June 04, 2025
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शौर्यपथ

शौर्यपथ

‘‘छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (क्रेडा)’’ लगातार तीसरी बार पुरस्कृत
बहुआयामी जागरूकता कार्यशाला के आयोजन और ऊर्जा दक्ष उपकरणों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए मिला पुरस्कार
ग्रामीण क्षेत्र में ऊर्जा दक्ष उपकरणों को बढ़ावा देने कुल 77 ग्रामों को मॉडल ऊर्जा दक्ष ग्रामों में किया गया विकसित
56 स्वास्थ्य केन्द्र मॉडल ऊर्जा दक्ष स्वास्थ्य केन्द्र एवं 376 शासकीय स्कूल मॉडल ऊर्जा दक्ष शासकीय स्कूल के रूप में विकसित
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने क्रेड़ा की टीम और प्रदेशवासियों को दी बधाई
    रायपुर/शौर्यपथ /छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (क्रेडा) को नई दिल्ली में  आयोजित समारोह में ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए स्टार परफॉर्मेंस अवार्ड से पुरस्कृत किया गया। सोसाईटी ऑफ एनर्जी इजीनियर्स एण्ड मैनेजर्स - सीम द्वारा 21 सितम्बर को आयोजित 8वें नेशनल एनर्जी मैनेजमेंट अवार्ड समारोह में यह सम्मान दिया गया। श्री आलोक कटियार, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (क्रेडा) द्वारा उक्त पुरस्कार को डॉ. अशोक कुमार, उप महानिदेशक, ऊर्जा दक्षता ब्यूरों, (बी.ई.ई.) भारत सरकार के उपस्थिति में प्राप्त किया गया। इस समारोह में क्रेडा की ओर से श्री संजीव जैन, मुख्य अभियंता एवं श्री राजीव ज्ञानी, अधीक्षण अभियंता भी उपस्थित रहें। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने इस पुरस्कार के लिए क्रेडा की टीम और प्रदेशवासियों को बधाई दी है।
    उल्लेखनीय है कि लगातार 03 वर्षों (वर्ष 2020, 2021 एवं 2022 ) से क्रेडा को सीम द्वारा ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्य नामित एजेंसी के रूप में राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। ‘छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (क्रेडा)’ द्वारा विगत 11 वर्षों में प्रदेश में ऊर्जा संरक्षण एवं ऊर्जा दक्षता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की गई है। ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिसिएंसी, भारत सरकार की च्।ज् परियोजना के अंतर्गत प्रथम एवं द्वितीय चरण में कुल 44 औद्योगिक संस्थानों द्वारा प्रदेश में लगभग 2.198 मिलियन टन ऑफ ऑयल इक्वीवेलेंट ऊर्जा की बचत कर लगभग 6.67 मिलियन टन का कार्बन उत्सर्जन कम किया गया है। इस परियोजना के तहत प्रदेश के उद्योगों को कुल दस लाख से भी अधिक एनर्जी सेविंग सर्टिफिकेट ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिसिएंसी के माध्यम से प्राप्त हुए हैं। व्यावसायिक भवन क्षेत्र में ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा दिये जाने हेतु राज्य शासन द्वारा छत्तीसगढ़ ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता अधिसूचित किया गया है तथा राज्य में कुल 15 भवनों को ग्रीन भवन के रूप में प्रमाणित किया गया है तथा 8 शासकीय भवनों को स्टार रेटिंग नामित करने हेतु प्रस्ताव केन्द्र शासन को अग्रेषित किया गया है। आवासीय भवनों में इको निवास सहिता  अंतर्गत ऊर्जा दक्ष भवन निर्माण तकनीक अपनाने हेतु प्रदेश के आवासीय परियोजनाओं ऊर्जा दक्ष बनाने हेतु सतत् कार्य किया जा रहा है। इसी क्रम में क्रेडा द्वारा 150 से ज्यादा जागरूकता कार्यक्रम इंजीनियर्स एवं आर्कीटेक्ट हेतु आयोजित किया गये है।
    ग्रामीण क्षेत्र में ऊर्जा दक्ष उपकरणों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कुल 77 ग्रामों को मॉडल ऊर्जा दक्ष ग्रामों में विकसित किया गया है। इसी तरह 56 स्वास्थ्य केन्द्रों को मॉडल ऊर्जा दक्ष स्वास्थ्य केन्द्र एवं 376 शासकीय स्कूलों को मॉडल ऊर्जा दक्ष शासकीय स्कूलों के रूप में विकसित किया गया है। स्कूली छात्र छात्राओं को ऊर्जा संरक्षण के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य सेक्रेडा द्वारा कुल 603 स्कूलों में ऊर्जा क्लब का गठन किया गया है तथा आगामी वर्ष में 1 हजार से भी अधिक शैक्षणिक संस्थानों में ऊर्जा क्लब गठन किये जाने का लक्ष्य है।
    कृषि क्षेत्र में किसानों को ऊर्जा संरक्षण के विषय में क्रेडा द्वारा बहुआयामी जागरूकता कार्यशाला आयोजित किये गये है। जिसके तहत ऊर्जा दक्ष पंप के उपयोग से होने वाले ऊर्जा एवं पैसे के बचत के विषय पर राज्य के समस्त कृषि विज्ञान केन्द्रों में किसानों को जागरूक किया गया है। प्रदेश के शासकीय कार्यालय एवं संस्थानों ऊर्जा दक्ष उपकरणों के उपयोग को बढ़ावा देने हेतु क्रेडा द्वारा सतत् प्रयास किये जा रहे है जिससे विद्युत खपत में कमी लाई जा सकें।

     रायपुर/शौर्यपथ / मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज यहाँ अपने निवास कार्यालय में छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक ( अपेक्स बैंक ) की स्मारिका 'छत्तीसगढ़ की सहकारिता: नई राहें-नये कीर्तिमान' का विमोचन किया । स्मारिका में राज्य सरकार की वर्ष 2019 से 2023 तक विगत पांच वर्षों के कार्यकाल में सहकारिता के क्षेत्र में अर्जित की गयी विशिष्ट उपलब्धियों का उल्लेख किया गया है । मुख्यमंत्री ने बैंक के पदाधिकारियों को बधाई एवँ शुभकामनाएं दी ।
    इस अवसर पर छत्तीसगढ़ अपेक्स बैंक के अध्यक्ष श्री बैजनाथ चन्द्राकर, संचालक श्री द्वारिका साहू, श्री राकेश सिंह ठाकुर, प्रबन्ध संचालक श्री के.एन. कान्डे, डीजीएम श्री भूपेश चन्द्रवंशी, प्रबंधक श्री अभिषेक तिवारी और लेखाधिकारी श्री प्रभाकर कांत यादव भी उपस्थित थे ।

प्रथम चरण में 400 करोड़ रूपए का प्रावधान
विश्व बैंक से 5 वर्षों में कुल 2500 करोड़ रूपए की मिलेगी सहायता
शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के साथ स्कूलों का होगा कायाकल्प
  रायपुर/शौर्यपथ /राज्य में स्कूली शिक्षा के बदलते परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए तेजी से बदलाव लाने की दृष्टि से स्कूली शिक्षा में सुधार हेतु चॉक  परियोजना की विश्व बैंक एवं भारत सरकार से स्वीकृति प्राप्त हो गई है, आज इस परियोजना के दस्तावेजों पर विश्व बैंक, भारत सरकार एवं छत्तीसगढ़ शासन द्वारा अधिकृत रूप से हस्ताक्षर किए गए।
     वर्ल्ड बैंक की मदद से शिक्षा गुणवत्ता सुधार के साथ स्कूलों का कायाकल्प किये जाने का निर्णय लिया गया है, इसके अंतर्गत छत्तीसगढ़ शासन द्वारा पहले चरण में 400 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। इस परियोजना के माध्यम से अगले 5 वर्षों में (जुलाई, 2023 से सितंबर, 2028 ) विश्व बैंक द्वारा कुल 300 मिलियन डालर (लगभग 2500 करोड़ रूपए) की सहायता प्राप्त होगी ।
    इस परियोजना के माध्यम से प्रमुख रूप से बच्चों की उपलब्धि में सुधार की दिशा में विभिन्न कार्य, पालकों की मांग के आधार पर स्वामी आत्मानंद की तर्ज पर उत्कृष्ट परिणाम देने वाले नए स्कूलों का प्रारंभ, राज्य में सुदूर अंचलों में संचालित स्कूलों की अधोसंरचना में सुधार हेतु आवश्यक समर्थन आदि कार्य किये जा सकेंगे। इस परियोजना के आने से छत्तीसगढ़ राज्य में विगत चार वर्षों में शुरू किए गए विभिन्न सुधार कार्यों को गति एवं विस्तार देने में आसानी हो सकेगी एवं स्कूली शिक्षा की गुणवता में व्यापक सुधार हो सकेगा।
   परियोजना के अंतर्गत कक्षा के स्तर अनुरूप सीखने-सिखाने से सबंधित प्रशिक्षण, शिक्षकों को अपने लिए उपयुक्त प्रशिक्षण के चयन का अवसर (ऑन डिमॉड ट्रेनिंग), उच्च प्राथमिक से लेकर हायर सेकण्डरी स्तर की कक्षाओं के लिए प्रत्येक विषय एवं अवधारणा के लिए उपचारात्मक शिक्षण, स्कूलों में प्रभावी आकलन हेतु डिजिटल टेक्नोलोजी का उपयोग कर बच्चों के परिणामों के विश्लेषण की व्यवस्था, उच्च क्वालिटी के टेस्ट आइटम आईसीटी एवं विज्ञान प्रयोगशाला, स्मार्ट क्लासरूम की उपलब्धता, चयनित स्कूलों को अधोसंरचना विकास का लाभ, अधिक संख्या में अनुसूचित जाति एवं जनजाति बसाहट वाले विकासखंडों में स्कूलों खोले जाने का प्रस्ताव जैसे कार्यों पर फोकस किया जावेगा। साथ ही स्कूल शिक्षा में बदलाव लाए जाने हेतु राज्य में कार्यरत स्कूल प्राचार्यों को अकादमिक एवं प्रशासनिक लीडरशिप के अलावा अन्य उपयोगी मुद्दों पर उन्हें प्रशिक्षित कर व्यवहार परिवर्तन हेतु सीमेट के माध्यम से विभिन्न क्षमता विकास कार्यक्रम का आयोजन भी किया जावेगा।

  रायपुर/शौर्यपथ/ आबकारी मंत्री श्री कवासी लखमा ने अवैध शराब की बिक्री और मादक पदार्थों की तस्करी पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। श्री लखमा आज नवा रायपुर के आबकारी आयुक्त कार्यालय भवन के सभाकक्ष में विभागीय कार्याें की समीक्षा कर रहे थे।
     आबकारी मंत्री श्री लखमा ने कहा कि अवैध शराब बिक्री और मादक पदार्थों की तस्करी रोकने के लिए अन्य विभागों के साथ समन्वय बनाकर, सूचना तंत्र को मजबूत करते हुए सुनियोजित कार्य-योजना के साथ कार्यवाही करें। उन्होंने बैठक में अन्य राज्यों से आने वाले मदिरा विक्रय पर प्रभावी नियंत्रण, राज्य में अवैध मदिरा एवं अन्य मादक पदार्थाें के निर्माण, संग्रहण, परिवहन, तस्करी, कालाबाजारी, मिलावटी शराब विक्रय पर कठोर कार्यवाही करने कहा। इसके साथ ही उन्होंने विभागीय टोल फ्री नंबर 14405 पर प्राप्त शिकायतों तथा अन्य माध्यमों से प्राप्त शिकायतों पर त्वरित कार्यवाही कर शिकायतों के निराकरण के निर्देश अधिकारियों को दिए।
    आबकारी मंत्री श्री लखमा ने बैठक में आबकारी विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि निर्वाचन आयोग द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों का विभाग में पालन सुनिश्चित करने के साथ-साथ आगामी छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 को दृष्टि में रखते हुए राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थापित आबकारी जांच चौकियों में सीसीटीवी कैमरों के सर्विलांस में वाहनों की सघन जांच करें। विभागीय समीक्षा बैठक में श्री महादेव कावरे, विशेष सचिव सह आयुक्त आबकारी तथा मुख्यालय में पदस्थ समस्त वरिष्ठ अधिकारीगण एवं संभागीय व जिलों के अधिकारी मौजूद रहे।

     रायपुर/शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग द्वारा चयन प्रक्रिया के दौरान होने वाले साक्षात्कार में पात्र अभ्यर्थी को न बुलाए जाने के संबंध में सोशल मीडिया में एक समाचार प्रसारित हुआ है, जिसमें उल्लेख है कि अन्य पिछड़ा वर्ग के एक अभ्यर्थी द्वारा पीएससी के सचिव और परीक्षा नियंत्रक को पत्र लिखकर यह शिकायत की गई है कि सीजीपीएससी-2022 की भर्ती के दौरान ओबीसी श्रेणी में लिखित परीक्षा में 710 से 715 नम्बर पाने वाले अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया है। अभ्यर्थी श्री शिवम देवांगन का आरोप है कि उन्हें लिखित परीक्षा में 771.5 अंक प्राप्त हुए थे। इसके बावजूद भी साक्षात्कार के लिए नहीं बुलाया गया।
       छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग द्वारा इस संबंध में स्पष्ट किया गया है कि राज्य सेवा परीक्षा 2022 में अभ्यर्थी  श्री शिवम देवांगन द्वारा प्रथम प्रश्न पत्र के प्रश्न-सह-उत्तर पुस्तिका में पृष्ठ क्रमांक 20 पर प्रश्न क्रमांक 17 (ख) में श्री राधेश्याम तथा राजेश मोहन उल्लेख कर पहचान चिन्ह दर्शित करने के कारण आयोग द्वारा उन्हें अनर्ह घोषित करते हुए परीक्षा परिणाम प्रक्रिया से पृथक किया गया है। इस कारणवश राज्य सेवा (मुख्य) परीक्षा 2022 के साक्षात्कार की सूची में अभ्यर्थी को शामिल नहीं किया गया।
       गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग द्वारा जारी विज्ञापन की कंडिका 11 का (ix) एवं प्रश्न सह उत्तरपुस्तिका में उल्लेखित निर्देश की कंडिका-04 के अनुसार- प्रश्न-सह-उत्तर पुस्तिका में निर्धारित स्थान के अतिरिक्त कहीं पर भी अपना नाम, अनुक्रमांक, कोई धार्मिक चिन्ह, कोई पहचान चिन्ह या उत्तर के अतिरिक्त अन्य कोई अक्षर, शब्द, वाक्य या कोई धार्मिक शब्द या वाक्य नहीं लिखा जाना चाहिए। उत्तर पुस्तिका में नीले व काले बॉल पॉइण्ट पेन के अतिरिक्त अन्य किसी भी रंग अथवा किसी प्रकार के पेन जैसे स्केच पेन, हाईलाइटर, ग्लिटर पेन इत्यादि का प्रयोग न करें। ऐसा करने पर जाँचकर्ता द्वारा संबंधित अभ्यर्थी को अनर्ह घोषित किए जाने की अनुशंसा की जा सकती है। उक्त संदर्भ में आयोग का निर्णय अंतिम होगा।
उक्त निर्देशों का पालन अभ्यर्थी श्री शिवम कुमार देवांगन द्वारा नहीं किए जाने के कारण ही उन्हें अनर्ह घोषित किया गया है।

  रायपुर /शौर्यपथ /प्रदेश में वर्तमान में शिक्षकों की भर्ती की कार्यवाही प्रकियाधीन है, शिक्षक भर्ती के संबंध में सोशल मीडिया में अन्य पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को आरक्षण का पूरा लाभ न मिलने की झूठी अफवाह फैलाई जा रही है। इस संबंध में लोक शिक्षण संचालनालय के द्वारा वस्तुस्थिति स्पष्ट किया गया है कि वर्तमान में शिक्षक संवर्ग के कुल 5090 पदों पर भर्ती की कार्यवाही की जा रही है। जिनमें से अनारक्षित वर्ग के कुल 905 पद है।
    उल्लेखनीय है कि नियमानुसार मेरिट में उपर आने पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को भी अनारक्षित श्रेणी में नियुक्ति की पात्रता होती है। इस नियम का पालन करते हुये जिन 895 अभ्यर्थियों को अनारक्षित श्रेणी में नियुक्ति पत्र जारी किया गया/किया जा रहा है, उनमें से 48 अनुसूचित जाति, 04 अनुसूचित जनजाति, 623 अन्य पिछड़ा वर्ग, तथा 220 अभ्यर्थी सामान्य श्रेणी के है। इन तथ्यों से यह स्पष्ट है कि शिक्षक भर्ती में आरक्षण नियमों का पूरी तरह से पालन किया गया है और किसी भी वर्ग के अभ्यर्थी के साथ अन्याय नही किया गया है। इसके बाद भी यदि किसी अभ्यर्थी का दावा है कि मेरिट में उसके नीचे के किसी व्यक्ति को अनारक्षित श्रेणी में नियुक्ति दी गई है तो वह तत्काल संचालक लोक शिक्षण को आवेदन दे सकता है। संचालक द्वारा समय-सीमा में ऐसे आवेदनों का निराकरण किया जायेगा।
       यह भी उल्लेखनीय है कि शिक्षक भर्ती में काउंसलिंग एवं दस्तावेज सत्यापन की प्रकिया अभी भी जारी है और आरक्षित वर्ग के अनेक अभ्यर्थियों को तृतीय चरण के दस्तावेज सत्यापन हेतु दिनांक 29 एवं 30 सितम्बर 2023 को बुलाया गया है।

स्वामी आत्मानंद कोचिंग के नाम से शुरू होगी योजना
25 सितम्बर से 150 केन्द्रो में कोचिंग देने की तैयारी
रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर व कोरबा शहरों में भी होंगे कोचिंग के लिए स्त्रोत केन्द्र
कोचिंग की व्यवस्था हेतु कलेक्टरों और जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश
    रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की घोषणा के अनुरूप ख्याति प्राप्त प्रशिक्षण संस्थान से राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षा प्री मेडिकल टेस्ट (नीट) और प्री इंजीनियरिंग (आईआईटी, जेईई मेन एवं एडवांस ) की कोचिंग दी जाएगी। कोंचिग के लिए संस्थान का चयन प्रक्रियाधीन है। राज्य शासन के निर्णय अनुसार 25 सितम्बर 2023 से इस योजना का शुभारंभ राज्य के 146 विकासखण्ड मुख्यालयों में बीआरसीसी केन्द्र या इसके नजदीक हायर सेकेण्डरी में ऑनलाइन अध्ययन की व्यवस्था होगी। इसके अतिरिक्त 04 शहरी स्त्रोत केन्द्रों- रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर व कोरबा में (सीआरसी) संचालित किए जाना है। कोचिंग राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के माध्यम से छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम से चयनित संस्था द्वारा प्रदान की जाएगी।
    मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर घोषणा की थी की दूरस्थ क्षेत्रों के शासकीय शालाओं के 11वीं, 12वीं के विद्यार्थियों को इंजीनियरिंग एवं मेडिकल प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोचिंग हेतु देश की ख्याति प्राप्त संस्थाओं द्वारा सभी विकासखण्ड मुख्यालयों में ऑनलाईन कोचिंग की व्यवस्था की जाएगी।
       स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा इस संबंध में सभी कलेक्टरों और जिला शिक्षा अधिकारियों को कोचिंग के लिए आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए है। जिला शिक्षा अधिकारियों को जारी पत्र में कहा गया है कि, चूंकि ख्याति प्राप्त प्रशिक्षण संस्थान का चयन अभी नहीं हो पाया है इसलिए भौतिक, रसायन, जीवविज्ञान और गणित विषय के शासकीय संस्थाओं से ऑफ लाइन माध्यम से प्रारंभ करने की कार्यवाही की जाए। इस संबंध में कोचिंग के लिए उपयुक्त भवन या कक्ष का चयन किया जाए। प्रत्येक कक्ष में 100 प्रशिक्षणार्थियों में 50 मेडिकल और 50 इंजीनियरिंग का चयन किया जाए। प्रशिक्षणार्थियों का न्यूनतम 60 प्रतिशत अंको के साथ कक्षा 10 वीं में उत्तीर्ण होना आवश्यक है। अभ्यर्थी को संबंधित विकासखण्ड, शहर के शासकीय विद्यालय में कक्षा 12 वीं का नियमित विद्यार्थी होना चाहिए। विकासखण्ड मुख्यालय की शालाओं में कक्षा 12 वीं में जीवविज्ञान तथा गणित संकाय अंतर्गत अध्ययनरत विद्यार्थी ही पात्र होंगे। निर्धारित संख्या से अधिक आवेदन पत्र प्राप्त होने पर कक्षा 10 वीं की प्राप्त अंको की मेरिट केे आधार पर चयनित किया जाएगा। कोचिंग प्रतिदिन अपरान्ह 4.30 बजे से 6.30 बजे तक संचालित होगी। विषयवार प्रशिक्षण रोस्टर जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा तैयार किया जाएगा।
     प्रत्येक कोचिंग केन्द्र में भौतिक, रसायन, जीवविज्ञान और गणित विषय के लिए नोडल शिक्षक चिन्हित किया जाएगा और एक मुख्य नोडल अधिकारी भी होगा, जो प्राचार्य, वरिष्ठ व्याख्याता स्तर का होगा। जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा केन्द्र वार नोडल अधिकारी का चयन कर आदेश जारी किया जाएगा। इन चयनित नोडल अधिकारियों को मानदेय का प्रावधान रहेगा। इसका भुगतान छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा किया जाएगा।
    कोचिंग संस्थान तथा विद्यार्थियों के मूल्यांकन के लिए राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद द्वारा मानक मूल्यांकन पत्र विकसित किया जाएगा। कक्षा अध्यापन का प्रसारण राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के एडूसेट से किया जाना है। प्रसारण ई-विद्या चैनल के माध्यम से चैनल क्रमांक 72 पर ऑन एयर किया जाएगा तथा ऑनलाइन प्लेटफार्म गूगलमीट के माध्यम से 150 केन्द्रों में बैठे विद्यार्थी विषय विशेषज्ञों से चर्चा कर पाएंगे।

छत्तीसगढ़ के खनिज राजस्व में 30 गुना की वृद्धि
वर्ष 2022-23 में 13000 करोड़ रूपए का मिला खनिज राजस्व
वर्ष 2023-24 के भू-वैज्ञानिक क्षेत्रीय कार्यक्रम को दिया गया अंतिम रूप
    रायुपर/शौर्यपथ /राज्य स्तरीय भू-वैज्ञानिक कार्यक्रम मंडल छत्तीसगढ़ की 23वीं बैठक आज इंद्रावती भवन में खनिज साधन विभाग के विशेष सचिव श्री जय प्रकाश मौर्य की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक में वर्ष 2023-24 के भू-वैज्ञानिक क्षेत्रीय कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया गया। विशेष सचिव श्री जय प्रकाश मौर्य ने बैठक में बताया कि वर्ष 2022-23 में लगभग 13000 करोड़ रूपए के खनि राजस्व की प्राप्ति हुई है, जो राज्य स्थापना वर्ष की तुलना में लगभग 30 गुना अधिक है।
    बैठक में भौमिकी तथा खनिकर्म छत्तीसगढ़ के द्वारा क्षेत्रीय सत्र 2022-23 में सम्पन्न कार्यों की जानकारी देते हुए संचालक भौमिकी तथा खनिकर्म श्रीमती दिव्या उमेश मिश्रा ने बताया कि वर्ष 2022-23 में कुल 2.45 बिलियन टन चूनापत्थर एवं लौह अयस्क के 125 मिलियन टन भण्डार आंकलित किये गये हैं। बैठक में बताया गया कि वर्ष 2023-24 में प्रदेश में 12 विभिन्न खनिजों की कुल 45 परियोजना अन्वेषण तथा पूर्वेक्षण कार्य हेतु लिए गये हैं। जिसमें आयरन ओर के 20, फास्फोराईट के 04, चूनापत्थर के 04, गोल्ड के 04, ग्लुकोनाईट के 03, ग्रेफाईट के 02, डायमण्ड के 02, आरईई के 02, टंगस्टन के 01, लिथियम के 01, बॉक्साईट के 01 तथा बेसमेटल के 01 अन्वेषण-पूर्वेक्षण परियोजनाएं सम्मिलित हैं।
    बैठक में छत्तीसगढ़ राज्य में खनिज अन्वेषण एवं खनिज दोहन के क्षेत्र में कार्यरत भारत सरकार एवं राज्य सरकार के विभागों एवं संस्थानों द्वारा वर्ष 2022-23 में किये गये भू-वैज्ञानिक कार्यों की समीक्षा की गई। समीक्षा के दौरान जहां वर्ष 2022-23 के सम्पादित कार्यों की उपलब्धियों पर चर्चा की गई तथा प्रदेश में पाये जाने वाले खनिजों की खोज के लिए वर्ष 2023-24 में प्रस्तावित भू-वैज्ञानिक कार्यों को अंतिम रूप दिया गया।
    इंद्रावती भवन में आज संपन्न स्टेट जियोलॉजिकल प्रोग्रामिंग बोर्ड की बैठक में देश की विभिन्न शासकीय एवं निजी अन्वेषण संस्थाओं द्वारा छत्तीसगढ़ प्रदेश में खनिज विशेष के अन्वेषण हेतु प्रस्तुत प्रस्ताव पर भी वृहद् चर्चा की गई।
    गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ प्रदेश में उपलब्ध खनिज संसाधन, राज्य एवं देश के आर्थिक-सामाजिक विकास का आधार हैं। राज्य के जीएसडीपी में प्रदेश के खनिज संसाधन  11 प्रतिशत से अधिक की भागीदारी रखते हुए वार्षिक तौर पर लगभग 13 हजार करोड़ का खनिज राजस्व देते हैं। छत्तीसगढ़ प्रदेश के यूनिक जियोलॉजिकल सेटअप अनुसार यहां लौह अयस्क, कोयला, डोलोमाईट, चूनापत्थर, बाक्साईट इत्यादि बल्क मिनरल्स के अलावा बहुमूल्य एवं सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण खनिजों यथा ग्लूकोनाईट, ग्रेफाईट, निकल, क्रोमियम एवं पीजीई, की उपलब्धता भी विभिन्न एजेंसियों द्वारा प्रमाणित की गई है। तथापि अब तक प्रदेश में खनिजों का दोहन कोयला, लौह अयस्क, बाक्साईट, लाईमस्टोन तक सीमित है।
    प्रदेश के बहुमूल्य एवं सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण उपर्युक्त खनिज देश की कृषि, आईटी, ऑटोमोबाईल्स, स्पेस टेक्नोलॉजी जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए आधारभूत खनिज हैं। उक्त तथ्य को दृष्टिगत रखते हुए विभाग द्वारा इन खनिजों के अन्वेषण एवं विकास को गति देने अन्वेषण कार्य में जीएसआई, एमईसीएल के अलावा शासकीय एवं निजी नोटिफाईड एक्सप्लोरेशन एजेंसीज को शामिल किया जा रहा है। खनिज विभाग द्वारा स्वतः के अतिरिक्त आउटसोर्सिंग से भी कार्य किया जा रहा है।
    बैठक में जानकारी दी गई कि प्रदेश में डीजीएम के अलावा जीएसआई, एमईसीएल, सीएमपीडीआईएल, एएमडी, एनएमडीसी, मॉयल आदि देश के नवरत्न कंपनियां विभिन्न खनिजों के अन्वेषण कार्य में संलग्न हैं। एसईसीएल द्वारा भी अब कोयला के अलावा अन्य खनिजों के दोहन में रूचि ली जा रही है। परिणामस्वरूप प्रदेश में लगभग 13 परियोजनाएं बहुमूल्य एवं सामरिक महत्व के खनिजों के लिए प्रस्तावित की गई हैं। इस प्रयास से विभाग द्वारा ग्लूकोनाईट, ग्रेफाईट, निकल, क्रोमियम एवं पीजीई, गोल्ड के 06 ब्लॉक्स ई-नीलामी के माध्यम से देश के महत्वपूर्ण माईनिंग कंपनियों को पारदर्शितापूर्ण नीलाम किये गये है। राज्य के खनिज विभाग का यह प्रयास देश में इन खनिजों की उपलब्धता में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित की जा सके। ग्लूकोनाईट, निकल, क्रोमियम एवं पीजीई खनिज ब्लाकों का ई-नीलामी के माध्यम से आबंटन करने वाला छत्तीसगढ़, देश में प्रथम राज्य है।
    वर्ष 2015 में खनिज नियमों में संशोधन उपरांत विभाग द्वारा कोयला के अतिरिक्त अब तक कुल 33 खनिज ब्लाकों का आबंटन ई-नीलामी से किया गया है। इन ब्लॉकों के दोहन से आने वाले वर्षों में प्रदेश को 01 लाख करोड़ से ज्यादा की आय होगी। बैठक में केन्द्र सरकार तथा राज्य शासन के विभिन्न विभागो, उपक्रमों के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे।

सड़क सुरक्षा परिदृश्य की राज्य स्तरीय समीक्षा बैठक सम्पन्न
    रायपुर/शौर्यपथ /मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन की अध्यक्षता में आज यहां मंत्रालय महानदी भवन में छत्तीसगढ़ राज्य सड़क सुरक्षा परिदृश्य की समीक्षा बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में मुख्य सचिव ने सड़क दुर्घटनाआंे के नियंत्रण एवं रोकथाम के लिए सुरक्षित यातायात व्यवस्था सहित प्रभावी कार्ययोजना के तहत कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। बैठक में ब्लैक स्पॉट एवं सड़कों के मुख्य मार्ग में जंक्शन में सुधार कार्य, स्ट्रीट लाइटिंग संकेतक, ट्राफिक कॉमिंग के उपाय सहित सड़कों पर अतिक्रमण नहीं होने के संबंध में व्यापक चर्चा हुई। मुख्य सचिव ने सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के उपायों के तहत सड़कों में जंक्शन सुधार संबंधित उपायों पर तेजी से कार्य करने के निर्देश दिए हैं। बैठक में सड़क सुरक्षा कार्ययोजना, जन-जागरूकता कार्यक्रम, यातायात शिक्षा सहित अन्य मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई। बैठक में डीजीपी श्री अशोक जुनेजा विशेष रूप से मौजूद थे।
      मुख्य सचिव ने सड़क दुर्घटनाओं में नियंत्रण के लिए सड़कों पर चिन्हित ब्लैक स्पॉट के सुधार कार्यों को तेजी से करने के निर्देश लोक निर्माण विभाग, राष्ट्रीय राजमार्ग, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों को दिए। इसी तरह से उन्होंने ओव्हर लोडिंग वाहनों पर प्रभावी कार्यवाही करने सड़कों पर पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था एवं संकेतक लगाने के निर्देश अधिकारियों को दिए। नगरीय प्रशासन विभाग के अधिकारियों को सड़कों पर वाहन चालकों के लिए साइनबोर्ड लगाने, सड़कों, फुटपाथ तथा पार्किंग स्थलों के अतिक्रमण हटाने, सड़कों पर आवारा पशुओं को हटाने, तथा सड़कों में सड़क सुरक्षा उपायों की व्यापक व्यवस्था करने के निर्देश दिए।
      छत्तीसगढ़ सड़क सुरक्षा परिदृश्य के संबंध में अंतर्विभागीय लीड ऐजेंसी के अध्यक्ष श्री संजय शर्मा ने विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि सड़क दुर्घटनाओं में नियंत्रण के लिए इस वर्ष माह जनवरी से अगस्त 2023 तक 3,18,169 प्रकरणों में चालानी कार्यवाही कर 13 करोड़ 52 लाख 78 हजार 950 रूपए शमन शुल्क वसूल किया गया। परिवहन विभाग द्वारा इस वर्ष माह जनवरी से अगस्त तक 5,71,425 प्रकरणों में चालानी कार्यवाही कर करीब 108 करोड़ 98 लाख 55 हजार रूपए शमन शुल्क वसूल किए गए। लीड एजेंसी सड़क सुरक्षा द्वारा लगातार पहल के फलस्वरूप कक्षा पहली से दसवीं तक छत्तीसगढ़ शिक्षा मंडल के पाठ्यक्रम में सड़क सुरक्षा यातायात के विषय पाठ्यक्रम में सम्मिलित किए गए हैं।
      इस वर्ष चिन्हित 118 ब्लैक स्पॉटस में से 84 में सुधार कार्य पूर्ण कर लिए गए है और 68 प्रक्रियाधीन, 3972 में से 2100 जक्शंन में सुधार कार्य पूर्ण कर लिए गए हैं, 1872 प्रक्रियाधीन। 09 ट्रक ले बाय पूर्ण, 21 प्रगति पर तथा 241 बस ले बाय पूर्ण, 179 प्रगति पर, 02 रेस्ट एरिया पूर्ण, 04 प्रगति पर हैं। सड़क दुर्घटना के कारणों के विश्लेषण के लिए इटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डाटा बेस के क्रियान्वयन के लिए पुलिस, परिवहन, स्वास्थ्य, लोक निर्माण विभाग सहित अन्य निर्माण एजेंसियों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों का माह जुलाई, 2021 से 31 जुलाई 2023 तक की स्थिति में कुल 6443 प्रशिक्षण सत्रों में कुल 25,925 अधिकारियों-कर्मचारियों का प्रशिक्षण दिया गया। ड्रायविंग एण्ड ट्राफिक रिसर्च प्रशिक्षण संस्थान में 9 दिसंबर 2021 से अगस्त 2023 तक कुल 626 यातायात पुलिस कर्मियों, पुलिस अधिकारी-कर्मचारी सहित 15,977 अन्य व्यक्ति प्रशिक्षण प्राप्त कर लाभान्वित हुए। इसी तरह से सड़क सुरक्षा के संबंध में करीब 6098 विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। जिसमें लगभग 80 लाख 83 हजार 738 लोग लाभान्वित हुए है।
     राज्य के आठ जिलों में रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, अंबिकापुर, जगदलपुर, कोरबा, रायगढ़ और राजनांदगांव में आटोमेटिक फिटनेस सेंटर की स्थापना करने की कार्यवाही की जा रही है। रायपुर जिले में यह प्रारंभ किया जा चुका है। परिवहन विभाग द्वारा अंतर्राज्यीय चेक पोस्ट एवं परिवहन उड़नदस्ता के द्वारा ओव्हरलोडिंग की जांच हेतु सात वे-पेड का उपयोग उड़नदस्ता के द्वारा किया जा चुका है। इसी क्रम में कुल 14 स्थानों पर वे-ब्रीज की स्थापना की गई है। शेष स्थानों पर वे-ब्रीज की स्थापना की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।  बैठक में परिवहन विभाग के सचिव श्री एस.प्रकाश, वित्त विभाग के सचिव श्री अंकित आनंद, शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. एस.भारतीदासन, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक यातायात श्री प्रदीप गुप्ता, छत्तीसगढ़ रोड एण्ड इन्फ्रॉस्ट्रक्चर डेवलपमेंट कार्पोरेशन के प्रबंध संचालक श्री सारांश मित्तर, विशेष सचिव खनिज विभाग एवं आयुक्त चिकित्सा शिक्षा श्री जयप्रकाश मौर्य, लोक निर्माण विभाग के सचिव श्री आलोक कटियार और गृह विभाग, नगरीय प्रशासन, नेशनल हाईवे, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण सहित अन्य विभागों के अधिकारी शामिल हुए।

   रायपुर/शौर्यपथ /छत्तीसगढ़ में किसानों द्वारा बच की खेती की शुरूआत हो गई है, जो मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप वनमंत्री श्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ आदिवासी स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधि पादप बोर्ड की पहल से संभव हुई है। छत्तीसगढ़ में वर्तमान में 108 एकड़ में प्रायोगिक तौर पर बच की खेती की जा रही है, जिससे प्रति एकड़ 80 हजार रूपए से 1.00 लाख रूपए तक आय की प्राप्ति किसानों को होगी। प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख श्री व्ही. श्रीनिवास राव ने बताया कि बच उत्पादन से धान की अपेक्षा किसानों की आय में कई गुना वृद्धि की संभावना है।  
        इस तारतम्य में मुख्य कार्यपालन अधिकारी छत्तीसगढ़ आदिवासी, स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधि पादप बोर्ड श्री जे. ए. सी. एस. राव ने जानकारी दी कि बच एक औषधीय पौधा है, बेंगलोर के टूंकूर गांव के किसानों ने इसकी खेती में आने वाले समस्याओं के कारण इसका कृषिकरण कम कर दी है तो छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की सीमा पर बसे पेण्ड्रा जिले के गांव तथा खटोला, अनवरपुर, तुपकबोरा, मुरली और तेन्दुपारा के किसानों बच की खेती की विधि सीख ली है। इन्हें बोर्ड द्वारा निःशुल्क औषधीय पौधे एवं मार्गदर्शन मिला है। इधर महासमुंद जिले के बागबाहरा, तेन्दुकोना क्षेत्र के ओमकारबंध के किसानों ने भी बच के कृषिकरण का कार्य प्रारंभ कर दिया है। अब तक लगभग छत्तीसगढ़ के 108 एकड़ से भी अधिक क्षेत्र में बच की खेती की जा रही हैं। किसानों द्वारा सकारात्मक रूप से बच को अपनाया जा रहा है, क्योंकि बहुत ही कम लागत में बच की खेती से अधिक लाभ की संभावना है।
      बच की खेती के लिए बैंगलोर का एक गांव टंूकूर देश में प्रथम स्थान पर था। वहां इस औषधीय पौधे की व्यावसायिक खेती 3 से 4 हजार एकड़ में विस्तृत रूप से की जाती थी लेकिन यहां बच के कृषिकरण में किसानों को मजदूरी दर ज्यादा होने के कारण व पानी की समस्या एवं अन्य समस्याओं के कारण बच की खेती सिमट कर 106 एकड़ में आ गई है।
 बच कृषिकरण तकनीक
      बच को धान के फसल के समान ही वानिकी खेती के रूप में अपनाया जा सकता है 1 इसकी बुआई धान के फसल के समान जुलाई से सितंबर माह तक की जाती है। एक एकड़ में रोपण हेतु 25 से 30 हजार पौधे की आवश्यकता होती है। इसकी फसल 8 से 9 माह में तैयार हो जाती है। फसल की कटाई अप्रैल से जून माह के मध्य किया जाता है। एक एकड़ से लगभग 1 से 3 टन तक उपज का उत्पादन संभावित होती है। बच की वर्तमान बाजार कीमत 50 से 60 रु प्रति किग्रा तक होती है। इस हिसाब से किसानों को एक एकड़ में 1 लाख से भी अधिक आय प्राप्त होती है।
प्रसंस्करण की विधि
      बच के प्रकंद के 3 से 4 इंच के टुकड़ों में काटकर आशिक छाया क्षेत्र में सूखा लिया जाता है। इसके पश्चात् इसकी पालिशिंग मशीन से कराई जाती है, जिससे उत्पाद बाजार में विक्रय हेतु तैयार हो जाता है। बोर्ड द्वारा मार्केटिंग हेतु भी सुविधा प्रदाय की जाती है। जिससे किसानों को 15 दिनों में ही उपज का पैसा प्राप्त हो जाता है।
रोपण सामग्री की उपलब्धता
      बच की खेती करने के लिए बच की पौधे की चिता की आवश्यकता नही है। पहले वर्ष रोपित किये जाने वाले पौधे राज्य शासन की योजना अंतर्गत बोर्ड के माध्यम से निःशुल्क प्रदाय किया जाता है। प्रथम वर्ष में आवश्यकतानुसार 10 से 15 प्रतिशत पौधों को छोड़ दिया जाता है, जो कि 40 दिन में फिर से पौधा तैयार हो जाता है, जिसे रोपण सामग्री नर्सरी के रूप में अगले वर्ष रोपण के लिए उपयोग किया जाता है। शेष का संग्राहण कर लिया जाता है। इस प्रकार प्रत्येक वर्ष रोपित किये जाने वाले पौधों की उपलब्धता बनी रहती है।
     बच को छत्तीसगढ़ी में घोड़बंध या भूतनाशक के नाम से भी जाना जाता है। जिसका उपयोग त्वचा रोग, न्यूरोलाजिकल डिसआर्डर, पेट संबंधी बिमारी एवं हृदय रोग संबंधी दवाई बनाई जाती है। इसे कई रोगों में उपयोग किये जाने के कारण इसकी बाजार मांग अत्यधिक है।

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