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दुर्ग /शौर्यपथ /अर्जुन्दा निवासी ,कांग्रेस नेता भूपेंद्र चंद्राकर ,ने स्व चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल कॉलेज कचांदूर सन 2000 से छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण से अब तक के इतिहास में ,अविभाजित दुर्ग के लिए ,लोक कल्याणकारी व जन हित में अभूतपूर्व निर्णय है ,
जिसके लिए मुख्यमंत्री भूपेश व उनके मंत्रिमंडल का जितना आभार व्यक्त किया जाए कम है ,
इस निर्णय से न केवल सैकड़ो रोजगार व छात्रों का भविष्य सुरक्षित हुआ ,बल्कि ग्रामीण अंचल में स्वास्थ्य व्यवस्था की
आम जन को उपलब्धता ,भी बढ़ेगी,
कॉलेज के अधिग्रहण की घोषणा के बाद से दुर्ग के मूल वासियो ने मुख्यमंत्री व क्षेत्रीय विधायक व मंत्री का आभार जताया था ,
क्योंकि यह एक ऐतिहासिक
निर्णय है ,
Covid 19 संक्रमणकाल में
द्वितीय लहर में जिस कचांदूर अस्पताल ,जिसमे हज़ारो संक्रमित लोगो का ,केअर यूनिट के नाम से प्रसिद्ध हुआ वह यही ,स्व चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल ,कॉलेज कचांदुर ही है,
किंतु न जाने क्यों अधिग्रहण के आरम्भ से ही
कुछ लोगो के द्वारा ,ब्लैकमेलिंग व सस्ती लोकप्रियता के उद्देश्य से कॉलेज की संक्रमण काल मे अव्यवस्था का फ़र्ज़ी वीडियो वायरल किया जाता था ,और कॉलेज प्रबंधन समिति पर आरोप लगाए जाते रहे हैं,।
जिसे अब तक प्रमाणित नही किया जा सका ,
एक छत्तीसगढ़िया नेता का टिकट काटकर अपने पुत्र को नौकरी छुड़वा कर सांसद बनाकर जनता पर थोपने वाले पूर्व मुख्यमंत्री ,
जिनका परिवार ,सदैव करोड़ो की धांधली का आरोपी है ,व दामाद फरारी काट चुका है ,ऐसे लोगो को दूसरों पर कीचड़ उछालना कदाचित ,निम्नस्तरीय राजनीति का परिचायक है ,
आरोप लगाने वाले सिंध्या परिवार को हमेशा ,गद्दार के नाम से संबोधित करने वाले भाजपाई से मात्र राज्यसभा संसद की सीट के लिए अपनी मातृ संस्था से मुह मोड़ भाजपा की शरणागत हुए ,तथा कथित बिकाऊ महाराज ,ज्योतिरादित्य सिंध्या ,को भी पहले दर्पण के सामने खड़े होकर अपने चरित्र का मूल्यांकन करने की आवश्यकता है ।।
भूपेंद्र चंद्राकर ने कहा की कुछ लोगो के द्वारा क्षेत्रवादी
नेता के नाम से प्रसिद्ध दाऊ
स्व चंदूलाल चंद्राकर की स्वच्छ व लोकप्रिय ,सर्वमान्य छवि को धूमिल करने का प्रयास के अपनी राजनीति चमकाने के प्रयास किया जा रहा है ,
जो सस्ती व ओछी राजनीति का परिचायक है।
ऐसे लोगो को समय आने पर भूपेश सरकार द्वारा करार जवाब दिया जाएगा,
व झूठ भ्रम फैलाने की राजनीति करने वालो से प्रदेश की जनता को सावधान रहने की आवश्यकता है
नई दिल्ली/ शौर्यपथ / भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जल विवाद केस की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है. आंध्र प्रदेश ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि राज्य मध्यस्थता नहीं चाहता है. राज्य ने कहा कि इस मुद्दे पर फैसला सुनाया जाए. इस पर CJI ने कहा, अगर आप कोई मध्यस्थता नहीं चाहते तो मैं भी इस मामले को नहीं सुनना चाहता.
केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने CJI से मामले की सुनवाई करने का अनुरोध करते हुए कहा कि हमें पूरा विश्वास है, आप ये केस सुनेंगे और आपको ये केस सुनना चाहिए. इस पर
CJI ने कहा, "मुझे क्यों सुनना चाहिए? मामले को दूसरी बेंच के सामने जाने दें."
दो दिन पहले ही सीजेआई ने कहा था कि अगर इस मुद्दे पर कानूनी बहस होती है तो वो इस केस को नहीं सुनेंगे, क्योंकि वो दोनों राज्यों से हैं. रमना ने कहा था कि अगर दोनों राज्य मध्यस्थता और आपसी बातचीत के जरिए विवाद सुलझाना चाहते हैं तो वह केस देखेंगे.
दरअसल, पेयजल और सिंचाई जल पर तेलंगाना के साथ आंध्र प्रदेश की खींचतान का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. आंध्र प्रदेश सरकार ने इस मामले में SC में अर्जी लगाई थी. आंध्र सरकार ने अपनी याचिका में तेलंगाना सरकार की उस चिट्ठी का हवाला भी दिया है जिसमें श्रीशैलम बांध से पानी आपूर्ति से साफ इंकार किया गया है. कृष्णा नदी जल बंटवारा समझौते के हवाले से आंध्र सरकार का कहना है कि तेलंगाना सरकार आंध्र को उसकी जनता के हिस्से का उचित पानी देने से मना कर रही है.
नई दिल्ली/ शौर्यपथ / देशभर के गन्ना किसानों को बकाया राशि देने का मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार समेत सभी राज्यों को नोटिस जारी किया है. देशभर में किसानों के 18000 करोड़ रुपये बकाया हैं. सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर यह मांग की गई है कि देशभर के गन्ना किसानों को उनकी बकाया राशि देने को लेकर केंद्र सरकार एक नीति बनाए. इस मामले में SC ने केंद्र और 11 राज्यों को नोटिस जारी किया है और तीन सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है, इन राज्यों में यूपी, महाराष्ट्र, पंजाब, उत्तराखंड, हरियाणा, गुजरात, बिहार, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु शामिल हैं.
गौरतलब है कि राजू अन्ना शेट्टी और चार अन्य ने यह याचिका दायर की है. याचिकाकर्ता के वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर ने कहा कि संसद में बताए गए सरकारी आंकड़ों के अनुसार, राज्यों से बकाया राशि 18,084 करोड़ रुपये है और यूपी इस सूची में सबसे ऊपर है. उन्होंने अदालत से राज्यों को गन्ना किसानों को 15% ब्याज के साथ बकाया राशि का भुगतान करने का निर्देश देने का आग्रह किया. ग्रोवर ने तर्क दिया कि कानून के अनुसार दो सप्ताह के भीतर बकाया भुगतान किया जाना है, लेकिन राज्य भुगतान नहीं करते हैं और भारी रकम बकाया हो गई है.
याचिकाकर्ता ने गन्ना किसानों को राज्यों द्वारा भुगतान किए जाने के कारण 18000 करोड़ रुपये का दावा किया है. यूपी का करीब 7500 करोड़ और महाराष्ट्र का 230 करोड़ का बकाया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राज्यों और केंद्र को तीन सप्ताह के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया है.
नई दिल्ली/ शौर्यपथ / भारत की लवलीना बोरगोहेन ने टोक्यो ओलंपिक में महिला मुक्केबाजी की 69 किलोग्राम स्पर्धा में ब्रॉन्ज मेडल जीता है. ऐसा कर वह भारत की तीसरी बॉक्सर बन गईं हैं जिनके नाम ओलंपिक में मेडल जीतने का कमाल दर्ज है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी जात पर उन्हें बधाई दी है.
पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, "@LovlinaBorgohai ने अच्छी तरह से लड़ा! बॉक्सिंग रिंग में उनकी सफलता कई भारतीयों को प्रेरित करती है. उनकी दृढ़ता और दृढ़ संकल्प सराहनीय है. कांस्य पदक जीतने पर उन्हें बधाई. उनके भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं."
पीएम ने लवलीना बोरगोहेन से फोन पर बात भी की और कहा कि उनकी जीत हमारी नारी शक्ति की प्रतिभा और तप का प्रमाण है. उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सफलता हर भारतीय के लिए और विशेष रूप से असम और पूर्वोत्तर के लिए बहुत गर्व की बात है.
लवलीना का मुकाबला तुर्की की मौजूदा विश्व चैंपियन बुसेनाज सुरमेनेली से था. उनके साथ लड़ते हुए लवलीना को कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा है. इसके साथ ही लवलीना ओलंपिक में बॉक्सिंग में भारत को मेडल दिलानी वाली दूसरी महिला बॉक्सर बन गई हैं. लवलीना से पहले ऐसा कमाल सिर्फ मैरी कॉम ने किया था.
23 वर्षीय लवलीना असम की रहने वाली हैं. वो नौ साल बाद बॉक्सिंग में भारत को मेडल दिलाने वाली खिलाड़ी बन गई हैं. उन्होंने सेमीफाइनल में चीनी ताइपे की नीन-चिन चेन (Nien-Chin Chen) को 4-1 से हराया था.
नई दिल्ली / शौर्यपथ / संसद का मॉनसून सत्र विपक्षी सांसदों के हंगामे के कारण बुरी तरह प्रभावित हुआ है. पेगासस और कृषि कानून के मुद्दे पर विपक्ष ने हंगामा कर संसद की कार्यवाही को लगातार बाधित किया है. बार-बार के व्यवधान के बीच कार्यवाही अगले दिन के लिए स्थगित होना अब रोज की बात हो गई है. बुधवार को भी लगातार हंगामे के कारण दोनों सदनों की कार्यवाही गुरुवार सुबह 11 बजे तक स्थगित करनी पड़ी. हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही बुधवार को 12 बजे और फिर 3:30 बजे और फिर गुरुवार सुबह 112 बजे तक स्थगित करनी पड़ी. उधर, राज्यसभा की बैठक बुधवार को दो बार स्थगित होने के बाद अपराह्न तीन बज कर पंद्रह मिनट पर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई. हालांकि हंगामे के बीच तीन विधेयकों को भी संक्षिप्त चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित किया गया.राज्यसभा में आज अनुचित आचरण' के लिए छह विपक्षी सांसदों को दिनभर के लिए निलंबित किया गया.लोकसभा की कार्यवाही जब सुबह 11 बजे शुरू हुई तो विपक्षी सांसदों का हंगामा भी शुरू हो गया फलस्वरूप कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित करनी पड़ी. लोकसभा की कार्यवाही फिर से शुरू होने के बाद भी हंगामा नहीं थमा तो कार्यवाही फिर टालनी पड़ी.
पूर्वाह्न 11 बजे राज्यसभा की बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए. उन्होंने बताया कि समाजवादी पार्टी के रामगोपाल वर्मा और विश्वंभर प्रसाद निषाद तथा माकपा के डॉक्टर वी शिवदासन की ओर से नियम 267 के तहत किसान आंदोलन के मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस मिले हैं. उन्होंने इस मुद्दे को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि इस पर अन्य नियम के तहत चर्चा की अनुमति दी जाती है.सभापति ने कहा कि कुछ अन्य सदस्यों की ओर से भी विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत नोटिस मिले हैं जिन्हें स्वीकार नहीं किया गया है. नायडू के इतना कहते ही कुछ विपक्षी दलों के सदस्य आसन के समक्ष आ गए और अपने अपने मुद्दों पर चर्चा की मांग करते हुए हंगामा करने लगे। सभापति ने सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने और कार्यवाही चलने देने की अपील की. राज्यसभा में अनुचित आचरण' के लिए छह विपक्षी सांसदों को दिनभर के लिए निलंबित किया गया. राज्यसभा चेयरमैन वेंकैया नायडू ने इन छहों सांसदों को दिनभर के लिए सदन छोड़ने को कहा है. ये सांसद राज्यसभा में सदन के भीतर प्ले कार्ड लेकर हंगामा कर रहे थे और चेयरमैन के बार-बार कहने के बावजूद सदन की कार्यवाही को बाधित कर रहे थे. इन सांसदों में डोला सेन, नदीमुल हक़, अबीर रंजन बिश्वास, शांता क्षेत्री, अर्पित घोष और मौसम नूर (सभी टीएमसी) शामिल हैं. राज्यसभा सभापति ने वेल में प्लेकार्ड लेकर हंगामा कर रहे सांसदों का नाम राज्यसभा सचिवालय से मांगे थे.दोपहर दो बजे जब राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हुई तो तृणमूल कांग्रेस के छह सदस्यों के निलंबन के विरोध में विपक्षी संसद वेल में पहुंच गए और नारेबाजी शुरू कर दी. वे कृषि कानूनों के खिलाफ भी, "काले कानून वापस लो, वापस लो" के नारे लगा रहे थे. संसद के मानसून सत्र का यह तीसरा सप्ताह है और विपक्षी सदस्यों के हंगामे की वजह से उच्च सदन में अब तक एक बार भी शून्यकाल नहीं हो पाया है.
लोकसभा स्पीकर ने हंगामा कर रहे सांसदों को दी नसीहत
लोकसभा में हंगामे पर स्पीकर ओम बिरला ने कड़ा रुख दिखाते हुए हंगामा कर रहे सांसदों से कहा कि आपका तरीका ठीक नहीं है. सदन की गरिमा बनाए रखें, आपका तरीका बिल्कुल गलत है. उन्होंने कहा कि आप सदन की मर्यादा तोड़ने और आसन का अपमान करने का प्रयास नहीं करें. यह उचित नहीं है.
सपा सांसद रामगोपाल यादव बोले-हम तीन मुद्दे पर चर्चा चाहते हैं
समाजवादी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि हम तीन मुद्दों किसान आंदोलन, पेगासस और महंगाई पर राज्यसभा में चर्चा चाहते हैं. तीनों पर नियम 267 के अंतर्गत चर्चा होनी चाहिए.पता नहीं, चर्चा हो पाएगी या नहीं.
हरसिमरत कौर बादल और कांग्रेस के रवनीन बिट्टू में नोकझोंक
संसद भवन में गेट नंबर 4 पर शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर और कांग्रेस के रवनीत सिंह बिट्टू के बीच तीखी झड़प हो गई. दोनों ने एक दूसरे पर आरोप लगाते हुए किसानों के मुद्दे पर गंभीर नहीं होने की बात कही. गौरतलब है कि गेट नंबर 4 पर अकाली दल और बसपा के सांसद किसान बिल के विरोध में प्रदर्शन करते हैं.
किसानों के हक और हितों को देख चर्चा तय करें सभापति : दीपेंद्र हुड्डा
कृषि कानूनों को लेकर कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा ने बातचीत में कहा कि हमने कृषि कानूनों पर नियम 267 के तहत चर्चा का नोटिस दिया है. राज्यसभा चेयरमैन चर्चा के लिए सहमत हो गए है लेकिन नियम 267 के तहत नहीं. दरअसल, नियम 267 केतहत सदन की कार्यवाही को रोककर चर्चा कराना जरूरी होता है और चर्चा का जवाब खुद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को देना होगा. हम देखना चाहते हैं कि राज्यसभा के चेयरमैन ने आखिरकार किस नियम के तहत चर्चा की मंजूरी दी है. हम चाहते हैं कि राज्यसभा के सभापति किसानों के हक और हितों को देखकर चर्चा तय करें
नई दिल्ली/ शौर्यपथ / देश की राजधानी दिल्ली लाल किले पर उड़ता हुए ड्रोन देखकर पुलिसकर्मियों को पसीने छूट गए. यह ड्रोन, लाल किले के ऊपर उड़ रहा था. ड्रोन जैसे ही उड़ते हुए देखा गया, पुलिस में हड़कंप मच गया. दिल्ली पुलिस ने तुरंत एक्शन लेते हुए ड्रोन को जब्त कर लिया है. पुलिस के मुताबिक, 1 अगस्त को लाल किले के पीछे वाले रोड विजय घाट पर वेब सीरीज की शूटिंग चल रही थी, इसकी शूटिंग के दौरान ड्रोन का इस्तेमाल किया गया. उस ड्रोन को लालकिले के ऊपर ले जाया गया. दिल्ली पुलिस के स्टाफ ने जैसे ही ड्रोन को देखा तो हड़कंप मच गया.
उस ड्रोन पर नजऱ रखी गई और बाद में नीचे उतरते ही उसको कब्जे में ले लिया गया है. जानकारी के अनुसार, वेब सीरीज की शूटिंग करने वालों के पास ड्रोन उड़ाने की परमिशन नहीं थी. पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर ड्रोन को जब्त कर लिया है.
नई दिल्ली /शौर्यपथ / सार्वजनिक क्षेत्र की सामान्य बीमा कंपनियों के कर्मचारी बुधवार को सरकारी बीमा कंपनियों के निजीकरण के विरोध में एक दिन की देशव्यापी हड़ताल कर रहे हैं. पीएसजीआई कंपनियों के श्रमिक संगठनों के संयुक्त मोर्चे की सोमवार को बैठक हुई और इन कंपनियों के निजीकरण के सरकार के फैसले का विरोध करने का फैसला किया. अखिल भारतीय सामान्य बीमा कर्मचारी संघ के महासचिव के गोविंदन ने कहा कि यूनियनों ने लोकसभा में साधारण बीमा कारोबार (राष्ट्रीयकरण) संशोधन विधेयक, 2021 को पारित किए जाने के खिलाफ एक दिन की हड़ताल का आह्वान किया है. उन्होंने कहा कि पीएसजीआई की सभी चार कंपनियों के कर्मचारी दिन भर की हड़ताल में हिस्सा ले रहे हैं.
पेगासस जासूसी और अन्य मुद्दों पर विपक्षी दलों के लगातार विरोध के बीच लोकसभा ने सोमवार को बिना चर्चा के विधेयक को पारित कर दिया. यह विधेयक बुधवार को चर्चा और पारित होने के लिए राज्यसभा में आने वाला है. इस विधेयक के पारित होने के बाद केंद्र सरकार किसी बीमा कंपनी में 51 प्रतिशत से कम हिस्सेदारी रख सकती है यानी उसका निजीकरण किया जा सकता है.
अखिल भारतीय बीमा कर्मचारी संघ (एआईआईईए) ने कहा कि इन उपायों के चलते सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की सभी चार सामान्य बीमा कंपनियों और पुनर्बीमाकर्ता जीआईसीरी का निजीकरण कर सकेगी. एआईआईईए ने कहा, ‘वित्त मंत्री का यह तर्क हास्यास्पद लगता है कि यह निजीकरण नहीं है, बल्कि अधिक से अधिक निजी भागीदारी की दिशा में उठाया गया कदम है.'
बता दें कि पीएसजीआई कंपनियां प्रीमियम संग्रह और दावा निपटान के मामले में पहले पांच स्थान पर काबिज हैं.
मुंबई/ शौर्यपथ / मुंबई के जोगेश्वरी विक्रोली लिंक रोड पर हुए एक सड़क हादसे का सीसीटीवी फुटेज वायरल हुआ है. सीसीटीवी फुटेज में दिख रहा है कि पीछे से तेज रफ्तार से आ रही डंपर ने पहले एक बाइक सवार को जोरदार टक्कर मारी फिर वह दूसरी तरफ से आ रही बस से जा भिड़ी. बाइक सवार दोनों बड़ा गाड़ियों के बीच फंस गया.
पुलिस के मुताबिक मुंबई में जोगेश्वरी के पूर्व विक्रोली लिंक रोड पर दुर्गा नगर जंक्शन पर रात करीब 2.30 बजे यह हादसा हुआ. पुलिस के मुताबिक एक तेज रफ्तार डंपर ने पहले एक मोटरसाइकिल सवार को टक्कर मारी फिर बस से टकरा गया. टक्कर मारने के बाद ट्रेलर का ड्राइवर उतर कर भाग गया.
वीडियो में दिख रहा है कि थोड़ी ही देर में दो पुलिसकर्मी वहां पहुंचे. पुलिस ने मौके पर घायलों को अस्पताल पहुंचाया. एमआईडीसी पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और डंपर के ड्राइवर की तलाश तेज कर दी है.
नई दिल्ली/ शौर्यपथ / दिल्ली के अतिसुरक्षित तिहाड़ जेल में कुख्यात गैंगस्टर अंकित गुज्जर के मर्डर से सनसनी है. जेल नम्बर तीन में यह हत्या हुई है. जानकारी के अनुसार, अपराधी नरेंद्र मीना और उसके साथियों पर मर्डर का आरोप है. अंकित को हाल ही में दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था, उस पर यूपी पुलिस की तरफ से 1 लाख 25 हज़ार का इनाम था. अंकित पर 8 हत्याओ का आरोप था.जानकारी के अनुसार, सुबह करीब 9:15 बजे तिहाड़ के एक कैदी अंकित गुज्जर, निवासी बागपत (यूपी) की मौत के बारे में कॉल मिली थी. पुलिस टीम मौके पर पहुंची तो 29 साल के अंकित को तिहाड़ के जेल नंबर की डिस्पेंसरी के बेड पर मृत पाया. अंकित के अलावा दो अन्य कैदी गुरप्रीत और गुरजीत घायल हैं. इन्हें अस्पताल ले जाया गया है. मामले की जांच की जा रही है.
अंकित ने तिहाड़ जेल में बंद गैंगस्टर रोहित चौधरी से हाथ मिलाकर चौधरी गुज्जर गैंग बनाया था. इनकी मंशा साउथ दिल्ली में अपना वर्चस्व कायम करने की थी. अंकित ने अपने गांव यूपी के चांदी नगर से प्रधानी चुनाव लड़ रहे विनोद नाम के शख्स की हत्या कर दी थी और पूरे गांव में पोस्टर लगाए थे कि जो भी चुनाव लड़ेगा, उसको विनोद की तरह मारा जाएगा.
नई दिल्ली / शौर्यपथ / कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ओर से केंद्र सरकार के खिलाफ विपक्षी एकता को प्रदर्शित करने के लिए बुलाई गई ब्रेकफास्ट मीटिंग के एक दिन बाद पंजाब के दो सांसद-कांग्रेस के रवनीति सिंह बिट्टू और शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल बुधवार सुबह संसद के बाहर बहस करते नजर आए. संसद के मानसून सत्र के दौरान 'विवादित' कृषि कानून के मसले पर दोनों के बीच यह नोकझोंक हुई. संसद भवन में गेट नंबर 4 पर इस बहस के दौरान हरसिमरत और रवनीत सिंह बिट्टू ने एक-दूसरे पर किसानों के मुद्दे पर गंभीर नहीं के आरोप लगाए. गौरतलब है कि गेट नंबर 4 पर अकाली दल और बसपा के सांसद किसान बिल के विरोध में प्रदर्शन करते हैं.
बिट्टू ने हरसिमरत कौर बादल पर निशाना साधते हुए पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा, 'जब केंद्रीय कैबिनेट ने बिल पास किया था तब वह मंत्री थीं. आपने बाद में इस्तीफा दिया. वे (अकाली दल) ड्रामा करने में शामिल हैं.' गौरतलब है कि कृषि कानूनों के विरोध में देशभर में प्रदर्शन के बाद हरसिमरत कौर बादल ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था. बिट्टू की बात पर हरसिमरत ने जवाब दिया, 'कृपया उनसे पूछिए..जब यह सब हो रहा था तब राहुल गांधी कहां थे. इस पार्टी (कांग्रेस) ने वाकआउट कर बिल को पास होने में मदद की. उन्हें झूठ बोलना बंद करना होगा.'
दोनों नेताओं के बीच की यह बहस कैमरे में कैद हुई है. कृषि कानून के विरोध में अकाली दल संसद के बाहर प्रदर्शन कर रहा है. जब कांग्रेस सांसद से रिपोर्टर ने पूछा कि सरकार के खिलाफ विपक्ष एकजुट नहीं दिख रहा तो उन्होंने कहा, 'कैसी एकता. उन्होंने (अकाली दल ने) बिलों को पारित करवा दिया. पांच दिन हो गए हैं...कृपया उनसे पूछिए कि पार्टी प्रमुख सुखबीर सिंह बादल कहां हैं?' दरअसल, पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल संसद परिसर में कृषि कानूनों का विरोध करते हुए तख्ती लेकर खड़ी थीं. उसी दौरान वहां से गुजर रहे बिट्टू उनके पास पहुंच गए. दोनों नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला. कई सोशल मीडिया यूजर्स ने दोनों नेताओं के बीच हुई इस नोकझोंक का वीडियो शेयर किया.वीडियो में बिट्टू अकाली दल की नेता पर केंद्रीय मंत्री रहते हुए तीनों कृषि कानून पारित कराने का आरोप लगाते दिख रहे हैं, जबकि हरसिमरत इसका प्रतिवाद करती नजर आ रही हैं.हरसिमरत ने ‘काले कानून रद्द करो' के नारे भी लगाए. लोकसभा में बसपा के नेता रितेश पांडेय और कुछ अन्य सांसद भी कृषि कानूनों के विरोध में हरसिमरत के साथ खड़े थे.गौरतलब कि कृषि कानून को लेकर किसान लंबे समय से आंदोलनरत हैं. वे तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. दूसरी ओर, केंद्र सरकार, कृषि कानूनों में संशोधन करने के लिए तैयार है लेकिन वह इन्हें रद्द करने की किसानों की मांग मानने को तैयार नहीं है. कृषि कानूनों और किसान आंदोलन को लेकर संसद के मॉनसून सत्र में विपक्षी सांसद प्रदर्शन कर रहे हैं. पेगासस जासूसी और कृषि कानूनों को लेकर संसद की कार्यवाही लगातार बाधित हो रही है.