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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।
मुख्यमंत्री साय की पहल से कर्मचारियों को डिजिटल सुविधा: सेवा जानकारी अब मोबाइल एप पर अपडेट
प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को होगा लाभ: सेवानिवृत्ति, पदोन्नति और वेतन विसंगति में नहीं होगी कोई परेशानी: जीपीएफ का होगा त्वरित भुगतान
रायपुर /शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ शासन ई-गवर्नेंस के माध्यम से सुशासन को सशक्त और सहज बनाने की दिशा में लगातार कार्य कर रहा है। "डिजिटल प्रशासन - पारदर्शी समाधान" की नीति को आगे बढ़ाते हुए, प्रदेश सरकार ने अब कर्मचारियों की सेवा जानकारी को मोबाइल एप के माध्यम से अद्यतन करने की अभिनव पहल की है। यह प्रयास मुख्यमंत्री श्री साय की उस सोच को दर्शाता है जिसमें प्रत्येक कर्मचारी की सुविधा, सम्मान और अधिकार सुरक्षित हों — तेज़, सरल और भरोसेमंद प्रणाली के माध्यम से। इसी कड़ी में प्रदेश के लगभग 4 लाख सरकारी कर्मचारियों की सीआर के लिए अब फाइलें पलटने का झंझट समाप्त हो गया है।कर्मचारियों की प्रोफाइल अब एम्प्लाई कॉर्नर मोबाइल एप पर अद्यतन (अपडेट) की जाएगी। इससे सेवानिवृत्ति, पदोन्नति, वेतन विसंगति आदि के समय किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी।
नई व्यवस्था के अनुसार अब कर्मचारियों की प्रोफाइल को कार्मिक संपदा पोर्टल पर लोड और अपडेट करना अनिवार्य होगा। इसके लिए एम्प्लाई कॉर्नर मोबाइल एप और वेब पोर्टल विकसित किए गए हैं।संचालनालय कोष एवं लेखा की इस नई व्यवस्था को तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है। कर्मचारियों की सेवा संबंधी "कुंडली" को अद्यतन रखने में यह व्यवस्था अत्यंत सहायक सिद्ध होगी। हालाँकि 2019 से कार्मिक संपदा मॉड्यूल का उपयोग किया जा रहा है, किंतु यह नवीन डिजिटल प्लेटफॉर्म कर्मचारियों को उनकी व्यक्तिगत एवं सेवा संबंधी जानकारी त्वरित व सुविधाजनक रूप से उपलब्ध कराएगा।
संचालक कोष एवं लेखा रितेश अग्रवाल ने कहा कि यह पाया गया है कि कार्मिक संपदा पोर्टल पर अधिकांश कर्मचारी अपनी जानकारी अपडेट नहीं करते हैं, जिसके कारण सेवानिवृत्ति के समय उन्हें अनेक प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कार्मिक संपदा मॉड्यूल में व्यक्तिगत जानकारी अपडेट करने की जिम्मेदारी कार्यालय प्रमुख की होती है, लेकिन इसमें समय लगने के कारण असुविधाएँ उत्पन्न होती हैं। इन समस्याओं के समाधान हेतु एम्प्लाई कॉर्नर मोबाइल एप विकसित किया गया है, जो कर्मचारियों को स्वयं लॉगिन कर अपनी जानकारी अपडेट करने की सुविधा देता है।
अब सेवा संबंधी जानकारी, नामिनी परिवर्तन, बैंक खाता परिवर्तन आदि के लिए कार्यालय प्रमुख पर निर्भरता नहीं रहेगी, जिससे अनावश्यक विलंब की स्थिति में भी कमी आएगी। स्थानांतरण, वेतन निर्धारण, पदोन्नति और अन्य प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता और प्रगति सुनिश्चित होगी। साथ ही सेवा के दौरान और सेवानिवृत्ति उपरांत मिलने वाले लाभ जैसे पेंशन, जीपीएफ, उपादान, अवकाश नगदीकरण आदि प्रकरणों का शीघ्र निराकरण संभव होगा, क्योंकि संबंधित डेटा अद्यतन रहेगा।
कार्मिक संपदा एप से मिलेंगे ये प्रमुख लाभ
कर्मचारियों से प्राप्त सेवा संबंधी आवेदनों का निपटारा सक्षम अधिकारी समयबद्ध तरीके से कर सकेंगे। मॉड्यूल के अद्यतन होने से वेतन विसंगति से जुड़ी समस्याएँ कम होंगी। कर्मचारी एम्प्लाई कॉर्नर मोबाइल एप या वेब एप्लिकेशन पर लॉगइन कर जानकारी स्वयं अपडेट कर सकते हैं। प्रोफाइल अद्यतन की प्रक्रिया को सरल और सुगम बनाने के उद्देश्य से यह एप और पोर्टल तैयार किया गया है। इसके उपयोग के लिए एसओपी (Standard Operating Procedure) की जानकारी https://ekoshonline.cg.gov.in/Advertisement/sop_karmik_website_merged.pdf में दी गई है।
साथ ही, शासकीय कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति उपरांत महालेखाकार कार्यालय में अंतिम जीपीएफ दावा को पूर्णतः ऑनलाइन माध्यम से प्रस्तुत करने की व्यवस्था भी तैयार की गई है। इससे दावे के निराकरण में लगने वाला समय काफी कम हो जाएगा।
इसके अतिरिक्त, ऑनलाइन जीपीएफ क्रेडिट मिसिंग मॉड्यूल भी विकसित किया गया है, जिससे कार्यालय प्रमुख और कर्मचारी सेवा काल के दौरान मिसिंग जीपीएफ एंट्री का ऑनलाइन सुधार कर सकेंगे।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का यह स्पष्ट दृष्टिकोण है कि राज्य शासन का प्रत्येक निर्णय आम जन और कर्मचारियों के हित में हो। यह डिजिटल पहल कर्मचारियों की सेवा सुरक्षा, प्रक्रिया में पारदर्शिता और त्वरित निपटान की दिशा में एक सशक्त कदम है, जो छत्तीसगढ़ को ई-गवर्नेंस की अग्रणी श्रेणी में स्थापित करता है।
मुख्यमंत्री फाइट अगेंस्ट ग्लोबल वार्मिंग कैंपेन कार्यक्रम में हुए शामिल
रायपुर शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णु देव साय आज इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषक सभागार में आयोजित फाइट अगेंस्ट ग्लोबल वार्मिंग कैंपेन कार्यक्रम में शामिल हुए।
मुख्यमंत्री साय ने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षा, विकास का मूलमंत्र है और यह राष्ट्र के समग्र विकास की प्रारंभिक तथा अत्यंत महत्वपूर्ण कड़ी है। उन्होंने कहा कि निजी शिक्षण संस्थानों ने भी शिक्षा के विस्तार में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। श्री साय ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने देश को वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनाने का जो लक्ष्य निर्धारित किया है, उसे प्राप्त करने में हम सभी की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है। राज्य सरकार ने इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए विकसित छत्तीसगढ़ का विज़न डॉक्यूमेंट तैयार किया है और इस दिशा में निरंतर प्रयासों को गति प्रदान की जा रही है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि 25 वर्ष का छत्तीसगढ़ आज अपनी रजत जयंती मना रहा है और इस यात्रा में राज्य ने चहुंमुखी विकास की दिशा में ऐतिहासिक उपलब्धियाँ हासिल की हैं। उन्होंने कहा कि आज छत्तीसगढ़ में आईआईटी, आईआईएम, एम्स जैसे प्रतिष्ठित केंद्रीय संस्थान कार्यरत हैं, जो राज्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग की गंभीर चुनौती से जूझ रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने वर्ष 2070 तक नेट ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य तय किया है, जिसकी दिशा में देश ने तीव्र गति से कदम बढ़ाए हैं। छत्तीसगढ़ ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने की दिशा में अग्रसर है। राज्य की आकर्षक नई औद्योगिक नीति के तहत केवल ऊर्जा क्षेत्र में ही तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्राप्त हुए हैं। मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि राज्य में वृक्षारोपण का विशेष अभियान चलाया जा रहा है और विगत वर्ष चार करोड़ पौधे रोपे गए थे। राज्य सरकार "एक पेड़ माँ के नाम" और "पीपल फॉर पीपुल" जैसे नवाचार कार्यक्रमों को निरंतर जारी रखेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें नौनिहालों में पर्यावरण चेतना का विकास करना चाहिए, जिससे वे स्वच्छ, सुंदर और सुरक्षित भविष्य की नींव रख सकें। उन्होंने इस अभियान में भाग ले रहे सभी शिक्षकों और आयोजकों की सराहना की और कहा कि सामाजिक भागीदारी से ही हम शुद्ध हवा, निर्मल जल और स्वस्थ वातावरण सुनिश्चित कर सकते हैं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री साय ने संघ द्वारा आने वाले वर्षों में 11 लाख पीपल के वृक्षारोपण के संकल्प की सराहना की।
कार्यक्रम में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल, अशासकीय विद्यालय संचालक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुबोध राठी, सचिव मनोज पाण्डेय तथा अन्य प्रतिनिधिगण उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि यह कार्यक्रम छत्तीसगढ़ राज्य अशासकीय विद्यालय संचालक संघ एवं छत्तीसगढ़ राज्य गौ संरक्षण एवं संवर्धन समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया था।
जगदलपुर, शौर्यपथ। स्थानीय मां दंतेश्वरी एयरपोर्ट में उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा और वन मंत्री केदार कश्यप अपने एक दिवसीय संक्षिप्त बस्तर प्रवास में जगदलपुर आगमन पर जनप्रतिनिधियों और वरिष्ठ अधिकारियों ने आत्मीय स्वागत किया। इस दौरान पूर्व मंत्री महेश गागड़ा, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग सचिव भीम सिंह भी पहुंचे, अतिथियों का स्वागत के दौरान विधायक चित्रकोट श्रीविनायक गोयल भी साथ रहे, बस्तर आईजी सुंदरराज पी.,कलेक्टर हरिस एस, एसपी शलभ कुमार सिन्हा, जिला पंचायत सीईओ प्रतीक जैन सहित अन्य अधिकारियों द्वारा किया गया।
दुर्ग। शौर्यपथ विशेष।
दुर्ग जिले की राजनीतिक भूमि एक बार फिर हिल रही है—इस बार वजह है एक ऐसा नाम, जिसे कार्यकर्ता अपना नेता मानते थे और जनता मजदूरों की आवाज। हम बात कर रहे हैं ध्रुव कुमार ‘लंगूर’ सोनी की, जिन्होंने कांग्रेस की अनदेखी और संगठन की मनमानी नीति से आहत होकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को अलविदा कह दिया है।
कांग्रेस के लिए यह एक बड़ा झटका है, लेकिन भारतीय जनता मजदूर संघ के लिए यह संगठनात्मक मजबूती का ऐलान है। ध्रुव सोनी को भारतीय जनता मजदूर संघ ने न सिर्फ स्वीकार किया, बल्कि सीधे प्रदेश महासचिव की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंप दी, यह बताने के लिए काफी है कि जो नेता ज़मीनी होता है, उसे नजरअंदाज करना किसी संगठन की बड़ी भूल साबित हो सकती है।
?️ मजदूरों की आवाज, ध्रुव सोनी का नाम
ध्रुव कुमार सोनी सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि एक संघर्षशील कार्यकर्ता, एक जनप्रिय चेहरा और मजदूर हितों की लड़ाई का प्रतीक रहे हैं। वर्षों तक कांग्रेस के साथ रहते हुए उन्होंने पार्टी के लिए दिन-रात एक किया, लेकिन जब बदले में संगठन ने उन्हें सिर्फ उपेक्षा और चुप्पी दी, तब उन्होंने वो रास्ता चुना जहां संघर्ष को सम्मान मिलता है।
भारतीय जनता मजदूर संघ का यह कदम बताता है कि बीजेपी समर्थित संगठन न केवल कार्यकर्ताओं की काबिलियत पहचानते हैं, बल्कि उन्हें उचित मंच और सम्मान भी देते हैं। यही वजह है कि कांग्रेस की निष्क्रियता से उपजी एक नेता की नाराज़गी, अब पूरे प्रदेश के मजदूरों की ताकत बन गई है।
? कांग्रेस की रणनीतिक चूक या चाटुकारों की जीत?
ध्रुव कुमार सोनी के कांग्रेस छोड़ने के पीछे सिर्फ एक कारण नहीं—बल्कि एक सिस्टमेटिक इग्नोरेंस की परतें हैं। जिला कांग्रेस के कुछ तथाकथित मठाधीश नेताओं की चाटुकारिता आधारित राजनीति ने कई जमीनी नेताओं को हाशिए पर धकेल दिया।
जब कार्यकर्ता सिर्फ इसलिए नजरअंदाज हो, क्योंकि वह सच बोलता है और जनहित के मुद्दे उठाता है, तो वह संगठन कब तक उसके समर्पण को रोक पाएगा? आज कांग्रेस को आत्ममंथन करने की जरूरत है—क्या वे चाटुकारों की भीड़ में असली नेताओं को खो रहे हैं?
?️ अब नई जिम्मेदारी, नया संघर्ष
ध्रुव कुमार ‘लंगूर’ सोनी को भारतीय जनता मजदूर संघ छत्तीसगढ़ का प्रदेश महासचिव बनाए जाने से यह तय हो गया है कि वे अब केवल दुर्ग नहीं, पूरे प्रदेश के मजदूरों की आवाज बनेंगे। यह न सिर्फ उनके संघर्ष का सम्मान है, बल्कि उन हजारों- लाखो मजदूरों की उम्मीदों का भी विस्तार है, जो अब संगठन के माध्यम से अपनी बात बुलंद कर सकेंगे।
एक निष्कर्ष – जिन्हें दरकिनार किया गया, वही अब सबसे आगे हैं
कांग्रेस के लिए यह एक चेतावनी भी है और एक अवसर भी—चेतावनी इस बात की कि अगर जमीन से जुड़े नेताओं को नजरअंदाज किया गया तो पार्टी और अधिक खोएगी, और अवसर इस बात का कि अभी भी वक्त है, चाटुकारों से ऊपर उठकर वास्तविक कार्यकर्ताओं को पहचानें।
ध्रुव कुमार सोनी अब एक दल के नहीं, बल्कि मजदूरों के संघर्ष की पहचान हैं।
दुर्ग। शौर्यपथ। राजनितिक व्यंग
कभी कांग्रेस की गूंज से गूंजने वाला दुर्ग शहर अब सन्नाटे की गिरफ्त में है। कांग्रेस के कार्यकर्ता खुद को सत्ता में रहकर भी यतीम महसूस कर रहे हैं और मंच पर बैठे नेता कुर्सी गिनने में व्यस्त हैं। जंबो कमेटी बनी, पर आंदोलन में दिखते हैं बस कुछ ‘फिक्स’ चेहरे—जैसे कोई बासी फिल्म का री-रन।
“विरोध” अब पोस्टर तक सीमित रह गया है, जबकि कार्यकर्ता सिर्फ व्हाट्सएप ग्रुप में सक्रिय दिखाई देते हैं।
कांग्रेस की दुर्ग शहर इकाई, कभी जोश और जूनून की मिसाल मानी जाती थी, आज निष्क्रियता और गुटबाजी की भेंट चढ़ चुकी है। चुनावी हारें—विधानसभा, लोकसभा और निगम—कह रही हैं कि संगठन में कहीं कुछ बहुत ज्यादा ‘ठहर’ गया है।
इसी राजनीतिक जड़ता के बीच दुर्ग ग्रामीण कांग्रेस के अध्यक्ष राकेश ठाकुर एक अपवाद की तरह उभरे हैं। उनके नेतृत्व में संगठन की हलचलें दिखती हैं, विरोध प्रदर्शन होते हैं, नारे लगते हैं और कार्यकर्ताओं में आत्मबल लौटता दिखता है। ऐसे में कार्यकर्ताओं की यह मांग तेजी से उभर रही है कि अब दुर्ग शहर को भी एक राकेश ठाकुर चाहिए।
जिन्होंने सत्ता में मलाई खाई, वो संगठन की लड़ाई में गायब क्यों हैं?
कार्यकर्ता अब सवाल करने लगे हैं। जब सत्ता थी, तब स्टेज पर हीरो बनकर चमकने वाले नेता अब आंदोलन में “साइलेंट मोड” पर क्यों हैं? क्या कांग्रेस अब भी “अनुमोदन” और “चाटुकारिता” की राजनीति से बाहर नहीं निकल पाई?
राहुल गांधी का बयान—“बारात में नाचने वाले घोड़े नहीं, ज़मीन पर लड़ने वाले कार्यकर्ता चाहिए”—शहर कांग्रेस पर सटीक बैठता है। अब जरूरत है एक ऐसे अध्यक्ष की जो सोशल मीडिया के नेता नहीं, सड़कों के सिपाही हों। जो सिर्फ फोटो खिंचवाने के लिए नहीं, पार्टी के लिए पसीना बहाने के लिए तैयार हों।
देखना दिलचस्प होगा कि प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व अब भी “कठपुतली अध्यक्ष” के भरोसे चलता है या एक सक्रिय कार्यकर्ता नेता को संगठन की कमान सौंपता है।
कांग्रेस की वापसी सिर्फ नारों से नहीं, नेतृत्व में बदलाव से ही संभव है।
संपादकीय समाचार
लेखक – शरद पंसारी | शौर्यपथ समाचार
दुर्ग।
छत्तीसगढ़ की राजनीति में इन दिनों फिर से हलचल तेज हो गई है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार में मंत्री पद के दो स्थान अभी भी रिक्त हैं, और इसी बीच दुर्ग विधायक गजेंद्र यादव के समर्थकों द्वारा उनके जन्मदिन पर लगाए गए बधाई पोस्टरों ने सियासी चर्चाओं को एक नई दिशा दे दी है।
दुर्ग विधानसभा क्षेत्र के चौक-चौराहों पर लगे इन विशाल बधाई पोस्टरों ने जहां एक ओर विधायक की लोकप्रियता को दिखाने का प्रयास किया है, वहीं दूसरी ओर यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि क्या यह पोस्टर राजनीति मंत्री पद की दौड़ में कोई असर डाल पाएगी?
गौर करने वाली बात यह है कि पोस्टरों में शामिल कई चेहरे ऐसे लोगों के हैं जो न तो भाजपा संगठन की मूलधारा से जुड़े रहे हैं और न ही पूर्ववर्ती कांग्रेस शासन काल में किसी विरोध प्रदर्शन या जन आंदोलन में सक्रिय नजर आए। चुनाव के पहले जिन कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर संघर्ष किया, वे चेहरे अब इन बधाई पोस्टरों में कहीं नहीं दिखते।
यह स्थिति केवल दुर्ग तक सीमित नहीं रही है। कुछ महीनों पहले वैशाली नगर विधायक रिकेश सेन के जन्मदिन पर भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला था, जब उनके पोस्टरों से न केवल वैशाली नगर बल्कि भिलाई नगर क्षेत्र भी पट गया था। उस समय भी राजनीतिक गलियारों में यही चर्चा थी कि क्या लोकप्रियता का यह दिखावा मंत्रिमंडल तक पहुंच का साधन बन सकता है?
प्रदेश भाजपा में यह सवाल अब प्रमुखता से उभर रहा है कि क्या संगठन की असली शक्ति – वह समर्पित कार्यकर्ता वर्ग जिसने वर्षों तक पार्टी की नींव को सींचा है – को दरकिनार कर, केवल बाहरी समर्थन और पोस्टरबाज़ी के आधार पर किसी को मंत्री बनाया जाएगा?
इस सियासी पटल पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के लिए यह एक महत्वपूर्ण निर्णय होगा कि वह मंत्री पद के लिए चयन में संगठन की गहराई और निष्ठावान कार्यकर्ताओं की भूमिका को प्राथमिकता दें या फिर सोशल मीडिया और बधाई पोस्टरों में दिखाई दे रही लोकप्रियता को।
फिलहाल, दुर्ग में गजेंद्र यादव के जन्मदिन को भव्य बनाने के लिए समर्थकों की फौज पूरी तरह सक्रिय है। शहर में हर चौराहे पर लगे पोस्टर यही संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि गजेंद्र यादव न केवल जनता के बीच लोकप्रिय हैं, बल्कि अगला मंत्री बनने की दौड़ में भी मजबूत दावेदार हैं।
राजनीति के इस पोस्टर युद्ध में अंतिम निर्णय तो भारतीय जनता पार्टी के संगठन और मुख्यमंत्री के विवेक पर निर्भर करेगा, परंतु यह तय है कि आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ की सियासत में यह मुद्दा और भी गर्माने वाला है।
शौर्यपथ समाचार की यह कोशिश हमेशा रहेगी कि वह राजनीतिक घटनाओं के हर पहलू को निष्पक्ष रूप से अपने सम्मानित पाठकों तक पहुंचाए।
मुंगेली/शौर्यपथ / कलेक्टर कुन्दन कुमार ने आज पथरिया विकासखण्ड के ग्राम सिलतरा का दौरा कर ‘‘मोर गांव, मोर पानी’’ महाअभियान के अंतर्गत जल संचयन के लिए बनाए गए सेंडफिल्टर बोरवेल रिचार्ज पिट का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने ग्रामीणों से संवाद कर सूखे बोरवेल के समीप रिचार्ज पिट निर्माण की आवश्यकता को रेखांकित किया और कहा कि बारिश का एक-एक बूंद जल संरक्षित करना अत्यंत आवश्यक है।
कलेक्टर ने बताया कि बारिश का पानी रिचार्ज पिट के माध्यम से जमीन के भीतर जाएगा, जिससे भू-जल स्तर को पुनः बेहतर किया जा सकता है। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया कि आवश्यकता वाले जगहों में शतप्रतिशत रिचार्जिंग पिट बनाए जाएं और वृक्षारोपण को भी जल संरक्षण के उपाय के रूप में अपनाया जाए। जल भविष्य का सबसे महत्वपूर्ण संसाधन है, इसकी रक्षा हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। कलेक्टर ने ग्राम पंचायत सरपंचों को भी वाटर रिचार्जिंग कार्य को प्राथमिकता से करने कहा। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के द्वारा ‘‘मोर गांव, मोर पानी महाभियान’’ का शुरुआत किया गया है, जिसका मुख्य उद्देश्य बरसात के पानी को ज्यादा से ज्यादा रोकना एवं भूमिगत जल स्तर को वृद्धि करना है। इस अवसर पर पथरिया एसडीएम अजय शतरंज, एपीओ मनरेगा विनायक गुप्ता सहित संबंधित अधिकारी मौजूद रहे।
कांकेर में मेडिकल कॉलेज की समीक्षा में शामिल हुए स्वास्थ्य मंत्री जायसवाल
रायपुर/शौर्यपथ / प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “विकसित भारत 2047” के विजन को साकार करने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने चिकित्सा और सामुदायिक विकास दोनों क्षेत्रों में महत्वपूर्ण बैठक लेकर मंगलवार को कांकेर जिले में समीक्षा की। मंत्री जायसवाल ने जिले के नांदनमारा स्थित इंदिरा गांधी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय में आयोजित स्वशासी समिति की बैठक लेकर कॉलेज की कार्यप्रणाली, आधारभूत ढांचे और चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता पर विस्तार से चर्चा की। मंत्री ने साफतौर पर निर्देश दिए कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों को इस रूप में विकसित किया जाए कि वे जनता की पहली पसंद बनें। उन्होंने कहा कि बाह्य रोगी विभाग व अंतःरोगी सेवाओं में संवेदनशीलता और उत्कृष्टता लाना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।
“जनता को केवल इलाज नहीं, बल्कि सम्मान और संवेदना भी मिले, यही हमारी चिकित्सा व्यवस्था की पहचान होनी चाहिए।
स्वास्थ्य मंत्री जायसवाल ने चिकित्सा अधिकारियों की बैठक लेते हुए कहा कि विभाग का उद्देश्य सिर्फ उत्कृष्ट चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराना ही नहीं है, अपितु आमजनता के प्रति संवेदनशीलता और उन्हें सम्मान भी मिले। स्वास्थ्य मंत्री ने विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए शैक्षणिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देने पर जोर दिया।
बैठक में स्वास्थ्य विभाग के सचिव अमित कटारिया ने कॉलेज में पारदर्शिता, डिजिटल उपस्थिति प्रणाली, स्टाफ की नियमित नियुक्ति और उत्तरदायित्व तय करने के लिए आवश्यक निर्देश दिए।
इस अवसर पर छत्तीसगढ़ शासन चिकित्सा शिक्षा विभाग की आयुक्त श्रीमती शिखा राजपूत तिवारी, सांसद भोजराज नाग, कांकेर विधायक आशाराम नेताम, मछुआ कल्याण बोर्ड अध्यक्ष भरत मटियारा, हस्तशिल्प बोर्ड अध्यक्ष श्रीमती शालिनी राजपूत एवं अधिष्ठाता डॉ. खान सहित अन्य जनप्रतिनिधि, मेडिकल कॉलेज के स्टॉफ उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री अपेक्स बैंक के नवनियुक्त प्राधिकृत अधिकारी के पदभार ग्रहण में हुए शामिल
मुख्यमंत्री ने अपेक्स बैंक की नई शाखा का किया वर्चुअल शुभारंभ
रायपुर /शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय आज राजधानी रायपुर के बलबीर सिंह जुनेजा इंडोर स्टेडियम में छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक मर्यादित के नवनियुक्त प्राधिकृत अधिकारी केदारनाथ गुप्ता के पदभार ग्रहण एवं अभिनंदन समारोह में शामिल हुए और उन्हें शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने जशपुर जिले के फरसाबहार में अपेक्स बैंक की नई शाखा का वर्चुअल शुभारंभ किया और क्षेत्रवासियों को बधाई दी।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सहकारिता मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में सहकार से समृद्धि की संकल्पना को साकार किया जा रहा है। उनकी प्रेरणा से प्रदेश के घर-घर को सहकारिता से जोड़ने का कार्य हमारी सरकार कर रही है। श्री साय ने कहा कि नवनियुक्त प्राधिकृत अधिकारी के नेतृत्व में प्रदेश में सहकारिता को और अधिक मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा कि सहकारी गतिविधियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के साथ मिलकर प्रदेश में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है। हाल ही में हमने दुधारू पशु वितरण का शुभारंभ किया है, जिसके अंतर्गत पायलट प्रोजेक्ट के लिए प्रदेश के 6 जिलों का चयन कर हितग्राहियों को दो-दो दुधारू गाय वितरित की जा रही हैं।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि प्रदेश के किसानों और ग्रामीण जनों को बैंकिंग सुविधा उपलब्ध कराने की एक बड़ी पहल हमने इस वर्ष पंचायती राज दिवस से प्रारंभ की है। प्रदेश के 1460 ग्राम पंचायतों में अटल डिजिटल सुविधा केंद्र खोले गए हैं, जिसके माध्यम से ग्राम पंचायत भवन में ही बैंकिंग सुविधा मिल रही है। उन्होंने बताया कि अगले पंचायती राज दिवस तक यह सुविधा प्रदेश के सभी ग्राम पंचायतों में उपलब्ध हो जाएगी, जिससे किसानों को बड़ी राहत मिलेगी।
मुख्यमंत्री साय ने विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल के दौरान सहकारिता के क्षेत्र में हुए बड़े बदलावों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने किसानों को अल्पकालिक ऋण के लिए भारी-भरकम ब्याज दर से मुक्ति दिलाई और ब्याज दरों को लगातार कम कर किसानों को राहत दी। अब किसानों को कृषि कार्यों के लिए बिना किसी ब्याज के अल्पकालिक ऋण उपलब्ध हो रहा है। मुख्यमंत्री श्री साय ने फरसाबहार में अपेक्स बैंक की नई शाखा खुलने पर क्षेत्रवासियों को बधाई देते हुए कहा कि अब किसानों को बैंकिंग सुविधा के लिए 50-60 किलोमीटर दूर पत्थलगांव नहीं जाना पड़ेगा। इस पुनीत पहल के लिए उन्होंने सहकारिता विभाग को साधुवाद दिया।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ में सहकारिता का बीजारोपण करने वाले महान विभूतियों को पुण्य स्मरण करते हुए अपने संबोधन की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में श्री वामनराव लाखे और ठाकुर प्यारेलाल जैसे पुरोधाओं ने सहकारिता की नींव रखी, जिसका विकसित स्वरूप आज हम सभी देख रहे हैं। यह वर्ष सहकारिता का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष है, और केन्द्रीय सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह के प्रयासों से निश्चित रूप से इस क्षेत्र में चमत्कारिक परिवर्तन हो रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री साय के अथक प्रयासों से प्रदेश के किसानों के जीवन में खुशहाली आई है। पूरे देश में वे पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने प्रति एकड़ 21 क्विंटल और 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान की खरीदी की है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री साय ने सहकारिता को राज्य के अंतिम गांव तक पहुंचाने का कार्य किया है। अपेक्स बैंक प्रदेश में 40 हजार करोड़ रुपए के टर्नओवर के साथ सबसे शक्तिशाली संगठन है और इसके माध्यम से अब तक 7 हजार 5 सौ करोड़ रुपए का ऋण किसानों को उपलब्ध कराया गया है।
डॉ. सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से देश के हर एक नागरिक को बैंकिंग प्रणाली से जोड़ा गया और इसी का परिणाम है कि आज बिना किसी बिचौलिए के शत-प्रतिशत राशि सीधे हितग्राहियों के खाते में प्राप्त हो रही है। उन्होंने कहा कि सहकारिता के क्षेत्र में अभी भी अपार संभावनाएं हैं और शत-प्रतिशत किसानों को सहकारिता और अपेक्स बैंक से जोड़ने का काम शीघ्र पूरा करने का आह्वान किया।
मुख्यमंत्री की उपस्थिति में मजगांव डॉक शिप बिल्डर्स लिमिटेड ने सत्य साईं हॉस्पिटल को 2.25 करोड़ रुपए की सहायता राशि सौंपी
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की उपस्थिति में कार्यक्रम में मजगांव डॉक शिप बिल्डर्स लिमिटेड ने सीएसआर गतिविधियों के तहत राजधानी रायपुर के सत्य साईं हृदय चिकित्सालय को 2.25 करोड़ रुपए की सहायता राशि का चेक सौंपा। मुख्यमंत्री ने इस पुनीत कार्य के लिए मजगांव डॉक शिप बिल्डर्स लिमिटेड के प्रतिनिधियों का आभार व्यक्त किया।
पदभार ग्रहण समारोह में सहकारिता मंत्री केदार कश्यप, कृषि मंत्री रामविचार नेताम, राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा, खाद्य मंत्री दयालदास बघेल, विधायक राजेश मूणत, विधायक अनुज शर्मा, विधायक मोतीलाल साहू, विधायक पुरंदर मिश्रा, विधायक गुरु खुशवंत साहेब, विधायक सुनील सोनी, विभिन्न निगम-मंडलों के अध्यक्ष, अपर मुख्य सचिव सहकारिता सुब्रत साहू और बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
शिक्षकविहीन नहीं रहा कोरबा जिले का कोई भी विद्यालय
अब हमारे बच्चे बेकार नहीं बैठेंगे: मंगल सिंह
रायपुर /शौर्यपथ/कोरबा शहर से लगभग सौ किलोमीटर दूर घने जंगलों के बीच पंडोपारा में जब स्कूल खुला तब यहाँ रहने वाले पंडो समाज के लोगो में न सिर्फ अथाह खुशी थी, अपितु वे अपने बच्चों के बेहतर भविष्य को लेकर भी सुकून और राहत महसूस कर रहे थे। अपने गाँव में स्कूल पाकर वे अपने बच्चों को स्कूल भी भेजने लगे, लेकिन इस विद्यालय में बनी शिक्षको की कमी उन्हें अक्सर चिंतित करती रहती थी, क्योंकि उनके बच्चे पाठशाला तो नियमित जाते थे, लेकिन विद्यालय में एकमात्र शिक्षक होने का खमियाजा भी बच्चों को भुगतना पड़ता था। कभी किसी कारण से शिक्षक के अवकाश में होने के कारण बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लगता था तो कभी उन्हें कमरे में बिना क्लास या पढ़ाई के घण्टो समय बितानी पड़ती थी। लिहाज़ा बच्चों के साथ माता-पिता भी चिंतित थे कि उनके गाँव के विद्यालय में पर्याप्त शिक्षक नहीं है। आखिरकार जब मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के निर्देशन में ऐसे शिक्षकविहीन और एकलशिक्षकीय विद्यालयों की सुध ली गई तो युक्ति युक्तकरण जैसी व्यवस्था ने घने जंगलों में बसे पंडो जनजाति के बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाने की राह आसान कर दी। अतिशेष शिक्षको के समायोजन से पंडोपारा ही नहीं कोरबा जिले के लगभग 300 एकल शिक्षकीय और शिक्षकविहीन विद्यालयों में पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों के भाग्य बदल दिए है, जिसका लाभ इस शिक्षण सत्र से मिलने लगेगा।
राज्य शासन के दिशा निर्देशों के तहत कोरबा जिले में युक्ति युक्तकरण की प्रक्रिया पूरी की गई है। इस प्रक्रिया का लाभ जिले के सभी शिक्षक विहीन विद्यालयों को मिला। अब कोरबा जिले में कोई भी विद्यालय शिक्षकविहीन नहीं है। युक्ति युक्तकरण से प्राथमिक शाला के 14 शिक्षकविहीन और 287 एकलशिक्षकीय विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। मिडिल स्कूलों में भी 4 शिक्षकविहीन और 20 एकलशिक्षकीय विद्यालयों में शिक्षकों की पदस्थापना की गई है। अब सभी मिडिल स्कूलों में कम से कम 3 शिक्षक और दूरस्थ क्षेत्र के प्राथमिक शालाओ में दो सहायक शिक्षक बच्चों को अध्यापन कराएंगे। शासन की इस पहल से जिले के दूरस्थ क्षेत्र के विद्यालयों में बनी शिक्षको की कमी भी दूर हो गई है। ऐसे ही पाली ब्लॉक के अंतर्गत अंतिम छोर ग्राम उड़ान से आगे पण्डो जनजाति के बसाहट पंडोपारा में एक प्राथमिक शाला है। शासन ने इस दूरस्थ गाँव में पाठशाला खोलकर पंडो समाज के बच्चों को शिक्षा से जोड़कर उन्हें विकास की मुख्य धारा में लाने की पहल तो की, लेकिन यहाँ बनी शिक्षक की कमी से विगत कई वर्षों तक बच्चों को जूझना पड़ा। हालांकि आसपास के विद्यालयों व अन्य व्यवस्थाओं से यहाँ अध्यापन तो कराया गया, लेकिन यह नाकाफी ही थी। पंडोपारा के ग्रामीण मंगल सिंह पंडो ने बताया कि गाँव में स्कूल संचालित होने पर सभी खुश थे। कई साल तक यहाँ एक शिक्षक ही पढ़ाते रहे हैं, जिससे अन्य कक्षा के विद्यार्थी खाली बैठने को मजबूर रहते थे। कई बार किसी आवश्यक काम से उक्त शिक्षक के अवकाश में रहने से भी व्यवस्था बिगड़ जाती थी। उन्होंने बताया कि छोटे बच्चों को पास के ही स्कूल में भेज सकते हैं, इसलिए यहाँ का स्कूल हमारे लिए महत्वपूर्ण था मगर शिक्षक की कमी से यहाँ की अध्यापन व्यवस्था हमेशा बिगड़ती रही है। मंगल सिंह ने बताया कि उन्हें मालूम हुआ है कि अब गाँव के इस स्कूल में नए शिक्षक भी आ रहे हैं, यह बहुत खुशी की बात है। दो शिक्षक होने से क्लास में सभी बच्चों की पढ़ाई होगी। कोई खाली नहीं बैठेगा। इसी विद्यालय में कक्षा चौथी के छात्र जगदेश्वर पंडो, तीसरी कक्षा के राजेन्द्र और कक्षा दूसरी के मुकेश पंडो को भी खुशी है कि उनके स्कूल में इस सत्र से नए गुरुजी पढ़ाने को आएंगे।
वर्ष 2022, 2023 एवं 2025 में पदोन्नत हुए छात्रावास अधीक्षकों की काउंसिलिंग के माध्यम से पदस्थापना के लिए दिशा-निर्देश जारी
25 जून तक आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग से जारी होगा पदस्थापना आदेश
रायपुर /शौर्यपथ /आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास मंत्री रामविचार नेताम ने कहा है कि वर्ष 2022, 2023 एवं 2025 में पदोन्नत हुए छात्रावास अधीक्षकों की पदस्थापना में पूर्ण पारदर्शिता बरती जाए। उन्होंने कहा कि पूरी प्रक्रिया को काउंसलिग के माध्यम से संपन्न कराया जाए। मंत्री नेताम ने यह निर्देश मंगलवार को आदिम जाति तथा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, नवा रायपुर में 19 जिलों के सहायक आयुक्त एवं परियोजना प्रशासकों के साथ विभागीय योजनाओं की समीक्षा बैठक में दिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में संचालित 3357 छात्रावास-आश्रमों में छात्रावास अधीक्षक रीढ़ के समान है। इस पर संबंधित संस्था के सुचारू रूप से संचालन की सबसे प्रमुख जिम्मेदारी होती है। अतः इनकी नियुक्ति, सेवा शर्तें, पदोन्नति एवं पदस्थापना संबंधी कार्यों पर प्रमुखता से ध्यान देने की जरूरत है।
आदिम जाति विकास मंत्री श्री नेताम ने कहा कि वर्ष 2022 में आयुक्त कार्यालय के आदेश द्वारा कुल 491 छात्रावास अधीक्षकों को श्रेणी “द ” से श्रेणी “स” के पद पर पदोन्नत किया गया है, परन्तु इनकी पदस्थापना अभी तक नहीं हो पाई, क्योंकि कुछ जिलों में स्वीकृत पद से अधिक अधीक्षक नियुक्त थे कई जगह पो.मैट्रिक संस्थाओं में रिक्त पदों की संख्या पर्याप्त नहीं थी। इसके साथ ही पदस्थापना के संबंध में कई प्रकार की अनियमितताओं की शिकायतें प्राप्त हो रही थीं।
पदस्थापना नहीं होने से अधीक्षकों की सेवा शर्तों संबंधी समस्याएं आ रही थी। इसी प्रकार अप्रैल 2025 में कुल 486 छात्रावास अधीक्षकों को श्रेणी “द” से श्रेणी “स” के पद पर पदोन्नत किया गया है। अब इन सभी पदोन्नत अधीक्षकों की पदस्थापना पारदर्शी तरीके से एक निर्धारित प्रक्रिया के तहत् काउंसिलिंग के माध्यम से किये जाने हेतु मंत्री श्री नेताम के निर्देश पर विभाग द्वारा निर्णय लिया गया है। इसके लिए जिला स्तरीय, संभाग स्तरीय एवं राज्य स्तरीय समिति का गठन किए जाने हेतु निर्देश जारी किए गए हैं। इनमें जिला स्तरीय समिति के अध्यक्ष जिला कलेक्टर, संभाग स्तरीय समिति के अध्यक्ष संभागायुक्त एवं राज्य स्तरीय समिति के अध्यक्ष आयुक्त, आदिम जाति तथा अनुसूचित विकास विभाग होंगे।
जिला स्तरीय समिति को 12-13 जून से प्रक्रिया प्रारंभ कर 16 जून तक संपन्न करने के निर्देश दिए गए हैं इसी प्रकार संभाग स्तरीय समिति 17-18 जून से 19-20 जून तक एवं राज्य स्तरीय समिति को 20-21 जून से लेकर 22-23 जून तक प्रक्रिया संपन्न करने हेतु निर्देशित किया गया है। जिला स्तरीय समिति एवं संभाग स्तरीय समिति द्वारा जारी पदस्थापना प्रस्ताव को जिला मुख्यालय में कलेक्टर एवं सहायक आयुक्त कार्यालय एवं संभाग मुख्यालय में संभागीय आयुक्त एवं सहायक आयुक्त संभाग मुख्यालय के कार्यालय के सूचना पटल पर प्रदर्शित करेंगे। उक्त प्रस्तावों पर किसी भी प्रकार की दावा-आपत्ति होने पर आवेदक राज्य स्तरीय समिति के समक्ष सूची प्रकाशन के 02 दिवस के भीतर अपना अभ्यावेदन प्रस्तुत कर सकता है।
राज्य स्तरीय समिति प्राप्त अभ्यावेदन का निराकरण 02 दिवस के भीतर कर आयुक्त, आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास, नवा रायपुर को पदस्थापना सूची जारी करने हेतु प्रतिवेदन देगी। राज्य स्तरीय समिति के द्वारा जारी अनुशंसित सूची में कोई त्रुटि या आपत्ति होने पर आवेदक विभाग के भारसाधक सचिव के समक्ष सूची जारी होने के 02 दिवस के भीतर अभ्यावेदन प्रस्तुत करेंगे, जिस पर भारसाधक सचिव द्वारा नियमानुसार अभ्यावेदन का निराकरण किया जाएगा। इस प्रकार प्रक्रिया पूर्ण पारदर्शिता के साथ संपन्न होगी। प्रत्येक समिति के दायित्व एवं अन्य नियम-शर्तों का विस्तार से उल्लेख शासन द्वारा जारी आदेश में किया गया है।
आयुक्त, आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग द्वारा 25 जून तक पदस्थापना आदेश भी जारी कर दिया जाएगा। काउंसलिग प्रक्रिया सुचारू रूप से संपन्न हो, इसके लिए प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा स्वयं पूरी प्रकिया की सतत मानीटरिंग कर रहे हैं।
रायपुर /शौर्यपथ /प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण न सिर्फ जरूरतमंदों को पक्का मकान दे रही है, बल्कि उनके सपनों को भी नया ठौर और आत्म-सम्मान दे रही है। ऐसी ही एक कहानी है जशपुर जिले के कांसाबेल विकासखंड के ग्राम दोकड़ा निवासी 70 वर्षीय संतु चक्रेस की।
वर्षों तक कच्चे घर में कठिन परिस्थितियों में जीवन बिताने वाले बुजुर्ग संतु चक्रेस आज बेहद प्रसन्न हैं क्योंकि उन्हें उनका पहला पक्का घर मिल गया है। खास बात यह रही कि इस घर की चाबी उन्हें मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के हाथों से मिली, जब वे हाल ही में जशपुर प्रवास पर थे।
भावुक संतु चक्रेस ने मुख्यमंत्री को धन्यवाद देते हुए कहा कि "उम्र के इस पड़ाव में जब चिंता से मुक्त होकर जीना चाहता है, तब यह पक्का मकान मेरे लिए भगवान का आशीर्वाद है। अब मुझे और मेरे परिवार को न तो बारिश से डर है और न ही जहरीले जीव-जंतुओं से। अब हमारा भी एक सुरक्षित और मजबूत आशियाना है।"
संतु चक्रेस ने बताया कि उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्का मकान स्वीकृत हुआ था, जो अब पूर्ण रूप से बनकर तैयार है। यह महज एक मकान नहीं, बल्कि उनके लिए आत्म-सम्मान, सुरक्षा और स्थायित्व का प्रतीक है।
वर्षों तक झोपड़ी जैसे घर में जीवन बिताने के बाद जब उन्हें अपना खुद का ठोस छत मिला, तो उनके चेहरे की खुशी देखने लायक थी।
मनेन्द्रगढ़ बीईओ सुरेन्द्र जायसवाल निलंबित
कमिश्नर सरगुजा संभाग ने की कार्रवाई
रायपुर/शौर्यपथ / सरगुजा संभाग के आयुक्त ने मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी मनेन्द्रगढ़ सुरेन्द्र प्रसाद जायसवाल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई राज्य शासन के निर्देशानुसार शालाओं और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण के दौरान बरती गई अनियमितताओं के चलते की गई है। जारी आदेश के अनुसार, श्री जायसवाल पर शिक्षकों की वरिष्ठता सूची में हेरफेर करने, विषयों की गलत जानकारी देने और चक्रिय नियमों का पालन न करने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं।
आदेश में तीन प्रमुख अनियमितताओं का उल्लेख किया गया है जिस में माध्यमिक शाला लेदरी में वरिष्ठता क्रम में आगे होने के बावजूद श्रीमती गुंजन शर्मा को अतिशेष घोषित किया गया। इसी तरह प्राथमिक शाला चिमटीमार में नियुक्ति तिथि के आधार पर श्रीमती अर्णिमा जायसवाल को अतिशेष माना जाना चाहिए था, किंतु इसके विपरीत श्रीमती संध्या सिंह को अतिशेष सूची में रखा गया। माध्यमिक शाला साल्ही में शिक्षक श्री सूर्यकांत जोशी के विषय की गलत जानकारी दी गई और विषय चक्र का पालन नहीं किया गया।
आयुक्त सरगुजा ने इसे कर्तव्य में लापरवाही और स्वैच्छाचारिता मानते हुए छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 और (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के तहत निलम्बन की कार्रवाई की है। निलंबन की अवधि में श्री जायसवाल का मुख्यालय जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय, मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर नियत किया गया है।