August 18, 2025
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शौर्यपथ

शौर्यपथ

      टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ /कभी रिमझिम बारिश में तो कभी शाम को बहने वाली ठंडी हवाओं के बीच सड़क किनारे मिलने वाले चटपटे कोयले पर सिके भुट्टे की महक लोगों को अपनी तरफ खींच ही लेती है। स्वाद ही नहीं सेहत के लिहाज से भी भुट्टा पोषक तत्वों का खजाना माना जाता है। 100 ग्राम उबले कॉर्न में 96 कैलोरी, 73% पानी, 3.4 प्रोटीन, 21 ग्राम कार्ब, 4.5 ग्राम शुगर, 2.4 फाइबर और 1.6 फैट होता है। इसमें ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) भी बहुत कम होता है। 112 ग्राम पॉपकॉर्न में 16 ग्राम फाइबर होता है। इसके अलावा इसमें पर्याप्त मात्रा में विटामिन E पाया जाता है। इसमें कोलेस्ट्रॉल का स्तर बहुत कम होता है। सेहत के लिए इतना फायदेमंद होने के बावजूद क्या आप जानते हैं सड़क किनारे मिलने वाले भुट्टे को खाने से आपको फायदा नहीं नुकसान होता है। क्या आप जानते हैं यह आपकी सेहत के लिए कितना खतरनाक है। आइए जानते हैं कैसे।
सड़क किनारे मिलने वाला भुट्टा खाने के नुकसान-
1-मक्खियां खराब कर सकती हैं सेहत-
सड़क किनारे मिलने वाले भुट्टे पर मक्खियां सारा दिन बैठीं रहती हैं। ये मक्खियां भुट्टे में कई बैक्टीरिया और रोगाणु छोड़ जाती हैं। ऐसे भुट्टे का सेवन आपको गंभीर बीमारियों का शिकार बना सकता है। कोशिश करें कि ऐसा खुले में रखा हुआ भुट्टा न खाएं।
2-वायु प्रदूषकों के संपर्क में रहते हैं-
सड़क किनारे मिलने वाले भुट्टे दिनभर खुली हवा में रखे रहते हैं और सभी प्रकार के वायु प्रदूषकों के संपर्क में आते हैं। यही कण भुट्टे के साथ आपके शरीर के अंदर जाकर आपको बीमार कर सकते हैं। इसलिए सड़क किनारे खुले में रखे हुए भुट्टों को खाने से बचना चाहिए।
3-नींबू का रस और मसाला भी कर सकता है बीमार-
भुट्टे पर लगाया जाने वाला नमक और नींबू भी कई बार साफ नहीं होता है, जिससे आपकी सेहत खराब होने का डर बना रहता है। भुट्टे में निचोड़ा गया नींबू का रस और मसाला सड़क किनारे मिलने वाले भुट्टे का टेस्ट बढ़ा देते हैं। लेकिन सड़क किनारे भुट्टा बेचने वाले लोग एक ही नींबू का कई बार प्रयोग करते हैं। इतना ही नहीं कई बार पैसे बचाने के लिए अधिकांश लोग खराब या खारिज किए नींबू का भी यूज करने लगते हैं।

 ब्यूटी /शौर्यपथ / आजकल हर दूसरा व्यक्ति झड़ते बेजान होते रूखे बालों की समस्या से परेशान है। झड़ते बालों की समस्या से राहत पाने के लिए लोग पार्लर जाकर महंगे ट्रीटमेंट तक लेने से गुरेज नहीं करते हैं। लेकिन इन ट्रीटमेंट में मौजूद केमिकल्स बालों की जड़ों को मजबूत बनाने की जगह उन्हे कमजोर बना देते हैं। जिससे बालों का झड़ना कम नहीं होता। अगर आपके बाल भी बेजान होकर टूट रहे हैं तो आपकी रसोई में मौजूद घी उनकी कोई चमक और सेहत वापस लौटाने में आपका मदद कर सकता है। घी में विटामिन-ए और विटामिन-ई जैसे तत्व होते हैं जो बालों के लिए काफी उपयोगी माने जाते हैं। अगर हफ्ते में एक दिन भी घी बालों में लगा लिया जाए तो बालों की तमाम समस्याएं आसानी से दूर हो सकती है।आइए जानते हैं बालों पर घी लगाने से मिलते हैं कौन से फायदे।  
हेयर टेक्सचर में करता सुधार-
बालों को मजबूत और स्वस्थ बनाए रखने में कैराटिन का बहुत बड़ा योगदान होता है। यही वजह है कि लोग पार्लर में महंगे कैराटिन ट्रीटमेंट लेने भी जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं घी विटामिन-ई से समृद्ध और कैराटिन को बढ़ावा देने में मदद करता है। बालों पर इसका नियमित इस्तेमाल करने से आपके बालों का टेक्सचर खुद ही इंप्रूव हो जाता है।
डैंड्रफ कम करने में मददगार-
डैंड्रफ से निजात पाने के लिए घी का उपयोग करना लाभकारी साबित हो सकता है। बालों में डैंड्रफ होने की मुख्य वजह मालासेजिया फुरफुर फंगस को माना गया है। ऐसे में अगर घी का प्रयोग कुछ अन्य सामग्रियों के साथ किया जाए, तो यह मालसेजिया फुरफुर नामक फंगस को बढ़ने से रोकने में मदद कर सकता है। जिससे डैंड्रफ को कम किया जा सकता है।
ग्रे हेयर से करें बचाव-
आज बढ़ते तनाव की वजह से कम उम्र में ही लोगों के बाल सफेद होने लग गए हैं। इसके अलावा सूरज की हानिकारक किरणें भी बालों में मौजूद कैराटिन को नुकसान पहुंचाती हैं, जिसकी वजह से बालों का प्राकृतिक रंग बदलने लगता है और बाल सफेद होने लगते हैं। लेकिन घी कैराटिन को बढ़ावा देता है, जिसकी वजह से बाल असमय सफेद होने से बच जाते हैं।
बेहतर हेयर ग्रोथ-
घी में मौजूद विटामिन-ए और ई जैसे पोषक तत्व बालों की ग्रोथ को बेहतर बनाए रखने में मदद करते हैं। इसके अलावा यह स्कैल्प इंफेक्शन को भी दूर करने में मदद करता है।
बालों को बनाएं सिल्की-
घी में में विटामिन-A, E और एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं, जो नमी को बरकरार रखने में मदद कर सकते हैं। एक रिसर्च में इस बात का जिक्र किया गया कि घी में स्मूद और ल्यूबरिकेट यानी मुलायम करने की क्षमता होती है। इस आधार पर यह माना जा सकता है कि बालों में घी लगाने से उसकी नमी बरकरार रह सकती है, जिससे बाल मुलायम बने रह सकते हैं।

रायपुर / शौर्यपथ /  प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कोण्डागांव में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुये कहा कि पूर्ववर्ती रमन सरकार के लापरवाही के कारण हाईकोर्ट में आरक्षण रद्द हुआ। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग के 58 प्रतिशत आरक्षण को बिलासपुर उच्च न्यायालय द्वारा रद्द किये जाने का फैसला आया।
  भाजपा की लापरवाही के कारण आरक्षण के खिलाफ फैसला आया। रमन सरकार ने अपने दायित्व का ईमानदारी से निर्वहन नहीं किया था। कांग्रेस सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर किया है। हम आदिवासी समाज की लड़ाई लड़ेंगे।
  उनकी सरकार की लापरवाही, अकर्मण्यता और गैर जिम्मेदाराना रवैये का नतीजा यह फैसला है। रमन सरकार ने 2011 में आरक्षण को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 58 प्रतिशत करने का निर्णय लिया था। 2012 में हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी।
  सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न निर्णयों जिसमें इंदिरा साहनी का फैसला प्रमुख के अनुसार कोई भी राज्य सरकार यदि 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण करती है तो अत्यंत विशेष परिस्थितियों,  विचार एवं तथ्यों के साथ कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करना होगा। इसका भी ख्याल नहीं किया गया।
  छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को बढ़ाने के तमाम तर्कसंगत कारण और विशेष परिस्थितियां है लेकिन भारतीय जनता पार्टी और रमन सरकार की नीयत में खोट थी। उन्होंने अदालत में राज्य की 95 प्रतिशत आबादी के हक में तर्क नहीं दिया और जनता को उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
 जब आरक्षण को बढ़ाने का निर्णय हुआ उसी समय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार राज्य सरकार को अदालत के सामने आरक्षण को 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ाने की विशेष परिस्थितियों और कारण को बताना था। तत्कालीन रमन सरकार अपने इस दायित्व का सही ढंग से निर्वहन नहीं कर पायी। 2012 में बिलासपुर उच्च न्यायालय में 58 प्रतिशत आरक्षण के खिलाफ याचिका दायर हुई तब भी रमन सरकार ने सही ढंग से उन विशेष कारणों को प्रस्तुत नहीं किया जिसके कारण राज्य में आरक्षण को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 58 प्रतिशत किया गया।
रमन सरकार ने आरक्षण में संशोधन के पहले सुप्रीम कोर्ट के पूर्ववर्ती फैसले को ध्यान में नहीं रखा। बाद में दोबारा संशोधित जवाब पेश करते हुए कुछ डेटा प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया, लेकिन वो भी प्रर्याप्त नहीं थे।
आरक्षण को बढ़ाने के लिये तत्कालीन सरकार ने तत्कालीन गृहमंत्री ननकी राम कंवर की अध्यक्षता में 2010 में मंत्रिमंडलीय समिति का भी गठन किया था। रमन सरकार ने उसकी अनुशंसा को भी अदालत के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया जिसका परिणाम है कि अदालत ने 58 प्रतिशत आरक्षण के फैसले को रद्द कर दिया।
 कांग्रेस की सरकार बनने के बाद अंतिम बहस में तर्क प्रस्तुत किया गया मंत्रिमंडलीय समिति के बारे में जानकारी दी गयी लेकिन पुराने हलफनामे उल्लेख नहीं होने के कारण अदालत ने स्वीकार नहीं किया।
इस प्रकरण में जब राज्य सरकार की अंतिम बहस हुई तो खुद महाधिवक्ता मौजूद रहे थे। उन्होंने मंत्रीमंडलीय समिति की हजारों पन्नों की रिपोर्ट को कोर्ट में प्रस्तुत किया था। लेकिन कोर्ट ने ये कहते हुए उसे खारिज कर दिया कि राज्य शासन ने कभी भी उक्त दस्तावेजों को शपथ पत्र का हिस्सा ही नहीं बनाया। लिहाजा, कोर्ट ने उसे सुनवाई के लिए स्वीकार नहीं किया।
यदि किसी वर्ग के आरक्षण में कटौती किये बिना ईमानदारी से दूसरे वर्ग के आरक्षण को बढ़ाया जाता तो यह स्थिति निर्मित नहीं होती, जब सभी वर्ग संतुष्ट होता तो कोई कोर्ट में चुनौती नहीं होती।
यदि आरक्षण बढ़ाया था तो उसके विशेष कारणों को बताने की जवाबदेही भी सरकार को थी। रमन सरकार ने नहीं बताया।
आरक्षण रद्द किये जाने का विपरीत प्रभाव अब तक हुये एडमिशन में न पड़े और भर्तियां हुई है इस पर न पड़े। इसके लिये अदालत से विशेष निवेदन किया गया। अदालत ने इसको माना भी इस फैसले का अभी तक की भर्तियों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
हमारा मानना है कि राज्य के सभी वंचित वर्ग को उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण दिया जाये, एससी के आरक्षण में कटौती न, एसटी को पूरा आरक्षण मिले, ओबीसी को पूरा मिले रमन सरकार ने यही सावधानी नहीं बरता था।

रायपुर / शौर्यपथ/ छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने असत्य पर सत्य के विजय पर्व विजयादशमी दशहरा के अवसर पर प्रदेशवासियों को दी बधाई शुभकामनाएं।
  विस् अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कहा कि यह पर्व हमें समाज में व्याप्त आसुरी प्रवृत्ति को समाप्त कर शांति, सद्भाव और आपसी भाईचारा स्थापित करने का संदेश देता है। यह त्योहार भारतीय संस्कृति में वीरता और शौर्य का प्रतीक है।
  डॉ. महंत ने प्रदेशवासियों से आह्वान किया कि वे अपने अंदर की बुराईयों को समाप्त कर प्रदेश के विकास एवं समृद्धि में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें। विजयादशमी दशहरा दुर्गा पूजा और नौ दिन तक चलने वाले नवरात्रि उत्सव के समाप्ति का प्रतीक है। यही वह दिन था जब भगवान श्रीराम ने रावण को परास्त किया था, वहीं मां दुर्गा ने महिषासुर का अंत कर देवताओं और मनुष्यों को उनके अत्याचार से मुक्ति दी थी, विजयदशमी को हथियार (अस्त्र-शस्त्र) पूजने की परंपरा भी है। यह दिन रोशनी के त्यौहार दिपावली की तैयारी की शुरुआत का भी प्रतीक है, जो त्योहार के लगभग 20 दिनों बाद पड़ता है। प्रभु श्रीराम का लंका विजय तथा मां दुर्गा का महिषासुर मर्दिनी अवतार दशमी को हुआ था, इसलिए इसे विजयादशमी कहा जाता है। विजयादशमी दशहरा बुराई पर अच्छाई तथा असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है।

   नई दिल्ली / शौर्यपथ /पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा लगभग सप्ताहभर के लिए अमेरिका जा रहे हैं। खास बात है कि इस दौरे ने एक बार फिर अमेरिका और पाकिस्तान के बीच बढ़ती नजदीकियों की अटकलों को हवा दी है। इस दौरान वह राष्ट्रपति जो बाइडन सरकार के कई मंत्रियों से मुलाकात कर सकते हैं। इससे पहले वह साल 2019 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ अमेरिका गए थे।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कहा जा रहा है कि पाकिस्तान सैन्य और आर्थिक सहयोग चाहता है। इसलिए बाजवा अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन, खुफिया अधिकारी एवरिड डी हैन्स और सीआईए निदेशक विलियम जे बर्न्स से मिल सकते हैं। खास बात है कि इससे पहले बाजवा और ऑस्टिन के बीच फोन पर भी बात हुई थी और उस दौरान साझा हितों, रक्षा समेत कई मुद्दों पर बात हुई थी।
18 अगस्त को यूएस सेंट्रल कमांड के कमांडर जनरल माइकल ई कुरिला ने पाकिस्तान आर्मी जनरल हेडक्वार्टर्स (GHQ) में जनरल बाजवा के साथ बैठक की थी। उस दौरान सैन्य संबंधों, रक्षा समेत कई मुद्दे उठाए गए थे।
आगामी अमेरिका यात्रा पर बाजवा पाकिस्तान के मामलों में दिलचस्पी रखने वाले अलग-अलग थिंक टैंक्स और अन्य स्कॉलर्स से बात कर सकते हैं। खबरें हैं कि सीआईए और आईएसआई ने काम करने के लिए मंच को दोबारा तैयार किया है। साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि इस्लामाबाद FATF में राहत समेत अमेरिका से काफी समर्थन मांग रहा है।
F-16 को लेकर भारत जता चुका है आपत्ति
अमेरिका की तरफ से पाकिस्तान को F-16 से जुड़ी आर्थिक मदद पर भारत सवाल उठा चुका है। हालांकि, विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की तरफ से आतंकवाद के विरोध का हवाला देकर अमेरिका के कदम का बचाव किया था। इधर, अमेरिका गए भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि पाकिस्तान को दी जा रही इस आपूर्ति पर कोई बेवकूफ नहीं बन सकता।
क्या चीन-अमेरिका संबंध सुधारना चाह रहा है पाकिस्तान
खास बात है कि पाकिस्तान नाटो में अमेरिका का साझेदार नहीं है और इधर चीन भी बाजवा की यात्रा को लेकर कुछ नहीं कह रहा है। जबकि, चीन अपनी सीमा से लगे देशों से अमेरिका की बातचीत पर सवाल उठाता रहा है।

    नई दिल्ली /शौर्यपथ  /उत्तर कोरिया ने मंगलवार को मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल दागी, जो जापान के ऊपर से गुजरते हुए प्रशांत महासागर में जा गिरी। जापान के अधिकारियों ने आसपास की इमारतों को खाली करने के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र के निवासियों के लिए 'जे -अलर्ट' जारी किया है। 2017 के बाद पहली बार ऐसा 'अलर्ट' जारी किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, वार्निंग के सायरन बजते ही लोग सुरक्षित जगहों पर छिपने लगे। ऐसा माना जा रहा है कि उत्तर कोरिया ने क्षेत्र में अमेरिकी सहयोगियों को निशाना बनाने वाले हथियारों का परीक्षण तेज कर दिया है।
जापान के प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया कि उत्तर कोरिया की ओर से एक मिसाइल दागी गई, जिसके जापान के ऊपर गुजरते हुए प्रशांत महासागर में गिरने की आशंका है। देश के होक्काइदो और आओमोरी क्षेत्र में ट्रेन सेवाएं कुछ समय के लिए निलंबित की गईं थी, जो अब बहाल कर दी गई हैं। प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने कहा, 'उत्तर कोरिया की ओर से हाल ही में किए गए परीक्षण की कड़ी निंदा करता हूं। मैं मौजूदा स्थिति को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के साथ बातचीत करूंगा।'
'नुकसान की तत्काल कोई खबर नहीं'
जापान कैबिनेट के मुख्य सचिव हिरोकाजू मात्सुनो ने कहा कि उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षण के बाद किसी तरह के नुकसान की तत्काल कोई खबर नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि मिसाइल 22 मिनट तक हवा में रहने के बाद देश के विशेष आर्थिक क्षेत्र के बाहर समुद्र में गिरी। वहीं, दक्षिण कोरिया के 'ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ' ने कहा कि उन्हें उत्तर के उत्तरी अंतर्देशीय क्षेत्र से दागी गई बैलिस्टिक मिसाइल के बारे में पता चला है। उन्होंने कहा कि दक्षिण कोरिया की सेना ने निगरानी बढ़ा दी है और अमेरिका के साथ निकट समन्वय बनाए हुए है।
4,000 किमी की दूरी तय करने में सक्षम मिसाइल
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यूं सुक येओल ने कहा कि उत्तर कोरिया ने मध्यम दूरी की मिसाइल का प्रक्षेपण किया, जो 4,000 किलोमीटर (2,485 मील) की दूरी तय कर सकती है। इसका मतलब है कि यह मिसाइल गुआम तक पहुंचने में सक्षम होगी। यूं ने कहा कि उन्होंने प्रक्षेपण पर चर्चा करने के लिए एक राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाई। उत्तर कोरिया के लापरवाही भरे परमाणु संबंधी उकसावे की दक्षिण कोरिया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय कड़ी प्रतिक्रिया देगा।
बीते 10 दिन में उत्तर कोरिया का यह 5वां परीक्षण
उत्तर कोरिया की ओर से पिछले 10 दिन में किया गया यह 5वां परीक्षण है। यह दक्षिण कोरिया-अमेरिका के बीच द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास और पिछले सप्ताह जापान से जुड़े सहयोगियों के अन्य प्रशिक्षण की जवाबी कार्रवाई प्रतीत होती है। उत्तर कोरिया इस तरह के अभ्यास को युद्ध का पूर्वाभ्यास बताता है।

     नई दिल्ली / शौर्यपथ  /रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने मंगलवार को 'क्वांटम मेकैनिक्स' में अभूतपूर्व योगदान के लिए एलेन एस्पेक्ट, जॉन एफ क्लॉसर और एंटोन जिलिंगर को 2022 का फिजिक्स नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की। रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज के महासचिव हैंस एल्लेग्रेन ने स्टॉकहोम के कैरोलिस्का इंस्टीट्यूट में मंगलवार को विजेताओं की घोषणा की।
स्वीडिश एकेडमी ने अपने बयान में कहा, "फिजिक्स में 2022 का नोबेल पुरस्कार जीतने वाले विजेताओं ने उलझे हुए क्वांटम स्टेट्स का इस्तेमाल करते हुए अभूतपूर्व प्रयोग किए हैं। क्वांटम स्टेट्स में दो पार्टिकल्स अलग होने पर भी एक युनिट की तरह व्यवहार करते हैं। वैज्ञानिकों के नतीजों ने क्वांटम सूचना पर आधारित नई तकनीक का रास्ता साफ कर दिया है।"
इससे पहले चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार सोमवार को स्वीडिश वैज्ञानिक स्वैंते पैबो को देने की घोषणा की गई थी। उन्हें मानव के क्रमिक विकास पर शोध के लिए यह पुरस्कार दिया गया। वहीं रसायन विज्ञान के नोबेल पुरस्कार की घोषणा बुधवार को की जाएगी। साहित्य का नोबेल पुरस्कार बृहस्पतिवार को दिया जाएगा। नोबेल शांति पुरस्कार,2022 की घोषणा शुक्रवार को और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार की घोषणा 10 अक्टूबर को की जाएगी।

     नई दिल्ली / शौर्यपथ /दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि सरकारी विभागों में कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले कर्मचारी अन्य सरकारी कर्मचारी के बराबर तय लाभ का दावा नहीं कर सकते। हाईकोर्ट ने पूर्व सैनिक की ओर से 19 साल पहले दाखिल याचिका को खारिज करते हुए यह महत्वपूर्ण फैसला दिया है। रिटायरमेंट के बाद सेना की कैंटीन में कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले पूर्व सैनिक ने सरकारी कर्मचारियों की तरह 60 साल तक नौकरी करने की मांग की थी।
चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने कहा कि सभी तथ्यों और कानूनी पहलुओं पर विचार करने के बाद हम इस नतीजे पहुंचे हैं कि कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त किए गए कर्मचारी ‘नियोक्ता और कर्मचारी’ के बीच हुए करार से विनियमित होता है, ऐसे में कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी, अन्य सरकारी कर्मचारियों के समान लाभ का दावा नहीं कर सकता है।’
याचिकाकर्ता बुध राम को मामले के अजीबोगरीब तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर 60 साल की उम्र तक नौकरी करने की अनुमति देने का सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि वह एक पेंशनभोगी था और बाद में उसे कॉन्ट्रैक्ट नियुक्ति दी गई थी। यह टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने पूर्व सैनिक बुध राम की ओर से दाखिल याचिका को खारिज कर दिया।
सेना में 28 साल की सेवा के बाद शुरू की थी नौकरी
मई 1963 में याचिकाकर्ता ने सेना में नौकरी शुरू की और 28 साल बाद मई 1991 में रिटायर हो गए। मई 1993 में उन्हें सेना की कैंटीन में कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त किया गया। अंतिम कॉन्ट्रैक्ट की अवधि जनवरी 2002 तय की गई। इसके बाद याचिकाकर्ता ने अन्य कर्मचारियों की तर्ज पर 60 साल तक की उम्र तक नौकरी करने देने की अनुमति मांगी थी।

        नई दिल्ली / शौर्यपथ  /राजस्थान की सियासत में बीते सप्ताह हलचल काफी तेज थी। कांग्रेस अध्यक्ष बनने की रेस में बताए जा रहे अशोक गहलोत के विधायकों ने बगावती तेवर दिखाते हुए हाईकमान के आदेश से उलट अलग मीटिंग बुला ली थी। माना जा रहा था कि सचिन पायलट को अशोक गहलोत की जगह सीएम न बनाया जाए, इसके लिए यह पूरी कवायद की गई थी। लेकिन पूरे मामला अशोक गहलोत गुट के लिए उलटा पड़ता दिखा, जब सोनिया गांधी ने नाराजगी दिखाई। इसके बाद अशोक गहलोत को उनसे मिलने के लिए भी दो दिन तक टाइम लेने के लिए इंतजार करना पड़ा। अशोक गहलोत की जब सोनिया गांधी से मुलाकात हुई तो वह पूरी तरह सरेंडर नजर आ रहे थे और कहा कि मैंने सोनिया जी से माफी मांग ली है।
इसी लाइन में उन्होंने यह भी कहा दिया था कि अब मैं अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ूंगा। तब माना जा रहा था कि अशोक गहलोत ने सरेंडर कर दिया है और हाईकमान की ओर से उन पर ऐक्शन भी लिया जा सकता है। यानी सीएम की उनकी कुर्सी भी असुरक्षित नजर आ रही थी। हालांकि अब अशोक गहलोत का सरेंडर मोड ही कामयाब नजर आ रहा है और कयास लगाए जा रहे हैं कि शायद इस बार वह पूरा टर्म करेंगे। यही नहीं अशोक गहलोत के भी जयपुर पहुंचकर तेवर बदल गए हैं और वह एक बार फिर से सचिन पायलट गुट पर हमला बोलते दिख रहे हैं।
ताकत भी दिखाई और पायलट को आईना भी, क्या रणनीति
अशोक गहलोत ने रविवार को एक तरफ सचिन पायलट पर इशारों में हमला बोला तो वहीं अपनी ताकत भी दिखा दी। गहलोत ने कहा, 'अध्यक्ष पद के लिए ऐसी परिस्थिति बन गई है। विधायकों ने मेरी बात भी नहीं मानी। ऐसी नौबत क्यों आई। पहली बार माफी मांगी। मोदी सरकार हमेशा कोशिश करेगी कि कैसे सरकार गिरा दें।' यही नहीं इसी बहाने अशोक गहलोत ने अपने पक्ष में खड़े 102 विधायकों की ताकत का भी जिक्र कर दिया और सचिन पायलट गुट को सरकार गिराने की कोशिश पर आईना दिखाते नजर आए। अशोक गहलोत ने कहा, 'हमारे विधायकों को अमित शाह ने मिठाई खिलाई थी। 102 लोगों (विधायक जो पायलट की बगावत के समय साथ खड़े थे) को कैसे भूल सकता हूं। 10 करोड़ का रेट था, बाद में 10, 20, 50 करोड़ की बात होने लगी थी।  
इमोशनल कार्ड खेला, विधायकों से कनेक्ट का भी जिक्र
राजस्थान के सीएम ने इसके आगे इमोशनल कार्ड खेलते हुए विधायकों से अपने कनेक्ट का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, 'मैं कहीं रहूं या नहीं रहूं, यह अलग बात है। मैं विधायकों का अभिभावक हूं। आज दो-चार विधायक मेरे खिलाफ कमेंट भी कर देते हैं तो मैं बुरा नहीं मानता हूं।' यही नहीं अशोक गहलोत ने इस मौके पर अध्यक्षी के चुनाव में उतरे मल्लिकार्जुन खड़गे की तारीफ भी की। अशोक गहलोत ने कहा कि खड़गे अनुभवी नेता हैं। शशि थरूर भी अच्छे हैं लेकिन एलिट क्लास के हैं।

        नई दिल्ली /शौर्यपथ/दिल्ली के उपराज्यपाल और आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के बीच में जारी घमासान बढ़ता ही जा रहा है। एलजी ने केजरीवाल सरकार को अब एक और मोर्चे पर घेरने की तैयारी शुरू कर दी है। उन्होंने मंगलवार को दिल्ली के मुख्य सचिव को निजी बिजली वितरण कंपनी बीएसईएस को 'आप' सरकार द्वारा दी जाने वाली बिजली सब्सिडी में कथित अनियमितताओं की जांच का आदेश दिया है।
वहीं, एलजी के इस आदेश के बाद दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सक्सेना को चिट्ठी लिखकर पर बड़ा पलटवार किया है। सिसोदिया ने इस चिट्ठी में लिखा है कि उपराज्यपाल चुनी हुई सरकार को बाईपास कर रहे हैं। सभी जांच गैरकानूनी और असंवैधानिक हैं।
सिसोदिया ने कहा कि जमीन, पुलिस, पब्लिक ऑर्डर और सर्विसेज के अलावा अन्य किसी भी मामले में आदेश देने का आपके (उपराज्यपाल) पास अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि आपके सभी आदेश राजनीति से प्रेरित हैं। अब तक किसी भी जांच में कुछ नहीं निकला। आपसे आग्रह है कि आप संविधान के अनुरूप कार्य करें।
जानकारी के अनुसार, दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने उपभोक्ताओं को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से बिजली सब्सिडी के भुगतान का क्रियान्वयन कथित रूप से नहीं होने की जांच करने के मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं। दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) ने 2018 में सब्सिडी उपभोक्ताओं के खाते में भेजने के आदेश दिए थे। उपराज्यपाल कार्यालय ने बताया कि मुख्य सचिव से सात दिन में रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।
दरअसल, उपराज्यपाल सचिवालय को एक शिकायत मिली थी, जिसमें दिल्ली में केजरीवाल सरकार की बिजली सब्सिडी योजना में खामियों और विसंगतियों का मुद्दा उठाया गया है।
शिकायतकर्ताओं में प्रख्यात वकील और कानूनविद शामिल हैं। डीईआरसी ने 19 फरवरी 2018 को अपने आदेश में कहा था कि दिल्ली सरकार बिजली सब्सिडी को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से उपभोक्ताओं को अंतरित करने पर विचार कर सकती है। उन्होंने आरोप लगाया है कि दिल्ली सरकार की ओर से निदेशकों और एक निजी बिजली वितरण कंपनी (डिस्कॉम) की नियुक्ति के बाद एक बड़ा घोटाला हुआ।  

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