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ग्रामीणों को मिलेगा रोजगार और आय का साधन
मुख्यमंत्री ने आजीविका पार्क का वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए किया शिलान्यास
मुंगेली / शौर्यपथ / मुुंगेली जिले के 06 गौठानों को महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (रीपा) के रूप में विकसित किया जायेगा। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज यहां अपने निवास कार्यालय से राज्य के प्रत्येक विकासखंड के दो-दो गौठानों में महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क का (आजीविका पार्क) करने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से शिलान्यास किया। इस अवसर पर जिला कलेक्टोरेट स्थित मनियारी सभाकक्ष में जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती लेखनी सोनू चंद्राकर, नगर पालिका अध्यक्ष श्री हेमेंद्र गोस्वामी, आदर्श कृषि उपज मंडी समिति मुंगेली के अध्यक्ष श्री आत्मा सिंह क्षत्रिय, छत्तीसगढ़ श्रम कल्याण मण्डल के सदस्य श्रीमती अम्बालिका साहू, संबंधित विभाग के अधिकारी और स्व सहायता समूह के सदस्य वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से राज्य स्तरीय शिलान्यास कार्यक्रम में जुड़े।
गौरतलब है कि मुंगेली विकासखंड अंतर्गत ग्राम लिम्हा और संबलपुर के गौठान, लोरमी विकासखंड अंतर्गत ग्राम चंदली व सांवतपुर के गौठान और पथरिया विकासखंड अंतर्गत ग्राम सिलतरा व धरदेई के गौठान को महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित करने हेतु चिन्हांकित किया गया है। इन गौठानों में रूरल इंडस्ट्रियल पार्क की स्थापना होने से ग्रामीण परिवारों को आजीविका के नए अवसर मिलेंगे। स्थानीय स्तर पर ही रोजगार मिलने से उन्हें आय का अतिरिक्त साधन मिलेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका एवं रोजगार को बढ़ावा देेने के उद्देश्य से इन इंडस्ट्रियल पार्क में निजी उद्यमियों को उद्यम लगाने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाएगा। रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में स्थानीय आवश्यकता और बाजार की संभावनाओं के आधार पर विभिन्न प्रकार के उद्यम स्थापित किए जाएंगे। ग्रामीण उद्योग स्थापित करने के लिए इच्छुक हितग्राहियों को शासन की योजनाओं के तहत ऋण भी उपलब्ध कराया जाएगा।
स्व-रोजगार गढ़कर स्वावलंबी बनना ही गांधी जी का रास्ता: श्री भूपेश बघेल
वाटर रिचार्जिंग के क्षेत्र में बेहतर काम करने वालों को ‘अनुपम मिश्र पुरस्कार‘ देने की घोषणा
प्रसिद्ध रंगकर्मी श्री हबीब तनवीर के नाम पर मिलेगा पुरस्कार
सेवा, संघर्ष और त्याग महात्मा गांधी जी का मार्ग है: मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल गांधी जयंती के अवसर पर आज शहीद स्मारक भवन में ‘गांधी, युवा और नये भारत की चुनौतियां’ विषय पर संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने वाटर रिचार्जिंग के क्षेत्र में बेहतर काम करने वाले व्यक्ति और संस्था को ‘अनुपम मिश्र पुरस्कार‘ देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में प्रसिद्ध रंगकर्मी ‘हबीब तनवीर‘ के नाम पर भी पुरुस्कार दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और छत्तीसगढ़ महतारी के तैलचित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम की शुरुआत की। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने इस अवसर पर श्री आशीष सिंह द्वारा लिखित पुस्तक ‘सोनाखान 1857‘ और श्री आमिर हाशमी द्वारा लिखित पुस्तक ‘जोहार गांधी‘ का विमोचन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री प्रदीप शर्मा, विधायक श्री देवेन्द्र यादव, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के सचिव श्री अन्बलगन पी, संस्कृति विभाग के संचालक श्री विवेक आचार्य सहित राजीव युवा मितान क्लब के लगभग साढ़े तीन हजार युवा सदस्य भी मौजूद थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन गांधी जी और लाल बहादुर शास्त्री जी को याद करने का दिन है। महात्मा गांधी ने अपने जीवनकाल में जिन चीजों का प्रयोग किया गया, वह सभी वर्धा में स्थित मगन संग्रहालय में रखा गया है। उन्होंने चरखा, कृषि औजारों पर लगातार शोध करवाया। कार्यों को और उत्कृष्ट ढंग से करने के लिए प्रोत्साहन पूर्ण आयोजन उस समय गांधी जी ने करवाए। पूरी दुनिया में जितनी भी क्रांति हुई है, वह युवाओं से हुई है, अन्याय के विरुद्ध प्रतिशोध की भावना जागृत हुई, परिवर्तन की अलख जगी। गांधी जी ने स्वावलंबन, प्रेम, सत्य, अहिंसा का रास्ता दिखाया और आजादी दिलाई।
श्री बघेल ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि गांधी जी ने वस्त्र इसलिए त्यागे क्योंकि उन्होंने हिन्दुस्तान की न्यूनतम आवश्यकताओं की परम्परा का निर्वहन किया। अगर आगे बढ़ना है तो हमें भी न्यूनतम आवश्यकताएं रखनी चाहिए। उन्होंने युवाओं से कहा कि अपना समय और ऊर्जा नये विचारों और कामों के लिए खर्च करें। गांधी जी चाहते थे युवा आत्मनिर्भर बनें, स्वावलंबी बनें, आगे बढ़ें, इन्हीं विचारों को लेकर गांधी जी भी आगे बढ़े। उन्होंने कहा कि गांधी ने अहिंसा, सत्य और प्रेम से लड़ाई लड़ी। मेहनत और समर्पण से स्व-रोजगार गढ़कर स्वावलंबी बनना गांधी जी का रास्ता है। उन्होंने जरूरतमंद और पीड़ित मानवता की सेवा का रास्ता दिखाया। जीवन का अनुभव पुस्तक के ज्ञान पर भी भारी पड़ता। श्री बघेल ने भेंट-मुलाकात के दौरान मिले बालोद के युवा किसान दिव्यांग धुर्वे का उदाहरण देकर युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया और कहा कि मेहनत ही गांधी जी का बताया रास्ता है। उन्होंने कहा कि मेहनतकश स्व-सहायता समूहों की बहनों के चेहरे पर जो आत्मविश्वास का भाव है, वह हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। मेहनत से आत्मविश्वास आता है, जिससे बड़ी से बड़ी लड़ाई जीती जा सकती है।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आगे कहा कि गांधी जी ने कर्म और श्रम का सम्मान किया। वे किसानों के बीच जाकर खेतों में काम करते थे, चरखा चलाकर उन्होंने बुनकर का सम्मान किया। इसी तरह गांधी जी ने मेहनत और श्रम का सम्मान किया। श्रम के सम्मान से लाखों-करोड़ों लोग जुड़े और एकजुट होकर खड़े हुए, जिन्हें हराना मुश्किल था। हमें सामाजिक और आर्थिक रूप से आजादी प्राप्त करना अभी बाकी हैं। युवा हमारी ताकत हैं, युवा ऊर्जा को दिशा देने की जरूरत है। उन्हें अवसर देने के लिए सामूहिक और संगठित होकर प्रयास करने की जरूरत है।
श्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ ने स्वावलंबन और स्वरोजगार की दिशा में अपने कदम बढ़ाए हैं। राज्य सरकार ने गोबर, गोमूत्र की खरीदी शुरू की है, अब तक 20 लाख क्विंटल वर्मी कंपोस्ट हम बना चुके हैं। पूरे देश में सबसे ज्यादा 8,500 खाद बनाने की फैक्टरी हमारे यहां हैं। इससे हमारा प्रदेश जैविक राज्य की ओर बढ़ रहा है। नौजवान जैविक कृषि से जुड़कर लाखों रुपए की आमदनी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी कई काम हो रहे है। हमने वाटर रिचर्जिंग करना शुरु किया। हमने पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण से बचने के लिए किसानो से पैरा दान की अपील की। इससे जल, जंगल, जमीन की उपयोगिता बढ़ी है।
श्री प्रदीप शर्मा ने कहा कि युवा रहते हुए गांधी ने पूरे देश को सत्य और अहिंसा के एक मंत्र से बांध दिया था। युवा राजीव गांधी ने देश को इंफॉरमेशन टेक्नॉलोजी के क्षेत्र में अग्रणी बनाया। मुख्यमंत्री श्री बघेल इसी संकल्प को आगे बढ़ा रहे है। 22 साल के युवा छत्तीसगढ़ को आगे बढ़ाने के लिए नयी पीढ़ी संकल्पित होकर आगे बढ़ें। नई दिल्ली के डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स के अध्यक्ष श्री अशोक खोसला ने कहा कि हम युवाओं के लिए कैसा भविष्य बना सकते हैं, यह गांधी हमें बताते हैं, उनके विचारों पर अमल करके हम स्वावलंबी और एक आदर्श समाज की स्थापना कर सकते हैं। राजीव गांधी फाउंडेशन दिल्ली के निदेशक डॉ. विजय महाजन ने युवाओं को स्पोर्ट्स, स्वरोजगार, सद्भावना और संस्कृति के पुर्नउत्थान के लिए प्रेरित करते हुए जल, जंगल जमीन और संसाधनों को सहेजने की दिशा में क्रियान्वित योजनाओं के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की प्रशंसा की। कार्यक्रम में लेफ्टिनेंट जनरल श्री अरुण साहनी, सुश्री आईका चतुर्वेदी और डॉ. विभा गुप्ता ने भी अपनी बात रखी।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने गांधी जयंती पर ‘महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क योजना‘ का किया प्रदेशव्यापी शुभारंभ
विभिन्न जिलों में लगभग 300 रूरल इंडस्ट्रियल पार्क का किया वर्चुअल भूमिपूजन
योजना के प्रथम चरण में प्रत्येक विकासखण्ड में बनाए जा रहे है दो रूरल इंडस्ट्रियल पार्क
इस वर्ष के बजट में 600 करोड़ रूपए का प्रावधान
हर इंडस्ट्रियल पार्क में एक करोड़ रूपए की राशि से की जा रही है वर्किंग शेड और एप्रोच रोड के निर्माण, बिजली-पानी उपलब्ध कराने और युवाओं के प्रशिक्षण की व्यवस्था
ग्रामीण युवा भी रीपा में लगा सकेंगे अपना उद्योग
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज गांधी जयंती के अवसर पर छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी ‘महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क योजना‘ का प्रदेशव्यापी शुभारंभ करते हुए प्रदेश के विभिन्न जिलों में 300 रूरल इंडस्ट्रियल पार्क का भूमिपूजन और शिलान्यास किया। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल पर ग्रामीण गरीब परिवारों के लिए रोजगार और आय के साधन उपलब्ध कराने के लिए गांव के गौठानों को रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसके लिए यहां विभिन्न आजीविकामूलक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि महात्मा गांधी के स्वावलंबी और आत्मनिर्भर गांवों के सपने को साकार करने में रूरल इंडस्ट्रियल पार्क की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इस योजना के माध्यम से गांवों को स्वावलंबी बनाने की दिशा में मजबूती से कदम उठाया गया है। उन्होंने कहा कि गांधी जी का मूलमंत्र है श्रम का सम्मान, इसके लिए हमारी सरकार कटिबद्ध है। राज्य सरकार व्यक्ति को केन्द्र में रखकर योजनाएं बना कर संचालित कर रही है। जिससे उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आए। वे आर्थिक रूप से सशक्त हो सकें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रथम चरण में 300 रूरल इंडस्ट्रियल पार्क विकसित किए जा रहे हैं। इसके लिए गौठानों में एक से तीन एकड़ भूमि में पार्क के लिए आरक्षित की गई है। प्रथम चरण में प्रत्येक विकासखण्ड में दो गौठानों को रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है। राज्य सरकार के बजट में इस योजना के लिए 600 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। स्वीकृत सभी रूरल इंडस्ट्रियल पार्काें को एक-एक करोड़ रूपए की राशि उपलब्ध कराई गई है। इस राशि से इन पार्काें में वर्किंग शेड और एप्रोच रोड के निर्माण के साथ बिजली-पानी की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ युवाओं के प्रशिक्षण की व्यवस्था की जा रही है। सुराजी गांव योजना के तहत विकसित किए गए गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट के निर्माण, मुर्गी पालन, बकरी पालन, कृषि और उद्यानिकी फसलों तथा लघु वनोपजों के प्रसंस्करण की इकाईयां स्थापित की जा रही है। साथ ही आटा-चक्की, दाल मिल, तेल मिल की स्थापना भी की जा रही है। इन गतिविधियों में ग्रामीण क्षेत्र में बड़ी संख्या में स्व-सहायता समूहों की महिलाओं और युवाओं को रोजगार के साथ आय के अच्छे साधन मिल रहे हैं। जिससे उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी हो रही है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को इस योजना के लिए नोडल विभाग बनाया गया है।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती के अवसर पर उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी तथा छत्तीसगढ़ महतारी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के ‘लोगो‘ का विमोचन भी किया। कार्यक्रम में गौठानों में तैयार किए गए उत्पादों का किट भेंटकर अतिथियों का स्वागत किया गया।
मुख्यमंत्री निवास में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित कार्यक्रम में गृहमंत्री श्री ताम्रध्वज साहू, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री रविंद्र चौबे, वनमंत्री श्री मोहम्मद अकबर, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिल भेंड़िया, संसदीय सचिव श्री चंद्रदेव प्रसाद राय और श्री विनोद सेवन लाल चंद्राकर, राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष महंत राजेश्री रामसुंदर दास, राज्य नागरिक आपूर्ति निगम अध्यक्ष श्री राम गोपाल अग्रवाल, मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री प्रदीप शर्मा, राजीव गांधी फाउंडेशन के सीईओ श्री विजय महाजन और पर्यावरणविद् श्री अशोक खोसला, मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (रीपा) से आत्मनिर्भर गांव का महात्मा गांधी का सपना पूरा होगा। गांधी जी ने ग्राम स्वराज की कल्पना की, उसे साकार करने के लिए हमारी सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है, नरवा गरुवा घुरूवा बाड़ी योजना से उसी दिशा में कार्य हो रहा है। गोबर से वर्मी कम्पोस्ट, दीया बन रहा है, अब पेंट भी बन रहा है। बाड़ी योजना से महिलाएं स्वावलम्बी हो रही है, कुपोषण से भी लड़ने में बाड़ी योजना सहायक हो रही है। गौठान का स्वरूप अब बदल रहा है, रोजगार के लिए ट्रेनिंग देने का कार्य यहां होगा। कुपोषण से लड़ाई और आय में वृद्धि दोनों कार्य महिलाएं कर रही हैं। मिलेट्स का उचित दाम मिल रहा है, मिलिंग के बाद मिलेट्स 120 रुपये किलो में बिक रहे हैं। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों के चयनित गौठानों को आजीविका के केन्द्र के रूप में विकसित करने के लिए वहां महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क बनाए जा रहे हैं। इन पार्कों को ग्रामीण उत्पादन एवं सेवा केन्द्र के रूप में विकसित किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गौठानों में तैयार उत्पादों के विक्रय की व्यवस्था का ख्याल हमें रखना है, बारदानों के निर्माण का कार्य रीपा में हमें करना है, ये बहुत बड़ा उद्योग है, बलौदाबाजार की महिलाएं रीपा के तहत बारदाने के निर्माण का कार्य करना चाह रही हैं, ये बहुत खुशी की बात है। प्रत्येक जिले में सी मार्ट खोले गए हैं, ताकि उत्पादन करने वाले समूहों को सही दाम मिल सके। उत्पादक को अब मांग के अनुरूप उत्पादन की चिंता करनी है, आर्थिक दृष्टि से यह आवश्यक है कि मांग के हिसाब से उत्पादन हो। आवश्यकता और स्थानीय संसाधनों को देखते हुए यह तय करना होगा कि कौन से रीपा में किन वस्तुओं का उत्पादन हो, उनके विक्रय की पुख्ता व्यवस्था करने के साथ उत्पादकों को उनके द्वारा निर्मित उत्पादों का मूल्य कैसे सुगमतापूर्वक पहुंचाया जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के ऐसे युवा जो अपना उद्योग प्रारंभ करना चाहते हैं, उन्हें भी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में स्थान उपलब्ध कराया जाना चाहिए। रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में कृषि और उद्यानिकी उपजों और लघु वनोपजों के प्रसंस्करण और वैल्यू एडिशन तथा तैयार उत्पादों की राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मार्केटिंग के लिए अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाएगा। इसके लिए टाटा टेक्नोलॉजिस के साथ राज्य योजना आयोग ने एमओयू किया है।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास तथा कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि रूरल इंडस्ट्रियल पार्क छत्तीसगढ़ के विकास की गाथा को नई ऊंचाईयों तक पहुंचाएगा। यहां युवाओं के लिए आजीविका मूलक गतिविधियों में निरंतर प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जाएगा। गौठानों में जो आर्थिक गतिविधियां प्रारंभ हुई है, उनसे ग्रामीण महिलाओं को आत्मविश्वास बढ़ा है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण महिलाएं और युवा मुर्रा उद्योग, पोहा उद्योग, दोना-पत्तल निर्माण, केले के रेशे से कपड़ा निर्माण, बारदाना उत्पादन जैसी नई-नई गतिविधियां प्रारंभ करने के इच्छुक है। छत्तीसगढ़ में 8600 गौठान तैयार किए गए हैं। बापू के ग्राम सुराज की परिकल्पना को साकार करने के लिए आने वाले समय में बाकी गौठानों में भी इस योजना के क्रियान्वयन की आवश्यकता है।
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित किए जा रहे जांजगीर-चांपा जिले के जर्वे, बेमेतरा जिले के अमलडीह, कांकेर जिले के सराघू नवगांव, बलौदाबाजार के लटुवा और रायगढ़ के डोंगीतराई गांव के गौठान में उपस्थित महिलाओं और युवाओं से चर्चा कर वहां संचालित गतिविधियों की जानकारी ली। स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने रूरल इंडस्ट्रियल पार्क योजना को राज्य शासन की अच्छी पहल बताते हुए कहा कि इस योजना से हमारा आत्मविश्वास बढ़ा है। परिवार में भी सम्मान मिल रहा है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू तथा मिशन संचालक राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन श्री अवनीश शरण ने महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क योजना की विस्तार से जानकारी दी।
नई दिल्ली / शौर्यपथ / प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को राजघाट पहुंचकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को उनकी 153वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। उनके अलावा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला समेत कई राजनेताओं ने राजघाट पहुंचकर गांधी जी को याद किया। संयुक्त राष्ट्र ने भी बापू को याद कर अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस पर दुनिया को संदेश दिया। इस मौके पर पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए लोगों से गांधीजी को श्रद्धांजलि के रूप में खादी और हस्तशिल्प उत्पादों को खरीदने का आग्रह किया।
हर साल 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती के रूप में मनाई जाती है, जिन्होंने अपना जीवन स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष को समर्पित कर दिया। अहिंसा के उपदेशक (अहिंसा), गांधी के जन्मदिन को अहिंसा के अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में भी मनाया जाता है, जिसे 2007 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा घोषित किया गया था।
इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर लिखा, "गांधी जयंती पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि। यह गांधी जयंती और भी खास है क्योंकि भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। हो सकता है (हम) हमेशा बापू के आदर्शों पर खरा उतरें ... " उन्होंने लोगों से गांधी को श्रद्धांजलि के रूप में खादी और हस्तशिल्प उत्पादों को खरीदने का भी आग्रह किया। मोदी को श्रद्धांजलि देने दिल्ली के राजघाट भी पहुंचे।
राष्ट्रपति का देश के नाम संदेश
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गांधीजी को श्रद्धांजलि दी और कहा कि यह सभी के लिए शांति, समानता और सांप्रदायिक सद्भाव के मूल्यों के लिए खुद को फिर से समर्पित करने का अवसर है। उन्होंने राष्ट्र के नाम एक संदेश में कहा, "महात्मा गांधी की 153वीं जयंती के अवसर पर मैं सभी देशवासियों की ओर से राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं।" राष्ट्रपति ने कहा, "गांधी जयंती हम सभी के लिए उनके प्रेरक जीवन - शांति, समानता और सांप्रदायिक सद्भाव के मूल्यों के लिए खुद को फिर से समर्पित करने का अवसर है।"
सोनिया गांधी समेत कई नेताओं ने दी श्रद्धांजलि
कांग्रेस (अंतरिम) बॉस सोनिया गांधी और वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे उन नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने राजघाट पहुंचकर गांधीजी को पुष्पांजलि अर्पित की। गांधीजी की साल 1948 में हत्या कर दी गई थी। गांधी को 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम विनायक गोडसे ने गोली मारी थी।
संयुक्त राष्ट्र ने भी किया याद
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने एक ट्वीट में अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस की याद दिलाई और गांधी की शिक्षाओं को याद किया। उन्होंने कहा, "अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस पर, हम महात्मा गांधी के जन्मदिन और शांति, सम्मान और सभी के द्वारा साझा की जाने वाली आवश्यक गरिमा के मूल्यों का जश्न मनाते हैं। हम इन मूल्यों को अपनाने और संस्कृतियों में काम करके आज की चुनौतियों को हरा सकते हैं।"
नई दिल्ली / शौर्यपथ /कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रहे वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने राज्यसभा में विपक्ष के नेता के पद से इस्तीफा दे दिया है। सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी। खड़गे के इस्तीफे से खाली हुए इस पद के लिए कई नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं। आपको बता दें कि कांग्रेस पार्टी ने इसी साल मई में उदयपुर में आयोजित चिंतन शिविर में 'एक व्यक्ति, एक पद' के अपने नए सिद्धांत की घोषणा की थी।
मल्लिकार्जुन खड़गे के बाद राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम और दिग्विजय सिंह का नाम सबसे आगे चल रहा है। आपको बता दें कि दिग्विजय सिंह ने भी कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ने की ऐलान किया था। हालांकि, मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम सामने आने के बाद उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया। सूत्रों का कहना है कि राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष पद के लिए प्रमोद तिवारी भी दौड़ में हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए शुक्रवार को मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के बीच मुकाबले के लिए मंच तैयार हुआ। कर्नाटक के दलित नेता खड़गे की सबसे मजबूत दावेदारी दिख रही है। झारखंड के पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी ने भी इस पद के लिए नामांकन किया था, जो कि खारिज हो गया है।
आपतो बता दें कि कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने खड़गे का साथ दिया है। इन नेताओं में अशोक गहलोत, दिग्विजय सिंह, एके एंटनी, अंबिका सोनी, मुकुल वासनिक, आनंद शर्मा, भूपिंदर हुड्डा, पृथ्वीराज चव्हाण और मनीष तिवारी जैसा नाम शामिल हैं।
नई दिल्ली /शौर्यपथ /केंद्र सरकार पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर पांच साल के लिए बैन लगा चुकी है। सरकार द्वारा किए जाने वाले इस ऐक्शन के बाद कर्नाटक भाजपा में दरार आ गई है। जानकारी के अनुसार, कर्नाटक में भाजपा के भीतर नेताओं का एक समूह पीएफआई पर प्रतिबंध को चुनावी मुद्दा बनाकर आगामी विधानसभा चुनावों में फायदा उठाने की पार्टी की रणनीति पर सवाल उठा रहा है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता और विधायक ने कहा कि पार्टी के भीतर एक चिंता है कि पार्टी द्वारा उठाए गए मुद्दों का प्रभाव कर्नाटक में ही काफी जगहों पर अपर्याप्त है। वहीं, दूसरी ओर पीएफआई पर बैन लगना कर्नाटक में एसडीपीआई के लिए बड़ा मौका लेकर आया है।
एचटी से बात करते हुए नाम न लेने की शर्त पर कर्नाटक भाजपा नेता ने कहा, “चाहे वह हिजाब हो, धर्मांतरण विरोधी विधेयक या यहां तक कि पीएफआई पर प्रतिबंध को लेकर पार्टी द्वारा लिया गया स्टैंड … ये मुद्दे ज्यादातर तटीय कर्नाटक हिस्सा हो सकते हैं। जबकि दक्षिण कर्नाटक के जिलों में अधिक ध्यान देने की जरूरत है, जहां हमारे पास अभी भी जीत दर्ज करने के लिए बहुत कुछ करना बाकी है। इसलिए, यदि आप मुझसे प्रतिबंध से हुए राजनीतिक लाभ के बारे में पूछते हैं, तो मैं कहूंगा कि यह काफी सीमित है।”
सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) पर अपने मूल संगठन पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने के बाद सरकार के फैसले ने अटकलों को हवा दी है कि एसडीपीआई आगामी विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा के लिए मुश्किल पैदा कर सकता है।
पीएफआई पर प्रतिबंध से एसडीपीआई मजबूत होगा!
राजनीतिक विश्लेषक प्रो. मुजफ्फर असदी ने कहा कि पीएफआई पर प्रतिबंध अल्पसंख्यक समुदाय को एकजुट कर सकता है। “पीएफआई पर प्रतिबंध एसडीपीआई को मजबूत कर सकता है। मुझे लगता है कि अब वह 2023 के विधानसभा चुनाव में 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की सोच रही होगी। अल्पसंख्यक समुदाय यह मान सकता है कि उनकी आवाज को दबाया जा रहा है और वे फिर से संगठित हो सकते हैं। बेशक, कांग्रेस की इसमें सबसे बड़ी हार होगी।”
हालांकि, कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने इससे असहमति जताई। उनके अनुसार, PFI पर प्रतिबंध के लिए देश में मुस्लिम पार्टियों का समर्थन इस बात का संकेत है कि समुदाय सांप्रदायिक राजनीति का समर्थन नहीं करता है। कहा, “इस प्रतिबंध के परिणामस्वरूप लोगों को यह एहसास होगा कि भाजपा और आरएसएस को सत्ता से हटाना सबसे महत्वपूर्ण है। लोगों ने महसूस किया है कि भाजपा इन संगठनों का इस्तेमाल मुस्लिम वोटों को बांटने के लिए कर रही है। जो समुदाय पहले से ही सरकार की सांप्रदायिक नीतियों से निराश है, वह आगामी चुनावों में तटीय क्षेत्रों में हमारा समर्थन करेगा। हम समाधान हैं।”
2018 में क्या हुआ था
पुराने घटनाक्रम पर गौर करें तो 2018 के विधानसभा चुनावों में, उत्तर कन्नड़ जिले की छह सीटों में से, भाजपा ने चार पर जीत हासिल की थी और एक साल बाद राजनीतिक संकट के बाद शिवराम हेब्बार कांग्रेस से पार्टी में शामिल हो गए। उडुपी जिले में, भाजपा ने सभी पांच सीटों पर जीत हासिल की और दक्षिण कन्नड़ में, आठ में से सात सीटें जीतीं। कांग्रेस को सिर्फ एक सीट से संतोष करना पड़ा था।
हिन्दुत्व की लहर में कांग्रेस की पकड़ ढीली
हालांकि, 2013 के विधानसभा चुनावों में परिणाम काफी अलग थे। कांग्रेस ने उडुपी में तीन, दक्षिण कन्नड़ में सात और उत्तर कन्नड़ में तीन सीटें जीतीं थी। 2018 में हिंदुत्व की लहर के दौरान खोई हुई कुछ सीटों को वापस लेकर कांग्रेस आगामी चुनावों में इस क्षेत्र में अपने प्रदर्शन में सुधार की उम्मीद कर रही है।
कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द है एसडीपीआई
दक्षिण कर्नाटक क्षेत्र को फिर से हासिल करने की कोशिश कर रही कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द एसडीपीआई रहा है, जो तटीय कर्नाटक में कांग्रेस के मुस्लिम वोट बैंक पर कब्जा कर रहा है। जबकि एसडीपीआई ने इस क्षेत्र में कोई भी विधानसभा क्षेत्र नहीं जीता, हालांकि उनके वोट शेयर में वृद्धि देखी गई। 2013 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में, SDPI को 3.2% का वोट शेयर मिला और 2018 के चुनाव तक वोट शेयर बढ़कर 10.5% हो गया। एसडीपीआई ने दिसंबर 2021 में कर्नाटक के शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में भी छह सीटें जीती थीं।
2023 में 100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी एसडीपीआई
इस बीच, एसडीपीआई राज्य समिति के सदस्य रियाज कदंबू ने एचटी को बताया कि वे 2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कम से कम 100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। “हम चुनावी राजनीति में हैं और यह (SDPI) दलितों, आदिवासियों, मुसलमानों, ईसाइयों और अन्य लोगों के लिए भी एक आंदोलन है। हम अपने रास्ते पर चलते रहेंगे। आने वाले चुनावों में, हम कम से कम 100 निर्वाचन क्षेत्रों (राज्य की 224 सीटों में से) पर चुनाव लड़ने के लिए काम करेंगे।”
नई दिल्ली / शौर्यपथ /आज का दिन बहुत खास है। अति-विशेष इसलिए क्योंकि आज ही के दिन भारत माता के दो महापुरुषों ने जन्म लिया। जब हम आज के दिन दो महापुरुषों की बात करते हैं तो अनायास ही वे नाम हमारे सामने आ जाते हैं। एक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और दूसरे पूर्व प्रधानमंत्री व भारतरत्न लाल बहादुर शास्त्री। आजाद भारत को एक नया आकार देने में इनके विचारों और कार्यों का विशेष योगदान रहा। महात्मा गांधी कहते थे, “मानवता की महानता, मानव होने में नहीं, बल्कि मानवीय होने में हैं”।
लाल बहादुर शास्त्री का व्यक्तित्व इसी विशेषता का प्रतिबिंब हैं। महात्मा गांधी के सपने को साकार रूप देने, देश की एकता एवं अखंडता को बनाए रखने व राष्ट्र के विकास के मार्ग को प्रशस्त करने में लाल बहादुर शास्त्री का अमूल्य योगदान रहा है। कहते हैं कि गुदड़ी में भी लाल होते हैं। 2 अक्टूबर 1904 को इस कहावत को चरितार्थ करते हुए वाराणसी के समीप एक छोटे से कस्बे में एक सामान्य परिवार में लाल बहादुर नाम के ‘लाल’ का अवतरण हुआ। अभाव और संसाधनहीनता इस “गुदड़ी के लाल” का रास्ता न रोक सकी। शास्त्री जी कहते थे, “धैर्य बहुत सी कठिनाइयों पर विजय पाता है”। इनका जीवन इसका दर्शन है।
शास्त्री जी के अमूल्य योगदान के संदर्भ में 1991 में अनसूयाप्रसाद बलोदी अपनी पुस्तक “कर्मयोगी लालबहादुर शास्त्री” में लिखते हैं-
शस्य श्यामला भारत भू को, करता वह श्रमशील किसान।
प्रहरी जिसका सजग बना है, धरती का सुत वीर जवान॥
मातृभूमि के मेरु सबल ये, नहीं जानते हैं विश्राम।
पूर्ण मान दिया था इनको , लालबहादुर तुम्हें प्रणाम॥
फलासक्ति को त्यागा तुमने, कर्म उपासक रहे महान।
सत्तासुख से विमुख सदा ही, थी चरित्र की अपनी शान॥
अर्पित तन-मन और वचन-धन, मातृभूमि के उज्ज्वल नाम।
निष्काम कर्म की दिव्य मूर्ति तुम, हे राजर्षि तुम्हें प्रणाम।।
शास्त्री जी की ईमानदारी और उनकी सादगी पूरे विश्व में जगजाहिर है। नई दिल्ली स्थित लाल बहादुर शास्त्री मेमोरियल, शास्त्री जी के आदर्श जीवन का दर्पण है। वहां रखे हुए एक प्रशस्ति-पत्र पर लिखा है, “शास्त्री जी हमेशा कहते थे कि मैं साधारण जनमानस का हिस्सा हूं”।
उनकी सादगी और ईमानदारी पर बलोदी जी लिखते हैं-
जीवन सादा सरल शांत था, नहीं किया किंचित अभिमान।
सिर पर टोपी तन पर शोभित, धोती कुर्ते का परिधान। ।
आडंबर से दूर सदा ही, स्नेहार्पित जनता के नाम।
भारतीयता के प्रतीक तुम, महा मनीषी तुम्हें प्रणाम।।
गांधी जी को दिया वचन था, नहीं किया धन का संचय।
अपरिग्रह का पालन करके, किया विजित मन का संशय।।
शक्ति और साधन का सम्यक, जनहित में करते उपयोग।
आजीवन अनिकेत रहे पर, सिद्धांतों से न था वियोग।।
कद काठी की वजह से शास्त्री जी को हल्के में लेने का दुःसाहस
कहते हैं कि व्यक्ति की शारीरिक ऊंचाई मायने नहीं रखती, बल्कि व्यक्तित्व का ऊंचा होना मायने रखता है। शास्त्री जी की कद काठी की वजह से कई नेता उन्हें हल्के में लेने का दुःसाहस भी करते थे, लेकिन वे उनकी असाधारण प्रतिभा और सक्षम नेतृत्व से अनभिज्ञ थे। ऐसा ही काम उनके साथ कराची एयरपोर्ट पर पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब ख़ान ने किया और शास्त्री जी का मजाक उड़ाया था। शास्त्री जी ने इस मजाक को बखूबी याद रखा।
इसकी एक झलक उन्होंने अयूब खान को तब दिखाई जब पाकिस्तानी राष्ट्रपति ने भारत के पहले पीएम पंडित नेहरू के निधन के बाद अपनी भारत यात्रा रद्द की थी। तब लाल बहादुर शास्त्री ने तंज कसते हुए कहा था कि आपको दिल्ली आने की जरूरत नहीं, हम खुद ही लाहौर तक आ जाएंगे। तब शायद अयूब खान ने यह बात हल्के में ली होगी। पर शास्त्री जी ने 1965 के युद्ध में अपनी कथनी को करनी में बदल दिया। पाकिस्तान को ऐसी धूल चटाई कि पड़ोसी देश समेत विश्व के नेताओं को उनके असल कद का भान हो गया। शास्त्री जी पर यहां बिहारी सतसई के दोहे की एक पंक्ति प्रासंगिक है, “देखन में छोटे लगैं, घाव करैं गम्भीर”
वे एक मजबूत और दूरदर्शी नेता थे। एक बार उन्होंने कहा था, “जैसा मैं दिखता हूं, उतना साधारण मैं हूं नहीं”। निश्चित तौर पर, शास्त्री जी का पूरा जीवन और उनके द्वारा संकल्पित लक्ष्यों की प्राप्ति इस तथ्य को प्रमाणित करता है। शास्त्री जी दूरदर्शिता के प्रतीक, अत्यंत सरल प्राकृति, निर्लिप्त, सत्यनिष्ठ एवं मिष्टभाषी थे। शास्त्री जी ने सार्वजनिक और पारिवारिक दोनों ही जीवन में श्रेष्ठता के प्रतिमान स्थापित किए। शास्त्री जी का व्यक्तित्व असाधारण था। इनके असाधारण व्यक्तित्व को देखते हुए इनको अजातशत्रु की संज्ञा दी गई। अर्थात, जिसका कोई शत्रु या दुश्मन पैदा न हुआ हो, जो ‘शत्रुविहीन’ हो।
कष्ट उठाकर दूसरों को सुखी देखना शास्त्री जी की अप्रतिम महानता को दर्शाता है। समाजसेवा उनके व्यक्तित्व का एक महत्वपूर्ण अंग था। संत तुलसीदास की वाणी “पर हित सरिस धर्म नहिं भाई, पर पीड़ा सम नहिं अधमाई” को उन्होंने सच्चे रूप में अपने जीवन में उतारा। शास्त्री जी को खुद कष्ट उठाकर दूसरों को सुखी देखने में सुकून मिलता था। शास्त्री जी के पुत्र सुनील शास्त्री अपनी पुस्तक ‘लालबहादुर शास्त्री, मेरे बाबूजी’ में एक घटना का जिक्र करते हैं, जो इस प्रकार है-
रेलगाड़ी के डिब्बे से कूलर निकलवाने का किस्सा
“जब शास्त्री जी रेल मंत्री थे और वह किसी कार्य से मुंबई जा रहे थे। उनके लिए फ़र्स्ट क्लास का डिब्बा लगा था। गाड़ी चलने पर शास्त्री जी बोले, डिब्बे में काफ़ी ठंडक है, वैसे बाहर गर्मी है। उनके पी.ए. कैलाश बाबू ने कहा, जी, इसमें कूलर लग गया है। शास्त्री जी ने पैनी निगाह से उन्हें देखा और आश्चर्य व्यक्त करते हुए पूछा, ‘कूलर लग गया है? बिना मुझे बताए? आप लोग कोई काम करने से पहले भला मुझसे पूछते क्यों नहीं हैं? क्या और सारे लोग जो गाड़ी में चल रहे हैं, उन्हें गर्मी नहीं लगती होगी?’ शास्त्री जी ने कहा, "कायदा तो यह है कि मुझे भी थर्ड क्लास में चलना चाहिए, लेकिन उतना तो नहीं हो सकता, पर जितना हो सकता है उतना तो करना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि बड़ा गलत काम हुआ है। आगे गाड़ी जहां भी रुके, पहले कूलर निकलवाइए। मथुरा स्टेशन पर गाड़ी रुकी और कूलर निकलवाने के बाद ही गाड़ी आगे बढ़ी।"
शास्त्री जी की त्याग की भावना का दर्शन तब भी देखने को मिला था जब वे जेल में थे। जेल में वे अपने हिस्से की वस्तुओं को दूसरों को देकर प्रसन्न होते थे। एक बार एक जरूरतमंद कैदी को लैंप की आवश्यकता थी, तब वे टॉलस्टॉय की किताब अन्ना केरिनिना को पढ़ रहे थे। उन्होंने उस कैदी को अपना लैंप दे दिया ताकि वह कैदी अपना कार्य सुलभता से कर सके। और स्वयं सरसों के तेल का दिया जलाकर टॉलस्टॉय की पुस्तक को पढ़ने लगे।
जय जवान, जय किसान का नारा
आमतौर पर शास्त्री जी का नाम आते ही “जय जवान, जय किसान” का नारा फौरन याद आता है। जिसकी विरासत को आगे ले जाने का काम अटल बिहारी वाजपेयी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। 22 अगस्त 2022 को लाल किले की प्राचीर से शास्त्री जी को याद करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि “शास्त्री जी का जय जवान, जय किसान का मंत्र आज भी देश के लिए प्रेरणा है। बाद में अटल बिहारी वाजपेयी जी ने उसमें ‘जय विज्ञान’ कहकर उसमें एक कड़ी जोड़ दी थी। लेकिन अब अमृत काल के लिए एक और अनिवार्यता है, और वह है ‘जय अनुसंधान’”। यानी एक तरह से पहले वाजपेयी और बाद में पीएम मोदी, दोनों ही नेताओं ने शास्त्री जी की परंपरा को आत्मसात करते हुए देश की प्रगति और उन्नति का खाका बुनने की कोशिश की है।
‘सक्षम नेतृत्व’ मानव में ईश्वर का दिया हुआ सर्वश्रेष्ठ गुण है। लाल बहादुर शास्त्री की नेतृत्व क्षमता इसका परिचायक है। शास्त्री जी ने संकट के घड़ी में इसका परिचय दिया। फिर चाहे, पाकिस्तान के साथ युद्ध में सफलता हो या खाद्य संकट की समस्या से निपटारा। एक बार मन बना लेने के बाद वे अपना निर्णय कभी नहीं बदलते थे। बाहर से मृदु स्वभाव के दिखने वाले शास्त्री जी अदंर से चट्टान की तरह दृढ़ थे। उनकी लोकनीति (पब्लिक पॉलिसी) क्षमता अद्भुत थी।
लोकतंत्र के सच्चे पैरोकार लाल बहादुर शास्त्री जी का मूल विचार पूरे राष्ट्र को एकजुट रखने में था, ताकि देश को तरक्की के राह पर आगे ले जाया जा सके। आज जरूरत है, आदर्शों के प्रति निष्ठा रखने वाले शास्त्री जी के विचारों को आत्मसात करने की, उनसे सीख लेने की, ताकि राष्ट्र के विकास का मार्ग अविलंब प्रशस्त हो सके। इसकी जिम्मेदारी केवल राजनेता और नौकरशाह वर्ग की ही नहीं, बल्कि समस्त जनमानस की है।
नई दिल्ली / शौर्यपथ /कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए सीनियर नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा सांसद शशि थरूर के बीच मुकाबला होना है। थरूर ने रविवार को कहा कि वह उम्मीदवारों के बीच सार्वजनिक बहस चाहते हैं और इसके लिए तैयार भी हैं। उन्होंने कहा कि इससे लोगों की उसी तरह से पार्टी में दिलचस्पी पैदा होगी, जैसे कि हाल में ब्रिटेन में कंजर्वेटिव पार्टी के नेतृत्व पद के चुनाव को लेकर हुई थी।
शशि थरूर ने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी के सदस्यों के दिलों में नेहरू-गांधी परिवार की हमेशा खास जगह रही है और रहेगी। थरूर ने कहा कि कांग्रेस की मौजूदा चुनौतियों का जवाब प्रभावी नेतृत्व और संगठनात्मक सुधार के संयोजन में निहित है। गौरतलब है कि झारखंड के पूर्व मंत्री के. एन. त्रिपाठी का नामांकन पत्र शनिवार को खारिज होने के बाद अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के अध्यक्ष पद के चुनाव में अब मुकाबला खड़गे और थरूर के बीच होगा।
'उच्च स्तर पर नेतृत्व करने का मेरा विश्वसनीय ट्रैक रिकॉर्ड'
थरूर ने कहा, 'संगठनों का उच्च स्तर पर नेतृत्व करने का मेरा विश्वसनीय ट्रैक रिकॉर्ड रहा है। संयुक्त राष्ट्र के जन सूचना विभाग के अवर प्रभारी महासचिव के तौर पर मैंने दुनियाभर में 77 कार्यालय में 800 से अधिक कर्मियों के संयुक्त राष्ट्र के सबसे बड़े विभाग के संचार का जिम्मा संभाला था। इसे देखते हुए कई लोगों ने मुझे संयुक्त राष्ट्र संगठन का नेतृत्व करने के लिए चुनाव लड़ने की अपील की थी।'
पार्टी को मजबूत करने के लिए लड़ रहा चुनाव: खड़गे
वहीं, मल्लिकार्जुन खड़गे ने रविवार को कहा कि वह इस चुनाव में किसी के विरोध में नहीं, बल्कि पार्टी को मजबूत करने के लिए उतरे हैं। उन्होंने इस धारणा को भी खारिज कर दिया कि उन्हें गांधी परिवार का समर्थन हासिल है। खड़गे ने कहा कि कांग्रेस के कई वरिष्ठ और युवा नेताओं के कहने पर वह चुनाव मैदान में उतरे हैं।
कांग्रेस के प्रवक्ता पद से 3 नेताओं का इस्तीफा
इस बीच, पार्टी के प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने बताया कि 'कांग्रेस अध्यक्ष पद के निष्पक्ष चुनाव के लिए दीपेंद्र हुड्डा, सैयद नासिर हुसैन और मैंने कांग्रेस के प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया है, अब हम मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए चुनाव प्रचार करेंगे।' मालूम हो कि कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव में नामांकन वापस लेने की अंतिम तारीख 8 अक्टूबर है। जरूरत पड़ने पर चुनाव 17 अक्टूबर को कराया जाएगा। मतगणना 19 अक्टूबर को होगी और नतीजे उसी दिन घोषित किए जाएंगे।
नई दिल्ली / शौर्यपथ /कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए कई दिनों तक चली खींचतान के बाद अब मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर आमने-सामने हैं। खड़गे ने रविवार को कहा कि वह इस चुनाव में किसी के विरोध में नहीं, बल्कि पार्टी को मजबूत करने के लिए उतरे हैं। उन्होंने इस धारणा को भी खारिज कर दिया कि उन्हें गांधी परिवार का समर्थन हासिल है। खड़गे ने कहा कि कांग्रेस के कई वरिष्ठ और युवा नेताओं के कहने पर वह चुनाव मैदान में उतरे हैं।
खड़गे ने कहा कि 'एक व्यक्ति, एक पद' के सिद्धांत के तहत उन्होंने राज्यसभा में विपक्ष के नेता के पद से नामांकन के दिन इस्तीफा दे दिया। मालूम हो कि झारखंड के पूर्व मंत्री के केएन त्रिपाठी का नामांकन शनिवार को खारिज हो गया। अब कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में शशि थरूर और मल्लिकार्जुन खड़गे मैदान में रह गए हैं।
संघर्षों से भरा रहा मेरा बचपन: खड़गे
सीनियर कांग्रेस नेता ने कहा, 'मैंने महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर चुनाव कैंपेन शुरू किया है। मैं हमेशा अपनी विचारधारा और नैतिकता के लिए लड़ता रहा हूं। मेरा बचपन संघर्षों से भरा रहा। मैं कई सालों तक विपक्ष का नेता, मंत्री और विधायक रहा हूं। मैं अब फिर से लड़ना चाहता हूं और उसी नैतिकता व विचारधारा को आगे ले जाने का प्रयास करूंगा।'
'केवल दलित नेता के रूप नहीं लड़ रहा चुनाव'
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, 'मैं यह चुनाव कांग्रेस की विचारधारा और बाबा साहब के संवैधानिक मूल्यों को आगे बढ़ाने के लिए लड़ रहा हूं। मैं सभी पार्टी प्रतिनिधियों और विंग का समर्थन चाहता हूं। केवल एक दलित नेता के रूप में ही मैं यह चुनाव नहीं लड़ रहा हूं, बल्कि कांग्रेस नेता के रूप में मैदान में उतरा हूं। मैं पिछले 51 वर्षों से कांग्रेस का कार्यकर्ता हूं और 55 सालों से पार्टी के लिए काम कर रहा हूं।'
17 अक्टूबर को होना है मतदान
वहीं, पार्टी के प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने बताया, 'कांग्रेस अध्यक्ष पद के निष्पक्ष चुनाव के लिए दीपेंद्र हुड्डा, सैयद नासिर हुसैन और मैंने कांग्रेस के प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया है, अब हम मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए चुनाव प्रचार करेंगे।' अगर पार्टी के इन दोनों नेताओं में से कोई भी एक अपना नामांकन वापस नहीं लेता है तो 17 अक्टूबर को मतदान होगा, जिसमें 9,000 से अधिक डेलीगेट (निर्वाचक मंडल के सदस्य) मतदान करेंगे। मतगणना 19 अक्टूबर को होगी।
आस्था /शौर्यपथ / 3 अक्टूबर, सोमवार को शारदीया नवरात्रि का आठवां दिन है। शारदीय नवरात्रि के आठवें दिन मां के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा- अर्चना की जाती है। नवरात्रि के दौरान मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के आठवें दिन का महत्व बहुत अधिक होता है। इस दिन कन्या पूजन भी किया जाता है। मां महागौरी का रंग अंत्यत गोरा है। इनकी चार भुजाएं हैं और मां बैल की सवारी करती हैं। मां का स्वभाव शांत है। आइए जानते हैं मां महागौरी की पूजा विधि, महत्व, मंत्र, भोग और आरती...
मां महागौरी पूजा विधि...
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
मां की प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं।
मां को सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां को सफेद रंग पसंद है।
मां को स्नान कराने के बाद सफेद पुष्प अर्पित करें।
मां को रोली कुमकुम लगाएं।
मां को मिष्ठान, पंच मेवा, फल अर्पित करें।
मां महागौरी को काले चने का भोग अवश्य लगाएं।
मां महागौरी का अधिक से अधिक ध्यान करें।
मां की आरती भी करें।
अष्टमी के दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन कन्या पूजन भी करें।
मां महागौरी मंत्र
मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
ध्यान मंत्र
वन्दे वांछित कामार्थेचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
सिंहारूढाचतुर्भुजामहागौरीयशस्वीनीम्॥
पुणेन्दुनिभांगौरी सोमवक्रस्थितांअष्टम दुर्गा त्रिनेत्रम।
वराभीतिकरांत्रिशूल ढमरूधरांमहागौरींभजेम्॥
पटाम्बरपरिधानामृदुहास्यानानालंकारभूषिताम्।
मंजीर, कार, केयूर, किंकिणिरत्न कुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वदनांपल्लवाधरांकांत कपोलांचैवोक्यमोहनीम्।
कमनीयांलावण्यांमृणालांचंदन गन्ध लिप्ताम्॥
स्तोत्र मंत्र
सर्वसंकट हंत्रीत्वंहिधन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदाचतुर्वेदमयी,महागौरीप्रणमाम्यहम्॥
सुख शांति दात्री, धन धान्य प्रदायनीम्।
डमरूवाघप्रिया अघा महागौरीप्रणमाम्यहम्॥
त्रैलोक्यमंगलात्वंहितापत्रयप्रणमाम्यहम्।
वरदाचैतन्यमयीमहागौरीप्रणमाम्यहम्॥
कवच मंत्र
ओंकार: पातुशीर्षोमां, हीं बीजंमां हृदयो।
क्लींबीजंसदापातुनभोगृहोचपादयो॥
ललाट कर्णो,हूं, बीजंपात महागौरीमां नेत्र घ्राणों।
कपोल चिबुकोफट् पातुस्वाहा मां सर्ववदनो॥
मां महागौरी की आरती
महागौरी की आरती
जय महागौरी जगत की माया ।
जय उमा भवानी जय महामाया ॥
हरिद्वार कनखल के पासा ।
महागौरी तेरा वहा निवास ॥
चंदेर्काली और ममता अम्बे
जय शक्ति जय जय मां जगदम्बे ॥
भीमा देवी विमला माता
कोशकी देवी जग विखियाता ॥
हिमाचल के घर गोरी रूप तेरा
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा ॥
सती 'सत' हवं कुंड मै था जलाया
उसी धुएं ने रूप काली बनाया ॥
बना धर्म सिंह जो सवारी मै आया
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया ॥
तभी मां ने महागौरी नाम पाया
शरण आने वाले का संकट मिटाया ॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता
माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता ॥
'चमन' बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो
महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो ॥
मां महागौरी पूजा महत्व
मां महागौरी की पूजा- अर्चना करने से विवाह में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं।
मां की कृपा से मनपंसद जीवनसाथी मिलता है।
मां महागौरी की अराधना करने से संकट दूर होते हैं पापों से मुक्ति मिलती है।
व्यक्ति को सुख-समृद्धि के साथ सौभाग्य की प्राप्ति भी होती है।