June 04, 2025
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शौर्यपथ

शौर्यपथ

     नवागढ़/शौर्यपथ /स्वछता ही सेवा पखवाडा अंतर्गत इन्डियन स्वच्छता लीग का आयोजन किया गया। नवागढ़ नगर पंचायत प्रागण में निकाय के अधिकारी कर्मचारी, सफाई कर्मचारी, सफाई मित्र एवं उपस्तिथि में  स्वास्थ्य परिक्षण, आवास योजना, उज्वाल्ला योजना, स्मार्ट कार्ड जैसी अन्य आवश्यक सुविधावों के लिए जानकारी दी गई। जो सफाई मित्र योजना से वंचित है उन्हें तत्काल सम्बन्धित फॉर्म भरवाया गया।
      नवागढ़ सीएमओ टीआर चौहान ने नागरिको से अपील किया कि कचरा खुले में न फेके। कचरा डोर टू डोर सफाई मित्रो को सुखा एवं गिला कचरा अलग अलग कर देने हेतु सुझाव दिया। सिंगल यूज प्लास्टिक से शहर को मुक्त करने में सहयोग प्रदान करने की अपील की।
   इस दौरान संजय मोटवानी उपभियंता,  मुकेश तिवारी लेखापाल, मिलन सोनकर भिखम, कुशाल, विश्वजीत, हेमंत संतराम, रामकुमार एवं निकाय के कर्मचारी उपस्थित रहे।

   नवागढ़/शौर्यपथ / जनपद पंचायत नवागढ़ अंतर्गत ग्राम पंचायत तेंदुआ के उपसरपंच एवं पंचों ने ग्राम पंचायत के सचिव पर फर्जी बिल लगाकर पंचायत मद से 12 लाख की राशि का गबन करने का आरोप लगाते हुए बेमेतरा जिला पंचायत सीईओ, एसडीएम नवागढ़ एवं नवागढ़ जनपद सीईओ के समक्ष शिकायत किया है। शिकायतकर्ताओं ने सचिन को तत्काल स्थानांतरित करने तथा ग्राम पंचायत खाते से राशि आरंभ पर रोक लगाने की मांग की है।
    शिकायतकर्ता उप सरपंच महेंद्र वर्मा के अनुसार तेंदुआ के सचिव दानेश्वर  राजपूत ने जनवरी से अगस्त 2023 के बीच पंचों को बिना बताए 14 वे एवं 15 वे वित्त मद की राशि 17,13,665 रुपये विभिन्न व्यक्तियों के खाते में ऑनलाइन अंतरण किया है। शिकायतकर्ताओं ने बताया कि हमारी जानकारी के अनुसार जनवरी से अगस्त के बीच ग्राम पंचायत के वार्ड पंच में सीसी रोड निर्माण कार्य, मुरमीकरण, नाली निर्माण, मोटर पंप मरम्मत शाहिद कल 4,80,000 रुपये का कार्य हुआ है।
   पंचों ने आरोप लगाया कि सचिन ने फर्जी बिल लगाकर शेष राशि 12,33,000 रुपये का गबन किया है। राशि किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर ऑनलाइन अंतरण किया गया है और फर्जी बिल किसी अन्य व्यक्ति या फर्म का लगाया गया है।
  पंचों ने मांग किया है कि सचिन राजपूत को तत्काल स्थानांतरित कर लेखा एवं तकनीकी विशेषज्ञों से जांच मूल्यांकन या सत्यापन कराकर अंतर की राशि सचिव से वसूल किया जाए एवं सचिव की शासकीय सेवा समाप्त किया जाए।
ग्राम पंचायत तेंदुआ के उपसरपंच महेंद्र वर्मा,‌पंचगण भागीरती वैष्णव, राजेंद्र साहु, हेमंत वर्मा, शत्रुहन वर्मा, परमेश्वर राजपूत, अनुप वर्मा , मंदाकिनी बाई वर्मा,  रजनी बाई वर्मा, रूखमणी बाई साहू ने शिकायत किया हैं।

लोगों को स्वच्छता, रक्तदान एवं अंगदान के लिए किया जा रहा प्रेरित
    कोण्डागांव/शौर्यपथ /भारत सरकार के द्वारा संचालित ‘आयुष्मान भवः 3.0‘ कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया है। जिसमें दिसम्बर माह तक स्वास्थ्य सुविधाओं को लोगों तक सुगमता से पहुंचाने हेतु प्रयास किया जायेगा। ‘आयुष्मान भवः‘ कार्यक्रम अंतर्गत जिला में 120 स्वास्थ्य संस्थाओं में 14 से 20 सितम्बर तक आयुष्मान भवः मेला का आयोजन किया गया था। इस मेले में जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर ग्रामीणों को स्वास्थ्य योजनाओं के बारे में अवगत कराया गया। जिले में अब तक आयुष्मान भवः मेले के द्वारा 3000 से अधिक मरीजों का ईलाज किया जा चुका है। जिसमें एनसीडी स्क्रीनिंग, सीबेक फार्म, आभा आईडी का निर्माण 30 हजार एवं 41 हजार आयुष्मान कार्ड जारी किया जा चुका है। आयुष्मान कार्ड एवं आभा आईडी एवं एनसीडी स्क्रीनिंग को बढ़ाने हेतु ग्रामीण स्तर पर शिविर का आयोजन किया जा रहा है।
घर-घर जाकर आयुष्मान कार्ड का निर्माण एवं ऑनलाईन कार्ड का वितरण किया जाना है। जिससे लोगों में आयुष्मान कार्ड हेतु जागरूकता फैलाया जा सके एवं व्यापक रूप से आयुष्मान कार्ड का निर्माण एवं वितरण किया जा रहा है। विकासखण्ड स्तर पर मेला का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें जिला चिकित्सालय एवं मेडिकल कॉलेज के समन्वयन से जनरल सर्जन, कान नाक, गला रोग विशेषज्ञ, स्त्री रोग विशेषज्ञ, शिशु रोग विशेषज्ञ एव नेत्र रोग विशेषज्ञों के द्वारा विकासखण्ड स्तर पर शिविर लगाकर सुविधाएं प्रदान कि जा रही है।
जिसके फलस्वरूप विकासखण्ड स्तर पर विशेषज्ञों की सुविधा आम जन तक पहुँचाई जा रही है। प्रति सप्ताह मेले की थीम इस प्रकार है- प्रथम सप्ताह गैर संचारी रोगों का जांच एंव जागरूकता, द्वितीय सप्ताह संचारी रोग, टीबी एवं कुष्ठ की जांच एवं जागरूकता, तृतीय सप्ताह माता एवं शिशुओं का स्वास्थ्य एवं पोषण, चतुर्थ सप्ताह सिकल सेल की जांच एवं कार्ड का वितरण।
स्वच्छता पखवाड़ा अंतर्गत जिले के समस्त हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटरों में स्वच्छता का कार्य किया जा रहा है एवं जनसमूह को स्वच्छता हेतु प्रेरित किया जा रहा है। रक्तदान महादान के अंतर्गत जिले में रक्तदान हेतु शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। जिस तारतम्य में जिला एवं विकासखण्ड स्तर पर शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। जिला अस्पताल में अब तक कुल 9 यूनिट ब्लड का स्वेच्छित रक्तदान रक्तदाताओं द्वारा किया जा चुका है। जिले में निरंतर रक्त का आभाव रहता था अतः रक्तदान शिविर के द्वारा जरूरत के समय रक्त कि उपलब्धता बनी रहेगी। अंगदान के अंतर्गत जिले में अंगदान हेतु जनसमूह में स्वेच्छित अंगदान करने हेतु जनसमूह को प्रेरित किया जा रहा है। विशेषज्ञों की सुविधा आम जन तक पहुंचाई जा रही है। प्रति सप्ताह मेले की थीम तय किया गया है।
जिसके तहत  प्रथम सप्ताह में गैर संचारी रोगों की जांच एवं जागरूकता, द्वितीय सप्ताह में संचारी रोग, टीवी एवं कुष्ठ की जांच एंव जागरूकता, तृतीय सप्ताह में माता एवं शिशुओं का स्वास्थ्य एवं पोषण, चतुर्थ सप्ताह में सिंकल सेल की जांच एवं कार्ड का वितरण किया जायेगा। स्वच्छता पखवाड़ा अंतर्गत जिले के समस्त हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटरों में स्वच्छता का कार्य एवं जनसमूह को स्वच्छता हेतु प्रेरित किया जा रहा है। रक्तदान महादान अंतर्गत जिले में रक्तदान हेतु शिविरों का आयोजन जिला एवं विकासखण्ड स्तर पर किया जा रहा है।

समारोह के दूसरे दिन स्कूली बच्चों ने दी शानदार प्रस्तुति
 सुआ, कर्मा, ददरिया के साथ राजस्थानी, बिहू और गरबा नृत्य ने मोहा दर्शकों का मन
रायपुर /शौर्यपथ /संस्कृति विभाग द्वारा लौह नगरी रायगढ़ में प्रतिवर्ष की तरह आयोजित इस वर्ष की चक्रधर समारोह में छत्तीसगढ़ी संस्कृति की झलक देखने को मिल रही है। चक्रधर समारोह में स्थानीय स्कूली छात्र-छात्राओं ने सांस्कृतिक छटा बिखेरा। विद्यार्थियों ने छत्तीसगढ़ के स्थानीय संस्कृति को नृत्य के माध्यम से मनमोहक प्रस्तुति दी। समारोह में राउत नाचा से लेकर सुआ, ददरिया, कर्मा जैसे विभिन्न स्थानीय सांस्कृतिक नृत्यों के साथ देश के विभिन्न राज्यों के ओड़िशी, गुजराती बिहू जैसे सांस्कृतिक नृत्यों की झलक भी देखने को मिली। स्कूली बच्चों के मनमोहक प्रस्तुति का शहरवासियों ने आनंद उठाया और बच्चों का उत्साहवर्धन किया। उल्लेखनीय है कलेक्टर श्री तारन प्रकाश सिन्हा की पहल पर इस वर्ष चक्रधर समारोह में स्थानीय कलाकारों के साथ ही स्कूली एवं नवोदित कलाकारों को बड़ी संख्या में अवसर दिया गया हैं।
    समारोह में एमएसपी पब्लिक स्कूल के बच्चों ने देशभक्ति गीत भारत मां की जय बोलव रे, छत्तीसगढ़ की जय बोलव, तिरंगा झंडा लहराए जावथे, जन-गण-मंगल के धुन गावथे पर छत्तीसगढ़ी नृत्य के साथ मनमोहक प्रस्तुति दी। इसी प्रकार न्यू होराइजन स्कूल के बच्चों ने झुलना मा झूले... छत्तीसगढ़ी लोक गीत पर कर्मा नृत्य की जबरदस्त प्रस्तुति दी। कार्यक्रम की इस कड़ी में जिंदल आदर्श ग्राम्य भारती उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के स्कूली बच्चों ने ओडिशा की संबलपुरी नृत्य से दर्शकों का दिल जीता।
     बच्चों ने संबलपुर की समलाई माता की आराधना करते हुए लोक परंपरा को प्रदर्शित किया। इसी के साथ ही सेन्ट जेवियर स्कूल के बच्चों ने राजस्थानी लोक नृत्य की प्रस्तुति दी, राजस्थान में ढोला मारू की प्रेम गाथा को लोक-गीत के माध्यम से गाते हुए एवं नृत्य किया जाता है, जिस पर बच्चों ने गोपाल शर्मा के निर्देशन में राजस्थानी घूमर, ढोला मारू की प्रेम गाथा एवं कालबेलिया में रंगीली नागन नृत्य से दर्शकों को बांधे रखा। वहीं गुजरात की लोक प्रिय गरबा नृत्य, जिसे नवरात्रि के अवसर पर देश के साथ छत्तीसगढ़ में देखने को मिलता है, जिसकी खूबसूरत झलक आज गार्जेयन एंड गाइड के बच्चों ने मंच में दिखाई। देश की पूर्वाेत्तर राज्य असम में प्रचलित बिहू नृत्य ने दर्शकों को बांधे रखे। जिसकी मनमोहक प्रस्तुति सेंट टेरेसा स्कूल के बच्चों ने दी। ओपी जिंदल स्कूल तराईमाल के बच्चों ने झांसी की रानी खूब लड़ी मर्दानी पर प्रस्तुति दी।

 टिप्स /ट्रिक्स /शौर्यपथ / भारतीय किचन में आपको करी पत्ता  आसानी से नजर आ जाएगा. इसका इस्तेमाल अलग-अलग व्यंजनों में किया जाता है. इससे खाने का स्वाद दोगुना हो जाता है. इसलिए लोग इसका ज्यादा से ज्यादा  इस्तेमाल करते हैं. लेकिन कभी-कभी ये आसानी से नहीं मिलता. इसके लिए लोगों को लंबे समय तक बाजार घूमना पड़ता है. अगर आप भी करी पत्ते के शौकीन है और अपने खाने को स्वादिष्ट बनाना चाहते हैं, तो अब आपको बाजार जाने की जरूरत नहीं है. बस इन आसान टिप्स को फॉलो करें और अपने घर में ही करी के पौधे को उगाएं.
घर पर करी पत्ते ऐसे उगाएं
    एक पॉट यानि गमले में मिट्टी भर लें और उसके अंदर करी के पत्ते के एक बीज को डाल दें.
    मिट्टी को भरपूर पानी देते रहें, लेकिन ध्यान रखें पानी की मात्रा ज्यादा नहीं होनी चाहिए.
    हर दिन कम से कम 6 घंटे तक उस पॉट को धूप मिलनी चाहिए.
    बढ़ते हुए पौधे के अच्छे विकास के लिए बीच- बीच में उसकी छंटाई करते रहें.
    करीब 1 साल बाद उस गमले को बदल दें. याद रखें इस बार गमले का साइज पौधे के अनुसार बड़ा होना चाहिए.
    एक-दो साल तक पौधे से करी के पत्ते को ना तोड़े जब तक वो पूरी तरह तैयार ना हो जाए.
    जब करी के पौधे में पूरे पत्ते आ जाएं तो उसे गमले से जड़ से निकाल कर जमीन में लगा लें.
    इस तरह कड़ी का पत्ता अब इस्तेमाल के लिए तैयार है.
    आप इसके पत्ते को फ्रिज में स्टोर करके रख सकते हैं और चाहे तो इसका पाउडर बनाकर भी इस्तेमाल कर सकते हैं.

  ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ / आजकल लोग अपनी स्किन को जवां रखने के लिए कई तरह के ट्रीटमेंट लेते हैं जिसमें से एक बोटॉक्स भी है. लेकिन यह ब्यूटी ट्रीटमेंट महंगा होता है जिसका खर्चा हर कोई नहीं उठा सकता है. लेकिन आप अपने फेस को घर पर तैयार फेस पैक से भी बोटॉक्स   कर सकते हैं. इसको बनाने के लिए आपको किन-किन चीजों की जरूरत पड़ेगी इस आर्टिकल में बताने वाले हैं. तो आइए जानते हैं.
बोटॉक्स फेस पैक सामग्री
01 चम्मच चिया सीड
03 टेबल स्पून दूध
01 चम्मच एलोवेरा जैल
आधा चम्मच शहद
कैसे बनाएं
  सबसे पहले आप चिया और दूध, दोनों को मिलाकर एक बाउल में आधे घंटे के लिए रख दीजिए. फिर आप ब्लेंडर में अच्छे से मिक्स कर लीजिए. इसके बाद इस मिश्रण में आधा चम्मच शहद और 01 चम्मच एलोवेरा जैल मिला लीजिए.
   अब आप इस पैक को चेहरे पर अच्छे से लगा लीजिए. फिर इसे सूखने के लिए छोड़ दीजिए चेहरे पर. अब आप इसे अच्छे से साफ कर लीजिए. इसको अप्लाई करने के बाद आपको अपने चेहरे पर खुद ही बदलाव महसूस होगा. तो आज ही आप इस रेमेडी को घर पर तैयार कर लीजिए.

    मनोरंजन /शौर्यपथ /बॉलीवुड इंडस्ट्री में अपना नाम कर चुकीं पद्मिनी कोल्हापुरे आज भी फैन्स की फेवरेट एक्ट्रेस हैं. पद्मिनी ने अपने फिल्मी करियर में एक से एक हिट फिल्में दी हैं. 'दाता', 'स्वर्ग', 'नया कदम', 'सौतन', 'स्टार' जैसी कई सुपर हिट फिल्मों में अपनी शानदार अदाकारी से अपनी सबसे अलग पहचान बनाई है. पद्मिनी भले ही इन दिनों पर्दे से दूर हों, लेकिन उनके बेटे प्रियांक शर्मा एक पॉपुलर एक्टर और आर्टिस्ट हैं. बता दें कि प्रियांक सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं और उनकी कई तस्वीरें इस समय वायरल हो रही हैं.
      पद्मिनी कोल्हापुरे के बेटे प्रियांक शर्मा सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं. प्रियांक बॉलीवुड एक्ट्रेस श्रद्धा कपूर के भाई हैं. इंस्टाग्राम पर अपनी लेटेस्ट फोटो से वे फैन्स को हैरान कर देते हैं. हाल ही में शेयर की गई उनकी एक फोटो फैन्स को बेहद पसंद आ रही है. इस फोटो में वे ब्लू कलर के कढ़ाईदार इंडो वेस्टर्न कुर्ता पजामा में फोटो के लिए पोज देते नजर आ रहे हैं. फोटो में उनका लुक किसी बॉलीवुड हीरो से कम नहीं लग रहा है. वहीं कुछ लोग तो प्रियांक को देखने के बाद वेटरन एक्ट्रेस ऋषि कपूर को याद करने लगे हैं.
      प्रियांक की तस्वीरें देख एक यूजर ने कमेंट करते हुए लिखा है, 'मां के ऊपर गया हैं प्रियांक फेस काफी मिलता है'. तो वहीं दूसरे यूजर ने लिखा है, 'मानना पड़ेगा आपको सर'. प्रियांक शर्मा को उनके ऑन स्क्रीन नेम पप्पू मिश्रा से भी पहचाना जाता है. सब कुशल मंगल फिल्म में उनका ये किरदार काफी फेमस हुआ था.

     शौर्यपथ /लंदन, 21 सितंबर (द कन्वरसेशन) अल्जाइमर रोग से दुनियाभर में 5 करोड़ 50 लाख लोगों को प्रभावित हैं. इसके बावजूद अल्जाइमर रोग का अभी भी कोई इलाज नहीं है. यह बात निराशाजनक हो सकती है, लेकिन इस क्षेत्र में हाल की प्रगति में कई आशाजनक दवाएं देखी गई हैं जो बीमारी की प्रगति को धीमा कर सकती हैं और अंतिम चरण के क्‍ल‍िनिकल टेस्‍ट में पास हो सकती हैं. इस तरह की दवाओं के साथ मुख्य बात यह है कि लक्षण शुरू होने के तुरंत बाद लिए जाने पर वे सबसे अधिक प्रभावी होती हैं.
दुख की बात यह है कि फिलहाल डाइग्‍नोज तकनीकें अल्जाइमर को इतनी जल्दी नहीं पकड़ पाती हैं. यही वजह है कि इलाज और दवाओं पर इसका फायदेमंद असर नहीं हो पाता. साक्ष्य बताते हैं कि अल्जाइमर रोग के लक्षण (symptoms) शुरू होने से 20 साल पहले तक रक्त में पाए जा सकते हैं. बीमारी को इतनी जल्दी पकड़ने से रोगियों के उपचा के नतीजों पर बड़ा असर पड़ सकता है.
कुछ अमेरिकी कंपनियों ने अब अल्जाइमर रक्त परीक्षण विकसित किया है जो उपभोक्ताओं के लिए सीधे आपूर्तिकर्ता से या रोगी के डॉक्टर के अनुरोध पर खरीदने के लिए उपलब्ध है. लेकिन हालाँकि ये परीक्षण बीमारी के लक्षणों का पता लगा सकते हैं, फिर भी उनके परिणामों की सावधानी से व्याख्या की जानी चाहिए.
अल्जाइमर रोग का निदान |
अल्जाइमर रोग का निदान परीक्षणों के संयोजन का उपयोग करके किया जाता है. संज्ञानात्मक परीक्षण किसी व्यक्ति की याददाश्त और सोचने की क्षमता को देखते हैं. बायोमार्कर परीक्षण किसी व्यक्ति के शरीर में मस्तिष्क इमेजिंग स्कैन या सेरेब्रोस्पाइनल तरल पदार्थ (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी पर परत बनाने वाला तरल पदार्थ) के नमूने में बीमारी के लक्षणों की तलाश करते हैं. ये बायोमार्कर अल्जाइमर रोग के तीन प्रमुख लक्षणों से संबंधित पाए गए हैं:
    मस्तिष्क कोशिकाओं के बाहर अमाइलॉइड-बीटा प्लाक जमा हो जाता है.
    तौ प्रोटीन मस्तिष्क की कोशिकाओं के अंदर उलझ जाता है
    मस्तिष्क कोशिका मृत्यु (न्यूरोडीजेनेरेशन के रूप में जाना जाता है).
    किसी व्यक्ति में अल्जाइमर रोग का निदान करने के लिए इन सभी लक्षणों का मौजूद होना जरूरी नहीं है, हालांकि मस्तिष्क में एमाइलॉइड-बीटा प्लाक और/या तौ उलझनों की उपस्थिति आवश्यक है.
    इसके विपरीत, कुछ लोगों में बायोमार्कर परिवर्तन हो सकते हैं लेकिन कभी भी अल्जाइमर रोग के लक्षण विकसित नहीं हो सकते हैं.
चूँकि मस्तिष्क में अन्य लक्षण प्रकट होने से वर्षों पहले रक्त में इन बायोमार्कर परिवर्तनों का पता लगाया जा सकता है, यह अल्जाइमर रोग का निदान करने का एक तेज़ और कम आक्रामक तरीका प्रदान कर सकता है.
रक्त परीक्षण |
वर्तमान में खरीद के लिए उपलब्ध अधिकांश रक्त परीक्षण रक्त में दो अलग-अलग प्रकार के अमाइलॉइड-बीटा को मापते हैं:
अमाइलॉइड-बीटा 42 और अमाइलॉइड-बीटा 40 . फिर इन दो प्रोटीनों के बीच अनुपात की गणना की जाती है. यह अनुपात जितना कम होगा, व्यक्ति में अमाइलॉइड प्लाक और इसलिए अल्जाइमर रोग होने की संभावना उतनी ही अधिक होगी.
ऐसा ही एक परीक्षण, प्रीसीविटीएडी, डॉक्टरों द्वारा अमेरिका में अल्जाइमर के लक्षण प्रदर्शित करने वाले लोगों में उपयोग करने के लिए अनुमोदित किया गया है, और इसे यूरोपीय संघ में उपयोग के लिए सुरक्षित माना गया है. संज्ञानात्मक लक्षणों वाले रोगियों में, डॉक्टर कंपनी को रक्त का नमूना भेजेंगे जो अमाइलॉइड-बीटा अनुपात को मापता है. कंपनी अल्जाइमर के रोगी के आनुवंशिक जोखिम की जांच करने के लिए एपोलिपोप्रोटीन ई नामक एक अन्य प्रोटीन की भी तलाश कर रही है.
इसके बाद एक एल्गोरिदम बायोमार्कर स्तर और रोगी की उम्र का हिसाब लगाता है, और एक संभाव्यता स्कोर प्रदान करता है. उच्च स्कोर का मतलब है कि मरीज को संभवतः अल्जाइमर रोग है. परिणाम कुछ ही दिनों में उपलब्ध हो जाते हैं.
प्रीसिविटीएडी परीक्षण का उपयोग कई अध्ययनों में किया गया है और अल्जाइमर रोग के लक्षणों के साथ उच्च सहसंबंध दिखाया गया है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह हर समय 100% सटीक है, और न ही यह भविष्यवाणी कर सकता है कि उस व्यक्ति में बीमारी कैसे बढ़ेगी.
जिन अध्ययनों में इस परीक्षण का उपयोग किया गया है, उन्होंने परीक्षण के परिणामों की व्याख्या को प्रभावित करने से बचने के लिए कुछ प्रतिभागियों (जैसे कि पुरानी स्वास्थ्य स्थितियों वाले) को भी बाहर कर दिया है. प्रतिभागियों में भी अधिकांश श्वेत थे. इससे यह अनिश्चित हो जाता है कि विभिन्न पृष्ठभूमि वाले लोगों या अन्य स्वास्थ्य स्थितियों वाले लोगों के लिए ये परीक्षण कितने सटीक होंगे.
क्वेस्ट द्वारा निर्मित एक अन्य परीक्षण, समान अमाइलॉइड-बीटा अनुपात को मापता है. यह परीक्षण डॉक्टर के रेफरल के बिना उपभोक्ता द्वारा सीधे खरीदा जा सकता है - हालाँकि आपको अपना रक्त नमूना एकत्र करने के लिए समय बुक करना होगा.
इस परीक्षण को अभी तक अमेरिका या यूरोपीय संघ में अनुमोदित नहीं किया गया है, न ही यह प्रीसिविटीएडी के व्यापक परीक्षण से गुजरा है. इसके अलावा, डॉक्टर की मदद के बिना औसत व्यक्ति के लिए परिणामों की व्याख्या करना जटिल हो सकता है.
सटीक परिणाम
कुछ कारणों से इन परीक्षणों से अपने परिणामों की सावधानीपूर्वक व्याख्या करना महत्वपूर्ण है.
फिलहाल, ये परीक्षण केवल अल्जाइमर रोग के बायोमार्कर में से एक की तलाश करते हैं. इसका मतलब यह है कि यह मनोभ्रंश के अन्य रूपों के लक्षणों का पता नहीं लगा सकता है - और केवल अल्जाइमर रोग के एक पहलू पर ही जानकारी प्रदान करता है. इसलिए भले ही किसी व्यक्ति का परीक्षण अल्जाइमर के लिए नकारात्मक आता है, यदि वे अन्य संबंधित लक्षणों (जैसे स्मृति हानि) का अनुभव कर रहे हैं, तो यह महत्वपूर्ण है कि वे डाक्टर से मिलें क्योंकि उनमें मनोभ्रंश का कोई और रूप हो सकता है - या पूरी तरह से एक और स्थिति हो सकती है.
दूसरी ओर, यदि परीक्षण का उपयोग किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जाता है जिसमें कोई लक्षण नहीं है लेकिन जिसके पास असामान्य बायोमार्कर हैं, तो इससे अनावश्यक परेशानी हो सकती है - जिससे उन्हें लगता है कि उन्हें अल्जाइमर है, या विकसित होगा.
हालाँकि ये परीक्षण अल्जाइमर रोग होने की संभावना की जांच करने में उपयोगी हैं, फिर भी इनका अलग से उपयोग करना अभी भी उतना सटीक नहीं है जितना कि वर्तमान में योग्य डॉक्टरों द्वारा उपयोग किए जाने वाले परीक्षण हैं. लेकिन यह क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा है और, किसी दिन, ये परीक्षण उतने ही अच्छे हो सकते हैं.
शोधकर्ता अब यह देख रहे हैं कि किसी मरीज के रक्त में तौ प्रोटीन की सांद्रता को देखने वाले परीक्षण कितने सटीक हैं. रोगी के मस्तिष्क में प्लाक और उलझन दोनों का पता लगाने में तौ अमाइलॉइड-बीटा से अधिक सटीक हो सकता है.
विकास में कुछ और परीक्षण भी हैं जो तौ और अमाइलॉइड-बीटा दोनों को देखते हैं - जिसमें प्रीसिविटीएडी का एक नया संस्करण, अर्थात् प्रीसिविटीएडी2 भी शामिल है. विकास में अन्य परीक्षण अतिरिक्त बायोमार्कर को देखते हैं, जिसमें एक बहुत ही आशाजनक उंगली-चुभन परीक्षण भी शामिल है, जिसने अब तक मस्तिष्क स्कैन और मस्तिष्कमेरु द्रव परिणामों के साथ एक अच्छा संबंध दिखाया है.
यह स्पष्ट है कि अल्जाइमर रोग के निदान को अधिक सुलभ और सटीक बनाने के क्षेत्र में रोमांचक प्रगति हो रही है. एक बार जब इन परीक्षणों को सटीकता में सुधार करने के लिए परिष्कृत किया जाता है, तो वे रोगियों को नई आशा प्रदान कर सकते हैं - जिससे उन्हें बीमारी के प्रारंभिक चरण में निदान और इलाज करने में सहायता मिल सके.

   रायपुर  /शौर्यपथ /मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल और श्रीमती प्रियंका गांधी महिला समृद्धि सम्मेलन में लगे विभिन्न स्टॉलों का अवलोकन कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए गोधन न्याय योजना आरंभ की गई। इसके हितग्राहियों से श्रीमती प्रियंका गांधी ने संवाद किया।
उन्होंने महिलाओं द्वारा की जा रही आर्थिक गतिविधियों की जानकारी ली। साथ ही उन्होंने रीपा में चल रही गतिविधियों की भी जानकारी ली।
उल्लेखनीय है कि रीपा के माध्यम से उद्यम के नये अवसरों को बढ़ावा मिला है और ग्रामीण क्षेत्रों में पूरी अधोसंरचना के साथ उद्योग की गतिविधियां बढ़ रही हैं।
श्रीमती प्रियंका गांधी को अपने पास पाकर महिलाएं खुश और उत्साहित दिख रही हैं। स्व-सहायता समूह की महिलाओं को श्रीमती गांधी ने प्रतीक चिन्ह भेंट किया।
इस अवसर पर उत्साही महिलाएं श्रीमती गांधी के साथ सेल्फी ले रही हैं।
 महिला समृद्धि सम्मेलन में अभूतपूर्व उत्साह का वातावरण बन गया है।
 महिलाएं अपना काम श्रीमती गांधी को दिखा रही हैं।
वे स्टाल्स का अवलोकन कर रही हैं और एक जगह उन्होंने अमारी फूल के रस के बारे में जानकारी ली।
महिलाओं ने उन्हें संक्षेप में बताया कि इसका वे किस तरह उपयोग करती हैं।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल एवं श्रीमती प्रियंका गांधी ने महिला सम्मेलन में संगवारी हाट का भी अवलोकन किया।
इस अवसर पर उन्होंने समूह की महिलाओं से तैयार किए गए उत्पादों की जानकारी ली।
उन्होंने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए दंतेवाड़ा के डेनेक्स द्वारा उत्पादित गारमेंट्स की भी जानकारी ली।
श्रीमती गांधी बीपीओ में कार्यरत महिलाओं से बात कर रही हैं। 10 करोड़ रुपए की लागत से खुर्सीपार में बीपीओ तैयार किया गया है।
बीपीओ से बड़ी संख्या में महिलाओं को रोजगार मिला है। बीपीओ की महिलाओं से श्रीमती गांधी उनके कार्य की प्रकृति के बारे में पूछ रही हैं।
उल्लेखनीय है कि युवाओं के लिए अपने शहर में ही रहकर देश-दुनिया के अवसरों से जोड़ने बीपीओ की पहल की गई है। इससे युवाओं के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा हो रहे हैं।
खासकर महिला सशक्तिकरण की दिशा में यह बड़ी पहल है।
श्रीमती प्रियंका गांधी ने मिलेट्स कैफे की जानकारी समूह की महिलाओं से ली।
इस अवसर पर समूह की महिलाओं ने बताया कि मिलेट कैफे में तैयार होने वाले तरह-तरह के मिलेट्स निर्मित व्यंजनों की जानकारी दी।
उन्होंने श्रीमती गांधी को बताया कि मिलेट कैफे में कोदो, कुटकी, रागी जैसे वनोपजों से पारंपरिक व्यंजनों के साथ ही तरह तरह के व्यंजन परोसे जाते हैं।
श्रीमती गांधी ने की सी-मार्ट के पहल की प्रशंसा
सीमार्ट शासन द्वारा की गई महत्वपूर्ण पहल है। इसके माध्यम से स्वसहायता समूहों द्वारा उत्पादित की गई वस्तुओं के लिए जगह उपलब्ध हो पाती है।
भिलाई के सीमार्ट में प्रदेश भर की सामग्री है। श्रीमती गांधी को सीमार्ट से जुड़ी महिलाओं ने बताया कि छत्तीसगढ़ के यूनिक उत्पाद यहां मिलते हैं।
 दंतेवाड़ा के जैविक चावल से लेकर जशपुर की चाय तक सब कुछ छत्तीसगढ़ का स्पेशल यहां उपलब्ध है।
श्रीमती गांधी ने इस पर खुशी जाहिर की और कहा कि स्थानीय उत्पादों की इस तरह से मार्केंटिंग कर इन्हें बाजार में अच्छी जगह दिलाने की पहल से निश्चित रूप से ही आर्थिक समृद्धि महिलाओं तक पहुँच रही है।
महिलाओं ने दी सुपोषण अभियान के सम्बंध में जानकारी
श्रीमती प्रियंका गांधी को स्टॉल अवलोकन के बीच समूह की महिलाओं ने मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना,  समृद्धि योजना, पोषण बाड़ी आदि अन्य योजनाओं की जानकारी विस्तार से दी।

महिलाओं ने श्रीमती गांधी को कुपोषण दूर करने के उपाय के संबंध में सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि सरकार लगातार छत्तीसगढ़ को कुपोषण मुक्त बनाने की दिशा में कार्य कर रही है, जमीनी स्तर पर योजनाओं के प्रभावी संचालन से कुपोषण दूर हो रहा है।


रायपुर /शौर्यपथ /जब श्रीमती प्रियंका गांधी ने किया सुवा नाच
छत्तीसगढ़ में सुवा नाच बेहद लोकप्रिय है। दीपावली के आसपास सुवा को एक टोकरी में रखकर महिलाएं यह नृत्य करती हैं।
इसके माध्यम से वे अपने सुखदुख साझा करती हैं। सुवा गीत के माध्यम से वे अपनी आवाज की भी अभिव्यक्ति करती हैं और अपने समय के समाज के बारे में भी बताती हैं।
तोते के जैसे हरे वस्त्रों में समूह में किया गया यह नृत्य बेहद आकर्षक होता है।
 श्रीमती गांधी ने जब यह नृत्य देखा तो वे भी सुवा नर्तकों के साथ समूह में शामिल हो गईं और साथ ही थिरकने लगीं।

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