May 02, 2025
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राजनीति

राजनीति (1096)

दुर्ग / शौर्यपथ / निकाय चुनाव का कभी भी आगाज हो सकता है साय सरकार ने भी कह दिया है कि चुनाव जल्द होंगे इन्हें टाला नहीं जाएगा ऐसे में आरक्षण प्रक्रिया पुरी होने के बाद स्थिति भी साफ़ हो गई है किस वार्ड से कौन से वर्ग में टिकिट वितरण करनी है महापौर आरक्षण होने के बाद नारी शक्ति को सत्ता की कमान मिलेगी . कांग्रेस संगठन की बात करे तो दुर्ग में टिकिट वितरण में एक बार फिर पूर्व विधायक एवं वरिष्ठ कांग्रेसी अरुण वोरा की भूमिका अहम् रहेगी . गत विधान सभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी वोरा के खिलाफ कई कांग्रेसियों ने भीतरीघात किया तो कई ने खुलकर पार्टी विरोधी कार्य किया हालांकि यह चर्चा फैलाई गई कि उनका विरोध पार्टी प्रत्याशी के विरुद्ध है किन्तु सत्य यही है कि दुर्ग शहर में कांग्रेस प्रत्याशी की बड़ी हार हुई , प्रदेश से कांग्रेस की छुट्टी हुई अब एक बार फिर कांग्रेस अपने आप को स्थापित करने में लगी है ऐसे में यह चर्चा जोरो पर है कि क्या प्रदेश संगठन दुर्ग में वरिष्ठ नेता अरुण वोरा की राय को दरकिनार कर उन लोगो को भी टिकिट देगी जो बंद कमरे और खुले में कांग्रेस प्रत्याशी के विरोध में कार्य किये है .
पूर्व सभापति कक्ष बना विरोधी गुट का केन्द्र बिंदु ....
सालो के वनवास के बाद सक्रीय राजनीती में कदम रखने वाले राजेश यादव अंतिम क्षणों में निर्दलीय पार्षद सुश्री नीता जैन के मत से सभापति की खुर्सी तक पहुंचे थे परन्तु पांच सालो के कार्यकाल में सभापति के कक्ष से तात्कालिक विधायक के विरोध के स्वर को यही से बल मिलता रहा और यह स्वर धीरे धीरे इतना बुलंद हुआ कि विधान सभा चुनाव में इसका परिणाम कांग्रेस की बड़ी हार रहा . अब एक बार फिर विधान सभा से बड़ी हार लोकसभा में होने के कारण टिकिट वितरण में वरिष्ठ कांग्रेस नेता अरुण वोरा की भूमिका को अहम् माना जा रहा है अगर संगठन पूर्व की गतिविधियों को गंभीरता से संज्ञान लेता है तो कांग्रेस से राजेश यादव , मदन जैन , ऋषभ जैन , मनदीप भाटिया , बिजेंद्र भारद्वाज राजकुमार नारायणी की टिकिट कटना तय है .
दुर्ग कांग्रेस में एक बार फिर नेतृत्तव की कमान वोरा के हाथ में है संगठन में वर्तमान समय में पांच सालो के कार्यकाल में सभापति के रूप में राजेश यादव ने निगम में अपनी कोई छाप नहीं छोड़ी विधान सभा चुनाव के बाद महापौर एवं विधायक के साथ कार्यक्रमों में ज़रूर नजर आये किन्तु प्रदेश के मुखिया से करीबी होने के बावजूद भी दुर्ग में कांग्रेस संगठन के लिए कोई बड़ा कार्य किया हो कही नजर नहीं आया और पुरे पांच साल विधायक विरोधी गुट की बैठक का केन्द्र बिंदु सभापति कक्ष ही रहा कांग्रेस की गुटीय राजनीती को बढ़ावा यही से मिला जिस पर रोक लगाने में पूर्व सभापति यादव असफल रहे . ऐसे में आने वाले चुनाव में संगठन अपनी पूर्व की गलतियों से सबक लेता है या नहीं आने वाले समय में सामने आएगा कि संगठन पूर्व विधायक के राय को कितना महत्तव देता है . वर्तमान विधायक के एक साल के कार्यकाल में शहर की जनता जिस तरह से विधायक से दूर हो रही है और कमीशनखोरी , अवैध अतिक्रमण , घोटालो के खिलाफ जंग में वर्तमान सरकार असफल हुई उससे कही ना कही कांग्रेस को फायदा हो सकता है किन्तु कांग्रेस मे चाटूकारिता के स्थान को अगर महत्तव दिया तो कोई बड़ी बात नहीं कि इस बार कांग्रेस की निगम में वार्ड पार्षदों की संख्या में भी कमी आ जाएगी . जो कि आने वाले समय में साफ़ हो जाएगा ..

सरकार चयनित शिक्षकों को दूसरे पदों पर समायोजित करे: कांग्रेस
           रायपुर/ शौर्यपथ / प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि सरकार बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों के साथ अन्याय कर रही है। भले ही इन शिक्षकों की नौकरी पर संकट तकनीकी रूप से अदालती निर्णय के कारण आया है लेकिन सरकार चाहे तो इस समस्या का तत्काल निराकरण कर सकती है। सरकार के पास शिक्षा विभाग में ही अनेकों ऐसे पद है जहां समान वेतनमान पर इन 2897 शिक्षकों की नियुक्ति की जा सकती है। प्रयोगशाला सहायक, उच्च श्रेणी शिक्षकों के रूप में इनकी नियुक्तियां की जा सकती है। वर्तमान शिक्षा विभाग में 70 हजार पद रिक्त है। 33000 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया सरकार रोक कर रखी हैं। इन पदों पर इन शिक्षकों को समायोजित किया जा सकता है। सरकार इनके मामले में तत्काल निर्णय लेकर इनका समायोजन करे।
  प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि प्रदेश के 2897 सहायक शिक्षक अपनी नौकरी बचाने के लिये आंदोलनरत है, धरने पर बैठे है सरकार है कि इस मामले में कोई निर्णय नहीं ले रही है। बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों की नौकरी बचाने सरकार के पास अनेकों विकल्प है, विभागीय डीएड परीक्षा का आयोजन भी करवा कर नौकरी यथावत बरकरार रख सकती है सरकार लेकिन इस सरकार की नीयत ठीक नहीं है। भाजपा सरकार नौकरी छीनने वाली सरकार है। इन शिक्षकों को सरकार ने भर्ती निकाल कर प्रक्रिया पूरी करने के बाद नियुक्ति दिया था। अब अदालत के निर्णय के बाद गतिरोध आ रहा है तो सरकार इस मामले का समाधान निकाल डीएड प्रशिक्षित शिक्षकों के लिये अलग भर्ती निकाले तथा इन पहले से नियुक्ति पा चुके 2897 शिक्षकों की सेवा आगे सुनिश्चित रखने की व्यवस्था करें। इन शिक्षकों की भर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान ही हुआ था, ऐसा नहीं है भाजपा सरकार बनने के बाद भी तीसरी और चौथी काउंसलिंग 9 फरवरी 2024 तथा 7 मार्च 2024 को हुई थी तथा इनकी नियुक्तियां हुई थी।
  प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि इस मामले प्रभावित अधिसंख्यक शिक्षक बस्तर और सरगुजा संभाग के है तथा दूरस्थ क्षेत्रों में पदस्थ है। 2897 में से 70 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति वर्ग से आते है। यह इन के भविष्य का सवाल है। सरकार इनके मामले में सहानुभूति पूर्वक निर्णय करें।

   दुर्ग / शौर्यपथ / नगरीय निकाय चुनाव का आगाज हो चूका है पार्षद आरक्षण के बाद दुर्ग निगम के कई वरिष्ठ पार्षद इस आरक्षण के बाद राजनितिक सफ़र के एक ऐसे रास्ते पर पहुँच गए जो उनके लिए डेड एंड साबित हो सकता है वही कुछ पार्षद महापौर की रेस में शामिल होने के लिए अग्रसर है तो कुछ अन्य वार्डो की तलाश किन्तु वर्तमान स्थिति में अगर देखा जाए तो एक बार फिर राजनीती घमासान दोनों ही दलों में देखने को मिलेगी . कुछ सफल भी होंगे तो कुछ के लिए राजनितिक सफ़र 05 साल या अधिक समय के लिए बंद हो जायेगा . राजनितिक पड़ाव का आखिरी सफ़र कांग्रेस में ज्यादा देखने को मिलेगा भाजपा के पार्षदों को एल्डरमैन के रूप में पुनः सक्रियता निभाने का मौका मील सकता है .
 भाजपा के शिवेंद्र परिहार , देव नारायण चंद्राकर , अरुण सिंह , मीना सिंह ओम,प्रकाश सेन ऐसे पार्षद रहे है जिन्होंने अपने वार्ड में लगातार सक्रीय भूमिका निभाई और संगठन में भी अपनी स्थिति मजबूत बनाए हुए है किन्तु आरक्षण की मार से अब नै भूमिका की तलाश में है ऐसे में महापौर के आरक्षण का भी इन्हें इंतज़ार है . प्रदेश में भाजपा की सत्ता होने से इनके लिए एल्डरमैन के रूप में एक मार्ग और खुला हुआ है वही महापौर आरक्षण के बाद बनी स्थिति में ए महापौर दावेदार के रूप में भी सामने आ सकते है . भाजपा के ये चार शिवेंद्र परिहार , देव नारायण चंद्राकर , अरुण सिंह,ओम प्रकाश सेन चेहरे अपने राजनितिक गुरुओ के सहारे इस रेस में शामिल है जो वार्ड में लोकप्रिय भी है इसमें से ओम प्रकाश सेन अपने वार्ड में महिला आरक्षित होने से परिवार के महिला सदस्य के साथ मैदान में उतर सकते है और जीत दर्ज कर सकते है वही देव नारायण चंद्राकर बगल के वार्ड में कुच कर अपना निगम का राजनीती सफ़र जारी करे तो भी कोई आश्चर्य नहीं होगा वही एल्डरमैन के लिए भी मार्ग प्रशस्त है .
   वही अगर कांग्रेस की बात कही जाए तो ऋषभ जैन किसी अन्य वार्ड से टिकिट की उम्मीद तो कर सकते है किन्तु विधान सभा चुनाव के बाद बनी स्थिति और आरक्षण की मार से इनका आगे का मार्ग लम्बे समय के लिए विराम की दिशा में संकेत कर रहा है . कुछ ऐसी ही स्थिति मनदीप भाटिया की भी है प्रथम बार निगम चुनाव लड़ कर पार्षद और फिर बाद में एमआई सी सदस्य बने किन्तु आरक्षण की ऐसी हवा चली की आगे का मार्ग वर्तमान परिदृश्य में बंद ही नजर आ रहा है . कांग्रेस के वरिष्ठ पार्षद टाइगर अभि जिन्दा है के संबोधन को सार्थक करते हुए एक बार फिर चुनावी मैदान में उअतारने की तैयारी में है ऐसी भी चर्चा है कि वार्ड 39 से ए चुनावी मैदान में उतर सकते है जहाँ से वर्तमान में पुष्पा गुलाब वर्मा मैदान में है इस बार यह वाद सामान्य होने से और पूर्व में कांग्रेस का वार्ड होने से कांग्रेस इस वार्ड को एक बार फिर अपने खेमे में लाने की कोशिश करेगी वही भाजपा के संभावित प्रत्याशी गुलाब वर्मा से मुकाबला करने में मदन जैन ही उपयुक्त हो सकते है . दुर्ग निगम महापौर धीरज बाकलीवाल का वार्ड ओबीसी महिला होने से अब अपने निवास वार्ड 45 जो कि सामान्य है पर निगाह है किन्तु इस वार्ड में कांग्रेस के लिए प्रत्याशी के रूप में पूर्व विधायक अरुण वोरा की पहली पसंद राजेश शर्मा ही हो सकते है . दुर्ग कांग्रेस में राजेश शर्मा ही एक ऐसे कांग्रेसी है जो कही से भी कांग्रेस के लिए सक्रीय नहीं रहे है सिर्फ वोरा परिवार के करीबी होने से इस परिवार के लिए पूर्व विधायक अरुण वोरा सभी नियमो को दरकिनार कर देते है और अपनी कही बातो से भी मुकर जाते है जैसा कि पिछले कार्यकाल में देखने को मिला वार्ड 45 से पार्षद रहे किन्तु सक्रिय के लिहाज से और हार की संभावना से इमके वार्ड को परिवर्तित कर 46 नंबर से श्रीमती कमला शर्मा को टिकिट मिला जिसके कारण कांग्रेस ने अपने मजबूत कार्यकर्ता लीला पाल को भी खो दिया किन्तु सत्ता की ताकत के आगे सब जायज का किस्सा यहाँ भी चला वही एल्डरमैन के लिए राजेश शर्मा के नाम को नामित कर कई कांग्रेसियों से भी नाराजगी मोल ली जो विधान सभा चुनाव में हार का एक प्रमुख कारण रही और अपने ही वार्ड से प्रत्यशी के रूप में अरुण वोरा की हार हुई अब एक बार फिर वार्ड 45 सामान्य सीट के लिए वर्तमान महापौर बाकलीवाल और राजेश शर्मा किसी एक पर मुहर लगाने में बड़ी भूमिका अरुण वोरा की होगी जो उनके आगे की राजनितिक सफ़र के लिए भी काफी अहम् होगी . वही हमीद खोखर जो अपने वार्ड से लगातार तीन बार विजयी हुए है इस बार महिला आरक्षित होने से चुनाव मैदान से हटने की बात कह रहे है किन्तु राजनीती में कब क्या हो कहना संभव नहीं ऐसे में अंतिम समय में परिवार के किसी को चुनावी मैदान में भी उतार सकते है और यह सीट कांग्रेस के खाते में डाल सकते है जो कि आने वाले समय में स्पष्ट हो जायेगा .
  राजनीती एक ऐसा मंच है जहन स्थिति निरंतर बदलती है ऐसे में कयासों का बाजार लगातार इस ठण्ड में गर्मी प्रदान कर्ता रहेगा स्थितिया बदलेंगी और चर्चाये भी दोस्त कब दुश्मन बनेगे , दुश्मन कब दोस्त बनेगे यह कहा नहीं जा सकता क्योकि राजनीती में पद महत्तवपूर्ण होता है दोस्ती दुश्मनी राजनीती में लम्बे समय के लिए नहीं होती .
चुनावी विश्लेषण
शरद पंसारी (संपादक शौर्यपथ दैनिक समाचार )

27 जून को शुरू हुआ जनदर्शन कार्यक्रम अब तक 21 बार स्थगित,जनता अपनी परेशानी किसको बताये? : कांग्रेस

रायपुर/ शौर्यपथ / प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री जनता से मिलते ही नहीं है फिर उन्हें कैसे पता चलेगा कि सरकार के काम से जनता खुश है या नाखुश है? मुख्यमंत्री निवास में 27 जून को शुरू हुआ जनदर्शन कार्यक्रम अब तक 21 बार स्थगित हो चुका है मात्र पांच बार ही जनदर्शन कार्यक्रम हुए हैं लेकिन उसका भी लाभ आम जनता को नहीं मिला है। मुख्यमंत्री निवास जनता जा नहीं सकती है मुख्यमंत्री जहाँ दौरा में जाते हैं वहां प्रशासन जनता को मिलने से रोकते हैं। मुख्यमंत्री से मिलने निवेदन करते संघर्ष करते महिलाओं बुजुर्गों के कई सारे वीडियो सामने आ गए हैं। जिसमें जनता के साथ प्रशासनिक बदसलूकी नजर आयी है। पूरे प्रदेश में आम जनता सरकार के कामकाज को लेकर भारी आक्रोशित है। ये सरकार एक साल में ही अलोकप्रिय हो चुकी है।
प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि पांच बार हुए जनदर्शन कार्यक्रम में जनता से मिले हजारों आवेदनों का अब तक निराकरण नही हुआ है। सरकारी दफ्तरों में बिना लेन देन काम नही हो रहा है। मंत्री के बंगलो के बाहर भी मंत्रियों के प्रवास का साईन बोर्ड अधिकांश समय लटकते रहता है। जनता अपनी समस्याओं को सुलझाने सिर्फ बंगलो का चक्कर लगाते रहती है लेकिन उनका कोई सुनने वाला ही नही है। ऐसे में जनदर्शन कार्यक्रम सिर्फ धोखा साबित हो रहा है। जनता हर गुरुवार को जनदर्शन कार्यक्रम होने का बेसब्री से इंतजार करती है लेकिन उन्हें जनदर्शन कार्यक्रम स्थगित होने की सूचना मिलती है इससे जनता में मायूसी छा जाती है।

  दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग नगर निगम के पूर्व एल्डरमैन भाजपा नेता डॉ. प्रतीक उमरे ने कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी से दुर्ग नगर निगम के महापौर पद का आरक्षण छत्तीसगढ़ राज्य कल्याण आयोग द्वारा पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या के संबंध में मान्य किए गए सांख्यिकीय आंकड़े के आधार पर करने का आग्रह किया है।डॉ. प्रतीक उमरे ने कहा की अब प्रदेश में नगरीय निकाय में महापौर का चुनाव अब सीधे मतदाता करेंगे इसलिए आरक्षण की प्रक्रिया पारदर्शी एवं नियमों अनुरूप होना चाहिए जिससे किसी प्रकार के विवाद की स्थिति निर्मित न हो।पूर्व एल्डरमैन डॉ. प्रतीक उमरे ने कहा की नगरीय प्रशासन विभाग ने छत्तीसगढ़ नगर पालिक निगम (संशोधन) अध्यादेश 2024 व छत्तीसगढ़ नगर पालिका (संशोधन) अध्यादेश 2024 की अधिसूचना की प्रति कलेक्टरों,नगर निगम आयुक्तों को भेज दिया है।इसमें संशोधित अधिनियम के अनुसार कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
  नगरीय निकाय में हफ्ते भर के भीतर आरक्षण की प्रक्रिया पूर्ण कर लिया जाएगा।इसलिए पूर्व एल्डरमैन डॉ. प्रतीक उमरे ने कलेक्टर से आग्रह किया है कि अन्य पिछड़ा वर्ग को जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण देने छत्तीसगढ़ राज्य कल्याण आयोग द्वारा पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या के संबंध में मान्य किए गए सांख्यिकीय आंकड़े को आधार बनाया जाना चाहिए।

    रायपुर/ शौर्यपथ / प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में नगरीय निकायों में आरक्षण को लेकर जारी अध्यादेश छत्तीसगढ़ की बहुसंख्यक आबादी जो अन्य पिछड़े वर्ग के लोग हैं, उनके साथ अन्याय है। भाजपा से जुड़े लोग विज्ञापन बोर्ड पर ओबीसी को 50 प्रतिशत आरक्षण देने का दावा कर रहे हैं जो सरासर झूठ है। हक़ीक़त यह है कि आरक्षित सीटों की कुल संख्या ही अधितकम 50 प्रतिशत है, इसमें एससी, एसटी, अल्पसंख्यक और ओबीसी सभी के आरक्षण शामिल हैं। सरकार ने आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत की है, जहां एससी-एसटी की आबादी 50 फीसदी से ज्यादा है, वहां पिछड़ा वर्ग को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा।
   प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी मूलतः आरक्षण विरोधी है। छत्तीसगढ़ में जब ये विपक्ष पक्ष में थे, तो राजभवन की आड़ में विधानसभा से सर्वसम्मति से पारित आरक्षण विधेयक लटकाए रखें। आरक्षित वर्गो को उनकी हिस्सेदारी के अनुसार आरक्षण का लाभ देने के लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार के द्वारा 2 दिसंबर 2022 को सर्वसम्मति से पारित, “छत्तीसगढ़ नवीन आरक्षण विधेयक“ विगत 2 वर्ष से अधिक समय से आज तक राजभवन में लंबित है। भाजपा नेता बताएं कि छत्तीसगढ़ की बहुसंख्यक आबादी के शिक्षा और रोजगार के हितों को प्रभावित करने वाले इस महत्वपूर्ण आरक्षण विधेयक को कब तक राजभवन में लंबित रखा जाएगा? भाजपाई बताएं कि छत्तीसगढ़ के बहुसंख्यक आबादी जो ओबीसी हैं, उनको 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ क्यों नहीं मिलना चाहिए? सामान्य वर्ग के गरीबों को ईडब्ल्यूएस का आरक्षण क्यों बाधित है? अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत आरक्षण के लाभ के साथ अनुसूचित जातियों को उनकी आबादी अनुरूप 13 प्रतिशत आरक्षण क्यों नहीं देना चाहती है भाजपा सरकार?
   प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भाजपा सरकार के द्वारा आरक्षण के प्रावधानों में जो परिवर्तन किया गया वह पिछड़े वर्ग के हितों के खिलाफ़ है। पिछड़े वर्ग के अधिकारों को छीनने का काम भाजपा की सरकार कर रही है, ऐसे असंतुलित प्रावधान के बाद पिछड़े वर्ग के लिए कुछ नहीं बचने वाला है। पिछड़े वर्ग के लोग महापौर और जिला पंचायत अध्यक्ष बनने के लिए तरस जाएंगे, यह सरकार पिछड़े वर्ग के खिलाफ़ लगातार षडयंत्र कर रही है। साय सरकार के ओबीसी विरोधी षडयंत्रों पर पर्देदारी करने भाजपा नेता, साय को पिछड़े वर्ग को 50 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए धन्यवाद ज्ञापित करने, विज्ञापन लगवा कर झूठे तथ्य प्रसारित करने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं। यदि केवल अन्य पिछड़े वर्ग को 50 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा तो कुल आरक्षण 96 प्रतिशत हो जाएगा। जबकि भाजपा बार बार कह रही है कि आरक्षण सीमा 50 प्रतिशत ही रखा जाएगा, अध्यादेश में भी आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फ़ीसदी ही है। छत्तीसगढ़ में आधे से अधिक आबादी अन्य पिछड़ा वर्ग की है, जिनके साथ यह सरकार धोखा कर रही है, ठग रहे हैं, उनके जायज़ हकों़ पर डकैती की जा रही है।

   रायपुर/ शौर्यपथ / राजीव भवन में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष धनेन्द्र साहू, पूर्व मंत्री रविन्द्र चौबे, वरिष्ठ कांग्रेस नेता सत्यनारायण शर्मा ने संयुक्त पत्रकारवार्ता को संबोधित किया।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज पत्रकारवार्ता को संबोधित करते हुये कहा कि धान बेचने में किसानों को हो रही परेशानी तथा सरकार के किसान विरोधी रवैये के विरोध में कांग्रेस पार्टी 10 दिसंबर को प्रदेश के सभी ब्लॉकों में धरना प्रदर्शन करेगी। पूरे प्रदेश में कांग्रेस ने धान खरीदी केन्द्र चलो अभियान चलाया। जिसमें हमारे सभी नेता पदाधिकारी धान खरीदी केन्द्रों में गये मैं भी चार सोसायटी गया। पूरे प्रदेश में धान खरीदी केन्द्रों में अव्यवस्था किसान परेशान है। सरकार की कोशिश है कम से कम धान खरीदी की जाये। सोसायटियों में हमारे नेताओं ने देखा कि बारदाने की कमी है, जिससे किसानों को धान बेचने में परेशान होना पड़ रहा। सरकार ने कहा है कि 50 प्रतिशत नये, 50 प्रतिशत पुराने बारदानों का उपयोग किया जाये। 50 प्रतिशत पुराने बारदाने समितियों में पहुंचे ही नहीं है, जिसके कारण धान खरीदी बाधित हो रही है। पुराने बारदाने फटे हुये है जिसमें धान भरा ही नहीं जा सकता, किसानों से कहा जा रहा 50 प्रतिशत बारदानो की व्यवस्था स्वंय करो उसका भुगतान किया जायेगा, लेकिन किसानो के बारदाने का पैसा भी नहीं मिल रहा। टोकन की व्यवस्था अव्यवहारिक है, जिससे किसानों को परेशान होना पड़ रहा, नंबर ही नहीं आ रहा। टोकन कटने की तारीख से 7 से 10 दिन बाद धान बेचने के लिये किसानों को बुलाया जा रहा है। 15 दिन बाद तक का भी टोकन नहीं मिल रहा। इलेक्ट्रॉनिक कांटा में जो तौलाई हो रहा है उसमें 1.5 किलोग्राम से 2.5 किलोग्राम अधिक तौला जा रहा है। सोसायटियों में धान का उठाव नहीं होने के कारण जगह की कमी है। धान के बोरे जाम है। जगह का अभाव हो गया है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि अनावरी रिपोर्ट कम बनाई गयी है तथा खरीदी भी 21 क्विंटल के हिसाब से नहीं हो रही है। किसानों से पूरा धान नहीं खरीदा जा रहा है। अनावरी रिपोर्ट गलत बनाया जा रहा जिसके आधार पर मात्र 9 से 12-14 क्विंटल धान खरीदा जा रहा। किसानो से पूरा 21 क्विंटल धान नहीं खरीदा जा रहा है। बड़े किसान अपनी बारी का इंतजार कर रहे उनकी बारी ही नहीं आ रही है। सरकार ने यह घोषणा किया है कि 72 घंटे में किसानों के खाते में पैसा आयेगा, लेकिन जो लोग धान बेच चुके है, उनके खाते के रकम हफ्तो तक नहीं आया है, जो रकम आ रहा है वह एक मुश्त 3100 नहीं है। सिर्फ 2300 रू. प्रति क्विंटल ही आ रहा है। (जो समर्थन मूल्य है उतना) भाजपा ने 3100 रू. एक मुश्त देने का वादा किया था।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि हमारी मांग है धान की कीमत का भुगतान 3217 रू. में करें क्योंकि 3100 रू. भाजपा ने अपने चुनावी वायदे में कहा था। इस वर्ष केन्द्र सरकार ने धान का समर्थन मूल्य 117 रू. बढ़ा दिया है। इस कारण इस वर्ष धान की खरीदी 3100 रू. से बढ़ाकर 3217 रू. किया जाये। कांग्रेस के समय भी कांग्रेस ने धान का समर्थन मूल्य 2500 देने का वादा किया था, लेकिन समर्थन मूल्य बढ़ने पर कांग्रेस ने 2640 रू. में धान खरीदी किया था।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि बीज उत्पादक किसानों से सोसायटी में धान नहीं खरीदा जा रहा। सोसायटी में सूचना चस्पा किया गया है कि बीज उत्पादक किसानों का धान नहीं लिया जायेगा। सोसायटी से धान संग्रहण केंद्रों में भेजा जा रहा है जबकि यह सीधे मिलरों के पास जाना चाहिये। इस कारण सोसायटी में संग्रहण केंद्रों के बीच परिवहन की लागत अतिरिक्त आ रही है। लेवर चार्ज बढ़ गया इसमें भ्रष्टाचार किया जा रहा है। पिछले वर्ष का सुखत का पैसा सोसायटियों को अभी तक नहीं दिया गया।

पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धनेन्द्र साहू ने कहा कि धान खरीदी में टोकन की व्यवस्था पर कांग्रेस पार्टी ने लगातार आवाज उठाने के बाद सरकार ने 60-40 प्रतिशत आदेश दिया है। ऐप में देखा कि 15 जनवरी तक टोकन 60 प्रतिशत तक भरा हुआ है जबकि 31 जनवरी आखिरी तारीख है। बड़े किसान और मध्यम किसान धान नहीं बेच पाये है। ऑफलाइन में भ्रष्टाचार होते है इसको कम करने के लिये हमारी कांग्रेस की सरकार ने बंद किया था। प्रतिदिन धान खरीदी की लिमिट बढ़ाई जाये। टोकन व्यवस्था को ठीक किया जाये। धान खरीदी की तारीख 15 दिन बढ़ायी जाये, तब सभी किसान धान बेच पायेंगे।
पूर्व मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि सबसे पहले प्रदेश अध्यक्ष को बधाई देता हूं कि कांग्रेस नेताओं को धान खरीदी केंद्रों में जाकर वहां की व्यवस्था तथा किसान की समस्या से अवगत हो सके। अभी 23-24 दिन धान खरीदी शुरू हुआ है। सरकार की सांसे क्यों फूलने लगी है? 160 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य रखा है और 40 लाख करोड़ की राशि किसानों देने है। मीडिया और अखबारों से पता चला है कि 1 तिहाई निकल गया है और 6600 करोड़ का धान खरीदी हुआ है। इसी गति से धान खरीदी होती रही तो 160 लाख मीट्रिक टन कैसे खरीदेगी, सबसे बड़ा प्रश्न चिन्ह है? कांग्रेस पार्टी इससे चिंतित है। हमारी कांग्रेस की सरकार ने 135 लाख मीट्रिक टन खरीदी किया था। कांग्रेस की सरकार ने अपने दम पर सारी व्यवस्था की थी। साय सरकार में 20 दिन में बारदाना की पूर्ति नहीं कर पा रही है। टोकन नहीं दे पा रहे है। धान उठाव नहीं हो पा रहा है। इलेक्ट्रॉनिक मशीन में परेशानी आ रही है। प्रायमरी सोसायटी में लिमिट या ज्यादा धान आता है तो तौल कांटा बढ़ाते नहीं है। खरीदी का लिमिट तय कर दिया है। धान खरीदी का लक्ष्य कैसे पूरा करेंगे? राइस मिलर्स से बारदाने के समझौते के बाद शुरू हुआ। साय सरकार ने अपने घोषणा पत्र में ग्राम पंचायत में एकमुश्त भुगतान करने की मोदी की गारंटी कहा था। सरकार की तरफ से पहले से जानकारी आना था लेकिन अभी तक नहीं आया है। कांग्रेस की सरकार ने पहले से ही अतिरिक्त राशि देने का तय किया तो राजीव गांधी न्याय योजना के माध्यम से किसानों को देने की दिन और तारीख तय कर लिया जाता था। उसी दिन उसी तारीख पर किसानों को अतिरिक्त राशि मिल जाती थी। साय सरकार को धान खरीदी अव्यवस्था को सुधारा जाना चाहिये। 20 दिन में सरकार थक गई है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता सत्यनारायण शर्मा ने कहा कि धान खरीदने के बाद दोबारा धान की तौलाई करते है तो तौल में ज्यादा धान लेने की शिकायत आई है। किसानों को 10 हजार देने की बात कही है, अगर किसानों के खाते में पैसा आ जायेगा तो वो एटीएम से कभी भी निकाल सकते है। लिफ्टिंग तुरंत होना चाहिये। राईस मिलर्स को संग्रहण केंद्र में क्वालिटी का चयन करने में परेशानी होगी। ये जो बाते है गंभीरता से सरकार को करना चाहिये। 3100 में धान खरीदने की भाजपा घोषणा पत्र में उल्लेख है एकमुश्त भुगतान होना चाहिये।
पत्रकारवार्ता में संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला, पूर्व संचार विभाग अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी, पंकज शर्मा, प्रदेश कांग्रेस वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर, सुरेन्द्र वर्मा, युवा कांग्रेस अध्यक्ष आकाश शर्मा, अशोक राज आहूजा उपस्थित थे।

अब तक भिलाई जिला का हिस्सा रहे रिसाली और कुम्हारी दुर्ग जिला संगठन में शामिल : अहिवारा और जेवरा मंडल अब भिलाई संगठन में

दुर्ग / शौर्यपथ / शनिवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय में परिसीमन समिति की बैठक हुई। जिसमें प्रदेश महामंत्री (संगठन) पवन साय और प्रदेश परिसीमन समिति के सदस्य भरत वर्मा, रजनीश सिंह (पूर्व विधायक), रामजी भारती (पूर्व विधायक), दीपक म्हस्के द्वारा परिसीमन के प्रस्ताव को सुना गया। बैठक में दुर्ग और भिलाई के जिला पदाधिकारियों एवं मंडल अध्यक्षों के साथ चर्चा के बाद परिसीमन को अंतिम रूप दिया गया। जिसके अंतर्गत दुर्ग शहर विधानसभा में चार की जगह अब पांच मंडल होंगे, वही दुर्ग ग्रामीण विधानसभा में अब तक तीन मंडल उतई, अंजोरा और रिसाली थे लेकिन अब आगे कुल पांच मंडल होंगे, जिसमें उतई, अंजोरा और रिसाली यथावत रहेंगे साथ ही अंडा-निकुम और मरोदा-पुरैना दो नए मंडल अस्तित्व में आएंगे। इसमें बड़ा परिवर्तन यह हुआ है कि रिसाली नगर निगम अब दुर्ग जिला भाजपा संगठन के अंतर्गत आएगा।
इसी प्रकार पाटन विधानसभा क्षेत्र में अब तक कुल चार मंडल उत्तर पाटन, दक्षिण पाटन, मध्य पाटन और कुम्हारी थे लेकिन अब आगे पांच मंडल होंगे। परिसीमन लागू होने के बाद पाटन विधानसभा में अमलेश्वर, पाटन, दरबारमोखली, जामगांव आर और कुम्हारी रहेंगे। कुम्हारी नगर पालिका जो अब तक भिलाई जिला संगठन के अंतर्गत थी उसे अब दुर्ग जिला संगठन को दे दिया गया है।
इसके अलावा अब तक दुर्ग जिला संगठन के अंतर्गत आने वाले अहिवारा और जेवरा सिरसा मंडल को भिलाई जिला संगठन में शामिल कर लिया गया है।
इस पूरे परिसीमन के बाद दुर्ग जिला भाजपा संगठन में एक नगर निगम (रिसाली) और एक नगर पालिका (कुम्हारी) बढ़े है तथा अहिवारा विधानसभा का ग्रामीण अंचल भिलाई जिला संगठन अंतर्गत चला गया है।
जिला भाजपा अध्यक्ष जितेन्द्र वर्मा ने नए परिसीमन का स्वागत करते हुए कहा कि अब दोनों संगठन जिले में पार्टी का काम सुचारू रूप से चलेगा क्योंकि अब तक दुर्ग और भिलाई जिले में जो विधानसभाएं विभाजित थी अब वह पूर्ण रूप से एक संगठन जिला में आ जाएगी। संगठन का काम पहले से भी अधिक व्यवस्थित रूप से चलेगा और समन्वय की समस्या नहीं रहेगी। संगठन चुनाव भी नए परिसीमन के हिसाब से होगा। नए अस्तित्व वाले मंडलों में प्रथम बार मंडल अध्यक्ष का चुनाव कराया जाएगा।
जिला परिसीमन समिति के सदस्य सुरेन्द्र कौशिक, राजेन्द्र कुमार पाध्ये और दिलीप साहू ने कहा कि प्रदेश संगठन के मार्गदर्शन पश्चात दुर्ग जिले में नए मंडल अस्तित्व में आए हैं, इसके बाद अब दुर्ग जिले में कुल 17 मंडल हो जाएंगे। मंडलों की संख्या बढ़ने से पार्टी का काम द्रुत गति से होगा और अधिकतम ऊर्जावान कार्यकर्ताओं को पद और जिम्मेदारी मिलेगी। ज्यादा से ज्यादा कार्यकर्ताओं को काम करने का अवसर मिलने से संगठन का काम तेज होगा।
प्रदेश की परिसीमन बैठक में दुर्ग जिला भाजपा अध्यक्ष जितेंद्र वर्मा, भिलाई जिला भाजपा अध्यक्ष महेश वर्मा, विधायक डोमन लाल कोर्सेवाड़ा, ललित चंद्राकर, पूर्व मंत्री रमशिला साहू, पूर्व विधायक बालमुकुंद देवांगन, सांवला राम डाहरे, जिला महामंत्री सुरेन्द्र कौशिक, प्रेमलाल साहू, विजेंद्र सिंह, जिला भाजपा उपाध्यक्ष नटवर ताम्रकार, राजेन्द्र कुमार पाध्ये, दिलीप साहू, योगेंद्र सिंह, रेखराम बंछोर, रामउपकार तिवारी, विजय जायसवाल, विनोद सिंह, श्रीमती अलका बाघमार, विनायक नातू, जिला मंत्री पवन शर्मा, रोहित साहू, मनोज मिश्रा, दिनेश देवांगन, सरला आचार्य, जितेंद्र राजपूत, रजनीश श्रीवास्तव, मदन वाढई, सुनील अग्रवाल, फत्ते वर्मा, लोकमनी चन्द्राकर, खेमलाल साहू, लालेश्वर साहू, जितेन्द्र यादव, लीमन साहू, सुषमा जेठानी, जितेंद्र साहू, हर्षा चंद्राकर शामिल हुए।

   दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग शहर के महापौर धीरज बाकलीवाल वोरा परिवार के कट्टर समर्थक माने जाते थे किन्तु वर्तमान समय में उनकी कार्यशैली ऐसा प्रतीत हो रही है कि वह अब वोरा परिवार से तो दूर नजर आ रहे है वही कांग्रेस के लिए भी अपरोक्ष रूप से दूर हो रहे है . लोकतंत्र का एक सुन्दर चेहरा होता है कि सत्ताधारी के अवैधानिक कार्यो का विरोध करे किन्तु निगम सत्ता की ताकत होने के बाद भी दुर्ग निगम के महापौर सत्ता और विधायक गजेन्द्र यादव के आगे नतमस्तक नजर आ रहे है .
  हाल ही में निगम के भवन शाखा की बिना अनुमति के नजूल की भूमि पर दुर्ग के विधायक गजेन्द्र यादव ने विधायक कार्यालय बना लिया और पूरी कांग्रेस मौन रही . संवैधानिक शक्तिया महापौर के रूप में धीरज बाकलीवाल के पास मौजूद है किन्तु इस असंवैधानिक भवन के निर्माण में निगम के महापौर ने कोई सख्त कदम नहीं उठाया वैसे महापौर धीरज बाकलीवाल व्यापारिक पृष्ठभूमि के है शायद इसी का परिणाम है कि अवैधानिक रूप से संचालित कांग्रेसी नेत्री के रेन बसेरा पर कार्यवाही की भी अनुशंसा नहीं कर पाए या यह भी संभव है कि महीने की एक फिक्स रकम अवैध सञ्चालन के एवज में मिल रही हो कारण चाहे जो भी हो यह जाँच का विषय है किन्तु वर्तमान समय में राजनीती का एक बड़ा मुद्दा जो कांग्रेस के लिए फायदेमंद मंद होता उस मुद्दे पर महापौर धीरज बाकलीवाल का मौन रहना कही ना कही कांग्रेस के विरोध में कार्य करने जैसा है .
   निविदा घोटाला की गूंज कई दिनों तक निगम में चलती रही जिसमे भाजपा विधायक गजेन्द्र यादव के दामाद और निगम में कार्यरत करण यादव का नाम सामने आ रहा था किन्तु इस मामले पर भी महापौर धीरज बाकलीवाल का मौन रहा कई कांग्रेसियों में हताशा को जन्म दे दिया और कांग्रेस ने एक बार फिर बड़ा मुद्दा हाँथ से गवा दिया जबकि इस निविदा प्रक्रिया में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज भाजपा पार्षद ने उठाया जो काबिले तारीफ़ रहा . ऐसे कई महत्तवपूर्ण मुद्दे रहे जो कांग्रेस को यह साबित करने में मददगार होते कि भ्रष्टाचार में कही ना कही वर्तमान विधायक का नाम भी सामने आ रहा है किन्तु इन मुद्दों को दरकिनार कर कांग्रेस के कार्यकर्ता होने की दृष्टि से निगम महापौर धीरज बाकलीवाल खो दिया .
   इन सब मुद्दों पर मौन रहने पर शहर में यह चर्चा जोरो पर है कि क्या पूर्व विधायक अरुण वोरा का राजनैतिक सफ़र समाप्त करने की दिशा में परदे के पीछे धीरज बाकलीवाल का बड़ा हाथ है . राजनीती में सब संभव हो जाता है एक रात पहले तक जो राजनैतिक प्रतिद्वंदी रहते है रातोरात गहरे दोस्त बन जाते है क्या कुछ ऐसी ही कोशिश वर्तमान में की जा रही है और विधायक के समर्थन में परदे के पीछे से हाथ मिलाया जा रहा है . क्या चुनाव पूर्व भी कुछ ऐसी कोशिश रही जिससे शहर के पूर्व विधायक अरुण वोरा की छवि को धूमिल किया जा सके . अब देखना यह है कि प्रदेश कांग्रेस द्वारा क्या इन मुद्दों पर कोई पहल होगी या आने वाले समय के लिए नई रणनीति बनेगी ?
  कारण चाहे जो भी हो किन्तु वर्तमान समय में अज्ञातवास सा जीवन महापौर धीरज बाकलीवाल के राजनैतिक गुरु बिता रहे है और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर महापौर धीरज बाकलीवाल का मौन रहना कही ना कही कांग्रेस के लिए ही नुक्सान दायक साबित हो रहा है 

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