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जीवनी / शौर्यपथ / 1. रवीन्द्रनाथ ठाकुर कवि, दार्शनिक, चित्रकार जैसी कई कलाओं का संगम थे। टैगोर सिर्फ महान रचनाधर्मी ही नहीं थे, बल्कि वो पहले ऐसे इंसान थे जिन्होंने पूर्वी और पश्चिमी दुनिया के मध्य सेतु बनने का कार्य किया था।
2. रवीन्द्रनाथ टैगोर एक कवि, उपन्यासकार, नाटककार, चित्रकार, और दार्शनिक थे। वह गुरुदेव के नाम से लोकप्रिय थे।
3. रवींद्रनाथ टैगोर या रबीन्द्रनाथ ठाकुर का जन्म 7 मई सन् 1861 को कोलकाता में हुआ था। उनके पिता का नाम देवेंद्रनाथ टैगोर और माता का नाम शारदा देवी था।
4. रवीन्द्रनाथ अपने माता-पिता की तेरहवीं संतान थे।
5. बचपन में उन्हें प्यार से 'रबी' बुलाया जाता था। उन्हें बचपन से ही कविताएं और कहानियां लिखने का शौक था। आठ वर्ष की उम्र में उन्होंने अपनी पहली कविता लिखी, सोलह साल की उम्र में उन्होंने कहानियां और नाटक लिखना प्रारंभ कर दिया था।
6. उनकी स्कूल की पढ़ाई प्रतिष्ठित सेंट जेवियर स्कूल में हुई। टैगोर ने बैरिस्टर बनने की चाहत में 1878 में इंग्लैंड के ब्रिजटोन पब्लिक स्कूल में नाम दर्ज कराया। उन्होंने लंदन कॉलेज विश्वविद्यालय में कानून का अध्ययन किया लेकिन 1880 में बिना डिग्री हासिल किए ही वापस आ गए।
7. 1883 में उनका विवाह मृणालिनी देवी के साथ हुआ। उस समय मृणालिनी देवी सिर्फ 10 वर्ष की थी।
8. अपने जीवन में उन्होंने एक हजार कविताएं, आठ उपन्यास, आठ कहानी संग्रह और विभिन्न विषयों पर अनेक लेख लिखे। इतना ही नहीं रवीन्द्रनाथ टैगोर संगीतप्रेमी थे और उन्होंने अपने जीवन में 2000 से अधिक गीतों की रचना की।
9. रवीन्द्रनाथ टैगोर के लिखे दो गीत आज भारत और बांग्लादेश के राष्ट्रगान हैं। 'जन-गण-मन' और 'आमार शोनार बांग्ला' जन-जन की धड़कन बने हुए हैं। उन्होंने न सिर्फ भारत बल्कि बांग्लादेश और श्रीलंका के लिए भी राष्ट्रगान लिखे।
10. सन् 1901 में टैगोर ने पश्चिम बंगाल के ग्रामीण क्षेत्र में स्थित शांति निकेतन में एक प्रायोगिक विद्यालय की स्थापना की। उन्होंने गुरु-शिष्य परंपरा को नया आयाम दिया। जहां उन्होंने भारत और पश्चिमी परंपराओं के सर्वश्रेष्ठ को मिलाने का प्रयास किया। वह विद्यालय में ही स्थायी रूप से रहने लगे और 1921 में यह विश्व भारती विश्वविद्यालय बन गया।
11. जीवन के 51 वर्षों तक उनकी सारी उपलब्धियां और सफलताएं केवल कोलकाता और उसके आसपास के क्षेत्र तक ही सीमित रही। 51 वर्ष की उम्र में वे अपने बेटे के साथ इंग्लैंड जा रहे थे। समुद्री मार्ग से भारत से इंग्लैंड जाते समय उन्होंने अपने कविता संग्रह गीतांजलि का अंग्रेजी अनुवाद करना प्रारंभ किया। गीतांजलि का अनुवाद करने के पीछे उनका कोई उद्देश्य नहीं था केवल समय काटने के लिए कुछ करने की गरज से उन्होंने गीतांजलि का अनुवाद करना प्रारंभ किया। उन्होंने एक नोटबुक में अपने हाथ से गीतांजलि का अंग्रेजी अनुवाद किया।
12. लंदन में जहाज से उतरते समय उनका पुत्र उस सूटकेस को ही भूल गया जिसमें वह नोटबुक रखी थी। इस ऐतिहासिक कृति की नियति में किसी बंद सूटकेस में लुप्त होना नहीं लिखा था। वह सूटकेस जिस व्यक्ति को मिला उसने स्वयं उस सूटकेस को रवीन्द्रनाथ टैगोर तक अगले ही दिन पहुंचा दिया।
13. लंदन में टैगोर के अंग्रेज मित्र चित्रकार रोथेंस्टिन को जब यह पता चला कि गीतांजलि को स्वयं रवीन्द्रनाथ टैगोर ने अनुवादित किया है तो उन्होंने उसे पढ़ने की इच्छा जाहिर की। गीतांजलि पढ़ने के बाद रोथेंस्टिन उस पर मुग्ध हो गए।
14. उन्होंने अपने मित्र डब्ल्यू.बी. यीट्स को गीतांजलि के बारे में बताया और वहीं नोटबुक उन्हें भी पढ़ने के लिए दी। इसके बाद जो हुआ वह इतिहास है। यीट्स ने स्वयं गीतांजलि के अंग्रेजी के मूल संस्करण का प्रस्तावना लिखा।
15. सितंबर सन् 1912 में गीतांजलि के अंग्रेजी अनुवाद की कुछ सीमित प्रतियां इंडिया सोसायटी के सहयोग से प्रकाशित की गई। लंदन के साहित्यिक गलियारों में इस किताब की खूब सराहना हुई। जल्द ही गीतांजलि के शब्द माधुर्य ने संपूर्ण विश्व को सम्मोहित कर लिया।
16. पहली बार भारतीय मनीषा की झलक पश्चिमी जगत ने देखी। गीतांजलि के प्रकाशित होने के एक साल बाद सन् 1913 में रवीन्द्रनाथ टैगोर को नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
17. उन्हें साहित्य के नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था किंतु इससे पूर्व सन 1915 में अंग्रेज शासन ने उन्हें नाइटहुड की उपाधि से अलंकृत किया। रवीन्द्रनाथ उन दिनों जलियांवाला बाग की दर्दनाक घटना से व्यथित थे। फलस्वरूप उपाधि उन्होंने लौटा दी।
18. रवीन्द्रनाथ टैगोर एशिया के प्रथम व्यक्ति थे, जिन्हें नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
19. गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर केवल भारत के ही नहीं समूचे विश्व के साहित्य, कला और संगीत के एक महान प्रकाश स्तंभ हैं, जो स्तंभ अनंतकाल तक प्रकाशमान रहेगा।
20. स्वामी विवेकानंद के बाद रवीन्द्रनाथ टैगोर दूसरे व्यक्ति थे, जिन्होंने विश्व धर्म संसद को दो बार संबोधित किया।
21. गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर भारतीय साहित्य के उज्ज्वल नक्षत्र हैं। उनका शांत अप्रतिम व्यक्तित्व भारतवासियों के लिए सदैव ही सम्माननीय रहा है। वे न सिर्फ महानतम कवि थे बल्कि चित्रकार, दार्शनिक, संगीतकार एवं नाटककार के विलक्षण गुण भी उनमें मौजूद थे।
22. उनकी प्रमुख रचनाएं गीतांजलि, गोरा एवं घरे बाईरे है। उनकी काव्य रचनाओं में अनूठी ताल और लय ध्वनित होती है। वर्ष 1877 में उनकी रचना 'भिखारिन' खासी चर्चित रही। उन्हें बंगाल का सांस्कृतिक उपदेशक भी कहा जाता है। उनके व्यक्तित्व की छाप बांग्ला लेखन पर ऐसी पड़ी कि तत्कालीन लेखन का स्वरूप ही बदल गया।
23. गुरुदेव का लिखा 'एकला चालो रे' गाना गांधीजी के जीवन का आदर्श बन गया।
24. गुरुदेव का संदेश था 'शिक्षा से ही देश स्वाधीन होगा संग्राम से नहीं'। कहना न होगा कि आज भी यह संदेश कितना प्रासंगिक है।
25. प्रोस्टेट कैंसर के कारण रवीन्द्रनाथ टैगोर का निधन 7 अगस्त, 1941 को कोलकाता हुआ था। टैगोर का लोगों के बीच इतना ज्यादा सम्मान था कि लोग उनकी मौत के बारे में बात नहीं करना चाहते थे। यह भारतीय साहित्य के लिए अभूतपूर्व क्षति थी।
सेहत / शौर्यपथ /एक समय ऐसा भी आता है जब लोग अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करते हैं। उसे हेल्दी बनाने की कोशिश करते हैं। अपने खानपान में बदलाव करते हैं, बॉडी का ध्यान रखते हैं। लेकिन वजन कम करने के लिए महंगे प्रोडक्ट का इस्तेमाल करते हैं। पर बीमारियों का समाधान रसोई घर में ही मौजूद होता है। जीरा खाने में तो तड़का लगाता है लेकिन सेहत के लिहाज से भी फायदेमंद है। तो आइए जानते हैं काले जीरे के फायदे के बारे में -
1. मोटापा कम करें - वजन कम करने में जीरा बेहद सहायक होता है। लेकिन इसके के लिए जीरे का पानी पीना होगा। रात में जीरे को पानी में भिगो दें। इसके बाद उसे सुबह हल्का गर्म कर लें। और छानकर पी लें। दरअसल आपने देखा होगा जीरे का पानी पीला नजर आता है वह एक प्रक्रिया है। उस प्रक्रिया को ऑस्मोसिस प्रक्रिया कहा जाता है। उस पीले पानी में सभी जरूरी पोषक तत्व मिल जाते हैं। जो वजन कम करने में मदद करता है।
2.पीरियड्स में आराम मिलता है - कुछ महिलाओं को पीरियड्स के दौरान हैवी ब्लीडिंग होती है। इस समय में सुबह 1 चम्मच खाली पेट जीरे का सेवन करना चाहिए। फिर दिन में 1 बार और शाम को। पूरे 1 दिन में 3 बार सेवन करना चाहिए। इससे पेट में ठंडक पहुंचती है और ब्लीडिंग में आराम मिलता है।
3. कैंसर को रोके - मेडिकल साइंस के मुताबिक जीरा जिस्म में कैंसर के सेल्स के खतरे को बढ़ने से रोकता है। जानवरों पर की गई रिसर्च में इस बात की पुष्टि की गई। यह कोलन कैंसर को जड़ से खत्म करने की सलाह देता है।
4. कोलेस्ट्रोल करें कम - एक रिपोर्ट के मुताबिक दही में जीर खाने से कोलेस्ट्रोल कम होता है। अगर मरीज को हाईकोलेस्ट्रोल है तो भी मरीजों को सेवन करना चाहिए। इससे शुगर जल्दी कंट्रोल में आएगी।
5. पोषक तत्वों से भरपूर - जीरे में एंटी इंफ्लामेंट्री और एंटी सेप्टिक तत्व मौजूद होते हैं। जिससे शरीर में हो रही सूजन और दर्द को भी कम करने में मदद करता है। इसलिए जीरे का सेवन करते रहना चाहिए।
6. उर्जा का संचार करें - जीरे का सेवन सेहत और सुंदरता दोनों के लिए किया जाता है। इसमें मौजूद तत्वों से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। कमजोरी और थकान भी दूर होती है।
7.सिर दर्द और दांत दर्द में राहत - काले जीरे का तेल अपने माथे पर लगा लें। अधिक सिरदर्द होने पर राहत मिलेगी। वहीं दांत दर्द से परेशान है तो काले जीरे के तेल की कुछ बूंदे पानी में डालकर कुल्ला करें आराम मिलेगा।
8.त्वचा निखारे - चेहरे पर हो रही फुंसियों से परेशान होने परा काले जीरे के पाउडर का लेप बनाकर लगाएं। इसमें मौजूद एंटी बैक्टीरियल गुण संक्रमण से बचने में मदद करेंगे। वहीं चेहरे पर हो
खाना खजाना / शौर्यपथ /हमेशा से ही शिमला मिर्च अपने गहरे हरे रंग के कारण आकर्षण का केंद्र रही है। यह सिर्फ दिखने और स्वाद में ही मजेदार नहीं है, बल्कि इसके सेहत लाभ भी कमाल के हैं। खाने की डिशेज में इसका कई तरह से प्रयोग किया जाता है और खाने का स्वाद बढ़ाया जाता है। शिमला मिर्च बाजार में अलग-अलग रंग जैसे- लाल, पीली, बैंगनी, नारंगी और हरी आदि रंगों में पाई जाती है। इसे अंग्रेजी में कैप्सिकम (Capsicum) और बेल पेपर (Bell Pepper) कहा जाता है। इसकी तासीर गर्म होती है अत: लोग सर्दियों में इसका सेवन ज्यादा करते है।
आप यहां जानिए शिमला मिर्च की 5 लाजबाब डिशेज और 10 कमाल के फायदे-
1. रोस्टेड बेल पेपर सूप
सामग्री :250 ग्राम पीली शिमला मिर्च, 1 लीटर वेजिटेबल स्टॉक,30 मिली. व्हाइट वाइन, 250 ग्राम लाल और 100 ग्राम प्याज, 50 ग्राम सेलरी, 50 ग्राम लीक, 25 ग्राम लहसुन, 50 ग्राम गाजर, 15 मिली. ऑलिव ऑयल, शिमला मिर्च स्टॉक, काली मिर्च पावडर स्वादानुसार, नमक आवश्यकतानुसार।
विधि :सबसे पहले माइक्रोवेव अवन (ओवन) को 180 डिग्री सेंटीग्रेड पर गर्म कर लें। अब शिमला मिर्च पर ऑलिव ऑयल लगाकर 10-12 मिनट तक रोस्ट करें। तत्पश्चात फूड पैन में इसे ढ़क्कन लगाकर कुछ देर के लिए रख दें। अब शिमला मिर्च का छिलका उतारकर बीज निकाल दें। एक तरफ रखें।
कटी हुई लीक सेलरी, प्याज व लहसुन को एक साथ भूनें। फिर शिमला मिर्च डालकर 5-10 मिनट तक दोबारा भूनें। पैन में व्हाइट वाइन डालें। फूड प्रोसेसर में सभी सब्जियां डालकर प्यूरी बनाएं। अब शिमला मिर्च स्टॉक को सूप पॉट में डालकर गर्म करें। फिर इसमें सब्जियों की प्यूरी डालकर मिलाएं। 10-15 मिनट तक पकाएं। अब सूप को गाढ़ा करने के लिए मिलाएं। नमक व कालीमिर्च डालकर चलाएं। लगातार चलाएं ताकि गुठली न बनने पाए। तैयार सूप बाउल में डालकर गरमा-गरम सर्व करें।
2. टेस्टी रवा उपमा
सामग्री :1 कप रवा, 1 बड़ी शिमला मिर्च बारीक कटी हुई, 1 चम्मच सोया आटा, 1 चम्मच मक्के का आटा, 1 चम्मच उड़द दाल, 1 कप गाजर (बारीक कटे हुए), आधा कप मटर के दाने, आधा कप अंकुरित मोठ व चने, नमक, कालीमिर्च स्वादानुसार, तेल 2 चम्मच, राई, हरी मिर्च, मीठा नीम (छौंक के लिए), गार्निश के लिए- हरा धनिया, नारियल का बूरा, 1 चम्मच नींबू का रस, 2 कटे प्याज व 2 कटे टमाटर।
विधि :उड़द दाल को साफ करके एक घंटे के लिए भिगो दें। फिर एक पैन में तेल गरम करें और छौंक की सामग्री डालकर दाल भूनें। तत्पश्चात शिमला मिर्च, गाजर, मटर व मोठ डालकर पकाएं। इसमें रवा, सोया आटा व मक्के का आटा डालकर अच्छी तरह भूनें। अब चने उबाल कर डालें।
साथ ही नमक, कालीमिर्च व नींबू का रस डालें। 5-6 कप गर्म पानी डालकर तब तक चलाएं, जब तक कड़ाही न छोड़ने लगे। अब रवा उपमा पर हरा धनिया, नारियल का बूरा, प्याज, टमाटर डालें और गरमा-गरम रवा उपमा सर्व करें।
3. शिमला मिर्च विद पनीर
सामग्री :250 ग्राम पनीर, 3 बड़ी शिमला मिर्च, 2 बड़े चम्मच गाढ़ा दही, एक चम्मच लहसुन-अदरक का तैयार पेस्ट, 1 से डेढ़ चम्मच लाल मिर्च पावडर, पाव चम्मच काली मिर्च, तेल व नमक स्वादानुसार।
विधि :पनीर लेकर तिकोने आकार में काट कर बड़े-बड़े पीसेस कर लें। अब शिमला मिर्च को लंबी काटकर रख लें। तत्पश्चात दही में सारा मसाला डालकर अच्छी तरह मिला लें। अब इसमें पनीर डालकर आधा घंटा रख छोड़े। अब एक कड़ाही में थोड़ा-सा तेल गरम करके शिमला मिर्च को भूनकर मसाला मिला पनीर मिलाएं। इसे धीमी आंच पर पकाएं और गरमा-गरम रोटी के साथ सर्व करें।
4. स्वादिष्ट मिक्स पुलाव विद भाजी मसाला
सामग्री :1 कटोरी बासमती चावल, 2 गाजर, 2 शिमला मिर्च, 1 टमाटर, 2 प्याज, 2 उबले आलू, थोड़ी सी मटर, 2 चम्मच पावभाजी मसाला, हल्दी, नमक, मिर्च सभी आवश्यकतानुसार, थोड़ा तेल।
विधि :सर्वप्रथम चावल पकाने के बाद उसे एक थाली में फैला दें। पैन में थोड़ा तेल डालकर उसमें प्याज, टमाटर, आलू, शिमला मिर्च, गाजर-मटर (उबले) के छोटे-छोटे टुकड़े कर, डालकर पका लें। उसमें पावभाजी मसाला व आवश्यकतानुसार नमक, हल्दी, मिर्च डाल लें। इसमें पके चावल मिलाएं। एक अच्छी भाप आने के बाद उतारें और परोसें।
5. टेस्टी वेज नूडल्स विद शिमला टेस्ट
सामग्री :1 कप नूडल्स, 2 बड़ी शिमला मिर्च, 1 चम्मच सिरका, 1 टी चम्मच सोया सॉस, 1 चम्मच तेल, 1/2 कप बारीक कटी लंबी सब्जियां- शिमला मिर्च, पत्ता गोभी, गाजर, प्याज और हरा प्याज, 1/2 चम्मच लहसुन बारीक कटी, चुटकी भर अजिनोमोटो, नमक स्वादानुसार।
विधि :सबसे पहले नूडल्स को उबाल कर अलग रख लें। अब एक पैन में तेल गर्म करें। लहसुन, प्याज डालें और 2 मिनिट के लिए भूनें। अब हरी कटी प्याज को छोड़कर सभी सब्जियां डालें। 1 मिनट इन्हें भी भूनें और फिर उबले नूडल्स डालें। ऊपर से अजिनोमोटो, सिरका, सोया सॉस, नमक डालें। सभी को मिक्स करें और हरी कटी प्याज से सजाकर टेस्टी वेज नूडल्स पेश करें।
शिमला मिर्च के 10 फायदे :
1 ताजी हरी शिमला मिर्च में विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन के, फाइबर, कैरोटीनॉइड्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद है।
2 शिमला मिर्च में पाए जाने वाले पोषक तत्व, एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करते है। इसलिए कहा जा सकता है कि त्वचा को स्वस्थ, सुंदर बनाए रखने के लिए शिमला मिर्च का सेवन फायदेमंद साबित हो सकता है।
3 शिमला मिर्च में एंटी ऑक्सीडेंट, एंटीइंफ्लेमेटरी तत्व एवं सल्फर, कैरोटीनॉइड लाइकोपीन की मात्रा भी भरपूर होती है, जिसके कारण यह कैंसर जैसी बीमारी से बचने में भी लाभकारी है।
4 अगर आपके शरीर में आयरन की कमी है, तो इसका सेवन बेहद फायदेमंद है। इसमें मौजूद विटामिन सी आयरन को सोखने में मददगार है। यह आपको एनीमिया से बचाने में भी सहायक होगा।
5 डाइबिटीज कंट्रोल करना चाहते हैं, तब भी शिमला मिर्च आपके लिए मददगार साबित होगी। यह ब्लड शुगर के लिए आवश्यक सही स्तर को बनाए रखती है और डाइबिटीज से आपकी रक्षा करती है।
6. अगर आपके घुटनों व जोड़ों में समस्या है, तो शिमला मिर्च का सेवन करना आपके लिए बेहद लाभकारी होगा। इसके प्रयोग से आर्थराइटिस की समस्या में भी लाभ पाया जा सकता है।
7. शिमला मिर्च एंटी-एजिंग गुण पाए जाते हैं इसीलिए त्वचा में निखार के लिए इसका उपयोग सभी सौंदर्य उत्पाद में एंटी-एजिंग के तौर पर उपयोग किया जाता है।
8. शिमला मिर्च का सेवन रजोनिवृत्ति महिलाओं (महिलाओं में मासिक धर्म का बंद होना) के लिए भी लाभदायक माना जाता है, क्योंकि इसमें मौजूद फ्लेवोनोइड, रजोनिवृत्ति के दौरान होने वाली परेशानियों और उसके लक्षणों को कम करने में सहायक सिद्ध हो सकता है।
9. शिमला मिर्च में एंटी-इंफ्लामेटरी गुण पाए जाते है, जो गठिया रोग में होने वाले दर्द और सूजन को कम करने में सहायक होते है। अत: गठिया रोगियों को शिमला मिर्च का सेवन लाभदायक है।
10. जिस किसी व्यक्ति के शरीर में खून की कमी हो तो उसे पूरा करने के लिए भी शिमला मिर्च का सेवन लाभदायक होता है। एनीमिया रोग से बचाव में शिमला मिर्च में मौजूद आयरन और विटामिन-सी सहायक होता है।
धर्म संसार / शौर्यपथ /महाशिवरात्रि व्रत की कथा-- पूर्व काल में चित्रभानु नामक एक शिकारी था। जानवरों की हत्या करके वह अपने परिवार को पालता था। वह एक साहूकार का कर्जदार था, लेकिन उसका ऋण समय पर न चुका सका। क्रोधित साहूकार ने शिकारी को शिवमठ में बंदी बना लिया। संयोग से उस दिन शिवरात्रि थी। शिकारी ध्यानमग्न होकर शिव-संबंधी धार्मिक बातें सुनता रहा। चतुर्दशी को उसने शिवरात्रि व्रत की कथा भी सुनी।
शाम होते ही साहूकार ने उसे अपने पास बुलाया और ऋण चुकाने के विषय में बात की। शिकारी अगले दिन सारा ऋण लौटा देने का वचन देकर बंधन से छूट गया। अपनी दिनचर्या की भाँति वह जंगल में शिकार के लिए निकला। लेकिन दिनभर बंदी गृह में रहने के कारण भूख-प्यास से व्याकुल था। शिकार खोजता हुआ वह बहुत दूर निकल गया। जब अंधकार हो गया तो उसने विचार किया कि रात जंगल में ही बितानी पड़ेगी। वह वन एक तालाब के किनारे एक बेल के पेड़ पर चढ़ कर रात बीतने का इंतजार करने लगा।
बिल्व वृक्ष के नीचे शिवलिंग था जो बिल्वपत्रों से ढंका हुआ था। शिकारी को उसका पता न चला। पड़ाव बनाते समय उसने जो टहनियां तोड़ीं, वे संयोग से शिवलिंग पर गिरती चली गई। इस प्रकार दिनभर भूखे-प्यासे शिकारी का व्रत भी हो गया और शिवलिंग पर बिल्वपत्र भी चढ़ गए। एक पहर रात्रि बीत जाने पर एक गर्भिणी हिरणी तालाब पर पानी पीने पहुंची।
शिकारी ने धनुष पर तीर चढ़ाकर ज्यों ही प्रत्यंचा खींची, हिरणी बोली, 'मैं गर्भिणी हूं। शीघ्र ही प्रसव करूंगी। तुम एक साथ दो जीवों की हत्या करोगे, जो ठीक नहीं है। मैं बच्चे को जन्म देकर शीघ्र ही तुम्हारे समक्ष प्रस्तुत हो जाऊंगी, तब मार लेना।' शिकारी ने प्रत्यंचा ढीली कर दी और हिरणी जंगली झाड़ियों में लुप्त हो गई। प्रत्यंचा चढ़ाने तथा ढीली करने के वक्त कुछ बिल्व पत्र अनायास ही टूट कर शिवलिंग पर गिर गए। इस प्रकार उससे अनजाने में ही प्रथम प्रहर का पूजन भी सम्पन्न हो गया।
कुछ ही देर बाद एक और हिरणी उधर से निकली। शिकारी की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा। समीप आने पर उसने धनुष पर बाण चढ़ाया। तब उसे देख हिरणी ने विनम्रतापूर्वक निवेदन किया, 'हे शिकारी! मैं थोड़ी देर पहले ऋतु से निवृत्त हुई हूं। कामातुर विरहिणी हूं। अपने प्रिय की खोज में भटक रही हूं। मैं अपने पति से मिलकर शीघ्र ही तुम्हारे पास आ जाऊंगी।' शिकारी ने उसे भी जाने दिया। दो बार शिकार को खोकर उसका माथा ठनका। वह चिंता में पड़ गया। रात्रि का आखिरी पहर बीत रहा था। इस बार भी धनुष से लग कर कुछ बेलपत्र शिवलिंग पर जा गिरे तथा दूसरे प्रहर की पूजन भी सम्पन्न हो गई।
तभी एक अन्य हिरणी अपने बच्चों के साथ उधर से निकली। शिकारी के लिए यह स्वर्णिम अवसर था। उसने धनुष पर तीर चढ़ाने में देर नहीं लगाई। वह तीर छोड़ने ही वाला था कि हिरणी बोली, 'हे शिकारी!' मैं इन बच्चों को इनके पिता के हवाले करके लौट आऊंगी। इस समय मुझे मत मारो। शिकारी हँसा और बोला, सामने आए शिकार को छोड़ दूं, मैं ऐसा मूर्ख नहीं। इससे पहले मैं दो बार अपना शिकार खो चुका हूं। मेरे बच्चे भूख-प्यास से व्यग्र हो रहे होंगे। उत्तर में हिरणी ने फिर कहा, जैसे तुम्हें अपने बच्चों की ममता सता रही है, ठीक वैसे ही मुझे भी। हे शिकारी! मेरा विश्वास करों, मैं इन्हें इनके पिता के पास छोड़कर तुरंत लौटने की प्रतिज्ञा करती हूं।
हिरणी का दीन स्वर सुनकर शिकारी को उस पर दया आ गई। उसने उस मृगी को भी जाने दिया। शिकार के अभाव में तथा भूख-प्यास से व्याकुल शिकारी अनजाने में ही बेल-वृक्ष पर बैठा बेलपत्र तोड़-तोड़कर नीचे फेंकता जा रहा था। पौ फटने को हुई तो एक हृष्ट-पुष्ट मृग उसी रास्ते पर आया। शिकारी ने सोच लिया कि इसका शिकार वह अवश्य करेगा। शिकारी की तनी प्रत्यंचा देखकर मृग विनीत स्वर में बोला, हे शिकारी! यदि तुमने मुझसे पूर्व आने वाली तीन मृगियों तथा छोटे-छोटे बच्चों को मार डाला है, तो मुझे भी मारने में विलंब न करो, ताकि मुझे उनके वियोग में एक क्षण भी दुःख न सहना पड़े। मैं उन हिरणियों का पति हूं। यदि तुमने उन्हें जीवनदान दिया है तो मुझे भी कुछ क्षण का जीवन देने की कृपा करो। मैं उनसे मिलकर तुम्हारे समक्ष उपस्थित हो जाऊंगा।
मृग की बात सुनते ही शिकारी के सामने पूरी रात का घटनाचक्र घूम गया, उसने सारी कथा मृग को सुना दी। तब मृग ने कहा, 'मेरी तीनों पत्नियां
जिस प्रकार प्रतिज्ञाबद्ध होकर गई हैं, मेरी मृत्यु से अपने धर्म का पालन नहीं कर पाएंगी। अतः जैसे तुमने उन्हें विश्वासपात्र मानकर छोड़ा है, वैसे ही मुझे भी जाने दो। मैं उन सबके साथ तुम्हारे सामने शीघ्र ही उपस्थित होता हूं।'
शिकारी ने उसे भी जाने दिया। इस प्रकार प्रात: हो आई। उपवास, रात्रि-जागरण तथा शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ने से अनजाने में ही पर शिवरात्रि की पूजा पूर्ण हो गई। पर अनजाने में ही की हुई पूजन का परिणाम उसे तत्काल मिला। शिकारी का हिंसक हृदय निर्मल हो गया। उसमें भगवद्शक्ति का वास हो गया।
थोड़ी ही देर बाद वह मृग सपरिवार शिकारी के समक्ष उपस्थित हो गया, ताकि वह उनका शिकार कर सके।, किंतु जंगली पशुओं की ऐसी सत्यता, सात्विकता एवं सामूहिक प्रेमभावना देखकर शिकारी को बड़ी ग्लानि हुई। उसने मृग परिवार को जीवनदान दे दिया।
अनजाने में शिवरात्रि के व्रत का पालन करने पर भी शिकारी को मोक्ष की प्राप्ति हुई। जब मृत्यु काल में यमदूत उसके जीव को ले जाने आए तो शिवगणों ने उन्हें वापस भेज दिया तथा शिकारी को शिवलोक ले गए। शिव जी की कृपा से ही अपने इस जन्म में राजा चित्रभानु अपने पिछले जन्म को याद रख पाए तथा महाशिवरात्रि के महत्व को जान कर उसका अगले जन्म में भी पालन कर पाए।
क्या है महाशिवरात्रि की कथा का संदेश
शिकारी की कथानुसार महादेव तो अनजाने में किए गए व्रत का भी फल दे देते हैं। पर वास्तव में महादेव शिकारी की दया भाव से प्रसन्न हुए। अपने परिवार के कष्ट का ध्यान होते हुए भी शिकारी ने मृग परिवार को जाने दिया। यह करुणा ही वस्तुत: उस शिकारी को उन पण्डित एवं पूजारियों से उत्कृष्ट बना देती है जो कि सिर्फ रात्रि जागरण, उपवास एव दूध, दही, एवं बेल-पत्र आदि द्वारा शिव को प्रसन्न कर लेना चाहते हैं। इस कथा में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस कथा में 'अनजाने में हुए पूजन' पर विशेष बल दिया गया है। इसका अर्थ यह नहीं है कि शिव किसी भी प्रकार से किए गए पूजन को स्वीकार कर लेते हैं अथवा भोलेनाथ जाने या अनजाने में हुए पूजन में भेद नहीं कर सकते हैं।
वास्तव में वह शिकारी शिव पूजन नहीं कर रहा था। इसका अर्थ यह भी हुआ कि वह किसी तरह के किसी फल की कामना भी नहीं कर रहा था। उसने मृग परिवार को समय एवं जीवन दान दिया जो कि शिव पूजन के समान है। शिव का अर्थ ही कल्याण होता है। उन निरीह प्राणियों का कल्याण करने के कारण ही वह शिव तत्व को जान पाया तथा उसका शिव से साक्षात्कार हुआ।
परोपकार करने के लिए महाशिवरात्रि का दिवस होना भी आवश्यक नहीं है। पुराण में चार प्रकार के शिवरात्रि पूजन का वर्णन है।मासिक शिवरात्रि, प्रथम आदि शिवरात्रि, तथा महाशिवरात्रि। पुराण वर्णित अंतिम शिवरात्रि है-नित्य शिवरात्रि। वस्तुत: प्रत्येक रात्रि ही 'शिवरात्रि' है अगर हम उन परम कल्याणकारी आशुतोष भगवान में स्वयं को लीन कर दें तथा कल्याण मार्ग का अनुसरण करें, वही शिवरात्रि का सच्चा व्रत है।
आस्था / शौर्यपथ /श्रावण माह की शिवरात्रि का बड़ा महत्व है। सावन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को सावन शिवरात्रि व्रत रखा जाता है। इस बार अंग्रेजी कलैंडर के अनुसार सावन शिवरात्रि व्रत 6 अगस्त 2021, शुक्रवार को है। आओ जानते हैं कि पूजा मुहूर्त, महत्व, मंत्र, कथा, पूजा विधि, पारण का समय।
1. पूजा का मुहूर्त : अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजे से दोपहर 12 बजकर 53:36 तक रहेगा।
2. चतुर्दशी तिथि 6 अगस्त 2021, शुक्रवार को शाम 6 बजकर 28 मिनट से शुरू होगी और 7 अगस्त 2021 की शाम 7 बजकर 11 मिनट तक रहेगी।
3. शिवरात्रि व्रत पारण मुहूर्त- 7 अगस्त की सुबह 5 बजकर 46 मिनट से दोपहर 3 बजकर 45 मिनट तक रहेगा।
4. महत्व : चतुर्दशी (चौदस) के देवता हैं शंकर। इस तिथि में भगवान शंकर की पूजा करने से मनुष्य समस्त ऐश्वर्यों को प्राप्त कर बहुत से पुत्रों एवं प्रभूत धन से संपन्न हो जाता है।
5. मंत्र : ॐ नम: शिवाय नम: या ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥ ॐ तत्पुरुषाय विदमहे, महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।
प्रहर के 4 मंत्र- 'ॐ हीं ईशानाय नम:' 'ॐ हीं अधोराय नम:' 'ॐ हीं वामदेवाय नम:' और 'ॐ हीं सद्योजाताय नम:' मंत्र का जाप करना करें।
6. पूजा सामग्री : भगगवान शिव की पूजा के लिए साफ बर्तन, देसी घी, फूल, पांच प्रकार के फल, पंचमेवा, जल, पंचरस,चंदन, मौली, जनेऊ, पंचमेवा, शहद, पांच तरह की मिठाई, बेलपत्र, धतूरा, भांग के पत्ते, गाय का दूध, चंदन, धूप, कपूर, मां पार्वती की श्रृंगार सामग्री, दीपक, बेर, आदि लेना चाहिए.।
पूजा की विधि :
*शिवरात्रि के व्रत में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है।
*शिवरात्रि के दिन प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें।
*उसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति स्थापित कर उनका जलाभिषेक करें।
*फिर शिवलिंग पर दूध, फूल, धतूरा आदि चढ़ाएं। मंत्रोच्चार सहित शिव को सुपारी, पंच अमृत, नारियल एवं बेल की पत्तियां चढ़ाएं। माता पार्वती जी को सोलह श्रृंगार की चीजें चढ़ाएं।
*इसके बाद उनके समक्ष धूप, तिल के तेल का दीप और अगरबत्ती जलाएं।
*इसके बाद ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।
*पूजा के अंत में शिव चालीसा और शिव आरती का पाठ करें।
*पूजा समाप्त होते ही प्रसाद का वितरण करें।
*शिव पूजा के बाद शिवरात्रि व्रत की कथा सुननी आवश्यक है।
*व्रत करने वाले को दिन में एक बार भोजन करना चाहिए।
*दिन में दो बार (सुबह और सायं) भगवान शिव की प्रार्थना करें।
*संध्याकाल में पूजा समाप्ति के बाद व्रत खोलें और सामान्य भोजन करें।
मनोरंजन / शौर्यपथ / मशहूर टीवी शो 'भाबी जी घर पर हैं' में 'विभूति नारायण' के किरदार में नजर आ रहे एक्टर आसिफ शेख आज घर-घर में जाना-पहचान नाम बन गए हैं। लेकिन इससे पहले 56 वर्षीय असिफ ने काफी लंबा संघर्ष किया है, जिसके बारे में उन्होंने हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में खुलकर बात की है। उन्होंने इस दौरान ये भी कहा कि उन्हें मशहूर फिल्ममेकर डेविड धवन की फिल्में करने का पछतावा है। आसिफ ने इसके पीछे का कारण भी बताया है।
इसलिए है पछतावा
छोटे पर्दे पर पहचान बनाने से पहले आसिफ, बॉलीवुड फिल्मों का भी हिस्सा रहे हैं। उन्होंने राकेश रोशन की फिल्म 'कोयला' में निगेटिव रोल किया था। जिसे लेकर उन्हें जमकर तारीफें भी मिली थीं। वहीं, इसके अलावा उन्होंने डेविड धन की कुछ कॉमेडी फिल्मों में भी किया है। टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू के दौरान आसिफ ने ये बता कर चौंका दिया कि डेविड धवन की फिल्मों में काम करने का उनका अनुभव अच्छा नहीं रहा।
पहले नहीं करना था टीवी पर काम
उन्होंने धवन की फिल्मों को लेकर कहा- 'मैंने डेविड धवन की कुछ फिल्में की हैं लेकिन मुझे उनसे वो माइलेस और फुटेज नहीं मिला जिसकी उम्मीद थी'। इसके अलावा उनका कहना है कि वो टीवी पर कभी डेवी सोप शोज नहीं करना चाहते थे लेकिन आज वो इसे खूब इंजॉय करते हैं। उन्होंने कहा कि कॉमेडी शोज में काफी कुछ एक्सप्लोर करने को मिलता है।
सेहत / शौर्यपथ / केला भारतीय आहार का एक खास हिस्सा है। पूर्व से पश्चिम तक और उत्तर से दक्षिण तक अलग-अलग तरह से केले का सेवन किया जाता है। अगर बात इस मौसम की करें तो हमारी दादी-नानी के जमाने से कच्चे केले की सब्जी, करी और कोफ्ते बरसात के मौसम में बनाने का चलन रहा है। कुछ लोग कच्चे केले को उबाल कर खाते हैं, तो कुछ लोग इसे चिप्स आदि बना कर भी उपवास में खाना पसंद करते हें। पर क्या आप जानती हैं कि कच्चा केला आपको कई स्वास्थ्य समस्याओं से भी बचाता है।
खासतौर से पाचन से जुड़ी समस्याओं से बचाने में कच्चे केले का जवाब नहीं। आज हम कच्चे केले के कुछ स्वास्थ्य लाभों के बारे में जानेंगे।
पोषण का भंडार है कच्चा केला
कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल,डाइटिशियन अदिति शर्मा के अनुसार एक मीडियम कच्चे केले में लगभग 130 कैलोरी,विटामिन बी6 (दैनिक जरूरत का 42.31%),कार्बोहाइड्रेट (26.35% दैनिक जरूरत का), मैंगनीज (दैनिक जरूरत का17.61%),विटामिन सी (दैनिक जरूरत का14.56%) और कॉपर (दैनिक जरूरत का13.00%) होता है। केले का सेवन बहुत से फायदे देता है।
यहां हैं आहार में कच्चा केला शामिल करने के स्वास्थ्य लाभ
1 फाइबर से भरपूर : कच्चा केला फाइबर से भरपूर होता है और फाइबर आपकी गट हेल्थ और आपके पाचन के लिए बहुत अच्छा होता है। यह आपकी पाचन सेहत को सही रखने के साथ साथ आपके हृदय की सेहत को भी ठीक रखता है। अगर आपको कब्ज या दस्त जैसी समस्या है, तो फाइबर का सेवन करना आपके लिए बहुत आवश्यक हो जाता है। इसलिए कच्चे केले का सेवन करना पाचन से जुड़ी समस्याओं के लिए आवश्यक है।
2 आपके हृदय के लिए लाभदायक : पके हुए केले की तरह ही कच्चे केले भी आपको पोटैशियम की बहुत अच्छी मात्रा प्रदान करते हैं। आपको एक कप कच्चे केले में 531 mg पोटेशियम मिलता है। पोटेशियम किडनी फंक्शन के लिए लाभदायक होता है। इसके साथ ही पोटेशियम आपके ब्लड प्रेशर के लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है जिस कारण आपके हृदय की सेहत बढ़िया बनी रहती है।
3 वजन कम करने में लाभदायक : कच्चे केले में बहुत अधिक मात्रा में डाइट्री फाइबर होते हैं। यह पच पाने में ज्यादा समय लेते है जिस कारण आपको अधिक लंबे समय तक भूख ही नहीं लग पाती है। इस कारण आपकी कुछ चटपटा खाने की क्रेविंग भी शांत हो जाती हैं जिससे आप ओवर ईटिंग से बच जाती हैं और इस कारण आपका वजन नियंत्रित रहता है।
4 विटामिन का स्रोत :कच्चे केले को विटामिन्स का पावर हाउस भी कहा जाता है। यह आपको पोटैशियम से अलग भी बहुत सारे विटामिन, मिनरल प्रदान करता है जिनमें से कुछ पौष्टिक तत्त्व विटामिन सी, बी 6 हैं। यह आपको आयरन और फोलेट जैसे विटामिन भी उपलब्ध करवाता है और इन सब विटामिन के अब्जॉर्ब होने में भी लाभदायक होता है।
5 डायबिटीज में भी है लाभदायक : अगर आपको डायबिटीज है तो कच्चा केला आपके लिए लाभदाई है और आप इसे अपनी डाइट में शामिल जरूर कर सकती हैं। इसमें शुगर लेवल भी कम होता है और इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी 30 होता है। जिन चीजों का जीआई 50 से नीचे होता है वह आसानी से पच जाते हैं, आसानी से अब्सोर्ब हो जाते हैं और इससे आपकी ब्लड शुगर लेवल भी नियंत्रित रहती है।
6 पेट की समस्याओं से पाएं छुटकारा : अगर आप कब्ज और इरिटेबल बाउल सिंड्रोम का सामना कर रही हैं तो कच्चा केला आपके लिए बहुत लाभदाई रह सकता है। आप इसे उबाल कर एक चुटकी नमक के साथ खा सकती हैं। इससे आपके पेट की सेहत काफी अच्छी बनी रहती है क्योंकि यह आपके पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है।
तो यह थे हरे केले या कच्चे केले के कुछ स्वास्थ्य लाभ। जब भी आप इसे बाजार में खरीदने जाती हैं, तो केवल ताजे केले ही खरीदें।
सेहत / शौर्यपथ /दालें प्रोटीन से भरपूर होती हैं। वैसे तो हर दाल पोषक तत्वों से भरपूर होती है लेकिन फिर भी अगर आपको प्रोटीन की मात्रा से के साथ कुछ परेशानियों को जड़ से खत्म करना है, तो आप अपनी डाइट में मूंग दाल जरूर जोड़ें। किसी भी रूप में मूंग दाल के सेवन के कई फायदे हैं।
दाल के पोषक तत्त्व
-दालों में सबसे पौष्टिक दाल, मूंग की होती है, इसमें विटामिन ए, बी, सी और ई की भरपूर मात्रा होती है। साथ ही पोटेशियम, आयरन, कैल्शियम की मात्रा भी मूंग में बहुत होती है। इसके सेवन से शरीर में कैलोरी भी बहुत नहीं बढ़ती है। अगर अंकुरित मूंग दाल खाएं तो शरीर में कुल 30 कैलोरी और 1 ग्राम फैट ही पहुंचता है।
-अंकुरित मूंग दाल में मैग्नीशियम, कॉपर, फोलेट, राइबोफ्लेविन, विटामिन, विटामिन सी, फाइबर, पोटेशियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, आयरन, विटामिन बी -6, नियासिन, थायमिन और प्रोटीन होता है।
-मूंग की दाल के स्प्राउट में ग्लूकोज लेवल बहुत कम होता है इस वजह से मधुमेह रोगी इसे खा सकते हैं।
-मूंग की दाल में ऐसे गुण होते हैं, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देते हैं और उसे बीमारियों से लड़ने की ताकत देते हैं। इसमें एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-इंफलामेट्री गुण होते हैं, जो शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाते हैं।
-मूंग की दाल के स्प्राउट में शरीर के टॉक्सिक को निकालने के गुण होते हैं। इसके सेवन से शरीर में विषाक्त तत्वों में कमी आती है।
ऐसे बनाएं हेल्दी मूंग दाल का चीला
रात को मूंग दाल को एक पैन में पानी डालकर रख दें। इसके बाद सुबह इसे छान कर ग्राइंडर में पीस लें। इसके बाद इसमें नमक डालकर अच्छी तरह से मिला लें। अब तवा को गर्म करें। गर्म हो जाने में थोड़ा सा तेल डालकर मूंग दाल के पेस्ट को डालकर अच्छी तरह से फैला लें। इसके बाद इसमें सभी सब्जियां और पनीर डाल दें। इसके बाद इसमें थोड़ा सा घी डालकर दूसरी तरफ भी सेंक लें। इसके बाद इसे प्लेट में निकाल लें। आपका मूंग दाल का चीला बनकर तैयार हैं। इसे हरी या लाल चटनी के साथ गर्मागर्म सर्व करें।
खाना खजाना / शौर्यपथ /कड़वा करेला सभी को पसंद नहीं होता है, लेकिन यह हरी सब्जियों के बीच आकर्षित करने वाला होता है। यह स्वाद में भले ही कड़वा लगता हो, लेकिन इससे होने वाले सेहत के फायदे जरूर मीठे होते हैं। यह खून लकवा रोग, साफ करने, मधुमेह में बेहद असरकारक माना जाता है। आइए यहां जानते हैं करेले की 3 लाजवाब डिशेज और 6 स्वास्थ्य को होने वाले फायदे के बारे में-
1. मजेदार क्रंची करेले
सामग्री : 2 कप पतले गोल स्लाइसेस में कटे हुए करेले, 1 कप पतली लंबी कटी प्याज, 2 चम्मच लाल मिर्च पाउडर, 2 चम्मच जीरा पाउडर, 1 चम्मच अमचूर पाउडर, 1 चम्मच सौंफ दरदरी पिसी हुई, तेल तलने के लिए, नमक व पिसी चीनी स्वादानुसार।
विधि : सबसे पहले करेले के स्लाइसेस 1 चम्मच नमक में मिलाकर 10-15 मिनट तक भिगोए रखें। फिर दोनों हाथों से दबाकर उसका पानी निकाल लें। तेल गरम करके उसमें प्याज लाल कुरकुरी होने तक तल लें। फिर करेले के स्लाइसेस भी कुरकुरे होने तक तल लें। तले हुए प्याज और करेले के गरम स्लाइसेस पर लाल मिर्च, जीरा और सौंफ पाउडर, अमचूर, नमक और पिसी चीनी डालकर अच्छी तरह से मिला दें। अब तैयार क्रंची करेले के ऊपर हरा धनिया बुरकाएं और खाने में स्वादिष्ट क्रंची करेले का आनंद उठाएं।
2. लाजवाब भरवां करेले
सामग्री : 200 ग्राम करेले, 100 ग्राम बेसन, 100 ग्राम प्याज, चुटकीभर हींग, जीरा, लाल मिर्च, सूखा हरा धनिया, हल्दी, नमक, चीनी, नींबू या सत, हरी मिर्च, तेल आवश्यकतानुसार।
विधि : करेले को धोकर ऊपर के छिलके साफ बर्तन में निकालें। एक भाग में चाकू से चीरा लगाकर बीज इत्यादि निकाल कर छिलके के साथ रखें तथा प्याज के टुकड़े को पीसकर एक ओर रख लें। करेले के अंदर के भाग में नमक भरकर 15 मिनट तक रखें व उन्हें धो लें।
अब मसाला तैयार करें। फ्रायपैन में 100 ग्राम तेल डालकर मसाला भून लें। बाद में एक कटोरी में पिसी लाल मिर्च, नमक, पिसा धनिया, चीनी, नींबू, हल्दी को मिला लें तथा भूने हुए मसाले में डाल दें एवं बेसन डाल दें तथा भून लें। करेले के छिलके व बीज इत्यादि इसमें डालकर भूनकर प्लेट में ठंडा कर लें।
अब करेले में मसाले भरें और सफेद धागा लपेट दें ताकि मसाला बाहर न निकले एवं पेन में तेल रखकर गरम करके उसमें भरे हुए करेले डालें तथा थोड़ी देर बाद उसे ढँक कर पका लें। ठंडा होने पर बँधा धागा अलग कर करेलों को हरे धनिए से सजाएँ व सर्व करें।
3. मूंगफली के करेले
सामग्री : 250 ग्राम करेले, आधा कटोरी दाने भुने और पिसे हुए, 1 चम्मच सौंफ, चुटकीभर हींग, 1 चम्मच लाल मिर्च पावडर, पाव चम्मच हल्दी, पाव चम्मच गरम मसाला, चुटकीभर साइट्रिक एसिड, नमक स्वादानुसार, तेल।
विधि : सबसे पहले ताजे करेले लेकर, छीलकर उसमें बीच में चीरा लगाकर उसमें नमक भर दें। अब एक कड़ाही में करेले डूब जाएं इतना पानी लेकर नमक लगे करेले उबाल लें। करेले अच्छी तरह उबल जाने पर चालनी में छान लें और ठंडे होने पर हाथ से अच्छी तरह निचोड़ लें ताकि उसका बचा अतिरिक्त पानी भी निकल जाए।
अब एक प्लेट में उपरोक्तानुसार सारी मसाला सामग्री डालकर मिक्स कर लें। अब करेले में तैयार मिश्रण भरकर उनको छोटे-छोटे पीसेस में काट लें। फिर एक कड़ाही में तेल गर्म करके राई-जीरे और सौंफ का छौंक लगाएं और मसाला भरे हुए करेले कड़ाही में डाल दें। पांच-सात मिनट तक उलट-पुलट करने के बाद बचा मसाला डालकर हिलाएं। 5 मिनट बाद आंच बंद कर दें। तैयार मूंगफली से बने टेस्टी करेले खुद भी खाएं औरों को भी खिलाएं।
जानिए करेले से होने वाले 6 सेहत फायदे
1 पेट में गैस बनने और अपच होने पर करेले के रस का सेवन करना अच्छा होता है, जिससे लंबे समय के लिए यह बीमारी दूर हो जाती है।
2 करेले का जूस पीने से लीवर मजबूत होता है और लीवर की सभी समस्याएं खत्म हो जाती है। प्रतिदिन इसके सेवन से एक सप्ताह में परिणाम प्राप्त होने लगते हैं। इससे पीलिया में भी लाभ मिलता है।
3 करेले में फास्फोरस पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। यह कफ, कब्ज और पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करता है। इसके सेवन से भोजन का पाचन ठीक तरह से होता है, और भूख भी खुलकर लगती है।
4 अस्थमा की शिकायत होने पर करेला बेहद फायदेमंद होता है। दमा रोग में करेले की बगैर मसाले की सब्जी खाने से लाभ मिलता है।
5 करेले की पत्तियों या फल को पानी में उबालकर इसका सेवन करने से, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, और किसी भी प्रकार का संक्रमण हो, ठीक हो जाता है।
6 उल्टी-दस्त या हैजा हो जाने पर करेले के रस में काला नमक मिलाकर पीने से तुरंत आराम मिलता है। जलोदर की समस्या होने पर भी दो चम्मच करेले का रस पानी में मिलाकर पीने से लाभ होता है।
टिप्स ट्रिक्स / शौर्यपथ /महिलाएं हर खास त्योहार पर व्रत रखने के साथ ही हाथों में अपने पिया के नाम की मेहंदी बनाती है। कहते है कि मेहंदी का रंग जितना गहरा हाथों पर चढ़ता है, उतनी ही गहरा पति का प्रेम आपके लिए होता है। तो चलिए, क्यों न हम यह जान ले कि मेहंदी को हाथों में गहरा कैसे रचाया जा सकता है?
आइए, जानते हैं गहरी मेहंदी रचाने के 10 टिप्स-
1. मेहंदी लगाने से पहले हाथों को अच्छी तरह से साफ करें और नीलगिरी या मेहंदी का तेल जरूर लगाएं। यह तेल बाजार में आसानी से उपलब्ध होता है।
2. मेंहदी को आप जितना अधिक समय हाथों में लगाए रख सकते हैं लगाएं, कम से कम 5 घंटे तक मेहंदी उसी तरह लगी रहने दें। उसे निकालें नहीं।
3. मेहंदी जब हल्की-हल्की सूख जाए, तो उसे पर नींबू और शक्कर का मिश्रण लगाएं, ताकि वह सूखने के बाद निकले नहीं। इस मिश्रण का प्रयोग मेहंदी को अपने स्थान पर चिपकाए रखने के लिए होता है।
4. जब भी मेहंदी को अपने हाथ से निकालें, हाथों पर पानी न लगनें दें, अन्यथा मेहंदी का रंग गहरा होने की संभावना कम हो जाएगी।
5. मेहंदी का रंग हल्का होने पर आप इसपर बाम, आयोडेक्स, विक्स या सरसों का तेल लगा लें। यह सभी चीजें हथेली को गर्माहट देती हैं, जिससे मेहंदी का रंग धीरे-धीरे गहरा हो जाता है।
6. आप अगर चाहें तो मेहंदी वाले हाथों पर लौंग का धुंआ भी ले सकते हैं। शादियों में यह तरीका मेहंदी का गहरा करने के लिए अपनाया जाता है। इसके अलावा लोग मेहंदी पर अचार का तेल भी लगाते हैं।
7. मेहंदी का रंग गहरा करने के लिए एक पारंपरिक और व्यवसायिक तरीका है, चूना। जी हां, बगैर पानी लगाए मेहंदी वाली हथेलियों पर चूना रगड़ने से भी मेहंदी का रंग गहरा होता है।
8. मेहंदी का रंग गाढ़ा करने के लिए एक बहुत अच्छा तरीका है, कि जब आप मेहंदी लगवाते हैं उसके बाद उसे हल्का सूखने दें और फिर किसी कंबल या रजाई से मेहंदी को ढंक दें। अगर रात के समय मेहंदी लग रही है, तो सबसे अच्छा तरीका है कि रजाई ओढ़कर सो जाएं। इससे गर्माहट मिलेगी और मेहंदी का रंग गहरा होगा।
9. अगर आप चाहते हैं कि मेहंदी अच्छी तरह से रचे, तो उसे सुखाने की जल्दी कभी न करें। जल्दी सूखने पर मेहंदी जल्दी निकलने भी लगेगी, और रंग भी नहीं चढ़ सकेगा। इसलिए उसे प्राकृतिक तरीके से सूखने दें।
10. किसी भी कार्यक्रम या त्योहार पर कार्यक्रम के लिए मेहंदी लगाते समय ध्यान रखें कि कार्यक्रम से एक या दो दिन पहले ही मेहंदी लगाएं, ताकि उसका रंग सही समय पर गहरा हो जाए।