September 08, 2025
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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।

रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ शासन के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जिला कलेक्टर के माध्यम से विभिन्न प्राकृतिक आपदा पीड़ितों को आर्थिक अनुदान सहायता स्वीकृत की जाती है। ऐसे ही 14 प्रकरणों में सरगुजा जिले में पीड़ितों को 56 लाख रूपए की आर्थिक सहायता मंजूर की गई है।
राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 के प्रावधानों के तहत सरगुजा जिले की अंबिकापुर तहसील के ग्राम भकौली के श्री बकीलरामु ग्राम बलसेडी की श्रीमती परमेश्वरी बाई, ग्राम रनपुर के श्री सेतलाल राजवाड़े की मृत्यु पानी में डूबने से होने के कारण मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रूपए की आर्थिक सहायता स्वीकृत की गई है। तहसील उदयपुर के ग्राम सायर के श्री इंजोर साय, ग्राम करौंदी की श्रीमती ननकेशरी और ग्राम ललाती की श्रीमती सीमा, तहसील लुण्ड्रा के ग्राम सेमरपारा के श्री अनिल सोनी, तहसील दरिमा के ग्राम ससकालो के गुरूचरण सिंह और ग्राम पम्पापुर की श्रीमती अनिता राम की मृत्यु पानी में डूबने से और तहसील अंबिकापुर के ग्राम मेण्ड्राकला की श्रीमती सीता बाई की मृत्यु सांप के काटने से होने के कारण मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रूपए की आर्थिक सहायता स्वीकृत की गई है।
तहसील लूण्ड्रा के ग्राम बुलगा की श्रीमती हीरामनी, तहसील अंबिकापुर के ग्राम भकुरा के राहुल की मृत्यु पानी में डूबने से, ग्राम बरनीझरिया के श्याम साय, की मृत्यु आग से जलने से और तहसील उदयपुर के ग्राम मोहनपुर के ओमप्रकाश की मृत्यु मधुमक्खी के काटने से हो जाने के कारण मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रूपए की आर्थिक सहायता स्वीकृत की गई है।

मोर पड़ोसी मोर सुरक्षा' अभियान के तहत संदिग्ध व्यक्तियों की सूचना एवं संदेहास्पद गतिविधियों की सूचना पुलिस को देने दिया सुझाव
अपराध जागरूकता अभियान के तहत कोरबा पुलिस ने उठाया प्रभावी कदम

रायपुर / शौर्यपथ / भोजराम पटेल पुलिस अधीक्षक कोरबा द्वारा बुधवारी बस्ती में आयोजित ''मोर पड़ोसी मोर सुरक्षा'' कार्यक्रम की शुरुवात की गई। जिसमें उन्होंने आमजनों को संबोधित करते हुए कहा कि जागरूकता और हमारी समझदारी ही समाजिक परिवेश को स्वस्थ्य और मजबूत आधार प्रदान करता है। हम सभी को आपसी सामंजस्य और भाईचारा बनाए रखते हुए समाज को सही दिशा में ले जाने का प्रयास करना चाहिए। ऐसा होने से हमारा सामाजिक माहौल जहां मजबूत होगा वहीं हमारी युवा पीढ़ी के सामने एक आदर्श भी स्थापित होगा - उक्ताशय की सारगर्भित बातें पुलिस अधीक्षक श्री भोजराम पटेल ने बुधवारी क्षेत्र में सीएसईबी चौकी द्वारा आयोजित एक बहुद्देशीय कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्य नागरिकों को संबोधित करते हुए कही ।
पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल ने कहा कि तेज़ी से विस्तारित हो रहे समाज और क्षेत्र के परिदृश्य में अपराध का बढ़ना कोई चौंकाने वाली बात नहीं है लेकिन बावजूद इसके हमें पूरी चैतन्यता और समझदारी के साथ लोगों को इससे बचने और दूर रहने की समझाइश देनी चाहिए।
पुलिस कप्तान ने कार्यक्रम में उपस्थित महिलाओं को आदर देते हुए आगे कहा कि 'वे' अपने निकटस्थ पड़ोसियों के साथ होने वाली बातचीत और व्यवहार में माधुर्यता बनाये रखें। ऐसा होने से जहां हमारी आपसी निकटतम खुशबू देगी वहीं हमारा सामाजिक वातावरण भी ओजस्वी होगा। आपको बता दें कि श्री पटेल ने अपना पूरा उद्बोधन सारे महत्वपूर्ण कथ्य और तथ्य के साथ छत्तीसगढ़ी भाषा में दिया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में उपस्थित पार्षद, वरिष्ठ जनों और प्रबुद्ध समाजसेवियों द्वारा पुलिस कप्तान भोजराम पटेल का पुष्प गुच्छ भेंटकर आत्मीय स्वागत किया गया। कार्यक्रम में उप पुलिस अधीक्षक (ट्रेफिक) शिव चरण सिंह परिहार, सीएसईबी चौकी प्रभारी आशीष कुमार सिंह सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

रायपुर / शौर्यपथ / भारत सरकार के खेल एवं युवा मामले नई दिल्ली द्वारा वर्ष 2020-21 का अखिल भारतीय सिविल सेवा एथलेटिक्स प्रतियोगिता का आयोजन दिनांक 28 से 30 सितम्बर 2021 तक करण स्टेडियम जिला करनाल हरियाणा में किया जाना है। इसके लिए छत्तीसगढ़ राज्य दल के गठन हेतु राज्य स्तरीय चयन स्पर्धा का आयोजन दिनांक 21 एवं 22 सितम्बर 2021 को स्वामी विवेकानंद स्टेडियम कोटा रायपुर में किया जाएगा।
खेल एवं युवा कल्याण संचालनालय से प्राप्त जानकारी अनुसार समस्त कर्मचारियों एवं अधिकारियों को प्रातः 9ः00 बजे तक विभागीय पहचान पत्र, विभागीय अनुमति, जन्म प्रमाण पत्र एवं कोविड-19 की नेगेटिव रिपोर्ट के साथ अपनी उपस्थिति देनी है। पंजीयन मोबाईल नम्बर 9424214947 पर वाट्स-अप के माध्यम से भी किया जा सकता है।
एथलेटिक्स प्रतियोगिता में मेन्स ओपन के तहत 100, 200, 400, 800, 1500, 5000, 10000 मीटर दौड, 110 मीटर हडल्स, 400 मी. हडल्स, लांग जम्प, ट्रीपल जम्प, हाई जम्प, पोल वाल्ट, शॉटपुट, डिस्कस थ्रो, हैमर थ्रो, जैबलीन थ्रो का आयोजन होगा।
मेन्स वेट्रेन्स के तहत (40 से 50 वर्ष) 100, 400, 800, 1500, लांग जम्प, शॉटपुट, डिस्कस थ्रो का आयोजन होगा। मेन्स वेट्रेन्स के तहत (50 से 60 वर्ष) 100, 400, 800, 1500, लांग जम्प, शॉटपुट, डिस्कस थ्रो का आयोजन होगा।
वूमैन्स ओपन के तहत 100, 200, 400, 800, 1500 मीटर दौड़, 100 मीटर हडल्स, 400 मी. हडल्स जम्प, शॉटपुट, डिस्कस थ्रो, जैवलीन थ्रो लांग जम्प, हाई जम्प का आयोजन होगा। वूमेन्स वेट्रेन्स के तहत (35 से 45 वर्ष) 100, 200, 400, लांग जम्प, शॉटपुट, डिस्कस थ्रो का आयोजन होगा। वूमेन्स वेट्रेन्स के तहत (45 से 60 वर्ष) 100, 200, लांग जम्प, शॉटपूट का आयोजन होगा।

रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ शासन के जल संसाधन विभाग द्वारा कबीरधाम जिले के सहसपुर लोहारा विकासखण्ड स्थित कर्रानाला बैराज की मुख्य नहर की रिमाडलिंग एवं कर्रानाला नहर विस्तारीकरण के लिए मुख्य अभियंता महानदी-गोदावरी कछार को 1 करोड़ 95 लाख 32 हजार रूपए की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई है। नहर रिमाडलिंग एवं विस्तारीकरण के कार्य से 500 एकड़ रकबे में अतिरिक्त सिंचाई सुविधा सृजित होगी।

मुंगेली / शौर्यपथ / विकासखण्ड मुंगेली के गांव संबलपुर  की 10 केंवट समुदाय के महिलाओं की मां महामाया स्व-सहायता समूह कर रही मत्स्य पालन। समूह को मत्स्य पालन से वित्तीय वर्ष 2020-21 में 52 हजार की आमदनी हुई। इस प्रकार से मछली पालन का व्यवसाय ग्राम संबलपुर के महिलाओं के लिए कम खर्च एवं कम मेहनत से अतिरिक्त आय का जरिया बनकर महिलाओ आत्मनिर्भर  बना रही है। मां महामाया  महिला स्व-सहायता समूह के महिलाओं में अपने इस सफल व्यवसाय के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि समूह गठन से पहले  वे गरीबी रेखा के नीचे आने से  उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर थी।  स्वयं के पास उपलब्ध भूमि में खेती-किसानी करते थे,  एकड़ 15-20 क्वि. धान का उत्पादन हो पता था, इस उत्पादन से वे संतुष्ट नहीं थे। मत्स्य विभाग के मैदानीय अधिकारियों के संपर्क में आने के बाद संबलपुर  के महिलाओं ने समूह गठन किया। विभाग की योजना अन्तर्गत मछली पालन से संबंधित जानकारी मिलने से प्रभावित होकर ग्राम पंचायत से तालाब को 5 वर्षीय पट्टे पर लेकर मछली पालन का कार्य करने लगे। मछली पालन कार्य को 29 दिसंबर 2020 में प्रारंभ किया गया। संबलपुर तालाब का जल क्षेत्र 2.50 हेक्टेयर है। मत्स्य विभाग द्वारा राष्ट्रीय कृषि विकास योजना अंतर्गत मत्स्य बीज, परिपूरक आहार, मछुआ प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं तकनीकी उन्नयन प्रशिक्षण प्रदाय कर उन्हे मछली पालन की तकनीकी जानकारी दी गई है ।      वर्तमान में समूह द्वारा पट्टे पर आबंटित तालाब में गुणवत्तायुक्त मछली बीज का संचयन एवं परिपूरक आहार के प्रयोग से मत्स्योत्पादन में निरंतर वृद्धि कर आर्थिक स्तर में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है। प्राप्त आय से समूह के सदस्यों द्वारा  अपने घरेलू उपयोग की वस्तुओ का क्रय किया गया है तथा मकानों की मरम्मत की गयी कुछ सदस्यों द्वारा पक्का मकान बनवाया गया है कुछ सदस्यों द्वारा आवश्यकता अनुसार सायकल-मोटर सायकल क्रय किये है सदस्यों द्वारा अपने बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने स्कमल भेजा जा रहा है। इस प्रकार से मत्स्य पालन का यह व्यवसाय गरीब महिलाओं के लिए अत्यंत लाभ का व्यवसाय साबित होकर उनके स्वरोजगार का सशक्त माध्यम बन गया है।

चालू वित्तीय वर्ष के प्रथम तिमाही में 80 करोड़ रूपए से अधिक मूल्य के 2.78 लाख क्विंटल लघु वनोपजों का हुआ संग्रहण
देश में इस दौरान 93 करोड़ रूपए मूल्य के कुल संग्रहित लघु वनोपजों में से 88.36 प्रतिशत छत्तीसगढ़ में
राज्य में समर्थन मूल्य पर हो रही 52 लघु वनोपजों की खरीदी

रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व और वन मंत्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ में लघु वनोपजों का संग्रहण सतत् रूप से जारी है। ‘द ट्राइबल कोऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (ट्राईफेड)’ द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार राज्य में चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान प्रथम तिमाही माह अप्रैल से जून तक न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 80 करोड़ 12 लाख रूपए की राशि के 2 लाख 77 हजार 958 क्विंटल लघु वनोपजों की खरीदी की गई है। जो देश में इस दौरान 93 करोड़ रूपए मूल्य के कुल संग्रहित लघु वनोपजों में से 88.36 प्रतिशत लघु वनोजपों का संग्रहण छत्तीसगढ़ में हुआ है।
राज्य में विगत अप्रैल से जुलाई माह तक लगभग 3 माह की अवधि में 80 करोड़ 12 लाख रूपए की राशि के 2 लाख 77 हजार 958 क्विंटल लघु वनोपजों का संग्रहण किया गया है। इनमें 40 करोड़ 90 लाख रूपए की राशि के 01 लाख 13 हजार 614 क्विंटल इमली (बीज सहित) तथा 27 करोड़ 59 लाख रूपए की राशि के 01 लाख 37 हजार 946 क्विंटल साल बीज का संग्रहण किया गया है। इसी तरह 4 करोड़ 15 लाख रूपए की राशि के 6 हजार 595 क्विंटल फूल इमली, 2 करोड़ 92 लाख रूपए की राशि के 2 हजार 390 क्विंटल चिंरौजी गुठली तथा 01 करोड़ 78 लाख रूपए की राशि के 10 हजार 493 क्विंटल बहेड़ा का संग्रहण शामिल है।
इस दौरान माहुल पत्ता, नागरमोथा, भेलवा, बहेड़ा कचरिया, धवई फूल (सूखा), हर्रा कचरिया, पुवाड़ (चरोटा), बेल गुदा, सतावर (सूखा), कुसुम बीज, फुल झाडू, रंगीनी लाख, वन तुलसी, फूल इमली, जामुन बीज (सूखा), वन जीरा, इमली बीज, आंवला बीज रहित, कुसुमी लाख कुल्लू गोंद, महुआ बीज, करंज बीज तथा बायबडिंग का संग्रहण हुआ है। इसके अलावा पाताल कुम्हड़ा (बेदारी कंद), तिखुर, सवई घास, कोरिया छाल, छिन्द घास, आंवला (कच्चा), कांटा झाडू, कुटज छाल, अडुसा पत्ता, इन्द्रजौ बीज, सफेद मुसली, पलाश फुल आदि का भी संग्रहण किया गया है।
राज्य लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक श्री संजय शुक्ला ने बताया कि राज्य में वर्तमान में 52 लघु वनोपजों की खरीदी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जा रही है। इन 52 लघु वनोपजों में साल बीज, हर्रा, ईमली बीज सहित, चिरौंजी गुठली, महुआ बीज, कुसुमी लाख, रंगीनी लाख, काल मेघ, बहेड़ा, नागरमोथा, कुल्लू गोंद, पुवाड़, बेल गुदा, शहद तथा फूल झाडू, महुआ फूल (सूखा) शामिल हैं। इसके अलावा जामुन बीज (सूखा), कौंच बीज, धवई फूल (सूखा), करंज बीज, बायबडिंग और आंवला (बीज सहित) तथा फूल ईमली (बीज रहित), गिलोय तथा भेलवा, वन तुलसी बीज, वन जीरा बीज, इमली बीज, बहेड़ा कचरिया, हर्रा कचरिया तथा नीम बीज शामिल हैं। इसी तरह कुसुमी बीज, रीठा फल (सूखा), शिकाकाई फल्ली (सूखा), सतावर जड (सूखा), काजू गुठली, मालकांगनी बीज तथा माहुल पत्ता शामिल है।
इसी तरह पलास (फूल), सफेद मूसली (सूखा), इंद्रजौ, पताल कुम्हड़ा, तथा कुटज (छाल), अश्वगंधा, आंवला कच्चा, सवई घास, कांटा झाडू, तिखुर, बीहन लाख-कुसमी, बीहन लाख-रंगीनी, बेल (कच्चा), तथा जामुन (कच्चा) शामिल है। राज्य सरकार द्वारा कुसुमी लाख, रंगीनी लाख और कुल्लू गोंद की खरीदी में समर्थन मूल्य के अलावा अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है।

रायपुर / शौर्यपथ / राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने सिवनी जिले के ग्राम-चुरनाटोला में महान बलिदानी राजा अमर शहीद शंकरशाह व कुंवर रघुनाथ शाह के प्रतिमा का अनावरण किया। इस कार्यक्रम का आयोजन गोंड समाज महासभा मध्यप्रदेश द्वारा किया गया। राज्यपाल ने अमर शहीद शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह को नमन किया। इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि राजा शंकर शाह और रघुनाथ शाह की अमर बलिदान गाथा हम सबके लिए प्रेरणा स्रोत है, जो हम सभी को राष्ट्र प्रेम की प्रेरणा देते है।
राज्यपाल ने कहा कि समाज के लिए एकजुट होकर प्रयास करें। इस समय कुछ विघटनकारी तत्व समाज को विघटित करने का प्रयास कर रहे हैं, धर्म, सम्प्रदाय, जाति के आधार पर बांटने का प्रयास कर रहे हैं, उनसे सावधान रहने की आवश्यकता है। राज्यपाल ने कहा कि मैं भी स्वयं गोंड समाज से हूं। गोंडी भाषा को स्थान मिले और उसके विकास के लिए मैं हरसंभव प्रयास करूंगी। उन्होंने कहा कि आदिवासी प्रकृति का पूजक होता है। मेरा आग्रह है कि अपनी संस्कृति और परंपराओं को न भूलें। उन्होंने आदिवासियों के जमीन अधिग्रहण के समय शेयर होल्डर बनाने का भी सुझाव दिया।
राज्यपाल ने कहा कि आदिवासी समाज में वीर नारायण सिंह, टंट्या भील, राजा शंकरशाह और कुंवर रघुनाथ शाह जैसे अनेकों महानायक हैं, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया है। इनमें से कई का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज नहीं हो पाए और गुमनामी में खो गए। आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर उन्हें याद किये जाने की आवश्यकता है। उनकी जानकारी नई पीढ़ियों को दी जानी चाहिए, ताकि अपने पूर्वजों के योगदान को जान सकें। सुश्री उइके ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष पद के तौर पर किए गए कार्यों की जानकारी दी।
राज्यपाल ने कहा कि अमर शहीद गोंड महाराजा शंकरशाह व कुंवर रघुनाथ शाह गढ़ा साम्राज्य के गोंडवाना शासक थे। यह भूमि शुरू से ही वीरों की भूमि रही है। राजा शंकर शाह अंग्रेजों द्वारा किए गए दुर्व्यवहार के विरुद्ध थे और अंग्रेजों से स्वतंत्रता चाहते थे। डलहौजी की हड़प नीति के बाद भारत में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की पृष्ठभूमि तैयार हो रही थी, जिसकी जानकारी राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह को भी लग गई थी। पिता-पुत्र ने तत्कालिक परिस्थितियों में शक्तिशाली संगठन तैयार कर लिया और मध्य प्रांत में धीरे-धीरे उनके नेतृत्व में मोर्चा तैयार हो गया।
सुश्री उइके ने कहा कि राजा शंकर शाह ने मध्यप्रांत में बैठक बुलाकर अंग्रेजों से विद्रोह के लिए योजना बनाई। उसी समय गुप्तचरों के माध्यम से जबलपुर केंटोनमेंट छावनी के कमिश्नर को राजा शंकर शाह के योजना की भनक मिल गई और उन्होंने गढ़ा पुरवा में हमला बोल कर राजा शंकर शाह और रघुनाथशाह को गिरफ्तार कर लिया। इन पिता-पुत्र के समक्ष अंग्रेजों ने संधि की शर्त रखी और कहा कि शर्तें मानने के बाद इन उन्हें माफ कर दिया जाएगा। पिता-पुत्र ने इन शर्तों को स्वीकार नहीं किया फलस्वरूप उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई और 18 सितंबर 1857 को उन्हें फांसी दे दी गई। उन्होंने कहा कि जब उन्हें फांसी की सजा दी गई तब भी उनमें भय का कोई चिन्ह नहीं था। अंग्रेजों ने यह सोचा कि सार्वजनिक रूप से फांसी देने के पश्चात जनता में भय व्याप्त होगा, जबकि इसके उलट परिणाम हुए और पूरे मध्यप्रांत में क्रांति की ज्वाला भड़क उठी। उनके बलिदान को कभी नहीं भुलाया जा सका।
राज्यपाल ने कहा कि इस समय आजादी का ‘अमृत महोत्सव’ मना रहे हैं। हम सभी स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाले नायकों को याद कर रहे हैं। ऐसे लोगों को भी याद करना चाहिए जिसका नाम किन्हीं कारणों से सामने नहीं आ पाया। हमें यह याद रखना चाहिए कि जब हमारा देश गुलाम था, तो उस समय हमारे पूर्वजों के समक्ष अनेक चुनौतियां थी। इसके बावजूद वे पथ से नहीं डिगे, उनका लक्ष्य था अंग्रेजों से मुक्ति दिलाना। फलस्वरूप 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ, लेकिन आज हमारे समक्ष अलग प्रकार की कई चुनौतियां है। हमें इनका सामना करना चाहिए और एकजुट होकर राष्ट्र की प्रगति में योगदान देना चाहिए।
इस अवसर पर केन्द्रीय इस्पात राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते, गोंड समाज महासभा मध्यप्रदेश के अध्यक्ष श्री बी.एस.परतेती, पूर्व मंत्री श्री ओमकार सिंह मरकाम, पूर्व विधायक श्री कमल मर्सकोले, श्री कौशल सिंह पोर्ते, श्रीमती कामनी शाह, श्री शोभाराम भलावी, श्री अमान सिंह पोर्ते, श्री श्याम सिंह मरकाम उपस्थित थे।

रायपुर / शौर्यपथ / राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने कोण्डागांव जिले के बोरगांव में सड़क हादसे में 7 लोगों की मृत्यु पर गहरा दुख व्यक्त किया है। राज्यपाल ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है और उनके परिजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है। उन्होंने इस हादसे में घायल हुए लोगों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की है।

 रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 21 सितंबर को पूर्वान्ह 11.30 बजे राजधानी रायपुर के होटल बेबिलॉन कैपिटल में ‘वाणिज्य उत्सव समारोह‘ में शामिल होंगे। इस कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री बघेल दोपहर 1 बजे अपने निवास कार्यालय में आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में गोधन न्याय योजना के तहत पशुपालकों और संग्राहकों के खाते में क्रय किए गए गोबर की राशि का अंतरण करेंगे।

दुर्ग / शौर्यपथ / वैसे तो शहर में अतिक्रमण का बोलबाला है और इस पर लगाम लगाने का प्रयास निगम प्रशासन द्वारा लगातार समय समय पर किया जाता है कई…

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