
CONTECT NO. - 8962936808
EMAIL ID - shouryapath12@gmail.com
Address - SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)
दुर्ग / शौर्यपथ / बुजुर्गों के अनुभवों का लाभ अब बच्चे लेंगे, इसके लिए गाँव और शहरों के वरिष्ठ नागरिकों के साथ बच्चे हर दिन होंगे रूबरू। उनके सुदीर्घ जीवन के किस्से सुनेंगे, उनके अनुभव से सीखेंगे। अपनी तरह का यह पहला नवाचार दुर्ग जिले में होगा। अपने अनुभवों की विरासत जिले के वरिष्ठ नागरिक बच्चों तक संप्रेषित करेंगे। कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने आज शिक्षा विभाग की बैठक में इस नवाचार पहल की रणनीति पर विस्तार से चर्चा की। इसके साथ ही चार अन्य नवाचार पहल शिक्षा विभाग द्वारा किये जाएंगे। इन प्रयोगों में उत्थान, सियान जनशाला, शिक्षक प्रतिभा सम्मान कार्यक्रम-''प्रतिभा'', जन पहल, आंतरिक समीक्षा मिशन (आई.आर.एन.)ÓÓ शामिल हैं। इनके बारे में विस्तार से जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी प्रवास सिंह बघेल ने दी। बैठक में कलेक्टर ने कक्षाओं के अलावा साप्ताहिक टेस्ट एवं अन्य महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर विस्तार से चर्चा की। बैठक में अपर कलेक्टर सुश्री नूपुर राशि पन्ना, सहायक कलेक्टर हेमंत नंदनवार एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
सियान जनशाला- हमारी परंपरा में बुजुर्गों के ज्ञान की विरासत का बड़ा महत्व है। कालिदास ने मेघदूतं में कोविद ग्राम वृद्धा: का जिक्र किया है। गाँव के बुजुर्ग भले ही पढ़े लिखे हों या न हो, अपने अनुभव की वजह से वे आदरणीय है और इनसे ज्ञान प्राप्त करना चाहिए। जर्मनी के एकीकरण में प्रमुख भूमिका निभाने वाले बिस्मार्क का कथन था कि वे मूर्ख हैं जो अपनी गलतियों से सीखते हैं मैं दूसरों की गलतियों से सीखना पसंद करता हूँ। सियान शाला के इस नवाचार के माध्यम से न केवल बच्चे बुजुर्गों से ज्ञान की बातें सीख पायेंगे अपितु उस परंपरागत ज्ञान को भी प्राप्त कर पाएंगे जो किताबों में नहीं मिलती लेकिन सदियों से पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित होती है।
उत्थान- पढ़ाई के साथ ही सीखने को फोकस करते हुए उत्थान का नवाचार आरंभ किया जाएगा। इसमें लर्निंग कार्नर और पुस्तकालय बनाये जाएंगे। यह प्राथमिक शाला के बच्चों के लिए होगा। छोटे बच्चों में रीडिंग हैबिट विकसित करने के लिए सुंदर चित्रमय पुस्तकें लाइब्रेरी में रखी जाएंगी ताकि बच्चों का स्वाभाविक रूझान अच्छे बाल साहित्य की ओर हो सके। इसके अलावा लर्निंग कार्नर भी खोला जाएगा, जहाँ विभिन्न तरीकों से विज्ञान के रहस्यों के बारे में और अन्य चीजों के बारे में प्रयोग के माध्यम से सिखाया जाएगा।
भिलाई / शौर्यपथ / नगर पालिक निगम भिलाई क्षेत्र अंतर्गत इस माह के प्रत्येक रविवार को स्वच्छता संकल्प देश का, हर रविवार विशेष सा आईईसी अभियान चलाया जाएगा! इसकी शुरुआत 8 अगस्त दिन रविवार से होगी! अभियान के तहत बैनर, पोस्टर और नुक्कड़ नाटक करते हुए जागरूकता प्रसारित करेंगे। भिलाई निगम द्वारा रविवार को लोगों को आकर्षित करते हुए उन्हें स्वच्छता की गतिविधियों से जोडऩे प्रेरित किया जाएगा, ताकि शहर को स्वच्छ बनाने में सभी अपनी नैतिक जिम्मेदारियां निभा सके। निगम आयुक्त ऋतुराज रघुवंशी ने सभी जोन आयुक्त व स्वास्थ्य अधिकारी को निर्देशित किया है कि अगस्त माह के हर रविवार को विशेष अभियान में स्वच्छता संबंधी ईवेंट और गतिविधियों के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाए। स्वच्छता के विभिन्न आयोजनों के माध्यम से जागरूकता अभियान के लिए निगम के सभी जोन कार्यालयों द्वारा पूरी तैयारी कर ली गई है। रविवार को सफाई मित्रों द्वारा सार्वजनिक स्थलों, स्लम एरिया में लोगों को स्वच्छता के प्रति शपथ दिलाने के साथ ही कर्मचारी होर्डिंग्स, पोस्टर का प्रदर्शन, दुकानों में स्टीकर व पाम्प्लेटस का वितरण करेंगे। नुक्कड़ नाटक व गतिविधियों के माध्यम से लोगों को स्वच्छ रहने के उपाय बताते हुए घर से निकलने वाले गीले एवं सूखे कचरे को व्यवस्थित तरीके से हरे व नीले डब्बे में डालने की जानकारी, व्यवसायिक क्षेत्र में अनिवार्य रूप से डस्टबिन रखने की जानकारी मनोरंजन करते हुए देंगे।
स्वास्थ्य अधिकारी धर्मेन्द्र मिश्रा ने बताया कि शासन के निर्देशानुसार अगस्त माह के हर रविवार को विशेष स्वच्छता अभियान चलाया जाएगा। इसमें हर रविवार को स्वच्छता के अलग-अलग विषयों पर लोगों को विभिन्न माध्यमों से जागरूक किया जाएगा। प्रथम रविवार को गंदगी से आजादी कैंपेन, सफाई मित्रों द्वारा सुरक्षा चैलेंज, स्लम एरिया में नुक्कड़ नाटक, वृक्षारोपण, नागरिकों को स्वच्छता के प्रति शपथ दिलाना, द्वितीय रविवार को घरेलू हानिकारक कचरे से आजादी कैंपेन के तहत मोहल्लों में कूड़ा पृथकीकरण, हानिकारक कचरे का निपटान, तीसरे सप्ताह में सिंगल यूज प्लास्टिक से आजादी कैंपेन के तहत बाजार में सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध हेतु नुक्कड़ नाटक, पाम्प्लेट के माध्यम से जागरूक करना एवं चतुर्थ रविवार को लिटरिंग एवं स्पिटिंग से आजादी कैंपेन, मोहल्लों में जीवीपी पाइंटस को समाप्त करना, वॉल पेंटिंग के जरिए शहर का सौंदर्यीकरण जैसी गतिविधियां भी होंगी।
दुर्ग / शौर्यपथ / दाऊ श्री वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय, दुर्ग के अंतर्गत शैक्षणिक संस्थानों के विभिन्न पाठ्यक्रमों में सत्र 2021-22 में प्रवेश दिया जाना है। प्रदेश के एकमात्र वेटनरी कॉलेज अंजोरा, दुर्ग की 80 सीटों एवं मात्स्यिकी महाविद्यालय, कवर्धा की 100 सीटों में प्रवेश नीट (एनईईटी) 2021 की प्रावीण्यता सूची के आधार पर दिया जाएगा। प्रदेश में वेटनरी, फिशरीज एवं डेयरी टेक्नोलॉजी की मात्र एक-एक महाविद्यालय हैं। डेयरी टेक्नोलॉजी महाविद्यालय, रायपुर के स्नातक पाठ्यक्रम की 60 सीटें एवं बेमेतरा व तखतपुर के डेयरी पॉलीटेक्नीक महाविद्यालय की 60 सीटें है, जिसमें प्रवेश छत्तीसगढ़ व्यापम द्वारा आयोजित पी.ई.टी. द्वारा दिया जाएगा। विश्वविद्यालय के अधीनस्थ पॉलीटेक्निक कॉलेजो एनीमल हस्बेंड्री (360 सीटें) एवं फिशरीज साइंस (30 सीटें) में छत्तीसगढ़ व्यापम द्वारा आयोजित प्री-एग्रीकल्चर एवं प्री-वेटनरी टेस्ट द्वारा किया जाएगा। पशुचिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय, अंजोरा, डेयरी टेक्नोलॉजी महाविद्यालय, रायपुर एवं मात्स्यिकी महाविद्यालय, कवर्धा की स्नातकोत्तर (पी.जी. एवं पी.एच.डी.) में प्रवेश विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सी.ई.टी.) 2021 द्वारा किया जाएगा। इन पाठ्यक्रमों में उपलब्ध सीटों की विषयवार एवं विस्तृत जानकारी विश्वविद्यालय की वेबसाइट ूूूण्बहाअण्ंबण्पद पर उपलब्ध होगी। विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति, निदेशक शिक्षण एवं अधिष्ठाता वेटनरी कॉलेज बिलासपुर डॉ.एस.पी.इंगोले ने बताया कि छात्रों की जिज्ञासाओं एवं कठिनाईयों का समाधान ई-मेल एवं मोबाईल के माध्यम से विभागाध्यक्षों एवं अधिकारियों द्वारा प्राथमिकता से की जाएगी। पशुचिकित्सा एवं पशुपालन, मात्स्यिकी, डेयरी टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में स्वर्णिम भविष्य एवं चुनौतीपूर्ण कैरियर के लिए छत्तीसगढ़ के शहरी क्षेत्रों सहित ग्रामीण अंचल के छात्र-छात्राओं में रूझान बढ़ा है। विश्वविद्यालय में छात्रों के लिए गुणवत्ता युक्त पाठ्यक्रम एवं शिक्षण तथा व्यावहारिक-प्रायोगिक प्रशिक्षण के लिए आदर्श शैक्षणिक वातावरण निर्माण करने पर जोर दिया जा रहा हैं। इस संदर्भ में छात्र-छात्राओं एवं पालकों विश्वविद्यालय की वेबसाइट में नियमित रूप से अवलोकन करते रहें।
भिलाई / शौर्यपथ / भिलाई इस्पात संयंत्र के वायर रॉड मिल ने शनिवार 07 अगस्त को एसएई-1008 के 2700 टन वायर रॉड कॉइल्स का नेपाल को निर्यात हेतु लोडिंग किया गया। इस वित्तीय वर्ष में अब तक सेल-बीएसपी ने 3 बार में कुल 8100 टन वायर रॉड का निर्यात नेपाल को कर चुका है।
विदित हो कि भिलाई इस्पात संयंत्र के वायर रॉड मिल में परंपरागत रूप से एसएमएस 1-बीबीएम रूट से प्लेन वायर रॉड और टीएमटी कॉइल की रोलिंग की जाती रही है। एसएमएस 1-बीबीएम रूट के बंद होने के बाद, वायर रॉड मिल ने एसएमएस-3 रूट से प्राप्त कास्ट बिलेट्स से गुणवत्ता वाले एसएई-1008 के प्लेन वायर रॉड्स की चौंथी बार सफलतापूर्वक रोलिंग एवं निर्यात की है।
भिलाई इस्पात संयंत्र के वायर रॉड मिल द्वारा एसएई-1008 के कुल 43 वैगनों की एक और रेक में इस ग्रेड के 2700 टन वायर रॉड को रोल करके नेपाल भेजा जा रहा है। कॉइल्स की एक और अनूठी विशेषता यह है कि प्रत्येक कॉइल को क्यूआर कोड के साथ लेबल किया गया है जिसमें विभिन्न प्रकार की जानकारी होती है जैसे - हीट नंबर, क्वाइल संख्या, रोलिंग की गुणवत्ता, अनुभाग, तिथि और शिफ्ट। ये सभी जानकारी प्रत्येक कॉइल के लिए अलग-अलग होती हैं। इस लेबलिंग के साथ कॉइल के उचित लेबलिंग और मार्किंग की गयी है। ऐसा करते हुए सेल के मार्केटिंग विभाग सीएमओ की आवश्यकताओं को पूरा किया गया। एसएई-1008 वायर रॉड्स का उपयोग वायर ड्रॉइंग यूनिट्स द्वारा जीआई वायर बनाने के लिए किया जाएगा जिसके माध्यम से पहाड़ो पर होने वाले भू-स्खलन को रोकने हेतु गेबीयन बॉक्स का निर्माण किया जाएगा। आधी सामग्री को आगे के उपयोग के लिए गैल्वेनाइज्ड किया जाएगा।
इससे पूर्व 9 जून, 2021 को पहली बार 2700 टन और 30 जून, 2021 को दूसरी बार 2700 टन वायर रॉड 10 जुलाई, 2021 को तीसरी बार के 2700 टन वायर रॉड कॉइल्स का नेपाल निर्यात किया गया था।
ब्यूटी टिप्स / शौर्यपथ / खूबसूरती के मामले में गुलाब जल का इस्तेमाल कई महिलाएं करती है। इसका इस्तेमाल करें भी क्यों न, एक तो ये बाजार में आसानी से मिल जाता है और दूसरा त्वचा और बालों पर इसके ढेरों फायदे हैं। राजाना के स्किन केयर में इसे शामिल करने से कई समस्याों से बचा जा सकता है। जानते हैं इसे कैसे करें इस्तेमाल और इसके इस्तेमाल से कैसे मिलता है स्किन और बालों की समस्याओं से छुटकारा।
1) अगर आपके बाल काफी ज्यादा रफ हैं तो आप शैम्पू में गुलाब जल मिलाकर इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके इस्तेमाल से आपके बाल काफी सॉफ्ट और हाइड्रेटेड हो जाएंगे।
2) स्किन को हाइड्रेट रखने के लिए भी आप इसका इस्तेमाल कर सकती हैं। अपने चेहरे पर क्रीम लगाने से पहले आप गुलाब जल का इस्तेमाल करें। इससे आपकी क्रीम ज्यादा देर तक स्किन पर टिकी रहेगी। गर्मियों के मौसम में इसके इस्तेमाल से स्किन को ठंडक मिलती है।
3)अगर आप मेकअप की शौकीन है, तो ध्यान दें। मेकअप करने से पहले गुलाब जल का इस्तेमाल करें। इससे मेकअप सेट रहेगा। आप चाहें तो पूरा मेकअप करने के बाद गुलाब जल के स्प्रे कर सकती हैं और मेकअप को सेट कर सकती हैं। ऐसे में आपको किसी और मेकअप स्प्रे की जरूरत भी नहीं पड़ेगी और मेकअप लंबे समय तक टिका रहेगा।
4) आप नहाने के पानी में भी इसको मिसला सकती हैं। इसकी खूशबू आपको अच्छी लगेगी। एसेंशिय ऑयल और गुलाबजल के साथ नहाने में आपको ताजगी का एहसास होगा और आप काफी अच्छा फील करेंगी।
5) अगर वैक्सिंग के बाग आपको दाने आ जाते हैं, तो आप गुलाब जल को आफ्टर वैक्सिंग जेल के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकती हो। आप घर में भी गुलाब जल बना सकती हैं।
6) अगर आपको सनबर्न हुआ है, तो बर्न हुई जगह पर रुई की मदद से गुलाब जल को लगाएं। इसे उस जगह पर लगाएं जहां आपको जलन हो रही है। इसके इस्तेमाल से आपको बहुत आराम मिलेगा।
7) चेहरा ड्राई होने पर भी आप गुलाब जल का इस्तेमाल कर सकती हैं। इसके लिए अपनी फेस क्रीम में आप गुलाब जल को मिलाएं और चेहरे पर हल्के हाथ से लगाएं। आप इसका इस्तेमाल बॉडी वॉश में डाल कर भी कर सकती हैं।
सेहत / शौर्यपथ /आपने कई लोगों को देखा होगा कि वे इलायची चबाते रहते हैं, असल में इलायची एक बेहतरीन नेचुरल माउथ फ्रेशनर ही नहीं बल्कि वेट लॉस में भी काफी कारगर है। आप चाहें, तो इलायची चबाने के अलावा इलायची वाली चाय पीकर भी वेट लॉस कर सकते हैं लेकिन आपको ध्यान रखना है कि वेट लॉस के लिए बनाई हुई स्पेशल चाय में चीनी की जगह गुड़ का इस्तेमाल करना है। आइए जानते हैं, इलायची के फायदे-
वेट एंड फैट लॉस
पेट के आसपास जमा वसा सबसे जिद्दी होती है और यह किसी के भी व्यक्तित्व को भी खराब कर देती है। हरी इलायची इस जिद्दी फैट को जमा नहीं होने देती है। यह वसा कई हृदय संबंधी बीमारियों की जड़ भी होती है।
शरीर से विषैले तत्व बाहर निकालती है
आयुर्वेद की मानें तो हरी इलायची शरीर में मौजूद विषैले तत्वों को बाहर निकालने में भी मदद करती है। यह तत्व शरीर के रक्त प्रवाह में व्यवधान पैदा कर सकते हैं और हमारी ऊर्जा का स्तर भी घटाते हैं। इलायची की चाय इसके लिए सबसे अच्छा विकल्प हो सकती है।
पेट फूलने से बचाती है
हरी इलायची अपच की समस्या से बचाती है, जिससे कभी-कभी पेट फूलने की समस्या भी हो सकती है। यही वजह है कि हरी इलायची को गैस्ट्रोइन्टेस्टाइनल विकारों की प्रचलित दवा कहा जाता है। अच्छा पाचन तंत्र वजन घटाने के लिए अहम है।
शरीर में पानी जमा नहीं होने देती
शरीर में मूत्र के रूप में पानी को जमा होने से रोकती है। हरी इलायची के आयुर्वेदिक गुणों की बात करें, तो यह गुर्दों के सुचारु कार्य को प्रोत्साहित करती है।
खराब कोलेस्ट्रॉल को घटाए
वसा घटाने के गुणों के कारण इलायची शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल को घटाने का काम करती है। यह एलडीएल कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स को भी घटाने में मदद करती है।
खाना खजाना / शौर्यपथ /भारत का लोकप्रिय पकवान 'मालपुआ' एक पारंपरिक भारतीय मिठाई है। भगवान भोलेनाथ को इसका भोग लगाने से वे अतिप्रसन्न होते हैं। अमावस्या पर भोलेनाथ को लगाएं मालपूए का भोग...
सामग्री :
1 कप मैदा छना हुआ, 1 कप दूध, 1 चम्मच सौंफ, डेढ़ कप शक्कर, 1 चम्मच नीबू रस, घी (तलने और मोयन के लिए), डेकोरेशन के लिए मेवे की कतरन, 1 चम्मच इलायची पावडर।
विधि :
पहले मैदे में दो बड़े चम्मच घी का मोयन डालें, तत्पश्चात दूध और सौंफ मिलाएं और घोल तैयार कर लें। एक मोटे पेंदे के अलग बर्तन में शक्कर, नीबू रस और तीन-चौथाई कप पानी डालकर चाशनी तैयार कर लें।
एक कड़ाही में घी गर्म करके एक बड़े चम्मच से घोल डालते जाएं और करारा फ्राय होने तक तल लें। फिर चाशनी में डुबोएं और एक अलग बर्तन में रखते जाएं।
इस तरह सभी मालपुए तैयार कर लें और ऊपर से मेवे की कतरन और इलायची बुरका कर अमावस्या पर शंकरजी को मालपूए का भोग लगाएं।
ब्यूटी टिप्स / शौर्यपथ / खूबसूरत दिखने के लिए चेहरे पर अलग तरह के प्रोडक्ट लगाते हैं। कभी ब्रांडेड कंपनी का फाउंडेशन भी लगाया जाता है। लेकिन वह लंबे वक्त तक टिकता नहीं है, तो चेहरा भी काला पड़ने लग जाता है। कई बार क्या गलती होती है समझ नहीं पाते हैं। ऐसा भी हो सकता है कि फाउंडेशन में ऑयल होने की वजह से भी चेहरा काला पड़ने लगता है। तो आइए जानते हैं कैसे चेहरे पर लंबे वक्त तक फाउंडेशन लगाने के बाद चमकता रहे।
- फाउंडेशन के ऑयल को कम करें - जी हां,फाउंडेशन में ऑयल मौजूद होने पर स्किन काली पड़ने लगती है। हालांकि ड्राई स्किन के लिए यह अच्छा होता है। वहीं फाउंडेशन के ऑयल को कम करने के लिए स्टील की प्लेट में निकालें और हल्के हाथ मैश करें। इसके बाद लगाएं। ताकि फाउंडेशन लंबे वक्त तक टिका रहेगा।
-त्वचा के ऑयल को कम करें - अगर आपके चेहरे पर बहुत अधिक तेल आता है तो उसे अच्छे से साफ करें। इसके बाद फाउंडेशन लगाएं ताकि चेहरा काला नहीं पड़ेगा।
- प्राइमर लगाएं - कई बार क्रीम या प्राइमर लगाएं बिना ही फाउंडेशन लगा लेते हैं। लेकिन ऐसे में फाउंडेशन टिकता नहीं है। अगर आपके पास प्राइमर नहीं है तो आप एलोवेरा जेल भी लगा सकते हैं। 5 मिनट उसे सुखने दें। इसके बाद फाउंडेशन लगाएं।
-पाउडर लगाएं - फाउंडेशन लगाने के बाद पाउडर की जरूरत नहीं पड़ती है। लेकिन ऐसी गलती नहीं करें। फाउंडेशन लगाने के बाद पाउडर जरूर लगाएं। वह आपके चेहरे से हल्के रंग का होना चाहिए। पाउडर लगाने से फाउंडेशन लंबे वक्त तक टिका रहता है।
ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ / सुंदर दिखने के लिए त्वचा की नियमित देखभाल करना बहुत जरूरी है। कभी - कभी एक्स्ट्रा केयर करना भी जरूरी होता है। ताकि चेहरे की चमक बरकरार रहे। यह तय होता है कि महीने में एक बार पार्लर जरूर जाते हैं। लेकिन आपने कभी घर पर फेशियल किया है, वो भी वाइन फेशियल अगर नहीं तो आज कोशिश कीजिए। वाइन सेहत के लिए बहुत अच्छी नहीं होती है लेकिन सौंदर्य के लिए जरूर अच्छी होती है। वहीं बालों की समस्या से परेशान है तो बीयर से हेयर वॉश करने पर आराम मिलता है। वाइन का इस्तेमाल फेशियल के लिए किया जाता है। तो आइए जानते हैं वाइन से कैसे फेशियल करें।
स्टेप -1 सबसे पहले अपने चेहरे को साफ कर लें। इसके लिए आप वाइन का ही क्लींजिंग भी बना सकते हैं। एक कटोरी में वाइन लें, इसके बाद उसमें दो बुंद नींबू की मिलाएं। कॉटन की मदद से साफ कर लें।
स्टेप- 2 चेहरे को अच्छे से साफ करने के बाद स्क्रबिंग करें। इसके लिए एक बाउल में वाइन लें और उसमें चावल का पाउडर मिक्स करें। दोनों को मिक्स कर एक गाढ़ा पेस्ट तैयार कर लें। हल्के -हल्के हाथों से चेहरे पर लगाकर सर्कुलर मोशन में घुमाते रहें। इसके बाद 5 मिनट के लिए स्किन पर लगा रहने दें। फिर गीले टॉवेल से चहरे को साफ कर लें।
स्टेप 3 स्क्रबिंग के बाद भाप लेना नहीं भूलें। ताकि चेहरे पर मौजूद ब्लैक और व्हाइट हेड्स आसानी से निकल जाएं। और चेहरा एकदम साफ हो जाएगा। जी हां, चेहरे पर करीब 3
मिनट के लिए भाप जरूर लें। इससे नाक के आसपास और फोरहेड पर जमा डेड स्किन निकल जाएगी।
स्टेप 4 अब आपको लगाना है फेस पैक। जी हां, सबसे पहले एक बाउल में वाइन लें उसमें में 1 चम्मच शहद, दो चम्मच दही मिक्स कर लें। सभी को अच्छे से मिक्स कर लें। और फिर ब्रश की सहायता से लगा लें। 25 मिनट तक के लिए फेस पैक लगा रहने दें। इसके बाद गीले तौलिये से हल्के हाथों से पोंछ लें। इससे आपकी त्वचा एकदम खिल जाएगी।
स्टेप 5 - टोनिंग लगाना नहीं भूलें। जो सबसे जरूरी होता है। फेशियल के बाद कॉटन में गुलाबजल लें और चेहरे पर लगा लें। धीरे - धीरे आपके चेहरे पर निखार आ जाएगा। साथ अलग से ऑयल भी नजर नहीं आएगा।
आस्था / शौर्यपथ / दक्षिण भारत में ओणम का प्रसिद्ध त्योहार हिन्दू कैलेंडर के अनुसार भाद्र माह की शुक्ल त्रयोदशी को मनाया जाता है। जबकि मलयालम कैलेंडर के अनुसार चिंगम माह में यह त्योहार मनाया जाता है जो कि प्रथम माह है। खासकर यह त्योहार हस्त नक्षत्र से शुरू होकर श्रवण नक्षत्र तक चलता है। इस बार यह पर्व 12 अगस्त 2021 से प्रारंभ होकर 23 अगस्त तक लेगा। 21 अगस्त को ओणम का मुख्य पर्व रहेगा। आओ जानते हैं ओणम के बारे में 10 रोचक बातें
1. इस दिन राजा बलि देखने आते हैं अपनी प्रजा को : यह त्योहार किसी देवी-देवता के सम्मान में नहीं बल्की एक दानवीर असुर राजा बलि के सम्मान में मनाया जाता है जिसने विष्णु के अवतार भगवान वामन को 3 पग भूमि दान में दे दी थी और फिर श्री वामन ने उन्हें अमरता का वरदान देकर पाताल लोक का राजा बना दिया था। ऐसी मान्यता है कि अजर-अमर राजा बलि ओणम के दिन अपनी प्रजा को देखने आते हैं। राजा बलि की राजधानी महाबलीपुरम थी।
2. घरों की होती है साफ सफाई : जिस तरह दशहरे में दस दिन पहले रामलीलाओं का आयोजन होता है या दीपावली के पहले घर की रंगाई-पुताई के साथ फूलों से सजावट होती रही है।
3. बनता है फूलों का घर : उसी तरह ओणम से दस दिन पहले घरों को फूलों से सजाने का कार्य चलता रहता है। घर को अच्छे से सजाकर बाहर रंगोली बनाते हैं। खासकर घर में कमरे को साफ करके एक फूल-गृह बनाया जाता है जिसमें गोलाकार रुप में फूल सजाए जाते हैं। प्रतिदिन आठ दिन तक सजावट का यह कार्यक्रम चलता है।
4. राजा बालि की मूर्ति को सजाते हैं : इस दौरान राजा बलि की मिट्टी की बनी त्रिकोणात्मक मूर्ति पर अलग-अलग फूलों से चित्र बनाते हैं। प्रथम दिन फूलों से जितने गोलाकार वृत बनाई जाती हैं दसवें दिन तक उसके दसवें गुने तक गोलाकार में फूलों के वृत रचे जाते हैं।
5. फूलों की सजावट के आसपास उत्सव मनाती हैं महिलाएं : नौवें दिन हर घर में भगवान विष्णु की मूर्ति की पूजा होती है तथा परिवार की महिलाएं इसके इर्द-गिर्द नाचती हुई तालियां बजाती हैं। वामन अवतार के गीत गाते हैं।
6. नौका दौड़, नृत्य और गान : इस दौरान सर्प नौका दौड़ के साथ कथकली नृत्य और गाना भी होता है।
7. रात्रि में गणेश पूजा : रात को गणेशजी और श्रावण देवता की मूर्ति की पूजा होती है। मूर्तियों के सामने मंगलदीप जलाए जाते हैं। पूजा-अर्चना के बाद मूर्ति विसर्जन किया जाता है।
8 बनते हैं कौन से पकवान : इस दौरान पापड़ और केले के चिप्स बनाए जाते हैं। इसके अलावा 'पचड़ी–पचड़ी काल्लम, ओल्लम, दाव, घी, सांभर' भी बनाया जाता है। दूध, नारियल मिलाकर खास तरह की खीर बनाते हैं।
9. अठारह प्रकार के दुग्ध पकवान : कहते हैं कि केरल में अठारह प्रकार के दुग्ध पकवान बनते हैं। इनमें कई प्रकार की दालें जैसे मूंग व चना के आटे का प्रयोग भी विभिन्न व्यंजनों में किया जाता है। भोजन को कदली के पत्तों में परोसा जाता है।
10. थिरुवोनम : ओणम के अंतिम दिन थिरुवोनम होता है। यह मुख्य त्योहार है। इस दिन उत्सव का माहौल होता है।