May 02, 2025
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राजनीति

राजनीति (1096)

दुर्ग। शौर्यपथ। वार्ड नंबर 45 में कांग्रेस के टिकट बंटवारे को लेकर जिस तरह से छिछालेदरी हुई वह दुर्ग की जनता ने देख ही लिया आश्चर्य की बात यह है कि वार्ड नंबर 45 के जिस टिकट के लिए प्रत्याशियों में आपसी विवाद हुआ उस वार्ड में दोनों ही प्रत्याशी निवास नहीं करते पिछले निकाय चुनाव में प्रतिकूल स्थिति देखकर राजेश शर्मा सुरक्षित सीट वार्ड नंबर 46 से चुनावी मैदान में उतरे वही आयुष शर्मा वार्ड नंबर 43 के निवासी हैं दोनों ही दावेदार वार्ड नंबर 45 में निवास नहीं करते परंतु टिकट के लिए जिस तरह से पूर्व महापौर गुट और पूर्व विधायक गुट की जंग चली वह सभी के सामने है और कांग्रेस की नियति भी साफ नजर आने लगी है दुर्ग कांग्रेस को अपनी जागीर समझने वाले नेताओं ने वार्ड नंबर 45 के उसे दावेदार को दरकिनार कर दिया जो शिक्षा सामाजिक स्तर और राजनीतिक स्तर में तो एक अलग पहचान बनाए हुए हैं वहीं कम उम्र में हाई कोर्ट के अधिवक्ता होने का भी सम्मान प्राप्त कर चुका है साथ ही राजनीतिक पृष्ठभूमि भी ऐसी है जो बेदाग है.

    बात करें तो वार्ड नंबर 45 में निवास रत सौरभ ताम्रकार की सौरभ ताम्रकार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व महापौर शंकर लाल ताम्रकार के पोते हैं 2008 से वह कांग्रेस में सक्रियता से कार्य कर रहे हैं कांग्रेस परिपाटी का पूरी तरह पालन करते हुए सदैव कांग्रेस हित की बात करते हैं कम उम्र में जिस तरह से उन्होंने उपलब्धि हासिल की वार्ड नंबर 45 से वह एक बेहतरीन प्रत्याशी हो सकते थे परंतु कांग्रेस को इस्तेमाल करने वाले नेता कांग्रेस टिकट को बांटने या दान देने का खेल ऐसा खेले की कई वार्डों में प्रत्याशियों की निष्क्री छवि के बाद भी वह चुनावी मैदान में है वहीं राजनीतिक जानकारों का मानना है कि विधायक बांग्ला जो दुर्ग में कांग्रेस का सर्वे सर्वा है कहीं से यह नहीं चाहता कि पूर्व महापौर शंकर लाल ताम्रकार के परिवार से किसी को आगे बढ़ने दिया जाए. 

 ऐसे में काबिल कांग्रेसी अपनी अवहेलना से लगातार कांग्रेस का दामन छोड़ रहे हैं आने वाले समय में देखने वाली बात यह होगी कि कांग्रेस संगठन दुर्ग कांग्रेस की बदहाल स्थिति पर गंभीरता से विचार करता है या फिर प्रदेश संगठन दुर्ग कांग्रेस को लीज पद्धति के माफिक अरुण वोरा की झोली में समर्पित करता रहेगा.

दुर्ग। शौर्यपथ। दुर्ग नगर निगम चुनाव में अब मतदाताओं की स्थिति और रुख धीरे-धीरे स्पष्ट होने लग रही है कि मतदाता किस ओर रुख करेंगे और अपने पार्षद के कार्यों का आकलन कैसे करेंगे? 

  भाजपा संगठन जिस तरह से मजबूत स्थिति में है उसे यह तो लगता है कि वह पुरे दमदारी से चुनाव लड़ेगी परंतु स्थानीय चुनाव में पार्टी ज्यादा अहमियत नहीं रखती बल्कि उससे ज्यादा अहमियत प्रत्याशी की छवि होती है वार्ड नंबर 39 की बात करें तो दुर्ग के वार्ड नंबर 39 में गुलाब वर्मा जो भारतीय जनता पार्टी से प्रत्याशी हैं की स्थिति काफी खराब है वार्ड वासियों की माने तो 5 साल में वार्ड में सड़कों का निर्माण की उंगलियों में गिना जा सकता है एक दो सड़क का ही निर्माण हुआ स्थिति यहां तक है कि पार्षद के निवास के सामने की सड़क भी आज टूट-फूटी स्थिति में है वार्ड में स्थित सामुदायिक वहां जर्जर अवस्था में है परंतु उसे पर संधारण कार्य नहीं हो सका. डबरी में प्लाटिंग हो चुकी है डबरी में प्लाटिंग की आड़ में तालाब के हिस्से को भी पाटने की खबर आ रही है प्लांट दलाली का काम करने वाले गुलाब वर्मा के ऊपर वार्ड वासी आरोप लगा रहे हैं कि तालाब के हिस्से को भी अतिक्रमण का लिया गया है स्थिति की असली समीक्षा तो जांच के बाद ही सामने आ सकती है परंतु वार्ड में समस्याओं का अंबार लगा हुआ है वार्ड वासी अब एक बार फिर 11 फरवरी का इंतजार कर रहे हैं.11 फरवरी को वार्ड की जनता अपना रोष पूर्व पार्षद के ऊपर लगाकर नए पार्षद के चुनाव के लिए तैयार है वार्ड वासियों की माने तो पिछले 5 सालों में वार्ड की जनता की मूलभूत सुविधाओं के लिए जनता परेशान होती रही सड़क नाली पानी बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए वार्ड में कोई ऐसा सराहनी कार्य नहीं हुआ जो वार्ड की जनता को भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के हक में पक्ष में मतदान करने के लिए प्रेरित करें.

    मध्य वर्गी जनता अगर वार्ड में पार्षद के रूप में भारतीय जनता पार्टी को नकारती है तो प्रत्यक्ष प्रणाली के चुनाव में कहीं ना कहीं भारतीय जनता पार्टी के महापौर प्रत्याशी अलका वाघमारे के वोट बैंक में भी कटौती होगी ऐसे में अब देखना यह है कि आने वाले 10 दिनों में वर्मा किस तरह वार्ड वासियो को अपने पक्ष में करते हैं और भाजपा को जीत दिलाते हैं या फिर अपने साथ-साथ भाजपा प्रत्याशी को भी नुकसान पहुंचाते हैं।

    दुर्ग। शौर्यपथ। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में विधानसभा चुनाव,लोकसभा चुनाव और नगरी निकाय चुनाव में बहुत बड़ा अंतर होता है जहां नगरी निकाय चुनाव में व्यक्ति विशेष की अहमियत होती है वहीं लोकसभा चुनाव में केंद्रीय नेतृत्व की अहम भूमिका होती है ऐसे में अगर व्यक्ति विशेष की अहमियत को देखा जाए तो दुर्ग नगर निगम के वार्ड नंबर 28 से श्रीमती ममता ओमप्रकाश सेन चुनावी मैदान में हैं पिछले बार इस वार्ड से ओमप्रकाश सेन पार्षद के रूप में 5 साल तक वार्ड की जनता की सेवा करते रहे और उनके हर सुख दुख में साथ खड़े रहे ओमप्रकाश सेन का यह वार्ड पैतृक निवास है इसी वार्ड में वह पैदा हुए और अपना बचपन व जीवन काल का एक बड़ा समय गुजारा है वार्ड की जनता की माने तो ओमप्रकाश सेन को वह अपने परिवार का ही अभिन्न अंग मानते हैं.
   महिला आरक्षण होने के कारण इस बार ओम प्रकाश सेन की धर्मपत्नी श्रीमती ममता ओमप्रकाश सेन चुनावी मैदान में है वार्ड पार्षद के चुनाव में जी व्यक्तित्व की और अपनेपन की भावना को वार्ड की जनता स्वीकार करती है उसे मामले में ओमप्रकाश सेन का परिवार पूरी तरह से वार्ड की जनता के प्रति समर्पित रहा है पिछले पांच वर्षों के कार्यकाल में ओमप्रकाश सेन ने वार्ड की जनता के मूलभूत सुविधाओं के लिए लगातार सफल प्रयास किया अब एक बार फिर वार्ड में श्रीमती ममता ओमप्रकाश सेन के चुनावी मैदान में उतरने से वार्ड की जनता में हर्ष व्याप्त है और वार्ड की जनता एक बार फिर श्रीमती ममता ओमप्रकाश सेन को अपना जनप्रतिनिधि चुनकर निगम में भेजने के लिए पूरी तरह तैयार है.
  फैसला अधिकृत रूप से 15 फरवरी को आएगा मतदान 11 फरवरी को होगा परंतु अभी से जनता ने यह मन बना लिया कि श्रीमती ममता ओमप्रकाश सेन को अपने वार्ड का जनप्रतिनिधि चुनकर नगरी निकाय में भेजेंगे वहीं इस वार्ड से पिछले बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस से बगावत कर सबा निशा रानी चुनावी मैदान में उतरी थी अब इस बार कांग्रेस ने उन्हें अपना अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया है प्रत्यक्ष प्रणाली के तहत महापौर चुनाव होने के कारण हर वार्ड में जीत का आधार मेयर के जीत के आधार से जुड़ा रहता है इन परिस्थितियों में संगठन और पार्षद प्रत्याशी भी यह प्रयास करेंगे कि उनकी पार्टी को ज्यादा से ज्यादा समर्थन मिले राजनीतिक परिस्थितिया  समय-समय पर बदलती रहती हैं परंतु वर्तमान समय में श्रीमती ममता सेन हर क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी से दो कदम आगे ही नजर आ रही है आने वाले समय में कांग्रेस प्रत्याशी अपनी गति कितना बढाती है यह भी देखने वाली बात होगी .
   मुकाबला वर्तमान समय में एक तरफा ही नजर आ रहा है जो कभी भी कड़े मुकाबले के रूप में सामने आ सकता है जो भविष्य की गर्भ में छुपा है और रोमांचक मुकाबला  कितना होगा यह चुनाव प्रचार के अंतिम दिनों में नजर आ जाएगा लोकतंत्र के इस खूबसूरत पर्व में आम जनता भी अपने-अपने विचारधाराओं के साथ 11 फरवरी को मतदान करने उतरेगी जिस तरह से पिछले कुछ समय में मतदान के प्रति युवाओं में जोश है वह आने वाले समय में लोकतंत्र के इस खूबसूरत पर्व को और मजबूत बनाएगा.

राजनितिक आंकलन एवं वार्ड में चर्चो के आधार पर ...

दुर्ग / शौर्यपथ / प्रत्याशी चयन राजनीतिक पार्टियों के लिए एक बड़ा ही महत्वपूर्ण टास्क होता है प्रत्याशी चयन में ऐसा कई बार देखने को मिलता है कि कहीं ना कहीं वार्ड के सक्रीय कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर ऐसे प्रत्याशी का चयन कर दिया जाता है जिसकी पहचान वार्ड के वासी नहीं कर पाते एवं सक्रियता के मामले में जो लगभग शून्य होता है परंतु राजनीतिक आकाओं के चलते चयन सूची में नाम पहुंचना राजनीतिक पार्टियों की मजबूरी हो जाती है .
   वर्तमान में अगर बात करें तो वार्ड नंबर 43 में भारतीय जनता पार्टी से एक ऐसा प्रत्याशी चुनावी मैदान में है जिस वार्ड की जनता राजनीतिक कम व्यापारिक दृष्टि से ज्यादा जानती है वहीं वार्ड में सक्रियता के मामले में कांग्रेसी पार्षद प्रत्याशी दीपक साहू की भूमिका ज्यादा नजर आती है।
   वार्ड नंबर 43 से कांग्रेस ने दीपक साहू को चुनावी मैदान में उतारा है दो बार के सफल कार्यकाल के बाद भी वार्ड की जनता की पहली पसंद के रूप में दीपक साहू का ही नाम सामने आता है वही वार्ड नंबर 43 से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में विवेक सिन्हा चुनावी मैदान में है विवेक सिन्हा वार्ड नंबर 43 में एक विशुद्ध व्यापारी के रूप में प्रसिद्ध है सिन्हा हार्डवेयर दुकान के संचालक विवेक सिन्हा को राजनीतिक एवं सामाजिक गतिविधियों में वार्ड की जनता ने कभी नहीं देखा यहां तक वार्ड के ज्यादातर निवासियों को यह भी नहीं मालूम की यह भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता हैं परंतु वार्ड नंबर 43 से सक्रियता के मामले में भी काफी पीछे रहने वाले विवेक सिन्हा अब भारतीय जनता पार्टी से चुनावी मैदान में है .स्थानीय चुनाव के कारण वार्ड की जनता व्यक्ति विशेष पर और उनकी छवि पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करती है उस लिहाज से दीपक साहू वार्ड में एक जाना पहचाना चेहरा है एवं उनके विरुद्ध विरोधाभास स्वर भी वार्ड में देखने को नहीं मिला . पिछले 10 वर्षों से लगातार वार्ड की समस्याओं का निराकरण करने और मूलभूत सुविधाओं को पूरा करने में दीपक साहू लगातार सक्रिय रहे हैं ऐसे में जब प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है कई मजबूत दावेदार और पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता की पहचान वाले कार्यकर्ताओं को पछाड़ते हुए विवेक सिन्हा प्रत्याशी घोषित हुए .
  अब देखना यह है कि वार्ड की जनता विवेक सिन्हा के पक्ष में किस तरह अपनी हिस्सेदारी निभाते हैं या फिर दीपक साहू के पिछले 10 वर्ष के कार्यकाल का आकलन करते हुए उन्हें हैट्रिक बनाने का मौका देते हैं . बता दें कि दीपक साहू प्रथम बार पार्षद निर्वाचित हुए थे तब वह निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरे थे और भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के प्रत्याशियों को बड़े अंतर से चुनावी समर में पटकनी दी थी तब भी प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की और केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी ऐसे में उनके 10 वर्ष के कार्यकाल  का भी आकलन बुद्धिजीवी वर्गों के क्षेत्र माने जाने वाले आदर्श नगर वार्ड नंबर 43 की जनता का रुख वर्तमान स्थिति में दीपक साहू की तरफ जाता नजर आ रहा है नाम घोषणा होने के 5 दिन बाद भी वार्ड में कहीं भी विवेक सिन्हा की उपस्थिति नजर नहीं आ रही है ऐसे में यह वार्ड भी कांग्रेस के खाते में एक बार फिर जाता हुआ नजर आ रहा है जिसका फायदा कांग्रेस की मेयर प्रत्याशी प्रेमलता साहू को भी पूरी तरह मिलेगा और एक बार फिर इस वार्ड से भाजपा की मेयर प्रत्याशी को नुकसान होने की संभावना है . अभी चुनाव प्रचार आरंभ नहीं हुए हैं परंतु इस बार प्रचार के लिए बहुत ही कम समय मिला ऐसे में जहां एक-एक पल कीमती है वहां भाजपा प्रत्याशी विवेक सिन्हा वार्ड के निवासियों तक कब पहुंचेंगे यह भविष्य के गर्त में छुपा है और राजनीति अभी किस ओर  मतदाताओं को ले जाएगी यह आने वाला वक्त ही बताएगा ..?
राजनितिक आंकलन ..

   दुर्ग / शौर्यपथ / स्थानीय चुनाव में हर वार्ड में उठापटक राजनीतिक गर्मी को अंजाम देता हुआ नजर आ रहा है एक ओर जहां वार्ड नंबर 13 में कांग्रेस निर्विरोध जीत की ओर अग्रसर हुई वहीं भाजपा का गढ़ माना जाने वाला वर्ड नंबर 21 में भाजपा प्रत्याशी विद्या देवी सिंह के सामने कोई भी प्रत्याशी चुनावी मैदान में नहीं है ऐसे में भाजपा प्रत्याशी श्रीमती विद्या देवी सिंह निर्विरोध जीत की ओर बढ़ गई .
   बता दें कि वार्ड नंबर 21 में वार्ड पार्षद के रूप में अरुण सिंह एक जाना पहचाना नाम है ऐसा माना जाता है कि इस वार्ड में चाहे कांग्रेस या भाजपा अथवा निर्दलीय प्रत्याशी कितना भी जोर लगा ले जीत हमेशा अरुण सिंह की ही होती है अरुण सिंह के कार्यों का आकलन इतना मजबूत है कि वार्ड की जनता हमेशा अरुण सिंह के साथ ही चलना पसंद करती है .
  इस बार बार आरक्षण में महिला सीट होने से अरुण सिंह की माता श्रीमती विद्या देवी सिंह चुनावी मैदान में थी वहीं कांग्रेस ने मीना सिंह का नाम आगे किया था परंतु बदलते घटनाक्रम के कारण अब विद्या देवी सिंह निर्विरोध वार्ड नंबर 21 से चुनी गई जिसका फायदा पूरी तरह से भाजपा के मेयर प्रत्याशी श्रीमती अलका वाघमारे को मिलेगा भाजपा के गढ़ माने जाने वाले इस वार्ड में अब भाजपा के मेयर प्रत्याशी अलका वाघमारे को जो बढ़त मिलने वाली थी उसे बढ़त में और बढ़ोतरी हो जाएगी .
   आने वाले समय में ऐसी कई स्थितियां निर्मित होंगी जहां कभी बीजेपी को फायदा तो कभी कांग्रेस को फायदा होता नजर आएगा और इस नफा नुकसान में यह चुनाव और ज्यादा रोचक होता हुआ नजर आ रहा है श्रीमती विद्या देवी के निर्विरोध जीत पर वार्डवासी काफी प्रसन्न है अब मेयर प्रत्याशी की जीत के लिए वार्ड वासी प्रयत्न करेंगे.

दुर्ग । शौर्यपथ । दुर्ग नगर निगम चुनाव में इस बार कांग्रेस और भाजपा के बीच में रोचक मुकाबला होने की संभावना को लगातार बल मिल रहा है एक तरफ भारतीय जनता पार्टी इस तरह मैदान में उतरी थी मानो एक तरफ जीत होगी परंतु लगातार भाजपा में विरोध के स्वर और परिस्थितियों प्रतिकूल नजर आ रही है कारण चाहे तकनीकी हो या फिर कोई साजिश परंतु वार्ड नंबर 13 से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी मैदान से बाहर हो गए और इस वार्ड से एक बार फिर कांग्रेस की जीत लगभग सुनिश्चित हो गई.
   बता दें कि कभी सरोज पांडे के कट्टर समर्थक रहे अजीत वेद पिछले कुछ दिनों से स्थानीय विधायक के समर्थन के रूप में प्रसिद्ध हो गए थे परंतु नगर निगम चुनाव में उनका आधार स्तंभ कहा जाने वाला वार्ड नंबर 12 से उन्हें टिकट नहीं मिला और संगठन की तरफ से उन्हें वार्ड नंबर 13 से टिकट दिया गया.
    वहीं ऐसी क्या बात हुई की अजीत वेद ने वार्ड नंबर 12 एवं वार्ड नंबर 13 से नामांकन दाखिल कर दिया परंतु तय शुदा रणनीति के तहत भारतीय जनता पार्टी के द्वारा अधिकृत प्रत्याशी के रूप में वार्ड नंबर 13 से उन्हें B फॉर्म मिला परंतु नामांकन के बाद होने वाले स्कूटनी में अजीत वैद 12 नंबर वार्ड से अब निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान उतरेंगे और वार्ड नंबर 13 से अपना नाम हटा लिए या तकनीकी रूप से हट गया यह एक अलग चर्चा का विषय है परंतु स्थिति यह है कि वार्ड नंबर 13 से वर्तमान समय में अब भारतीय जनता पार्टी का कोई भी पार्षद चुनावी मैदान में नहीं है वहीं कांग्रेस के दिग्गज पार्षदों में पहचान बनाने वाले संजय कोहले अब वार्ड नंबर 13 से कांग्रेस के प्रत्याशी है एवं मुकाबले में कोई ऐसा प्रत्याशी नहीं जो उन्हें हरा सके.
  इस प्रकार एक वार्ड पूरा का पूरा अब कांग्रेस खेमे में चला गया जिसके कारण भाजपा की मेयर प्रत्याशी अलका वाघमारे के भी वोट में गिरावट आने की उम्मीद है अजीत वेद के वार्ड नंबर 12 से निर्दलीय लड़ने के कारण उनका वोट बैंक भी अब कहीं ना कहीं भारतीय जनता पार्टी को नुकसान पहुंचा सकता है.
   इस तरह अजीत वेद के निर्दलीय चुनाव लड़ने से भारतीय जनता पार्टी को दो वार्ड में सीधे-सीधे नुकसान की संभावनाएं प्रबल हो गई और भारतीय जनता पार्टी की मेयर प्रत्याशी अलका वाघमारे इन दो वार्डो में अंतिम सूची जारी होने के पहले ही पिछड़ गई इस तरह कांग्रेस के लिए एक अच्छी शुरुआत का आगाज हो गया।

दुर्ग। शौर्यपथ। राजनीति में पाल-पाल स्थितियां बदलती रहती है कब किसका पलड़ा भारी हो और कब कौन कमजोर हो यह कहना सुनिश्चित नहीं होता वर्तमान हालात में वार्ड नंबर 37 का आकलन अगर किया जाए तो शिवनायक क्षेत्र की जनता की पहली पसंद के रूप में उभर कर सामने आ रहे हैं .28 जनवरी को नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है नाम आपसी की तारीख 31 जनवरी है 11 फरवरी को मतदान होना है ऐसे में पार्षद प्रत्याशियों के लिए चुनाव प्रचार करने के लिए मंत्र 11 दिन का समय शेष बचेगा इन 11 दिनों में प्रत्याशियों को अपने वार्ड की जनता के सामने जाकर अपनी उपलब्धियां एवं विकास के कार्यों का उल्लेख करना होगा वही प्रतिद्वंदी प्रत्याशी के वादों पर भी सवालिया निशान खड़े करने होंगे लोकप्रियता और वार्ड वासियों से जुड़ाव पार्षद चुनाव में एक हम हिस्सा होता है ऐसे में अगर नगर पालिका निगम दुर्ग के वार्ड नंबर 37 की बात करें तो वार्ड नंबर 37 में पूर्व पार्षद श्रद्धा सोनी कांग्रेस के तरफ से चुनावी मैदान में है और भारतीय जनता पार्टी की तरफ से शिवनायक चुनावी मैदान में उतारकर श्रद्धा सोनी को कड़ा मुकाबला दे रहे हैं शिवनायक जिस तरह से चुनाव प्रचार कर रहे हैं और समर्थकों का उन्हें भरपूर साथ मिलना है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जाता है जा सकता है कि वार्ड के वीडियो के अनुसार शिवनायक को अगर भारतीय जनता पार्टी अपना प्रत्याशी घोषित नहीं भी करती तो भी शिव नायक को वार्ड वासी निर्दलीय चुनावी मैदान में उतार कर जीत दिलाते ऐसे में जब विश्व की सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी का साथ और मजबूत एवं योजनाबद्ध तरीके से कार्य करने के मामले में आगे रहने वाले संगठन का साथ शिवनायक को मिल रहा है तो यह उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले 11 फरवरी को शिव नायक अपने वार्ड से जीत का खाता खोलकर भारतीय जनता पार्टी की झोली में समर्पित कर देंगे वार्ड में शिव नायक युवा वर्ग की पहली पसंद है वही 5 साल पहले शिवनायक वार्ड पार्षद थे और उनका कार्यकाल वार्ड में बेहतरीन रहा किंतु आरक्षण के चलते पिछले चुनाव में शिव नायक चुनावी मैदान से हट गए थे और वार्ड नंबर 37 में कांग्रेस का कब्जा हो गया था किंतु एक बार फिर जब देश और प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन चुकी है ऐसे में अब आम जनता और युवा वर्ग का झुकाव भाजपा की तरफ ज्यादा जाता हुआ नजर आ रहा है ऐसे में वार्ड नंबर 37 से शिवनायक जीत के प्रबल दावेदार के रूप में सामने नजर आ रहे हैं आखिरी फैसला 15 फरवरी को सभी के सामने आ जाएगा की जनता किसके तरफ जाती है।

दुर्ग। शौर्यपथ। दुर्ग शहर में नगर निगम चुनाव की सक्रियता आरंभ हो गई है आज नामांकन का आखिरी दिन है इस बार कांग्रेस से प्रेमलता पोषण साहू प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन जमा करेंगे प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है ऐसे में भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी प्रदेश सरकार के कार्यों और उपलब्धियां के सहारे चुनावी मैदान में उतरेंगे वहीं कांग्रेस के लिए बड़ी परेशानी यह है कि पूर्व महापौर धीरज बाकलीवाल जो पूरे शहर के विकास की बात कर रहे थे आज किसी भी वार्ड से चुनावी मैदान में नहीं उतरे हैं . सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पूर्व महापौर वार्ड नंबर 45 से टिकट चाहते थे परंतु उन्हें टिकट नहीं मिली वार्ड नंबर 45 से राजेश शर्मा के चुनावी मैदान में उतरने की चर्चा हुई थी परंतु अंतिम समय में युवा कांग्रेस अध्यक्ष आयुष शर्मा हेलीकॉप्टर प्रत्याशी के रूप में वार्ड नंबर 45 से चुनावी मैदान में उतर गए ऐसे में यह संभावना जताई जा रही है कि शहरी सरकार में उपलब्धियां कम घोटाले ज्यादा हुए वहीं पूर्व विधायक अरुण वोरा और धीरज बाक़लीवाल के बीच राजनीतिक खाई इतनी गहरी हो गई है कि उनके टिकट काटने में पूर्व विधायक का बड़ा हाथ माना जा रहा है वर्तमान समय में दुर्ग कांग्रेस में आपसी मन मुटाव का आलम यह है कि अब नेता सार्वजनिक स्थानों के अलावा आपस में एक दूसरे के सामने भी जाना पसंद नहीं कर रहे हैं ऐसे में वर्तमान प्रत्याशी प्रेमलता साहू के लिए काफी विकट स्थिति उत्पन्न हो गई अगर वह पूर्व महापौर धीरज बाकलीवाल के साथ में जाते हैं तो वोरा नाराज हो जायेंगे.

   वही शहर में अव्यवस्था का कई मामला सामने है जिसका जवाब देना वर्तमान प्रत्याशी के लिए परेशानी का सबब बन सकता है ऐसे में प्रत्याशी प्रेमलता साहू को चुनाव जीतने के लिए भ्रष्टाचार और कमीशन खोरी का आरोप झेल रहे नेताओं से दूरी बनाकर जीत के लिए प्रयास करना होगा।

दुर्ग। शौर्यपथ। प्रदेश में हुए 2023 के विधानसभा चुनाव में दुर्ग विधानसभा क्षेत्र से दुर्ग की जनता ने और कई कांग्रेसियों ने विधायक अरुण वोरा को सिरे से नकार दिया एवं भाजपा के प्रत्याशी के रूप में नए चेहरे गजेंद्र यादव के पक्ष में खुलकर मतदान किया. पिछले कई सालों से दुर्ग कांग्रेस का संगठन निष्क्रिय रहा कुछ नेताओं की मनमानी के चलते संगठन के सक्रिय कार्यकर्ता निष्क्रिय होते गए और उनका मनोबल लगातार टूटता रहा. विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में हुई हार के बाद भी वर्तमान में हो रहे नगरी निकाय चुनाव में एक बार फिर पूर्व विधायक के द्वारा इसी पक्षपात का नजारा देखने को नजर आ रहा है ऐसे कई वार्ड है जहां से कांग्रेस प्रत्याशी जीत का सेहरा बांध सकते थे उन वार्डों में भी मनमानी की कैंची अपना काम कर रही है वार्ड 42 से कांग्रेस को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले प्रकाश गीते का इस बार पत्ता काट दिया गया और शिवाकांत तिवारी को चुनाव मैदान में उतार अपनी जीती हुई सीट गवाने की कगार पर खड़ा कर दिया गया. 

   वहीं अपने खुद के किए हुए वादे से मुकरने का आरोप राजेश शर्मा को एल्डरमैन बनाकर पूर्व विधायक ने किया उन्हें एक बार फिर से वार्ड नंबर 45 से टिकट देकर पूर्व विधायक ने यह साबित कर दिया कि उनके लिए कांग्रेस से बड़ा संबंध है कांग्रेस दूसरे नंबर पर आता है. जबकि युवा चेहरे और कम उम्र में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले पूर्व महापौर शंकर लाल ताम्रकार के पोते एवं सालों से सक्रिय राजनीति करने वाले सौरभ ताम्रकार को मौका ना देकर कांग्रेस ने यह सीट भी हेलीकाप्टर प्रत्याशी उतार कर गवाने की कगार पर खड़ी कर दी है. 

 वही पिछले बार हुए राजनीतिक समझौते की बात की पूरी जानकारी होने के बावजूद भी वार्ड नंबर 6 से मनीष यादव का पत्ता साफ हो गया और एक बार फिर निष्क्रिय पार्षद की छवि के रूप में वार्ड में चर्चित राजेश यादव को प्रत्याशी घोषित किया गया. वहीं वार्ड नंबर 38 से मनोज सिन्हा को प्रत्याशी घोषित कर यह वार्ड भी भाजपा के खाते में सजाकर देने का कार्य आने वाले समय में कांग्रेस को सिर्फ नुकसान पहुंचाएगा। लगातार कई आरोप वार्ड नंबर 8 के पार्षद अब्दुल गनी पर लगाते आ रहे हैं जो सच भी साबित हो रहे हैं पहले फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे पार्षद बनना फिर बिजली के खंबे की हेरा फेरी के वीडियो प्रमाण होने के बावजूद भी इस बार से अब्दुल गनी को टिकट देना कांग्रेस का आत्मघाती कदम साबित हो सकता है. परंतु दुर्ग में कांग्रेस संगठन का अस्तित्व शून्य है और पूर्व विधायक अरुण वोरा जो आम जनता के लाडले विधायक का दावा करते थे उन्हें जनता ने पिछले विधानसभा चुनाव में आइना दिखा दिया बावजूद उसके वर्तमान समय में टिकट वितरण में जिस तरह से प्रत्याशियों की घोषणा हुई कहीं नहीं कहीं कांग्रेस को ही नुकसान होगा परंतु संबंध बड़ा कांग्रेस छोटा यही नजर आ रहा दुर्ग विधानसभा क्षेत्र में आखिर संगठन दुर्ग विधानसभा क्षेत्र को एक बार फिर भूल गया ऐसा प्रतीत प्रत्याशियों की घोषणा के बाद नजर आ रहा है. 

    राजनीति में उठापटक और बदलती स्थिति कोई नई बात नहीं है ऐसे में देखना यह होगा कि आने वाले चुनाव में कांग्रेस किस पायदान पर पहुंचती है और संबंधों का क्या महत्व रह जाता है?

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