चात राज्य में शिक्षक विहीन विद्यालयों की संख्या शून्य हो गई है। एकल शिक्षकीय शालाओं की संख्या में प्रभावशाली 80 प्रतिशत की कमी आई है अब लगभग 1,200 शालाएं एकल शिक्षकीय हैं। एक ही परिसर में स्थित 10,372 विद्यलायों का एकीकरण और 166 ग्रामीण एवं शहरी विद्यालयों का समायोजन पूरा हो चुका है। इससे लगभग 89 प्रतिशत विद्यार्थियों को बार-बार प्रवेश प्रक्रिया से मुक्ति मिलेगी। छात्रों को अतिरिक्त शिक्षक उपलब्ध होंगे और विद्यालय की समय सारिणी एवं अन्य गतिविधियों में अधिक एकरूपता रहेगी। इस पहल का उद्देश्य उपचारात्मक शिक्षण द्वारा छात्रों की समझ को बेहतर बनाना भी है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करके, छत्तीसगढ़ न केवल वर्तमान कमियों को दूर कर रहा है, बल्कि एक ऐसे भविष्य के लिए एक मजबूत नींव रख रहा है। जहाँ प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच प्राप्त होगी, जिससे समग्र विकास और शैक्षणिक उत्कृष्टता को बढ़ावा मिलेगा। युक्तियुक्तकरण का यह कदम एक अधिक कुशल, न्यायसंगत और प्रभावी शैक्षिक वातावरण बनाने के प्रति राज्य की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
मुख्यमंत्री के हाथों 31 मेधावी श्रमिक बच्चों को मिली 2-2 लाख की प्रोत्साहन राशि
मुख्यमंत्री ने 38 हजार श्रमिकों के खातों में ऑनलाइन अंतरित किए 19.71 करोड़ की सहायता राशि
रायपुर /शौर्यपथ /"हम श्रमिक परिवारों के सशक्तिकरण और उत्थान के लिए समर्पित भाव से कार्य कर रहे हैं। आपका स्नेह और सहयोग ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है और हम सब मिलकर एक विकसित, समृद्ध और सशक्त छत्तीसगढ़ के संकल्प को साकार करेंगे।" मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय आज राजधानी रायपुर के न्यू सर्किट हाउस में आयोजित मुख्यमंत्री नोनी बाबू मेधावी शिक्षा सहायता योजना के तहत कक्षा दसवीं और बारहवीं के टॉप 10 में स्थान पाने वाले पंजीकृत श्रमिकों के 31 मेधावी बच्चों को दो-दो लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि का वितरण कर कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल में पंजीकृत राज्य के 38 हजार 200 निर्माण श्रमिकों को विभिन्न योजनाओं के तहत 19.71 करोड़ रूपए से ज्यादा की सहायता राशि सीधे उनके बैंक खातों में हस्तांतरित की।
मुख्यमंत्री ने 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं में उत्कृष्ट परिणाम हासिल करने वाले श्रमवीरों के मेधावी बच्चों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हमारी सरकार श्रमिक परिवारों की आवश्यकताओं को भली-भांति समझती है और उनके समग्र कल्याण के लिए समर्पित भाव से कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि आज श्रमिक परिवार का बच्चा विदेश जाकर पढ़ना चाहे तो उसके लिए भी 50 लाख रुपए तक की सहायता का प्रावधान श्रम विभाग द्वारा किया गया है। श्री साय ने कहा कि हम नवाचार के साथ कदमताल करते हुए ऐसी नीतियां बना रहे हैं, जिनसे प्रदेश के युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार मिले। प्रदेश की आकर्षक उद्योग नीति का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि अब तक 5 लाख करोड़ रुपए से अधिक के निवेश प्रस्ताव राज्य सरकार को प्राप्त हो चुके हैं, जिससे बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर सृजित होंगे।
श्री साय ने श्रम मंत्रालय में केंद्रीय राज्यमंत्री के रूप में अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि श्रमिकों से मेरा विशेष लगाव है और श्रमिकों के हित में कार्य करना हमेशा संतुष्टि देता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के प्रथम कार्यकाल में दो वर्षों तक श्रम मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली थी और उनके नेतृत्व में श्रम राज्यमंत्री के रूप में श्रमिकों के पेंशन सुधार की दिशा में हमने कई ऐतिहासिक कदम उठाए और न्यूनतम पेंशन की राशि सुनिश्चित की। उन्होंने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री श्रमिकों को लेकर संवेदनशील है और उनके निर्देश पर ही श्रमिकों के प्रोविडेंट फंड (PF) में वर्षों से पड़ी लगभग 27 हजार करोड़ रुपए की अन्क्लेम्ड राशि का उपयोग उनके हित में करने का बड़ा निर्णय भी इस दौरान हमने लिया था। राज्यमंत्री के रूप में यूनिवर्सल पीएफ नंबर की शुरुआत हमारी सरकार ने की, जिससे श्रमिकों द्वारा बार-बार पीएफ राशि क्लेम करने की समस्या दूर हुई।
मुख्यमंत्री ने इस मौके पर सभी से आग्रह करते हुए कहा कि श्रम विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी अन्य ज़रूरतमंदों तक अवश्य पहुंचाएं, ताकि अधिक से अधिक श्रमिक इनका लाभ उठा सकें। उन्होंने श्रमिकों के लिए गर्म और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के साथ ही प्रदेश में संचालित अन्य कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी साझा की।
उद्योग मंत्री श्री लखन लाल देवांगन ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में प्रदेश चहुंमुखी विकास की दिशा में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि इन डेढ़ वर्षों में "मोदी की गारंटी" के तहत सभी वादों को पूरा किया गया है। उन्होंने कहा कि आज विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत 38 हजार 2 सौ श्रमिकों को 19.71 करोड़ रुपये एवं प्रवीण्य सूची में चयनित 31 विद्यार्थियों को 62 लाख रुपये की राशि प्रदान की जा रही है। श्री देवांगन ने बताया कि शहीद वीर नारायण सिंह श्रम अन्न योजना के तहत 17 जिलों के 46 केन्द्रों में श्रमिकों को 5 रुपये में भरपेट भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है और भविष्य में इसे सभी उद्योग प्रधान जिलों में लागू किया जाएगा। इसके साथ ही श्रमिकों के बच्चों के लिए निःशुल्क कोचिंग सुविधा प्रारंभ करने की जानकारी भी दी।
श्रम मंत्री ने कहा कि नई उद्योग नीति के तहत उद्योगों की स्थापना के लिए नियमों को सरल बनाया गया है , जिससे निवेश बढ़ा है एवं युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित हो रहे हैं।
छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल के अध्यक्ष डॉ. राम प्रताप सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के संकल्प के साथ प्रदेश विकास की नई ऊंचाइयों की ओर अग्रसर है। मण्डल के माध्यम से प्रदेश में 31 जनकल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही हैं, जिनमें नोनी सशक्तिकरण, महतारी जतन, श्रमिक सियान सहायता जैसी योजनाएं शामिल हैं। उन्होंने बताया कि मण्डल प्रदेश के 29.47 लाख पंजीकृत श्रमिकों और उनके परिजनों को स्वास्थ्य, शिक्षा और आर्थिक सहायता उपलब्ध करा रहा है। श्रमिक अपना पंजीकरण श्रमेव जयते ऐप, लोक सेवा केन्द्र या श्रम कार्यालय में करवा सकते हैं।
नोनी बाबू मेधावी शिक्षा सहायता योजना ने बदली मजदूर परिवार के बच्चों की ज़िंदगी
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के सामने मुख्यमंत्री नोनी बाबू मेधावी शिक्षा सहायता योजना से लाभान्वित बच्चों ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए आभार व्यक्त किया। सभी बच्चों ने कहा कि वे मजदूर और गरीब परिवारों से हैं, लेकिन इस योजना ने उन्हें पढ़ाई का अवसर दिया। यह योजना श्रमिक परिवारों के सपनों को नई उड़ान दे रही है।
सूरजपुर जिले के भैयाथान के हीरा सिंह ने बताया कि आईआईआईटी से बी टेक की पढ़ाई पूरी कर अब जूनियर डेटा साइंस डेवलपर बन चुके हैं। इस योजना से उन्हें 4.10 लाख रुपए की सहायता मिली, जिससे उनकी पढ़ाई पूरी हो पाई थी।
इसी तरह बी.टेक अंतिम वर्ष के छात्र अमलेंद्र पैंकरा ने बताया कि उनका परिवार मजदूरी कर जीवन यापन करता है और इस योजना की मदद से कॉलेज की फीस भर पा रहे हैं।
एक अन्य छात्र दीपक पैंकरा ने सूरजपुर के छोटे से गांव से आईआईआईटी, रायपुर में एडमिशन तक के अपने संघर्ष भरे सफर को साझा किया। दीपक ने बताया कि योजना के माध्यम से अपने बीटेक की पढ़ाई की फीस भर रहे हैं और योजना से उन्हें लगभग 4 लाख रुपए की सहायता प्राप्त हो चुकी है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने सभी श्रमवीरों के बच्चों को उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी।
योजनाओं और उनके लाभार्थियों की संख्या और राशि का विवरण इस प्रकार है
मिनीमाता महतारी जतन योजना अंतर्गत 1,915 श्रमिकों को 3.83 करोड़ रूपए, मुख्यमंत्री सायकल सहायता योजना अंतर्गत 279 श्रमिकों को 10.33 लाख रूपए, मुख्यमंत्री श्रमिक औजार सहायता योजना अंतर्गत 6,319 श्रमिकों को 2.19 करोड रूपए, मुख्यमंत्री सिलाई मशीन सहायता योजना अंतर्गत 12 श्रमिकों को 94 हजार 800 रूपए, मुख्यमंत्री नौनिहाल छात्रवृत्ति योजना अंतर्गत 4,825 श्रमिकों को 96.17 लाख रूपए, मुख्यमंत्री नोनी बाबू मेधावी शिक्षा सहायता योजना अंतर्गत 155 श्रमिक परिवार को 37.63 लाख रूपए, मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक दीर्घायु सहायता योजना अंतर्गत 2 श्रमिकों को 40 हजार रूपए, मुख्यमंत्री निर्माण मजदूर सुरक्षा उपकरण सहायता योजना अंतर्गत 4,939 श्रमिकों को 74.08 लाख रूपए, निर्माण श्रमिकों के बच्चे हेतु उत्कृष्ट खेल प्रोत्साहन योजना अंतर्गत 1 श्रमिक को 50 हजार रूपए, दीदी ई-रिक्शा सहायता योजना अंतर्गत 7 श्रमिकों को 7 लाख रूपए, मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक मृत्यु एवं दिव्यांग सहायता योजना अंतर्गत 264 श्रमिकों को 2.64 करोड रूपए़, मुख्यमंत्री नोनी सशक्तिकरण सहायता योजना अंतर्गत 2,486 श्रमिकों को 4.97 करोड़ रूपए, मुख्यमंत्री श्रमिक सियान सहायता योजना अंतर्गत 372 श्रमिकों को 74.40 लाख रूपए, निर्माण श्रमिकों के बच्चों हेतु निशुल्क गणवेश एवं पुस्तक कॉपी हेतु सहायता राशि योजना अंतर्गत 15,066 श्रमिकों को 2.00 करोड़ रूपए, मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक आवास सहायता योजना अंतर्गत 25 श्रमिकों को 25 लाख रूपए प्रदाय किए गए। यह पहल राज्य के निर्माण श्रमिकों और उनके परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान करने और उनके जीवन स्तर में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
इस अवसर पर श्रम विभाग की संयुक्त सचिव डॉ. फरिहा आलम, प्रभारी श्रम आयुक्त श्री एस एल जांगड़े सहित श्रम विभाग के अधिकारी कर्मचारी और श्रमिक परिवारजन मौजूद रहे।
कहा कि छत्तीसगढ़ में भारतीय मजदूर संघ की एकता सराहनी है,प्रदेश के निकायो में स्वायत्तशासी अपने अधिकारी एवं कर्मचारियों के हितो की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहता है:
दुर्ग/शौर्यपथ / भारतीय स्वायत्तशासी कर्मचारी महासंघ सम्बद्ध भारतीय मजदूर संघ का दो दिवसीय राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक अधिवेशन के शुभारंभ अवसर पर वैशालीनगर विधानसभा क्षेत्र के विधायक रिकेश सेन ने कहा कि भारतीय मजदूर संघ एक विचारधारा है इसके कार्यकर्ता जमिनी स्तर पर कार्य करने वाले होते है.दुर्ग निगम महापौर अल्का बाधमार ने कहा कि छत्तीसगढ़ में भारतीय मजदूर संघ की एकता सराहनी है. प्रदेश के निकायो में स्वायत्तशासी अपने अधिकारी एवं कर्मचारियों के हितो की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहता है. छत्तीसगढ़ में प्ररूर मात्र में खनीज सम्पदा है.प्रदेश की उन्नति और प्रगति में निकाय के कर्मचारी अपनी अहम भूमिका निभा रहे है जिसके लिए में मजदूर संघ को बधाई देती हूं.
दुर्ग के स्वामी विवेकानंद सभागार पदमनाभपुर में आयोजित किया गया है दो दिवसीय त्रैवार्षिक अधिवेशन में देश एवं प्रदेश के नगरीय निकायो में कार्यरत स्वायत्तशासी कर्मचारी महासंघ भारतीय मजदूर संघ के पदाधिकारी एवं सदस्य एकत्र हुए है।
अधिवेशन का शुभारंभ विधायक रिकेश सेन, महापौर दुर्ग अल्का बाधमार,एमआईसी ज्ञानेश्वर ताम्रकर,शशि साहू,पार्षद लोकेश्वरी ठाकुर,भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एम. पी. सिंह, सुखविन्दर सिंह डिक्की, स्वायत्तशासी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश मण्डली, महामंत्री सुरेश तिवारी, प्रदेश महामंत्री शरद दुबे, भारतीय मजदूर संघ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष श्री नारायण तिवारी, जिलाध्यक्ष मिथलेश विश्वकर्मा,जिला मंत्री हरिशंकर चतुर्वेदी,विप्णु चन्द्राकर, अमरनाथ दुबे अनिल सिह, संजय मिश्रा, ईश्वर वर्मा, शशिकान्त यादव, सत्यनारायण शर्मा, ने भगवान विश्वकर्मा भारत माता तथा दंतोपंथ ठेंगडे जी तैल्य चित्र पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्जवति कर किया.
अधिवेशन में दो दिनो तक निकायो में व्याप्त अधिकारी कर्मचारी की समस्याओ पर विचार विर्मश कर केन्द्र सरकार को प्रस्ताव प्रेषित किया जाऐगा. अधिवेशन में राजू बक्सी, गोपाल सिन्हा, कृष्णा देशमुख, रामवृक्ष यादव, रोहित बंजारे, अनिल वाजपेयी, रामबिहारी शर्मा, रामावतार साहू, रीता चतुर्वेदी, शशिभूषण मोहंती, रोहित बंजारे, संतोष कुमार सोनी सहित प्रदेश एवं देश से आये प्रतिनिधि उपस्थित रहे!
रायपुर /शौर्यपथ /छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा संचालित महिला सशक्तिकरण की योजनाएं अब धरातल पर सकारात्मक परिणाम देने लगी हैं। इसकी एक प्रेरणादायी मिसाल हैं जशपुर जिले के गम्हरिया ग्राम की श्रीमती लालमती, जिन्होंने शासन की विभिन्न योजनाओं से लाभ लेकर आत्मनिर्भरता की मिसाल कायम की है। उन्होंने अपने दृढ़ संकल्प और मेहनत से न सिर्फ स्वयं की पहचान बनाई, बल्कि गांव की अन्य महिलाओं को भी प्रेरित किया है।
श्रीमती लालमती का जीवन एक साधारण मजदूर से सफल उद्यमी बनने की कहानी है। जब वे प्रजापति गौरी स्व-सहायता समूह से जुड़ीं, तब उन्हें बिहान योजना के माध्यम से शासन की योजनाओं का लाभ मिला। उन्होंने उद्योग विभाग से लोन प्राप्त कर शटरिंग प्लेट का व्यवसाय प्रारंभ किया और बाद में जनवरी 2025 में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत ऋण लेकर अपने व्यवसाय को विस्तार दिया।
आज श्रीमती लालमती के पास 200 से अधिक शटरिंग प्लेट हैं, जो वे निजी भवनों एवं प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत निर्माणाधीन आवासों की छत ढलाई हेतु किराये पर उपलब्ध कराती हैं। फरवरी 2025 से अब तक इस व्यवसाय से उन्हें लगभग 35,000 से 40,000 रुपये की आय हुई है। यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है क्योंकि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गांव में कई मकानों का निर्माण कार्य चल रहा है।
श्रीमती लालमती ने मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि, यदि शासन की योजनाओं का साथ न होता, तो मैं आज इस मुकाम तक नहीं पहुंच पाती। शासन ने हमें हौसला दिया, साधन उपलब्ध कराए और नई राह दिखाई।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि हमारी सरकार का यह दृढ़ संकल्प है कि ग्रामीण अंचलों की महिलाएं आत्मनिर्भर बनें और आर्थिक गतिविधियों में अग्रणी भूमिका निभाएं। बिहान, मुद्रा योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी योजनाओं के माध्यम से हम महिलाओं को न केवल वित्तीय सहयोग दे रहे हैं, बल्कि उन्हें प्रशिक्षण, तकनीकी सहायता और बाज़ार तक पहुँच भी प्रदान कर रहे हैं। श्रीमती लालमती जैसी महिलाएं छत्तीसगढ़ की नई सामाजिक-आर्थिक चेतना की प्रतीक हैं।छत्तीसगढ़ शासन की प्राथमिकता है कि हर महिला अपने पैरों पर खड़ी हो, सम्मान के साथ जीवन जिए और दूसरों के लिए प्रेरणा बने।
छत्तीसगढ़ में शिक्षा का नया सूर्योदय अब कोई स्कूल शिक्षक विहीन नहीं
एकल शिक्षकीय शालाओं की संख्या में हुई 80 प्रतिशत की कमी
रायपुर/शौर्यपथ छत्तीसगढ़ राज्य ने शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए एक नया आयाम स्थापित किया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के कुशल नेतृत्व और दूरदर्शी नीति के चलते आज प्रदेश का प्राथमिक से लेकर हायर सेकण्डरी तक कोई भी स्कूल शिक्षक विहीन नहीं रह गया है। राज्य की एकल शिक्षकीय शालाओं की संख्या में 80 प्रतिशत की कमी आई है।
यह परिवर्तन युक्तियुक्तकरण के माध्यम से संभव हो सका है, जिसका उद्देश्य राज्य के शैक्षणिक संसाधनों का न्यायसंगत उपयोग, शिक्षकों की तर्कसंगत पदस्थापना और शिक्षा के अधिकार अधिनियम व नई शिक्षा नीति की भावना के अनुरूप शालाओं में आवश्यकता के अनुरुप शिक्षकों की पदस्थापना रहा है ।
गौरतलब है कि युक्ति -युक्त करण से पर्व प्रदेश में 453 विद्यालय शिक्षक विहीन और 5936 विद्यालयों में मात्र एक ही शिक्षक पदस्थ था। विशेषकर सुकमा, नारायणपुर और बीजापुर जैसे दूरस्थ और संवेदनशील जिलों में यह समस्या अधिक थी।
इस विसंगति को दूर करने के लिए राज्य सरकार ने जिला, संभाग और राज्य स्तर पर तीन चरणों में शिक्षकों की काउंसलिंग की प्रक्रिया चलाई। इसके परिणामस्वरूप, आज प्रदेश का कोई भी स्कूल शिक्षक विहीन नहीं है और सभी हाई स्कूलों में न्यूनतम आवश्यक शिक्षक नियुक्त किए जा चुके हैं।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने युक्ति- युक्तकरण के जरिये स्कूलों में शैक्षिक व्यवस्था को बेहतर बनाने के प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि हमने यह ठान लिया था कि छत्तीसगढ़ में अब कोई बच्चा शिक्षक के बिना नहीं पढ़ेगा। युक्तियुक्तकरण के माध्यम से हम न केवल शिक्षा के अधिकार अधिनियम का पालन कर रहे हैं, बल्कि एक मजबूत और समान शिक्षा प्रणाली की नींव भी रख रहे हैं। यह सिर्फ स्थानांतरण नहीं, यह शिक्षा में न्याय की पुनर्स्थापना है।
मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया है कि एकल शिक्षकीय शालाओं की स्थिति में सुधार सरकार की प्राथमिकताओं में है और आगामी महीनों में पदोन्नति और नई नियुक्तियों के माध्यम से इन विद्यालयों में अतिरिक्त शिक्षक भेजे जाएंगे।
राज्य सरकार अब उन 1207 प्राथमिक विद्यालयों पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जहां अभी भी एक शिक्षक है। इसके समाधान हेतु प्राथमिक शाला प्रधान पाठकों की पदोन्नति, शिक्षकों की पदस्थापना तथा भर्ती प्रक्रिया को प्राथमिकता देने की रणनीति बनाई गई है।
राज्य में एकल शिक्षक वाले प्राथमिक विद्यालयों में बस्तर जिले में 283, बीजापुर 250,सुकमा 186,मोहला -मानपुर - चौकी 124,कोरबा 89, बलरामपुर 94,नारायणपुर 64,धमतरी 37,सूरजपुर 47,दंतेवाड़ा 11,अन्य जिले में मात्र 22 शालाएं है। इन शालाओं में जल्द ही आवश्यकता के अनुसार शिक्षकों की तैनाती की जाएगी।
छत्तीसगढ़ सरकार का यह प्रयास शिक्षा को समावेशी बनाने और हर बच्चे को शिक्षा प्राप्त करने का समान अवसर उपलब्ध कराना है। इस पूरी प्रक्रिया ने यह साबित किया है कि युक्तियुक्तकरण केवल प्रशासनिक कवायद नहीं, बल्कि यह एक सामाजिक न्याय आधारित शिक्षा सुधार है, जिसके केंद्र में हर बच्चा, हर गांव, हर स्कूल है।
रायपुर /शौर्यपथ /छत्तीसगढ़ राज्य अब केवल खनिज और कृषि प्रधान राज्य नहीं रह गया है, बल्कि तकनीकी नवाचार और रणनीतिक उद्योगों का नया गढ़ बनकर उभरने की दिशा में अग्रसर है। इस परिवर्तन की आधारशिला मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में रखी गई है, जिन्होंने न केवल राज्य की औद्योगिक नीतियों को समकालीन और रोजगारोन्मुख बनाया, बल्कि रक्षा, एयरोस्पेस और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में निवेश को आकर्षित करने के लिए ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं।
मुख्यमंत्री साय की अध्यक्षता में हाल ही में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में इन उन्नत प्रौद्योगिकी क्षेत्रों के लिए पृथक औद्योगिक प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की गई। यह पैकेज न केवल इन क्षेत्रों में निवेश को आकर्षित करेगा, बल्कि राज्य के युवाओं के लिए सेवा और रोजगार के अवसरों के नए द्वार भी खोलेगा।
छत्तीसगढ़ औद्योगिक विकास नीति 2024-30 के अंतर्गत तैयार किया गया यह विशेष पैकेज अत्याधुनिक उद्योगों की स्थापना और विस्तार को प्रोत्साहन देने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। रक्षा, एयरोस्पेस और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से जुड़े उद्यमों को स्थायी पूंजी निवेश के आधार पर 100 प्रतिशत तक की एसजीएसटी प्रतिपूर्ति या वैकल्पिक रूप से पूंजी अनुदान की सुविधा दी जाएगी। 50 करोड़ से लेकर 500 करोड़ से अधिक के निवेश करने वाली इकाइयों के लिए 35 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाएगी, जिसकी अधिकतम सीमा 300 करोड़ रुपये तक तय की गई है। इसके साथ ही, निवेशकों को ब्याज अनुदान, विद्युत शुल्क में छूट, स्टाम्प और पंजीयन शुल्क में रियायतें, भूमि उपयोग परिवर्तन शुल्क में छूट, रोजगार सृजन पर आधारित प्रोत्साहन, ईपीएफ प्रतिपूर्ति और प्रशिक्षण अनुदान जैसी सुविधाएं भी दी जाएंगी।
इस नीति का सबसे प्रभावशाली पहलू यह है कि इसमें स्थानीय युवाओं के लिए स्थायी रोजगार सृजन को प्राथमिकता दी गई है। जो उद्योग छत्तीसगढ़ के निवासियों को पहली बार रोजगार देंगे, उन्हें दिए गए वेतन का 20 प्रतिशत तक अनुदान भी मिलेगा। यह राज्य सरकार की उस सोच का परिणाम है, जिसमें ‘विकास’ केवल आंकड़ों तक सीमित न रहकर आम जनता के जीवनस्तर में वास्तविक सुधार का माध्यम बने।
रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास की स्थापना पर व्यय का 20 प्रतिशत तक अनुदान, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना पर पूंजी निवेश अनुदान तथा ड्रोन प्रशिक्षण केंद्रों के लिए विशेष सहायता जैसी व्यवस्थाएं राज्य को प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर और अग्रणी बनाएंगी। जो इकाइयां 1000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करेंगी या 1000 से अधिक लोगों को रोजगार देंगी, उन्हें अतिरिक्त औद्योगिक प्रोत्साहन भी मिलेगा। इससे वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर की बड़ी कंपनियों को राज्य में निवेश हेतु प्रोत्साहन मिलेगा।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का मानना है कि छत्तीसगढ़ में औद्योगिक निवेश के नए अवसरों के साथ ही रोजगार, तकनीकी शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार का एक समेकित पारिस्थितिकी तंत्र तैयार किया जाए। छत्तीसगढ़ का युवा केवल नौकरी खोजने वाला न बने, बल्कि नौकरी देने वाला भी बने। यह औद्योगिक नीति मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसे राष्ट्रीय अभियानों के अनुरूप राज्य को नई पहचान दिलाने की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। छत्तीसगढ़ अब पारंपरिक उद्योगों से आगे बढ़ते हुए रक्षा और एयरोस्पेस जैसे उच्च तकनीक क्षेत्रों में निवेश का गंतव्य बनता जा रहा है। यह न केवल राज्य की आर्थिक समृद्धि को गति देगा, बल्कि छत्तीसगढ़ के युवाओं को सपनों की नई ऊंचाई तक ले जाने का मार्ग भी खोलेगा।
मुख्यमंत्री साय भव्य निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर में हुए शामिल: सिंधी समाज की सेवा भावना को मुख्यमंत्री ने सराहा
रायपुर /शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि अच्छा स्वास्थ्य ही जीवन की सबसे बड़ी संपदा है। यदि हम संतुलित आहार लें, नियमित रूप से व्यायाम करें और समय-समय पर स्वास्थ्य की जांच कराएं, तो अनेक बीमारियों से बचा जा सकता है। मुख्यमंत्री आज राजधानी रायपुर के केनाल रोड स्थित झूलेलाल धाम में आयोजित भव्य निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर को संबोधित कर रहे थे।
पूज्य बाबा गुरुदास राम साहेब जी की 94वीं जयंती के अवसर पर इस स्वास्थ्य शिविर का आयोजन पूज्य शदाणी सेवा मंडल, पूज्य बाबा गरीबदास सेवा मंडल, पूज्य छत्तीसगढ़ सिंधी पंचायत, भारतीय सिंधु सभा तथा पूज्य कंधकोट पंचायत द्वारा स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से किया गया। शिविर में बड़ी संख्या में नागरिकों ने स्वास्थ्य जांच कराई और आयुष्मान कार्ड भी बनवाए। शिविर में विशेषज्ञ डॉक्टरों ने अपनी सेवाएं प्रदान की।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि आज की अनियमित जीवनशैली, मिलावटी खानपान और प्रदूषित वातावरण के कारण बीपी और डायबिटीज जैसी बीमारियाँ अब आम हो चुकी हैं। यहां तक कि ग्रामीण क्षेत्रों के मेहनतकश लोग भी अब इन बीमारियों से अछूते नहीं हैं। ऐसे में इस तरह के स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन अत्यंत सराहनीय पहल है।
मुख्यमंत्री साय ने सिंधी समाज की सेवा भावना की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह समाज प्रारंभ से ही सामाजिक सरोकारों में अग्रणी रहा है। उन्होंने स्मरण करते हुए कहा कि जब वे रायगढ़ से सांसद थे, तब से वे सिंधी समाज के विभिन्न कार्यक्रमों में सम्मिलित होते रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य अपने रजत जयंती वर्ष में प्रवेश कर चुका है और इस अवधि में स्वास्थ्य सहित सभी क्षेत्रों में चौतरफा विकास हुआ है। स्वास्थ्य सुविधाओं के लिहाज से छत्तीसगढ़ आज मेडिकल हब के रूप में उभर रहा है। राज्य निर्माण के समय जहाँ केवल एक मेडिकल कॉलेज था, वहीं अब शासकीय एवं निजी क्षेत्र मिलाकर 15 मेडिकल कॉलेज संचालित हो रहे हैं। निजी क्षेत्र में सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों की स्थापना भी हुई है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पतालों की चिकित्सा व्यवस्थाएं सुदृढ़ हुई हैं। हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर भी प्रारंभ किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि आम नागरिकों को बेहतर इलाज की सुविधा देने हेतु केंद्र और राज्य सरकार द्वारा अनेक जनकल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा शुरू की गई आयुष्मान भारत योजना के तहत गरीबों को 5 लाख रुपये तक का निःशुल्क उपचार उपलब्ध कराया जा रहा है। साथ ही, 70 वर्ष से अधिक आयु के सभी नागरिकों को वय वंदन योजना के अंतर्गत इलाज हेतु 5 लाख रुपये तक की सहायता दी जा रही है। इसी प्रकार, राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री विशेष सहायता योजना के अंतर्गत गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए 25 से 30 लाख रुपये तक की सहायता प्रदान की जाती है। मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान से भी पात्र मरीजों को आर्थिक सहायता दी जाती है।
मुख्यमंत्री ने अंत में स्वास्थ्य शिविर के संयोजक अमित चिमनानी एवं शिविर में सेवा प्रदान करने वाले डॉक्टरों को सम्मानित किया।
इस अवसर पर विधायक गुरु खुशवंत साहेब, धमतरी महापौर रामू रोहरा, छत्तीसगढ़ राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. वर्णिका शर्मा, कार्यक्रम संयोजक अमित चिमनानी, भारतीय सिंधु सभा के अध्यक्ष लधाराम जी, छत्तीसगढ़ सिंधी पंचायत के अध्यक्ष महेश दरयानी सहित सिंधी समाज के सेवादार, विशेषज्ञ डॉक्टर एवं बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित थे।
रायपुर /शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से आज मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में पं. श्री रविशंकर महाराज रावतपुरा सरकार जी ने सौजन्य मुलाकात की। इस दौरान श्री साय ने उन्हें कोसा वस्त्र एवं बेल मेटल से बने स्मृति चिन्ह भेंटकर आत्मीय स्वागत किया।
प्रमोशन की प्रतीक्षा में रिटायर हो रहे अधिकारी, नीचे ग्रेड के कर्मचारियों को सौंपा जा रहा शीर्ष पद का कार्यभार
कोंडागांव/रायपुर | शौर्यपथ न्यूज
छत्तीसगढ़ में नगरीय प्रशासन व्यवस्था की हालत चिंताजनक होती जा रही है। नगरपालिकाओं और नगर पंचायतों में वर्षों से स्थायी सीएमओ (मुख्य नगरपालिका अधिकारी) की नियुक्ति नहीं की गई है। हालत यह है कि जिन पदों पर अनुभवी अधिकारियों को बैठना चाहिए, वहां आज सहायक राजस्व निरीक्षक, बाबू और मोहर्रिर जैसे निचले दर्जे के कर्मचारी कुर्सी संभाल रहे हैं।
कोंडागांव जिले की बात करें तो जिला मुख्यालय जैसे महत्वपूर्ण नगरपालिका में एक सहायक राजस्व निरीक्षक को सीएमओ पद की जिम्मेदारी सौंप दी गई है, जबकि फरसगांव जैसी नगर पंचायत में पूर्णकालिक सीएमओ पदस्थ है। इससे न केवल वरिष्ठता का अपमान हो रहा है, बल्कि योग्य अफसर प्रमोशन की आस में रिटायर होते जा रहे हैं।
? 87 नगरीय निकायों में सीएमओ का पद रिक्त
प्रदेश की 87 नगरपालिकाएं और नगर पंचायतें इस समय स्थायी सीएमओ विहीन हैं। नगरीय प्रशासन विभाग ने नियमों और वरिष्ठता को ताक पर रखकर प्रशासन को 'जुगाड़ व्यवस्था' से चलाना शुरू कर दिया है। इन पदों पर योग्य अफसरों की नियुक्ति की जगह 4-5 ग्रेड नीचे के कर्मचारियों को प्रभारी बनाकर बिठा दिया गया है।
? 10 जिला मुख्यालयों में भी वही हाल
दंतेवाड़ा, जशपुर, नारायणपुर, सुकमा, खैरागढ़, सारंगढ़, बलरामपुर, सूरजपुर, मनेंद्रगढ़ और कोंडागांव जैसे प्रमुख जिला मुख्यालयों में भी यही स्थिति बनी हुई है। इनमें कहीं बाबू, तो कहीं सहायक राजस्व निरीक्षक “सीएमओ” की कुर्सी संभाल रहे हैं।
? सीएमओ और बाबू में पांच ग्रेड का अंतर
सीएमओ पद का ग्रेड पे 5400 होता है, जबकि जिन कर्मचारियों से कार्य कराया जा रहा है उनका ग्रेड पे केवल 1900 या 2200 है। इसका मतलब यह हुआ कि बिना पर्याप्त प्रशासनिक अनुभव और अधिकार क्षेत्र वाले कर्मचारियों को मनमाने ढंग से ऊंचे पदों पर बैठा दिया गया है।
? प्रश्न उठता है:
क्या छत्तीसगढ़ शासन के पास योग्य CMO कैडर के अधिकारी नहीं हैं?
क्यों वरिष्ठ अधिकारियों की अनदेखी कर निचले दर्जे के कर्मचारियों को जिम्मेदारी दी जा रही है?
क्या यह प्रशासनिक क्षमता के साथ खिलवाड़ नहीं है?
✍️ निष्कर्ष:
छत्तीसगढ़ की नगरीय निकायों में कुर्सी नहीं, सिफारिशें काम कर रही हैं। जिससे ना सिर्फ प्रशासन की साख गिर रही है, बल्कि योग्य अधिकारियों में हताशा भी फैल रही है। सरकार यदि समय रहते इस ओर ध्यान नहीं देती तो आने वाले समय में शहरी प्रशासन में जवाबदेही और पारदर्शिता की उम्मीद करना बेमानी होगा।
बीजापुर। शौर्यपथ न्यूज।
जिला मुख्यालय बीजापुर में पुराना बस स्टैंड स्थित किशोर होटल एक बार फिर सुर्खियों में है, इस बार वजह बनी है एक समोसे में निकला मानव बाल, जिसने उपभोक्ताओं को चौंका दिया है और वॉट्सऐप ग्रुपों पर जन आक्रोश को भड़का दिया है। भोजन की थाली में बाल मिलने की यह घटना केवल एक लापरवाही नहीं, बल्कि होटल संचालन में गंदगी और प्रशासनिक मिलीभगत की खुली तस्वीर पेश करती है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि होटल कर्मियों द्वारा सिर पर कैप पहनने जैसे बुनियादी सुरक्षा नियमों की भी धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं, और यह लापरवाही खाद्य सुरक्षा विभाग की अनदेखी और संभवत: 'मोटी रकमÓ के लेन-देन का परिणाम है। लोगों ने आरोप लगाया है कि फूड इंस्पेक्टर ने अब तक न तो कोई निरीक्षण किया और न ही किसी प्रकार की सख्त कार्रवाई की।
जनता सवाल पूछ रही है कि जब नियम स्पष्ट हैं—खाद्य निर्माण में स्वच्छता और कर्मचारियों द्वारा हेड कवर पहनना अनिवार्य है—तो ऐसे होटल कैसे बेरोकटोक चल रहे हैं?
विशेषज्ञों का कहना है कि बाल जैसे बाहरी तत्व के गले में फंसने से स्वास अवरोध और जान जाने तक का खतरा हो सकता है, ऐसे में इसे मामूली लापरवाही नहीं माना जा सकता।
जनता की मांग — अब होटल मालिक नहीं,
सबसे पहले भ्रष्ट फूड इंस्पेक्टर पर हो कार्रवाई!
क्या शासन ऐसे मामलों में सिर्फ खानापूर्ति करेगा या जिम्मेदार अधिकारियों को निलंबन व विभागीय जांच की राह दिखाएगा? यह देखने वाली बात होगी।
जगदलपुर, शौर्यपथ। कलेक्टर हरिस एस के निर्देशानुसार खनिज विभाग के जांच दल द्वारा 09 जून को ग्राम बनियागांव में अवैध उत्खनन के सूचना प्राप्त होने पर मौके पर 01 चैन माऊण्टेन गशीन को जप्त कर थाना प्रभारी नगरनार की अभिरक्षा में दी गई है। मौके पर उपस्थित ग्रामीणों को समझाईस दी गई कि अवैध रेत उत्खनन, परिवहन की रोकथाम में सहयोग करें तथा अवैध उत्खनन-परिवहन की सूचना भी विभाग को दें। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशानुसार वर्षा काल में 10 जून से 15 अक्टूबर 2025 तक रेत उत्खनन बंद रखा गया है। इसी प्रकार विगत दिनों से अब तक बस्तर जिला अंतर्गत ग्राम तिरथुम, सोनारपाल, फरसागुड़ा, केशलुर, नलपावंड क्षेत्रों का औचक निरीक्षण में अवैध रूप से गौण खनिज का 05 वाहनों में अवैध परिवहन,उत्खनन, भण्डारण करते पाये जाने पर परिवहनकर्ताओं और उत्खन्नकर्ताओं के विरुद्ध गौण खनिज का अवैध परिवहन कर रहे वाहनों का प्रकरण दर्ज करते हुये पुलिस अभिरक्षा में दी गई है। वाहनों को खनिज मय जप्त कर पुलिस अभिरक्षा में सौंपते हुए वाहन मालिकों के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही किया जा रहा है। इसमें एक प्रकरण पर जप्ती की कार्यवाही अनुविभागीय अधिकारी (रा०) तोकापाल द्वारा की गई है। शेष प्रकरण में कार्यवाही के दौरान जिला खनिज जांच उड़नदस्ता दल के खनि अधिकारी शिखर चेरपा, खनि निरीक्षक गिदुल गुहा तथा खनि सिपाही डिकेश्वर खरे, सीताराम नेताम, विकास नायक, जलंधर बघेल, महादेव सेठिया, संतोष सहारा उपस्थित थे। उपरोक्त सभी प्रकरणों में छत्तीसगढ़ गौण खनिज नियमावली 2015 के नियम 71 सहपठित खान एवं खनिज (विकास तथा विनियमन) अधिनियम 1957 की धारा 21 के अंतर्गत दण्डात्मक कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी।
रायपुर / शौर्यपथ / प्रदेश की पुलिस व्यवस्था को और अधिक जनसुलभ, पारदर्शी और संवादात्मक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। उपमुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री श्री विजय शर्मा के निर्देश के पश्चात अब राज्य की पुलिस कार्यप्रणाली में प्रयुक्त होने वाले कठिन, पारंपरिक एवं आम नागरिकों की समझ से बाहर उर्दू-फारसी शब्दों को हटाकर उनकी जगह पर सहज और प्रचलित हिंदी शब्दों का उपयोग किया जाएगा।
उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने स्पष्ट रूप से कहा है कि आम नागरिक जब किसी शिकायत, अपराध सूचना अथवा अन्य कार्य से थाने जाता है, तो वह अक्सर पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर या अन्य दस्तावेजों की भाषा को लेकर असमंजस में रहता है। अन्य भासाओ के शब्द आम लोगों के लिए अनजाने होते हैं, जिससे वे न तो अपनी बात ठीक से समझा पाते हैं और न ही पूरी प्रक्रिया को ठीक से समझ पाते हैं। उन्होंने कहा कि यदि पुलिस का उद्देश्य नागरिकों की सहायता और सुरक्षा है, तो उसकी भाषा भी ऐसी होनी चाहिए जो नागरिकों की समझ में आए और उनके विश्वास को बढ़ाए।
उपमुख्यमंत्री के निर्देशानुसार पुलिस महानिदेशक द्वारा सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को एक आधिकारिक पत्र जारी किया गया है, जिसमें स्पष्ट रूप से निर्देशित किया गया है कि पुलिस की व्यवहारिक कार्यवाहियों में प्रयुक्त कठिन, पारंपरिक शब्दों को सरल और स्पष्ट हिंदी में बदला जाए। इसके लिए एक शब्द सूची भी तैयार की गई है, जिसमें पुराने कठिन शब्दों के स्थान पर उपयोग किए जाने योग्य सरल विकल्प सुझाए गए हैं।
इस पत्र में यह भी निर्देशित किया गया है कि सभी अधीनस्थ अधिकारियों को इस विषय में अवगत कराया जाए तथा यह सुनिश्चित किया जाए कि यह आदेश केवल औपचारिकता भर न रहे, बल्कि इसका वास्तविक कार्यान्वयन प्रदेश की प्रत्येक पुलिस चौकी, थाने और कार्यालय में दिखे।
छत्तीसगढ़ पुलिस अब केवल कानून का पालन कराने वाली संस्था न होकर जनसंवाद का माध्यम भी बनेगी। भाषा के इस सरलीकरण से शिकायतकर्ता को अपनी बात स्पष्ट रूप से कहने, सुनने और समझने में सुविधा होगी। एफआईआर जैसी प्रक्रिया, जो अब तक केवल अधिवक्ताओं या पुलिस कर्मियों की समझ में आती थी, वह अब आम नागरिक के लिए भी बोधगम्य हो सकेगी।
1 अदम तामील-सूचित न होना
2 इन्द्राज -टंकन
3 खयानत-हड़पना
4 गोश्वारा-नक्शा
5 दीगर-दूसरा
6 नकबजनी -सेंध
7 माल मशरूका लूटी-चोरी गई सम्पत्ति
8 मुचलका-व्यक्तिगत बंध पत्र
9 रोजनामचा-सामान्य दैनिकी
10 शिनाख्त-पहचान
11 शहादत-साक्ष्य
12 शुमार-गणना
13 सजायाफ्ता- दण्ड प्राप्त
14 सरगना -मुखिया
15 सुराग -खोज
16 साजिश -षडयंत्र
17 अदालत दिवानी -सिविल न्यायालय
19 फौजदारी अदालत- दांडिक न्यायालय
20 इकरार नामा -प्रतिज्ञापन
21 बनाम विक्रय -पत्रक
22 इस्तिफा -त्याग-पत्र
23 कत्ल-हत्या
24 कयास -अनुमान
25 खसरा क्षेत्र- पंजी
26 खतौनी -पंजी
27 गुजारिश -निवेदन
28 जब्त -कब्जे में लेना
29 जमानतदार -प्रतिभूति दाता
30 जमानत -प्रतिभूति
31 जरायम- अपराध
32 जबरन -बलपूर्वक
33 जरायम पेशा -अपराधजीवी
34 जायदादे मशरूका -कुर्क हुई सम्पत्ति
35 दाखिलखारिज- नामांतरण
36 सूद -ब्याज
37 हुजूर -श्रीमान/महोदय
38 हुलिया -शारीरिक लक्षण
39 हर्जाना क्षति-प्रतिपूर्ति
40 हलफनामा-शपथ-पत्र
41 दफा- धारा
42 फरियादी -शिकायतकर्ता
43 मुत्तजर्रर -चोट
44 इत्तिलानामा- सूचना पत्र
45 कलमबंद करना -न्यायालय के समक्ष कथन
46 गैरहाजिरी -अनुपस्थिति
47 चस्पा- चिपकाना
48 चश्मदीद- प्रत्यक्षदर्शी
49 जलसाजी- कूटरचना
50 जिला बदर -निर्वासन
51 जामतलाशी -वस्त्रों की तलाशी
52 वारदात- घटना
53 साकिन- पता
54 जायतैनाती- नियुक्ति स्थान
55 हाजा स्थान-परिसर
56 मातहत -अधीनस्थ
57 जेल हिरासत -कब्जे में लेना
58 फौती -मृत्यु सूचना
59 इस्तगासा- छावा
60 मालफड -जुआ का माल मौके पर बरामद होना
61 अर्दली -हलकारा
62 किल्लत मुलाजमान- कर्मगण की कमी
63 तामील कुनन्दा- सूचना करने वाला
64 इमदाद -मदद
65 नजूल -राज भूमि
66 फरार -भागा हुआ
67 फिसदी- प्रतिशत
68 फेहरिस्त -सूची
69 फौत- मृत्यु
70 बयान- कथन
71 बेदखली-निष्कासन
72 मातहत- अधीन
73 मार्फत- द्वारा
74 मियाद -अवधी
75 रकबा-क्षेत्रफल
76 कास्तकार- कृषक
77 नाजिर -व्यवस्थापक
78 अमीन राजस्व -कनिष्ठ अधिकारी
79 राजीनामा -समझौता पत्र
80 वारदात -घटना
81 संगीन -गंम्भीर
82 विरासत -उत्तराधिकार
83 वसियत- हस्तांन्तरण लेख
84 वसूली -उगाही
85 शिनाख्त- पहचान
86 सबूत साक्ष्य-प्रमाण
87 दस्तावेज- अभिलेख
88 कयास -अनुमान
89 सजा -दण्ड
90 सनद -प्रमाण पत्र
91 सुलहनामा-समझौता पत्र
92 अदम चौक- पुलिस असंज्ञेय हस्ताक्षेप, अगोग्य अपराध की सूचना
93 कैदखाना- बंदीगृह
94 तफतीश/तहकीकात -अनुसंधान/जाँच/विवेचना
95 आमद/रवाना/रवानगी-आगमन, प्रस्थान
96 कायमी-पंजीयन
97 तेहरीर- लिखित या लेखीय विवरण
98 इरादतन- साशय
99 खारिज/खारिजी/रद्द निरस्त/निरस्तीकरण
100 खून आलुदा रक्त-रंजित/रक्त से सना हुआ
101 गवाह/गवाहन- साक्षी/साक्षीगण
102 गिरफ्तार/हिरासत -अभिरक्षा
103 तहत् -अंतर्गत
104 जख्त, जख्मी, मजरूब -चोट/घाव घायल/आहत
105 दस्तयाब -खोज लेना/बरामत
106 मौका ए वारदात-घटना स्थल
107 परवाना- परिपत्र/अधिपत्र
108 फैसला- निर्णय
109 हमराह -साथ में
17 प्रतिशत नमक घोल से बीज उपचार एवं आगामी खरीफ सीजन की तैयारी हेतु कृषकों को दी गई जानकारी
किसानों को फसल चक्र परिवर्तन को अपनाने से होने वाले फायदे के बारे में बताया गया
उन्नत कृषि तकनीक, आधुनिक कृषि उपकरणों, केंद्र एवं राज्य सरकार की विभिन्न लाभकारी योजनाओं की दी गई जानकारी
राजनांदगांव /शौर्यपथ /विकसित कृषि संकल्प अभियान अंतर्गत राजनांदगांव विकासखंड के ग्राम साकरा एवं ईरा में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में किसानों को कृषि विभाग, पशुपालन विभाग एवं उद्यान विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी गई। इसके साथ ही कृषि विज्ञान केन्द्र सुरगी के वैज्ञानिकों द्वारा बीज उत्पादन, 17 प्रतिशत नमक घोल से बीज उपचार एवं आगामी खरीफ सीजन की तैयारी हेतु कृषकों को विस्तृत जानकारी दी गई। कार्यक्रम में उप संचालक कृषि श्री नागेश्वर लाल पाण्डेय, सरपंच, पंच, कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक एवं कृषकगण उपस्थित थे।
शिविर में किसानों को जानकारी देते हुए बताया गया कि प्राकृतिक खेती में फसलों के पोषक तत्व की आपूर्ति हेतु जीवाणु खाद फसल अवशेष और प्रकृति में उपलब्ध खनिज जैसे रॉक फास्फेट का उपयोग किये जाते हैं। इनके खेत में उपयोग से मिट्टी में पोषक तत्वों की वृद्धि के साथ-साथ जैविक गतिविधियों का विस्तार होता है। प्राकृतिक खेती में बीजामृत, घनजीवामृत, जीवामृत, नीमास्त्र, ब्रह्मास्त्र, अग्नि अस्त्र, दशपर्णी अर्क का उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही जैविक खेती में जैव उर्वरक अंतर्गत नील हरित काई, राइजोबियम कल्चर, एजोस्पाइरिलम, एजोटोबैक्टर, स्पूर घोलक जीवाणु (पीएसबी), कचरा अपघटक का उपयोग किया जाता है। किसानों को पोषक तत्वों से भरपूर लघु धान्य फसलों के बढ़ती मांग को देखते हुए रागी, कोदो, कुटकी की फसलों के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया गया। किसानों को बताया गया कि आधुनिक जीवन शैली में बीमारियों मधुमेह, अल्सर, ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमरियों को रोकने के लिए लघु धान्य फसल पौष्टिक एवं गुणकारी है। किसानों को धान के बदले अन्य फसल लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। फसल चक्र परिवर्तन को अपनाने से होने वाले फायदे के संबंध में बताया गया। फसल चक्र परिवर्तन से खरपतवारों का नियंत्रण आसानी से हो जाता है। वहीं कीटों का प्रकोप भी कम होता है।
विकसित कृषि संकल्प अभियान अंतर्गत मृदा परीक्षण के फायदों के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया कि किसानों को अपने खेतों का मृदा का परीक्षण अवश्य कराना चाहिए। इससे मृदा में पोषक तत्वों की कमी को देखते हुए आवश्यकता अनुसार उर्वरक का उपयोग करने से फसल उत्पादकता में वृद्धि होगी। किसानों को फसलों में पौध संरक्षण के संबंध में समुचित जानकारी देते हुए रसायनों का उचित प्रयोग करने के लिए बताया गया। उन्नत कृषि तकनीक, आधुनिक कृषि उपकरणों, केंद्र एवं राज्य सरकार की विभिन्न लाभकारी योजनाओं की जानकारी दी गई। साथ ही अभियान के दौरान खरीफ मौसम की प्रमुख फसलों की उन्नत एवं वैज्ञानिक तकनीक, बीज उपचार, धान की सीधी बुआई विधि, पशुपालन एवं उन्नत पशु नस्ल की जानकारी, आधुनिक कृषि यंत्र ट्रेक्टर, थ्रेसर, हार्वेस्टर, स्प्रेयर, राईस ट्रायर, स्ट्रा बेलर, लेजर लैंड लेवलर, ड्रोन से कीटनाशक छिड़काव, उद्यानिकी फसल, मत्स्य पालन, मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार फसल में संतुलित पोषक तत्वों का उपयोग एवं नवाचारों की विस्तृत जानकारी दी जा रही है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, मृदा स्वास्थ्य योजना, किसान क्रेडिट कार्ड योजना, सब्जी को सुरक्षित रखने के लिए पैक हाऊस के निर्माण हेतु अनुदान, संरक्षित खेती हेतु ग्रीन हाऊस स्ट्रक्चर के लिए 50 प्रतिशत की अनुदान राशि के बारे में जानकारी दी गई।