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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।
बालोद/शौर्यपथ /बालोद जिले के वनांचल क्षेत्र डौण्डी में ग्राम जुनवानी से चिखलीटोला तक का सफर लंबे समय से ग्रामीणों के लिए एक चुनौती रहा है। कच्ची और पथरीली सड़कें, जो एक पहाड़ी रास्ते से होकर गुजरती हैं, ने कई दशकों से यहां के लोगों को मुश्किलों से जूझने को मजबूर किया। लगभग तीन किलोमीटर की भौगोलिक दूरी को पार करने के लिए ग्रामीणों को 30 किलोमीटर का लंबा चक्कर लगाना पड़ता था, जिसमें समय, मेहनत और संसाधनों की भारी बर्बादी होती थी। लेकिन अब यह दशकों पुराना इंतजार खत्म होने जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के सुशासन तिहार के दौरान इस पक्की सड़क की स्वीकृति ने न केवल ग्रामीणों की उम्मीदों को नई उड़ान दी है, बल्कि क्षेत्र के विकास की एक नई गाथा लिखने की नींव रखी है। एक समय था जब ग्रामीणों ने अपनी एकता और मेहनत की मिसाल पेश करते हुए इस कच्चे मार्ग को श्रमदान से बनाया था। यह रास्ता उनके संकल्प का प्रतीक था, जिसे वे चलने लायक बनाने में सफल रहे, लेकिन पक्की सड़क की कमी ने इसे वाहन योग्य बनाने में बाधा डाली। ग्रामीणों के इस प्रयास को सम्मान देते हुए मुख्यमंत्री श्री साय ने सुशासन तिहार के दौरान ग्राम जुनवानी से चिखली तक सड़क निर्माण के लिए 11 करोड़ 47 लाख रुपये की स्वीकृति प्रदान की। यह कदम केवल एक सड़क निर्माण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ग्रामीणों के श्रम, उनके सपनों और उनके संघर्ष को साकार करने का प्रतीक है।
यह पक्की सड़क मात्र एक बुनियादी ढांचा परियोजना नहीं, बल्कि क्षेत्रवासियों के जीवन को आसान बनाने का माध्यम है। अब तीन किलोमीटर की दूरी को तय करने में लगने वाला समय और पैसा दोनों बचेंगे। ग्रामीणों को बाजार तक आसानी से पहुँच मिलेगी, किसानों के लिए उनके खेतों का रास्ता सुगम होगा, और हर राहगीर को नई उम्मीद का आधार मिलेगा। ग्रामीण श्री सालिक राम कोलियारा की बात याद करें, जिन्होंने बताया कि पहले यह रास्ता पगडंडी की तरह था, जहां सामान का बोझा ढोकर पैदल चलना पड़ता था। उनके दादा-पिता का सपना, जो अधूरा रह गया था, अब मुख्यमंत्री के इस फैसले से साकार होने जा रहा है। इस सकारात्मक बदलाव ने ग्रामीणों के चेहरों पर खुशी ला दी है। क्षेत्र के पूर्व जनपद पंचायत सदस्य श्री संजय बैस ने इसे क्षेत्रवासियों की बहुप्रतीक्षित मांग बताया, जो अब पूरी होने जा रही है। उन्होंने कहा कि इस सड़क से क्षेत्र का विकास तेजी से होगा, और मुख्यमंत्री के इस कदम ने उनकी उम्मीदों को बल दिया है। इसी तरह, ग्रामीण श्री हरिश्चंद्र नायक ने बताया कि श्रमदान से बनाए गए इस रास्ते को वाहन योग्य बनाने की उनकी लंबी मांग अब पूरी होने जा रही है। 30 किलोमीटर की दूरी को अब मात्र तीन किलोमीटर में तय करना संभव होगा, जो उनके दैनिक जीवन को क्रांतिकारी बदलाव लाएगा। यह सड़क केवल दो गांवों को जोड़ने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह क्षेत्र के समग्र विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे शिक्षा, स्वास्थ्य, और व्यापार जैसी सुविधाओं तक पहुंच बढ़ेगी। ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के प्रति हृदय से आभार व्यक्त किया है, जो उनके श्रम और संकल्प को सम्मान देकर उनके सपनों को हकीकत में बदल रहे हैं। सुशासन तिहार के इस फैसले ने यह साबित कर दिया कि सरकार जनता की आवाज सुनती है और उनके विकास के लिए प्रतिबद्ध है। जुनवानी से चिखलीटोला तक की यह पक्की सड़क नई उम्मीदों का प्रतीक है। यह केवल एक भौतिक मार्ग नहीं, बल्कि ग्रामीणों के आत्मविश्वास और सरकार के सहयोग का संगम है। आने वाले दिनों में यह सड़क क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी। यह सुशासन की जीती-जागती मिसाल है, जो यह संदेश देती है कि सरकार और समाज के संयुक्त प्रयास से कोई भी सपना असंभव नहीं है। बालोद जिले के इस वनांचल क्षेत्र के लिए यह सड़क न केवल एक राह है, बल्कि उज्जवल भविष्य की ओर बढ़ने का मार्ग है।
गुणवत्ता में कोई समझौता नहीं, टीपीआई को कारण बताओ नोटिस जारी
मुंगेली/शौर्यपथ /जल जीवन मिशन के तहत जिले में चल रहे निर्माण कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से मिशन संचालक श्री जितेन्द्र शुक्ला ने लोरमी विकासखंड के ग्राम खुड़िया में निर्माणाधीन वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का सघन निरीक्षण किया। उन्होंने योजना के मैप एवं तकनीकी डिजाइनों का अवलोकन कर कार्य की अद्यतन स्थिति की जानकारी ली। मिशन संचालक श्री शुक्ला ने निरीक्षण के दौरान रॉ वॉटर पंपिंग मशीनरी, डब्ल्यूटीपी (वाटर ट्रीटमेंट प्लान), पाइपलाइन कार्य और वॉटर ग्रेविटी सिस्टम की स्थिति की जानकारी ली। उन्होंने निर्माणाधीन कार्यों का मूल्यांकन किया, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में जलापूर्ति की कोई समस्या न हो। इस अवसर पर कलेक्टर श्री कुन्दन कुमार, पुलिस अधीक्षक श्री भोजराम पटेल, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के प्रमुख अभियंता टी.डी. शांडिल्य, मुख्य अभियंता बिलासपुर श्री संजय सिंह, कार्यपालन अभियंता मुंगेली श्री कुन्दन राणा सहित संबंधित अधिकारी मौजूद रहे।
निरीक्षण के दौरान मिशन संचालक श्री शुक्ला ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि कार्यों की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने निर्माण में प्रयुक्त सामग्रियों की गुणवत्ता का भौतिक परीक्षण कर अधिकारियों को निर्देशित किया कि कार्य मानक अनुसार ही हो, प्रत्येक चरण का नियमित निरीक्षण सुनिश्चित किया जाए। इस अवसर पर टीपीआई धीरज दुबे की कार्यशैली में लापरवाही पाए जाने पर उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए गए। साथ ही टीपीआई की उपस्थिति की प्रभावी निगरानी के लिए बायोमेट्रिक अटेंडेंस डिवाइस लगाने का निर्देश दिए गए।
मिशन संचालक ने कहा कि निर्माण कार्य की गति बढ़ाने हेतु श्रमिकों की संख्या बढ़ाई जाए। सब स्टेशन वाले क्षेत्र को सुरक्षित रूप से घेरा जाए। सामग्री के बिलों का नियमित परीक्षण किया जाए। उन्होंने निर्देश दिया कि वरिष्ठ अधिकारी हर सप्ताह स्थल का निरीक्षण करें एवं प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करें। उन्होंने स्वयं भी समय-समय पर निरीक्षण के लिए पहुंचने की बात कही। मिशन संचालक ने स्पष्ट किया कि जल जीवन मिशन के तहत कार्यों में गुणवत्ता सर्वाेपरि होगी और किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। गौरतलब है कि खुड़िया वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से जिले के 206 ग्रामों के ग्रामीणों को प्रत्यक्ष लाभ होगा। उन्हें स्वच्छ और पर्याप्त जलापूर्ति की सुविधा प्राप्त होगी, जिससे उनकी जीवनशैली में सुधार होगा।
गांवों में सर्वे करा कर विभिन्न योजनाओं से प्राथमिकता से लाभान्वित करने के दिए निर्देश
धरती आबा जनजाति ग्राम उत्कर्ष अभियान के संबंध में कलेक्टर ने ली बैठक
मुंगेली/शौर्यपथ /जिले के जनजातीय बाहुल्य क्षेत्रों में समग्र विकास सुनिश्चित करने के उद्देश्य से 15 जून से 30 जून तक ‘धरती आबा जनजाति ग्राम उत्कर्ष अभियान’ चलाया जाएगा। इसी कड़ी में कलेक्टर कुन्दन कुमार ने जिला कलेक्टोरेट स्थित मनियारी सभाकक्ष में संबंधित अधिकारियों की बैठक ली और आवश्यक दिशानिर्देश दिए। उन्होंने अभियान के सफल आयोजन के लिए कार्य योजना के संबंध में विस्तार से जानकारी ली और धरती आबा अंतर्गत शासन की विभिन्न योजनाओं से जनजातीय समुदाय के लोगों को शत प्रतिशत लाभान्वित करने के निर्देश दिए। कलेक्टर श्री कुमार ने कहा कि गांवों में धरती आबा अंतर्गत विभिन्न योजनाओं एवं गतिविधियों के गैप आइडेंटिफिकेशन के लिए सर्वे कराएं तत्पश्चात शिविरों के माध्यम से प्राथमिकता के आधार पर योजनाओं का लाभ दिया जाए। उन्होंने इस अभियान का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए जिला एवं ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों को विभिन्न शिविरों के नोडल एवं सहायक नोडल अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश दिए।
कलेक्टर ने संबंधित अधिकारियों को चिन्हांकित गांवों का दौरा करने तथा अभियान का प्रभावी प्रचार प्रसार सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने इस अभियान को केंद्र और राज्य सरकार की प्राथमिकता बताते हुए पूरी संवेदनशीलता के साथ जिले के चिन्हांकित ग्राम पंचायतों में शिविरों के आयोजन के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया कि इस अभियान का मुख्य उद्देश्य शासकीय योजनाओं से वंचित परिवारों और ग्रामीणों को योजनाओं का लाभ दिलाना सुनिश्चित करना है।
जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री प्रभाकर पांडेय ने बताया कि धरती आबा अभियान के तहत 35 आदिवासी गांवों में विकास की विभिन्न योजनाओं का लाभ सीधे पात्र हितग्राहियों तक पहुंचाया जाएगा। उन्होंने बताया कि शिविरों के माध्यम से जनजातीय समुदाय के लोगों को केंद्र और राज्य सरकार की 25 प्रमुख योजनाओं का लाभ एक ही स्थान पर शिविर के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा।
सहायक आयुक्त आदिवासी विकास श्री लक्ष्मी प्रसाद पटेल ने बताया कि आदिवासी क्षेत्रों के समग्र विकास और वहां निवास करने वाले जनजातियों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा धरती आबा जनजाति ग्राम उत्कर्ष अभियान का शुभारंभ 02 अक्टूबर 2024 को किया गया था। यह अभियान पीएम जनमन योजना की तर्ज पर तैयार किया गया है, जिसके अंतर्गत 17 मंत्रालयों द्वारा संचालित 25 गतिविधियों को समन्वित रूप से आदिवासी बाहुल्य ग्रामों में लागू किया जा रहा है।
आय,जाति, निवास, आधार कार्ड सहित 25 योजनाओं का मिलेगा लाभ
धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के अंतर्गत जनजातीय बाहुल्य क्षेत्रों में शिविर आयोजित किए जाएंगे। आमजनों को आय, जाति, निवास आधार एवं आयुष्मान कार्ड, पेंशन योजना, आयुष्मान कार्ड, वन अधिकार पट्टा, आवास, सड़क जलापूर्ति सहित 25 योजनाओं एवं गतिविधियों का लाभ एक छत के नीचे दिया जाएगा। इस पहल के माध्यम से बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका और सामाजिक सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अंतरालों की पहचान कर अभिसरण और संतृप्तिकरण के माध्यम से विकास सुनिश्चित किया जाएगा। यह अभियान को जनजातीय समाज को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है और जिले के आदिवासी गांवों में विकास की नई रोशनी पहुंचाने में मील का पत्थर साबित होगा।
22 हजार से अधिक लोग होंगे योजनाओं से लाभान्वित
सहायक आयुक्त लक्ष्मी प्रसाद पटेल ने जानकारी दी कि धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान से जिले के तीनों विकासखंडों के 22 हजार से अधिक लोग शासन की विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित होंगे। इस अवसर पर संबंधित अधिकारी-कर्मचारी मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री ने मुलाकात के दौरान दंतेवाड़ा के युवा उद्यमियों को किया प्रोत्साहित:आईआईएम में दंतेवाड़ा के 50 युवा उद्यमी ले रहे हैं प्रशिक्षण
रायपुर /शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ में खनिज, वन सहित अन्य प्राकृतिक संसाधन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। इसके फलस्वरूप कृषि के साथ-साथ उद्योग-धंधों सहित प्रत्येक क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाएं हैं। आवश्यकता इस बात की है कि हम अपनी मौजूदा क्षमताओं का सही ढंग से उपयोग कर प्रदेश और देश के नव निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करें।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय विगत दिवस नवा रायपुर स्थित आईआईएम परिसर में दंतेवाड़ा के नवोदित उद्यमियों को संबोधित कर रहे थे। उल्लेखनीय है कि दंतेवाड़ा जिले के 50 युवाओं का एक बैच देश के प्रतिष्ठित प्रबंधन संस्थान आईआईएम में उद्यमिता का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहा है। मुख्यमंत्री श्री साय ने प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे सभी युवाओं के उज्ज्वल भविष्य की कामना की और कहा कि यह प्रशिक्षण उनके कैरियर निर्माण एवं जीवन संवारने में अत्यंत कारगर सिद्ध होगा।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि जब कोई युवा उद्यमी अपने सपनों को साकार करता है, तो वह अनेक युवाओं के लिए प्रेरणा और अवसर का द्वार खोलता है। यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप सभी बस्तर क्षेत्र से हैं और उद्यमिता के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। आज बस्तर को सबसे संभावनाओं वाला क्षेत्र माना जा रहा है। प्रशिक्षण में आपने उद्यमिता से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें सीख ली हैं। अब उन्हें लागू कर अपने उद्यम को आरंभ कीजिए। शासन की ओर से हर संभव सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कृषि क्षेत्र के साथ-साथ उद्योगों के विकास के लिए भी अनुकूल वातावरण है। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रदेश के समग्र विकास के लिए हम निरंतर नवाचार, अनुसंधान तथा उद्यमिता को प्रोत्साहित कर रहे हैं। इसी क्रम में छत्तीसगढ़ में औद्योगिक विकास को गति देने के लिए हमने ‘नई औद्योगिक नीति 2024-30’ लागू की है। इस नीति का मूल मंत्र है: “न्यूनतम शासन, अधिकतम प्रोत्साहन।” इसके तहत उद्योग स्थापना की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए ‘सिंगल विंडो 2.0’ व्यवस्था लागू की गई है, जिसके माध्यम से सभी आवश्यक क्लीयरेंस सुलभता से प्रदान किए जा रहे हैं। नई औद्योगिक नीति में प्रदेश के पिछड़े माने जाने वाले बस्तर और सरगुजा अंचल को सर्वाधिक निवेश प्रोत्साहन क्षेत्र के रूप में चिन्हित किया गया है, ताकि उनका त्वरित विकास सुनिश्चित हो सके।
मुख्यमंत्री साय ने चर्चा के दौरान यह भी बताया कि नई औद्योगिक नीति के अंतर्गत बस्तर में उद्योग स्थापित करने पर विशेष अनुदान का प्रावधान किया गया है। बस्तर के विकास का रोडमैप भी गत माह तैयार किया गया है, जिसमें कृषि, वनोपज आधारित व्यवसाय और पर्यटन सहित सभी प्रमुख क्षेत्रों के लिए योजनाएं बनाई गई हैं। बस्तर की कनेक्टिविटी अब उत्कृष्ट हो गई है, जिससे उद्यमियों के उत्पाद देश भर के बाजारों तक आसानी से पहुँच सकें। सड़कों के सशक्त जाल के माध्यम से विकास को प्रोत्साहन मिलता है।
मुख्यमंत्री साय से मुलाकात के दौरान युवा अत्यंत उत्साहित नजर आए और उन्होंने भी अपने अनुभव साझा किए। इस अवसर पर बड़े बचेली से चंद्रकुमार साहू, किरंदुल-बैलाडीला से अभिषेक गुप्ता, बचेली से अनिरुद्ध कुमार, बीजापुर से तेजस्व कुमार एवं नीलम पांडे, बचेली से कु. शिल्पा कुमारी तथा दंतेवाड़ा से राकेश यादव सहित कुल 50 युवा उद्यमी उपस्थित थे।
धमतरी/शौर्यपथ /विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत धमतरी के कुरूद विकासखण्ड पहुंची कृषि उत्पादन आयुक्त श्रीमती शहला निगार ने कुहकुहा में ऑर्किड की खेती का अवलोकन किया। जिले के प्रगतिशील युवा किसान पुष्पक साहू ने लगभग एक एकड़ रकबे में पॉली हाउस में ऑर्किड के 50 हजार पौधे लगाए हैं। यह जिले में फूलों की खेती का अपने तरह का पहला प्रयोग है, जहां ऑर्किड की खेती जमीन पर नहीं, बल्कि हवा में की जा रही है। विकसित कृषि संकल्प शिविर में क्षेत्र में ऑर्किड की खेती होने की जानकारी मिलने के बाद कृषि उत्पादन आयुक्त ने उसे देखने की इच्छा जताई और वे कुहकुहा में स्थित पॉली हाउस पहुंच गईं। जहां उन्होंने युवा किसान श्री पुष्पक साहू से ऑर्किड फूलों की खेती के बारे में पूरी जानकारी ली।
श्री पुष्पक साहू ने बताया कि इंजीनियरिंग करने के बाद मल्टीनेशनल कंपनियों की अच्छी वेतन वाली नौकरी छोड़कर उन्होंने अपने पुश्तैनी खेत पर ऑर्किड की खेती करने का फैसला किया। श्री साहू ने बताया कि वे जमीन में नहीं, बल्कि हवा में कोयले पर ऑर्किड की खेती कर रहे हैं। उन्होंने लगभग सवा एकड़ में ऑर्किड के 50 हजार पौधे लगाए हैं। यह पौधे उन्होंने थाईलैण्ड से मंगवाए हैं। इन पौधों को उन्होंने पॉली हाउस में जमीन से लगभग तीन फीट ऊपर कोयले के बेड बनाकर लगाया है। पॉली हाउस में सिंचाई, खाद, दवा आदि के लिए स्प्रिंकलर जैसे आधुनिक सिस्टम लगाए हुए हैं। श्री साहू ने बताया कि इसके लिए उन्हें लगभग 56 लाख रूपये की सहायता भी सरकार की तरफ से मिली है। श्री साहू ने यह भी बताया कि ऑर्किड के पौधे से अगले 10 महीने में उन्हें फ्लॉवर स्टिक मिलने लगेंगे। एक सेंटीमीटर प्रति रूपये के रेट से उन्हें इन स्टिकस का दाम मिलेगा। उन्होंने यह भी बताया कि एक बार ऑर्किड का पौधा लगाने के बाद उससे लगातार 12 साल तक फ्लॉवर स्टिक्स मिलेंगे। श्री साहू ने अपने इस पॉली हाउस ऑर्किड खेत से सालाना लगभग 50 लाख रूपये की आमदनी होने की भी जानकारी कृषि उत्पादन आयुक्त को दी। श्रीमती निगार ने पुष्पक साहू के इस प्रयास की सराहना की और कहा कि इन पौधों में चार महीने बाद जब फूल आना शुरू होंगे, तब वे फिर से इसके अवलोकन के लिए आएंगी। उन्होंने श्री साहू को इस तकनीक को दूसरे किसानों को भी बताने को कहा। कृषि उत्पादन आयुक्त ने श्री साहू की सरकारी तौर पर हरसंभव मदद करने के निर्देश भी कलेक्टर और उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों को दिए।
रायपुर/शौर्यपथ /बीजापुर जिले के भोपालपटनम विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत तिमेड़ का आश्रित ग्राम भटपल्ली जल जीवन मिशन के अंतर्गत एक प्रेरणादायक सफलता का प्रतीक बनकर उभरा है। यहां अब समूह जल प्रदाय योजना के तहत हर घर में नल से शुद्ध पेयजल की आपूर्ति हो रही है, जिससे ग्रामीणों के जीवन में उल्लेखनीय बदलाव आया है।
पूर्व में गांव में पेयजल आपूर्ति के लिए केवल 15 हैंडपंप ही उपलब्ध थे, जिन पर पानी भरने के लिए ग्रामीणों को लंबी कतारों में खड़ा रहना पड़ता था। लेकिन अब जल जीवन मिशन के माध्यम से गांव के 81 परिवारों को घर-घर नल कनेक्शन के जरिये नियमित और स्वच्छ जल मिल रहा है।
विगत आयोजित ग्रामसभा में भटपल्ली को शत-प्रतिशत "हर घर जल" ग्राम घोषित किया गया। इस अवसर पर ग्राम सरपंच श्रीमती वासम लक्ष्मी, सचिव श्री अल्लेम कृष्णाराव, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारी-कर्मचारी एवं बड़ी संख्या में ग्रामवासी उपस्थित रहे।
जल जीवन मिशन के अंतर्गत ग्राम पंचायत को जल आपूर्ति व्यवस्था के संचालन, प्रबंधन और सतत निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इससे न केवल ग्रामीणों में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ी है, बल्कि वे इसके संरक्षण में सक्रिय भागीदारी भी निभा रहे हैं।
भटपल्ली में यह पहल न केवल आधारभूत सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि यह ग्रामीण सहभागिता, सतत विकास और सामूहिक जिम्मेदारी की भावना का भी उत्तम उदाहरण है।
मंत्रिमंडल के सदस्यों के साथ सुशासन वाटिका में किया मौलश्री के पौधे का रोपण
रायपुर /शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज यहां भारतीय प्रबंध संस्थान रायपुर में आयोजित चिंतन शिविर 2.0 के पहले दिन की शाम आईआईएम परिसर में सुशासन वाटिका का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री साय ने मंत्रिमंडल के सदस्यों के साथ सुशासन वाटिका में मौलश्री के पौधे का रोपण किया।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के साथ सुशासन वाटिका में उपमुख्यमंत्री अरुण साव व विजय शर्मा, वनमंत्री केदार कश्यप, वित्त ओपी चौधरी, उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन, कृषि मंत्री राम विचार नेताम , खाद्य मंत्री दयालदास बघेल, स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल, राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े, मुख्यमंत्री के सचिव राहुल भगत, आईआईएम रायपुर के निदेशक प्रो. राम कुमार कांकाणी ने भी मौलश्री का पौधा लगाया।
मौलश्री वृक्ष की विशेषताएँ
मौलश्री एक सुगंधित फूलों वाला वृक्ष है जो भारतीय उपमहाद्वीप, दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया में पाया जाता है। यह एक सदाबहार वृक्ष है जो सामान्यतः 10-15 मीटर तक ऊँचा होता है।
इस के फूल छोटे, सफेद या हल्के पीले रंग के, अत्यंत सुगंधित होते हैं। रात के समय इनकी महक और भी तेज होती है। मौलश्री वृक्ष के औषधीय गुण भी होते हैं और इसका उपयोग कई तरह की समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है। पारंपरिक रूप से इसे मंदिरों के आसपास और घरों के आंगन में लगाया जाता रहा है।
रायपुर/शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में आज नवा रायपुर के भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) में दो दिवसीय चिंतन शिविर 2.0 का शुभारंभ हुआ। सुशासन एवं अभिसरण विभाग और आईआईएम रायपुर के सहयोग से आयोजित इस शिविर में उपमुख्यमंत्री अरुण साव, विजय शर्मा, मंत्रिमंडल के सदस्य, सांसद, विधायक और प्रबुद्धजन शामिल हुए। इस मंच का उद्देश्य प्रशासनिक दक्षता बढ़ाना, अंतर-क्षेत्रीय समन्वय को सशक्त करना और जनकल्याण के लिए परिवर्तनकारी दृष्टिकोण विकसित करना है।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि यह शिविर आत्मनिरीक्षण और ज्ञान के आदान-प्रदान का अनूठा अवसर है, जो छत्तीसगढ़ को सुशासन के नए आयामों तक ले जाएगा। उन्होंने पिछले चिंतन शिविर से प्राप्त सुझावों को लागू कर आम जनता के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की बात कही। श्री साय ने बताया कि डेढ़ वर्षों में 350 से अधिक प्रशासनिक सुधार किए गए, जिनमें ई-ऑफिस प्रणाली ने फाइलों के मैनुअल ढेर को समाप्त कर जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित की है। अब फाइलें ऑनलाइन मूव होती हैं, और हर कार्य की समय-सीमा निर्धारित है, जिससे भ्रष्टाचार की गुंजाइश खत्म हुई है।
छत्तीसगढ़ के रजत जयंती वर्ष को अटल निर्माण वर्ष के रूप में मनाते हुए मुख्यमंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि अटल जी के सुशासन के सिद्धांतों को धरातल पर उतारना इस वर्ष का मुख्य लक्ष्य है। डिजिटल गवर्नेंस को अपनाकर रजिस्ट्री प्रक्रिया को सरल बनाया गया है, जिसमें अब घर बैठे मिनटों में रजिस्ट्री और स्वतः नामांतरण हो रहा है। यह तकनीकी नवाचार भ्रष्टाचार को समाप्त करने की दिशा में क्रांतिकारी कदम है।
नई उद्योग नीति के तहत सिंगल विंडो सिस्टम 2.0 और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस ने निवेश को प्रोत्साहन दिया है। खनिज संसाधनों से समृद्ध छत्तीसगढ़ में कोर सेक्टर की अपार संभावनाओं को देखते हुए विशेष अनुदान की व्यवस्था की गई है। पर्यटन को उद्योग का दर्जा देकर और होम स्टे उद्यमियों के लिए अनुदान शुरू कर प्राकृतिक सौंदर्य को आर्थिक अवसरों में बदला जा रहा है। इसके अलावा, एआई और क्लाइमेट चेंज से जुड़े उद्यमों को प्रोत्साहन, नवा रायपुर में देश का पहला एआई डाटा सेंटर पार्क और सेमीकंडक्टर यूनिट का शुभारंभ छत्तीसगढ़ को तकनीकी क्रांति का अग्रदूत बना रहा है।
शिविर में ‘प्रथम दिवस परिवर्तनकारी नेतृत्व और दूरदर्शी शासन’, ‘संस्कृति, सुशासन और राष्ट्र निर्माण’ और ‘सक्षमता से सततता तक: सार्वजनिक वित्त पर पुनर्विचार’ जैसे विषयों पर सत्र आयोजित किए गए। डॉ. विनय सहस्रबुद्धे, प्रो. हिमांशु राय, डॉ. रविंद्र ढोलकिया, श्री संजीव सान्याल, उदय माहुरकर और डॉ. राजेंद्र प्रताप गुप्ता जैसे प्रख्यात विशेषज्ञ अपने विचार साझा किए।
मुख्यमंत्री ने बस्तर के विकास पर विशेष जोर देते हुए कहा कि माओवाद पर प्रभावी कार्रवाई ने क्षेत्र में शांति और प्रगति की राह खोली है। बस्तर ओलंपिक, बस्तर पंडुम और बस्तर डायलॉग जैसे आयोजनों ने युवाओं को मुख्यधारा से जोड़ा है। हाल ही में बोधघाट परियोजना को मंजूरी मिलने से 7 लाख हेक्टेयर में सिंचाई और 125 मेगावाट बिजली उत्पादन संभव होगा, जिससे हजारों स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। नियद नेल्ला नार योजना से शासकीय योजनाओं का सेचुरेशन सुनिश्चित किया गया है।
सुशासन तिहार के तहत 41 लाख से अधिक आवेदनों में से 99 प्रतिशत का गुणवत्तापूर्ण निराकरण कर जनसमस्याओं का समाधान किया गया। समाधान शिविरों में जनता से सीधा संवाद और शासकीय योजनाओं का पात्र लोगों को लाभ मिला। मुख्यमंत्री, मंत्रिमंडल और जनप्रतिनिधियों ने गांव-गांव जाकर विकास कार्यों की स्थिति का जायजा लिया। साय ने कहा कि छोटे कस्बों में स्कूल, अस्पताल और मल्टीप्लेक्स जैसी सुविधाओं के लिए अनुदान की व्यवस्था से पलायन रुकेगा और आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी। महतारी वंदन योजना और कृषक उन्नति योजना ने बड़े तबके की आर्थिक ताकत बढ़ाई है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के संकल्प को आत्मसात करते हुए विजन डाक्यूमेंट 2047 तैयार किया गया है, जिसमें छत्तीसगढ़ के सर्वांगीण विकास का रोडमैप है।
मुख्यमंत्री ने गर्व के साथ उल्लेख किया कि जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर बने विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज में छत्तीसगढ़ का स्टील उपयोग हुआ है। उन्होंने सुशासन एवं अभिसरण विभाग और आईआईएम रायपुर को इस आयोजन के लिए बधाई दी और कहा कि चिंतन शिविर में प्राप्त सुझाव विकसित छत्तीसगढ़ की ठोस नींव रखेंगे।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने चिंतन शिविर 2.0 के दूसरे दिन योग से की दिन की शुरुआत
रायपुर /शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) नवा रायपुर परिसर के स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में मंत्रिमंडल के सदस्यों के साथ योगासन कर चिंतन शिविर 2.0 के दूसरे दिन की शुरुआत की। उन्होंने योग को स्वस्थ जीवनशैली का आधार बताते हुए कहा कि योग न केवल शरीर को स्वस्थ रखता है, बल्कि मन को भी शांत करता है और हमें प्रकृति के अधिक समीप लाता है। यह योगाभ्यास न केवल एक प्रेरणादायक पहल थी, बल्कि प्रदेश में स्वास्थ्य एवं संतुलित जीवनशैली को प्रोत्साहित करने का भी सशक्त संदेश था।
मुख्यमंत्री साय के साथ इस योग सत्र में उपमुख्यमंत्री अरुण साव, वन मंत्री केदार कश्यप, उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन, कृषि मंत्री रामविचार नेताम, खाद्य मंत्री दयालदास बघेल, स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल, राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा तथा आईआईएम रायपुर के निदेशक प्रो. रामकुमार काकानी भी शामिल हुए।
रायपुर/शौर्यपथ /राज्यपाल रमेन डेका ने आज नक्सलियों द्वारा सुकमा के डोंड्रा के निकट किए गए IED विस्फोट में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आकाश राव गिरीपुंजे के शहीद हो जाने की घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया।
राज्यपाल ने ईश्वर से दिवंगत आत्मा की सद्गति एवं शोक संतप्त परिवार को इस दुःख की घड़ी में संबल प्रदान करने की प्रार्थना की। राज्यपाल ने घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की भी कामना की है।
विश्लेषण: शौर्य पथ न्यूज़
राजनीतिक संपादकीय
छत्तीसगढ़ की राजनीति एक बार फिर गर्म है—कारण है मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर उभरी नई सुगबुगाहट। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में संचालित भाजपा सरकार के पास अभी कुल 11 मंत्री हैं। रायपुर विधायक बृजमोहन अग्रवाल के लोकसभा सांसद बनने के बाद एक पद रिक्त हुआ है, और यही खाली पद अब चर्चाओं का केंद्र बन चुका है।
बीते कुछ महीनों से सोशल मीडिया पर संभावित मंत्रियों की सूची जैसी कई "सूचनाएं" प्रसारित हुई हैं, जो भले ही आधिकारिक न रही हों, लेकिन राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा करने के लिए पर्याप्त थीं। इस बार फिर यही दृश्य सामने है—नाम वही पुराने, लेकिन समीकरण कुछ बदले हुए।
कौन हो सकता है शामिल?
नामों की सूची में पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल, संगठन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले पुरंदर मिश्रा, महिला नेतृत्व की मजबूत आवाज लता उसेंडी, और सामाजिक समीकरण साधने के लिहाज से गजेंद्र यादव प्रमुखता से सामने आ रहे हैं। वहीं वरिष्ठता और प्रशासनिक अनुभव को देखते हुए अजय चंद्राकर का नाम भी फिर से सुर्खियों में है।
विशेष बात यह है कि कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार केवल रिक्त पद को भरने तक ही मामला सीमित नहीं रहेगा, बल्कि दो मंत्रियों की छुट्टी कर चार नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। यदि ऐसा होता है तो यह विस्तार नहीं, बल्कि पुनर्संयोजन (ह्म्द्गह्यद्धह्वद्घद्घद्यद्ग) की दिशा में बड़ा कदम होगा।
क्या दुर्ग को मिलेगा प्रतिनिधित्व?
दुर्ग जिले की बात करें तो, यहां की पत्रकारिता और राजनीतिक हलकों में अब तक किसी स्थानीय विधायक के मंत्री बनने की ठोस संभावना नहीं दिखाई गई है। राजनीतिक जानकारों का यह भी मानना है कि दुर्ग जिले में इस बार प्रतिनिधित्व मिलने की संभावनाएं सीमित हैं, और यह भाजपा के संगठनात्मक संतुलन तथा क्षेत्रीय प्राथमिकताओं का हिस्सा हो सकता है।
जनता अब अनुभवी हो चली है
यह भी दिलचस्प पहलू है कि अब आम जनता और मीडिया इन संभावित नामों की चर्चाओं को "मीडिया मैनेजमेंट" के तौर पर देखने लगी है। पूर्व के अनुभव बताते हैं कि जिन नामों की सबसे अधिक चर्चा होती है, अक्सर अंतिम सूची में वे नाम नहीं होते। यह परंपरा भारतीय जनता पार्टी की रणनीतिक शैली में देखा गया एक बारंबार घटित होने वाला तथ्य है—जहां अंतिम निर्णय यथासंभव गोपनीय और रणनीतिक संतुलन के साथ होता है।
क्या बदलेगा समीकरण?
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में सरकार ने अब तक दो वर्ष पूरे नहीं किए हैं, लेकिन शासन की स्थिरता और प्रशासनिक पकड़ को बनाए रखने के लिए मंत्रिमंडल का विस्तार या पुनर्गठन अनिवार्य होता दिख रहा है। आने वाले विधानसभा चुनावों की नींव भी इसी कार्यकाल में रखी जाएगी, ऐसे में चेहरों का चयन केवल संगठनात्मक नफा-नुकसान नहीं, बल्कि सामाजिक, जातीय और क्षेत्रीय संतुलन का भी सवाल बन चुका है।
निष्कषर्: घोषणाओं से पहले ही दांव-पेंच शुरू
मंत्रिमंडल विस्तार एक प्रशासनिक प्रक्रिया है, लेकिन छत्तीसगढ़ में यह एक व्यापक राजनीतिक संदेश देने का जरिया बन चुका है। किसकी छुट्टी होगी? किसका नाम सूची में आएगा? किस जिले को प्रतिनिधित्व मिलेगा? ये सभी प्रश्न फिलहाल अटकलों में हैं, लेकिन स्पष्ट है कि इन सभी के उत्तर केवल भाजपा नेतृत्व की रणनीतिक चुप्पी के भीतर छिपे हैं।
जब तक आधिकारिक सूची सामने नहीं आ जाती, तब तक चर्चाएं, सूचियां और नामों की दौड़ जारी रहेगी—और यही लोकतांत्रिक राजनीति की जीवंतता भी है।
जिले के किसानों को कृषि सम्बन्धी समस्याओं के समाधान के साथ आधुनिक कृषि तकनीकों की मिल रही है जानकारी
रायपुर /शौर्यपथ /कृषि मंत्री रामविचार नेताम शनिवार को सरगुज़ा जिला प्रवास के दौरान विकासखण्ड उदयपुर के ग्राम उदयपुर में आयोजित विकसित कृषि संकल्प अभियान अंतर्गत आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने उपस्थित कृषकों को बताया कि इस अभियान का मुख्य उद्देश्य किसानों को वैज्ञानिक खेती, सरकार की प्रमुख योजनाएं, उन्नत कृषि यंत्रों का उपयोग, प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूक करना है। उन्होंने कृषकों को रासायनिक खेती से होने वाले नुकसान के बारे में बताया एवं खेती में जल का उचित उपयोग करने हेतु सुझाव दिए। किसानों से खरीफ 2025 की तैयारी के संबंध चर्चा करते हुए कहा कि कृषि में वैज्ञानिक तरीकों और उन्नत तकनीकों को अपनाएं। किसी भी प्रकार की समस्या के सम्बन्ध में उपस्थित अधिकारियों एवं वैज्ञानिकों से सलाह लें। कार्यक्रम में उपस्थित अम्बिकापुर विधायक श्री राजेश अग्रवाल ने भी विकसित कृषि संकल्प अभियान के फायदे बताते हुए किसानों से अधिक से अधिक संख्या में कार्यक्रम में शामिल होने अपील की। इस दौरान कृषि मंत्री श्री नेताम ने किसानों को बीज वितरित किया।
इस दौरान किसानों को वैज्ञानिकों के द्वारा कृषकों के खरीफ संबधी समस्याओं का समाधान के साथ ही कृषि की आधुनिक तकनीक जैसे ड्रोन से यूरिया एवं कीटनाशक का छिड़काव, मृदा स्वास्थ्य कार्ड के लाभ, उन्नत किस्मों से अधिक उत्पादन, समन्वित कृषि कार्यक्रम, उर्वरकों का समुचित मात्रा में उपयोग की जानकारी दी गई। खरीफ सीजन की विशेष तैयारी और फसल विविधीकरण के तरीके किसानों को सिखाए गए तथा उत्पादकता बढ़ाने के उपायों पर विस्तार से मार्गदर्शन दिया गया। वहीं उन्नत नस्ल के पशुपालन एवं मत्स्य पर भी प्रशिक्षण दिया गया। कार्यक्रम में कृषि विभाग के उपसंचालक पी.एस. दीवान, कृषि वैज्ञानिक सूर्य प्रकाश गुप्ता सहित विभागीय अधिकारी एवं कृषक उपस्थित थे।