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आस्था /शौर्यपथ / भगवान श्रीविष्णु की आराधना के लिए श्रेष्ठ कहे जाने वाले अधिकमास का आरंभ प्रथम आश्विन शुक्लपक्ष 18 जुलाई से आरंभ हो रहा है जो द्वितीय अधिक मास आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या 16 अगस्त तक चलेगा।
मंगलवार, 18 जुलाई से अधिक मास शुरू हो जाएगा। इस बार 19 साल बाद सावन महीने में अधिक मास आया है। इसे मलमास और पुरुषोत्तम मास कहा जाता है। इस महीने में भगवान शिव और विष्णु जी की पूजा करें, ग्रंथों का पाठ करें और दान-पुण्य करें। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल मलमास 18 जुलाई से 16 अगस्त तक रहेगा। इन दिनों में कुछ कार्य करने से जहां पुण्य की प्राप्ति होती है, वहीं कुछ कार्यों से परहेज बरतने को भी कहा जाता है। इस बार सावन में अधिकमास है। 19 साल बाद यह विशेष संयोग बना है। 4 जुलाई से सावन महीना शुरू हुआ है और अधिक मास की वजह से ये महीना 31 अगस्त की सुबह तक रहेगा। अधिक मास 18 जुलाई से 16 अगस्त तक है। 17 अगस्त से सावन का शुक्ल पक्ष शुरू होगा। इस माह में भगवान शंकर और भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से लाभ मिलेगा। अधिक मास में शालीग्राम भगवान की उपासना से भी विशेष लाभ मिलता है। इसलिए हर दिन शालीग्राम भगवान के समक्ष घी का दीपक प्रज्वलित करें। मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।अधिक मास में श्रीमद्भागवत गीता के 14वें अध्याय का नियमित रूप से पाठ करें। माना जाता है कि ऐसा करने से कार्यक्षेत्र में उत्पन्न हो रही परेशानियां दूर हो जाती है।
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि भगवान श्रीविष्णु की आराधना के लिए श्रेष्ठ कहे जाने वाले अधिकमास का आरंभ प्रथम आश्विन शुक्लपक्ष 18 जुलाई से आरंभ हो रहा है जो द्वितीय अधिक मास आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या 16 अगस्त तक चलेगा। मलमास को अधिक मास या पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है। इस मास में प्राणी श्रीहरि विष्णु की आराधना करके अपने जीवन में आने वाली सभी विषम परिस्थितियों, समस्याओं, कार्य बाधाओं, व्यापार में अत्यधिक नुकसान आदि से संकटों से मुक्ति पा सकता है। विद्यार्थियों अथवा प्रतियोगी छात्रों को भी इनकी आराधना से पढ़ाई अथवा परीक्षा में आ रही बाधाओं से छुटकारा मिल सकता है।
सावन में इस बार भगवान शिव की पूजा के साथ ही भगवान विष्णु की पूजा का महत्व भी बताया जा रहा है। दरअसल इस बार सावन मास के बीच में मलमास यानी कि अधिक मास भी लग रहा है। इसे पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। इस महीने में भगवान पुरुषोत्तम यानी कि विष्णुजी की पूजा का विशेष महत्व होता है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार हर तीन साल पर अधिकमास यानी मलमास आते हैं।
श्रीहरि को प्रिय है अधिकमास
इस मास की गिनती मुख्य महीनों में नहीं होती है। ऐसी कथा है कि जब महीनों के नाम का बंटवारा हो रहा था तब अधिकमास उदास और दुखी था। क्योंकि उसे दुख था कि लोग उसे अपवित्र मानेंगे। ऐसे समय में भगवान विष्णु ने कहा कि अधिकमास तुम मुझे अत्यंत प्रिय रहोगे और तुम्हारा एक नाम पुरुषोत्तम मास होगा जो मेरा ही एक नाम है। इस महीने का स्वामी मैं रहूंगा। उस समय भगवान ने यह कहा था कि इस महीने की गिनती अन्य 12 महीनों से अलग है इसलिए इस महीने में लौकिक कार्य भी मंगलप्रद नहीं होंगे। लेकिन कुछ ऐसे कार्य हैं जिन्हें इस महीने में किए जाना बहुत ही शुभ फलदायी होगा और उन कार्यों का संबंध मुझसे होगा।
नहीं होंगे शुभ कार्य
अधिकमास यानी मलमास में विवाह जैसे कई कार्यों पर रोक रहती है। इसके अलावा नया व्यवसाय भी शुरू नहीं किया जाता। इस मास में कर्णवेध, मुंडन आदि कार्य भी वर्जित माने जाते हैं। इस बार मलमास के कारण सावन दो महीने तक रहेगा। यह संयोग 19 साल बाद आ रहा है। ऐसे में दो महीने तक भोले की भक्ति विशेष फलदायी रहेगी। सूर्य और चंद्र वर्ष के बीच के अंतराल को मलमास संतुलित करता है। इस मास में शुभ कार्यों को वर्जित माना गया है। ऐसे में गृह प्रवेश, मुंडन जैसे शुभ कार्य नहीं होंगे।
13वां महीना होगा मलमास
इस साल पंचांग गणना के अनुसार मलमास लग रहा है जिसे पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं। संयोग ऐसा बना है कि मलमास सावन महीना में लगा है। जिससे अबकी बार सावन का महीना एक 59 दिनों का होगा। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि दो महीना इस साल सावन का माना जाएगा। ऐसे में पहला सावन का महीना जो मलमास होगा उसमें सावन से संबंधित शुभ काम नहीं किए जाएंगे। दूसरे सावन के महीने में यानी शुद्ध सावन मास में सभी धार्मिक और शुभ काम किए जाएंगे।
कब से कब तक होगा मलमास
इस साल 18 जुलाई से अधिकमास यानी मलमास का आरंभ हो जाएगा और फिर 16 अगस्त को मलमास समाप्त होगा। अच्छी बात यह है कि मलमास लगने से पूर्व ही सावन की शिवरात्रि 15 जुलाई को समाप्त हो जाएगी लेकिन रक्षाबंधन के लिए करना होगा लंबा इतंजार। सामान्य तौर पर सावन शिवरात्रि के 15 दिन बाद ही रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है लेकिन मलमास लग जाने से सावन शिवरात्रि और रक्षाबंधन में 46 दिनों का अंतर आ गया है।
सत्यनारायण भगवान की पूजा
अधिकमास में श्रीहरि यानी भगवान विष्णु की पूजा करना सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। इसलिए अधिकमास में वैसे तो सभी प्रकार के शुभ कार्यों की मनाही होती हैए लेकिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करना सबसे शुभफलदायी माना जाता है। अधिकमास में विष्णुजी की पूजा करने से माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं और आपके घर में धन वैभव के साथ सुख और समृद्धि आती है।
महामृत्युंजय मंत्र का जप
अधिकमास में ग्रह दोष की शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप करना सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। बेहतर होगा कि आप किसी पुरोहित से संकल्प करवाकर महामृत्युंजय मंत्र का जप करवाएं। यदि कोरोनाकाल में ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है तो आप खुद से ही अपने घर में महामृत्युंजय मंत्र का जप करवाएं। ऐसा करने से आपके घर से सभी प्रकार के दोष समाप्त होंगे और आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ेगा।
यज्ञ और अनुष्ठान
अगर आप काफी समय से अपनी किसी मनोकामना को लेकर यज्ञ या अनुष्ठान करवाने के बारे में सोच रहे हैं तो अधिकमास का समय इस कार्य के लिए सर्वश्रेष्ठ है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अधिकमास में करवाए जाने वाले यज्ञ और अनुष्ठान पूर्णत: फलित होते हैं और भगवान अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
ब्रजभूमि की यात्रा
पुराणों में बताया गया है कि अधिकमास में भगवान विष्णु और उनके सभी अवतारों की पूजा करना सबसे उत्तम माना जाता है। अधिकमास के इन 30 दिनों में अक्सर लोग ब्रज क्षेत्र की यात्रा पर चले जाते हैं। हालांकि इस वक्त कोरोनाकाल में ब्रजभूमि की यात्रा करना थोड़ा मुश्किल भरा हो सकता है। इसलिए बेहतर होगा कि आप अपने घर में भगवान राम और कृष्ण की पूजा करें। इससे उत्तम फल की प्राप्ति होगी।
अधिकमास का महत्व
परमेश्वर श्रीविष्णु द्वारा वरदान प्राप्त मलमास अथवा पुरुषोत्तम मास की अवधि के मध्य श्रीमद्भागवत का पाठ, कथा का श्रवण, श्रीविष्णु सहस्त्रनाम, श्री राम रक्षास्तोत्र, पुरुष सूक्त का पाठ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॐ नमो नारायणाय जैसे मंत्रों का जप करके मनुष्य श्री हरि की कृपा का पात्र बनता है। मास में निष्काम भाव से किए गए जप-तप पूजा-पाठ ,दान-पुण्य, अनुष्ठान आदि का महत्व सर्वाधिक रहता है। परमार्थ सेवा, असहाय लोगों की मदद करना, बुजुर्गों की सेवा करना, वृद्ध आश्रम में अन्न वस्त्र का दान करना, विद्यार्थियों को पुस्तक का दान कथा संत महात्माओं को धार्मिक ग्रंथों का दान करना, सर्दियों के लिए ऊनी वस्त्र कंबल आदि का दान करना सर्वश्रेष्ठ फलदाई माना गया है। इस मास में किए गए जप-तप, दान पुण्य का लाभ जन्म जन्मांतर तक दान करने वाले के साथ रहता है। लगभग तीन वर्षों के अंतराल में पढ़ने वाले इस महापर्व का भरपूर लाभ उठाना चाहिए। जिस चन्द्रवर्ष में सूर्य संक्रांति नहीं पड़ती उसे मलमास कहा गया है जिसका सीधा संबंध सूर्य और चंद्रमा की गति के आधार पर निर्धारित होता है।
दान का खास महत्व
अधिक मास में जरूरतमंद लोगों को अनाज, धन, जूते-चप्पल और कपड़ों का दान करना चाहिए। अभी बारिश का समय है तो इन दिनों में छाते का दान भी कर सकते हैं। किसी मंदिर में शिव जी से जुड़ी चीजें जैसे चंदन, अबीर, गुलाल, हार-फूल, बिल्व पत्र, दूध, दही, घी, जनेऊ आदि का दान कर सकते हैं।
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /सावन माह की अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहा जाता है। वहीं जब सावन में अमावस्या तिथि सोमवार को पड़ती है, तो इसे सोमवती अमावस्या भी कहते हैं। इस दिन महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए पूजा और व्रत करती हैं।
श्रावण मास की अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहते हैं। इस साल 17 जुलाई 2023 को हरियाली अमावस्या मनाई जा रही है। सोमवार का दिन होने से इसे सोमवती अमावस्या भी कहा जाता है। जब अमावस्या की तिथि सोमवार को पड़ती है, तो इसे धार्मिक दृष्टि से बेहद शुभ माना जाता है। बता दें कि इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के साथ पूजा और व्रत रखती हैं। शास्त्रों के मुताबिक इस दिन पौधे लगाने का खास महत्व बताया गया है।
मान्यता के अनुसार, हर व्यक्ति को इस दिन कम से कम 5 पौधे जरूर लगाने चाहिए। इस उपाय को करने से कालसर्पदोष, पितृ दोष और शनि दोष के प्रभाव को कम करता है। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको हरियाली अमावस्या के शुभ मुहूर्त, महत्व और उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं।
हरियाली अमावस्या का शुभ मुहूर्त
हरियाली अमावस्या तिथि की शुरूआत: 16 जुलाई 2023 को हरियाली अमावस्या की शुरूआत रात 10:08 मिनट पर होगी।
हरियाली अमावस्या तिथि की समाप्ति: 17 जुलाई को सुबह 12:01 मिनट पर होगी।
उदया तिथि के हिसाब से हरियाली अमावस्या 17 जुलाई यानी की आज मनाई जा रही है।
हरियाली अमावस्या का महत्व
हरियाली अमावस्या के दिन पूजापाठ और दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है। इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान पुण्य करने से पितर प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। वहीं महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत भी रखती हैं। हरियाली अमावस्या के दिन तुलसी और पीपल के पेड़ की पूजा करने से सुख-समृद्धि बढ़ती है। वहीं विधि-विधान से पूजा पाठ करने से आर्थिक संपन्नता बढ़ती है।
पूजन विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर साफ चौकी पर एक लाल कपड़ा बिछा लें। इसके बाद चौकी पर भगवान शंकर और मां पार्वती की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें। फिर भोलेनाथ को भांग, धतूरा और बेलपत्र अर्पित करें और मां पार्वती को सुहाग का सामान अर्पित करें। वहीं व्रत के अगले दिन यह सारा सामान किसी जरूरतमंद महिला को दे दें।
जरूर करें ये उपाय
हरियाली अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है। इस दिन पीपल पेड़ के नीचे तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए और दीपक में भी थोड़े से काले तिल डालें।
इसके अलावा एक सफेद कपड़े में नारियल को बांधकर उसमें थोड़े से चावल और 11 रुपए रख दें। इसके बाद इसे अपने सिर से लेकर पैर तक सात बार उतार कर घर के किसी ऐसे कोने में रख दें। जहां पर बाहरी किसी व्यक्ति की नजर इस पर न पड़े। ऐसा करने से घर में कभी धन की कमी नहीं होगी।
हरियाली अमावस्या के मौके पर गाय को खीर और रोटी खिलाएं। वहीं कुत्ते को तेल से चुपड़ी रोटी खिलाएं। ऐसा करने से हर संकंट से आप बचे रहेंगे और पितरों की कृपा आपके ऊपर बनी रहेगी।
तांबे के लोटे में गुलाब का फूल और काले तिल डालकर पीपल के पेड़ पर अर्पित करें। इससे आर्थिक संकंट की स्थिति नहीं बनेगी।
ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ / बालों को चमकदार और स्मूद बनाने के लिए बहुत से लोग मेहनत करते हैं. कई प्रयासों के बावजूद भी लोग लोग बालों को चिकना और शाइनी बना पाने में सफल नहीं होते हैं. हालांकि कि कुछ घरेलू नुस्खे हैं जो बालों को हेल्दी और स्ट्रॉन्ग बनाए रखने में मदद कर सकते हैं. सीबम बालों को चिकनाई और हाइड्रेट करने में भी मदद करता है. कई लाफस्टाइल कारक बालों के बेजान होने का कारण बन सकते हैं, लेकिन आपको बता दें अपने बालों की चमक वापस लाने के लिए कुछ घरेलू उपचार हैं जो काफी कारगर साबित हो सकते हैं. बालों को चमकदार बनाने के घरेलू उपचार जानने के लिए यहां पढ़ें.
चमकदार और चिकने बालों के घरेलू उपाय | Home remedies for shiny and smooth hair
1. अंडे का मास्क लगाएं
अंडे की जर्दी आपके बालों के को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है. अंडे का मास्क सबसे ज्यादा उपयोग किए जाने वाले घरेलू उपचारों में से एक है और चमकदार, चिकने बाल पाने के लिए इसका उपयोग कारगर माना जाता है.
अंडे की जर्दी में पेप्टाइड्स होते हैं और बालों की ग्रोथ को बेहतर बनाने में मदद करते हैं. इसके अलावा अंडे की फैटी एसिड सामग्री बालों को पोषण और मॉइस्चराइज करने में मदद करती है, जिससे वे चमकदार बनते हैं.
इस तरह से करें इस्तेमाल
2 अंडे और आधा कप दही या शहद के साथ 2 बड़े चम्मच नारियल, जैतून या विटामिन ई तेल मिलाएं. अगर आपके पास अंडे नहीं हैं तो आप एग बेस्ड मेयोनेज का भी उपयोग कर सकते हैं.
अपने बालों को गीला करें और इस मिश्रण से स्कैल्प और बालों पर मालिश करें.
30 मिनट के बाद ठंडे पानी से धो लें और अपने बालों को हमेशा की तरह शैम्पू कर लें.
2. अपने बालों में तेल लगाएं
बालों में चमक वापस लाने के लिए डेली तेल लगाना उपयोगी है. कई तेल असरदार हो सकते हैं, जिनमें नारियल, मोरक्कन आर्गन, ऑलिव ऑयल, जोजोबा, सूरजमुखी, बादाम और एवोकैडो तेल शामिल हैं. इन तेलों में हाई फैटी एसिड होता है जो ड्राई हेयर को मॉइस्चराइज करने में मदद कर सकती है.
उपयोग करने का तरीका
किसी भी तेल को हल्का गर्म करें और अपने बालों और स्कैल्प पर मालिश करें. इसे रात भर के लिए छोड़ दें या 30 मिनट बाद अपने बालों को शैम्पू कर लें.
अपने कंडीशनर में कोई भी तेल मिलाएं और उपयोग करें.
3. अपने बालों को कॉफी से धोएं
कॉफी के उपयोग से हेयर हेल्थ और ग्रोथ को बढ़ावा मिल सकता है. माना जाता है कि कॉफी में मौजूद पॉलीफेनोल्स और बायोफ्लेवोनॉइड्स आपके बालों को चिकना, चमकदार और मुलायम बनाने में मदद करते हैं. इसके अलावा कॉफी बालों को मॉइस्चराइज करने और बालों के रोम में ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करने में मदद कर सकती है.
इस तरह से करें इस्तेमाल
ठंडी कॉफी से गीले बालों की मालिश करें और धोने से पहले इसे 15 मिनट तक लगा रहने दें.
ब्रू की हुई कॉफी को अपने लीव-इन कंडीशनर के साथ मिलाएं और उपयोग करें.
4. एवोकाडो का इस्तेमाल करें
बालों को हेल्दी, चमकदार और मजबूत बनाने में एवोकैडो काफी फायदेमंद माना जाता है. माना जाता है कि एवोकाडो में मौजूद विटामिन और फैटी एसिड बालों को चमक प्रदान करते हैं और उन्हें हेल्दी बनाते हैं.
ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ / वैसे तो हर ड्राई फ्रूट सेहत के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन मखाने में मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड, एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन-ए और जिंक जैसे पोषक तत्व स्किन के लिए काफी कारगर साबित होते हैं. ये कील मुंहासे, पिंपल के दाग-धब्बे कम करने में मदद करता है. इसके साथ ही यह स्किन को टाइट बनाए रखता है, जिसके चलते स्किन जवां और खूबसूरत लगती है. यही वजह है कि, स्किन स्पेशलिस्ट इस सूखे मेवे को डेली रूटीन में शामिल करने की सलाह देते हैं. अगर आप हर रोज केवल एक मुट्ठी मखाना भी खा लेते हैं, तो ना सिर्फ ये आपकी त्वचा को स्वस्थ बनाए रखने का काम करेगा, बल्कि नाखून और बाल की भी चमक बरकरार रखने में मदद करेगा.
मखाने की विशेषता और फायदे
1- आपको बता दें कि प्रति 100 ग्राम मखाने में 9.7 ग्राम प्रोटीन और 14.5 ग्राम फाइबर होता है. वहीं, मखाने में पानी, एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-एजिंग गुण, फाइबर, विटामिन और खनिज भी शामिल हैं.
2- त्वचा को उम्र से पहले या फिर बढ़ती उम्र में झुर्रियों और फाइन से बचाने के लिए एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर सूपरफूड मखाने को डाइट में जरूर शामिल कर लेना चाहिए. यह फ्री रेडिकल्स को हटाकर स्किन को हेल्दी बनाए रखने का काम करते हैं.
3- झुर्रियां आपकी खूबसूरती पर पर्दा डालने का काम करती हैं, ऐसे में मखाने में पाया जाने वाला केम्पफेरोल नाम का रसायन स्किन में कसाव लाने, रोम छिद्रों को कसने और काले दाग-धब्बों को हल्का करने का काम बखूबी करता है.
4- ग्लूटामाइन, सिस्टीन, आर्जिनिन और मेथिओनिन जैसे एंटी-एजिंग गुणों के कारण मखाने को अपने आहार का हिस्सा जरूर बनाइए. ग्लूटामाइन प्रोलाइन का उत्पादन करता है, जो कोलेजन में पाया जाने वाला एक अमीनो एसिड होता है जो आपकी त्वचा को जवां बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है.
सेहत /शौर्यपथ / बढ़ता वजन अक्सर ही मुसीबत का सबब बन जाता है. ज्यादातर लोगों की कोशिश होती है कि उनका खानपान बैलेंस्ड रहे जिससे वेट मैनेज होने में भी मदद मिल सके. लेकिन, अक्सर ही व्यक्ति जाने-अनजाने में ऐसी चीजें खाने-पीने लगता है जो वजन सामान्य रखने के बजाय मोटापा तेजी से बढ़ाने लगती हैं. लोग ज्यादातर रात के समय डिनर में इन चीजों को खाते हैं. कहते हैं डिनर हल्का लेकिन पोषक तत्वों से भरपूर होना चाहिए जिससे वजन कम करने में मदद मिल सके. लेकिन, डिनर में भारी और फैट बढ़ाने वाले फूड्स शामिल किए जाएं तो पेट निकलना शुरू हो जाता है और मोटापा घेरने लगता है. यहां ऐसी ही कई डिनर से जुड़ी वेट लॉस मिस्टेक्स के बारे में बताया जा रहा है जिनसे परहेज करना जरूरी है.
डिनर में वजन घटाने से जुड़ी गलतियां
एक ही जैसा खाना
कई बार लोग एक ही तरह की चीजें रोजाना खाने लगता है. इससे शुरूआत में तो वजन कम हो सकता है लेकिन यह मोनोटोनस डाइट यानी एक ही तरह की डाइट वजन घटाने के बजाय वजन बढ़ाने का काम भी कर सकती है चाहे फिर वो दाल चावल हो या रोज-रोज एक ही तरह की सब्जी. इसीलिए वजन घटाने के लिए अलग-अलग तरह की चीजें खाने की सलाह दी जाती है.
जरूरत से ज्यादा मीठा
आपने अक्सर ही सुना होगा कि खाने के बाद कुछ मीठा हो जाए या फिर जबतक मीठा ना खा लिया जाए खाना पूरा कहां होता है वगैरह. लेकिन, जरूरत से ज्यादा मीठा आपके वजन को बढ़ाने (Weight Gain) की मुख्य वजह हो सकता है. इसीलिए रात के खाने के पहले या बाद में जरूरी नहीं कि आपको रोज ही आइस्क्रीम, केक, मिठाई या अन्य मीठी चीजें खानी चाहिएं. कभी-कभार खाने के लिए ही इन चीजों को सीमित रखा जा सकता है.
जंक फूड खाना
डिनर में जंक फूड चाहे बाहर से लाकर खाया जाए या घर में बनाया जाए वो रहता जंक फूड ही है. अगर आप भी कभी रात में नूडल्स तो कभी चीज सैंडविच या पास्ता का मजा उठाते हैं तो अपने वजन को बढ़ाने का काम कर रहे हैं. इन चीजों का सेवन सीमित मात्रा में और कभी-कभी ही करने में समझदारी है.
पोर्शन कंट्रोल पर ध्यान ना देना
रात में आप रोटी, सब्जी, दलिया, खिचड़ी या फिर राजमा-चावल घर पर बनाकर खाते हैं तो इसका यह मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि आपका वजन नहीं बढ़ सकता. किसी भी चीज को ठूस-ठूस कर खाया जाए तो वजन में इजाफा हो सकता है. इसीलिए पोर्शन कंट्रोल करने की जरूरत होती है. जो कुछ खा रहे हैं उसे पेट भरने लायक खाइए जबरदस्ती जरूरत से ज्यादा नहीं.
आस्था /शौर्यपथ /रुद्राक्ष को धारण करने के लिए हमेशा आप लाल धागे का प्रयोग करें, और उसमें रुद्राक्ष नीचे हृदय तक संपर्क में रहना चाहिए। वहीं धारण करने से पूर्व भगवान शिव के चरणों में इसे अर्पित करना ना भूलें। जब भी आप रुद्राक्ष पहनें, तो भगवान शंकर का नाम लें, और उनकी आराधना करते हुए उनके चरणों में अर्पित करके ही रुद्राक्ष पहनें।
रुद्राक्ष का सम्बन्ध भगवान शंकर के तीसरे नेत्र से माना जाता है।
हमारे धर्म ग्रंथो में वर्णित है कि भगवान शंकर के अश्रु से रुद्राक्ष बना हुआ है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान शंकर सदियों से कठोर तपस्या कर रहे थे, और उन्होंने जब तपस्या के बाद अपनी ऑंखें खोलीं, तब उनकी आंखों से आंसू निकला, और उन्हीं आंसुओं से रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई, इसलिए भगवान शंकर के अंश से उत्पन्न रुद्राक्ष को पूज्य और सम्माननीय माना जाता है।
हिंदू धर्म शास्त्रों में रुद्राक्ष की मान्यता के सन्दर्भ में ऐसा माना जाता है कि इसको धारण करने से भगवान शंकर न केवल प्रसन्न होते हैं, बल्कि तमाम तरह के रोग एवं ग्रह दोष दूर करने में भी इसका उतना ही महत्त्व है।
सावन के महीने में रुद्राक्ष धारण करने की अपनी विशेष महत्ता बतलाई जाती है, किंतु रुद्राक्ष आप यूं ही धारण न कर लीजिए। यह कोई सामान्य वस्तु नहीं है, जो आप बिना सोचे समझे धारण कर लें। इसके लिए कुछ नियम बनाए गए हैं, जो आपको अवश्य जानना-समझना चाहिए।
आईये जानते हैं रुद्राक्ष को धारण करने से सम्बंधित नियम!
रुद्राक्ष को सबसे पहले अपने हृदय पर, गले में और हाथों में धारण करना चाहिए। अगर आप हाथ की कलाई पर रुद्राक्ष पहनते हैं, तो उसमें 12 रुद्राक्ष के दाने होने चाहिए। वहीं अगर गले में पहनते हैं, तो 36 और हृदय पर पहनते हैं, तो 108 रुद्राक्ष के दानों को धारण करना चाहिए। रुद्राक्ष का अगर सिर्फ एक दाना आप धारण करना चाहते हैं, तो वह हृदय तक पहुंचना चाहिए।
ऐसा ध्यान रखें कि रुद्राक्ष को धारण करने के लिए हमेशा आप लाल धागे का प्रयोग करें, और उसमें रुद्राक्ष नीचे हृदय तक संपर्क में रहना चाहिए। वहीं धारण करने से पूर्व भगवान शिव के चरणों में इसे अर्पित करना ना भूलें। जब भी आप रुद्राक्ष पहनें, तो भगवान शंकर का नाम लें, और उनकी आराधना करते हुए उनके चरणों में अर्पित करके ही रुद्राक्ष पहनें।
सबसे अहम् बात यह है कि रुद्राक्ष पहनने वालों को मांस-मदिरा का सेवन करना वर्जित माना गया है। जिसने रुद्राक्ष धारण किया हुआ है, उसके लिए सात्विक भोजन सर्वोत्तम है। रुद्राक्ष धारण करने के लिए जैसा कि बताया गया है कि सावन महीने की शिवरात्रि की तिथि सर्वोत्तम है, और इसमें भी सोमवार या प्रदोष के दिन इसको धारण करें।
रुद्राक्ष अपने स्वरूप के आधार पर कई तरह के पाए जाते हैं। इसमें एक मुखी रुद्राक्ष ,दो मुखी रुद्राक्ष, 3 मुखी एवं चार मुखी रुद्राक्ष प्रमुख हैं। इतना ही नहीं, कई बार बहु मुखी रुद्राक्ष भी आपने देखा होगा। सबसे बेहतर यह होगा कि आप ज्योतिष के अनुसार अपने लिए उचित रुद्राक्ष धारण करें।
यहाँ एक बात आप से जरूर कहना चाहेंगे कि रुद्राक्ष के धार्मिक और वास्तु के प्रभाव अपनी जगह हैं, लेकिन मनोवैज्ञानिक रूप से भी जब आप किसी दोष को दूर करने के लिए या किसी लाभ को प्राप्त करने के लिए कोई वस्तु धारण करते हैं, तो आपको वह वस्तु बराबर याद दिलाती है, और कहीं ना कहीं मनोवैज्ञानिक रूप से भी आपको फायदा मिलता है।
आस्था /शौर्यपथ /आषाढ़ माह की समाप्ति के बाद भगवान शिव की प्रिय महीना सावन शुरू हो जाता है। सावन माह का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है। सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति की सभी परेशानियां दूर होती हैं।
भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए सबसे उपयुक्त महीना सावन होता है। यह भगवान शिव का सबसे प्रिय माह है। सावन के हर सोमवार को भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। विधि-विधान से महादेव की पूजा करने से जातक के सभी रोग, दोष और कष्ट दूर होते हैं। बता दें कि इस साल 4 जुलाई 2023 से सावन माह की शुरूआत हुई है। सावन महीने में कांवड़ यात्रा का भी आयोजन किया जाता है।
शास्त्रों में भगवान शिव की पूजा के कुछ विशेष नियमों के बारे में बताया गया है। हालांकि भगवान शिव अपने भक्तों से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। इसी कारण से उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है। लेकिन सावन में महादेव की उपासना के दौरान इन नियमों का पालन करने से व्यक्ति की लाभ प्राप्त होता है। साथ ही शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि महादेव की पूजा-अर्चना के दौरान उन्हें क्या अर्पित नहीं करना चाहिए। इन चीजों को अर्पित करने से भगवान भोलेनाथ आपसे प्रसन्न होने की जगह नाराज भी हो सकते हैं।
सावन में भूलकर भी न अर्पित करें ये चीजें
शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव की पूजा के दौरान केतकी का फूल भूलकर भी नहीं चढ़ाना चाहिए। इसके अलावा कनेर और कमल का पुष्प भी नहीं अर्पित करना चाहिए। बता दें कि भोलेनाथ को श्वेत रंग अधिक प्रिय है। इसलिए उन्हें श्वेत रंग के पुष्प चढ़ाने चाहिए।
भगवान भोलेनाथ को हल्दी भी नहीं अर्पित करना चाहिए। क्योंकि हल्दी को मां लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। साथ ही हल्दी को सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में शिवलिंग पर स्त्री से संबंधित कोई भी वस्तु अर्पित नहीं करनी चाहिए।
शिवलिंग पर भूलकर भी सिंदूर, कुमकुम या रोली भी नहीं अर्पित करना चाहिए। क्योंकि यह सुहाग और सौंदर्य का प्रतीक होता है। शिवलिंग पर स्त्री तत्व नहीं अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से महादेव आपसे रुष्ट हो सकते हैं।
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि श्रीहरि विष्णु की पूजा में तुलसी अनिवार्य होती हैं। क्योंकि भगवान विष्णु को तुलसी अतिप्रिय है। लेकिन महादेव की पूजा में तुलसी का इस्तेमाल वर्जित बताया गया है। इसलिए शिवलिंग पर तुलसी का पत्ता न अर्पित करें।
महादेव पर कभी भी नारियल या नारियल का पानी नहीं चढ़ाना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से भगवान शिव आपसे नाराज हो सकते हैं। क्योंकि नारियल को मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है।
वास्तु टिप्स /शौर्यपथ / वास्तु शास्त्र में नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए कई तरह के उपायों के बारे में बताया गया है। वहीं अगर पश्चिम दिशा में कोई दोष होता है तो गृहस्वामी और घर के सदस्यों को कई तरह की परेशानियां होती हैं।
वास्तु शास्त्र में नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए कई तरह के उपायों के बारे में बताया गया है। घर की पश्चिम दिशा को काफी अहम माना जाता है। इसलिए कहा जाता है कि पश्चिम दिशा में कोई भी दोष होने का अर्थ है कि खुद को परेशानी और परिवार को परेशानी होना।
बता दें कि पश्चिम दिशा के स्वामी वरुण, आयुध पाश और प्रतिनिधि ग्रह शनिदेव होते हैं। पश्चिम दिशा से कालपुरुष के पेट, गुप्तांग और जननांग का विचार किया जाता है। यदि इस दिशा में दोष होता है तो घर के स्वामी की आमदनी अच्छी नहीं रहती है और उसे यौन संबंधी बीमारी होने का अंदेशा रहता है।
पश्चिम दिशा के वास्तु उपाय
घर की पश्चिम दिशा को हमेशा साफ-सुथरा रखना चाहिए। इसके साथ ही यदि घर की पश्चिम दिशा की दीवार में दरारें हैं, तो इससे आपको और आपके परिवार को शनि का कुप्रभाव भी झेलना पड़ सकता है। वहीं घर के स्वामी की आमदनी भी प्रभावित होती है।
इसके साथ ही अगर यदि पति-पत्नी का बेडरूम पश्चिम दिशा में है तो उनमें पटरी ठीक से नहीं बैठती है। दोनों में अक्सर किसी न किसी बात को लेकर विवाद होते रहते हैं और लंबे समय तक साथ नहीं रह पाते हैं। यानी की पति-पत्नी में डायवोर्स भी हो सकता है। वहीं अगर विवाद न हो तो अन्य कई कारणों से पति-पत्नी को अलग-अलग रहना पड़ सकता है।
घर के पश्चिम दिशा में पूजा घर होने से गृहस्वामी ज्योतिष और तंत्र-मंत्र आदि विधाओं का जानकार होता है। वहीं अगर इस दिशा में रसोई बनी है तो धन का आगमन तो होता है, लेकिन वह धन टिकता नहीं है।
पश्चिम दिशा में अग्निस्थल होने पर घर के सदस्यों को बार-बार गर्मी, पित्त, एसिडिटी जैसी समस्याएं होती रहती हैं। वहीं पश्चिम दिशा में लगा दरवाजा छोटा होने पर गृहस्वामी की उन्नति में बाधा आती रहती है।
पश्चिम दिशा में बना गेट अगर नैऋत्यमुखी हो, तो परिवार के सदस्यों को कोई लंबी बीमारी और असाध्य रोग होने का खतरा होता है। वहीं ऐसे द्वारा के होने पर असामयिक मृत्यु भी हो सकती है।
पश्चिम दिशा में बना गेट वायव्यमुखी होने पर मकान मालिक कोर्ट-कचहरी के मामलों में फंसा रहता है। जिसके कारण उसका काफी धन व्यय होता रहता है।
टिप्स ट्रिक्स / शौर्यपथ / भारतीय महिलाओं के श्रृंगार में बिंदी का बेहद अहम रोल होता है। महिलाएं तैयार होने के दौरान कभी भी बिंदी लगाना नहीं भूलती हैं। लेकिन कई बार बिंदी लगाने से एलर्जी हो जाती है। इस एलर्जी से बचने के लिए आप इन उपायों को आजमा सकती हैं।
भारतीय महिलाओं के श्रृंगार में बिंदी भी शामिल है और इसका काफी महत्व होता है। तैयार होने के दौरान महिलाएं कभी भी बिंदी लगाना नहीं भूलती है। वहीं जब कोई भी महिला बिंदी लगा लेती है, तो उसकी सुंदरता में चार चांद लग जाते हैं। हालांकि कई महिलाओं को बिंदी से एलर्जी भी होती है। ऐसे में जब वह बिंदी लगाती हैं, तो उनके माथे पर खुजली होने लगती है। बता दें कि पैरा टर्शियरी ब्यूटिल फिनॉल केमिकल का इस्तेमाल बिंदी को चिपकाने के लिए किया जाता है।
इसके साथ ही कई महिलाओं की त्वचा काफी ज्यादा सेंसिटिव होती है। जिसके कारण यह उन्हें सूट नहीं करता है, और उन महिलाओं को एलर्जी की समस्या हो जाती है। इसी वजह के चलते कई महिलाएं बिंदी लगाना बंद कर देती हैं। अगर आप भी इस समस्या से परेशान हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए है। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको कुछ ऐसे तरीकों के बारे में बताने जा रहे हैं। जिनका इस्तेमाल आपको बिंदी लगाने से पहले करना है। इन तरीकों को अपनाकर आप इस एलर्जी से निजात पा सकती हैं।
मॉइश्चराइजर लगाएं
कई बार बिंदी लगाने पर एलर्जी होने का कारण स्किन का रूखापन भी हो सकता है। ऐसे में आपको एलर्जी से बचने के लिए दिन में तीन से चार बार माथे पर मॉश्चराइजर लगाना चाहिए। जिससे कि बिंदी लगाने वाली जगह पर नमी बनी रहे।
एलोवेरा जेल
रोजाना रात में सोने से पहले अगर आप माथे पर एलोवेरा जेल लगाती हैं। तो इससे आपकी स्किन को एलर्जी से लड़ने की क्षमता मिलती है। क्योंकि एलोवेरा में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-सेप्टिक गुण पाए जाते हैं। जो आपकी त्वचा को एलर्जी से बचाते हैं।
माथे पर लगाएं कुमकुम
अगर इन सारे तरीकों के बाद भी आपकी एलर्जी कम नहीं हो रही है, तो आप कुमकुम वाली बिंदी का भी इस्तेमाल कर सकती हैं। कुमकुम वाली बिंदी को चिपकाना नहीं पड़ता है और यह त्वचा पर कोई इफेक्ट भी नहीं डालता है।
नारियल तेल
माथे पर बिंदी वाली जगह पर नारियल तेल से रोजाना 2 मिनट मसाज करें। क्योंकि नारियल तेल को त्वचा के लिए बेस्ट मॉश्चराइजिंग एजेंट माना जाता है। इससे आपकी स्किन में नमी आती है और बिंदी की एलर्जी से भी राहत मिलेगी।
ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ /ऑर्गन ऑयल की मदद से बनाएं हेयर सीरम, बालों की ग्रोथ हो जाएगी डबल हेयर सीरम तैयार करने के लिए एक छोटी कटोरी में ऑर्गन ऑयल और जोजोबा तेल मिलाएं। अब आप इसमें अपनी पसंद के लैवेंडर, रोज़मेरी, या पेपरमिंट जैसे एसेंशियल ऑयल को इसमें डालें और मिक्स करें।
जब भी बालों की केयर की बात होती है तो हम उसमें ऑयल को जरूर शामिल करते हैं। अक्सर नारियल से लेकर सरसों के तेल से बालों में चंपी की जाती है। लेकिन क्या आपको पता है कि ऑर्गन ऑयल भी बालों के लिए उतना ही लाभकारी है। इसे बतौर हेयर सीरम हेयर केयर रूटीन में शामिल किया जा सकता है। आप घर पर ही ऑर्गन ऑयल की मदद से हेयर सीरम बना सकते हैं। यह ना केवल बालों में फ्रिज को कंट्रोल करेगा और उन्हें अधिक मैनेजेबल बनाएगा, बल्कि इससे डैमेज्ड बालों को रिपेयर करने में भी मदद मिलेगी। साथ ही साथ, यह हीट और हीट स्टाइलिंग टूल के लिए एक बैरियर की तरह भी काम करेगा। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको घर पर ही ऑर्गन ऑयल की मदद से हेयर सीरम बनाने का आसान तरीका बता रहे हैं-
ऑर्गन ऑयल और जोजोबा ऑयल से बनाएं सीरम
जोजोबा ऑयल अपने मॉइश्चराइजिंग गुणों के लिए जाना जाता है। इसलिए इसे ऑर्गन ऑयल के साथ मिक्स करके आप एक बेहतरीन हेयर सीरम तैयार कर सकती हैं।
आवश्यक सामग्री-
- 2 बड़े चम्मच ऑर्गन ऑयल
- 1 बड़ा चम्मच जोजोबा तेल
- लैवेंडर, रोज़मेरी, या पेपरमिंट ऑयल की 5-10 बूंदें
हेयर सीरम बनाने का तरीका-
- हेयर सीरम तैयार करने के लिए एक छोटी कटोरी में ऑर्गन ऑयल और जोजोबा तेल मिलाएं।
- अब आप इसमें अपनी पसंद के लैवेंडर, रोज़मेरी, या पेपरमिंट जैसे एसेंशियल ऑयल को इसमें डालें और मिक्स करें।
- ये एसेंशियल ऑयल न केवल एक सुखद सुगंध जोड़ते हैं बल्कि इससे आपके बालों और स्कैल्प को भी अतिरिक्त लाभ मिलता है।
- इस मिश्रण को अच्छी तरह से हिलाएं और एक छोटी एयरटाइट कंटेनर में इसे रखें।
- कांच की ड्रॉपर बोतल का इस्तेमाल करना अच्छा विचार हो सकता है।
हेयर सीरम इस्तेमाल करने का तरीका
- सबसे पहले बालों को वॉश करें और फिर तौलिए से बालों को सुखाएं।
- अब अपनी हथेलियों पर सीरम की कुछ बूंदें लें।
- सीरम को समान रूप से वितरित करने के लिए अपने हाथों को आपस में रगड़ें।
- अपने बालों पर सीरम लगाएं।
- मिड लेंथ से लेकर एंड्स तक हेयर सीरम अप्लाई करें।
- बालों को चिपचिपा होने से बचाने के लिए जड़ों के बहुत करीब लगाने से बचें।
- अब बालों में धीरे से कंघी करें, ताकि सीरम एकसमान रूप से लग जाए।
आस्था /शौर्यपथ /राज महल की सभी रानियाँ चकित हो गईं। सोचने लगीं अरे! कौन सिद्ध पुरुष आ गया। इस भिखमंगे ने ऐसा कौन-सा पुण्य कर्म किया है कि वैकुंठ नाथ इसका पाद-प्रक्षालन कर रहे हैं। भगवान ने सुदामाजी का हाथ अपने हाथों में ले लिया है दोनों बचपन की बातें याद कर रहे हैं।
सच्चिदानंद रूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे !
तापत्रयविनाशाय श्रीकृष्णाय वयंनुम:॥
प्रभासाक्षी के श्रद्धेय पाठकों ! भागवत-कथा, स्वर्ग के अमृत से भी अधिक श्रेयस्कर है।
भागवत-कथा श्रवण करने वाले जन-मानस में भगवान श्री कृष्ण की छवि अंकित हो जाती है। यह कथा “पुनाति भुवन त्रयम” तीनों लोकों को पवित्र कर देती है। तो आइए ! इस कथामृत सरोवर में अवगाहन करें और जन्म-मृत्यु के चक्कर से मुक्ति पाकर अपने इस मानव जीवन को सफल बनाएँ। मित्रों !
पूर्व कथा प्रसंग में भगवान ने महाराज युधिष्ठिर का राजसूय यज्ञ सम्पन्न करवाया और जरासंध तथा शिशुपाल के वध के पश्चात द्वारिकापुरी लौट आए।
आइए !
सुदामा चरित्र
अब परीक्षित ने कहा- प्रभो आपने भगवान श्री कृष्ण से संबन्धित बहुत-सी कथायें सुनाईं किन्तु कृष्ण-कथा से मेरा पेट अभी भी नहीं भरा।
सा वाग यया तस्य गुणान गृणीते
करौ च तत्कर्म करौ मनश्च।
स्मरेद वसन्तम स्थिरजंगमेषु
शृणनोति तत्पुन्य कथा; स कर्ण;॥
जो वाणी भगवान गुणो का गुणगान करे वही सच्ची वाणी है। भगवान की सेवा में जो हाथ संलग्न हो वे ही सच्चे हाथ हैं वही सच्चा मन है जो भगवान का स्मरण करता रहे और श्रेष्ठ कान वे ही हैं जो भगवान की पुण्यमई कथाओं का श्रवण करते रहे।
शुकदेव जी परीक्षित का अभिप्राय समझकर ब्राह्मण सुदामा की कथा सुनाने लगे।
कृष्णस्यासीतसखाकश्चिदब्राह्मणोब्रह्मवित्तम;
विरक्त; इंद्रियार्थेषु प्रशांतात्मा जितेंद्रीय;॥
एक ब्राह्मण थे जिंका नाम सुदामा था। सुंदर दामन है जिसका वह सुदामा। कृष्ण के बचपन के मित्र। दोनों एक ही गुरु संदीपनी के आश्रम में पढ़ते थे।
सुदामाजी कर्तव्यनिष्ठ, संतोषी और जितेंद्रिय थे। घर में बड़ी गरीबी थी। कई-कई दिनों तक चूल्हा नहीं जलता था। एक दिन तंग आकर पत्नी सुशीला ने द्वारिकाधीश के यहाँ जाने के लिए प्रेरित किया। कृष्ण आपके बाल-सखा द्वारिकाधीश लक्ष्मीपति हैं। पहले तो सुदामा ने आना-कानी की किन्तु पत्नी का हठ देखकर और यह विचार कर जाने को तैयार हो गए कि धन मिले या न मिले दर्शन तो मिलेगा। जीवन का सबसे लाभ यही है। खाली हाथ कैसे जाऊँ? पत्नी पड़ोस से थोड़ा चिउड़ा मांगकर लाई। लेकर चल दिए। पूछते हुए द्वारिका पुरी पहुँचे। महल के द्वार पर ही द्वारपालों ने रोक दिया। पूछा कौन हैं? कहाँ से आए हैं? सुदामा ने निवेदन किया मैं उनका मित्र हूँ। मिलना चाहता हूँ। द्वारपालों ने जाकर निवेदन किया- प्रभो द्वार पर कोई आया है आपसे मिलना चाहता है।
शीश पगा न झगा तन मे नहि जानि को आहि बसे केहि ग्रामा
धोती फटी सी-लटी दुपटी अरु पाय उपानह की नहि सामा
द्वार खड़े द्विज दुर्बल देखि रह्यो चकि सो वसुधा अभिरामा
पूछ्त दीनदयाल को धाम बतावत आपुनो नाम सुदामा॥
जैसे ही भगवान ने सुदामा का नाम सुना झट से सिंहासन से उतरकर दौड़ पड़े, द्वार पर पहुँचे सुदामा का हाथ पकड़र महल के भीतर लाए। ब्राह्मण सुदामा को राजसिंहासन पर विराजमान किया। परात में पानी मंगवाया और अपने कोमल हाथों से उनके चरण धोने लगे। सुदामा के पैर में बेवाइयाँ फटी थीं, बड़े-बड़े नुकीले कांटे चुभे थे। अपने बाल-सखा की दशा देखकर भगवान रोने लगे। एक कवि ने बड़ा ही सुंदर भाव व्यक्त किया है। भगवान कहते हैं—
काहे विहाल बिवाइन ते पग कंटक जाल गड़े पुनि जोए
हाय महादुख पायो सखा तुम आए इतै न किते दिन खोए
देखि सुदामा की दिन दशा करुणा करि के करुणा निधि रोए।
पानी परात को हाथ छुयो नहि नैनन के जल से पग धोए।
यह दृश्य देखकर राज महल की सभी रानियाँ चकित हो गईं। सोचने लगीं अरे! कौन सिद्ध पुरुष आ गया। इस भिखमंगे ने ऐसा कौन-सा पुण्य कर्म किया है कि वैकुंठ नाथ इसका पाद-प्रक्षालन कर रहे हैं। भगवान ने सुदामाजी का हाथ अपने हाथों में ले लिया है दोनों बचपन की बातें याद कर रहे हैं। कृष्ण कहते हैं- सुदामा तुमको याद है। जब हम गुरुकुल में पढ़ते थे। एक बार ईंधन लाने के लिए गुरुमाता ने जंगल में भेजा था। भयंकर वर्षा में हम फंस गए थे। रात में रहना पड़ा था। गुरुमाता ने कुछ चने दिए थे तुम अकेले ही खा गए थे। मैंने पूछा था दांत क्यों बजा रहे हो? तुमने झूठ बोला था कि ठंडी से दांत कट-कटा रहा हूँ। अभी भी झूठ बोलने की तुम्हारी आदत गई नहीं। भाभी ने भेट स्वरूप कुछ दिया है और तुम दे नहीं रहे हो। सुदामाजी तो संकोच में थे तुच्छ चिउड़ा लक्ष्मी पति द्वारिका धीश को कैसे भेंट करूँ। इसलिए सुदामाजी लज्जावश तंडुल की पोटली नहीं दे रहे थे। खैर अंतर्यामी भगवान तो सब जानते हैं। उन्होंने सुदामा की काँख में से पोटली खींच ली और ऐसे खाने लगे मानो कई दिनों से भोजन नहीं मिला हो। अरे! ये तो भक्त और भगवान के बीच की लीला है। श्री कृष्ण सुदामा जी का संकोच दूर करना चाहते हैं। बताना चाहते हैं—चिउड़ा कितना स्वादिष्ट है। एक मुट्ठी खाया दूसरी मुट्ठी खाया जैसे ही तीसरी मुट्ठी भगवान ने उठाई पास में बैठी रुक्मिणीजी से रहा नहीं गया, उन्होने हाथ पकड़ लिया बस। दो मुट्ठी चिउड़ा खाकर आपने दो लोक दान कर दिया अब तीसरा लोक भी देना चाहते हैं क्या? हम लोग कहाँ रहेंगे? अस्तु। भगवान ने ब्राह्मण देव को खूब अच्छी तरह से खिलाया-पिलाया, रात में अपने पलंग पर सुलाया रुक्मिणी आदि रानियों ने चँवर डुलाकर सेवा की प्रभु ने सुदामा जी के पैर दबाए। खूब आदर सत्कार किया। ब्राह्मण की सेवा कैसे की जाती है कृष्ण चरित्र से सीखना चाहिए। आज-कल तो कुछ लोग ब्राह्मण को दंडवत करनेमें मे भी अपनी मानहानि समझते हैं। गोस्वामी जी ने संकेत दिया—
पुजहू विप्र सकल गुण हीना
प्रातःकाल हुआ, भगवान ने प्रेमपूर्वक सुदामाजी को विदा किया किन्तु दिया कुछ नहीं। सुदामाजी रास्ते में सोचते हुए चले जा रहे हैं भगवान ने कुछ दिया नहीं फिर अपने मन को समझाते हैं अच्छा हुआ, भगवान ने कुछ नहीं दिया, नहीं तो मैं धन के मद में मतवाला होकर प्रभु को ही भूल जाता। इस प्रकार मन ही मन विचार करते-करते ब्राह्मण देवता अपने घर के करीब पहुँच गए। वहाँ का दृश्य देखकर दंग रह गए। चारों तरफ बड़ी-बड़ी अट्टालिकाएँ सुंदर सुंदर बाग बगीचे, सरोवरों में भांति-भांति के कमलपुष्प पक्षियों का मधुर कलरव, सुंदर-सुंदर बन-ठन कर स्त्री-पुरुष यहाँ-वहाँ विचरण कर रहे हैं। सुदामा जी सोचने लगे- आखिर इतना सुंदर यह किसका स्थान है? मेरी झोपड़ी कहाँ गई, मेरी पत्नी, बच्चे कहाँ गए? क्या भगवान कैसी आपकी लीला है कुछ पाने के लिए गया और अपना सब कुछ खो बैठा। इस प्रकार वे सोच ही रहे थे कि सुंदर-सुंदर स्त्री-पुरुष गाजे-बाजे के साथ मंगल गीत गाते हुए सुदामाजी का स्वागत करने आए। सुदर आभूषणों में सजी-धजी लक्ष्मीजी की तरह शोभयमान पत्नी सुशीला ने बड़े प्रेम-भाव से पतिदेव को प्रणाम किया और महल में ले आई। इस प्रकार समस्त धन-दौलत की समृद्धि देखकर और कोई प्रत्यक्ष कारण न देखकर ब्राह्मण सुदामा जी विचार करने लगे मेरे पास इतनी संपत्ति कहाँ से आई। मैं जन्म से ही दरिद्र ब्राह्मण। अवश्य ही त्रिभुवन पति श्रीकृष्ण की कृपा का ही चमत्कार है। एक मुट्ठी चिउड़े के बदले में भगवान ने सम्पूर्ण ऐश्वर्य प्रदान कर दिया।
नूनम बतैतन्मम दुर्भगस्य शश्वदरिद्रस्य समृद्धि हेतु;
महाविभूते रवलोकतोsन्यो नैवोपपद्येत यदुत्तमस्य ॥
अंत में सम्पूर्ण धन ऐश्वर्य को छोड़कर श्री सुदामा जी भगवान में समर्पित हो गए।
सूर दास प्रभु कामधेनु छोरि, छेरी कौन दुहावे।
श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारे हे नाथ नारायण वासुदेव ----------
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ।
रसोई टिप्स /शौर्यपथ / इसके लिए पहले आपको कुछ तैयारी करनी होगी। मसलन, बादाम हलवा बनाने के लिए आपको बादाम को लगभग 2-3 घंटे के लिए गर्म पानी में भिगोकर रखना होगा। इससे छिलका आसानी से निकल जाएगा और बादाम पीसने के लिए मुलायम भी हो जाएंगे।
अक्सर खाना खाने के बाद कुछ मीठा खाने का मन करता है या फिर अगर कोई शुभ अवसर होता है तो हम मीठा अवश्य बनाते हैं। इसमें सबसे पहले हलवा बनाने का ख्याल ही मन में आता है। यूं तो घरों में आटे या सूजी का हलवा सबसे अधिक बनाया जाता है। लेकिन अगर आप इस बार कुछ अलग व टेस्टी बनाना चाहते हैं तो ऐसे में बादाम का हलवा बनाकर देखें। इसका स्वाद बेमिसाल होता है। लेकिन जब आप इसे बना रहे हैं तो आपको कुछ छोटी-छोटी बातों पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत होती है, जिससे उसका टेस्ट एकदम परफेक्ट हो। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे ही टिप्स के बारे में बता रहे हैं-
बादाम को भिगोना है जरूरी
अगर आप बादाम का हलवा बनाना चाहते हैं तो इसके लिए पहले आपको कुछ तैयारी करनी होगी। मसलन, बादाम हलवा बनाने के लिए आपको बादाम को लगभग 2-3 घंटे के लिए गर्म पानी में भिगोकर रखना होगा। इससे छिलका आसानी से निकल जाएगा और बादाम पीसने के लिए मुलायम भी हो जाएंगे।
पेस्ट की कंसिस्टेंसी पर दें ध्यान
एक बार बादाम को भिगोने और उसे छीलने के बाद बारी आती है उसे पीसने की। इसके लिए आप ब्लेंडर या फूड प्रोसेसर की मदद लें। साथ ही, इस प्रोसेस को और भी अधिक आसान बनाने के लिए थोड़ा पानी डालें। हालांकि, इस दौरान इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखें कि पेस्ट बहुत अधिक पतला न हो।
यूं बनाएं हलवा
बादाम का हलवा बनाने के लिए हमेशा एक मोटे तले वाले पैन या कड़ाही का ही इस्तेमाल करें। इससे बादाम को कुक करते समय उसके तली में लगने की संभावना काफी कम हो जाती है। साथ ही साथ, तैयार बादाम के पेस्ट को हमेशा मध्यम-धीमी आंच पर ही पकाएं। ध्यान रखें कि आप इसे लगातार चलाते रहें, अन्यथा बादाम नीचे तली में चिपक सकता है या फिर जल भी सकता है।
सही समय पर मिलाएं चीनी
बादाम का हलवा बनाते समय चीनी को हमेशा सही समय पर ही एड करें। जब बादाम का पेस्ट पक जाए और पैन के किनारे छोड़ने लगे, तो चीनी डालें और अच्छी तरह मिलाएं। साथ ही, इसमें एक चुटकी इलायची पाउडर भी मिक्स किया जा सकता है। इस दौरान भी हलवे को लगातार हिलाते रहें, अन्यथा चीनी सही तरह से घुलती नहीं है और गांठें बनने लगती हैं।
सेहत टिप्स /शौर्यपथ /भगवान शिव को बेहद प्रिय है बेल पत्र... इसके सेवन से स्वास्थ्य को होते हैं कई लाभबेल पत्र भगवान शिव को चढ़ाने के अलावा स्वास्थ्य के लिहाज से भी काफी अहम है। बेल पत्र को हिंदू धर्म में काफी पवित्र माना जाता है। बेल के पेड़ को भगवान शिव का स्वरूप माना जाता है और सावन के पवित्र महीने के दौरान इसकी पत्तियों का विशेष महत्व है।
श्रावण के महीने को भगवान शिव का प्रिय महिना माना जाता है, जिसमें महादेव के पूजन, आराधना का विशेष महत्व होता है। भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सावन में श्रद्धालु उपवास, पूजन, अभिषेक करते है। इस महीने में भगवान शिव की उपासना करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते है।
भगवान शिव के पूजन में कई तरह की सामग्री का उपयोग किया जाता है। इसमें भांग, धतूरा, शहद, दही, दूध, जल, चावल के अलावा बेल पत्र सबसे अहम होता है। बेल पत्र खास तरह का पत्ता होता है जिसे शिव पूजन में उपयोग किया जाता है। इसका शिव पूजा में विशेष महत्व है। भगवान शिव को बेल पत्र चढ़ाने से भोले बाबा जल्दी प्रसन्न होते है।
बता दें कि बेल पत्र भगवान शिव को चढ़ाने के अलावा स्वास्थ्य के लिहाज से भी काफी अहम है। बेल पत्र को हिंदू धर्म में काफी पवित्र माना जाता है। बेल के पेड़ को भगवान शिव का स्वरूप माना जाता है और सावन के पवित्र महीने के दौरान इसकी पत्तियों का विशेष महत्व है। यह भक्तों को नकारात्मक ऊर्जाओं और बुरी शक्तियों से बचाता है। बेल पत्र के अलावा बेल के फल का भी काफी अहमियत बताई गई है। बेल के पेड़ पर लगने वाली पत्तियों और फल को काफी सात्विक और पवित्र माना जाता है। माना जाता है कि भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करने से मन, शरीर और आत्मा शुद्ध और शुद्ध हो जाते हैं। इसके अलावा, सावन के दौरान बेल पत्र के सेवन से कई स्वास्थ्य लाभ भी होते है।
बता दें कि बेल पत्र की एक पत्ती में तीन पत्तियां होती है, जिससे भगवान शिव का पूजन होता है। इसकी एक पत्ते में समाई तीन पत्तियां भगवान शिव की तीन आंखों का प्रतिनिधित्व करती है। भगवान शिव की तीन आंखें ज्ञान, निर्णय लेने और कार्रवाई से संबंधित है। गौरतलब है कि बेल के पत्तों में कई औषधीय गुण होते है। बेल पत्र में शुद्ध करने वाले गुण होते हैं।
जानते हैं बेल पत्र के स्वास्थ्य लाभ
लिपिड्स इन हेल्थ एंड डिजीज में प्रकाशित 2018 के एक अध्ययन के अनुसार, बेल पत्र के अर्क में एल्कलॉइड्स, इमोडिन, फेरिक क्लोराइड, लेड एसीटेट, जिलेटिन, फेनोलिक्स जैसे तत्व होते है। ये सभी तत्व औषधीय गुणों से भरपूर होते है। स्टडी में सामने आया है कि बेल पत्र के अर्क आमतौर पर दवा कंपनियों द्वारा आधुनिक और प्रभावी दवाएं बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। बेल पत्र को जूस या अर्क के तौर पर सेवन में लाया जा सकता है।
- पाचन में मददगार : बेल पत्र का सेवन करने से पाचन में सुधार होता है। ये कब्ज से राहत देने में मददगार है। पाचन एंजाइमों के स्राव को बढ़ावा देकर और मल त्याग को आसान बनाकर ये कई गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकारों को ठीक करता है।
- श्वसन स्वास्थ्य : बेल की पत्तियों का उपयोग श्वसन स्वास्थ्य को सुधारने में किया जाता है। ये श्वसन नली में सूजन को कम करके, श्वसन पथ को शांत करते है। इसके उपयोग से श्वसन पथ का जमाव होता है जिससे खांसी, सर्दी और अस्थमा जैसी श्वसन समस्याओं में राहत मिलती है।
- कूलिंग प्रभाव : बेल पत्र शरीर पर शीतल प्रभाव डालता है। इसका सेवन करने से शरीर की गर्मी कम होता है। ये हीटस्ट्रोक को रोकता है। इसका सेवन करने से गर्मियों और मॉनसून के दौरान होने वाली बीमारियों से राहत मिल सकती है।
- डिटॉक्सिफाई : बेल पत्र शरीर से विषाक्त पदार्थों को खत्म करने में सहायक है। ये शरीर के खून को साफ करता है और लिवर को काम करने में मदद करता है। इसके सेवन से शरीर अच्छे से डिटॉक्सिफाई होता है।
- एंटी इंफ्लेमेट्री प्रॉपर्टीज : बेल के पत्तों में टैनिन होता है जिससे सूजन कम करने में मदद मिलती है। ये गठिया, जोड़ों के दर्द और सूजन से संबंधित समस्याओं में राहत दिलाता है।
- इम्यूनिटी करे बूस्ट : बेल पत्र में विटामिन सी उच्च मात्रा में होता है जिससे ये इम्यूनिटी को मजबूत करता है। संक्रमण के खिलाफ शरीर की रक्षा को बढ़ाता है। इसके सेवन से स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- एंटी माइक्रोबायल इफेक्ट : बेल के पत्ते उपयोग करने से हानिकारक बैक्टीरिया, वायरस का विकास नहीं होता है। इसके सेवन से कई तरह के माइक्रोबियल संक्रमणों से बचाव होता है।
- एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर : विटामिन सी के अलावा बेलपत्र में फ्लेवोनोइड और फेनोलिक कंपाउंड के अलावा एंटी ऑक्सीडेंट्स ह ोते है। ये ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने, हृदय रोग और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा कम करने में सहायक है।
- ब्लड प्यूरिफायर : बेल के पत्तों का सेवन करने से ब्लड सर्कुलेशन में सुधार होता है। ये शरीर से टॉक्सिन बाहर निकालने में मददगार है। इसके सेवन से ब्लड प्रेशर सामान्य होता है। रक्त संबंधी विकारों को ठीक करने में सहायक सिद्ध होता है।
- न्यूट्रिशनल वैल्यू : बेल पत्र में विटामिन ए, सी और बी कॉम्प्लेक्स भरपूर मात्रा में होता है। इसमें कैल्शियम, पोटैशियम और फोसफोरस जैसे मिनरल्स पाए जाते है। इसमें फाइबर की अच्छी मात्रा होती है जिससे ये पूरे स्वास्थ्य के लिए काफी उपयोगी साबित होता है।
ब्यूटी टिप्स / शौर्यपथ / चेहरे पर ब्लीच लगाते समय न करें ऐसी गलतियां, वरना हो सकते हैं साइड इफेक्ट चेहरे की सुंदरता को बनाए रखने के लिए कई तरीके अपनाए जाते हैं। कुछ लोग पार्लर में जाकर ब्यूटी ट्रीटमेंट लेते हैं, तो वहीं कुछ लोग घरेलू नुस्खे की मदद से इंस्टेंट ग्लो लाने की कोशिश करते हैं। लेकिन ब्लीच का इस्तेमाल करते समय इन टिप्स का जरूर ध्यान रखें।
चेहरे की सुंदरता को बनाए रखने के लिए कई तरीके अपनाए जाते हैं। कई बार हम पार्लर जाकर हजारों रूपए खर्च कर देते हैं, ताकि हमारे फेस का ग्लो बना रहे। वहीं बहुत से लोग अपने घर में ही घरेलू नुस्खों को अपनाकर इंस्टेंट ग्लो लाने की कोशिश करते हैं। आपको बता दें कि इंस्टेंट ग्लो लाने का सबसे आसान तरीका ब्लीच करना है। ब्लीच करने से चेहरे पर चमक आती है। लेकिन अगर आप कुछ बातों का ध्यान नहीं रखती हैं, तो इसके इस्तेमाल से आपको साइड इफेक्ट हो सकते हैं।
ब्लीच एक तरह का केमिकल होता है, अगर इसका इस्तेमाल संभाल कर किया जाए तो यह आपके चेहरे को ग्लोइंग बनाता है। वहीं जरा सी लापरवाही करने पर स्किन संबंधी परेशानियां भी हो सकती हैं। ऐसे में इस आर्टिकलके जरिए हम आपको घर पर ब्लीच करने के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में बताने जा रहे हैं। जिससे के ब्लीच से होने वाले साइड इफेक्ट से आप बच सकें।
साफ कर लें चेहरा
फेस पर ब्लीच का इस्तेमाल करने से पहले आपको अपना चेहरा अच्छे से साफ करना होता है। अगर ब्लीच करने के दौरान आपके चेहरे पर गंदगी बनी रहती है, तो इसके साइड इफेक्ट देखने को मिल सकते हैं।
लेयर्स पर दें ध्यान
बता दें कि ब्लीच को हमेशा हेयर ग्रोथ की दिशा में ही अप्लाई करना चाहिए। ध्यान रखें कि फेस पर ब्लीच लगाते समय गाल, माथे और गर्दन पर तो आप मोटी परत लगा सकते हैं, लेकिन चेहरे के बाकी हिस्से पर पतली लेयर अप्लाई करनी चाहिए।
जरूर लगाएं फेस पैक
कई बार ब्लीच लगाने के बाद फेस पर खुजली, रेडनेस और जलन आदि होने लगती है। ऐसे में आप हमेशा अच्छी क्वालिटी वाला ब्लीच इस्तेमाल करें और इसके बाद अच्छी क्वालिटी वाला फेसपैक चेहरे पर अप्लाई करें। इससे आपके चेहरे को ठंडक मिलेगी।
धूप में न निकलें
अगर आपने भी अपने फेस पर ब्लीच लगाया तो इसके लिए सबसे जरूरी बात ध्यान में रखें कि आपको धूप में जाने से बचना चाहिए। क्योंकि धूप में जाने से आपकी स्किन सेंसटिव हो सकती है। सूरज की यूवी किरणें आपकी त्वचा को प्रभावित कर सकती हैं।