September 30, 2025
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राजनीति

राजनीति (1124)

   दुर्ग/शौर्यपथ/ दुर्ग नगर निगम क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी की शहरी सरकार को अस्तित्व में आए लगभग चार महीने हो चुके हैं। इस अवधि में शहर में विकास कार्यों की सुस्त गति, अव्यवस्थाओं की बढ़ती भरमार और आम नागरिकों की लगातार हो रही परेशानियों को लेकर असंतोष गहराता जा रहा है।
  शहर के कई वार्डों में अतिक्रमण की समस्याएं, सफाई व्यवस्था की बदहाली, जलनिकासी की कमी, सड़क मरम्मत जैसे मुद्दे गंभीर रूप से उभरकर सामने आए हैं। नागरिक मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वहीं जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
  इन्हीं जनमुद्दों को लेकर दुर्ग कांग्रेस द्वारा कल दोपहर 12 बजे कलेक्टर दुर्ग अभिजीत सिंह को ज्ञापन सौंपा जाएगा, जिसमें शहर की जनता की समस्याओं एवं उनकी अपेक्षाओं को प्रशासन के संज्ञान में लाया जाएगा।
  कांग्रेस पदाधिकारियों के अनुसार, यह पहल दुर्ग शहर की जनता की आवाज़ को सशक्त रूप से उठाने और उनके हितों की रक्षा करने के विश्वास के साथ की जा रही है। उनका मानना है कि शहर के नागरिकों को मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध कराना शासन और प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी है, जिसे लेकर अब गंभीर और प्रभावी प्रयासों की आवश्यकता है। ज्ञापन के माध्यम से शासन-प्रशासन को यह स्पष्ट संदेश देने का प्रयास होगा कि दुर्ग शहर की जनता सजग है, और उसकी समस्याओं की अनदेखी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
? तारीख: 09/07/2025
? समय: दोपहर 12:00 बजे
? स्थान: कलेक्टर परिसर, दुर्ग

✍️ रिपोर्ट: शरद पंसारी
 

रायपुर/ शौर्यपथ विशेष रिपोर्ट
  प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने छत्तीसगढ़ सरकार की युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाते हुए तीखा हमला बोला है। कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने प्रेस विज्ञप्ति ज़ारी करते हुए  कहा कि रायपुर जिले और नगर निगम क्षेत्र के स्कूलों में व्याख्याताओं के 250 से अधिक पद रिक्त हैं, इसके बावजूद स्थानीय शिक्षकों को जबरिया दूसरे जिलों में भेजा जा रहा है। उन्होंने इस प्रक्रिया को शिक्षकों के खिलाफ षड्यंत्र करार देते हुए कहा कि यह एक प्रकार का "शासकीय अन्याय" है।

वर्मा ने आरोप लगाया कि काउंसलिंग प्रक्रिया में रायपुर और आसपास के स्कूलों की रिक्तियों को जानबूझकर छुपाया जा रहा है ताकि शिक्षकों को विकल्प न मिल सके और उन्हें जबरदस्ती अन्य जिलों में भेजा जा सके। “ये शिक्षक हैं, अपराधी नहीं। लेकिन सरकार उनके साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रही है,” उन्होंने कहा।
कांग्रेस प्रवक्ता ने सरकार की नीयत पर भी सवाल उठाए और कहा कि शिक्षा विभाग में एक संगठित लूट का गिरोह काम कर रहा है। नियम केवल दिखावे के लिए हैं, जिनका पालन खुद विभागीय अधिकारी नहीं करते। वरिष्ठता और कनिष्ठता के नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है।

वर्मा ने मांग की है कि अतिशेष शिक्षकों और स्कूलों की जिलेवार सूची, विषयवार और वरिष्ठता क्रम के अनुसार तुरंत सार्वजनिक की जाए। उन्होंने कहा कि चक्रीय क्रम और संकायवार पदस्थापना के नियमों को सरकार अपनी सुविधानुसार परिभाषित कर शिक्षकों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है।
  उन्होंने स्पष्ट किया कि “काउंसलिंग और कमेटियां केवल औपचारिकता भर हैं, न तो शिक्षकों की बात सुनी जा रही है और न ही उनकी समस्याओं का समाधान हो रहा है।”

शिक्षकों के खिलाफ हो रहे अन्याय की गूंज अब अदालतों तक पहुँच चुकी है। वर्मा ने बताया कि युक्तियुक्तकरण के विरुद्ध सैकड़ों याचिकाएं उच्च न्यायालय में लंबित हैं, जिस पर अदालत ने विभाग से जवाब भी मांगा है, लेकिन सरकार राहत के बजाय टालमटोल और शिक्षकों में भय का वातावरण बना रही है।
  उन्होंने यह भी पूछा कि जब नगर निगम के स्कूल शिक्षा विभाग में मर्ज हो चुके हैं और उनका वेतन भी शिक्षा विभाग से ही दिया जा रहा है, तो फिर युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में उन्हें शामिल क्यों नहीं किया गया?

रायपुर में भाजपा की अहम बैठक में बनी रूपरेखा, कांग्रेस के लोकतंत्र विरोधी कृत्यों को उजागर करेगी पार्टी

   रायपुर/शौर्यपथ विशेष संवाददाता
  भारतीय लोकतंत्र के सबसे काले अध्याय — आपातकाल की 50वीं बरसी पर छत्तीसगढ़ भारतीय जनता पार्टी राज्यभर में संगठित, चरणबद्ध और जागरूकता से परिपूर्ण कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित करेगी। इस संबंध में 19 जून 2025 को रायपुर के कुशाभाऊ ठाकरे परिसर स्थित भाजपा प्रदेश कार्यालय में महत्वपूर्ण संगठनात्मक बैठक आयोजित हुई, जिसमें आगामी दिनों में पार्टी द्वारा आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा तय की गई।
 आपातकाल पर होगा विचार, विरोध और विवेचना का समन्वित आयोजन
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 25 जून को आपातकाल की 50वीं बरसी को छत्तीसगढ़ भाजपा "लोकतंत्र बचाओ दिवस" के रूप में मनाएगी।प्रदेशभर में प्रेस कॉन्फ्रेंस,विचार गोष्ठियाँ,प्रदर्शन,और युवाओं के बीच संवाद कार्यक्रमों के माध्यम से कांग्रेस सरकार द्वारा आपातकाल थोपे जाने के ऐतिहासिक सच को सामने लाया जाएगा।
  बैठक में वक्ताओं ने कहा कि 1975 में इंदिरा गांधी की सत्ता लालसा ने देश को अंधकार में ढकेल दिया था। लाखों निर्दोष नागरिकों को मीसा और डीआईआर जैसे काले कानूनों के तहत बिना मुकदमे जेलों में ठूंस दिया गया था, पत्रकारिता का गला घोंटा गया था और लोकतंत्र का अपमान हुआ था। आज की नई पीढ़ी को इस काले इतिहास से अवगत कराना भाजपा की वैचारिक जिम्मेदारी है।
 बैठक में शामिल हुए ये प्रमुख नेता
   बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जम्वाल, प्रदेश प्रभारी नितिन नबीन, प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उपमुख्यमंत्री अरुण साव और विजय शर्मा, प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय, सांसद संतोष पांडे, सभी कैबिनेट मंत्री, विधायकगण और प्रदेश महामंत्रीगण समेत संगठन के विभिन्न पदाधिकारी उपस्थित रहे।
 इन आयोजनों पर भी बनी रूपरेखा
  बैठक में 25 जून के अलावा 21 जून को योग दिवस और 23 जून को डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी बलिदान दिवस के आयोजन पर भी चर्चा की गई। योग दिवस पर भाजपा नेता प्रदेशभर के तीर्थ, पर्यटन और ऐतिहासिक स्थलों पर उपस्थित रहेंगे। श्यामा प्रसाद मुखर्जी बलिदान दिवस पर कश्मीर के एक देश, एक निशान, एक विधान के आंदोलन को याद करते हुए कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
"संकल्प से सिद्धि – 11 साल बेमिसाल" अभियान की समीक्षा
बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 11 वर्षों के कार्यकाल की उपलब्धियों को जन-जन तक पहुंचाने हेतु चलाए जा रहे "संकल्प से सिद्धि – 11 साल बेमिसाल" अभियान की प्रगति की भी समीक्षा की गई।
घर-घर संपर्क,व्यावसायिक बैठकों,गोष्ठियों और प्रदर्शनियों के माध्यम से सुशासन, सेवा और गरीब कल्याण की योजनाओं को जनता तक पहुँचाया जा रहा है।
 उपमुख्यमंत्री अरुण साव का वक्तव्य
पत्रकारों से चर्चा करते हुए उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा:"बैठक में यह सुनिश्चित किया गया है कि पार्टी के हर कार्यक्रम में विधायकों, कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों की सहभागिता हो। लोकतंत्र की रक्षा और संविधान के सम्मान की भावना को लेकर हम पूरे राज्य में जनजागरण करेंगे।"

विश्लेषण: शौर्य पथ न्यूज़
  राजनीतिक संपादकीय
 
   छत्तीसगढ़ की राजनीति एक बार फिर गर्म है—कारण है मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर उभरी नई सुगबुगाहट। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में संचालित भाजपा सरकार के पास अभी कुल 11 मंत्री हैं। रायपुर विधायक बृजमोहन अग्रवाल के लोकसभा सांसद बनने के बाद एक पद रिक्त हुआ है, और यही खाली पद अब चर्चाओं का केंद्र बन चुका है।
  बीते कुछ महीनों से सोशल मीडिया पर संभावित मंत्रियों की सूची जैसी कई "सूचनाएं" प्रसारित हुई हैं, जो भले ही आधिकारिक न रही हों, लेकिन राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा करने के लिए पर्याप्त थीं। इस बार फिर यही दृश्य सामने है—नाम वही पुराने, लेकिन समीकरण कुछ बदले हुए।

कौन हो सकता है शामिल?
  नामों की सूची में पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल, संगठन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले पुरंदर मिश्रा, महिला नेतृत्व की मजबूत आवाज लता उसेंडी, और सामाजिक समीकरण साधने के लिहाज से गजेंद्र यादव प्रमुखता से सामने आ रहे हैं। वहीं वरिष्ठता और प्रशासनिक अनुभव को देखते हुए अजय चंद्राकर का नाम भी फिर से सुर्खियों में है।
  विशेष बात यह है कि कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार केवल रिक्त पद को भरने तक ही मामला सीमित नहीं रहेगा, बल्कि दो मंत्रियों की छुट्टी कर चार नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। यदि ऐसा होता है तो यह विस्तार नहीं, बल्कि पुनर्संयोजन (ह्म्द्गह्यद्धह्वद्घद्घद्यद्ग) की दिशा में बड़ा कदम होगा।

क्या दुर्ग को मिलेगा प्रतिनिधित्व?
  दुर्ग जिले की बात करें तो, यहां की पत्रकारिता और राजनीतिक हलकों में अब तक किसी स्थानीय विधायक के मंत्री बनने की ठोस संभावना नहीं दिखाई गई है। राजनीतिक जानकारों का यह भी मानना है कि दुर्ग जिले में इस बार प्रतिनिधित्व मिलने की संभावनाएं सीमित हैं, और यह भाजपा के संगठनात्मक संतुलन तथा क्षेत्रीय प्राथमिकताओं का हिस्सा हो सकता है।

जनता अब अनुभवी हो चली है
  यह भी दिलचस्प पहलू है कि अब आम जनता और मीडिया इन संभावित नामों की चर्चाओं को "मीडिया मैनेजमेंट" के तौर पर देखने लगी है। पूर्व के अनुभव बताते हैं कि जिन नामों की सबसे अधिक चर्चा होती है, अक्सर अंतिम सूची में वे नाम नहीं होते। यह परंपरा भारतीय जनता पार्टी की रणनीतिक शैली में देखा गया एक बारंबार घटित होने वाला तथ्य है—जहां अंतिम निर्णय यथासंभव गोपनीय और रणनीतिक संतुलन के साथ होता है।

क्या बदलेगा समीकरण?

  मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में सरकार ने अब तक दो वर्ष पूरे नहीं किए हैं, लेकिन शासन की स्थिरता और प्रशासनिक पकड़ को बनाए रखने के लिए मंत्रिमंडल का विस्तार या पुनर्गठन अनिवार्य होता दिख रहा है। आने वाले विधानसभा चुनावों की नींव भी इसी कार्यकाल में रखी जाएगी, ऐसे में चेहरों का चयन केवल संगठनात्मक नफा-नुकसान नहीं, बल्कि सामाजिक, जातीय और क्षेत्रीय संतुलन का भी सवाल बन चुका है।
 निष्कषर्: घोषणाओं से पहले ही दांव-पेंच शुरू
 मंत्रिमंडल विस्तार एक प्रशासनिक प्रक्रिया है, लेकिन छत्तीसगढ़ में यह एक व्यापक राजनीतिक संदेश देने का जरिया बन चुका है। किसकी छुट्टी होगी? किसका नाम सूची में आएगा? किस जिले को प्रतिनिधित्व मिलेगा? ये सभी प्रश्न फिलहाल अटकलों में हैं, लेकिन स्पष्ट है कि इन सभी के उत्तर केवल भाजपा नेतृत्व की रणनीतिक चुप्पी के भीतर छिपे हैं।
 जब तक आधिकारिक सूची सामने नहीं आ जाती, तब तक चर्चाएं, सूचियां और नामों की दौड़ जारी रहेगी—और यही लोकतांत्रिक राजनीति की जीवंतता भी है।

   रायपुर/ शौर्यपथ / युक्तियुक्तकरण के अव्यवहारिक निर्णय को रद्द करके तत्काल प्रक्रिया को रोकने की मांग करते हुये प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि यह सरकार प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को चौपट करने जिद पर अड़ी हुई है। तानाशाही सरकार के द्वारा शिक्षकों पर अनुचित दबाव बनाया जा रहा है, आधी रात को पुलिस लगाकर शिक्षकों को डरा धमका कर मजबूर करना अन्याय है, गुरुजनों के प्रति अत्याचार है। पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव है, दुर्भावना पूर्वक अपने चाहतों को उपकृत करने के लिए ही अतिशेष शिक्षकों की सूची प्रकाशित नहीं किया जा रहा है। न अतिशेष शिक्षकों को आधार बताया जा रहा है, न ही प्रभावित शिक्षकों को दावा आपत्ति का अवसर दिया गया। ठेके पर सरकार चल रही है, भ्रष्ट मंत्री और वसूलीबाज़ अधिकारियों के संरक्षण में पूरे प्रदेश में शिक्षा माफिया के एजेंट सक्रिय हैं और शिक्षकों का जमकर भयादोहन किया जा रहा है। दुर्भावनापूर्वक शिक्षकों को डराना बंद कर युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया को तत्काल रोके सरकार।
  प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि युक्तियुक्तकरण का नया फारमेट किसी भी रूप में उचित नहीं है, इसे तत्काल रद्द किया जना चाहिये। हजारों स्कूलों में बड़ी संख्या में ऐसे मामले उजागर हो रहे हैं जहां तय मापदंडों और युक्तियुक्तकरण के नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। दर्ज संख्या और विषय के आधार पर शिक्षकों के नियमानुसार पदस्थ रहने के अधिकार को बेरहमी से कुचला जा रहा है। कई चहेते जूनियर शिक्षकों को संरक्षण देने, उनसे वरिष्ठ शिक्षकों को अतिशेष बताकर जबरिया दूसरे स्कूलों में भेजा जा रहा है। अनेकों स्कूलों में विषय शिक्षक के अनुपात का भी नियमानुसार पालन नहीं किया जा रहा है। पूरी प्रक्रिया दुर्भावनापूर्ण और त्रुटिपूर्ण है।
  प्रदेश कांग्रेस कमेटी का वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार में कोई भी वर्ग संतुष्ट नहीं है। जवाबदेही और पारदर्शिता से इस सरकार का कोई सरोकार नहीं है। शिक्षकों का भयादोहन करके अपनी जेब भरने और अपने चाहतों को उपकृत करने के लिए ही यह सरकार इतनी परदेदारी कर रही है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार शिक्षा विरोधी है, कर्मचारी विरोधी है, शिक्षक विरोधी है। प्रमोशन के लंबित मांग पर अब तक आंखें मूंदे बैठी है। भाजपा सरकार पहले ही 10463 स्कूलों को बंद करके, स्कूलों में शिक्षको के न्यूनतम पदों में कटौती करके पूरी शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त करने पर तुली हुई है, अब तथाकथित युक्तियुक्तकरण में भेदभावपूर्ण प्रक्रिया अपनाकर दुर्भावना पूर्वक शिक्षकों को केवल प्रताड़ित कर रही है। सरकार पहले जिलावार अतिशेष शिक्षकों की सूची जारी करें, अतिशेष होने का आधार बताए, उन्हें दावा आपत्ति करने का अवसर दे, उसके बाद प्रक्रिया पूरी करें।

कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने घेरा साय सरकार को

  रायपुर / शौर्यपथ /
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ किसानों का प्रदेश है एक तरफ किसानों को रबी फसल की कीमत नही मिल रही हैं किसानों का फसल को नुकसान हुआ लेकिन अभी तक मुआवजा नही मिला है और साय सरकार ने समय में बिजली और पानी उपलब्ध नही कराया है। इस कारण किसानों को बहुत नुकसान हुआ है सरकार के द्वारा कोई सर्वे नही कराया गया है। मंडी बंद है धान की खरीदी नहीं हो रही है। इस साल किसान राईस मिलरों को 1400-1500 रुपये में क्विंटल की दर में धान बेचने को बाध्य हुये। किसान बरसात की फसल के लिये तैयारी कर रहे है लेकिन बीज और खाद की कोई व्यवस्था नहीं है। इसके कारण किसानों को बहुत ही ज्यादा समस्या का सामना करना पड़ेगा। नकली खाद मार्केट में आ गया है और किसान से जुड़े संगठन भी आंदोलन कर रहे है। कवर्धा में गन्ना उत्पादक किसानों को गन्ना की कीमत नही मिल रही है। पिछले समय 4 महीने गन्ना खरीदी होती थी पर इस साल सिर्फ 44 दिन खरीदी हुयी है और जो गन्ना की खरीदी हुयी उसका भी भुगतान नहीं हुआ है। साय सरकार किसान विरोधी सरकार है।
सुशासन त्यौहार चल रहा है आवेदन ले लिया है और पावती नहीं दिये है। मस्तूरी विधानसभा में आयोजित सुशासन तिहार में जनता ने पूर्व में दिये आवेदन के निराकरण की जानकारी मांगी तो अधिकारियों ने पावती मांगी, जबकि आवेदन लेते समय पावती नहीं दी गयी थी जिससे जनता आक्रोशित हुई अधिकारी भाग गये। दूसरी तरफ भाजपा के नेता वसूली करने में लगे हुये है। खदानों में अवैध खनन चल रहा है। कोयला, लोहा में कमीशनखोरी चल रहा है। अब तो विभागों में 30 प्रतिशत की कमीशन से काम हो रहा है। हद तो तब हो जाती जब मुख्यमंत्री के परिवार के लोग जाकर दारू और मुर्गा की मांग करते है नहीं देने वालों पर कार्यवाही हो जाती है। इससे निचले स्तर की बात नही हो सकती।

सरकार द्वारा नक्सली अभियान चलाया जा रहा सरकार को स्पष्ट करना चाहिये नक्सली कितने मारे गये और उसमे ग्रामीण तो मरे नही है। क्योकि पिछले समय ग्रामीणों की भी हत्या हो गयी थी। पिछले साल तेंदूपत्ता तोड़ने गये 3 ग्रामीणों को मार दिया गया था। सरकार के तरफ से उन लोगों को मुआवजा भी नहीं मिला। नक्सली मामले में मुख्यमंत्री और गृहमंत्री का अलग बयान आता है, यह स्थिति है सरकार की।

रमन सरकार के 15 साल में बहुत सारी शासकीय कार्यक्रम हुये है उनकी भी जांच होनी चाहिये। अभी साय सरकार के कार्यकाल की भी जांच होनी चाहिये। निगम मंडल अध्यक्ष के शपथ ग्रणह कार्यक्रम में लाखों खर्च हुये है उसकी भी जांच होनी चाहिये। भाजपा सरकार को भूपेश बघेल के हर फैसले का पलटना जरूरी लगता है। लेकिन अभी तक बिजली बिल हाफ योजना नहीं पलट पाये। हाट बाजार योजना नहीं पलट पाये 35 किलो हर परिवार की योजना नहीं पलट पाये। जब हमारी सरकार थी तब हमने तेंदूपत्ता 4000 रूपये में खरीदी की लेकिन इस सरकार में तेंदूपत्ता का पैसा नही दे पाये है। मनरेगा बंद है मजदूर काम मांग रहे है यहां के लोग सीमावर्ती राज्य में जाकर काम मांग रहे है सरकार को मनरेगा में काम देना चाहिये। छत्तीसगढ़ में पलायन शुरू हो गया है।

पहलगाम में 26 लोगों की मौत हो गयी थी सरकार ने सुरक्षा क्यों नही दिया और जब  युद्ध हो रहा था तब ट्रंप बीच में आकर सीजफायर हमने कराया बोल रहे है और कश्मीर के बारे में बात किया जायेगा जबकि हमने अपने लोगों को खोया है सरकार को स्वतंत्र फैसला लेना चाहिये। सरकार को बताना चाहिये कि पुलवामा हमले में आरडीएक्स कहां से आया था। सरकार के पास कोई नीति नहीं है। अभी अघोषित आपातकाल लगा हुआ है सरकार से सवाल पूछने पर सीधे जेल में डाल देते है भारत प्रजातांत्रिक देश है सबको बोलने का पूरा अधिकार है।

झीरम और पहलगाम में जो समानता है कि दोनों जगह सुरक्षा नही था। झीरम घाटी में नाम पूछकर मारे और पहलगाम में धर्म पूछकर मारे। आज तक नक्सली और आतंकवाद हमले में ऐसा नहीं मिलेगा कि नाम और धर्म पूछकर मारा गया हो। झीरम मामले में हमने एसआईटी गठन किया गया था लेकिन एनआईए ने उसका विरोध किया था एफआईआर में नाम गायब हो जाते है सरकार में यह स्थिति है। भाजपा की केंद्र सरकार ने हमे जांच करने नहीं दिया।

जनता के आवेदनो को निरस्त करना निराकरण कैसे हो गया? : कांग्रेस

रायपुर/ शौर्यपथ /
  सुशासन तिहार में मिले 40 लाख से अधिक आवेदनों में से 39 लाख से अधिक आवेदनों का निराकरण होने के दावा पर सवाल उठाते हुए प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि सरकार को स्पष्ट करना चाहिए जो आम जनता से 40 लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं जिसमें 10 लाख से अधिक आवेदन प्रधानमंत्री आवास की मांग, 2 लाख से अधिक आवेदन उज्जवला गैस योजना के लिए लगभग पौने दो लाख से अधिक आवेदन नया राशन कार्ड के लिए, 70000 से अधिक आवेदन सड़क पुल पुलिया निर्माण की मांग की एवं 25 लाख से अधिक आवेदन अन्य मांगों से जुड़ी हुई है। कि सरकार को स्पष्ट करना चाहिए की इतनी आवेदनों का  निराकरण कैसे किये है? आवेदनों को निरस्त करना निराकरण कैसा हो गया?
  प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि सरकार दावा कर रही है कि 10 लाख प्रधानमंत्री आवास की मांग का आवेदन को निराकरण कर दिया गया है तो क्या प्रधानमंत्री आवास की स्वीकृति प्रदान कर दी है? या आवेदनों को भविष्य में पीएम आवास सूची बनने पर पात्र अपात्र आधार पर लाभ मिलने की जानकारी देकर सारे आवेदनों को निरस्त कर दिया गया है? भाजपा ने वादा किया था सरकार बनने पर 500 रु में रसोई गैस सिलेंडर दिया जाएगा जबकि प्रदेश में ढाई लाख से अधिक उज्जवला गैस योजना देने की मांग आई है तो सरकार ने क्या 500 रु में रसोई गैस सिलेंडर देने का वादा निभाते हुए नए कनेक्शन को मंजूरी दे दी है या केंद्र से पात्रता आधार पर मंजूरी मिलने की बात कह कर आवेदनों को निरस्त कर दिया है? 2 लाख से अधिक नया राशन कार्ड बनाने का मांग आया है तो क्या सभी को नया राशन कार्ड बना कर दे दिया गया है या पात्रता के अनुसार राशन कार्ड बनने की बात रहकर आवेदनों को निरस्त कर दिया गया है?
  प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि सुशासन तिहार में प्राप्त आवेदनों को बजट के अनुरूप स्वीकृत करने की बात कही गई थी लेकिन जो दावा किया जा रहा है आवेदनों का निराकरण करने की उसकी बजट के कोई व्यवस्था नहीं है 10 लाख प्रधानमंत्री आवास एकमुश्त मिलना संभव ही नहीं है सरकार ने बजट में प्रधानमंत्री आवास के लिए कोई राशि अभी स्वीकृत नहीं की है पहले ही 18 लाख आवास स्वीकृत होने का दावा करके सरकार ने आवासहिनो के साथ जो भद्दा मजाक किया है डेढ़ साल में मात्र 6 प्रधानमंत्री आवास पूर्ण होने की जानकारी विधानसभा में दी गई है। ऐसे में सरकार का यह दावा  सरासर खोखला साबित हो रहा है आवेदन कर्ताओं के साथ धोखा है सुशासन तिहार सिर्फ ढकोसला है किसी प्रकार से लाभ आवेदनकर्ताओं को नहीं मिल रहा है सरकार स्वीकृत आवेदनों की सूची को सार्वजनिक करें और आम जनता को धोखा देना बंद करें।

  रायपुर / शौर्यपथ / बिलासपुर में बच्चों को जबरिया नमाज पढ़ाने की घटना की जांच होनी चाहिये। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि यह घटना गंभीर है प्रदेश की गंगा जमुनी तहजीब पर प्रहार करने का षडयंत्र प्रतीत हो रहा है। बिलासपुर में एनएसएस के गैर मुस्लिम छात्रों को जबरिया नमाज पढ़वाने की घटना न केवल गैरकानूनी है बल्कि असवैधानिक भी है। धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है। छत्तीसगढ़ के शांत प्रदेश, जहां 95 प्रतिशत आबादी हिंदुओं की है वहां इस प्रकार की घटना राजनैतिक लाभ के लिए गंभीर षड्यंत्र का संदेह पैदा करती है। बिना सत्ता के संरक्षण के किसी इंस्ट्रक्टर के द्वारा ऐसा कृत्य करने की हिम्मत नहीं हो सकती। इस मामले में भाजपा की डबल इंजन की सरकार दोषी है। बिलासपुर की यूनिवर्सिटी केन्द्रीय यूनिवर्सिटी है। संचालन राज्य सरकार द्वारा हो रहा है, दोषी केन्द्र एवं राज्य सरकार दोनों है। इसका जवाब राज्य, मोदी सरकार को देना चाहिये।
   प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि आरएसएस, बीजेपी का इतिहास रहा है कि ये अपने नफरती एजेंडे के लिए जमीन तैयार करवाने इस तरह की घटनाएं कारित करवाते हैं ताकि धार्मिक ध्रुवीकरण का अवसर मिले। इसी तरह से संघी भाजपाइयों का उन्मादी चरित्र कवर्धा बिरनपुर और नारायणपुर में भी उजागर हुआ था नारायणपुर में तो भाजपा के जिला अध्यक्ष एसपी पर पथराव करते पाए गए।
  प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि छत्तीसगढ़ के सांप्रदायिक फिजा को खराब किए जाने वाले हर षडयंत्र के निष्पक्ष जांच होना चाहिए। एनएसएस के उस कैंप में 159 छात्र थे जिसमें केवल 4 छात्र मुस्लिम थे। बिलासपुर में गैर मुस्लिम जबरिया नमाज पढाने की इस घटना का हाईकोर्ट के सिटिंग जज के निर्देशन में जांच किया जाए।

   दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग नगर निगम के पूर्व एल्डरमैन भाजपा नेता डॉ. प्रतीक उमरे ने वक्फ संशोधन विधेयक पारित होने पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह विधेयक मुसलमानों के खिलाफ नहीं है।यह विधेयक मुसलमानों की सुरक्षा करता है।यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक विधेयक है।यह एक बड़ा सुधार है और सभी के लिए न्याय सुनिश्चित करेगा।एक ऐसी संस्था,जो अपारदर्शी,भ्रष्ट और जवाबदेही से दूर थी,उसे आखिरकार व्यवस्थित किया गया है।यह विधेयक लंबे समय से लंबित था।यह वास्तव में भारत और खासकर मुस्लिम समुदाय के लिए एक नया सवेरा लेकर आया है।वक्फ बिल में किए गए संशोधन सकारात्मक हैं और पारदर्शिता लाने के मकसद से किए गए हैं।यह बिल वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को बेहतर बनाने और दुरुपयोग को रोकने के लिए है।इस विधेयक का उद्देश्य देशभर में वक्फ बोर्डों के स्वामित्व वाली संपत्तियों को विनियमित करने वाले कानूनों में बड़े बदलाव लाना है।विपक्ष द्वारा लगातार ये नैरेटिव बनाने का प्रयास किया जा रहा है कि ये बिल मुसलमान विरोधी है।ये बिल कहीं से मुसलमान विरोधी नहीं है।वक्फ कोई मुस्लिम संस्था नहीं है,वक्फ कोई धार्मिक संस्था नहीं है,एक ट्रस्ट है,जो मुसलमानों के कल्याण के लिए काम करता है।उस ट्रस्ट को ये अधिकार होना चाहिए कि वो सभी वर्गों के लोगों के साथ न्याय करे जो नहीं हो रहा है।डॉ.प्रतीक उमरे ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता में नहीं आती तो कई अन्य संपत्तियां भी गैर-अधिसूचित हो गई होतीं।आजादी के बाद 1954 में वक्फ एक्ट पहली बार बना।उस समय स्टेट वक्फ बोर्ड का भी प्रावधान किया गया था।उस वक्त से कई संशोधनों के बाद 1995 में वक्फ एक्ट बना।उस वक्त किसी ने नहीं कहा कि ये गैरसंवैधानिक है।जब सरकार उसी बिल को सुधारकर लाई हैं तो विपक्ष कहती है कि यह गैरसंवैधानिक है।धर्मनिरपेक्षता का चश्मा लंबे वक्त से भाजपा सरकार के फैसलों के खिलाफ पहनकर विपक्ष खुद को सेक्युलरिज्म का सियासी चैंपियन दिखाता रहा,लेकिन वक्फ विधेयक पारित कर मोदी सरकार ने साफ कर दिया है की सेक्युलरिज्म की वो परिभाषा नहीं चलेगी,जो विपक्ष चाहता आया है।

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