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दुर्ग। शौर्यपथ। दुर्गा नगर निगम चुनाव में महापौर का पद महिला ओबीसी होने के कारण कई कांग्रेस नेत्री ने इस पर दावेदारी पेश की चुकी कांग्रेस सत्ता से बाहर है ऐसे में कांग्रेस किसी भी स्थिति में शहरी सरकार में फिर से कब्जा करने किसी ऐसे प्रत्याशी की तलाश कर रही थी जो शहर की जनता को विश्वास दिला सके कि वहां मजबूत दावेदार है ऐसे में राजनीतिक जानकारों का मानना है कि वार्ड में सक्रियता और लोकप्रियता को इसका आधार माना गया कांग्रेस संगठन ने दुर्ग नगर पालिक निगम से महापौर के लिए प्रेमलता साहू को अपना उम्मीदवार घोषित किया है प्रेमलता साहू अपने वार्ड में दो बार पार्षद के रूप में सफल कार्यकाल पूरा कर चुकी है और वार्ड में काफी लोकप्रिय है वहीं तहसील साहू संघ के अध्यक्ष के रूप में श्रीमती प्रेमलता साहू के पति पोषण साहू सक्रिय हैं सामाजिक स्तर पर देखें तो दुर्ग नगर निगम क्षेत्र में 25 से 30% की जनसंख्या साहू समाज की है वहीं दुर्ग विधानसभा क्षेत्र में यादव जाति के विधायक होने से महापौर के रूप में कांग्रेस का यादव समाज से प्रत्याशी घोषित करने से कहीं ना कहीं कांग्रेस को ही नुकसान होता जिले में साहू समाज को विधानसभा में भी प्राथमिकता नहीं मिली ऐसे में कांग्रेस ने सामाजिक स्तर पर साहू समाज को मौका देकर साहू समाज के वोटरों को भी आकर्षित करने का जो कार्य किया वह कहीं ना कहीं कांग्रेस प्रत्याशी श्रीमती प्रेमलता साहू को फायदा पहुंचाएगा वहीं अगर रामकली यादव की बात करें तो पिछले नगर निगम चुनाव में श्रीमती रामकली यादव को कांग्रेस ने वार्ड प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतारा था परंतु यादव बहुल मोहल्ला होने के बावजूद भी कांग्रेस प्रत्याशी रामकली यादव तीसरे पायदान पर रही ऐसे में कांग्रेस संगठन कांग्रेस की वार्ड में तीसरे पायदान पर आने की स्थिति में श्रीमती रामकली यादव को महापौर प्रत्याशी घोषित करने में कहीं ना कहीं सोचने ने पर मजबूर कर दिया होगा सालों से राजनीति के क्षेत्र में सक्रियता के साथ कार्य करने का परितोषित कांग्रेस ने श्रीमती रामकली यादव को कांग्रेस सरकार के समय बखूबी प्रदान किया और उन्हें पुलिस प्राधिकरण विभाग में सदस्य के रूप में नामांकित किया जिसमें वह वर्तमान समय में भी कार्यरत है ऐसे में श्रीमती रामकली यादव द्वारा टिकट न मिलने से नाराज होकर पार्टी बदलने की बात को दुर्ग शहर की जनता एक राजनीतिक स्टंट के रूप में देख रही है बदहाल कांग्रेस की स्थिति वर्तमान समय में निष्क्रिय संगठन के जिम्मेदार पूर्व विधायक अरुण वोरा को माना जा रहा है ऐसे समय में कांग्रेस का दामन छोड़ना कहीं ना कहीं श्रीमती रामकली यादव के लिए राजनीतिक सफर का अंत साबित ना हो जाए. अभी श्रीमती रामकली यादव ने भाजपा में प्रवेश करने का फैसला लिया है किंतु भाजपा में प्रवेश नहीं हुआ है श्रीमती रामकली यादव के पुत्र और छत्तीसगढ़ी फिल्मो मे रूचि रखने वाले विकास यादव ने जरूर सोशल मीडिया के माध्यम से यह बात कही परंतु प्रवेश करने की बात कहना और प्रवेश करना दोनों में जमीन आसमान का अंतर है चुनावी सीजन में ऐसे मामले सामने आते ही रहते हैं अब देखना यह है कि श्रीमती रामकली यादव कांग्रेस का दामन छोड़ेगी या फिर दामन छोड़ने की बात कहना सिर्फ राजनीतिक स्टंट ही साबित होगा जिसका दुर्ग की जनता को बेसब्री से इंतजार है.
दुर्ग।शौर्यपथ । नगर पालिक निगम दुर्ग में भारतीय जनता पार्टी के वार्ड पार्षदों की सूची जारी होने के चंद घंटे बाद कांग्रेस ने भी अपने प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी सूची देखकर ऐसा पति थोड़ा है कि कई वार्डों में भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस को यह सीट तोहफे में दे दी । ऐसे ही एक वार्ड की अगर बात करें तो वार्ड नंबर 41 में भारतीय जनता पार्टी ने श्रीमती जयंती साहू को मैदान में उतर कर रुबीना हमीद खोखर को आसान जीत प्रदान कर दी। पिछले कई सालों से हो रहे निगम चुनाव में ऐसा कोई भी प्रत्याशी दमदार नहीं रहा जो हमीद खोखर के साथ मुकाबले में नजर आया हो 2019 के चुनाव में भाजपा को मुकाबले में खड़ा करने वाले मतिम शेख ही दमदारी से नजर आए परंतु इस बार एक बार फिर भाजपा वार्ड नंबर 41 से अपने आप को मुकाबले में लगभग बाहर करती नजर आई भाजपा के प्रत्याशी जयंती साहू की बात करें तो वह सक्रियता के मामले में कहीं से भी प्रबल दावेदार के रूप में अफीफा तैय्यबा (मतिम शेख) को दरकिनार करते हुए टिकट वितरण किया गया जिससे वार्ड के निवासियों के अनुसार अब मुकाबला एक तरफ हो गया । वार्ड नंबर 41 से पूर्व में लगातार रिकार्ड मतों से जीतने वाले हामिद खोखर इसलिए 15 सालों से वार्ड की जनता के सुख-दुख के साथ ही बने हुए हैं एवं सक्रियता से वार्ड की जनता की सेवा कर रहे हैं ऐसे में जयंती साहू का चुनावी मैदान में उतरना मात्र एक व्यवहारिक प्रक्रिया ही नजर आ रहा है और यह वार्ड एक बार फिर कांग्रेस के खाते में स्पष्ट जाते हुए नजर आ रही है ।
दुर्ग / शौर्यपथ / आपके अपने शौर्यपथ समाचार ने आरक्षण की घोषणा होते ही दुर्गा नगर निगम में चार प्रबल दावेदारों की सूची की चर्चा की थी कांग्रेस से दो दावेदार एवं भाजपा से दो दावेदार शौर्य पथ का आकलन सही साबित हुआ कांग्रेस के दो दावेदारों श्रीमती सत्यवती वर्मा एवं श्रीमती प्रेमलता पोषण साहू में से श्रीमती प्रेमलता पोषण साहू पर भरोसा जताते हुए अपना प्रत्याशी घोषित किया वहीं भारतीय जनता पार्टी ने श्रीमती अलका वाघमारे पर भरोसा जताया श्रीमती अलका वाघमारे एवं श्रीमती प्रेमलता साहू की राजनीति सक्रियता की बात करें तो दोनों ही नगर पालिक निगम में पार्षद की भूमिका में रह चुके हैं और वार्ड की जनता के प्रति अपने दायित्व को निभा चुके हैं जहां श्रीमती अलका वाघमारे पूर्व में वार्ड पार्षद एवं वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी की जिला उपाध्यक्ष के साथ-साथ कई अन्य जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए संगठन के साथ जुड़ी रही. वहीं श्रीमती प्रेमलता साहू लगातार दो बार वार्ड की पार्षद रहे दुर्ग नगर निगम में ओबीसी महिला आरक्षण होने के बाद एवं दोनों ही पार्टी के द्वारा महापौर प्रत्याशी की घोषणा के बाद स्थिति साफ हो गई अब इस चुनावी जंग में श्रीमती प्रेमलता पोषण साहू एवं श्रीमती अलका वाघमारे आमने-सामने होगी सक्रियता के मामले में दोनों बराबर है.
नगरी निकाय चुनाव में जातिगत समीकरण मायने नहीं रखते परंतु दूसरी तरफ यह भी सत्य है कि दुर्गा नगर पालिक निगम क्षेत्र में साहू समाज की बहुलता है वहीं दूसरे नंबर पर कुर्मी समाज आता है ऐसे में दोनों ही समाज के मतदाता निगम क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन लाने में सक्षम है दोनों ही प्रत्याशी ने विवाद छवि के होने के साथ-साथ हम उम्र भी है ऐसे में दुर्गा नगर निगम में नारी शक्ति के रूप में जीते चाहे श्रीमती अलका वाघमारे की हो या फिर श्रीमती प्रेमलता पोषण साहू की ऐसी उम्मीद की जा रही है कि इस बार रबर स्टैंप महापौर इस बार दुर्गा नगर निगम को नहीं मिलेगा दोनों ही प्रत्याशी अपने-अपने पार्टियों में सभी नेताओं से तालमेल बनाकर राजनीति करते आ रहे हैं किसी एक नेता की छवि इनमें नजर नहीं आई वहीं कार्यकर्ताओं के बीच से आने के कारण दोनों ही दलों के कार्यकर्ताओं में भी उत्साह का वातावरण निर्मित है
जीत या हार तो परिणाम के बाद ही पता चलेगा परंतु यह भी सत्य है कि आरोप प्रत्यारोप का जो दौर चलेगा वह एक स्वच्छ राजनीति को भी जन्म देगा दोनों ही नारी शक्ति मिलनसार एवं सौम्य व् शिक्षित परिवार से संबंध रखते हैं ऐसे में चुनावी मुकाबला रोचक तो रहेगा ही परंतु इस रोचकता में एक मर्यादा भी शामिल रहेगी जो एक स्वच्छ लोकतंत्र और खूबसूरत लोकतंत्र का अहम हिस्सा है जिसकी जिसका स्वप्न संविधान के निर्माता ने देखा शौर्यपथ समाचार पत्र दोनों ही प्रत्याशियों को शुभकामनाएं देता है जीत किसी एक की ही होगी एवं दूसरा प्रत्याशी छाया महापौर के रूप में 5 साल तक पहचाना जाएगा और विपक्ष में रहकर अपनी भूमिका को जरूर निभाएगा .
दुर्ग में महापौर के यह है प्रबल दावेदार, चुनावी जंग नहीं होगी कांग्रेस और भाजपा के लिए आसान...
https://www.shouryapathnews.in/khas-khabar/32300-2025-01-07-14-09-19
दुर्ग / शौर्यपथ / कुम्हारी नगर पालिका परिषद् अध्यक्ष सीट ओबीसी महिला आरक्षित होने से इस बार नारी शक्ति के पास परिषद् की कमान रहेगी एक तरफ कांग्रेस अभि तक अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं कर सकी जबकि कुम्हारी नगर पालिका परिषद् से चंद किलोमीटर की दुरी पर ही प्रदेश के पूर्व सीएम का गृह निवास है . वही भाजपा ने प्रदेश के सभी निकायों और पार्षदों की सूचि जारी कर दी है .
कुम्हारी से जिस प्रत्याशी का चयन भाजपा संगठन ने किया है उनका राजनैतिक क्षेत्र , सामजिक क्षेत्र , धार्मिक क्षेत्र में विगत दो दशको से भी ज्यादा समय से सक्रियता रही है . भाजपा ने श्रीमती मीना वर्मा पर भरोसा जताया . श्रीमती वर्मा के नाम कि घोषणा होते ही समर्थको सहित क्षेत्र की जनता में हर्ष व्याप्त है . कुम्हारी निवासी श्रीमती मीना वर्मा के सामाजिक क्स्र्यो की लम्बी फेहरिस्त है उन्हें उपराष्ट्रपति द्वारा उनके समाज में योगदान के लिए सम्मानित भी किया जा चुका है .बचपन से ही कुशल नेत्र्रित्त्व क्षमता , संघ एवं भाजपा में वर्षो सक्रियता से कार्यकर्त्ता भी घोषणा के बाद खुशिया मना रहे एवं भाजपा की जीत के दावे कर रहे जो भाजपा के लिए एक शुभ संकेत है .
प्रदेश में साय सरकार लगातार अपने जनहित के कार्यों से लोकप्रियता के शिखर को छू रही है. लोकसभा चुनाव में प्रदेश की जनता ने भारतीय जनता पार्टी पर अपना पूरा भरोसा जताया और 11 में से 10 सीट भारतीय जनता पार्टी ने जीती कार्यकर्ताओं के सम्मान के लिए अपनी पहचान बनाते हुए भारतीय जनता पार्टी ने अब नगरी निकाय चुनाव में भी उन प्रत्याशियों को महत्व दिया जो संगठन से सालों से जुड़े हैं. कार्यकर्ताओ में चर्चा है कि इस बार उन्हें अध्यक्ष प्रत्याशी के रूप में ऐसा नेतृत्व मिला है जो छात्र जीवन से ही नेतृत्व की क्षमता रखती हैं बता दें कि श्रीमती मीना वर्मा छात्र जीवन से ही शाला नायक के रूप में नेतृत्व की जो शुरुआत की लगातार सामाजिक संगठनों में अपनी सहभागिता निभाई वहीं सामाजिक कार्यों के लिए उपराष्ट्रपति के द्वारा सम्मान पाने वाली श्रीमती मीना वर्मा सामाजिक कार्यों के साथ-साथ धार्मिक कार्यों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं साफ एवं स्वच्छ छवि की पहचान बनाने वाली श्रीमती मीना वर्मा के प्रत्याशी घोषित होते ही भारतीय जनता पार्टी सहित क्षेत्र की जनता को यह विश्वास हो गया कि सालों बातें एक ऐसा नेतृत्व मिला है जो क्षेत्र के विकास में अपना महत्वपूर्ण दायित्व का निर्वहन करेंगी .
बता दें कि जिस तरह से प्रदेश में नगरी निकाय अध्यक्ष के चुनाव में संगठन को महत्व दिया गया उससे कार्यकर्ताओं में उत्साह का माहौल है और पार्टी के प्रति उनकी समर्पण भावना पहले से भी ज्यादा विश्वसनीय प्रतीत हो रही है ऐसे में श्रीमती मीना वर्मा के प्रत्याशी घोषित होने के साथ समर्थकों को सहित क्षेत्र की जनता में चर्चा का विषय है कि अब कांग्रेस से कोई भी प्रत्याशी मैदान में आए जीत भाजपा की ही होगी.
दुर्ग निगम:अलका वाघमारे भारतीय जनता पार्टी से मेयर प्रत्याशी घोषित ,कार्यकर्ताओं की जीत...
दुर्ग।शौर्यपथ । काफी इंतजार के बाद भारतीय जनता पार्टी संगठन ने एक बार फिर प्रत्याशी घोषणा में कांग्रेस को पछाड़ दिया । जिस तरह से प्रत्याशी की घोषणा भारतीय जनता पार्टी ने की उससे आम कार्यकर्ताओं में पार्टी के प्रति विश्वास बढ़ा। भारतीय जनता पार्टी ने दुर्ग नगर निगम से मेयर प्रत्याशी के रूप में भारतीय जनता पार्टी की सक्रीय कार्यकर्ता वर्तमान जिला उपाध्यक्ष एवं पूर्व पार्षद श्रीमती अलका वाघमारे (वर्मा ) को अपना अधिकृत प्रत्याशी घोषित कर दिया । अलका वाघमारे के नाम की घोषणा होते ही भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं में उत्साह देखने को मिला वहीं पार्टी कार्यालय में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता जमा शुरू होने लगे और भारतीय जनता पार्टी की मेयर प्रत्याशी का स्वागत करने आतुर दिखाई दिए सभी में चर्चा का यह विषय रहा की सालों बाद भारतीय जनता पार्टी ने कार्यकर्ता का सम्मान किया और सक्रिय कार्यकर्ता को प्रत्याशी घोषित की पार्टी के प्रति जो आशाएं थीं उसे पूरी किया ।
दुर्ग / शौर्यपथ / संगठन स्तर पर देखा जाए तो दुर्ग कांग्रेस में संगठन नाम का शब्द सिर्फ कागजों पर ही सीमित है ना नियम ना तरीके से मीटिंग होने की चर्चा होती है ना ही सोशल मीडिया पर कांग्रेस अपनी जानकारियां और अपने उपलब्धियां साजा कर पाती हैं आपसी मतभेदों का आलम यह है कि एक-एक प्रत्याशी को 4 से 5 जगह आवेदन देना पड़ रहा है सभी कांग्रेस की जीत से ज्यादा अपने-अपने सीट पर टिकट की मांग करते नजर आ रहे हैं ऐसे में संगठित भाजपा के साथ मुकाबला करने में दुर्ग कांग्रेस में कोई ऐसा नेता नहीं जो सभी को एक धागे में पिरो सके.
पूर्व विधायक अरुण वोरा में अब वह नेतृत्व क्षमता कहीं नजर नहीं आ रही जिसके दम पर दुर्ग कांग्रेस के सारे मोती रूपी कार्यकर्ता को एक धागे में पिरोया जा सके वही दुर्ग नगर निगम क्षेत्र में निवासरत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं प्रदेश के पूर्व गृह मंत्री जिनका जनप्रतिनिधि और संगठन के कार्यों में लगभग पांच दशक से ज्यादा का लंबा अनुभव रहा ही के मैदान में उतरने से कांग्रेस कहीं ना कहीं मुकाबले में नजर आ सकती है .वर्तमान समय में जब नगर पालिक निगम और पंचायत के चुनाव एक साथ हो रहे हैं ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र के साथ-साथ दुर्ग शहर में भी कांग्रेस की मजबूत उपस्थिति की बड़ी जिम्मेदारी अब जिले के वरिष्ठ नेताओं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल,पूर्व गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ,पूर्व मंत्री रविंद्र चौबे जैसे नेताओं के कंधे पर आ चुकी है क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री जिले सहित प्रदेश में एक बड़ी जिम्मेदारी निभाते हुए संगठन को फिर से मजबूत करने का प्रयास कर रहे हैं वही पूर्व मंत्री वरिष्ठ नेता रविन्द्र चौबे साजा बेमेतरा क्षेत्र में कार्यकर्ताओ को सक्रीय कर रही .
वही दुर्ग शहर में नगर निगम चुनाव में अगर कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में पूर्व गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू की पुत्रवधू सरिता साहू को संगठन प्रत्याशी घोषित करता है तो निश्चित ही नगर निगम चुनाव में भाजपा के साथ कांग्रेस का मुकाबला रोचक तो होगा ही और कड़े मुकाबले की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकेगा.
बता दे कि गत विधानसभा चुनाव में जिले में साहू समाज की संख्या बहुल होने के बाद भी एक भी विधानसभा सीट में प्रत्याशी घोषित नहीं हुआ ऐसे में समाज की यह मनसा है कि साहू समाज के प्रत्याशी के साथ साहू समाज रहेगा हालांकि साहू समाज का झुकाव भाजपा के तरफ ज्यादा रहता है परंतु अगर दुर्ग नगर निगम से भारतीय जनता पार्टी साहू समाज से किसी को प्रत्याशी नहीं बनती तो और कांग्रेस संगठन दुर्ग से साहू समाज से सरिता साहू को प्रत्याशी घोषित करती है तो साहू समाज का झुकाव महापौर चुनाव में कांग्रेस की तरफ रहने की उम्मीद है वही चुनावी रणनीति बनाना और कार्यकर्ताओं को संगठित कर चुनावी मैदान में उतरने की कला पूर्व गृह मंत्री साहू में काफी ज्यादा है .50 साल के से भी अधिक के राजनीतिक अनुभव का लाभ संगठन को और कार्यकर्ताओं को एकजुट करने में जरूर मिलेगा और कांग्रेस मुकाबले में भाजपा को टक्कर देने की स्थिति में आ जाएगी .
साल भर के कार्यकाल में जिस तरह से दुर्ग विधानसभा क्षेत्र में वर्तमान विधायक गजेंद्र यादव की लोकप्रियता में काफी गिरावट आई है और नगर निगम के कार्यों में अपरोक्ष रूप से हस्तक्षेप के कई मामले सामने आने के बाद आम जनता एक नए राजनीतिक केंद्र की उम्मीद कर रही है ऐसे में देखना यह होगा कि जिस तरह से कांग्रेस संगठन ने 2018 के विधानसभा चुनाव में अचानक प्रत्याशियों की अदला-बदली कर ताम्रध्वज साहू को दुर्ग ग्रामीण से चुनावी मैदान में उतारा उस ही स्थिति वर्तमान समय में बन जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी.
वर्तमान समय में दुर्ग महापौर प्रत्याशी के लिए दावेदारों के आवेदनों की संख्या भले ही दर्जन पहुंच गई हो परंतु प्रबल दावेदारों में सत्यवती वर्मा एवं प्रेमलता साहू के अलावा ऐसा कोई चेहरा नजर नहीं आ रहा है जो कांग्रेस की तरफ से दमदारी से भाजपा के प्रत्याशी के साथ चुनावी जंग में उतरे ऐसे में वरिष्ठ नेता तामेध्वाज साहू की पुत्रवधू श्रीमती सरिता साहू के चुनावी मैदान में उतरने से दुर्ग कांग्रेस की चुनावी स्थिति में तो बदलाव आएगा ही साथ ही संगठन जो बिखरा हुआ है निष्क्रिय है वह भी एक बार सक्रिय हो जाएगा.बता दे कि रिसाली निगम चुनाव के समय भी काफी चर्चा थी कि तात्कालिक गृह मंत्री tamrdhwaj साहू की पुत्रवधू चुनावी मैदान में उतरेंगी और महापौर से नवाजी जाएँगी किन्तु तब तात्कालिक गृह मंत्री ने किसी अन्य को मौका देकर कांग्रेस को मजबूत करने का सफल प्रयास किया किन्तु वर्तमान समय में दुर्ग कांग्रेस कार्यकर्ताओ को किसी ऐसे चेहरे की सख्त आवश्यकता है जो जंग में मजबूती से लडे .
आखिर कब तक कांग्रेस संगठन स्व. मोतीलाल बोरा के सम्मान में दुर्ग संगठन को हासिये पर रखेगा
दुर्ग कांग्रेस संगठन में वर्तमान समय में पूरे फैसला पूर्व विधायक वोरा लेते हैं परंतु कांग्रेस को संगठित करने में पूर्व विधायक अरुण वोरा लगातार असफल ही रहे हैं निष्क्रिय अध्यक्ष एवं सालों से जमे ब्लॉक अध्यक्षों के बदलाव की दिशा में भी पूर्व विधायक अरुण वोरा असफल साबित हुए युवा कांग्रेस मात्र लाभ का पद बना हुआ है .वहीं बंगले की राजनीति के चलते दुर्ग कांग्रेस बिखर सा गया ऐसे में कांग्रेस के कई कार्यकर्ता अब नए राजनीतिक केंद्र की तलाश में नजर आ रहे हैं फैसला कांग्रेस संगठन का होगा कि वह दुर्ग कांग्रेस को उनके बदहाल स्थिति में छोड़ना है या फिर कड़े फैसले लेते हुए नए बदलाव की स्थिति में ?
दुर्ग। शौर्यपथ। महापौर का चुनाव इस बार प्रत्यक्ष प्रणाली से होने के कारण दावेदारों की संख्या काफी बढ़ चुकी है दुर्ग नगर निगम में पिछड़ा वर्ग महिला महापौर आरक्षित होने से और प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार होने के कारण भारतीय जनता पार्टी से महापौर प्रत्याशियों की एक लंबी फौज अपने-अपने स्तर पर दावेदारी प्रस्तुत कर रही है.
भारतीय जनता पार्टी में ऐसा माना जाता है कि जिसका नाम ज्यादा उछलता है उसकी टिकट कटनी तय है परंतु वही अगर सोशल मीडिया की माने तो दुर्ग से महापौर प्रत्याशी के रूप में डॉक्टर भारती साहू के नाम पर मुहर लग रही है सोशल मीडिया में हर तरफ डॉक्टर भारती साहू महापौर की प्रबल दावेदार के रूप में नजर आ रही है दूसरी तरफ डॉक्टर भारती साहू के नाम सामने आने के बाद जब कई भाजपा नेताओं से चर्चा की तो ऐसे भाजपा नेताओं की संख्या बहुत ज्यादा है जो डॉक्टर भारती साहू को कभी भी पार्टी के कार्यक्रमों में ना देखे हैं ना उनकी कोई सक्रियता पार्टी मे नजर आई है वह भी आश्चर्यचकित है कि अचानक डॉक्टर भारती साहू सोशल मीडिया में कैसे प्रबल दावेदार के रूप में नजर आ रही है.
वही कई भाजपा नेता चटकारे लेते हुए कहते हैं कि वर्तमान समय में सोशल मीडिया का जमाना है जिस तरह से डॉक्टर भारती साहू का नाम सोशल मीडिया में उछल रहा है ऐसा लगता है कि सोशल मीडिया वालों ने ही भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी की घोषणा कर दी है और उन्हीं का फैसला संगठन को मानना होगा अब देखना यह है कि सोशल मीडिया के सहारे प्रसिद्धि पाने की जो आया कवायद चल रही है वह क्या संगठन में अपना काम करेगी और भारतीय जनता पार्टी डॉक्टर भारती साहू को दुर्ग नगर निगम से अधिकृत प्रत्याशी घोषित करती है या फिर सोशल मीडिया में ही यह खबर चलती रहेगी?
दुर्ग / शौर्यपथ / निगम चुनाव और विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव में काफी अंतर होता है निगम चुनाव के प्रत्याशी ऐसे होने चाहिए जिनकी वार्ड में दखलअंदाजी हो और गली मोहल्ले की समस्याओं से रूबरू होकर वार्ड की जनता की समस्याओं का निराकरण करें . वार्ड के प्रत्याशी चयन में जमीनी स्तर पर प्रत्याशियों की सक्रियता देखना निशांत आवश्यक होता है परंतु एक बार फिर दुर्ग नगर निगम चुनाव में प्रदेश के बड़े नेताओं की दखलंदाजी साफ नजर आ रही है जो कि कही ना कही कांग्रेस को ही नुक्सान पहुंचाएगी .
बात करें तो वार्ड नंबर 6 से कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में निगम के पूर्व सभापति राजेश यादव का नाम लगभग तय माना जा रहा है जबकि पूर्व में इस बार से प्रबल दावेदार के रूप में मनीष यादव के नाम की चर्चा शहर संगठन में हो रही थी परंतु शहर संगठन और अरुण वोरा की अहमियत प्रदेश स्तर के नेताओं के लिए लगभग 0 से प्रतीत हो रही है . पूर्व में राजेश यादव एक समय में संगठन के मजबूत नीव थे परंतु 15 सालों के राजनीतिक वनवास के बाद पिछले 5 साल में दुर्ग संगठन के लिए उनका कोई अहम योगदान नजर नहीं आया .वहीं पूर्व सभापति के कक्ष से गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अरुण वोरा के विरोध के जो स्वर जन्मे जिसे प्रदेश स्तर के नेता भी नहीं रो सके नतीजा यह रहा की शहर के लाडले विधायक कहे जाने वाले अरुण वोरा को शहर की जनता ने ठुकरा दिया .परिणाम के बाद शहर की जनता के लाडले विधायक के रूप में अरुण वोरा का नाम मिट गया .
आपसी गुट बाजी और पार्टी विरोधी कार्यो में संलिप्त के कई मामले सामने आए वहीं दुर्ग संगठन की निष्क्रियता का परिणाम रहा की पार्टी विरोधी गतिविधियों वाले कांग्रेसियों पर कार्यवाही तो दूर नोटिस भी जारी नहीं कर सकी .अब एक बार फिर दुर्ग कांग्रेस संगठन प्रदेश के नेताओं के सामने असहाय हो गई प्रदेश स्तर के नेताओं से राजेश यादव को लगभग हरी झंडी मिल चुकी है ऐसे में कांग्रेस की तरफ से दावेदारी करने वाले मनीष यादव अब निर्दलीय चुनावी जंग में उतरेंगे .चर्चा यह भी है कि मनीष यादव चुनाव के पहले राजेश यादव के साथ आपसी सहमति बना लेंगे परंतु इस बारे में जब शौर्यपथ समाचार पत्र ने मनीष यादव से चर्चा की तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि वह अगर पार्टी से टिकट नहीं मिलेगी तो निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरेंगे उन्होंने नामांकन फार्म भी निर्वाचन कार्यालय से प्राप्त कर लिया है मनीष यादव का कहना है कि आजादी के बाद पहली बार कांग्रेस को इस बार से उन्होंने ही जीत दिलाई है एवं पूर्व में वह निर्दलीय पार्षद के रूप में भी इस वार्ड की सेवा कर चुके हैं पिछले चुनाव में आपसी सहमति जरूर थी परंतु वह सिर्फ एक कार्यकाल के लिए थी इस चुनाव में वह हर हाल में चुनावी मैदान में उतरेंगे ऐसे में देखना होगा कि प्रदेश के वह बड़े नेता जिन्होंने दुर्ग कांग्रेस में हस्तक्षेप किया क्या मनीष यादव को कांग्रेस प्रत्याशी का विरोध करते हुए निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने से रोक पाएंगे या फिर पूर्व की आपसी सहमति का हवाला देते हुए मनीष यादव निर्दलीय चुनावी जग में उतरेंगे .बरहाल नामांकन फार्म जमा करने की अंतिम तारीख में अब 5 दिन शेष हैं ऐसे में आने वाले 5 दिन काफी गहमागहमी भरे रहेंगे .
दुर्ग। शौर्यपथ। दुर्ग नगर निगम चुनाव में बड़ी खबर निकल कर आ रही है कि कांग्रेस जिस शहरी सरकार के गुणगान करते हुए आने वाले निगम चुनाव में एक बार फिर काबिज होने की बात कर रही है इस नगर निगम चुनाव में पूर्व महापौर धीरज बाकलीवाल के लिए पूरे शहर में कहीं भी सुरक्षित सीट नजर नहीं आ रही है पद्मनाभपुर क्षेत्र में निवासरत एवं क्षेत्र के वार्ड नंबर 45 सामान्य होने के बावजूद भी इस वार्ड से धीरज बाकलीवाल चुनावी जंग से बाहर हो रहे हैं वहीं इस वार्ड से पूर्व विधायक अरुण वोरा के समर्थक राजेश शर्मा ने दावेदारी फॉर्म भर दी है परंतु सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राजेश शर्मा की यह टिकट काटकर पूर्व महापौर के करीबी युवा कांग्रेस के अध्यक्ष एवं ठेकेदारी के व्यवसाय से जुड़े आयुष शर्मा को चुनावी जंग में उतारने का प्रयास किया जा रहा है बता दे कि आयुष शर्मा २०१८ के विधानसभा चुनाव के बाद अचानक राजनीती से जुड़े और तात्कालिक विधायक वोरा के करीबी होने का फायदा उन्हें युवा कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में मिला . राजनीति में किसी तरह की कोई खास उपलब्धि आयुष शर्मा के खाते में नहीं है शहर में निष्क्रिय संगठन के बावजूद भी कांग्रेस बड़े जोर-शोर से जीत की उम्मीद कर रही है .ऐसे में बाकलीवाल के समर्थक आयुष शर्मा की दावेदारी से राजेश शर्मा के टिकट काटने की संभावना बढ़ गई है .
आयुष शर्मा 2019 विधानसभा चुनाव के बाद पूर्व विधायक अरुण हो रहा एवं पूर्व महापौर धीरज बाकलीवाल के चहेतों की गिनती में आने लगे वही राजेश शर्मा का विरोध वोरा बंगले के साथ-साथ बाकलीवाल खेमे में भी होने लगा इस तरह की राजनीतिक चर्चाओं के बीच जानकारी निकल कर सामने आ रही है कि वोरा के समर्थक रहे राजेश शर्मा को अगर कांग्रेस से टिकट नहीं मिलता तो निर्दलीय चुनावी जंग में उतरने को तैयार हैं ऐसी स्थिति में कांग्रेस को ही नुकसान होगा और कांग्रेस के खाते से यह सीट भी चली जाएगी पूर्व में भी लीलाधर पाल के साथ हुए भीतरी घात के कारण पद्मनाभपुर क्षेत्र के एक वार्ड कांग्रेस के हाथ से जा चुका है अब दूसरे वार्ड के जाने की स्थिति निर्मित हो रही है .
सत्ता जाने के बाद भी कांग्रेस की गुटबाजी और अंतर कलह के कारण कांग्रेस का लगातार दुर्ग शहर में पतन होता नजर आ रहे हैं पूर्व विधायक कहीं से भी कांग्रेस को मजबूती प्रदान करने की स्थिति में नहीं दिख रहे हैं वही प्रदेश संगठन भी दुर्ग कांग्रेस को पूरी तरह भुलाए बैठी है ऐसी स्थिति रहीं तो कोई बड़ी बात नहीं की आने वाले समय में कांग्रेस दुर्ग में सिर्फ नाम की ही बाकी रह जाएगी.