August 03, 2025
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राजनीति

राजनीति (1109)

दुर्ग / शौर्यपथ / संगठन स्तर पर देखा जाए तो दुर्ग कांग्रेस में संगठन नाम का शब्द सिर्फ कागजों पर ही सीमित है ना नियम ना तरीके से मीटिंग होने की चर्चा होती है ना ही सोशल मीडिया पर कांग्रेस अपनी जानकारियां और अपने उपलब्धियां साजा कर पाती हैं आपसी मतभेदों का आलम यह है कि एक-एक प्रत्याशी को 4 से 5 जगह आवेदन देना पड़ रहा है सभी कांग्रेस की जीत से ज्यादा अपने-अपने सीट पर टिकट की मांग करते नजर आ रहे हैं ऐसे में संगठित भाजपा के साथ मुकाबला करने में दुर्ग कांग्रेस में कोई ऐसा नेता नहीं जो सभी को एक धागे में पिरो सके.
   पूर्व विधायक अरुण वोरा में अब वह नेतृत्व क्षमता कहीं नजर नहीं आ रही जिसके दम पर दुर्ग कांग्रेस के सारे मोती रूपी कार्यकर्ता को एक धागे में पिरोया जा सके वही दुर्ग नगर निगम क्षेत्र में निवासरत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं प्रदेश के पूर्व गृह मंत्री जिनका जनप्रतिनिधि और संगठन के कार्यों में लगभग पांच दशक से ज्यादा का लंबा अनुभव रहा ही के मैदान में उतरने से कांग्रेस कहीं ना कहीं मुकाबले में नजर आ सकती है .वर्तमान समय में जब नगर पालिक निगम और पंचायत के चुनाव एक साथ हो रहे हैं ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र के साथ-साथ दुर्ग शहर में भी कांग्रेस की मजबूत उपस्थिति की बड़ी जिम्मेदारी अब जिले के वरिष्ठ नेताओं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल,पूर्व गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ,पूर्व मंत्री रविंद्र चौबे जैसे नेताओं के कंधे पर आ चुकी है क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री जिले सहित प्रदेश में एक बड़ी जिम्मेदारी निभाते हुए संगठन को फिर से मजबूत करने का प्रयास कर रहे हैं वही पूर्व मंत्री वरिष्ठ नेता रविन्द्र चौबे साजा बेमेतरा क्षेत्र में कार्यकर्ताओ को सक्रीय कर रही .
  वही दुर्ग शहर में नगर निगम चुनाव में अगर कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में पूर्व गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू की पुत्रवधू सरिता साहू को संगठन प्रत्याशी घोषित करता है तो निश्चित ही नगर निगम चुनाव में भाजपा के साथ कांग्रेस का मुकाबला रोचक तो होगा ही और कड़े मुकाबले की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकेगा.
  बता दे कि गत विधानसभा चुनाव में जिले में साहू समाज की संख्या बहुल होने के बाद भी एक भी विधानसभा सीट में प्रत्याशी घोषित नहीं हुआ ऐसे में समाज की यह मनसा है कि साहू समाज के प्रत्याशी के साथ साहू समाज रहेगा हालांकि साहू समाज का झुकाव भाजपा के तरफ ज्यादा रहता है परंतु अगर दुर्ग नगर निगम से भारतीय जनता पार्टी साहू समाज से किसी को प्रत्याशी नहीं बनती तो और कांग्रेस संगठन दुर्ग से साहू समाज से सरिता साहू को प्रत्याशी घोषित करती है तो साहू समाज का झुकाव महापौर चुनाव में कांग्रेस की तरफ रहने की उम्मीद है वही चुनावी रणनीति बनाना और कार्यकर्ताओं को संगठित कर चुनावी मैदान में उतरने की कला पूर्व गृह मंत्री साहू में काफी ज्यादा है .50 साल के से भी अधिक के राजनीतिक अनुभव का लाभ संगठन को और कार्यकर्ताओं को एकजुट करने में जरूर मिलेगा और कांग्रेस मुकाबले में भाजपा को टक्कर देने की स्थिति में आ जाएगी .
  साल भर के कार्यकाल में जिस तरह से दुर्ग विधानसभा क्षेत्र में वर्तमान विधायक गजेंद्र यादव की लोकप्रियता में काफी गिरावट आई है और नगर निगम के कार्यों में अपरोक्ष रूप से हस्तक्षेप के कई मामले सामने आने के बाद आम जनता एक नए राजनीतिक केंद्र की उम्मीद कर रही है ऐसे में देखना यह होगा कि जिस तरह से कांग्रेस संगठन ने 2018 के विधानसभा चुनाव में अचानक प्रत्याशियों की अदला-बदली कर ताम्रध्वज साहू को दुर्ग ग्रामीण से चुनावी मैदान में उतारा उस ही स्थिति वर्तमान समय में बन जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी.
 वर्तमान समय में दुर्ग महापौर प्रत्याशी के लिए दावेदारों के आवेदनों की संख्या भले ही दर्जन पहुंच गई हो परंतु प्रबल दावेदारों में सत्यवती वर्मा एवं प्रेमलता साहू के अलावा ऐसा कोई चेहरा नजर नहीं आ रहा है जो कांग्रेस की तरफ से दमदारी से भाजपा के प्रत्याशी के साथ चुनावी जंग में उतरे ऐसे में वरिष्ठ नेता तामेध्वाज साहू की पुत्रवधू श्रीमती सरिता साहू के चुनावी मैदान में उतरने से दुर्ग कांग्रेस की चुनावी स्थिति में तो बदलाव आएगा ही साथ ही संगठन जो बिखरा हुआ है निष्क्रिय है वह भी एक बार सक्रिय हो जाएगा.बता दे कि रिसाली निगम चुनाव के समय भी काफी चर्चा थी कि तात्कालिक गृह मंत्री tamrdhwaj साहू की पुत्रवधू चुनावी मैदान में उतरेंगी और महापौर से नवाजी जाएँगी किन्तु तब तात्कालिक गृह मंत्री ने किसी अन्य को मौका देकर कांग्रेस को मजबूत करने का सफल प्रयास किया किन्तु वर्तमान समय में दुर्ग कांग्रेस कार्यकर्ताओ को किसी ऐसे चेहरे की सख्त आवश्यकता है जो जंग में मजबूती से लडे .
 आखिर कब तक कांग्रेस संगठन स्व. मोतीलाल बोरा के सम्मान में दुर्ग संगठन को हासिये पर रखेगा
     दुर्ग कांग्रेस संगठन में वर्तमान समय में पूरे फैसला पूर्व विधायक वोरा लेते हैं परंतु कांग्रेस को संगठित करने में पूर्व विधायक अरुण वोरा लगातार असफल ही रहे हैं निष्क्रिय अध्यक्ष एवं सालों से जमे  ब्लॉक अध्यक्षों के बदलाव की दिशा में भी पूर्व विधायक अरुण वोरा असफल साबित हुए युवा कांग्रेस मात्र लाभ का पद बना हुआ है .वहीं बंगले की राजनीति के चलते दुर्ग कांग्रेस बिखर सा गया ऐसे में कांग्रेस के कई कार्यकर्ता अब नए राजनीतिक केंद्र की तलाश में नजर आ रहे हैं फैसला कांग्रेस संगठन का होगा कि वह दुर्ग कांग्रेस को उनके बदहाल स्थिति में छोड़ना है या फिर कड़े फैसले लेते हुए नए बदलाव की स्थिति में ?

दुर्ग। शौर्यपथ। महापौर का चुनाव इस बार प्रत्यक्ष प्रणाली से होने के कारण दावेदारों की संख्या काफी बढ़ चुकी है दुर्ग नगर निगम में पिछड़ा वर्ग महिला महापौर आरक्षित होने से और प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार होने के कारण भारतीय जनता पार्टी से महापौर प्रत्याशियों की एक लंबी फौज अपने-अपने स्तर पर दावेदारी प्रस्तुत कर रही है. 

    भारतीय जनता पार्टी में ऐसा माना जाता है कि जिसका नाम ज्यादा उछलता है उसकी टिकट कटनी तय है परंतु वही अगर सोशल मीडिया की माने तो दुर्ग से महापौर प्रत्याशी के रूप में डॉक्टर भारती साहू के नाम पर मुहर लग रही है सोशल मीडिया में हर तरफ डॉक्टर भारती साहू महापौर की प्रबल दावेदार के रूप में नजर आ रही है दूसरी तरफ डॉक्टर भारती साहू के नाम सामने आने के बाद जब कई भाजपा नेताओं से चर्चा की तो ऐसे भाजपा नेताओं की संख्या बहुत ज्यादा है जो डॉक्टर भारती साहू को कभी भी पार्टी के कार्यक्रमों में ना देखे हैं ना उनकी कोई सक्रियता पार्टी मे नजर आई है वह भी आश्चर्यचकित है कि अचानक डॉक्टर भारती साहू सोशल मीडिया में कैसे प्रबल दावेदार के रूप में नजर आ रही है. 

  वही कई भाजपा नेता चटकारे लेते हुए कहते हैं कि वर्तमान समय में सोशल मीडिया का जमाना है जिस तरह से डॉक्टर भारती साहू का नाम सोशल मीडिया में उछल रहा है ऐसा लगता है कि सोशल मीडिया वालों ने ही भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी की घोषणा कर दी है और उन्हीं का फैसला संगठन को मानना होगा अब देखना यह है कि सोशल मीडिया के सहारे प्रसिद्धि पाने की जो आया कवायद चल रही है वह क्या संगठन में अपना काम करेगी और भारतीय जनता पार्टी डॉक्टर भारती साहू को दुर्ग नगर निगम से अधिकृत प्रत्याशी घोषित करती है या फिर सोशल मीडिया में ही यह खबर चलती रहेगी?

 दुर्ग / शौर्यपथ / निगम चुनाव और विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव में काफी अंतर होता है निगम चुनाव के प्रत्याशी ऐसे होने चाहिए जिनकी वार्ड में दखलअंदाजी हो और गली मोहल्ले की समस्याओं से रूबरू होकर वार्ड की जनता की समस्याओं का निराकरण करें . वार्ड के प्रत्याशी चयन में जमीनी स्तर पर प्रत्याशियों की सक्रियता देखना निशांत आवश्यक होता है परंतु एक बार फिर दुर्ग नगर निगम चुनाव में प्रदेश के बड़े नेताओं की दखलंदाजी साफ नजर आ रही है जो कि कही ना कही कांग्रेस को ही नुक्सान पहुंचाएगी .
   बात करें तो वार्ड नंबर 6 से कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में निगम के पूर्व सभापति राजेश यादव का नाम लगभग तय माना जा रहा है जबकि पूर्व में इस बार से प्रबल दावेदार के रूप में मनीष यादव के नाम की चर्चा शहर संगठन में हो रही थी परंतु शहर संगठन और अरुण वोरा की अहमियत प्रदेश स्तर के नेताओं के लिए लगभग 0 से प्रतीत हो रही है . पूर्व में राजेश यादव एक समय में संगठन के मजबूत नीव थे परंतु 15 सालों के राजनीतिक वनवास के बाद पिछले 5 साल में दुर्ग संगठन के लिए उनका कोई अहम योगदान नजर नहीं आया .वहीं पूर्व सभापति के कक्ष से गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अरुण वोरा के विरोध के जो स्वर जन्मे जिसे प्रदेश स्तर के नेता भी नहीं रो सके नतीजा यह रहा की शहर के लाडले विधायक कहे जाने वाले अरुण वोरा को शहर की जनता ने ठुकरा दिया .परिणाम के बाद शहर की जनता के लाडले विधायक के रूप में अरुण वोरा का नाम मिट गया .
  आपसी गुट बाजी और पार्टी विरोधी कार्यो में संलिप्त के कई मामले सामने आए वहीं दुर्ग संगठन की निष्क्रियता का परिणाम रहा की पार्टी विरोधी गतिविधियों वाले कांग्रेसियों पर कार्यवाही तो दूर नोटिस भी जारी नहीं कर सकी .अब एक बार फिर दुर्ग कांग्रेस संगठन प्रदेश के नेताओं के सामने असहाय हो गई प्रदेश स्तर के नेताओं से राजेश यादव को लगभग हरी झंडी मिल चुकी है ऐसे में कांग्रेस की तरफ से दावेदारी करने वाले मनीष यादव अब निर्दलीय चुनावी जंग में उतरेंगे .चर्चा यह भी है कि मनीष यादव चुनाव के पहले राजेश यादव के साथ आपसी सहमति बना लेंगे परंतु इस बारे में जब शौर्यपथ समाचार पत्र ने मनीष यादव से चर्चा की तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि वह अगर पार्टी से टिकट नहीं मिलेगी तो निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरेंगे उन्होंने नामांकन फार्म भी निर्वाचन कार्यालय से प्राप्त कर लिया है मनीष यादव का कहना है कि आजादी के बाद पहली बार कांग्रेस को इस बार से उन्होंने ही जीत दिलाई है एवं पूर्व में वह निर्दलीय पार्षद के रूप में भी इस वार्ड की सेवा कर चुके हैं पिछले चुनाव में आपसी सहमति जरूर थी परंतु वह सिर्फ एक कार्यकाल के लिए थी इस चुनाव में वह हर हाल में चुनावी मैदान में उतरेंगे ऐसे में देखना होगा कि प्रदेश के वह बड़े नेता जिन्होंने दुर्ग कांग्रेस में हस्तक्षेप किया क्या मनीष यादव को  कांग्रेस प्रत्याशी का विरोध करते हुए निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने से रोक पाएंगे या फिर पूर्व की आपसी सहमति का हवाला देते हुए मनीष यादव निर्दलीय चुनावी जग में उतरेंगे .बरहाल नामांकन फार्म जमा करने की अंतिम तारीख में अब 5 दिन शेष हैं ऐसे में आने वाले 5 दिन काफी गहमागहमी भरे रहेंगे .

दुर्ग। शौर्यपथ। दुर्ग नगर निगम चुनाव में बड़ी खबर निकल कर आ रही है कि कांग्रेस जिस शहरी सरकार के गुणगान करते हुए आने वाले निगम चुनाव में एक बार फिर काबिज होने की बात कर रही है इस नगर निगम चुनाव में पूर्व महापौर धीरज बाकलीवाल के लिए पूरे शहर में कहीं भी सुरक्षित सीट नजर नहीं आ रही है पद्मनाभपुर क्षेत्र में निवासरत एवं क्षेत्र के वार्ड नंबर 45 सामान्य होने के बावजूद भी इस वार्ड से धीरज बाकलीवाल चुनावी जंग से बाहर हो रहे हैं वहीं इस वार्ड से पूर्व विधायक अरुण वोरा के समर्थक राजेश शर्मा ने दावेदारी फॉर्म भर दी है परंतु सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राजेश शर्मा की यह टिकट काटकर पूर्व महापौर के करीबी युवा कांग्रेस के अध्यक्ष एवं ठेकेदारी के व्यवसाय से जुड़े आयुष शर्मा को चुनावी जंग में उतारने का प्रयास किया जा रहा है बता दे कि आयुष शर्मा २०१८ के विधानसभा चुनाव के बाद अचानक राजनीती से जुड़े और तात्कालिक विधायक वोरा के करीबी होने का फायदा उन्हें युवा कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में मिला . राजनीति में किसी तरह की कोई खास उपलब्धि आयुष शर्मा के खाते में नहीं है शहर में निष्क्रिय संगठन के बावजूद भी कांग्रेस बड़े जोर-शोर से जीत की उम्मीद कर रही है .ऐसे में बाकलीवाल के समर्थक आयुष शर्मा की दावेदारी से राजेश शर्मा के टिकट काटने की संभावना बढ़ गई है .
  आयुष शर्मा 2019 विधानसभा चुनाव के बाद पूर्व विधायक अरुण हो रहा एवं पूर्व महापौर धीरज बाकलीवाल के चहेतों की गिनती में आने लगे वही राजेश शर्मा का विरोध वोरा बंगले के साथ-साथ बाकलीवाल खेमे में भी होने लगा इस तरह की राजनीतिक चर्चाओं के बीच जानकारी निकल कर सामने आ रही है कि वोरा के समर्थक रहे राजेश शर्मा को अगर कांग्रेस से टिकट नहीं मिलता तो निर्दलीय चुनावी जंग में उतरने को तैयार हैं ऐसी स्थिति में कांग्रेस को ही नुकसान होगा और कांग्रेस के खाते से यह सीट भी चली जाएगी पूर्व में भी लीलाधर पाल के साथ हुए भीतरी घात के कारण पद्मनाभपुर क्षेत्र के एक वार्ड कांग्रेस के हाथ से जा चुका है अब दूसरे वार्ड के जाने की स्थिति निर्मित हो रही है .
  सत्ता जाने के बाद भी कांग्रेस की गुटबाजी और अंतर कलह के कारण कांग्रेस का लगातार दुर्ग शहर में पतन होता नजर आ रहे हैं पूर्व विधायक कहीं से भी कांग्रेस को मजबूती प्रदान करने की स्थिति में नहीं दिख रहे हैं वही प्रदेश संगठन भी दुर्ग कांग्रेस को पूरी तरह भुलाए बैठी है ऐसी स्थिति रहीं तो कोई बड़ी बात नहीं की आने वाले समय में कांग्रेस दुर्ग में सिर्फ नाम की ही बाकी रह जाएगी.

 भाजपा की सूची आ जाएगी पहले कांग्रेस में अभी दावेदारों के हो रहे आवेदन जमा जमा  

दुर्ग। शौर्यपथ। संगठन में कार्य किस तरह होता है यह अब कांग्रेस को भारतीय जनता पार्टी से सीखनी ही चाहिए नगरी निकाय चुनाव का आगाज हो चुका है नामांकन फार्म जमा करने की अंतिम तिथि 28 जनवरी है ऐसे में जहां दुर्ग में भाजपा प्रत्याशियों की अंतिम सूची जारी होने में चंद घंटे ही शेष होने की खबर आ रही है  वहीं कांग्रेस में प्रत्याशियों के आवेदन फार्म भी अभी तक संगठन में पूरी तरह नहीं पहुंचे वही ऐसी भी जानकारी मिल रही है कि कई वार्ड में वार्ड प्रभारी भी नियुक्त नहीं हुए हैं संगठन में आपसी तालमेल की कमी कितनी है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दुर्ग नगर निगम चुनाव के प्रभारी विकास उपाध्याय जब दुर्ग आते हैं तो मात्र घंटे 2 घंटे में बैठक कर घंटे दो घंटे भोजन पानी में विताकर वापस चले जाते हैं परंतु वही दावेदारों की सूची अभी तक कांग्रेस में तैयार नही हुई और ना ही कई वार्ड में वार्ड प्रभारी की नियुक्ति हुई . ऐसे में कांग्रेस का भारतीय जनता पार्टी पर सुशासन विरोधी बात करना कहीं से भी नीति संगत प्रतीत नहीं होता .जिस कांग्रेस में स्वयं के संगठन में नीतियां सिर्फ दस्तावेजों में रह गई हैं ऐसे संगठन में कार्यकर्ताओं के भविष्य की क्या स्थिति होगी कह पाना मुश्किल है.
   सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस में इस बात पर बहस छिड़ी हुई है कि पूर्व विधायक वोरा कितनी टिकट बाटेंगे और निर्वृतमान महापौर धीरज बकरीवाल कितनी टिकट अपने समर्थकों को दिलाएंगे प्रेस विज्ञप्तियों में एकजुटता की बात करने वाली दुर्ग कांग्रेस अपने बदहाली के इस पायदान पर खड़ी है कि सालों से ब्लॉक अध्यक्ष सहित निष्क्रियता की छाप लिए अध्यक्ष भी नहीं बदल पाई जबकि हाल ही में हुए लोकसभा और विधानसभा और चुनाव में कांग्रेस की हार को किसी दुर्गति से कम नहीं आंका जा सकता . विधानसभा चुनाव में जहां कांग्रेस लगभग 50000 वोटो से हरी वहीं लोकसभा में इसका आंकड़ा 70000 के ऊपर पहुंच गया ऐसे में संगठन में बैठे बड़े पदाधिकारी का उद्देश्य मात्र संगठन में पद लाभ ही निमित्त मात्र रह गया।
   ऐसा नहीं कि कांग्रेस संगठन और पार्टी पर कार्यकर्ताओं का भरोसा नहीं आज भी दुर्ग शहर में ऐसे कई कार्यकर्ता है जो कांग्रेस के लिए समर्पित है परंतु जिस प्रकार से संगठन में निष्क्रियता और संगठन के प्रमुख पदों पर मात्र चंद लोगों के सालों साल जमे रहने पर एवं कुछ पदों पर चाटुकारों का कब्जा आज दुर्ग कांग्रेस की बदहाली का आलम कह रहा है एक ओर प्रदेश संगठन और प्रदेश अध्यक्ष कह रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी के कुशासन का जवाब जनता देगी और कांग्रेस पार्टी पूरे जोश के साथ चुनावी मैदान में उतरेगी और जीत दर्ज करेगी परंतु प्रेस विज्ञप्तियों में प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज की बातें जरूर सुहानी लगती है किंतु जमीनी हकीकत इसके बिलकुल विपरीत है दुर्ग कांग्रेस का हाल इसका साक्षात उदाहरण है जहां आज भी हारे हुए प्रत्याशी अरुण वोरा की मर्जी के बिना प्रत्याशी चयन नहीं होने की बात कही जा रही है आश्चर्य की बात तो यह है कि जिस प्रत्याशी की शहर में बड़ी हार हुई अब वही एक बार फिर शहर के कांग्रेसियों की उम्मीद बने हुए हैं वहीं दूसरी ओर भाजपा की बात करे तो भाजपा सदा ही अपने जमीनी कार्यकर्ताओं को मौका देती है एवं महत्वपूर्ण पदों पर शोभित कर संगठन को आगे बढ़ने का कार्य कर रही है जीवत उदाहरण एक छोटे से गांव से आए हुए भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष जितेंद्र वर्मा ,जमीनी कार्यकर्ता ललित चंद्राकर ,नए जिला अध्यक्ष सुरेंद्र कौशिकजिसे कई चेहरे है जो भाजपा के कार्यकर्ताओं को एक उम्मीद जगाती है कि उनके राजनीतिक करियर में भाजपा में उत्थान होगा और अच्छा काम करने पर आगे बढ़ने  की उम्मीद रहेगी जो कि कांग्रेस में कहीं भी नजर नहीं आती .
   जिस रफ़्तार से कांग्रेस चुनाव की तैयारी कर रही उसे देख ऐसा कही भी नहीं लगता कि दुर्ग कांग्रेस के जिम्मेदार पदाधिकारी चुनावी जीत की तरफ बढ़ रहे है अपितु यह अच्छी बात हुई कि विधान सभा से भी ज्यादा मतों से लोकसभा में हुई हार के बाद इस चुनावी सीजन में एक बार फिर कार्यकर्ता पूर्व विधायक को घेरे नजर आ रहे है जो कही ना कही पूर्व विधायक के चेहरे की मुस्कान से झलकती है किन्तु वही यह भी याद आता है कि स्व. मोतीलाल वोरा ने कहा था " पद आते जाते रहते है किन्तु व्यक्ति को हमेशा नम्र रहना चाहिए " स्व. वोरा जी की यह बात सिर्फ दीवारों पर ही लिखी मिलती है दिलो में नहीं वरना आज दुर्ग कांग्रेस का वह हाल ना होता जो है .

     बिलापसुर  / शौर्यपथ / बिलापसुर नगरीय निकाय चुनाव को लेकर शहर ब्लॉक कांग्रेस कमेटी 02 के अंतर्गत आने वाले वार्डों में लगातार बैठक का दौर जारी है । आज ब्लॉक 02 के अंतर्गत आने वाले वार्ड क्रमांक 37 इंदिरा नगर,वार्ड क्रमांक 38 तात्या टोपे नगर एवं वार्ड क्रमांक 39 शहीद भगत सिंह नगर,वार्ड क्रमांक 41 स्वामी विवेकानन्द नगर तोरवा में ब्लॉक कांग्रेस कमेटी 02 के नेतृत्व में बैठक आयोजित की गई, ब्लॉक के महत्वपूर्ण बैठक में ब्लॉक कांग्रेस कमेटी 02 के अध्यक्ष अरविंद शुक्ला,पर्यवेक्षक राजेश पांडे,नरेंद्र बोलर विशेष रूप से उपस्थित रहे ।
   वार्डों के बैठक में ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अरविंद शुक्ला ने सभी कांग्रेस के प्रत्याशियों एवं कांग्रेसजनों से अपील की सभी को मिलजुल कर निगम में कांग्रेस की सरकार बननी है,साथ ही भाजपा सरकार की नकामी एवं कांग्रेस की सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं को भाजपा की सरकार बन्द कर रही है,इन सब मुद्दों को लेकर जनता तक पहुंचना है,शुक्ला ने कहा कि जिस प्रकार से वार्डों में कांग्रेस के कार्यकताओं एवं वार्डवासियों का कांग्रेस के पक्ष में भारी उत्साह दिख रहा है,नगर निगम ने कांग्रेस का महापौर बनना तय है ।पर्यवेक्षक राजेश पांडे एवं नरेंद्र बोलर ने सभी प्रत्याशियों से वन टु वन चर्चा की एवं कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने की आपकी की ।
 अरविंद शुक्ला ने जानकारी दी वार्ड क्रमांक 37 से 2 ,एवं वार्ड क्रमांक 38 से सिंगल,एवं वार्ड क्रमांक 39 से 6 एवं वार्ड क्रमांक 41 से 5 प्रत्याशियों ने ब्लॉक कांग्रेस कमेटी को टिकट हेतु आवेदन दिया है,सभी प्रत्याशियों ने बैठक में यह संकल्प लिया कि कांग्रेस पार्टी जिसको भी वार्ड का प्रत्याशी बनाएगी ,सभी प्रत्याशी मिलजुल कर उस प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित करने में अपना योगदान देंगे.....

दुर्ग। शौर्यपथ। प्रदेश में नगरी निकाय चुनाव का आगज हो चुका है सवा साल पहले तक कांग्रेस की सरकार जब प्रदेश में थी तब ऐसा प्रतीत होता था कि अब कांग्रेस की सरकार प्रदेश में काम से कम 2 से 3 कार्यकाल पूरा करेगी परंतु आपसी गुटबाजी का ऐसा जादू चला कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई . सत्ता से बाहर होने के बाद भी गुटबाजी की इस खाई को पाटने की बजाय कांग्रेस ने और बढ़ा दिया जिसका नतीजा यह निकला कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और बुरी तरह से हारी.
  प्रदेश में सांसदों की संख्या भी कम हो गई दो-दो बड़ी हार के बाद कांग्रेस के सक्रिय कार्यकर्ता यह सोचने लगे कि अब कांग्रेस में एक जुटता नजर आएगी परंतु प्रदेश में हो रहे नगरी निकाय चुनाव में एक बार फिर गुट बाजी की राजनीति कांग्रेस में नजर आने लगी . दुर्ग कांग्रेस का हाल इसका जीता जागता उदहारण देखने को मिल जाएगा जहां देश के कद्दावर नेता माने जाने वाले स्वर्गीय मोतीलाल वोरा के गृह जिला में एक समय कांग्रेस के हर फैसला वोरा बंगले में होते थे परंतु वर्तमान में हो रहे नगरी निकाय चुनाव में एक बार फिर गुटबाजी की ऐसी हवा चल रही है कि अब पार्षद पद के लिए प्रत्याशी वोरा बंगले के साथ-साथ निर्वृतमान महापौर बंगले के भी चक्कर काट रहे हैं वही कुछ प्रत्याशी पूर्व मंत्रियों के चक्कर लगा रहे हैं .दावेदार प्रत्याशी अपने आवेदन के कई कई सेट बनाकर अलग-अलग नेताओं को दे रहे हैं ताकि कहीं से भी हो उनकी दावेदारी मजबूत हो सके एक तरफ कांग्रेस का कहना कि वह एकजुट है परंतु जिस तरह से दावेदारों के आवेदन कई बंगलो के चक्कर लगा रहे हैं उसे यह तो साफ हो गया कि अब दुर्ग में कांग्रेस उस स्थिति में आने में काफी वक्त लग सकता है वहीं कई कांग्रेसियों का कहना है कि अब किसी ऐसे नेता की तलाश दुर्ग में कांग्रेस को करनी पड़ेगी जो सभी को एकजुट कर सके . वोरा बंगले से कई कांग्रेसियों की उम्मीदें अब टूटती जा रही है जिसका सीधा उदाहरण दावेदारों के अलग-अलग बंगलो में जमा करने वाले आवेदक से साफ नजर आ रहा है। हालांकि लोकसभा में विधानसभा से बड़ी हार के बाद पूर्व विधायक एक बार फिर दुर्ग के ताकतवार नेता बने हुए है और दावेदारों की भीड़ यही ज्यादा है किन्तु चुनावी सीजन के बाद एक बार फिर यह बँगला सूना होने की कगार पर जा सकता है .
 आने वाले समय में जब दावेदारों की सूची जारी होगी और प्रचार प्रसार आरंभ होगा तब कई तरह के नज़ारे कांग्रेस के भीतर देखने को मिलेंगे जो कांग्रेस आज एकजुट नहीं कैसे उनके नेता आम जनता के सामने जाकर आम जनता के हितों की बात कर जनता से अपने पक्ष में मतदान की बात कहेंगे यह देखने वाली बात होगी . आम जनता भी कांग्रेस के अंतर कलह  के नजारे देख रही है कभी वोरा के विरोधी रहे मदन जैन अब वोरा के करीब आने लगे हैं वही कभी वोरा गुट के करीबी रहे निर्वितमान महापौर अब  अपने सरकारी बंगले से कांग्रेसी कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर रहे हैं गुटबाजी की राजनीति कांग्रेसी पर लगातार हावी हो रही है जो कि आम जनता को साफ-साफ नजर आ रही है वहीं इस गुटबाजी का पूरा फायदा भाजपा को भी मिलता नजर आ रहा है .
  आज से नामांकन फॉर्म जमा होने शुरू हो गए हैं वहीं कांग्रेस की वार्ड प्रत्याशियों की सूची जारी नहीं है जो की शाम तक जारी होने की संभावना है परंतु ऐसा कहीं से प्रतीत नहीं हो रहा की एक-दो दिन में कांग्रेस की सूची जारी हो पाएगी वहीं महापौर के दावेदारों की संख्या दर्जन भर से ज्यादा नहीं और कोई दमदार दावेदार भी कांग्रेस की तरफ से नजर नहीं आ रहा जो शहर में अपनी अलग पहचान बना सके इस निकाय के चुनावी जंग में आने वाले समय में स्थिति बड़ी रोचक भी होगी और कहीं-कहीं हास्य पद भी होगी जिसका नजारा दुर्ग की जनता भरपूर देखेगी.

दुर्ग / शौर्यपथ / भारतीय जनता पार्टी ने पिछले 15 सालों में अपने संगठन की ताकत को लगातार बढाने का काम किया और आज के समय में भारतीय जनता पार्टी देश में सबसे बड़ी पार्टी है एवं कई राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है इसी का परिणाम है कि नए चेहरे के रूप में गजेन्द्र यादव को भी दुर्ग की जनता ने गत विधान सभा चुनाव में अपना आशीर्वाद दिया और भाजपा की बड़ी जीत हुई .
  वही अगर दुर्ग नगर निगम की बात करें तो दुर्ग नगर निगम के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के पार्षद पिछले 20 सालों में कभी भी बहुमत का आंकड़ा पार नहीं कर सके प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव की स्थिति में तीन बार भारतीय जनता पार्टी के महापौर निर्वाचित हुए परंतु चौथी बार पार्षदों के द्वारा चुनने पर कांग्रेस के महापौर का शहरी सरकार पर कब्जा रहा एक बार फिर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली में कर दिया किंतु वहीं दूसरी ओर अगर पार्षदों की बात करें तो एक बार फिर सुगबुगाहत शुरू हो गई कि इस बार भी भारतीय जनता पार्टी में ऐसे लोगों को महत्व दिया जा रहा है जो साल डेढ़ साल पहले भारतीय जनता पार्टी में सम्मिलित हुए और सत्ता आने के बाद प्रभावशाली नेताओं के करीबी होने का फायदा उठा रहे हैं .
 दुर्ग नगर निगम क्षेत्र में 60 वार्ड है जिसमें पिछले बार पिछले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी द्वारा टिकट वितरण में जिस प्रकार से असंतुष्टों की भरमार रही नतीजा यह रहा की 16 पार्षद भारतीय जनता पार्टी से निर्वाचित हुए वहीं लगभग 12 पार्षद ऐसे रहे जो बगावती तेवर दिखाते हुए निर्दलीय चुनाव में मैदान में उतरे और जीत के बाद शहरी सरकार में शामिल न होकर अपने मूल पार्टी के समर्थन में ही नजर आए इतने उदाहरण पूर्व में होने के बाद एक बार फिर दुर्ग नगर निगम चुनाव में सक्रिय कार्यकर्ताओं और पुराने लोगों को दरकिनार करने की बात सामने आ रही है.
  वार्ड प्रत्याशी के रूप में प्रबल दावेदार के रूप में ऐसे ऐसे चेहरे सामने आ रहे हैं जो साल 2 साल से ही पार्टी से जुड़े हैं वहीं कई ऐसे चेहरे भी प्रबल दावेदार के रूप में नजर आ रहे हैं जो पिछले विधानसभा लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का समर्थन करते नजर आए थे.
 शहर में यह चर्चा जोरों पर है कि प्रत्याशियों के चयन की प्रारंभिक अवस्था पैनल में ही ऐसे दावेदनों के नाम काट दिए गए हैं जो सालों से भाजपा के लिए कार्य कर रहे थे वहीं दुर्ग शहर विधायक के ऊपर भी यह बात आ रही है कि उनके द्वारा चयन समिति में ऐसे सदस्यों को शामिल किया गया जो उनके मनपसंद के प्रत्याशियों का नाम पैनल में सर्वोच्च स्थान पर रखें और काबिल प्रत्याशियों को प्रथम तीन में स्थान ना दे ताकि जब यह नाम संभाग स्तरीय बैठक तक पहुंचे तब इन्हीं नाम से चयन हो और ऐसे लोगों के नाम ही अंतिम सूची में दर्शित हो.
 पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया में एवं वार्ड क्षेत्र में कुछ ऐसे चेहरे चर्चा में हैं जो विश्वास के साथ अपने चुनाव की तैयारी आरंभ कर चुके हैं ऐसे में सक्रिय और पुराने कार्यकर्ताओं को एक बार फिर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कहीं इस बार भी उनके साथ धोखा ना हो जाए और वही स्थिति ना निर्मित हो जाए जो लगातार पिछले 20 सालों से निर्मित हो रही है .
  बता दे कि पार्षदों की संख्या बल कम होने के कारण पिछले दो बार के कार्यकाल में सभापति का पद कांग्रेस के खेमे में गया ऐसे में इस बार अगर सक्रिय कार्यकर्ताओं की अनदेखी हुई तो कोई बड़ी बात नहीं की एक बार फिर शहरी सरकार में कांग्रेस का कब्जा हो जाए और वह जीत से दूर हो जाए .
  पिछले 3 सालों में जिस प्रकार से जितेंद्र वर्मा की अध्यक्षता में कार्यकर्ताओं में सक्रियता बढ़ी एक बार फिर उनके चेहरों में निराशा झलक रही है ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि आज से शुरू हो रहे नामांकन जो 27 जनवरी तक चलेंगे इस बीच भारतीय जनता पार्टी किन वार्ड प्रत्याशियों को चुनावी समर में उतरती है और असंतुष्टों को कैसे साधेगी है.
  शहर में फैली चर्चाओं के आधार पर दुर्ग शहर के विभिन्न वार्डों से कुछ नाम जो पैनल में शामिल हुए हैं वो सामने आने लगे हैं, इन नामो में कितनी सत्यता है यह प्रमाणित नहीं किन्तु इन नामो की चर्चा राजनितिक हलको में जोर शोर से है और अब सभी को इंतज़ार है पार्टी के सूचि कि ताकि अधिकृत सूचि के बाद स्थिति साफ़ हो और प्रत्याशी चुनावी जंग में उतर सके एवं जिस पार्टी की लिए सालो अपना सर्वस्व दिया उन्हें इस बार प्रचंड जीत दिलाये ...
वाइरल सूचि
वार्ड 01 मनीष साहू
वार्ड  03 - नरेंद्र बंजारे
वार्ड 04 - लीना दिनेश देवांगन
वार्ड 05 - गोपू पटेल
वार्ड 08- वसीम कुरैशी
वार्ड  10 - शेखर चन्द्राकर
वार्ड  11 - अभिषेक पनारिया
वार्ड 12 - अजीत वैद्य
वार्ड 16 - खिलावन मटियारा
वार्ड 19 - रंजीता प्रमोद पाटिल
वार्ड 22 - काशीनाथ कोसरे
वार्ड  23- मनोज सोनी
वार्ड 24 - रामकली चन्द्राकर
वार्ड 30 - श्याम शर्मा
वार्ड 33- श्रीमती राखी बडजात्या
वार्ड 38 - रामचंद सेन
वार्ड 39 - गुलाब वर्मा
वार्ड 41- कु. अफिफा
वार्ड 43 - अनिकेत यादव
वार्ड 46 - लीलाधर पाल
वार्ड 48 - लोकेश्वरी ठाकुर
वार्ड 50 - बानी संतोष सोनी
वार्ड 51 - साजन जोसफ
वार्ड 52 - गुलशन साहू
वार्ड 53 - विनायक नातू
वार्ड 59 - नीलम शिवेंद्र परिहार
वार्ड 60 - श्वेता ताम्रकार

दुर्ग। शौर्यपथ। प्रदेश में नगर पालिका निगम के चुनाव का आगाज हो चुका है 20 जनवरी को आचार संहिता लगते ही अब चुनावी तैयारी में उतरे दावेदार अपने-अपने वार्ड में सक्रिय हो गए है. एक और जहां भारतीय जनता पार्टी के दावेदारों की फाइनल सूची एक-दो दिन में जारी होने की संभावना है वहीं कांग्रेस भी अब दावेदारों की अंतिम सूची जल्द जारी करने की कोशिश करेगी दुर्ग नगर पालिका निगम के वार्ड नंबर 37 में वर्तमान में कांग्रेस पार्षद के रूप में श्रद्धा सोनी एक बार फिर चुनावी मैदान में उतरेंगे वहीं आरक्षण में एस सी होने से शिवनायक भारतीय जनता पार्टी के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं यह दोनों प्रत्याशी ही वार्ड नंबर 37 से आमने-सामने होंगे वार्ड नंबर 37 में दोनों प्रत्याशियों के साथ एक बार सामान्य है दोनों ही प्रत्याशी एक-एक बार वार्ड के पार्षद रह चुके हैं ऐसे में किसी एक प्रत्याशी की दूसरी जीत होगी तो किसी एक प्रत्याशी की पहली हार मुकाबला रोचक होगा. दोनों ही प्रत्याशी वार्ड की जनता के बीच में अपनी पहचान बन चुके हैं और दोनों प्रत्याशियों में से किसी एक को चुनने में वार्ड वासी भी असमंजस में है ऐसे में किस प्रत्याशी की जीत होगी यह कहना मुश्किल है परंतु यह तय है कि गुरु नगर निगम के वार्ड नंबर 37 में मुकाबला बड़ा रोचक होगा और दोनों ही युवा प्रत्याशी में से कोई एक की जीत होगी जो वार्ड के विकास कार्यों को आगे बढ़ाने में मददगार होगी बता दे की दुर्ग नगर पालिका के चुनाव में मतदान की तिथि 11 फरवरी है और परिणाम 15 फरवरी को आ जाएंगे 15 फरवरी को या स्पष्ट हो जाएगा कि वार्ड नंबर 37 से पार्षद कौन होगा पर यह तय है कि इस बार पार्षद कोई युवा ही होगा युवा सोच वार्ड की तरक्की और विकास की दिशा में एक सकारात्मक मायने रखता है।

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